Monday 30 November 2015

Acid test of Putin's Policies & Prestige

-Anil Narendra

Amidst the rising terrorism of Islamic State the war has taken a new turn on Tuesday. Turkey gunned down a Russian fighter plane SU-24 near Syrian border on Tuesday. Turkey claims this Russian plane had entered its airspace and when it didn’t return despite several warnings our F-16 plane came into action and gunned it down. While denying it Russia said that neither the pilots were warned nor our fighter planes entered the Turkish airspace, it was all the time in Syrian air space.

This is the first time that any alliance nation of NATO (Turkey) has gunned down any Russian plane. It is clear that there is tension between Russia and Turkey. Furious by the attack, Russian President Vladimir Putin said this incident is like stabbing in the back. The incident could seriously affect the relations between Turkey and Russia. Putin said that the Russian plane was attacked within the area of Syria while it was one km away of the Turkish airspace. The plane fell down four kms within Syrian area.

Putin’s statement is just contrary to that of Turkey that before being gunned down it was warned several times that it was flying within Turkish airspace. Putin said this incident is just like stabbing in the back enacted by the associates of the terrorists. Our plane was gunned down by an airborne missile from an F-16 at the height of 6000 meters in Syrian airspace.

Putin said that the Russian pilots and planes didn’t cause any threat to Turkey. They were on their duty to fight with IS in Syria. He said about the funding to terrorists “long ago we had proved that oil and oil products are in plenty in the occupied areas which the Turks buy from ISIS and thereby helping ISIS”. Turkish army claims that upon entering its airspace Russian plane was warned ten times within five minutes. Getting no response it was gunned down by two F-16 planes. The US forces have also confirmed it.

The Turkish PM said that whosoever enters our airspace, we have the sole right to gun it down. The incident occurred days after when Turkey had called the Russian Ambassador and warned Russia about the serious consequences if the Russian air force doesn’t stop bombing Turkmen villages. However, after the incident both the nations have indicated that they don’t want to take this issue further and augment a war between them. But people knowing Putin believe that he will take revenge against this insult.

In fact, this incident has heavily shocked Russia. A small country like Turkey has begun to challenge Russia. It has shocked the prestige of Russia. Another angle to the incident is that a US plane (F-16) has gunned down a modern Russian fighter plane (SU-24) which will adversely affect the Russian military weapon market.

Thirdly, danger is now Russia and NATO nations have come face to face. NATO has 28 member nations. North Atlantic Treaty Organisation and Russia have come to loggerheads after decades. According to some experts this incident also indicates the ego of the nations fighting in Syria.

From the very beginning, the western countries are objecting the Russian air attacks in Syria. In fact, the US and its alliance say that Syria will not be normal without displacing the President Assad. It wants to finish Assad. While Moscow stands for full support to Assad.

Therefore, it is being alleged that it is bombing Assad rebels instead of the IS. When Turkey gunned down the Russian plane it was shown in pictures that the fighter jet exploded in the air. This area is apart from the IS, occupied by the rebellion groups. It includes Al Qaida branch Nusra Front also. Both the pilots of the plane are shown ejecting in the pictures.

A deputy commander of rebellion Turkmen forces said that its fighters have shot both the pilots. However, one pilot has been successfully rescued after first botched up operation and the second pilot is dead.

Over all, the situation is very tense. Anything could happen. The war between Assad versus the IS seems to turn into Russia versus the US and the NATO now.

Sunday 29 November 2015

राजधानी में सबसे बड़ी लूट, कैश वाहन ड्राइवर 22.50 करोड़ ले उड़ा

बृहस्पतिवार को राजधानी में सबसे बड़ी लूट की वारदात हुई। दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में एक निजी कंपनी की नकदी एक कैश वैन से लूट ली गई। वारदात के समय चालक के साथ मौजूद गनमैन लघुशंका के लिए वैन से नीचे उतरा था। इसी बीच वैन को चालक लेकर फरार हो गया। घटना की सूचना मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए। वहीं कुछ ही देर बाद गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास कैश वैन लावारिस हालत में खड़ी मिली। सभी बक्से गायब थे। लोकल पुलिस के अलावा अपराध शाखा और स्पेशल सेल की टीम ने भी जांच शुरू कर दी। पुलिस के मुताबिक विकासपुरी इलाके में एक्सिस बैंक की ब्रांच से निजी सिक्यूरिटी कंपनी एसआईएस (सिक्योरिटी इंटेलीजेंस सर्विस) के दो कर्मचारी, चालक प्रदीप शुक्ला और गनमैन विनय पटेल दोपहर 3.30 बजे आठ बक्सों में 22.50 करोड़ रुपए लेकर निकले थे। कैश वैन को कंपनी के ओखला फेज-2 स्थित दफ्तर आना था। जैसे ही यह लोग करीब 4.30 बजे गोविंदपुरी इलाके में ओखला मंडी के पास पहुंचे, गनमैन विनय ने लघुशंका की इच्छा जाहिर की। विनय के उतरते ही प्रदीप शुक्ला कैश वैन लेकर भाग गया। प्रदीप को फरार होता देखकर फौरन कंपनी फोन कर दिया विनय ने और पुलिस तुरन्त घटनास्थल पर पहुंच गई। इस लूट की खबर से हड़कंप मचना स्वाभाविक ही था, आखिर यह देश की सबसे बड़ी लूट थी पर दिल्ली पुलिस ने शानदार कार्रवाई करते हुए एक तरह से चमत्कार कर दिया। बृहस्पतिवार शाम चोरी हुई तो शुक्रवार तड़के ओखला औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक गोदाम से ड्राइवर प्रदीप शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया। इसके पास से तकरीबन सारा कैश भी बरामद हो गया है। हालांकि रातभर में उसने इस रकम से 11 हजार रुपए जरूर खर्च किए। दिल्ली पुलिस के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी वारदात थी जिसमें एक स्थान पर इतना बड़ा कैश गया और महज 12 घंटे के भीतर दिल्ली पुलिस ने इस केस का पर्दाफाश कर दिया। अभी तक की तहकीकात में यही बात निकलकर सामने आई है कि यह वारदात सिर्प प्रदीप शुक्ला के दिमाग की उपज थी। आरोपी मूलत बलिया यूपी का निवासी है। इस वर्ष सितम्बर में ही उसने एसआईएस कंपनी में बतौर ड्राइवर नौकरी ज्वाइन की थी। आजकल वह पत्नी और बच्चों के साथ हरकेश नगर इलाके में रह रहा था। यह चोरी अमानत में ख्यानत को परिभाषित करती है। पुलिस ने शुक्ला पर दफा 407 में केस दर्ज किया है जो विश्वास तोड़ने से संबंधित है। हम दिल्ली पुलिस को इस शानदार उपलब्धि पर बधाई देना चाहते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

राजीना की शिकायत ः क्या यह असहिष्णुता नहीं है?

पिछले कुछ दिनों से देश में असहिष्णुता पर तीखे हमले हो रहे हैं। हाल ही में फिल्मी सितारे और करोड़ों लोगों के चहेते आमिर खान ने भी देश में असहिष्णुता के वातावरण पर घुटन महसूस की और यहां तक कह दिया कि उनकी पत्नी तो देश छोड़ने की बात कर रही हैं। इस असहिष्णुता के लिए मोदी सरकार व बहुसंख्यक वर्ग को दोष दिया जा रहा है। दुख तो इस बात का है कि दूसरे समुदायों में जो असहिष्णुता, ज्यादतियां हो रही हैं उसके बारे में न तो यह मुसलमानों के ठेकेदार एक शब्द बोल रहे हैं और न ही कोई उलेमा मुंह खोल रहा है। मैं बात कर रहा हूं एक महिला मुस्लिम पत्रकार वीपी राजीना के उत्पीड़न की। पत्रकार वीपी राजीना ने मदरसों में हो रहे उत्पीड़न के बारे में फेसबुक पर टिप्पणियां कीं। पत्रकार ने अपनी फेसबुक पोस्ट में मदरसों में कथित तौर पर होने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न की त्रासद स्थिति बयान की थी। पत्रकार वीपी राजीना एक मलयालम दैनिक में काम करती हैं। राजीना ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए बताया था कि किस तरह से मदरसों में लड़के-लड़कियों का यौन शोषण किया जाता है। राजीना ने मदरसों में हो रही इन घटनाओं के बारे में रविवार को फेसबुक पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से उन्हें अपने समुदाय के लोगों का तीखा विरोध झेलना पड़ रहा है और यह विरोध अश्लीलता और जान की धमकी देने तक पहुंच गया है। राजीना ने दावा किया है कि उन्होंने अपने बचपन में मदरसों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण को अपनी आंखों से देखा है। पत्रकार ने लिखा है कि जब मैं पहली क्लास में पहली बार गई तो मदरसे में एक अधेड़ शिक्षक ने पहले तो सभी बच्चों को खड़ा किया और बाद में उन्हें पैंट खोलकर बैठने को कहा। इसके बाद वह हर सीट पर गया और बच्चों से छेड़छाड़ की। उन्होंने दावा किया कि उसने यह काम आखिरी छात्र को छेड़ने के बाद ही बंद किया। उनके इस पोस्ट के बाद अब राजीना मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गई हैं और उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राजीना इससे पहले भी मुस्लिम प्रबंधकों के एक स्कूल में लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा चुकी हैं। सम्पर्प करने पर राजीना ने बताया कि मेरे फेसबुक अकाउंट को बंद कर दिया गया है। जो मैंने कहा था, वह कोई अतिश्योक्ति नहीं बल्कि सच्चाई और केवल सच्चाई है। राजीना ने बताया कि उनकी मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसे धर्म पर हमले के रूप में पेश करने का प्रयास किया जा रहा है। हम इन तथाकथित धर्मनिरपेक्षों से पूछना चाहते हैं कि अब वह क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या यह असहनशीलता, असहिष्णुता नहीं?

Saturday 28 November 2015

देश में नकली नोटों की बढ़ती समस्या

जाली नोटों की समस्या बढ़ती ही जा रही है। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए वह करोड़ों के जाली नोट भारतीय मार्केटों में चला रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा भारतीय सांख्यिकी संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि देश में इस समय करीब 400 करोड़ रुपए के नकली नोट चल रहे हैं। इससे नीति-निर्माताओं को इस समस्या का समाधान तलाशने में काफी मदद मिलेगी। सांख्यिकी संस्थान के मुताबिक देश में हर साल लगभग 70 करोड़ रुपए के नकली नोट झोंके जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार यह आंकड़ा करीब 2500 करोड़ रुपए था। अभी तक देश में नकली नोटों का कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं था लेकिन इतना तो तय था कि इसमें पाकिस्तान का हाथ है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार जांच एजेंसी को नकली नोटों की फोरेंसिक जांच में पता चला है कि इनमें इस्तेमाल होने वाली स्याही, कागज व कई अन्य चीजें पाकिस्तान की मुद्रा से हूबहू मिलती हैं। हमें बस देश में चलने वाले नकली नोटों का एक प्रमाणिक आंकड़ा चाहिए था जिसके लिए यह अध्ययन कराया था। सांख्यिकी ने आरबीआई, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, सेंट्रल इकोनॉमी इंटेलीजेंस ब्यूरो, आईबी, सीबीआई और अन्य जगहों से आंकड़े जुटाए। आंकड़ों की प्रमाणिकता पर इसलिए संदेह नहीं किया जा सकता क्योंकि मसलन नकली नोट जब्त करने वाली सभी केंद्रीय एजेंसियां सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो को आंकड़े भेजती है न कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो को। व्यावसायिक बैंक ऐसे नोटों की पूरी रिपोर्ट आरबीआई के स्थानीय कार्यालयों को देती है लेकिन अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, जो भारी-भरकम नकदी स्थानांतरण में शामिल होते हैं, नकली नोटों के आंकड़े देने को बाध्य नहीं होते। अध्ययन में यह भी पता चला है कि  प्रतिदिन 10 लाख नोटों में 250 नकली नोट पाए जाते हैं। लगभग 26 से 46 करोड़ के नकली नोट गत पांच वर्ष में हर साल जब्त हुए हैं। 1000 रुपए के नोट की अपेक्षा 10 प्रतिशत ज्यादा पकड़े जाते हैं 100 और 500 रुपए के नोट। 80 प्रतिशत नकली नोट एक्सिस, आईसीआईसीआई व एचडीएफसी बैंकों ने पकड़े हैं। आमतौर पर असली और नकली नोट में 12 तरह के अंतर होते हैं। नकली नोट की छपाई ज्यादातर एक कागज पर होती है जबकि असली नोट दो कागजों को चिपकाकर बनाते हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जब्त हुए नकली नोटों की रिपोर्ट देने में स्थानीय पुलिस लापरवाह है।
-अनिल नरेन्द्र


भारत का इस्लाम जेहाद की प्रेरणा नहीं देता ः आईएस

सन् 2011 तक दक्षिण उन्मुक्त जीवनशैली वाले सीरिया को न जाने किसकी नजर लगी कि वह आधुनिकता से बर्बरता के दलदल में फंसता चला गया। एक समय खुशहाली का प्रतीक रहा यह देश खून से लथपथ होकर खंडहर में बदल गया। इसकी एक बड़ी वजह है इस्लामिक स्टेट का उदय होना। इस्लामिक स्टेट या आईएस आज दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संगठन बन गया है जिसकी बर्बरता के किस्से आए दिन सुनने को मिल रहे हैं। युवक बड़ी संख्या में आईएस में तमाम दुनिया के देशों से शामिल हो रहे हैं। पर जब वह इनकी बर्बरता और अमानवीय कृत्यों को देखते हैं, असलियत देखते हैं तो वहां से भागते हैं। पिछले दो सालों में 18 देशों के 58 लोग आईएस छोड़ चुके हैं। भारत के साथ कुछ विदेशी एजेंसियों ने एक साझा डोजियर तैयार किया है। डोजियर के मुताबिक जिन 23 भारतीयों ने आईएस ज्वाइन किया था, उनमें सिर्प दो लौटे। इनमें कल्याण का युवा अरीब माजिद और 17 साल की एक लड़की शामिल है। इसे कतर से निकाल दिया गया था। मजीद फिलहाल न्यायिक हिरासत में है और ट्रायल का सामना कर रहा है। डोजियर के मुताबिक सबसे ज्यादा लोग सीरिया (21) के हैं। उसके बाद सऊदी अरब का नम्बर है। आईएस छोड़ने की वजह खराब व्यवहार, परेशान किया जाना और जबरन छोटे-मोटे काम करवाना है। रिपोर्ट के मुताबिक आईएस में ट्यूनीशिया, फिलीस्तीन, सउदी अरब, इराक और सीरिया के लड़ाकों को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है और इन पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है। यूरोप से आए लड़ाकों को भी काफी सम्मान दिया जाता है। आईएस अपने भारतीय लड़ाकों को कायर मानती है। उसे लगता है कि भारत से शामिल हुए युवक इराक और सीरिया में लड़ने लायक नहीं हैं। इसी कारण आईएस इन भारतीयों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करता है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार आईएस भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के लड़ाकों को अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर समझता है। इसी कारण आतंकी संगठन भारतीयों को बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकसाता है। भारतीयों को कई बार इस बात की जानकारी नहीं होती कि उनका आत्मघाती की तरह इस्तेमाल होगा। उन्हें कहा जाता है कि सामान लेकर किसी से मिलने जाएं। जब वे वहां पहुंचते हैं तो उन्हें रिमोट कंट्रोल से उड़ा दिया जाता है। एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई है कि आईएस की राय में भारत का इस्लाम जेहाद की प्रेरणा नहीं देता। दरअसल आईएस के अनुसार भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में जो इस्लाम पढ़ाया जाता है, उसे कुरान और हदीस की मूल शिक्षा से अलग बताता है। इसलिए यहां के मुसलमान सलाफी जेहाद की तरफ नहीं जाते हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार दक्षिण एशिया से आने वाले रंगरूटों के दिलों में जिन्न का डर बैठाया जाता है। उनसे कहा जाता है कि अगर वे अपने देश लौटेंगे तो उन्हें तमाम उम्र जिन्न परेशान करेगा। उन्हें न ही बेहतर हथियार दिए जाते हैं और न ही अरब के लड़ाकू की तरह वेतन। आईएस दक्षिण एशिया के लड़ाकों को धुर सोल्जर की तरह इस्तेमाल करता है। अरब के लड़ाके इनके पीछे रहते हैं। यही वजह है कि अरब मूल के लड़ाकों के मुकाबले दक्षिण एशियाई मूल के युवक जंग में ज्यादा मरते हैं। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अब तक 23 भारतीय युवक आईएस में शामिल हो चुके हैं। इनमें अब तक विभिन्न घटनाओं में छह मारे जा चुके हैं। भारत से गए तीन युवक कर्नाटक के हैं, मोहम्मद उमर, शुमान और फैज मसूद। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का लड़का मोहम्मद साजिद उर्प बड़ा साजिद है जो मारा जा चुका है। इसके अलावा अदीलाबाद (तेलंगाना) के अतीक वसीम मोहम्मद और ठाणे (महाराष्ट्र) के सहीम फारुक की मौत हो चुकी है। ज्यादातर भारतीय लड़के हूरों के चक्कर में जेहाद से जुड़ते हैं। चूंकि आईएस में महिलाएं कम हैं इसलिए एशिया के युवकों को बीवियां नहीं मिलतीं। आईएस से बचकर आए भारतीयों के अनुसार आईएस सोशल मीडिया के सहारे युवकों को शामिल करता है, लुभाता है।

Acid test of Putin’s policies & prestige

Amidst the rising terrorism of Islamic State the war has taken a new turn on Tuesday. Turkey gunned down a Russian fighter plane SU-24 near Syrian border on Tuesday. Turkey claims this Russian plane had entered its airspace and when it didn’t return despite several warnings our F-16 plane came into action and gunned it down. While denying it Russia said that neither were the pilots warned nor our fighter place entered the Turkish space, it was all time in Syrian air spaceThis was the first time that any alliance nation of NATO (Turkey) has gunned down any Russian plane. It is clear that there is tension between Russia and Turkey. Furious by the attack, Russian President Vladimir Putin said this incident is like stabbing in the back. The incident could seriously affect the relations between Turkey and Russia. Putin said that the Russian plane was attacked within the area of Syria while it was one km away of the Turkish airspace. The plane fell down at four kms within Syrian area. Putin’s statement is just contrary to that of Turkey that before being gunned down it was warned several times that it was flying within Turkish airspace. Putin said this incident is just like stabbing in the back enacted by the associates of the terrorists. Our plane was gunned down by an airborne missile from an F-16 at the height of 6000 meters in Syrian airspace Putin said that the Russian pilots and planes didn’t cause any threat to Turkey. They were on their duty to fight with IS in Syria. He said about the funding to terrorists long ago we had proved that oil and oil products are in plenty in the  occupied areas which the Turks buy from ISIS and thereby helping ISIS. Turkish army claims that upon entering its airspace Russian plane was warned ten times within five minutes. Getting no response it was gunned down by two F-16 planes. The US forces have also confirmed it. The Turkish PM said that whosoever enters our airspace, we have the sole right to gun it down. The incident occurred days after when Turkey had called the Russian Ambassador and warned Russia about the serious consequences if the Russian air force doesn’t stop bombing Turkmens villages. However, after the incident both the nations have indicated that they don’t want to take this issue further and augment a war between them. But people knowing Putin believe that he will take  revenge against this insult. In fact, this incident has heavily shocked Russia. A small country like Turkey has begun to challenge Russia. It has shocked the prestige of Russia. Another angle to the incident is that a US plane (F-16) has gunned down a modern Russian fighter plane (SU-24) which will adversely affect  the Russian military weapons market. Thirdly, danger is now Russia and NATO nations have come face to face. NATO has 28 member nations. North Atlantic Treaty Organisation and Russia have come to loggerheads after decades. According to some experts this incident also indicates the ego of the nations fighting in Syria. From the very beginning, the western countries are objecting the Russian air attacks in Syria. In fact, the US and its alliance say that Syria will not be normal without displacing the President Assad. It wants to finish Assad. While Moscow stands for full support to Assad. Therefore, it is being alleged that it is bombing over Assad rebels instead of the IS. When Turkey gunned down the Russian plane it was shown in pictures that the fighter jet exploded in the air. This area is apart from the IS, occupied by the rebellion groups. It includes Al Qaida branch Nusra Front also. Both the pilots of the plane are shown ejecting in the pictures. A deputy commander of rebellion Turkmen forces says that its fighters have shot both the pilots. However, the future of the pilots is not clear yet. Over all, the situation is very tense. Anything could happen. I had written earlier in this column that the war between Assad versus the IS seems to turn into Russia versus the US and the NATO now.



-Anil Narendra

Friday 27 November 2015

पुतिन की नीतियों और प्रतिष्ठा की अग्निपरीक्षा

इस्लामिक स्टेट के बढ़ते आतंक के बीच मंगलवार को इस युद्ध में एक नया खतरनाक मोड़ आ गया है। मंगलवार को तुर्की ने सीरिया सीमा के पास रूस के एक लड़ाकू विमान एसयू-24 को मार गिराया। तुर्की का दावा है कि यह रूसी विमान उसकी हवाई सीमा में प्रवेश कर गया था और कई बार चेतावनी देने के बाद भी वह जब वापस नहीं लौटा तो हमारे एफ-16 विमान ने कार्रवाई करते हुए इसे मार गिराया। वहीं रूस ने इससे इंकार करते हुए कहा कि न तो कोई चेतावनी दी गई और न ही हमारा लड़ाकू विमान तुर्की की सीमा में घुसा, वह पूरे समय सीरिया में ही था। दशकों बाद नॉटो के किसी गठबंधन देश (तुर्की) ने किसी रूसी विमान को गिराया है। इससे जाहिर-सी बात है कि रूस और तुर्की में तनाव हो गया है। हमले से आग बबूला रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह घटना पीठ पर छुरा घोंपने जैसी है। इस घटना के तुर्की और रूस के बीच संबंधों पर गंभीर परिणाम दिखेंगे। पुतिन ने कहा कि रूसी विमान पर सीरिया की सीमा के भीतर ही हमला किया गया जब यह तुर्की की सीमा से एक किलोमीटर दूर था। यह विमान सीरिया की सीमा के चार किलोमीटर भीतर गिरा। पुतिन का बयान तुर्की के इस दावे के ठीक उलट है कि रूसी विमान को मार गिराने से पहले कई बार इस बात की चेतावनी दी गई थी कि वह तुर्की के हवाई क्षेत्र में उड़ान भर रहा था। गुस्से में नजर आए पुतिन ने कहाöआज की क्षति पीठ में छुरा घोंपने जैसा है जिसे आतंकवादियों के साथियों ने अंजाम दिया है। आज जो भी हुआ है उसे कुछ और नहीं कह सकते। हमारे विमान की सीरियाई क्षेत्र में एफ-16 विमान से चलाए गए हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से उड़ाया गया और यह तुर्की की सीमा से चार किलोमीटर दूर सीरिया में था। यह विमान 6000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा था और जब इस पर हमला किया गया तब यह तुर्की सीमा से एक किलोमीटर दूर था। पुतिन ने कहा कि रूसी पायलटों और विमानों ने तुर्की को कोई धमकी नहीं दी। वे तो सीरिया में आईएस से लड़ने का कर्तव्य निभा रहे थे। उन्होंने आतंकियों को फंडिंग के बारे में कहा कि काफी पहले हमने साबित किया था कि आईएस के कब्जे वाले क्षेत्र में तेल और तेल के उत्पाद बड़ी मात्रा में हैं जो तुर्की के क्षेत्र में आ रहे हैं और अब आतंकवाद से लड़ने वालों, हमारे जैसों के पीठ में छुरा घोंपा जाता है और विमान गिराए जाते हैं। दूसरी ओर तुर्की की सेना का दावा है कि उसके हवाई क्षेत्र में घुसने पर रूसी विमान को पांच मिनट के अंदर 10 बार चेतावनी दी गई थी। जब कोई जवाब नहीं मिला तो दो एफ-16 विमानों ने उसे उड़ा दिया। अमेरिकी सेना ने भी यही बात कही। तुर्की के पीएम ने कहा कि जो कोई हमारी सीमा में घुसपैठ करेगा, उसे मार गिराने का हमें पूरा हक है। यह घटना ऐसे समय हुई है, जब पिछले हफ्ते ही तुर्की ने रूसी राजदूत को तलब कर चेतावनी दी थी कि अगर रूसी वायुसेना ने तुर्पमेनी गांवों पर बमबारी नहीं रोकी तो इसके गंभीर नतीजे होंगे। हालांकि इस घटना के बाद दोनों देशों ने संकेत दिए हैं कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहते और यह नहीं चाहते कि दोनों में लड़ाई बढ़े। पर पुतिन के जानने वालों का मानना है कि वह इस अपमान का बदला जरूर लेंगे। देखा जाए तो इस घटना से रूस को भारी आघात लगा है। तुर्की जैसा छोटा देश आज रूस को चुनौती देने लगा है। इससे रूस की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। फिर एक अमेरिकन विमान (एफ-16) ने एक आधुनिक रूसी लड़ाकू विमान (एसयू-24) को मार गिराया है इससे रूसी सैनिक हथियारों की मार्केट गिरेगी। तीसरा खतरा यह है कि अब रूस और नॉटो देश आमने-सामने आ गए हैं। नॉटो के 28 देश सदस्य हैं। नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन और रूस दशकों बाद ऐसी खतरनाक स्थिति में पहुंचे हैं। रूसी लड़ाकू विमान के इस घटना पर विशेषज्ञों के अनुसार यह घटना इस बात का सबूत है कि सीरिया में लड़ रहे देशों का अहम किस कदर चरम पर है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पश्चिमी जगत को सीरिया में रूस के हवाई हमले शुरू से ही नागवार गुजर रहे हैं। दरअसल अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि सीरिया में राष्ट्रपति असद को हटाए बिना हालात सामान्य नहीं होंगे। यह असद का खात्मा चाहता है। वहीं मास्को पूरी तरह असद के पक्ष में खड़ा है। इस कारण उस पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह आईएस के बजाय असद विद्रोहियों पर बम बरसा रहा है। तुर्की ने जब रूसी विमान को गिराया तो तस्वीरों में नजर आ रहा है कि फाइटर जेट हवा में ही विस्फोट हो गया था। यह इलाका आईएस से अलग है, दूसरे विद्रोही गुटों का कब्जा है। इनमें अलकायदा की ब्रांच नुसरा फ्रंट भी शामिल है। तस्वीरों में विमान के दोनों पायलट इजेक्ट होते भी दिख रहे हैं। विद्रोही तुर्पमान बल के एक डिप्टी कमांडर का कहना है कि उसके लड़ाकों ने दोनों पायलटों को गोली मार दी है। हालांकि अभी पायलटों के भविष्य की तस्वीर साफ नहीं हुई। कुल मिलाकर स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण है। कुछ भी हो सकता है। मध्य-पूर्व में संघर्ष और तेज हो सकता है। मैंने पहले भी इसी कॉलम में लिखा था कि अब लड़ाई असद बनाम आईएस से ज्यादा रूस बनाम अमेरिका और नॉटो में तब्दील होती जा रही है।

-अनिल नरेन्द्र

Thursday 26 November 2015

Aamir Khan now feels suffocated in India

-        Anil Narendra

Every citizen of India has a right to express his views by his wisdom in a democracy and nobody should be deprived of it. This applies on a common man, an actor and Aamir Khan also but when you make a public statement it’s natural to have a reaction and particularly if a high quality actor like Aamir Khan states something it would attract both pros and cons reactions. Therefore it is said that actors should think many times before making an public statement. Before it is said by Aamir and his fans that media has distorted his statement, I would like to tell the readers what exactly and where Aamir Khan has said. During Ramnath Goenka Journalism Award Ceremony on Monday, Aamir said that whatever is happening in India, we read it in newspapers, watch live on TV.  The actor said that he himself feels that the feeling of insecurity has increased within the past six or eight month. Aamir said that when he talked about this with his wife Kiran in this regard she said that should we leave India? He added that Kiran is concerned about the security of her child. She is concerned over the surrounding atmosphere. She fears reading the newspaper every day. This proves that intolerance is increasing in the country. You can understand yourself why this is happening? Billions of Indians gave their heart to a common man like Aamir and have gifted him with wealth of crores, making his every film a hit. India was incredible till yesterday, now all of a sudden you and your wife are afraid here? One viewer reacted – Aamir’s statement has filled me with passion and guilt, why are we so tolerant that anyone may abuse us, our nation and we keep silent for the sake of freedom of expression and tolerance? Why we are insulting our nation for the sake of safeguarding his rights? If Aamir feels insecure, he should visit and see what is the tolerance level in Iraq, Syria, Afghanistan, and Sudan and even in Pakistan is? Another one says that it’s our tolerance that despite the partition of India on Hindu-Muslim bases people like Aamir Khan are superstars. Secondly if Kiran Rao had talked of leaving the country was it necessary for Aamir to tell it in the media? This home matter should have been confined to the home, but it was to be publicized. In fact, this anti-government environment has been created by so-called writers, artists, opposition parties jointly. Well-known actor Anupam Kher has strongly criticized actor Aamir Khan statement on intolerance. Kher has pasted on twitter that Dear Aamir Khan, have you ever asked Kiran that in which country she wants to go? Did you tell Kiran that the country has made you Aamir Khan? Anupam didn’t stop here, he asked Aamir in another tweet that Dear Aamir Khan have you told Kiran that you’ve seen a worse time in this country, but the idea of leaving the country never came in your mind, Incredible India has become intolerant just in 7-8 months? What will you suggest to two million Indians in this round of intolerance? Leaving the country or changing the regime? Famous writer Tasleema Nasreen asked , Mr. Aamir Khan, how can such a country be intolerant where you can earn Rs. 300 crore by producing a film like PK insulting the Hindu Gods? Could you have produced such a film in Pakistan or Saudi Arabia? Aamir Khan, you get Rs. 3 crore for each episode of Incredible India and what do you give to the nation in return? You get Rs. 3 crore for Satyamev Jayate and talk about intolerance in India. Akshay Kumar is far better Indian than you who helps 15,000 poor families, 180 farmer families and has helped drought affected farmers of Maharashtra with Rs. 90 lakhs monetary help. What have you done for the poor and needy Mr Khan? Aamir has not only left his fans speechless but also has let down the nation. Leaving the country is not a matter of a joke or casual off the cuff remark. You should have thought ten times before uttering these words. You  should have been aware about the circumstances of the  persons who are resorting to leave their country. They are the people of Syria and Iraq. They are also minorities of Pakistan and Bangladesh. Do Aamir and his wife find themselves in the same condition? It would be better that Aamir should tell that which is the tolerant nation of his dreams? It is really sad  that Aamir has taken a serious matter like leaving the country in such a lighter tone. Even Dawood Ibrahim has also fled from the county, this is not a big deal.

 

अब भारत में घुटन महसूस करने लगे हैं आमिर खान

लोकतंत्र में सबको अपने हिसाब से, अपनी सोच-समझ से, अपने विचार रखने का अधिकार होता है और इस पर किसी को किसी पकार की रोक-टोक नहीं। यह अधिकार आम आदमी से लेकर अभिनेता तक को है और अभिनेता आमिर खान को भी है पर जब आप पब्लिक में एक बयान देते हैं तो उसकी पतिकिया होना भी स्वाभाविक है और खास तौर पर आमिर खान जैसे उच्च कोटि के अभिनेता कुछ कहेंगे तो उसके समर्थन और विरोध में दोनों तरह की पतिकिया होगी। इसलिए कहते हैं कि अभिनेताओं को बहुत सोच-समझ कर पब्लिक में बयान देना चाहिए। इससे पहले कि आमिर और उसके समर्थक यह कहें कि मीडिया ने उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। मैं पाठकों को बताना चाहता हूं कि आमिर खान ने कहा और क्या कहा है। सोमवार को रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में आमिर ने कहा देश में जो कुछ भी हो रहा है, हम अखबारों में उसके बारे में पढ़ते रहते हैं, टीवी पर देखते रहते हैं। अभिनेता ने कहा कि वह खुद भी महसूस करते हैं कि पिछले छह या आठ महीनों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। आमिर ने बताया, `जब मैंने घर पर किरण से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि क्या हमें भारत छोड़कर चले जाना चाहिए?' उन्होंने आगे कहा कि किरण अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए भी चिंतित हैं। वह आसपास के माहौल से चिंतित हैं। वह पतिदिन अखबार खोलने से डरती हैं। इससे पता चलता है कि देश में बेचैनी बढ़ रही है। आप खुद समझ सकते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है? भारत देश के करोड़ों लोगों ने एक मामूली आदमी रहे आमिर खान को दिलों में बसाया। अरबों की सम्पत्ति का मालिक बनाया। एक-एक फिल्म को fिहट किया। कल तक भारत अतुलनीय था आज देश में अचानक आपको और आपकी बीबी को खौफ दिख रहा है? एक दर्शक की पतिकिया थी-आमिर खान के बयान ने मुझे आवेश और ग्लानी से भर दिया है, मुझे अपनी सहनशीलता या अहिष्णुता जो भी कहें, पर शर्म आने लगी कि हम इतने सहनशील क्यों हैं कि कोई भी हमें, इस देश को कितनी भी गाली दे लें और हम अभिव्यक्ति की आजादी और सहिष्णुता के नाम पर चुप सिर्प इसलिए हैं कि वह हमें फिर से असहिष्णुता न कर दे। हम उसके अधिकारों की रक्षा की खातिर अपने देश का अपमान क्यों कर रहे हैं? यदि आमिर को डर का माहौल महसूस होता है तो उन्हें इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, सूडान में जाकर देखना चाहिए। पाकिस्तान भी जा सकते हैं। एक और का कहना है कि हमारी सहिष्णुता का ही फल है कि भारत के हिन्दु-मुसलमान आधार पर बंटवारे के बाद भी आमिर जैसे लोग सुपर स्टार हैं। दूसरी बात यदि किरण राव ने देश छोड़ने की बात कही भी थी तो आमिर को मीडिया में इसे बताने की क्या जरूरत थी? घर की बात घर रहने देते-मगर इसे हवा देनी थी। दरअसल यह सारा सरकार विरोधी माहौल कथित लेखकों, कलाकारों, विपक्षी पार्टियों ने मीडिया के साथ मिलकर बनाया है। बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान के असहिष्णुता मुद्दे पर खलबली मचाने वाले इस बयान पर जाने-माने अभिनेता अनुपम खेर ने जोरदार हमला किया है। खेर ने ट्विटर पर लिखा है कि पिय आमिर खान, क्या आपने कभी किरण से यह भी पूछा है कि वह किस देश में जाना चाहती हैं? क्या आपने किरण को यह बताया कि इस देश ने आपको आमिर खान बनाया है? अनुपम यहीं नहीं रुके, एक अन्य ट्विट में उन्होंने आमिर से पूछा कि पिय आमिर खान क्या आपने किरण को यह बताया है कि आपने देश में इससे बुरे भी दौर को देखा है, लेकिन कभी देश छोड़ने का विचार आपके मन में नहीं आया इनकेडिबल इंडिया आपके लिए 7-8 महीनों में ही असहिष्णु हो गया? असहिष्णुता के इस माहौल में आप दो मिलियन भारतीयों को क्या सलाह देंगे? देश छोड़ने या सत्ता परिवर्तन की? पसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन ने पूछा कि आमिर खान साहब आप जिस देश में हिंदू भगवानों का अपमान करके पीके जैसी फिल्म से 300 करोड़ रुपए कमा सकते हैं वह देश असहिष्णु कैसे हो सकता है? क्या आप ऐसी ही फिल्म पाकिस्तान या सउदी अरब में बना सकते थे? आमिर खान इनकेडिबल इंडिया के हर एपिसोड के लिए 3 करोड़ रुपए लेते हैं और आप वापस देश को क्या देते हैं? सत्यमेव जयते के लिए 3 करोड़ रुपए लेते हैं आप बात करते हैं भारत में असहिष्णुता की। आपसे तो अक्षय कुमार कई दर्जे अच्छे भारतीय हैं जो 15,000 गरीब परिवारों को, 180 किसान परिवारों की मदद करते हैं तथा सूखे से पभावित महाराष्ट्र के किसानों को 90 लाख रुपए की सहायता दी? आमिर ने केवल अपने पशंसकों को ही अवाक नहीं किया, बल्कि देश को भी नीचा fिदखाया है। देश छोड़ना मामूली बात नहीं होती। पत्नी की बात का ढोल पीटने से पहले उन्हें यह पता होना चाहिए था कि वे कौन लोग हैं जिनके सामने सचमुच देश छोड़कर जाने की नौबत आ गई है। वे सीरिया या इराक के लोग हैं। वे पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक भी हैं। क्या आमिर और उनकी पत्नी खुद को भी उसी दशा में पा रहे हैं? अच्छा हो कि आमिर यह भी बता दें कि उनके सपनों का और सहिष्णु देश कौन-सा है? अफसोस तो इस बात का है कि आमिर ने देश छोड़कर जाने के अत्यंत गंभीर विषय पर इतनी हल्की-सी बात कर दी। देश छोड़कर तो दाउद इब्राहिम भी भागा है इसमें बड़ी बात क्या है?

-अनिल नरेन्द्र

Wednesday 25 November 2015

आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्याö समस्या से कैसे निपटा जाए?

आवारा कुत्तों की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। बेशक जानवरों की जिंदगी का अंत करना शायद सही न हो पर जब ये जानवर आदमी की जान के लिए खतरा बन जाएं तो क्या किया जाए? यह सवाल माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पिछले दिनों आया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पशुओं के प्रति करुणा और मानव जिंदगी के बीच संतुलन बनाना होगा। कुत्ते की जान मानव जिंदगी से अधिक कीमती नहीं है। मानव के लिए खतरा बन चुके आवारा कुत्तों से कड़ाई से निपटने की जरूरत को किसी पुराने स्थानीय कानून के बहाने टाला नहीं जा सकता। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि विशेष किस्म के आवारा पशुओं को खत्म करने की प्रक्रिया पशुओं के प्रति कूरता की रोकथाम कानून के तहत बने पशु जन्म नियंत्रण (श्वान) नियम 2001 के अनुरूप ही की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि जीवन प्रकृति का अनमोल उपहार है और पशुओं के प्रति करुणा और मानव जीवन में तालमेल होना चाहिए। जजों ने कहा कि फिलहाल वे इस मसले पर महाराष्ट्र और केरल के नगर निगम कानूनों के संबंधित प्रावधानों पर गौर नहीं कर रहे हैं और प्राधिकारियों को कानून के तहत 2001 में बनाए गए नियमों के अनुरूप ही कार्रवाई करने का आदेश दिया जा रहा है। अदालत ने प्राधिकारियों से यह भी कहा कि आवारा कुत्तों के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों से उसे अवगत कराया जाए। नियमों के तहत चुनिन्दा किस्म के आवारा कुत्तों के लिए अलग से बाड़ा बनाने की जरूरत है। अदालत इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए कानूनों को लेकर पशु कल्याण बोर्ड सहित कई संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उधर दिल्ली हाई कोर्ट में भी कुत्तों को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया कि आवारा कुत्तों को टीकाकरण के बाद उसी परिसर में छोड़ा जाना चाहिए जहां वह पहले से रह रहे हों। चीफ जस्टिस जी. रोहिणी की अगुआई वाली बेंच के समक्ष दरअसल सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें एनडीएमसी को निर्देश दिया गया था कि दिल्ली गोल्फ क्लब परिसर से एक माह के अंदर आवारा कुत्तों को हटाकर अन्य स्थान पर भेजा जाए। एनीमल वैलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने बेंच के सामने एनीमल वैलफेयर बर्थ कंट्रोल (डॉग) रूल्स 2001, पीसीए एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को किसी अन्य स्थान पर टीकाकरण के बाद छोड़ा जा सकता है। बेंच ने कहा कि यदि हाई कोर्ट परिसर में 25 आवारा कुत्ते हैं तो उनको इस नियम के अनुसार किस तरह डील किया जाएगा। इस पर बोर्ड के वकील का जवाब था कि इस स्थिति से हाई कोर्ट परिसर में निपटा गया है। बोर्ड ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्प उन कुत्तों को मारने की इजाजत दी है जो किसी बीमारी या घायल होने के चलते मौत के कगार पर हैं। आवारा कुत्तों से जनता परेशान है। समझ नहीं आता कि तेजी से बढ़ती इन आवारा कुत्तों की समस्या से कैसे निपटा जाए?

-अनिल नरेन्द्र

बशर अल असद को लेकर अमेरिका और रूस का टकराव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास कर सभी देशों को इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकी संगठनों को कुचलने के लिए हर संभव कदम उठाने का आह्वान किया है। आईएस से अभूतपूर्व खतरे की आशंका जताते हुए सदस्य देशों से हमले रोकने की कोशिशें डबल करने को कहा है। उधर ब्रसेल्स में आतंकवादी हमले का टॉप अलर्ट जारी करते हुए मेट्रो सर्विस बंद कर दी गई है, क्योंकि पेरिस अटैक का एक हमलावर अभी भी फरार है। माली के होटल में हमले के मामले में तीन संदिग्धों की तलाश जारी है। पेरिस हमलों के बाद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का महत्व अचानक बढ़ गया है। पहले यह पश्चिमी देश उन्हें एक खलनायक के रूप में पेश करते रहे थे। सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद को लेकर अमेरिका और रूस आमने-सामने आ गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को कहा कि सीरिया का गृहयुद्ध तब तक खत्म नहीं होगा जब तक बशर अल असद सत्ता नहीं छोड़ देते। जब तक असद सत्ता पर काबिज रहते हैं तब तक मुझे सीरिया में गृहयुद्ध के खत्म होने की संभावना नहीं दिखतीöफरमाए ओबामा। सीरिया में शांति के मार्ग में असद एक बड़ा रोड़ा बने हुए हैं और पश्चिम व असद के समर्थक मास्को और तेहरान के बीच विवाद का मसला बने हुए हैं। रूस सीरिया में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है इसलिए वो असद को सत्ता से बेदखल किए जाने का कड़ा विरोध कर रहा है। वहीं रूस की ओर से कहा गया है कि पश्चिमी देशों को असद को सत्ता से बेदखल करने की जिद छोड़नी होगी। तभी आईएस के खिलाफ एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन बन सकता है। वहीं सीरिया के राष्ट्रपति असद ने कहा है कि आईएस को सीरिया ने जन्म नहीं दिया है बल्कि इसके लिए पश्चिमी देश जिम्मेदार हैं। पुतिन ने यह सनसनीखेज रहस्योद्घाटन भी किया कि 40 देशों से आईएस को आर्थिक मदद मिल रही है और इनमें ऐसे देश भी हैं जो जी-20 के सदस्य हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि आईएस के तेल के धंधे पर रोक लगाना जरूरी है क्योंकि यह उसकी आय का बड़ा साधन है। पुतिन ने उन 40 देशों के नाम तो नहीं बताए, लेकिन कुछ नामों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। पहले भी इस तरह की खबरें आई थीं कि सउदी अरब, कुवैत और कतर के कुछ लोग आईएस को पैसा देते हैं। इसके अलावा भी अन्य देशों में कट्टर वहाबी इस्लाम के समर्थक भी हैं जो आईएस के लिए धन व हथियार जुटाते हैं। यह भी किसी से छिपा नहीं कि अमेरिका आईएस को हथियार मुहैया करवाता रहा है। तुर्की की पूरे मामले में भूमिका संदिग्ध है। उसकी और सऊदी अरब की गुप्त अंडरस्टैंडिंग बनी हुई है। वह आईएस से नहीं बल्कि आईएस से लड़ने वाले कुर्दों के खिलाफ ज्यादा सक्रिय है। सुन्नी अरब देश शिया ईरान का प्रभाव इसलिए भी नहीं बढ़ने देना चाहते और फलस्वरूप सुन्नी आईएस के खिलाफ नरम रवैया अपनाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फिर दोहराया है कि वह अपनी स्टैटजी पर कायम हैं। इसका मतलब हमारी समझ से तो बाहर है कि अमेरिका का असल उद्देश्य क्या है? आईएस कितना धनी है पेरिस हमले से थोड़ा अंदाजा होता है। पेरिस हमलों के तीन हफ्ते पहले फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) ने अपनी रिपोर्ट में संदेहास्पद टेरर फंडिंग पैटर्न की ओर इशारा किया था, जो संभवत फ्रांस में आईएस से जुड़ी थी। फ्रांस के खिलाफ आतंकी हमला करने से पहले आतंकियों को टेरर फंडिंग पैटर्न से टेलीकम्युनिकेशंस कंपनी के जरिये 6,00,000 यूरो (लगभग चार करोड़ 20 लाख रुपए) की रकम ट्रांसफर की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश लगातार आतंकी ऑपरेशंस का महत्वपूर्ण पहलू बना हुआ है। बेशक संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आईएस व अन्य ऐसे आतंकी संगठनों पर सख्त कदम उठाने की बात तो कही है पर देखना यह है कि कौन-कौन-सा देश इस पर अमल करता है?

Tuesday 24 November 2015

Widening Network of terrorism captures the entire world

-        Anil Narendra

With the terrorist attack on Kenyan University campus in April, Nigerian streets in July, during November suicide attack at Beirut, terrorist attack at Paris and now terrorist attack on the capital city Bamako in African country Mali, the entire world is slowly falling prey to the terrorism. The terrorists attacked on a five star hotel Radisson Blue on Friday last and took 170 people as hostage. Security personnel of Mali and the UN encountered the attackers for nearly nine hours. 18 dead bodies were recovered from the hotel. Two terrorists were also killed. Remaining hostages were released.  The attack occurred one week after the big terrorist attack on Paris. In 2008 the Taj Hotel at Mumbai was also attacked in the same manner.  As per reports an organization affiliated with Al Qaida, Al Murabitun has on the twitter claimed responsibility of this attack. Mali is under terror of self acclaimed jihadist extremists since 2012. Some of them are related to the terrorist group Al Qaida. Islamic State (IS) also exists in Mali which attacks at times. Terrorism is nourishing here due to weak government, army and the administrative machinery. The UN has also posted its soldiers to keep peace here which have been fallen prey to these terrorists. Besides this, some soldiers from the US and France have been posted here. In this attack in Mali, a lot of Indians were also trapped in the hotel. All Indians are confirmed to be released.  The hostages reciting the hymns of Quran were being released. IS itself is ravenous. The entire world is talking about it but there is also such an organization, ravenous and dangerous, but talked lesser of. A new report states IS and Boko Haram collectively responsible for more than half of the deaths happening due to terrorist attacks in the world. I am talking about Boko Haram. Undoubtedly the world has focused on IS but it is Boko Haram who has created the havoc of deaths. Boko Haram has so far put 6644 people to death in 453 attacks while IS put 6073 people to death in 1071 attacks. Terrorism has become a tremendous challenge for the entire world today. As per Global Terrorism Index (GTI), India stood at sixth place in 162 countries most affected from terrorism in 2014. In India terrorism related deaths have increased by 1.2 per cent and the death toll stood at 416. Now the entire world is affected by the ideology of these Islamic fundamentalists and seeks salvation from it. It is in our interest to destroy the outfits like Islamic State, Boko Haram. But the experience from Afghanistan to Iraq, Libya and Syria doesn’t confirm it that how far the western nations will be able to do so? Russian President Vladimir Putin has made a sensational disclosure that the terrorist outfit Islamic State (IS) is getting money from some nations including G-20 nations also. He claimed that this list of funding to IS contains 40 names. Putin also shared the intelligence information about the funding nations. Due to the dual policies of some nations, the entire world has become vulnerable to the terrorism.

 

लालू-केजरीवाल गले मिलने पर मचा बवाल

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हालांकि बहुत कोशिश की कि मंच पर वह लालू प्रसाद यादव से दूर रहें पर लालू तो इस बात पर तुले हुए थे कि अपने आलोचक अरविंद केजरीवाल को मंच पर गले लगाएं और उन्होंने अरविंद के न चाहते हुए भी उन्हें गले लगा लिया। अगर आपने गौर से देखा हो कि गले लगाते समय भी अरविंद कुछ खिजखिजा रहे थे पर लालू ने केजरीवाल को आलोचना का विषय बना ही डाला। मंच पर लालू से गले मिलने पर आप के पूर्व नेता योगेन्द्र यादव ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि फोटो के पीछे एक अलिखित समीकरण चल रहा है। यही नहीं, उन्होंने लिखा है कि लालू-केजरीवाल की तस्वीर देख मुझे दुख हुआ, शर्मिंदगी महसूस हुई। बस यही दिन देखना था यादव ने कहा। उन्होंने कहा कि राजनीति में सामान्य शिष्टाचार बहुत जरूरी है। विरोधियों के साथ भी शालीनता, संवाद और दुआ सलाम होनी चाहिए और अरविंद यह शिष्टाचार सीख रहे हैं तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है। लेकिन पटना के समारोह में लालू से मुलाकात कोई संयोग नहीं था। यह दो महीने से चल रही थी, यह दो महीने से चल रही एक अनौपचारिक गठबंधन की परिणति है जो एक राष्ट्रीय मोर्चे का इशारा कर रही है। योगेन्द्र के मुताबिक अरविंद एंड कंपनी दो महीने से सिर्प नीतीश के लिए प्रचार कर रही थी और कह रहे थे कि वे लालू के साथ कभी स्टेज पर नहीं जाएंगे। ऐसे में लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, देवेगौड़ा, फारुख और राहुल गांधी के साथ स्टेज पर बैठना सिर्प शिष्टाचार नहीं था। अगर योगेन्द्र यादव ने इस फोटो के राजनीतिक मतलब निकाले तो विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी ने तो सीधा हमला बोल दिया। प्रदेश भाजपा के नेता इस मिलन की फोटो को लेकर खूब तंज कस रहे हैं। उनका कहना है कि अब यह साबित हो गया है कि केजरीवाल को भ्रष्टाचारियों से कोई परहेज नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए वह किसी से भी हाथ मिला सकते हैं। आप पार्टी के गिरते नैतिक मूल्यों को देखकर जनता को आश्चर्य होने लगा है। केजरीवाल को समाजसेवी अन्ना हजारे के आशीष से ज्यादा चारा घोटाले में सजा पाने वाले लालू यादव की पार्टी का साथ पसंद आने लगा है। अरविंद पर हमला करने वालों में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे शांति भूषण भी शुमार हो गए। हालांकि उनको अलग मुद्दों पर शिकायत है। रविवार को नोएडा स्थित अपने आवास पर शांति भूषण ने केजरीवाल पर भ्रष्टाचार को गले लगाने व तानाशाही से पार्टी चलाने का गंभीर आरोप लगाया। करनाल रोड पर राष्ट्रीय परिषद की बैठक ले जाने पर उन्होंने सवाल उठाया कि यदि अगर तय कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक होती तो उसमें सब आ सकते थे, समस्त गतिविधियों को देख सकते थे। आशंका है कि इस बार फिर पिछली बार की तरह बाउंसरों का सहारा लिया जाएगा। इसीलिए करनाल रोड पर बैठक बुलाई गई है। केजरीवाल का संयोजक के तौर पर कार्यकाल 24 नवम्बर को खत्म हो रहा है। इसलिए 23 को बैठक बुलाई गई है। नीतीश के शपथ समारोह में केजरीवाल द्वारा लालू यादव को गले लगाने के मुद्दे पर शांति भूषण जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि जो आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने की बातें करता था, वही आज भ्रष्टाचार के प्रतीक लालू यादव से गले मिल रहा है। वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद से पार्टी का गठन किया गया था, लेकिन यह अब सिंगल मैन पार्टी बनकर रह गई है। इसे खाप पंचायत की तरह चलाया जाता है।

-अनिल नरेन्द्र

ताजपोशी बेशक नीतीश की हुई है पर सत्ता लालू के हाथों में

तमाम सियासी गतिविधियों का गवाह रहे पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार ने उम्मीदों के अनुरूप भारी जनसमूह के समक्ष एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके अलावा जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल के 12-12 और कांग्रेस के चार विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण की दो बातें खास गौरतलब हैं ः एक तो लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों को मंत्री बनाया गया, दोनों बेटे कैबिनेट में नम्बर दो और तीन दर्जे के मंत्री बने। जहां तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम होने के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग संभालेंगे तो वहीं तेज प्रताप यादव को लघु सिंचाई जैसा मालदार महकमा दिया गया। कैबिनेट के मंत्रियों के बीच मंत्रालयों के बंटवारे पर अगर हम गौर करें तो यह साफ होता है कि बिहार में ताजपोशी भले ही नीतीश कुमार की हुई हो लेकिन असल सत्ता कहीं न कहीं लालू प्रसाद के हाथों में होगी। दोनों बेटों को अत्यंत महत्वपूर्ण पद दिलाने में सफल लालू यहीं ही नहीं रुके, उन्होंने अपने खासमखास अब्दुल बारी सिद्दीकी को वित्तमंत्री बनाने में सफलता भी पाई। शुक्र है कि गृह विभाग नीतीश कुमार ने अपने हाथों में रखा। कम से कम कानून व्यवस्था तो ठीक रहेगी, जंगल राज की पुनरावृत्ति तो नहीं होगी। सपा-बसपा सरीखे दो-तीन दलों को छोड़ दें तो शायद ही कोई प्रमुख दल रहा हो जिसके बड़े नेता गांधी मैदान में न दिखे। इस अवसर पर वामदलों के नेताओं के साथ जिस तरह ममता भी दिखीं उससे भविष्य में नए राजनीतिक समीकरण बनने की संभावनाएं भी सतह पर आ गई हैं। 28 सदस्यीय नीतीश कैबिनेट के जातिगत पहलू पर नजर डालें तो कैबिनेट का हर चौथा मंत्री यादव है। सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले राजद के जातिगत वोट बैंक का ख्याल रखते हुए नीतीश कुमार ने सात यादव चेहरों को अपनी कैबिनेट में जगह दी है। कैबिनेट में हालांकि अल्पसंख्यकों और सवर्णों को बराबर मौका दिया गया है। नीतीश ने चार-चार सवर्णों और मुसलमानों को मौका दिया है। मंत्रिमंडल में पांच दलितों को भी मौका मिला है। इस तरह से देखा जाए तो सभी वर्गों को भागीदारी दी गई है। नीतीश की छवि साफ-सुथरी है और महागठबंधन को चुनाव में इसका बहुत फायदा भी मिला पर अब नीतीश के सामने नई चुनौतियां होंगी। क्या वे लालू के रिमोट कंट्रोल से बच पाएंगे? क्या वह लालू के लोगों को मर्यादा में रख पाएंगे जो लंबे समय बाद सत्ता के गलियारों में आने पर मौके की ताक में होंगे। चुनाव के दौरान विकास मॉडल को भी नीतीश ने बहस का विषय बनाने की कोशिश की थी जो एक अच्छी बात है। अब उनके सामने विकास के अपने मॉडल को आगे बढ़ाने की चुनौती है। इसमें वह अगर कामयाब होते हैं तभी राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में वह बड़ी भूमिका निभाने के हकदार होंगे। पहली चुनौती तो यही है कि बिहार को सुशासन के रास्ते पर बनाए रखने और उन आशंकाओं को दूर करने की है जो लालू जी के साथ उभर आई हैं। केंद्र से मधुर संबंध बनाने होंगे। अगर उन्होंने मोदी से टकराव का रास्ता अपनाया तो दूसरे केजरीवाल बन सकते हैं और इसका खामियाजा बिहार की जनता को उठाना पड़ेगा। नीतीश कुमार को पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने पर हमारी बधाई।

Monday 23 November 2015

Diwali Bomb : Advani leads revolt against Modi-Shah

Anil Narendra

When Narendra Modi took oath of the post of the 15th Prime Minister of the country on 26th May 2014 he ushered in a new hope, a new dawn in India.  People gave him an unprecedented mandate (I included) with a hope that he would change India’s destiny.  The millions voted for him expecting a quality change in their life, employment for the youth, protection from exploitation etc.  But their dreams were shattered within 18 months of Modi’s coming to power. 

No doubt his popularity is still intact as was exhibited in his recent visit to the United Kingdom and the rallies he has had in this country but his party’s defeat in Bihar has come as a big blow to Modi.  It is a verdict against the PM’s style of working and his failure to deliver.  The country did not vote for Amit Shah or for that matter Arun Jaitley.  Modi has been concentrating only on his foreign tours and has left the running of the country and his party to Shah and the country to Jaitley. 

Elections come and go, state elections are not an indicator of the central governments popularity but it does reflect what the mood of the people is.  Mr. George Bush (senior) once came to New Delhi for a very brief visit.  I was also invited to American Embassy to meet him.  After his speech I went up to him and said ‘Sir, you were very popular in the U.S.  The American prestige was sky high after you led the country through operation Desert Storm, then why did you lose the next Presidential Elections?  Bush replied “I guess I was looking more outward than inwards”.  This is precisely what Mr. Modi is doing. 

Delhi assembly elections were a wake-up call but Amit Shah and Arun Jaitley instead of changing their arrogant and aristocratic style of working brushed the defeat under the carpet and went on to repeat the same mistakes in Bihar.  I don’t blame Modi for the defeat as much as Shah-Jaitley duo.  The revolt in the party was brewing up for sometime but the lid was finally lifted after the crushing defeat of BJP in Bihar.  Knives were out in BJP when veteran leaders L.K. Advani, M.M. Joshi, Yashwant Sinha and Shanta Kumar raised a banner of revolt against the leadership of Prime Minister Modi and Party President Amit Shah in the wake of Bihar debacle. 

This is the first, direct and biggest internal challenge to Modi and his confidents Shah and Jaitley.  Arun Shourie’s open statement against Modi was a clear indication that something was brewing in the party.  It is because of the knowledge of this brewing revolt that Modi made it a point to visit Advani’s house on counting day, also the octogenarian’s birthday to wish him.  Modi and Shah were clearly anticipating trouble of the Bihar elections bombed and bombed it did.  The results were not just bad, but terrible.  The statement, which named no names, was clearly directed at the Prime Minister and BJP President.  The veteran party stalwarts came out openly against the BJP leadership calling for a ‘thorough review’ of the influence being wielded by what they called ‘a handful’.

To say that everyone is responsible for the defeat in Bihar is to ensure that no one is held responsible.  “It shows those who would have appropriated credit if the party had won are bent on shrugging off responsibility for the disastrous showing in Bihar,” the four leaders said.  “The main reason for Bihar drubbing is the way the party has been emasculated in the last year.”  “A thorough review must be done of the reasons of the defeat as well as of the way the party is being forced to kowtow to a handful, and how its consensual character has been destroyed said Advani & Co. 

Let’s talk of some of the mistakes committed by Amit Shah due to his arrogant attitude in the elections.  Instead of relying on local BJP leaders to fight the election on local issues, Modi was advised to take personal control of the campaign in the hope that his reputation and popularity would seal the victory.  From polarization to development Shah tried every trick in the book to win, R.S.S. Chief Mohan Bhagwat’s controversial remark on reservations, failure of NDA partners, LJP, HAM and RLSP to transfer their votes to BJP candidates, the failed attempt of polarizing the votes, wrong distributors of tickets including giving it to the wrong caste, too much reliance on central leadership in running the campaigning was the planning and execution has been attributed to Party President Amit Shah.  BJP’s campaign went haywire as it switched from making development the main plank by playing the caste card and then attempting to polarize the elections.

BJP’s attack on Lalu’s jungle Raj further alienated the Yadav’s.  BJP Chief Amit Shah’s attempt to polarize the elections with his “crackers will be burst in Pakistan if BJP loses also backfired as did the beef eating controversy.  Nitish and Lalu used PM’s DNA remarks to win sympathy of the Bihar votes.  It is thus clear that this fight within BJP IS A FIGHT TO THE FINISH.  The veterans are obviously going to push things and I doubt that they will stop now till matters are taken to the logical conclusions. 

Eighteen months in power, and Modi and the BJP are already at the crossroads.  The PM needs to regain the initiative and this can only be done by accepting his and his lieutenant’s shortcomings.  The Bihar results are a big blow to Modi’s momentum.  His future now depends on how he responds.  If he uses this verdict as a wakeup call and cleans his ugly side, he could turn it around.  But if he decides to crush dissidence it could be a disaster.

Sunday 22 November 2015

शमशान घाट से ताज को खतरा

शमशान घाट के कारण ताज महल पर संभावित खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही शीर्ष अदालत ने सेंट्रल इम्पावरमेंट कमेटी (सीआईसी) को इस जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक ताज महल को प्रदूषण से बचाने के लिए नजदीक के शमशान घाट को दूसरी जगह स्थानांतरित करने पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। ताज महल के संरक्षण पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोर्ट के ही एक न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ के पत्र पर संज्ञान लेते हुए शमशान घाट को स्थानांतरित करने पर सरकार से जवाब व सुझाव मांगे हैं। जस्टिस जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर ताज महल के नजदीक शमशान घाट के धुएं से ऐतिहासिक स्मारक को हो रहे नुकसान पर चिन्ता जताते हुए इसे स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। माननीय अदालत ने इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी जस्टिस जोसेफ के पत्र का जवाब मांगा है। पीठ ने पाया कि शमशान घाट को लेकर शीर्ष अदालत ने सात दिसम्बर 1998 और 12 अप्रैल 1999 को भी निर्देश जारी किया था। पीठ ने कहा कि निर्देशों के बावजूद आगरा नगर निगम और आगरा विकास प्राधिकरण ने शमशान घाट को शिफ्ट करने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया। यही कारण है कि शमशान घाट अब भी उसी जगह कायम है, जिससे ताज महल को नुकसान पहुंच रहा है। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से सहमत हैं। ताज महल को प्रदूषण से बचाना अत्यंत आवश्यक है। शमशान घाट को शिफ्ट किया जा सकता है। उम्मीद करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार और आगरा प्रशासन सुप्रीम कोर्ट की बात पर गंभीरता से विचार करेगा और उस पर अमल करेगा। ताज महल को बचाना अनिवार्य है।

-अनिल नरेन्द्र

आतंकवाद का फैलता जाल, पूरी दुनिया चपेट में

अप्रैल में केन्या के विश्वविद्यालय परिसर, जुलाई में नाइजीरिया की सड़कों पर, नवम्बर में बेरुत में आत्मघाती हमला, पेरिस में आतंकी हमला और अब अफ्रीकी देश माली की राजधानी बमाको में आतंकी हमला, धीरे-धीरे पूरी दुनिया में आतंक का जाल फैलता जा रहा है। शुक्रवार को आतंकियों ने पांच सितारा रेडिसन ब्लू होटल पर हमला कर 170 लोगों को बंधक बना लिया। माली और संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षाकर्मियों ने हमलावरों से करीब नौ घंटे तक मुठभेड़ की। इसके बाद होटल से 18 लोगों के शव मिले। दो आतंकी भी मारे गए। बाकी बचे बंधकों को छुड़ा  लिया गया। पेरिस में बड़े आतंकी हमले के एक हफ्ते बाद यह अटैक हुआ। ठीक इसी अंदाज में 2008 में मुंबई के ताज होटल पर भी हमला किया गया था। रिपोर्टों के मुताबिक अलकायदा से जुड़े संगठन अल मोरा बितोन ने ट्विटर पर हमले की जिम्मेदारी ली है। माली में 2012 से खुद को जेहादी बताने वाले कट्टरपंथियों का आतंक है। इनमें से कुछ का संबंध आतंकी संगठन अलकायदा से है। माली में इस्लामिक स्टेट (आईएस) भी मौजूद है जो समय-समय पर हमला करता रहता है। कमजोर सरकार, कमजोर सेना व प्रशासनिक तंत्र की वजह से आतंक यहां फल-फूल रहा है। शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने यहां अपने सैनिक भी तैनात किए हैं जो इन आतंकियों का निशाना बन रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका और फ्रांस के कुछ सैनिक सुरक्षा के लिए तैनात हैं। माली के इस हमले में बड़ी संख्या में भारतीय भी होटल में फंस गए थे। सभी भारतीयों को बचाने की पुष्टि हो गई है। बंधकों में जो कुरान की आयतें पढ़ पा रहे थे उन्हें रिहा किया जा रहा था। आईएस तो खूंखार है ही। उसकी चर्चा सारी दुनिया कर रही है पर एक और ऐसा संगठन भी है जो उतना ही खूंखार और खतरनाक है जिसकी चर्चा कम होती है। एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में से आधी से ज्यादा के लिए आईएस और बोकोहराम संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं। मैं बोकोहराम की बात कर रहा हूं। दुनिया का फोकस बेशक आईएस पर हो मगर मौत का कहर बोकोहराम ने ज्यादा भरपाया है। बोकोहराम ने अब तक 453 हमलों में 6644 लोगों को मौत के घाट उतारा है। जबकि आईएस ने 1071 हमलों में 6073 को मौत के घाट उतारा। आज पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद एक जबरदस्त चुनौती बन गया है। ग्लोबल टेरेरिज्म इंडैक्स 2015 (जीटीआई) के अनुसार 2014 में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 162 देशों में भारत का छठा स्थान रहा। भारत में आतंकवाद से संबंधित मौतों में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और मरने वालों की संख्या 416 रही। आज पूरी दुनिया इस इस्लामी कट्टरपंथियों की विचारधारा से प्रभावित है और मुक्ति चाहती है, इस्लामिक स्टेट, बोकोहराम जैसे आतंकी संगठनों को तबाह करने में हम सबका हित है। लेकिन अफगानिस्तान से लेकर इराक और लीबिया, सीरिया का जो अनुभव है, उससे यह विश्वास नहीं बन पाता कि पश्चिमी देश इसमें किस हद तक कामयाब हो पाएंगे? रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने सनसनीखेज दावा किया है कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) को कुछ देशों से पैसा पहुंच रहा है जिसमें जी-20 से जुड़े देश भी शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि आईएस को फंडिंग करने की इस सूची में कुल 40 देशों का नाम है। जिन देशों से पैसा पहुंच रहा है, उसे लेकर पुतिन ने खुफिया जानकारियां भी साझी कीं। कई देशों की दोहरी नीतियों के कारण ही पूरी दुनिया आज आतंकवाद की चपेट में आ गई है।

Saturday 21 November 2015

रूसी विमान गिराने वालों का सुराग देने पर 325 करोड़ का इनाम

मैंने कई दिन पहले इसी कॉलम में लिखा था कि रूसी एयरलाइनर को आईएस ने मिस्र के सिनाई क्षेत्र में गिराया है जिसमें सभी यात्री (224 लोग) मारे गए थे। अब इसकी आधिकारिक पुष्टि भी हो गई है। आखिरकार रूस ने भी मान लिया कि उसका विमान आतंकी हमले का शिकार हुआ था। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने विमान में विस्फोट करने वालों को ढूंढकर सजा देने का प्रण लिया है। रूस ने हमलावरों को पक़ड़वाने के लिए सुराग देने वालों को पांच करोड़ डॉलर करीब 325 करोड़ रुपए इनाम देने की भी घोषणा की है। साथ ही रूस ने सीरिया में आईएस के खिलाफ हवाई हमले और तेज कर दिए हैं। इस बीच मिस्र पुलिस ने रूसी विमान में बम लगाने वालों की मदद करने के आरोप में शर्म अल शेख हवाई अड्डे के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। पुतिन ने सुरक्षा कमांडरों के साथ बैठक में कहाöयह पहली बार नहीं है कि रूस पर ऐसा बर्बर हमला हुआ है। लेकिन सिनाई में हुआ हमला सबसे रक्तरंजित है। हम बदला लेने तक चैन से नहीं बैठेंगे। हम उन्हें कहीं से भी खोज निकालेंगे और सजा देंगे। इससे पहले रूस में वर्ष 2004 में उत्तरी काकेशस के बेलसान स्कूल में भीषण आतंकी हमला हुआ था। उल्लेखनीय है कि एयर बस विमान मिस्र के पर्यटक स्थल शर्म अल शेख से पर्यटकों को वापस ला रहा था और उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही उस पर निशाना साधा गया। विशेषज्ञों के मुताबिक बम के कारण विमान आसमान में ही आग के गोले में तब्दील हो गया। यह बम करीब एक किलो टीएनटी का था जिसे किसी यात्री या हवाई अड्डे के किसी सुरक्षा कर्मचारी ने शर्म अल शेख में विमान पर चढ़ाया था। इस्लामिक स्टेट के एक गुट ने इस रूसी विमान को मिसाइल हमले में मार गिराने की जिम्मेदारी ली थी पर जांच से पता चला है कि विमान किसी मिसाइल से नहीं गिराया गया बल्कि विमान में बम से यह हादसा हुआ। इस्लामिक स्टेट समूह ने कहा कि उसने मिस्र के हवाई अड्डे पर सुरक्षा को धोखा देने का तरीका खोजकर उस अभागे रूसी विमान पर एक बम चोरी-छिपे पहुंचाया था। समूह ने उन विस्फोटों की तस्वीरें भी प्रकाशित कीं जिसके बारे में उसने यह दावा किया है। दावा किया गया है कि बम परोक्ष तौर पर एक सोडा कैन में रखा गया था। इसके साथ ही उसने उन पासपोर्टों की भी तस्वीरें प्रकाशित कीं जो उन मृत यात्रियों के थे और सिनाई प्रायद्वीप में दुर्घटना स्थल से मिले थे। उसकी ऑनलाइन पत्रिका दाबिक के नवीनतम संस्करण में कहा गया कि आईएस ने रूसी विमान को निशाना बनाने का तभी फैसला कर लिया था जब रूस ने सीरिया में उन पर बम गिराने का फैसला किया था।


-अनिल नरेन्द्र

कैंसर व हार्ट बीमारियों की दवाओं को सस्ता करने का स्वागतयोग्य फैसला

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कैंसर और हृदय रोगों की दवाइयों को सस्ता उपलब्ध कराने की योजना का स्वागत होना चाहिए। कैंसर और हार्ट बीमारियों की दवाएं इतनी महंगी हो गई हैं कि गरीब आदमी तो इनके उपयोग के लिए सोच भी नहीं सकता। गरीब और मजदूर पेशे वालों को यह घातक बीमारी हो जाए तो समझो उसके लिए तो यह मौत समान है। रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एम्स में अमृत फॉर्मेसी का उद्घाटन करते समय कहा कि इस फार्मेसी से कैंसर और हार्ट रोगी 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दवा ले सकते हैं। इस फार्मेसी से सिर्प एम्स में भर्ती मरीजों को ही नहीं बल्कि बाहर के मरीजों को भी वैलिड प्रिक्रिप्शन पर सस्ती दवा मिलेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की पहल पर हिन्दुतान लैटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) के सहयोग से शुरू हुए स्टोर से कैंसर मरीजों और हार्ट संबंधी बीमारी के ऐसे मरीजों को जिनको स्टेंट लगा हो, हार्ट वॉल्व लगा हो, ओपन हार्ट सर्जरी हुई हो अथवा किसी अन्य तरह का इम्पलांट हुआ हो उन्हें भी 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती दवा उपलब्ध कराई जाएगी। श्री नड्डा ने कहा कि पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की गई है, इसकी सफलता के बाद आने वाले दिनों में सभी केंद्रीय अस्पतालों में इस तरह के स्टोर की शुरुआत की जाएगी, जहां कैंसर और हार्ट रोगियों के इलाज की व्यवस्था है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक हर वर्ष भारत में कैंसर के 70 हजार नए मामले सामने आते हैं और हर समय भारत में कैंसर के 28 लाख मरीज होते हैं। यही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल भारत में करीब एक लाख 45 हजार ब्रेस्ट कैंसर के मरीज सामने आते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के 50 प्रतिशत मरीज कीमोथैरेपी के दो-तीन साइकल के बाद अस्पताल आना छोड़ देते हैं। महंगी दवा और इलाज की वजह से मरीज कैंसर का इलाज जारी नहीं रख पाते। कुछ ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में टारगेटिड थैरेपी देनी होती है जिसमें एक साइकल में करीब 75 हजार रुपए का खर्च आता है जबकि मरीज को टारगेटिड थैरेपी की करीब 17 साइकल की आवश्यकता होती है। लाइफ सेविंग दवाओं की ऊंची कीमतों को लेकर फॉर्मा कंपनियों को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कंपनियां ऐसा फाइनेंशियल मॉडल तैयार करने में जुटी हैं जिससे उन्हें इस चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी। महंगी दवाओं के लिए फार्मेसी जल्द ईएमआई स्कीम लाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं। हम श्री नड्डा को सुझाव देना चाहते हैं कि लाइफ सेविंग ड्रग्स व अस्पतालों से सभी प्रकार के टैक्स हटाकर इन्हें टैक्स मुक्त कर देना चाहिए।

Friday 20 November 2015

मणिशंकर जैसे दोस्त हों तो कांग्रेस को दुश्मनों की जरूरत नहीं

जिस पार्टी में मणिशंकर अय्यर जैसे दोस्त हों उसे दुश्मनों की कोई जरूरत नहीं है। समझ नहीं आता कि मणिशंकर कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने पर क्यों तुले हुए हैं। हम समझ सकते हैं कि पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ भारी रोष है और उन्हें इनकी आलोचना करने का पूरा हक भी है। पर मुद्दों पर देश के अंदर चर्चाओं पर आलोचना करना और बात है पर जिस ढंग से मणिशंकर ने पाकिस्तान में मोदी सरकार के खिलाफ अपशब्द कहे, टिप्पणी की वह हमें क्या खुद कांग्रेस पार्टी को स्वीकार्य न हो। मणिशंकर अय्यर ने एक पाक टीवी चैनल दुनिया टीवी पर एक डिबेट में कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाना जरूरी है। केवल इसके बाद ही बातचीत आगे बढ़ सकती है। टीवी एंकर ने मणिशंकर से पूछा था कि दोनों देशों के बीच संबंधों में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। मणिशंकर ने कहा कि भारत-पाक के रिश्तों में  बेहतरी के लिए सबसे पहले जिन तीन चीजों को ठीक करने की जरूरत है उनमें सबसे पहला काम है कि मोदी को हटाओ वरना बातचीत आगे नहीं बढ़ेगी। अय्यर के ऐसे कहने पर एंकर मोईन पीरजादा ने उनसे हंसते हुए पूछा कि आप यह बात किससे कह रहे हैं? क्या आप मोदी को हटाने के लिए कह रहे हैं? मणिशंकर साहब ने जवाब दिया, नहीं, नहीं हमें इसके लिए चार साल इंतजार करना पड़ेगा। ये लोग मोदी के प्रति बहुत आशावान हैं, उन्हें लगता है कि मोदी की उपस्थिति से दोनों मुल्कों में बातचीत आगे बढ़ेगी, लेकिन मैं ऐसा नहीं सोचता। दोनों देशों में बेहतर संबंधों के लिए मोदी को हटाना जरूरी है। यह सही है कि हम अय्यर के बयानों से कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते पर जब भी कोई भाजपा व उनके समर्थक दल कोई उलटा-सीधा बयान देते हैं तो विपक्ष प्रधानमंत्री से सीधा जवाब मांगता है। इसलिए हम समझते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष को इस मामले में अपनी पार्टी की नीति स्पष्ट करनी चाहिए और बताना चाहिए कि क्या वह अय्यर के बयान से सहमत हैं? अय्यर के इस बयान ने भाजपा को कांग्रेस की घेराबंदी करने का मौका दे दिया। पार्टी ने कहा कि मणिशंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद आईएसआई, आईएस तथा तालिबान के प्रचारकों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। जब दुनिया आतंकवाद की निन्दा कर रही है तब उन्हें गलत ताकतों के साथ खड़े होने में कोई शर्म नहीं है। मणिशंकर साहब भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बीच मोदी नहीं पाक प्रायोजित आतंकवाद खड़ा है। आए दिन इसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ता है। पाक अपनी सरजमीं से इन आतंकियों की मदद करना बंद कर दे तो रिश्ते सुधर जाएंगे।

-अनिल नरेन्द्र

भारत मुसलमानों के लिए बेहतरीन देश ह़ै

जमीयत उलेमा--हिन्द के महासचिव एवं जाने-माने इस्लामी विद्वान मौलाना महमूद मदनी ने हमेशा सही बात ही कही है। हम उनका सम्मान करते हैं। इसलिए नहीं कि वह किसी की हिमायत करते हैं  पर इसलिए कि उन्हें जो सही लगता है वह धड़ल्ले से कह देते हैं। बेशक किसी को अच्छा लगे या बुरा। असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच मंगलवार को मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमानों के लिए भारत से बेहतर कोई भी देश नहीं है। मदनी ने पेरिस में आतंकवादी हमले के सन्दर्भ में यूपी के मंत्री आजम खान की टिप्पणी की निन्दा करते हुए कहा कि ऐसे आतंकी संगठनों के खिलाफ जेहाद का वक्त है। आतंकी हमले को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। इस हमले की कड़ी शब्दों में निन्दा करनी चाहिए। बकौल मदनी, आईएस जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ दिल्ली समेत मुल्क के 75 शहरों में मुस्लिम संगठन विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि देश में गरीबी, अशिक्षा जैसी समस्याएं हैं। समय-समय पर तनाव भी पसरता है, लेकिन कुछ ही समय के लिए होता है। लोग आपस में मिल जाते हैं। यहां की मिट्टी ही कुछ अलग किस्म की है जिसमें सबके लिए प्यार बसा हुआ है। मदनी ने कहा कि मुसलमानों के लिए दुनिया में भारत से बेहतर कोई दूसरा देश नहीं है। इस देश में विभिन्न धर्मों के बीच आपसी भाईचारा पूरी दुनिया को आकर्षित करता है। उन्होंने पेरिस हमले की निन्दा करते हुए कहा कि इस्लाम के नाम पर मासूमों की हत्या करना इस्लाम का दुरुपयोग है। जाने-अनजाने इन घटनाओं को इस्लाम से जोड़कर देखा जा रहा है, जो उचित नहीं है। आतंकवादी दुनियाभर में मुसलमानों के लिए कष्टदायक हालात पैदा कर रहे हैं। आतंकी घटनाओं को इस्लाम पर हमला करने का बहाना बना लिया गया है। समय-समय पर मौलाना मदनी अपनी बात उठाते रहते हैं। कुछ समय पहले बिजनौर के कीरतपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम में मदनी ने कहा कि किसी दुश्मन ने इस्लाम को बदनाम नहीं किया बल्कि इसके गुनहगार हम खुद हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम की दहशतगर्द छवि बनाने के दोषी मुसलमान ही हैं। मदनी ने कहा कि मुसलमान अगर 20 साल की तालीम का एजेंडा तय कर लें और यह सोच लें कि भूखे पेट सो कर भी बच्चों को तालीमयाफ्ता बनाएंगे, तो यकीनन जिनके दिलों में मुसलमान के लिए नफरत है, वो भी मुहब्बत करने पर मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा रास्ता सही नहीं है। समाज में हमारी छवि बिगाड़ने वाला कोई दुश्मन नहीं है बल्कि आतंकवाद की यह छवि हमने खुद बनाई है। हम मौलाना महमूद मदनी के विचारों का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारे मुसलमान भाई उनकी बातों पर गौर करेंगे और अमल करने की कोशिश करेंगे।

Thursday 19 November 2015

बदला

पेरिस हमले से पहले तो फ्रांस आईएस पर सैन्य कार्रवाई तो कर रहा था पर हमले के बाद तो फ्रांस ने जबरदस्त जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है। हमले के कुछ घंटों बाद ही फ्रांसीसी जैट विमानों ने आईएस के ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी करनी शुरू कर दी। फ्रांस ने आईएस को नेस्तनाबूद करने के मिशन पर अमल करना शुरू कर दिया है। फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि रविवार रात उसके लड़ाकू विमानों ने सीरिया में आईएस के गढ़ रक्का के कई ठिकानों पर हमले कर उसे तबाह कर दिया। आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आठ आतंकियों में से रविवार को एक की पहचान अजीबो-गरीब तरीके से हुई। उमर इस्माईल मुस्तेफई की विस्फोट की जगह पर कटी हुई अंगुली से पहचान हुई। अंगुली के डीएनए टेस्ट से उसकी पहचान की गई। आतंकी हमले की गुत्थी सुलझाने में लगी पुलिस ने तीन हमलावरों की पहचान कर ली है। शुक्रवार की रात पेरिस में नरसंहार को अंजाम देने वाले ये तीनों आत्मघाती हमलावर फ्रांस के ही नागरिक थे। बैताक्लां थियेटर के कंसर्ट में दर्जनों लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले हमलावर की पहचान उमर इस्माईल मुस्तेफई (29) के रूप में की गई। यह वही है जिसकी कटी अंगुली से पहचान हुई। 20 और 31 साल के दोनों आतंकी पिछले कुछ समय से बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में रह रहे थे। इसी बीच हमले के सिलसिले में  ब्रुसेल्स से सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पेरिस हमलों के संदिग्ध मास्टर माइंड की भी पहचान हो चुकी है। इसकी पहचान ब्रुसेल्स निवासी अब्देल हमेद अबाउद के रूप में की गई है। बेल्जियम न्यूज चैनल आरटीएल के मुताबिक अबाउद सीरिया में आईएस का सबसे सक्रिय आतंकी है। सूत्रों के मुताबिक अबाउद ने ही पेरिस हमले की योजना बनाई और धन की व्यवस्था की। प्रारंभिक जांच से यह भी पता चला है कि पेरिस हमलों की योजना सीरिया के रक्का शहर में रची गई थी। रक्का आईएस के कब्जे वाले इलाके में स्थित है और इलाके की अघोषित राजधानी है। रक्का और इराक सीमा के बीच स्थित दियेर इज्जोट शहर के रहने वाले टिम रमादान ने कहा कि उसे इस साल की शुरुआत में इंटरनेट कैफे से कुछ संकेत मिले थे। रमादान ने कहा कि उसने साल की शुरुआत में इंटरनेट वार्ता सुनी थी। जिसमें संकेत मिला कि कुछ विदेशी लड़ाके पेरिस पर बड़े हमले का मंसूबा पाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लड़ाके इस मिशन के लिए `अबू इब्राहिम अल बेलजी' (इब्राहिम का पिता बेल्जियम) नाम का इस्तेमाल कर रहे थे। हमले में इस्तेमाल की गई कार भी बेल्जियम में पंजीकृत थी, जिसे एक फ्रांसीसी नागरिक ने किराये पर लिया था। यूनान सरकार ने हमले में शामिल एक आतंकी यूनान के लोरेस द्वीप पर शरणार्थी के रूप में अक्तूबर में पंजीकृत किया था और बैताक्लां कंसर्ट हॉल पर हमले में शामिल था।

-अनिल नरेन्द्र

पहली बार केजरीवाल ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ

कई महीनों तक एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले रखने के बाद आखिरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और भाजपा शासित नगर निगम ने एक-दूसरे के साथ मिलकर शहर की सफाई का साझा अभियान चलाने का फैसला किया है। कल मैं रेड एफएम रेडियो सुन रहा था अचानक उसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का संदेश आ गया। केजरीवाल ने जब यह कहा कि हम केंद्र और नगर निगम के साथ मिलकर दिल्ली को साफ करेंगे तो मैं थोड़ा आश्चर्य में जरूर पड़ा। शायद यह पहला मौका था जब केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार ने केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम से किसी साझे अभियान की बात की हो। चाहे इसके पीछे अरविंद केजरीवाल का जो भी छिपा मकसद हो पर इस फैसले का स्वागत होना चाहिए। दिल्ली का विकास इस लड़ाई और जिद की वजह से ठप पड़ा हुआ है। अरविंद केजरीवाल को अब यह बात समझ आने लगी है कि केंद्र से बिगाड़ कर, झगड़ा व जिद करने से उनकी दाल गलने वाली नहीं। इस लड़ाई का खामियाजा न तो केंद्र सरकार भुगत रही है और न ही केजरीवाल सरकार। खामियाजा तो दिल्ली की जनता भुगत रही है। पिछले नौ महीने के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब सफाई के मुद्दे पर दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगम एक मंच पर दिल्ली सचिवालय में सोमवार को दिखे। मौका था दिल्ली स्वच्छ अभियान के बारे में जानकारी देना। इस मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को एक विशेष एप लांच किया। इस एप के जरिये सरकार आम लोगों को भी अभियान से जोड़ेगी। आम लोगों का काम किसी भी स्थान पर पड़े कूड़े-कचरे को हटाने के लिए वहां की फोटो खींचकर सरकार को इस एप के जरिये भेजनी होगी। इससे पहले केंद्र और दिल्ली सरकार किसी न किसी मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर हमला करने से चूकते नहीं थे लेकिन राजधानी की सफाई के बहाने पहली बार सहयोग की बात हो रही है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू 22 नवम्बर को स्वच्छ दिल्ली अभियान की शुरुआत करेंगे। कचरे की सफाई का काम नगर निगम द्वारा ही किया जाएगा लेकिन इस काम में पीडब्ल्यूडी भी भागीदारी करेगा। कचरे की मात्रा को देखते हुए काम की प्राथमिकता तय की जाएगी और प्रभावित क्षेत्रों को सबसे पहले तवज्जो दी जाएगी। उम्मीद है कि नगर निगम सफाई कर्मचारियों की इस अभियान में पूरी भागीदारी होगी क्योंकि वेतन न मिलने के कारण उनमें भारी असंतोष है। अब जब दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम आपस में सहयोग कर रहे हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि दिल्ली की सफाई ठीक से होगी।

Wednesday 18 November 2015

It's war -Francois Hollande

-        Anil Narendra

The fashion and glamour capital of the world, Paris was ensanguined by a terrorist strike on Friday evening (for us on Saturday early morning).  Armed with AK-47’s and suicide belts eight terrorists of the world’s most dreaded terrorist setup Islamic State (IS) attacked at six places in which 129 people were killed and more than 200 people injured. We remind you that this is being termed as the second biggest attack on Paris after the world war.

The attack on 13th November 2015 was similar to the terrorist attack on Mumbai on 26th November 2008. The terrorists attacked people eating in the restaurant, enjoying in the bar and outside the stadium. Emergency has been promulgated in France after the incident. An eye witness said that an attacker was talking about the French army attacks against the terrorists of Islamic State in Syria. The spot is just 200 meters away from the office of Charlie Hebdo magazine, where the jihadist had attacked in January this year.

At the time of the bomb blast, the French President Francois Hollande was watching the France versus Germany football match in the stadium. Eye witnesses said the attackers were shouting Allahu Akbar near the stadium.  An eye witness who was present at the rock concert in Bataclan said they were killing them one by one. They were talking about taking revenge of Syria. Four terrorists armed with AK-47 entered the stadium shouting Allahu Akbar and went on firing recklessly and killed 89 people there.

The question arises why terrorists are attacking on France time and again? In fact France is the target of the terrorists as it is involved in the alliance army in the war against the IS. It is striking aerial attacks since last September against the terrorist setup active in Syria and Iraq. French President Francois Hollande had announced some days earlier that it will send its biggest warship ‘Charles de Gaulle’ to fight with the IS. 

IS has made five attacks on France in 2015 itself. 20 people were killed in the terrorist attack on the office of a cartoon magazine ‘Charlie Hebdos’ in Paris on 7th January 2015. Some masked people entered the magazine’s office and began to fire recklessly.  Four chief cartoonists and the chief editor were killed in this attack. A month did not pass, there was an attack on three soldiers watching a Jew Community Centre in Nice, but fortunately there was no casualty in this attack. On 19th April an Algerian Jew attacked on two churches in which a woman was killed. On 26th June suspected Islamic attackers in a gas factory in Eastern France cut down the throat of a person while wounded two others in blasts. On 21st August a terrorist armed with heavy arms fired in Amsterdam bound high speed train in which four people were wounded.

French President Francois Hollande responded as a warning that the army of IS terrorists have declared a war on France. Now we will respond, there will be no mercy. Indian Prime Minister Narendra Modi said that this attack is not only on France, but on the entire humanity. Everyone must unite against such powers. US President described it a coward attack while the British PM Cameron said the attack has made clear that threat from Islamic State terrorism is rising. Muslim world is also seen with France against the massacre in Paris. Though the Muslims in the western countries fear they are not targeted once again as happened after 9/11 attacks in the US. Attack on Saturday has the same importance for France as was of the 9/11 New York attacks for US. IS had brought down a Russian passenger plane in Sinai some days ago and now this attack on Paris. There are full chances of an emerging war. The US will have to change its strategy due to this attack. Now it should associate with the Russia and Asad. IS has become the most dreaded, dangerous setup and all the nations will have to collectively respond against it. Paris attack is a lesson for India also. Whenever there is a terrorist incident, the role of the media becomes important. The French media has shown that how media performs responsibly at such time. There was no blood-shed photo in the press nor the TV channels showed such pictures. The only aim and the focus of all coverage was — show unity, defeat terrorism. Be it Le Parisien or Le Figaro with a centre-left trend, all described the attack as a war against the nation. They said whatever action is taken by France takes against the IS, the entire nation is with it.

Terrorists hit three blasts to create stampede in the stadium. There were 80 thousand people including the French President present in the stadium. All of them watched the match in full, returned to the stadium and recited the national anthem and came out in controlled queues. Injured were helped by converting the city restaurants and hotels into hospitals. The opposition fully supported French President Hollande for starting campaign against the IS. Leader of the opposition Ringo Bert said that the entire nation is with the president. This unity was shown at such a time when France is going on provincial elections after 50 years. Neither there was any statement, nor the president was asked to resign and not even the intelligence lapse or failure was discussed or no statement was recorded in protest. At this tragic juncture we are with France and in the grief of the deceased families.