Tuesday, 30 September 2025
शाहरुख खान बनाम समीर वानखेड़े
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ड्रग्स से जुड़े अपराधों की जांच करने वाली एक केंद्रीय एजेंसी है। इसके पूर्व अधिकारी आईआरएस एवं एनसीबी के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट में अभिनेता शाहरुख खान और गौरी खान के स्वामित्व वाली कंपनी रेड चिलीज के प्रोडक्शन में बनी और नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई वेब सीरीज द वैड्स ऑफ बॉलीवुड में झूठा, भावनापूर्ण और मानहानि वाला कंटेंट पेश करने के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने दो करोड़ रुपए का मुआवजा भी मांगा है। जिसे वे टाटा मैमोरियल कैंसर अस्पताल को दान करना चाहते हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि यह राशि कैंसर रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल में इस्तेमाल की जाएगी। बता दें कि मामला क्या है? दरअसल इस वेब सीरीज में समीर वानखेड़े का कहना है कि इसमें दिखाए गए दृश्य उन्हें बदनाम करने की कोशिश है क्योंकि इसमें एक अधिकारी को ऐसा दिखाया गया है जैसे वह बॉलीवुड सितारों के पीछे पड़ा रहता है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक याचिका में कहा गया है कि यह सीरिज जानबूझकर समीर वानखेड़े की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के इरादे से बनाई गई है। इसमें यह भी पा है कि यह सीरीज ऐसे समय तैयार की गई है जब वानखेड़े और शाहरुख खान के बेटे आर्यन से जुड़ा मामला बाम्बे हाईकोर्ट और एनडीपीएस की विशेष अदालत में विचाराधीन है। साल 2021 में आर्यन खान के खिलाफ शुरू हुआ था यह मामला। शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को लेकर यह विवाद 4 साल पहले 21 अक्टूबर 2021 में तब शुरू हुआ था जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने मुंबई कॉर्डेलिया ाtढज जहाज पर एक रेव पार्टी की जानकारी मिलने पर छापेमारी की थी। एनसीबी के उस समय के मुंबई जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े और अधीक्षक वीवी सिंह की टीम ने इस छापे का नेतृत्व किया था। छापेमारी में आशीष रंजन जांच अधिकारी के रूप में मौजूद थे। एनसीबी ने 3 अक्टूबर 2021 को आर्यन खान को गिरफ्तार किया था। 25 दिन जेल में बिताने के बाद 28 अक्टूबर 2021 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्यन को जमानत दी थी। हालांकि इस छापेमारी और इसमें शामिल अधिकारियों पर सवाल खड़े हुए और 25 अक्टूबर 2021 को एनसीबी की ओर से एक विशेष जांच दल का गठन किया गया। इस दल ने मुंबई और दिल्ली में एनसीबी के अधिकारियों सहित स्वतंत्र गवाहों से भी पूछताछ की और वानखेड़े और अन्य अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर कई अहम सवाल उठ गए। जांच दल ने पूछताछ के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक प्राथमिकी दर्ज की। इसमें समीर वानखेड़े, विश्व विजय सिंह और अन्य के खिलाफ आरोप लगाए गए। समीर वानखेड़े इस विवाद से पहले भी अक्सर गौसवी, सैनविल डिसूजा और एक अज्ञात के खिलाफ भी आरोप लगाए गए। मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग में काम करते हुए उन्होंने कई बॉलीवुड सितारों के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसमें उनकी कड़ी छवि बनी। हालांकि आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद उनका नाम और काम दोनों ज्यादा सुर्खियों में आए। उस समय महाराष्ट्र सरकार के मंत्री रहे नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि वे बॉलीवुड सितारों को झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रच रहे हैं और उनके नाम से फर्जी दस्तावेज बनाए गए हैं। नवाब मलिक ने इन आरोपों को सोशल मीडिया पर भी उठाया, जिससे विवाद और बढ़ गया। वानखेड़े के वकील आदित्य गिरी ने दावा किया कि वेब सीरीज के एक किरदार को अश्लील इशारा करते हुए दिखाया गया है। यह इशारा सत्यमेव जयते का नारा लगाने के बाद बीच वाली उंगली दिखाते हुए किया गया है। इस तरह का चित्र राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है। वानखेड़े की ओर से इस याचिका में कहा गया है कि इस सीरीज की अवधारणा और ािढयान्वयन जानबूझकर वानखेड़े की प्रतिष्ठा को कलंकित करने के इरादे से किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने पावार को समीर वानखेड़े की मानहानि याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। जस्टिस पुष्पेन्द्र कुमार ने कहा कि मांगी गई राहतें दिल्ली में विचार योग्य नहीं हैं। हालांकि कोर्ट ने वानखेड़े को याचिका में संशोधन कर दोबारा दाखिल करने की इजाजत दे दी। सुनवाई के दौरान रेड चिलीज की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और नेटफ्लिक्स की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए।
-अनिल नरेन्द्र
Saturday, 27 September 2025
बिहार में भ्रष्टाचार पर उठते सवाल
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जंगलराज बनाम विकास के नैरेटिव की जंग के बीच अब भ्रष्टाचार यानी करप्शन का मुद्दा गरमा गया है। चारों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला आरंभ हो चुका है। पहले बात करते हैं जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की। प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं पर कई आरोप लगाए हैं। वे लगातार इन आरोपों को दोहरा रहे हैं तो अब सत्तारूढ़ गठबंधन के लोग भी इन आरोपों को लेकर सवाल पूछने लगे हैं। बिहार में भाजपा और उसके सहयोगी दल विपक्ष को घेरने के लिए जंगलराज का मुद्दा उठा रहे हैं। सोशल मीडिया और अन्य प्रचार माध्यमों से जंगलराज की याद दिलाई जा रही है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक जिन लोगों ने बिहार में जंगलराज का दौर देखा है। उन्हें फिर से उस दौर की याद दिलाई जा रही है। साथ ही नई पीढ़ी को भी बता सकें कि बिहार किस दौर से गुजरा था और अगर विपक्ष सत्ता में फिर आया तो वह दौर फिर लौट सकता है। एक तरफ जहां भाजपा इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है वहीं राजनीति में एक नया मुद्दा भी जुड़ता जा रहा है, जो भाजपा को ही नहीं पूरे एनडीए की चिंता बढ़ा सकता है। जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर हत्या और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है तो जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी पर भी 200 करोड़ की बेमानी संपत्ति का आरोप लगाया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर दिलीप जायसवाल से पैसे लेकर फ्लैट खरीदने का आरोप जड़ा है तो उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर फर्जी डिग्री का आरोप लगाया है। प्रशांत किशोर जिस आक्रामक तरीके से लगातार इन आरोपों को उठा रहे हैं और इन पर जवाब मांग रहे हैं उससे राज्य की राजनीति में जंगलराज बनाम विकास की जगह अभी सबसे ज्यादा चर्चा इसी पर होने लगी है। इस पूरी बहस को और हवा दी भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर ने जिन नेताओं पर आरोप लगाए हैं उन्हें जवाब देना चाहिए और जवाब नहीं आने से भाजपा का ग्राफ गिर रहा है। जेडीयू नेता व प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कहा कि आरोपों पर अशोक चौधरी को अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी अग्नि परीक्षा से गुजर रही है और इस तरह के गंभीर आरोप सामान्य बात नहीं है। आरोपों का बिंदुवार जवाब देना चाहिए। उधर बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने मंगलवार को जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को कानूनी नोटिस भेजा। साथ ही कहा कि वह बिना शर्त माफी मांगे या 100 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा झेलने के लिए तैयार रहें। बता दें कि हाल ही में पटना में प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया था कि चौधरी करीब 200 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन की कथित रूप से अनियंत्रित खरीद-परोख्त में शामिल हैं। ग्रामीण कार्य विभाग का प्रभार संभाल रहे अशोक चौधरी ने नोटिस से किशोर से कहा है कि वह या तो अपने आरोपों को साबित करने के लिए सुबूत दें या फिर सार्वजनिक तौर पर बिना शर्त माफी मांगे। बिहार विधानसभा चुनावों की किसी भी समय घोषणा हो सकती हैं, ऐसे में इस प्रकार के आरोप एनडीए के लिए शुभ नहीं माने जा सकते।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 25 September 2025
पाक-सऊदी में सैन्य समझौता
पाकिस्तान और सऊदी अरब में एक अहम और कुछ मायनों में महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। पाकिस्तान एक सैन्य परमाणु शक्ति है बेशक वह एक संघर्ष करती अर्थव्यवस्था है। वहीं सऊदी अरब आर्थिक रूप से ताकतवर है लेकिन सैन्य रूप से कमजोर है। सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों ही सुन्नी बहुल देश हैं और दोनों के बीच मजबूत संबंध रहे हैं। सऊदी ने कई बार आर्थिक संकट के समय पाकिस्तान की मदद की है और पाकिस्तान भी बदले में सऊदी को सुरक्षा सहयोग का भरोसा देता रहा है। अब पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच स्ट्रैटिजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट हुआ है। इसके मुताबिक, किसी एक के प्रति दिखाई गई आाढामकता दूसरे के खिलाफ मानी जाएगी। कुछ वैसा ही समझौता जैसा नाटो के सदस्य देशों के बीच है। यह डिफेंस एग्रीमेंट यह भी कहता है कि अगर एक देश पर हमला हुआ तो दूसरा देश उसे खुद पर भी हमला मानेगा। यानि अब अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब पर कोई हमला होता है तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। दोनों देशों की थल, वायु और नौ सेनाएं अब और अधिक सहयोग करेंगी और खुफिया जानकारियां साझा करेंगी। चूंकि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है। ऐसे में इसे खाड़ी में सऊदी अरब के लिए सहयोग का भरोसा भी माना जा सकता है। हाल ही में इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर हमले किए थे। इससे अरब जगत में उथल-पुथल और बेचैनी बढ़ गई है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस समझौते के बाद कहा, हमारे भाईचारे के रिश्ते ऐतिहासिक मोड़ पर हैं, हम दुश्मनों के खिलाफ एकजुट हैं। पाक के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा, पाकिस्तान सऊदी से मिले पैसे से अमेरिकी हथियार खरीद पाएगा। भले ही यह कहा जा रहा हो कि यह समझौता पाकिस्तान और सऊदी अरब के लंबे ऐतिहासिक रिश्तों का परिणाम है, लेकिन भारत के लिए यह डिवेलपमेंट चिंता बढ़ाने वाला जरूर है। सऊदी अरब खाड़ी में भारत के करीबी सहयोगियों में से एक है। व्यापार, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा सहयोग समेत कई क्षेत्रों में दोनों के बीच पिछले दो दशकों में संबंध गहरे हुए हैं। खासकर ाढाउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के दौर में नई तरह की गर्मजोशी देखने को मिली है। पीएम मोदी इस साल अप्रैल में ही अपने तीसरे सऊदी दौरे पर गए थे। जहां दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी थी। यह समझौता जितना पश्चिम एशिया के लिए, उतना ही भारत समेत समूचे दक्षिण एशिया के लिए भी चिंतनीय है। सर्वाधिक शंकाएं तो समझौते के इस प्रावधान को लेकर है कि दोनों में से किसी भी देश पर कोई हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। क्या इसका अर्थ यह है कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसी स्थिति पैदा होती है तो सऊदी अरब और पाकिस्तान एक साथ खड़े होंगे? चार महीने पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा संघर्ष हुआ था। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बार्डर पर अब भी तनाव बना हुआ है। ऐसे में यह आशंका दरकिनार नहीं की जा सकती कि भारत और पाकिस्तान के तनाव में इस समझौते की वजह से सऊदी अरब भी पार्टी बन जाए। हालांकि समझौते का एक और अहम एंगल भी है, हाल में इजरायल ने कतर पर एक एयर स्ट्राइक कर हमास नेताओं को निशाना बनाने का प्रयास किया था। इसे लेकर मुस्लिम वर्ल्ड में काफी गुस्सा है। इस हमले के बाद दोहा में इस्लामिक अरब देशों का एक आपातकालीन शिखर सम्मेलन बुलाया गया था। जहां यह चर्चा भी उठी थी क्या नाटो जैसा कोई संयुक्त सुरक्षा बल बनाया जा सकता है? यह समझौता उसी का नतीजा भी हो सकता है। देखा जाए तो भारत और सऊदी अरब के बीच गहरे सामाजिक सांस्कृतिक संबंध तो हैं ही, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि सऊदी अरब भारत का 5वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। खाड़ी देशों में लाखों भारतीय नौकरियां करते हैं। इस समझौते के बाद भारत की चिंता का जन्म होना स्वाभाविक है। ऐसा समझौता रूस ने उत्तर कोरिया के साथ किया था। हमारे रूस से अच्छे संबंध हैं जबकि नार्थ कोरिया से उतने अच्छे नहीं हैं। क्योंकि वह चीन के नजदीक है। बावजूद इसके रूस से हमारे रिश्तों पर नैगेटिव असर नहीं पड़ा। विशेषज्ञों का मानना है कि हमें सऊदी अरब से कोई खतरा नहीं है, लेकिन इससे पाकिस्तान को जो फायदा और मजबूती मिलेगी उसे वह भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इस रक्षा समझौते से पूरे क्षेत्र में असंतुलन पैदा हो सकता है। भारत ने कहा है कि वह इसके असर को देखेगा। सरकार को अपनी चिंताओं को लेकर सऊदी अरब से खुलकर बात करनी चाहिए। पाकिस्तान के इस्लामिक नाटो सरीखे विचार को खाड़ी देशों ने तवज्जो न भी दी हो, लेकिन उपर्युक्त समझौता भारत से कूटनीतिक सतर्कता बनाए रखते हुए बहुपक्षीय विदेशी नीति को मजबूत करने की मांग तो करता ही है।
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 23 September 2025
किर्क की हत्या ः अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक हिंसा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क को गोली मारकर हत्या कर दी गई। वारदात यूटा के ओरम स्थित यूटा वैली यूनिवर्सिटी में छात्रों की मीटिंग के ठीक दौरान हुई। इस हत्या ने एक बार फिर अमेरिका को हिलाकर रख दिया है। यूटा वैली यूनिवर्सिटी में उस समय करीब तीन हजार छात्र थे। जब हमलावर ने चार्ली पर निशाना साधा। अधिकारियों ने जांच में पाया कि स्नाइपर ने दूर एक इमारत की छत पर छिपकर जो करीब 180 मीटर दूर थी से सीधी एक गोली चलाई जो चार्ली की गर्दन में लगी और वहीं वह ढेर हो गए। कौन थे चार्ली किर्क? चार्ली एक अमेरिकी कंजरवेटिव और मीडिया पर्सनैलिटी थे। उन्होंने टर्निंग प्वांट यूएसए नाम का यंग कंजरवेटिव संगठन 18 साल की उम्र में ही स्थापित किया था। वह उसके को-फाउंडर थे। वह युवाओं को राजनीतिक रूप से सािढय बनाने, बहसों में हिस्सा लेने और रूढ़िवादी विचारों को प्रेरित करने के लिए जाने जाते थे। राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क के हत्यारे और हत्या की वजह के बारे में अब तक कुछ ठोस पता नहीं चला है लेकिन यह तय है कि उनकी लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही थी। ऐसे में एक सवाल यह भी है]िक उन्हें कहीं उनकी बढ़ती लोकप्रियता तो हत्या की वजह नहीं बनी? छत से गोली वैसे ही चलाई गई, जैसे जुलाई 2024 में चुनाव प्रचार के दौरान पेनसिलवेनिया में डोनाल्ड ट्रंप पर चली थी। तब गोली ट्रंप का कान छूकर निकल गई थी। ट्रंप ने 31 वर्षीय किर्क को महान और दिग्गज बताया। वीडियो संदेश में उन्हें सत्य और स्वतंत्रता का शहीद बताया। हत्या के लिए उन्हेंने कट्टर वामपंथियों की बयानबाजी को दोषी ठहराया। चार्ली किर्क के आखिरी भाषण का 30 सेकेंड का वीडियो सामने आया है। सफेद टेंट में बैनर्स पर द अमेरिकन कमबैक और प्रूव मी रॉन्ग भी रांडा स्लोगन लिखे थे। माइक लेकर बैठे किर्क सवालों का जवाब दे रहे हैं। श्रोता ः 10 सालों में कितने ट्रांसजेंडर अमेरिकियों ने मास शूटिंग की है? किर्क ः बात ज्यादा। श्रोता ः क्या आपको पता है कि 10 सालों में कुल कितने मास शूटर रहे हैं। किर्क ः गैंग वायलेंस की गिनना है या नहीं? तभी गोली चलती है। गर्नर्ड किर्क के पास बैठी मैडिसन लैटिन ने कहा ः मैंने गोली की आवाज सुनी। उनके शरीर से खून निकला और वे गिर गए। फिर चीख-पुकार के बीच अफरातफरी मच गई। यह दुखद है कि अमेरिका में राजनीतिक हिंसा लगातार बढ़ रही है। दक्षिण पंथी व वामपंथी दोनों विचारधाराएं इससे प्रभावित हुई हैं। अमेरिकी इतिहास राजनीतिक हिंसा से भरा है। 60 के दशक में जान एफ कैनेडी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या हुई। हाल के वर्षों में यह भय बार-बार सामने आया। 2021 में ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल पर हमला किया। 2021 में सांसदों को 9600 से ज्यादा धमकियां मिली। अगले साल नैंसी पेलोसी के पति पर हमला हुआ। उसी साल न्यूयार्क के गर्वनर पद के उम्मीदवार ली नेल्डिन को सभा में चाकू से मारने की कोशिश हुई। 2024 में प्रचार के दौरान खुद ट्रंप पर दो बार जानलेवा हमले हुए, जिनमें वे बाल-बाल बच गए थे। अमेरिका के इस यह गन कल्चर को नियंत्रित करने की कई राष्ट्रपति प्रयास कर चुके हैं पर अमेरिका की यह गन लॉबी इतनी शक्तिशाली है कि वह किसी भी प्रकार के कंट्रोल को पारित ही नहीं होने देती। चार्ली किर्क की हत्या राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए सीधी चुनौती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला ट्रंप, अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा झटका और चुनौती है।
-अनिल नरेन्द्र
Friday, 19 September 2025
इशाक डार ने ट्रंप के दावे की पोल खोली
पाकिस्तान से दो ऐसी स्वीकृति आई हैं जो न सिर्फ भारत के ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सफलता का ही उल्लेख करती है बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दावों को भी खारिज करती हैं। इनसे इस बात की भी पुष्टि होती है जो भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी दावा करते आ रहे हैं। सबसे पहले बात करते हैं जैश-ए-मोहम्मद के नंबर दो कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी की। इलियास कश्मीरी ने स्वीकार किया है कि आतंकी संगठन के बहावलपुर मुख्यालय पर भारतीय सेना के हमले में उसके संस्थापक मसूद अजहर के परिवार के सदस्यों के चीथड़े उड़ गए थे। मैं अपने परिवार के सदस्यों के मारे जाने की बात स्वीकार करता हूं। मंगलवार को एक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो में जैश-ए-मोहम्मद कमांडर इलियास कश्मीरी को भारतीय हमले के खिलाफ जहर उगलते सुना जा सकता है। जिसमें अजहर के परिवार के सदस्य मारे गए थे। यह वीडियो 6 सितम्बर को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए मिशन मुस्तफा सम्मेलन का बताया जा रहा है। कई बंदूकधारियों के बीच खड़े जैश कमांडर ने कहा इस देश की वैचारिक और भौगोलिक सीमाओं की रक्षा के लिए हमने दिल्ली, काबूल और कंधार पर हमला किया (जेहाद छेड़ा) और अपना सब कुछ कुर्बान करने के बाद सात मई को बहावलपुर में मौलाना मसूद अजहर के परिवार के सदस्यों को भारतीय हमलों में टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान व गुलाम कश्मीर में लश्कर व जैश के मुख्यालय समेत 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था। अजहर ने खुद कहा था कि बहावलपुर में भारतीय हमले में मरने वालों में उसकी बड़ी बहन और उसके पति, एक भतीजा व उसकी पत्नी, एक अन्य भतीजी व परिवार के पांच बच्चे शामिल थे यानि कुल मिलाकर दस ज्यादा मारे गए थे। इसी से साबित होता है कि भारतीय सेना का निशाना कितना सटीक था। अब बात करते हैं ताऊ ट्रंप के दांवों की। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशार डार ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे की ही पोल खोल दी है। डार ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के दौरान उनसे कहा था कि भारत ने युद्ध विराम के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इंकार कर दिया था क्योंकि यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है। जब डार से भारत के साथ वार्ता या तीसरे पक्ष की भागीदारी को लेकर पाकिस्तान के रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन भारत स्पष्ट रूप से कह रहा है कि यह एक द्विपक्षीय मामला है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच युद्ध विराम करवाया। ट्रंप 10 मई के संघर्ष विराम के बाद से 30 से ज्यादा बार दोनों देशों में संघर्ष विराम का दावा कर चुके हैं। इशाक डार ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि भारत ने अमेरिका सहित किसी भी देश की मध्यस्थता से साफ इंकार कर दिया है। डार ने ट्रंप की पोल खोल दी है।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 18 September 2025
नेपाल, फ्रांस के बाद अब लंदन
पिछले एक पखवाड़े से कई देशों में जनता सड़कों पर उतरी हुई है। हमने नेपाल में देखा फिर फ्रांस में देखा और अब लंदन में देखा कि किस तरह वहां की जनता अपनी मांगों को लेकर जन-आंदोलन कर रही है। हर देश में हालांकि आंदोलन के मुद्दे अलग-अलग हैं। नेपाल में जहां व्यवस्था परिवर्तन मुद्दा था वहीं फ्रांस में सरकारी नीतियों का विरोध प्रदर्शन था और लंदन में अवैध प्रवासियों के खिलाफ जन आाढाsश देखने को मिला। ब्रिटेन में भी अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने की मांग तेज हो गई है। सेंट्रल लंदन में शनिवार को 1 लाख से ज्यादा लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रोटेस्ट को युनाइटेड द किंगडम नाम दिया गया, जिसे एंटी-टू इमिग्रेशन नेता टॉमी रॉबिन्सन ने लीड किया। इसे ब्रिटेन की सबसे बड़ी दक्षिण पंथी रैली माना जा रहा है। इन विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 26 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। रैली में तनाव उस वक्त बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें और दूसरी चीजें फेंकी। मेट्रोपोलिटन पुलिस के अनुसार 4 पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई। इस दौरान टेस्ला के मालिक अरबपति एलन मस्क ने वीडियो लिंक के जरिए व्हाइट हाल में मौजूद प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। वहीं पास में इस रैली के विरोध में स्टैंडअप टू रेसिज्म (नस्लवाद का विरोध करें) द्वारा आयोजित एक और विरोध प्रदर्शन हो रहा था जिसमें करीब 5 हजार लोग शिरकत कर रहे थे। शरणार्थियों को जिन होटलों में जगह दी जाती है उनके सामने भी ‘यूनाइट द किगंडम' की तरफ से बीते दिनों विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने कहा कि एक तो ब्रिटेन कमजोर आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है, दूसरी बात यह है कि देश विनाश की ओर बढ़ रहा है। मस्क ने भीड़ से कहा कि हिंसा आ रही है और या तो आप लड़ेंगे या मरेंगे। मस्क ने कहा कि अगर यह जारी रहा तो हिंसा आपके पास आएगी। आपके पास कई विकल्प नहीं होगा। आप यहां एक बुनियादी स्थिति में हैं। आप हिंसा चुनें या न चुनें, हिंसा आपके पास आ रही है या तो आप जवाबी कार्रवाई करेंगे या मर जाएंगे। मुझे सचमुच लगता है कि ब्रिटेन में सरकार बदलनी होगी। चुनाव के लिए अभी चार साल हैं। लेकिन कुछ तो करना ही होगा। संसद को भंग करके नए सिरे से चुनाव कराना होगा। प्रदर्शनकारी ब्रिटेन में अवैध अप्रवासन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इनकी मांग है कि अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर किया जाए। इस साल 28 हजार से ज्यादा प्रवासी इंग्लिश चैनल के रास्ते नावों में ब्रिटेन पहुंचे हैं। प्रदर्शन में शामिल लोग अवैध अप्रवासियों को शरण देने के खिलाफ हैं। हाल ही में एक इथियोपियाई अप्रवासी ने 14 साल की लड़की का यौन उत्पीड़न किया था, जिसने लोगों के गुस्से को और बढ़ावा दिया है। सरकार और पुलिस पर आरोप है कि वे अवैध आव्रजन पर नकेल कसने में असफल रहे हैं। इस प्रदर्शन की वजह से इमिग्रेशन नियमों को लेकर राजनीतिक चर्चा फिर से तेज हो गई है। सरकार पर अवैध आव्रजन को रोकने के लिए कठोर फैसले लेने का दबाव है। इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं टॉमी रॉबिन्सन। रॉबिन्सन का असली नाम स्टीफन याक्सली-लेनन है। वह खुद को सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने वाला पत्रकार बताते हैं। हालांकि उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन्होंने दावा किया कि ब्रिटेन की अदालतों ने बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के अधिकारों को स्थानीय समुदाय के अधिकारों से ऊपर जगह दी है। कोर्ट ऑफ अपील ने पिछले महीने एस्सेक्स के एपिंग में बेल होटल में शरणार्थियों को ठहराने पर रोक जो लगी थी उसे हटा दी थी। शाम के साढ़े छह बजे रॉबिन्सन ने अपने कार्पाम को खत्म किया। साथ ही उन्होंने इसी तरह के अगले कार्पाम का वादा भी किया। 42 साल के रॉबिन्सन को इसी साल जेल से रिहा किया गया था। अक्टूबर में उन्हें एक सीरियाई शरणार्थी के बारे में झूठे दावे करने से रोकने के आदेश की अवमानना करने के लिए तब जेल हुई जब उस शरणार्थी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस जीत लिया था। उधर ब्रिटिश प्रधानमंत्री सर कीर स्टारगर ने कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार हैं, लेकिन पुलिस पर हमले निंदनीय है। हम ब्रिटेन को उन लोगों के हाथों में कभी नहीं सौंपेंगे जो इसे हिंसा, भय और विभाजन के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हम अशांति फैलाने वालों के सामने समर्पण नहीं करेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 16 September 2025
क्या नई जंग की है ये आहट?
9 सितम्बर 2025 यानि गत मंगलवार का दिन पूरे मध्य पूर्व, विशेषकर कतर और सऊदी अरब के लिहाज से बहुत अहम रहा। इस दिन इजरायली सेना ने दोहा में हमास नेताओं को अपना निशाना बनाया। घटना के बाद इजारयल द्वारा की गई इस हरकत की लगभग सर्वत्र निंदा हुई। दोहा में मंगलवार को हुए इस मिसाइल हमले के बाद कतर हिल गया है। कतर ने इजरायल को कड़ी चेतावनी दी है। कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने इस हमले को संप्रभुता का स्पष्ट उल्लंघन और क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश बताया। कतरी अधिकारियों के मुताबिक इजरायल का निशाना हमास प्रतिनिधियों को बनाना था, जो दोहा में संघर्ष विराम वार्ता के लिए मौजूद थे। अल-थानी ने इसे एक आतंकी हमला करार देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य शांति प्रािढया को पटरी से उतारना और पूरे इलाके में अराजकता फैल रहा है। हमले में एक कतरी नागरिक की मौत की पुष्टि हुई है। हालांकि हमास प्रतिनिधिमंडल बन गया। प्रधानमंत्री अल-थानी ने सीधे इजरायली प्रधानमंत्री बेजामिंन नेतन्याहू पर आरोप लगाते हुए कहा - यह हमला इस बात का संकेत है कि क्षेत्र में एक ऐसा ताकतवर खिलाड़ी मौजूद है जो अराजकता फैला रहा है। नेतन्याहू पूरे क्षेत्र को अपूरणीय टकराव की ओर धकेल रहे हैं। उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून और नैतिक मूल्य दोनों के खिलाफ बताया। रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के बाद कतर के अमीर से बात की। ट्रंप ने हमले की निंदा करते हुए दोहा के प्रति एकजुटता जताई और कतर से आग्रह किया कि वह गाजा में संघर्ष विराम कराने की अपनी भूमिका जारी रखें। उधर इजरायल ने हमले की बात लगभग तुरन्त स्वीकार कर ली। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा, इजरायल ने इसे शुरू किया इसे अंजाम दिया और हम इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। इजरायली मीडिया ने दावा किया कि इस अभियान में 15 इजरायली लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया। जिन्होंने 10 बम गिराए। इसमें ड्रोन का इस्तेमाल भी शामिल था। हमला हमास नेतृत्व को निशाना बनाकर किया गया था, हालांकि एक कतरी सुरक्षा अधिकारी सहित छह अन्य लोग मारे गए। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतान्याहू ने अमेरिका में 9/11 हमले की 24वीं बरसी पर जारी वीडियो संदेश में कतर की राजधानी दोहा पर इजरायली हमले को सही ठहराते हुए सफाई दी। अपने संदेश में नेतन्याहू ने पाकिस्तान और ओसामा बिन लादेन का भी पा किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अलकायदा का पीछा करते हुए पाकिस्तान में ओसमा बिन लादेन को भी मार दिया था। दोहा हमले का हवाला देते हुए उन्होंने कतर समेत अन्य देशों को चेतावनी दी कि वे चरमपंथियों को पनाह न दें। नहीं तो इजरायल विदेशों में ऐसे हमले जारी रखेगा। बता दें कि ओसमा बिन लादेन को 2 मई 2011 को अमेरिकी नौसेना ने पाकिस्तान के एयराफ्ट में एक ऑपरेशन में मार गिराया था। दोहा हमले को लेकर इजरायली सेना ने दावा किया कि उसने 7 अक्टूबर के ाtढर नरसंहार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार लोगों को निशाना बनाया जबकि हमास का कहना है कि दोहा में उसके वार्ता प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को निशाना बनाया गया, लेकिन वे हमले में सुरक्षित बच गए। नेतन्याहू ने आगे कहा कि हम 7 अक्टूबर के मास्टर माइंड आतंकवादियों के पीछे गए और हमने यही कतर में किया। वो आतंकवादियों को पनाह देता है, हमास को फंड करता है। आतंकवादी नेताओं को शानदार महल देता है। अब दुनिया के कई देश इजरायल की निंदा कर रहे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। कतर के विदेश मंत्रालय ने दोहा हमले की तुलना अलकायदा से करने के नेतन्याहू के बयान की निंदा करते हुए कहा कि ये बयान न केवल इजरायल के कायरतापूर्ण हमले को सही ठहराने की कोशिश है। बल्कि भविष्य में भी संप्रभुता के उल्लंघन को सही ठहराने का शर्मनाक प्रयास भी है। नेतन्याहू पूरी तरह से जानते थे कि हमास सदस्यों की मेजबानी कतर के मध्यस्थता प्रयासों के तहत थी और इसका अनुरोध खुद इजरायल और अमेरिका ने किया था। नेतन्याहू के बयान में दो बार पाकिस्तान का पा किए जाने के बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स इस पर चर्चा कर रहे हैं। यूजर मंजूर कुरैशी ने लिखा है कि नेतन्याहू कतर को चेतावनी दे रहे हैं कि आतंकवादियों को हमें सौंप दो वरना हम कार्रवाई करेंगे, उन्होंने लिखा यह हैरानी की बात है कि उन्होंने दोहा हमले को सही ठहराते हुए दो बार पाकिस्तान का उल्लेख किया। वही एक अन्य यूजर ने लिखा, पाकिस्तान कतर नहीं है और इजरायल अमेरिका नहीं है। इस बीच कतर से एकजुटता जाहिर करने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार को कतर यात्रा पर रवाना हो गए। कतर इस इजरायली हमले से तो नाराज है ही पर खाड़ी के अन्य अरब देश अब इसका बदला लेने की तैयारी कर रहे हैं। एक बार फिर मध्यपूर्व में नई जंग की आहट सुनाई देने लगी है।
-अनिल नरेन्द्र
Saturday, 13 September 2025
जेन जी का प्रादर्शन हुआ हाईंजैक
हुआ हाईंजैक ऐसा नहीं है कि नेपाल में जन आंदोलन पहली बार हो रहा है। ऐसे जन आंदोलन पहले भी कईं बार हुए हैं। पर जिस प्राकार से इस बार इस आंदोलन ने हिसात्मक रूप लिया है वह अभूतपूर्व है। नेपाल में मौजूदा विरोध-प्रादर्शनों में शामिल अधिकांश युवा 28 वर्ष से कम हैं, इसलिए इसे जेन जी का आंदोलन कहा जा रहा है। यह पहला मौका है जब युवा पीढ़ी इस तरह से सड़क पर उतरी। लेकिन क्या इतनी नाराजगी सिर्प सोशल मीडिया पर पाबंदी को लेकर है? इसके जवाब में यही कहा जा सकता है.. शायद नहीं। सोशल मीडिया पर प्रातिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरने से पहले युवा लोग सत्ताधारी वर्ग में व्याप्त भ्रष्टाचार और नेपो बेबीज को लेकर लगातार पोस्ट कर रहे थे। उनके लिए सोशल मीडिया अपनी नाराजगी जाहिर करने का एक हथियार बन चुका था। लोग प्रामुख परिवारों के युवा सदस्यों की तस्वीरें पोस्ट करके सवाल उठा रहे थे।
उनकी जीवन शैली का खर्च वैसे उठाया जाता है? सोशल प्रातिबंध युवाओं के लिए अपना हथियार छीनने जैसा भी था। बढ़ती बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा था। सोशल मीडिया पर नेताओं के भ्रष्टाचार और उनके बच्चों की ऐशो-आराम वाली जिदगी की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए। सांसद परिसर तक पहुंचे युवाओं ने नारे लगाए कि हमारा टैक्स तुम्हारी रईंसी कि नहीं चलेगी। सोशल मीडिया बैन ने बस उस आग में घी डालने का काम किया। जिसके पीछे लंबे समय से जमा हताशा और आव््राोश का फल था। जिस प्राकार से इस आंदोलन ने शक्ल ली है उससे तो हमारा मानना है कि यह सिर्प सत्ता परिवर्तन का आंदोलन नहीं यह तो पूरी व्यवस्था का सिस्टम बदलने के आंदोलन का रूप ले चुका है।
पहले जितने भी आंदोलन हुए हैं उनमे कभी भी इस तरह की आगजनी, तोड़फोड़, बदले की भावना से हत्याएं संसद, सरकारी इमारतें जलाना पहले कभी नहीं देखा गया। उनके निशाने पर नेता हैं चाहे वे किसी भी दल के हों। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस उक्त आंदोलन के पीछे केवल घरेलू असंतोष है या फिर वुछ विदेशी ताकतों ने भी इसे हवा देने की कोशिश है। कहीं नेपाल के बहाने दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन का खेल तो नहीं खेला जा रहा? वुछ छात्रों ने भी दावा किया कि हमारा आंदोलन शांतिप््िराय था पर इसे बाहरी तत्वों ने हाईंजैक कर लिया और हिसा का तांडव मचा दिया। सूदन गुरंग जिस सामाजिक संगठन हामी (हामरो अधिकार मंच इनीशिएटिव) से जुड़े रहे हैं, उस पर विपक्ष और मीडिया ने आरोप लगाया कि इसे विदेशी दूतावास खासकर अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से पंडिग मिली है। यूएसआईंडी, एनईंटी और वुछ यूरोपीय एनजीओ ने हामी को परोक्ष सहायता दी है। आलोचकों का दावा है कि इस तरह की संस्थाएं लोकतांत्रिक सुधार और सिविल सोसायटी को मजबूत करने के नाम पर पािमी प्राभाव पैलाने का काम करती हैं। हालांकि सार्वजनिक ऑडिट में अमेरिकी सरकारी एजेंसियों से सीधी पंडिग के ठोस प्रामाण अब तक सामने नहीं आए हैं। काठमांडू स्थित अमेरिकी दूतावास ने सफाईं देते हुए कहा है कि नेपाल में दी जाने वाली कोईं भी सहायता पूरी तरह पारदशा और कानूनी हैं। यह केवल शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और प्राशासनिक क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों तक सीमित है। रूसी मीडिया संस्थान आरटी और स्पूतनिक ने नेपाल के काम युवा आंदोलन की तुलना यूव््रोन (2004, 2014) और जार्जियार (2003) जैसे रंग व््रांति अभियानों से की है। इन आंदोलनों की असंतोष पूर्ण भावनाओं का इस्तेमाल कर पािमी देशों, खासकर अमेरिका ने राजनीतिक सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार की थी। रूस का आरोप है कि नेपाल की मौजूदा अस्थिरता का पैटर्न भी वैसा ही है, जहां भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों के बीच विदेशी ताकतें अपने हित साधना चाहती हैं। रूस यह भी कह रहा है कि अमेरिका नेपाल में युवा शक्ति को एक सॉफ्ट टूल की तरह इस्तेमाल कर सकता है, ताकि भारत व चीन दोनों पर दबाव बनाया जा सके। यह भी दावा किया जा रहा है कि जिस तरह नेपाल की सत्ताधारी सरकार चीन के करीब आती जा रही थी उससे भी अमेरिका परेशान था। वुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नेपाल का यह युवा छात्र आंदोलन हाईंजैक हो गया है।
——अनिल नरेन्द्र
Thursday, 11 September 2025
दागदार चुने जन प्रतिनिधि
यह सूचना न केवल चौंकाती है बल्कि हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जिन मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को हम अपना भाग्य बनाने के लिए चुनते हैं वह अंदर खाते कितने दागदार हैं। उनके खिलाफ कितने गंभीर आरोप लगे हुए हैं। आपराधिक मामलों में भी हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध के गंभीर मामले शामिल हैं। चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने अपनी नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले आरोपों की लंबी लिस्ट दी है। अभी हाल ही में तीन विधेयक संसद में पेश किए गए थे ताकि गंभीर आपराधिक मामलों में अगर किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन भी जेल में रहना पड़े तो उसे स्वत पद मुक्त मान लिया जाए। हालांकि विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया और आशंका जताई गई कि अगर ये कानून बन गए तो उनका दुरुपयोग होगा, जिससे विपक्षियों को निशाना बनाया जाएगा। फिलहाल ये कानून जेपीसी को सौंपा गया है और उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही इस पर आगे कार्रवाई होगी। पर हम एडीआर की रिपोर्ट की तरफ लौटते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देशभर के 302 मंत्री (करीब 47 प्रतिशत) खुद पर आपराधिक केस होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। इनमें 174 मंत्री ऐसे हैं जिन पर हत्या, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर आरोप हैं वहीं केंद्र सरकार के 72 मंत्रियों में से 29 (40 प्रतिशत) ने आपराधिक केस होने की बात मानी है। एडीआर ने 27 राज्यों, 3 केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के कुल 643 मंत्रियों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया। यानी कि ये सब केस नेताओं ने अपने शपथ पत्रों में दिए हैं, यह सब अपराध उन्होंने खुद स्वीकार किए हैं। एडीआर ने यह भी कहा कि जिस शपथ पत्रों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है वे 2020 से 2025 के बीच चुनावों के दौरान दाखिल हुए थे। इन मामलों की स्थिति बदल भी सकती है। जिन मुख्यमंत्रियों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। उस सूची में सबसे ऊपर तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी हैं जिन पर 89 केस चल रहे हैं। अगला नंबर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का आता है जिन पर 47 केस चल रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और मोदी सरकार की बैसाखी बने चंद्रबाबू नायडू पर 19 केस चल रहे हैं। कनार्टक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर 13, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर 5, देवेंद्र फणनवीस व भाजपा के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर 4, हिमाचल के सुखविंदर सिंह सुक्खू पर 4, केरल के पी. विजयन पर 2, सिक्किम के पीएस तमांग, भगवंत मान, मोहन मांझी और भजनलाल पर एक-एक केस चल रहा है। पार्टिवार स्थिति कुछ ऐसी है भाजपा के 336 मंत्रियों में से 136 (40 प्रतिशत) पर आपराधिक केस हैं। वहीं 88 (26 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 61 मंत्रियों में से 45 (74 प्रतिशत) पर केस हैं, 18 (30 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। डीएमके के 31 में से 27 (87 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं, 14 (48 प्रतिशत) पर गंभीर केस हैं। टीएमसी के 40 में से 13 (33 प्रतिशत) पर केस हैं, 8 (20 प्रतिशत) पर गंभीर आरोप हैं। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के 23 में से 22 (96 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं। इनमें से 13 (57 प्रतिशत) पर गंभीर केस हैं। आम आदमी पार्टी के 16 में से 11 (69 प्रतिशत) मंत्री आरोपी हैं, 5 (31 प्रतिशत) पर गंभीर केंस हैं। दुखद पहलु तो यह है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। वास्तव में देश में कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसमें आपराधिक दाग वाले नेता न हों। आपराधिक मामलों के आंकड़े यह साफ बताते हैं कि कथित साफ छवि का दावा करने वाले में राजनीतिक दल भी अपने नेताओं पर लगने वाले दाग को गंभीरता से नहीं लेते। वे अगर सबसे पहले कुछ देखते हैं तो यह कि कौन आदमी यह सीट निकाल सकता है भले ही उसकी छवि कुछ भी हो। बहरहाल, एडीआर ने मंत्रियों की औसत संपत्ति के भी दिलचस्प आंकड़े पेश किए हैं कर्नाटक में सबसे अधिक आठ अरबपति मंत्री हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में अमीर नेताओं की संख्या समय के साथ बढ़ती चली जाएगी। यही नहीं चुनाव लड़ना भी महंगा होता जा रहा है। चुनाव लड़ना साधारण व्यक्ति की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। यही वजह है कि ईमानदार, कम साधनों वाले अब विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना भी नहीं देख सकते और यह हाल सब पार्टियों का है। इसीलिए कहता हूं कि इस हमाम में सब नंगे हैं।
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 9 September 2025
चीन से है सबसे बड़ी चुनौती
जब से प्रधानमंत्री एससीओ के लिए चीन की राजधानी बीजिंग गए हैं तब से पूरे देश में एक बार फिर हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे सुनाई देने लगे हैं। हालांकि ट्रंप के दो दिन पहले दिए बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ से फिर देश में असमंजस की स्थिति बन गई है। भक्तों को समझ नहीं आ रहा की ट्रंप की जय-जय करें या शी जिनपिंग की? हमारा मानना है कि चीन कभी भी भारत का भरोसेमंद दोस्त नहीं हो सकता। इस बीच भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) का एक ताजा बयान आया है। जनरल अनिल चौहान ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कार्पाम को संबोधित करते हुए कहा कि चीन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है और पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा छद्म युद्ध तथा हजारों जख्मों से भारत को लहूलुहान करने की उसकी नीति दूसरी सबसे गंभीर चुनौती है। जनरल चौहान ने इस साल मई में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर का भी पा किया और कहा है कि सेना ने इस दौरान आतंकी शिविरों को तबाह किया था। इस ऑपरेशन में सेना को फैसला लेने की पूरी आजादी थी। जनरल चौहान ने ये टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब हाल में चीन के तियानजिन शहर में हुए एससीओ सम्मेलन में भारत और चीन के रिश्तों में गर्माहट के संकेत मिलने की बात की जा रही है। इस सम्मेलन में पाकिस्तान ने भी हिस्सा लिया था। इसी साल जुलाई महीने में भारतीय सेना के डिप्टी चीफ राहुल सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने भारत की मिलिट्री तैनाती पर नजर रखने के लिए अपने सैटेलाइट का इस्तेमाल किया और पाकिस्तान को इसकी रियल टाइम जानकारी दी थी। यह भी दावा किया गया कि भारतीय सेना सिर्फ पाकिस्तान से नहीं लड़ रही थी, पाकिस्तान तो मुखौटा था, पीछे खड़ा था चीन। हम पाकिस्तान और चीन दोनों से लड़ रहे थे। चीन ने पाकिस्तान को हर तरह के सैन्य उपाम, हथियार मुहैया कराए। कहा जा रहा है कि 80 फीसदी पाकिस्तान के पास जो हथियार हैं वह चीन द्वारा दिए गए हैं। इनमें वे फाइटर और भी हैं जिनको लेकर पाकिस्तान दावा कर रहा है कि उसने भारतीय जेट विमानों को गिराया है। जनरल चौहान ने कहा कि देश के सामने आने वाली चुनौतियां अस्थायी नहीं होती, बल्कि वे अलग-अलग रूपों में बनती है। मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी बनी रहेगी। दूसरी बड़ी चुनौती है पाकिस्तान का भारत के खिलाफ प्राक्सी वॉर जिस की रणनीति है हजार जख्म देकर भारत को कमजोर करना। उधर आर्मी के डिप्टी चीफ ने भी ऑपरेशन सिंदूर में चीन और पाकिस्तान के भारत के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही थी। भारत-पाक सैन्य संघर्ष को चीन ने एक लाइव लैब की तरह इस्तेमाल किया था। वे देख रहा था कि पाक को दिए गए उसके हथियार कैसे काम कर रहे हैं? चीन को चुनौती बताने वाले जनरल चौहान का बयान ऐसे समय में आया है। जब भारत के खिलाफ ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का चीन ने विरोध किया है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन भारत के साथ संतुलन बनाए रखना अमेरिकी दबाव के खिलाफ एक ढाल का काम कर सकता है और नई दिल्ली को पूरी तरह वाशिंगटन के रणनीतिक घेरे में जाने से रोक सकता है। यह तात्कालिक हितों का मेल है, कोई गहरा रणनीतिक गठबंधन नहीं, लेकिन दोनों पक्षों के लिए तनाव कम करने का अवसर जरूर है। प्रधानमंत्री मोदी ने सात साल बाद चीन का दौरा किया और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पिछले दस महीनों में पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी। हालांकि बर्फ तो पिघली है पर हम इन संबंधों को संकीर्ण लेन-देन वाले नजरिए से देखते हैं। इनके बावजूद यह संबंध विरोधाभास से मुक्त नहीं हैं। चीन पाकिस्तान के साथ अपने गहरे सैन्य और परमाणु सहयोग को बनाए हुए है। ब्रह्मपुत्र पर चीन का विशाल बांध निर्माण और अक्साईचिन से होकर गुजरने वाली नई रेल लाइन भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है। शंघाई सहयोग संगठन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर बीजिंग ने जम्मू-कश्मीर में हुए हमलों की निंदा वाले बयानों को रोक दिया पर ब्लूचिस्तान हिंसा को प्रमुखता से रखा। इन कदमों से स्पष्ट है कि चीन का मौजूदा रूप सामरिक अवसरवाद पर आधारित है। जिसे भारत-अमेरिका के बीच हालिया तनाव ने बढ़ावा दिया है। चीन भले ही भारत से रिश्ते सुधारने की बात कहे लेकिन उसने अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान का हाथ नहीं छोड़ा है। यह इस बात से समझा जा सकता है कि दोनों देशों ने 8.5 अरब अमेरिकी डालर के 21 समझौतों व संयुक्त उद्यमों पर कुछ दिन पहले ही हस्ताक्षर किए हैं। इसमें चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत शामिल है। पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की चीन यात्रा के अंतिम दिन गुरुवार को बीजिंग में इन समझौता पर हस्ताक्षर किए गए।
-अनिल नरेन्द्र
Saturday, 6 September 2025
प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा
वैज्ञानिक बार-बार चेता रहे थे कि प्रकृति से इतनी छेड़छाड़ न करो पर मनुष्य इस चेतावनी को नजरअंदाज करता चला गया। नतीजा सामने है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भारी परिवर्तन आया है। उत्तर भारत में सितम्बर में भी बाढ़-बारिश और भूस्खलन का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से पंजाब और दिल्ली तक कई इलाके बाढ़ से बेहाल हैं। हिमाचल में भूस्खलन की अलग-अलग घटनाओं में कई लोगों की मौत हुई है। कई घायल हैं और कई लापता। पंजाब के सभी 23 जिलों में 1200 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। 3.75 लाख एकड़ कृfिष भूमि खासकर धान के खेत पानी में डूब गए हैं। फिरोजपुर मंडल में 16 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। हिमाचल में रायपुर में चलती बस पर चट्टान गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। बिलासपुर में 9 घर ढह गए हैं। मृतकों की संख्या 7 हो गई है। कुल्लू में दो लोग मलबे में दब गए। 7 नेशनल हाईवे समेत 1,155 सड़कें, 2,477 बिजली ट्रांसफार्मर और 720 पेयजल योजनाएं ठप रही। वहीं छत्तीसगढ़ व बलरामपुर जिले में बांध का एक हिस्सा टूटने से आई बाढ़ में 4 लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो महिलाएं थीं। माता वैष्णो देवी के ट्रैक पर बुधवार को फिर भूस्खलन हुआ, लेकिन यात्रा बंद रहने से बड़ा हादसा टल गया। जम्मू-कश्मीर में राजौरी जिले के सुंदर बनी तहसील में मकान गिरने से मां-बेटी की मौत हो गई। पंजाब में दर्जनों पशु पानी में बह गए। पंजाब में बारिश का कहर जारी है। राज्य इस समय 1988 के बाद की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं, जिनमें गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर शामिल हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने सीएम भागवत मान से जानकारी ली है। पाकिस्तान के पंजाब में बाढ़ से प्रभावित करतारपुर कॉरिडोर परिसर अब भी श्रद्धालुओं के लिए बंद है। गुरुद्वारा दरबार साहिब में सेना और सिविल प्रशासन बहाली कार्य में जुटे हैं। अत्यंत दुख की बात है कि इस समय लगभग सारी यात्राएं बाढ़ के कारण बंद हैं। केदारनाथ धाम बंद, बद्रीनाथ धाम बंद, माता वैष्णो देवी धाम बंद, ऋfिषकेश के घाट बंद, किन्नर कैलाश बंद, अमरनाथ यात्रा बंद ये सब यात्रा है जहां जाकर साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं। कुछ तो गलती कर रहे हैं इंसान की भगवान भी मुंह मोड़ रहे हैं। इस जगह को पर्यटक स्थल न बनाएं। सिर्फ भfिक्त के लिए ही जाएं। बहुत कुछ संकेत प्रकृति हमको दे रही है। अगर अब भी नहीं चेते तो यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रकृति ऐसा बदला लेगी कि लोग भूल नहीं सकेंगे। ट्रेलर तो देखने को मिल ही रहा है। यह बताना भी जरूरी है कि इस समय देश में कई नदियां उफान पर हैं। इसके अलावा 21 जगहें पर बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। 33 जगहें पर नदियों का जलस्तर सामान्य से ऊपर चल रहा है। सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 गंभीर बाढ़ प्रभावित स्थानों में से 9 बिहार में, 8 उत्तर प्रदेश में और एक-एक दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और झारखंड में है। वहीं व्यास, सतलुज, चिनाव, रावी, अलकनंदा और भागीरथी नदियों में जलस्तर अचानक बढ़ने की आशंका है। इस बार बारिश सिर्फ पर्वतीय राज्यों तक सीमित नहीं है इस बार मैदानी राज्यों में भी कहर ढा रही है। इसका कारण सिर्फ ज्यादा वर्षा होना नहीं है, इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि कमजोर आधारभूत ढांचे का निर्माण और जल निकासी के उपयुक्त उपाय न होना भी है। यही कारण है कि नए पुल, नई बनी सड़के भी बाढ़ के कारण ताश के पत्तों की तरह ढह रही है। स्थिति यह है कि महानगर तक की सड़कें यहां तक कि एक्सप्रेसवे और हाईवे तक में जल निकासी के पर्याप्त इंतजाम नदारद हैं। बाढ़ के बाद डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। फिलहाल संकट से निपटने के लिए जिन तत्कालिक उपायों की जरूरत हैं, उन पर तो सरकार ध्यान देगी ही, हैरत की बात तो अलबत्ता यह है हर साल बारिश के मौसम में ऐसी ही स्थिति खड़ी होने पर भी हम खुद को वहीं के वहीं खड़े पाते हैं। हमें यह समझना होगा कि प्रकृति के साथ समंजस्य बनाए बगैर हम ऐसी आपदाओं को बार-बार झेलने के लिए मजबूर होंगे।
-अनिल नरेन्द्र
Thursday, 4 September 2025
क्या उपराष्ट्रपति चुनाव परिणाम चौंका सकते हैं?
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, इस पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए के प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने प्रचार तेज कर fिदया है। 2017 एवं 2022 उपराष्ट्रपति चुनाव के समय भाजपा को लोकसभा में स्वयं बहुमत प्राप्त था। इस समय लोकसभा में वह बहुमतविहीन है लेकिन राजग को बहुमत प्राप्त है। दोनों सदनों के अंकगणित को देखें तो लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं। कुल उपराष्ट्रपति चुनाव में संख्या हुई 782। दोनों सदनों में इंडिया गठबंधन सांसदों की संख्या 422 है। इनके अनुसार सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना प्राय निश्चित है, विपक्ष को भी पता है कि लोकसभा एवं राज्यसभा की संख्या बल के आधार पर उसके उम्मीदवार को जिताना अंसभव है। उम्मीदवारों के पीछे की रणनीति उनकी योग्यताएं और संदेशों को समझने के पूर्व ध्यान रखना आवश्यक है कि यह एक अभूतपूर्व चुनाव है। जिन परिस्थितियों में जगदीप धनखड़ ने त्यागपत्र दिया वैसा पहले कभी नहीं हुआ। चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं इसलिए उस स्थान को ज्यादा समय तक खाली नहीं छोड़ा जा सकता। सीपी राधाकृष्णन कभी भी विवादों में नहीं रहे। राधाकृष्णन कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर रहे हैं और संघ के करीबी माने जाते हैं। लगातार जनता के बीच रहने के बावजूद किसी तरह का राजनीतिक विवाद न होना उनकी विवेकशीलता का प्रमाण है। दूसरी ओर सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश और गुवाहटी हाईकोर्ट में न्यायाधीश तथा उसके बाद 2007 से 2011 तक उच्चतम न्यायालय के जज रह चुके हैं और उनके वर्तमान तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने जब सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, जातीय सर्वेक्षण करवाया तो उसकी रिपोर्ट के लिए सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता में ही एक समिति बनाई थी। इस तरह कांग्रेस के साथ उनका संपर्क बना हुआ था। हालांकि जब वे गोवा के लोकायुक्त थे तब कांग्रेस ने इनका विरोध किया था। उस समय उनकी नियुक्ति भाजपा सरकार की ओर से की गई थी और इसलिए कांग्रेस ने उन्हें पक्षपाती माना था। छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा के विरुद्ध जनता के सलवाजुडूम संघर्ष को उन्होंने असंवैधानिक करार दिया था ऐसा कहना केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का है। हालांकि जस्टिस रेड्डी ने दो टूक जवाब fिदया कि यह फैसला मेरा नहीं था। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का था। यह मानना पड़ेगा कि श्री सुदर्शन रेड्डी जबरदस्त चुनावी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने बहुत से सांसदों से सीधा संपर्क किया है। यहां तक कहा है कि मुझे भाजपा सांसदों से भी समर्थन करने की अपील करने में कोई मुश्किल नहीं है। वह कहते हैं कि लड़ाई सिर्फ एक पद के लिए नहीं है बल्कि यह लड़ाई संविधान बचाने की है। देश में लोकतंत्र बचाने की है, चूंकि वह सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं इसलिए वह संविधान को समझते हैं, कानूनों को समझते हैं। वह कहते हैं मैं गैर राजनीतिक हूं इसलिए मैं सभी से अपील कर सकता हूं। चुनाव प्रचार चरम सीमा पर है। 9 सितम्बर को होने वाले इस चुनाव में जहां एक तरफ एनडीए ने अनुभवी नेता और पूर्व राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्ष ने एक चौंकाने वाला दांव चला है। इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर इस चुनाव को सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं बल्कि संविधान बनाम विचारधारा की लड़ाई बना दिया है। भले ही संसद में एनडीए के पास संख्याबल ज्यादा हो, लेकिन विपक्ष भी अपना साझा उम्मीदवार उतारकर इस चुनाव को दिलचस्प बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जस्टिस सुदर्शन रेड्डी ने सीपीआई (एम) नेताओं से मुलाकात की और समर्थन मांगा। चूंकि वह मूल रूप से आंध्र प्रदेश से हैं इसलिए एनडीए को डर है कि कहीं चंद्रबाबू नायडू गुप्त रूप से उनका समर्थन न कर दें। बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में गुप्त मतदान होता है, इससे पता नहीं चलता कि किसने किसको वोट दिया है। चूंकि वह तेलुगू भाषा क्षेत्र से हैं इसलिए तेलुगू प्राइड भी मुद्दा बन सकता है और अगर यह बना तो क्रास वोटिंग संभव हो सकती है। उधर सोशल मीडिया में भी यह खबर चल रही है कि कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी एक्टिव हो गए हैं और तमाम दक्षिण भारत के सांसदों से समर्थन साध रहे हैं और रेड्डी का समर्थन मांग रहे हैं। जस्टिस सुदर्शन रेड्डी ने कहा है कि उन्हें खुशी है कि न सिर्फ इडिया गठबंधन बल्कि उससे बाहर के लोग भी उनका समर्थन करने के लिए आगे आ रहे हैं, कुल मिलाकर आंकड़ों के हिसाब से तो विपक्ष की जीत भले ही मुश्किल हो, लेकिन वे इसे एक राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि 2029 के लोकसभा चुनाव और अगले दो सालों में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए एक मजबूत नींव रखी जा सके। अब देखना यह होगा कि क्या इस चुनाव में कोई चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं?
-अनिल नरेन्द्र
Tuesday, 2 September 2025
क्या-क्या बोले सरसंघ चालक मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 से 28 अगस्त तक तीन दिवसीय कार्पाम आयोजित हुआ। मोहन भागवत ने देश में रोजगार परिदृश्य, संस्कृत की अनिवार्यता, भारत की अखंडता, हिन्दू-मुस्लिम एकता सहित कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात कही। मैं यहां पर सरसंघचालक द्वारा प्रमुख मुद्दों और उनके जवाबों को प्रस्तुत कर रहा हूं। पाठक स्वयं फैसला कर लें कि मोहन भागवत जी के विचार क्या हैं? उन्होंने कहा, हमारे हिन्दुस्तान का प्रयोजन विश्व कल्याण है। दिखते सब अलग-अलग हैं लेकिन सब एक हैं। दुनिया अपनेपन से चलती है, यह सौदे पर नहीं चल सकती है। धर्म की रक्षा करने से सृष्टि ठीक चलती है क्योंकि जड़वाद बढ़ा और गति पर पहुंच गया, व्यक्तिवाद बढ़ा और अति पर पहुंच गया। 75 साल के बाद क्या राजनीति से रिटायर हो जाना चाहिए? इस सवाल के जवाब में मोहन भागवत ने कहा, मैंने ये बात मोरोपंत जी के बयान का हवाला देते हुए उनके विचार रखे थे। मैंने ये नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर होना चाहिए....हम जिंदगी में किसी भी समय रिटायर होने के लिए तैयार हैं और संघ हमसे जिस भी समय तक काम कराना चाहेगा, हम संघ के लिए उस समय तक काम करने के लिए भी तैयार हैं। भाजपा और संघ के बीच संबंधों पर भागवत ने कहा, सिर्फ इस सरकार के साथ नहीं, हर सरकार के साथ हमारा अच्छा संबंध रहा है...कहीं कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने कहा, मतभेद के मुद्दे कभी नहीं होते। हमारे यहां विचारों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद बिल्कुल नहीं है। क्या भाजपा सरकार में सब कुछ संघ तय करता है? यह पूरी तरह गलत बात है। मैं कई सालों से संघ चला रहा हूं, वे सरकार चला रहे हैं, सलाह दे सकते हैं लेकिन उस क्षेत्र में फैसला उनका है और इस क्षेत्र में हमारा। जब सवाल पूछा गया कि भाजपा अध्यक्ष चुनने में इतना समय क्यों लग रहा है तो भागवत ने जवाब दिया, हम तय करते तो इतना समय लगता क्या? हम तय नहीं करते। कुछ पार्टियों के संघ विरोध पर भागरत ने कहा, परिवर्तन होते हुए भी हमने देखा है। 1948 में जयप्रकाश बाबू हाथ में जलती मशाल लेकर संघ का कार्यालय जलाने चले थे...बाद में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने कहा कि परिवर्तन की आशा आप लोगों से ही है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर प्रणब मुखर्जी का पा करते हुए कहा कि वे संघ के आयोजन में आए। उन्होंने अपने मत नहीं बदले, लेकिन संघ के बारे में जो गलत फहमियां थीं वो दूर हुईं। तीन बच्चे होने चाहिए ः भागवत ने कहा कि भारत के हर नागरिक के तीन-तीन बच्चे होने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रित रहे और पर्याप्त रहे। इस लिहाज से तीन ही बच्चे होने चाहिए, तीन से ज्यादा नहीं होने चाहिए। जन्म दर हर किसी की तय हो। इसलिए भारत के हर नागरिक को चाहिए कि उनके घर में तीन बच्चे हों। जन्म दर हर किसी की कम हो रही है। हिन्दुओं की पहले से ही कम थी तो ज्यादा कम हो रही है लेकिन दूसरे समुदायों की उतनी कम नहीं थी तो अब उनकी भी कम हो रही है। श्री भागवत जी ने कहा, बाहर से भी जो विचारधारा आई वह आाढामण के कारण आई, वहीं के लोगों ने उनको स्वीकार किया, लेकिन हमारा मत तो सबको स्वीकार करने का है। जो दूरियां बनी हैं उसको पाटने के लिए दोनों तरफ से प्रयास की जरूरत है। ये सद्भावना और सकारात्मकता के लिए अत्यन्त आवश्यक है, जिसे देश को राष्ट्रीय स्तर पर करना पड़ेगा। सरसंघ प्रमुख ने कहा हमारे हिन्दुस्तान का प्रयोजन विश्व कल्याण है। भारत में जितना बुरा दिखता है उससे 40 गुना ज्यादा समाज में अच्छा है। हमको समाज के कोने-कोने तक पहुंचाना पड़ेगा। कोई व्यक्ति बाकी नहीं रहे। समाज के सभी वर्गों में और सभी स्तरों में जाना पड़ेगा। गरीब से नीचे से लेकर अमीर तक के ऊपर तक संघ को पहुंचाना पड़ेगा। ये जल्दी से जल्दी करना पड़ेगा। जिससे सब लोग मिलकर समाज परिवर्तन के काम में लग जाएं। पर्यावरण में पानी बचाओ, सिंगल यूज प्लास्टिक हटाओ और तीसरा पेड़ लगाओ। इसके अलावा सामाजिक समरसता को लेकर काम करना होगा। मनुष्य को लेकर हम जाति के बारे में सोचने लगते हैं। इसको मन से खत्म करना होगा। मंदिर, पानी, श्मशान सबके लिए हैं। उसमें भेद नहीं होना चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर होना जरूरी है। स्वदेशी की बात का मतलब विदेशों से संबंध नहीं होंगे ऐसा नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय संबंध और व्यापार चलते रहेंगे, लेकिन इसमें दबाव नहीं होना चाहिए बल्कि स्वेच्छा होनी चाहिए। अंत में भागवत ने कहा नींबू की शिकंजी पी सकते हैं तो कोका कोला और सप्राइट क्यों चाहिए। घर पर अच्छा खाना खाओ, बाहर से पिज्जा की क्या जररूत है?
-अनिल नरेन्द्र