Thursday, 11 December 2025

हुमायूं ने रखी बाबरी मस्जिद की नींव


पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेजीनगर में शनिवार को बाबरी जैसी मस्जिद की बुनियाद रखी गई। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने (6 दिसंबर, 1992) की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में तमाम मौलवी मौजूद रहे। बाबरी मस्जिद बनवाने के ऐलान के कारण तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने इसका शिलान्यास किया। उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले में बेलडांगा से सटे इलाके में सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटकर मस्जिद की नींव रखी। हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर सीट से विधायक हैं। वह पिछले कई दिनों से दावा करते रहे हैं कि 6 दिसम्बर को वे भरतपुर के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनवाने के लिए नींव रखेंगे। उनके समर्थक और अन्य लोग सुबह से ही सिर पर ईंट रखकर निर्माण स्थल पहुंचने लगे थे। हुमायूं कबीर ने निर्माण स्थल से एक किलोमीटर दूर बने मंच पर मौलवियों की मौजूदगी में फीता काटा, समारोह के दौरान अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए गए। इस मौके पर सऊदी अरब के धार्मिक नेता भी मंच पर मौजूद थे। इस दौरान सांप्रदायिक तनाव की आशंकाओं को देखते हुए रेजीनगर और नजदीकी बेलडांगा इलाके में पुलिस, आरएएफ और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई थी जिन्होंने इलाके में फ्लैग मार्च भी किया। नींव रखने के बाद समाचार एजेंसी से बातचीत में हुमायूं कबीर ने कहा, एक साल पहले मैंने ऐलान किया था कि मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में एक नायाब बाबरी मस्जिद का निर्माण होगा। मस्जिद के साथ-साथ इस्लामिया हॉस्पिटल, मेडिकल कालेज, होटल-रेस्टोरेंट, पार्क और हैलीपेड बनाने की योजना है। यह 300 करोड़ का प्रोजेक्ट है। इस मस्जिद की नींव रखे जाने से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, मुख्यमंत्री ममता बनजी राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिमों के ध्रुवीकरण के लिए इस विधायक का इस्तेमाल कर रही हैं। वह आग से खेल रही हैं। उन्होंने कहा कि बेलडांगा से आ रही रिपोर्टें ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। मालवीय ने दावा किया कि कबीर के समर्थकों को इस ढांचे के निर्माण के लिए ईंट ले जाते हुए देखा गया जिसे उन्होंने बाबरी मस्जिद बताया। वहीं टीएमसी नेता सिमोनी घोष ने कहा, भाजपा को हमारा एक ही संदेश है कि खेला होवे। 2026 में ममता बनजी चौथी बार बंगाल की सत्ता संभालेंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनता उनके साथ है और वह अब तक के सबसे बड़े जनादेश में से एक के साथ जीत हासिल करने जा रही हैं। उन्होंने कहा, कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर इसके पीछे किसी की मंशा यहां धार्मिक अशांति फैलाने की है तो सब जानते हैं कि उन्हें भाजपा से फंडिंग मिल रही है और भाजपा उन्हें बंगाल में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए उकसा रही है। 62 साल के हुमायूं कबीर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद एक साल बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2015 में कबीर को टीएमसी से बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनजी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राजा बनाना चाहती हैं। भाजपा नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति बताते हुए हुमायूं कबीर की गिरफ्तारी तक की मांग कर डाली है। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता 15 वर्षें से तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति करती रही हैं। अगर सच में नहीं चाहती कि बाबरी मस्जिद बने तो उन्हें हुमायूं कबीर को गिरफ्तार करना चाहिए था। टीएमसी ने जवाब में कबीर पर भाजपा-आरएसएस के साथ मिलीभगत करके अशांति पैदा करने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं रोज नई-नई बातें सुनने को मिलेंगी।
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 9 December 2025

क्या यह संकट जानबूझकर बनाया गया?


देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले कुछ दिनों से भारी अव्यवस्था का सामना कर रही है। एक और उड़ानों का बड़े पैमाने पर रद्द होना तो दूसरी ओर आसमान छूते किराए ने यात्रियों की नाक में दम कर दिया है। एयरलाइन्स ने जिम्मेदारी नए एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियमों पर डाली, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो के पास तैयारी के लिए पर्याप्त समय था। इस कारण यह आरोप भी गंभीर हो गया है कि एयरलाइन ने नियमों में ढील पाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का रास्ता चुना। एविएशन विशेषज्ञों के अनुसार इस संकट की जड़ जनवरी 2024 में दायर उस याचिका में है जिसमें पायलट यूनियन ने दिल्ली हाईकोर्ट के सामने थकान और लम्बी ड्यूटी को गंभीर सुरक्षा जोखिम बताया था। कोर्ट के निर्देश के बाद डीजीसीए ने एफडीटीएल नियमों में बदलाव किए और उन्हें एक जुलाई 2025 से लागू कर दिया। इन नियमों में पायलटों को साप्ताहिक 36 घंटे की बजाए 48 घंटे का अनिवार्य आराम दिया और किसी भी छुट्टी को वीकली रेस्ट मानने पर रोक लगा दी। नवम्बर 2025 में इनका दूसरा चरण लागू हुआ, जिसमें लगातार नाइट शिफ्ट पर बड़ी पाबंदी लगा दी गई। इन्हीं बदलावों का असर इंडिगो पर सबसे अधिक पड़ा। 2 दिसम्बर को दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर उड़ाने अनियमित होना शुरू हुईं और ऑन टाइम परफॉर्मेंस (ओटीपी) गिरकर 35 प्रतिशत पर आ गया। 3 दिसम्बर को यह स्थिति और बिगड़ी और ऑन टाइम परफॉर्मेंस 19.7 प्रतिशत तक गिर गया। 4 दिसम्बर को हालात लगभग ठप हो गए। करीब 800 उड़ानें रद्द करनी पड़ी और ओटीपी सिर्फ 8.5 प्रतिशत पर रह गया। कई रूट्स पर टिकट का किराया 10,000 से बढ़कर 40,000-50,000 तक देखा गया। क्या यह समस्या मोनोपॉली की वजह से हुई? साल 2006 के अगस्त में दिल्ली-मुंबई के बीच उड़ान से शुरू हुई इंडिगो की कहानी इस मोड़ पर आ जाएगी तब राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, जिन्होंने 2005 में इंडिगो के मालिक इंटर ग्लोबल एंटरप्राइजेस की नींव रखी थी। आज भारत के विभिन्न बाजार में इंडिगो सबसे बड़ी खिलाड़ी है और इसके पास करीब 64 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अब यही बढ़ा कद उसकी हजारों उड़ाने कैंसल होने और यात्रियों को हुई बेशुमार दिक्कतों के चलते सवालों के घेरे में हैं। संसद में भी इंडिगो की कथित मोनोपॉली यानि एकाधिकार पर सवाल उठे। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि इस संकट के लिए केंद्र का मोनोपॉली मॉडल जिम्मेदार है। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि जो कुछ हुआ यह जानबूझ कर किया गया या बनाया गया। इस संकट से यह साबित होता है कि एक मोनोपॉली कंपनी जब चाहे देश को अपनी उंगलियों पर से नचा सकती है। सरकार ने एयर इंडिया को पीछे धकेल कर इंडिगो को एकाधिकार दिया जिससे वह विमानन क्षेत्र में मनमर्जी कर सके। जो कुछ हुआ है उससे यह छवि बनी है कि कोई एक बड़ी कंपनी भारत के विमानन नियमों में बदलाव करा सकती है। लिहाजा इस घटना से किसी एक कंपनी नहीं, बल्कि देश के पूरे विमानन क्षेत्र की साख पर आंच आई है। एविएशन सेफ्टी फर्म कंसलिटिंग के सीईओ मार्क डी. मार्टिन ने कहाöएकाधिकार बड़ी वजह है। जिस तरह से यह मामला हुआ है उससे दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारत में एविएशन रेगुलेशन में दम नहीं है।
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 6 December 2025

इमरान खान जिंदा हैं


जी हां, इमरान खान जिंदा है, यह दावा किया है इमरान खान की बहन उजमा खान ने। बता दें कि पिछले कई दिनों से यह आशंका जताई जा रही थी कि इमरान खान की जेल में हत्या कर दी गई है और इसे छिपाया जा रहा है। इमरान के परिवार ने दावा किया था कि अडियाला जेल में लगभग एक महीने से बंद पूर्व प्रधानमंत्री और उनके भाई इमरान खान को किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। आखिरकार इमरान के परिवार और समर्थकों के बढ़ते दबाव की वजह से इमरान की बहन को उनको अपने भाई से जेल के अंदर मिलने की इजाजत दे दी गई। पीटीआई के एक प्रवक्ता और अडियाला जेल के एक अधिकारी ने बीबीसी को पुष्टि की कि उजमा खान को इमरान खान से मिलने की इजाजत मिल गई है। मंगलवार को तब इमरान की तीन बहनें अलीमा खान, नौरीन खान और उजमा खान मुलाकात के लिए अडियाला जेल के बाहर पहुंची तो वहां तैनात पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया था। हालांकि कुछ देर बाद जेल अधिकारियों ने एक अधिकारी को इमरान की बहनों के पास भेजा और मैसेज दिया कि मुलाकात के लिए उजमा खान के नाम पर सहमति बन गई है। अडियाला जेल में 20 मिनट की इमरान से मुलाकात के बाद उजमा जब बाहर आईं तो उन्होंने पत्रकारों से अपने भाई के हाल के बारे में बताया। उजमा खान ने बताया कि वो (इमरान) बड़े गुस्से में थे और कह रहे थे कि हमें ये मेंटल टॉर्चर कर रहे हैं, सारे दिन कमरे में बंद रखते हैं और थोड़ी देर के लिए बाहर जाने देते हैं। किसी से कोई बातचीत की इजाजत नहीं है। जो सब कुछ हो रहा है, उसके लिए आसिम मुनीर जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही उजमा खान ने बताया कि उनकी बस 20 मिनट के लिए बातचीत हो पाई और उनकी (इमरान) सेहत बिल्कुल ठीक है। इससे पहले उनके परिवार ने दावा किया था कि उन्हें लगभग एक महीने से पूर्व प्रधानमंत्री से मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी। सरकारी अधिकारी नहीं चाहते कि इमरान खान का कोई भी संदेश जेल से बाहर आए। बीबीसी से एक इंटरव्यू में इमरान की बहन नौरीन खान ने आरोप लगाया कि उन्हें (सरकारी अधिकारियों को) बस इस बात की चिंता है कि इमरान की बातें बाहर बताई जा रही हैं, इसलिए उन्होंने मिलना-जुलना पूरी तरह से बंद कर दिया है। इमरान की बहनों का कहना है कि पहले वे कोर्ट के आदेश के अनुसार हर मंगलवार को अपने भाई से मिलने जाती थीं। लेकिन इमरान से उनकी आखिरी मुलाकात 4 नवम्बर को हुई थी नौरीन खान ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सरकार और एस्टैब्लिशमेंट इमरान खान से 9 मई की जिम्मेदारी कुबूल करे कि 9 मई की तोड़-फोड़ को उन्होंने ही करवाया था। उन्होंने ही अपने लोगों को गोली मारी। नौरीन खान के मुताबिक इमरान ने जवाब दिया था कि आप सीसीटीवी फुटेज निकाल लें, कैंटोनमेंट के अंदर चेकपोस्ट है, आमी की नजर में आए बिना या कैमरे में कैद हुए बिना कोई भी यहां अंदर नहीं जा सकता। परिवार से मिलने की इजाजत न मिलने की खबरों पर जेल अधिकारियों की तरफ से तो कोई साफ बयान जारी नहीं किया गया। पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के राजनीतिक मामलों के सलाहाकार (राणा सनाउल्लाह खान) ने आरोप लगाया है कि इमरान खान जेल में बैठकर अराजकता और अव्यवस्था फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने शमा टीवी के एक प्रोग्राम में माना कि कानून एक कैदी को उसके परिवार और वकीलों से मिलने की इजाजत तो देता है लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जहां यह नहीं लिखा है कि किसी कैदी को सरकार के खिलाफ अराजकता, देशद्रोह, अव्यवस्था, आंदोलन या आगजनी करने की इजाजत दे। उधर नौरीन खान ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर उन्होंने इमरान खान के साथ कुछ किया तो याद रखें कि वे न पाकिस्तान में रहने के काबिल होंगे और न दुनिया के किसी और कोने में।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 4 December 2025

पुतिन की यात्रा क्यों अहम है


रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसम्बर को भारतीय राजकीय दौरे पर आ रहे हैं। ये साल 2021 के बाद पहली बार होगा जब ब्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत में होंगे। भारत और रूस के बीच एक विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है। दोनों ही राष्ट्र कई अहम मौकों पर एक-दूसरे के साथ खड़े हुए नजर आए हैं। राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रूस अतिरिक्त एस-400 सिस्टम और सुखोई-57 लड़ाकू विमानों को लेकर रक्षा समझौते पर बात आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा रूस से कच्चे तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर भी वार्ता हो सकती है। राष्ट्रपति पुतिन की ये यात्रा रूस और भारत को परमाणु ऊर्जा, तकनीक और कारोबार के क्षेत्र में अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का मौका भी देगी। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चार साल बाद यह यात्रा हो रही है बल्कि इसलिए भी है कि लंबे समय से चले आ रहे वैश्विक संघर्ष और अमेरिकी टैरिफ के दबाव से खंडित हो रही वैश्विक भू-राजनीति में यह एक स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति के पक्ष में दोनों देशों का एक रणनीतिक दिशा भी तय कर सकती है। रूस के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने रूस के सरकारी टीवी से बात करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा पर जोर देते हुए कहा है कि ये यात्रा भव्य और कामयाब होगी। राष्ट्रपति पुतिन की ये भारत यात्रा भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का भी संकेत देती है। यूक्रेन युद्ध के बीच रूस को अलग-थलग करने के पश्चिमी देशों के दबाव को भारत टालता रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ भी लगाए हैं और प्रतिबंध भी लगाए हैं जिससे अमेरिका और भारत के संबंधों पर भी इनका असर पड़ा है। विश्लेषक भी मान रहे हैं कि पुतिन की ये यात्रा भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत कर सकती है और वैश्विक सुरक्षा को एक नया आकार भी दे सकती है। भारत और रूस के संबंध काफी पुराने हैं जो शीत युद्ध के समय से ही चले आ रहे हैं। भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े खरीददारों में से एक है और यह भी नहीं भूला जाना चाहिए कि रूसी एस-400 एयर डिफेंस प्रणाली ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लिए कितनी उपयोगी रही है। पूर्व राजनयिक मेजर जनरल (रिटायर्ड) मंजीत सिंह पुरी ने कहा, दुनिया के दो अहम देशों रूस और भारत का उच्चतम स्तर पर एक साथ आना खास तौर पर महत्वपूर्ण है। उन्होंने भी कहा कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूस से मिले हथियार खासकर एस-400 ने भारत के लिए अहम भूमिका निभाई। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने भारत को सस्ते तेल की आपूर्ति बताई जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को राहत मिली। भारत के कुल तेल आयात का 35 फीसदी रूस से होता है, लेकिन दो बड़ी रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत को भी इस खरीद में कमी लाने पर मजबूर किया है। लिहाजा ऊर्जा व्यापार के लिए एक स्थायी व स्थिर तंत्र को कायम करना भी इस मुलाकात में चर्चा का विषय हो सकता है, जिसकी अमेरिका पर नजर होगी। एक अमेरिकन विश्लेषक ने कहा कि भारत और रूस दोनों एक-दूसरे के करीब आए हैं क्योंकि दोनों ही अमेरिका से दबाव महसूस कर रहे है। चूंकि भारत-रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है और इस वजह से हाल के महीनों में भारत ट्रंप प्रशासन के निशाने पर है। भारत और अमेरिका के संबंधों में आई गिरावट के बीच भारत का रूस की तरफ से खुलकर हाथ बढ़ाना हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए। पुतिन की नई दिल्ली को इस यात्रा से भारत-रूस दोनों की तरफ से दुनिया को एक संदेश जरूर जाएगा कि दोनों के पास ही शक्तिशाली दोस्त हैं। भारत ने बदलती वैश्विक परिस्थितियों में समायोजित होने के लिए राष्ट्रीय हितों व जरूरतों को वैश्विक साझेदारियों का आधार बनाया है। ऐसे वक्त में जब विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर अग्रसर है। भारत को रूस के साथ गहरा सहयोग न केवल आर्थिक, रक्षा व सामरिक हितों को मजबूत करेगा बल्कि पूरे विश्व को राजनीति पर असर डाल सकता है। राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत है।
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 2 December 2025

चुनाव आयोग के हाथ खून से रंगे हैं।

यह कहना है तृणमूल कांग्रेस के उस प्रतिनिधिमंडल का जो चुनाव आयोग की पूरी बैंच के साथ दो दिन पहले मिला था। पश्चिम बंगाल में जारी वोटर लिस्ट में बदलाव की प्रािढया के बीच तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन के नेतृत्व में पार्टी के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से मुलाकात की। ओ ब्रायन ने मीटिंग के बाद कहा कि पार्टी ने चुनाव आयोग के सामने पांच सवाल उठाए, लेकिन चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार ने उनका कोई जवाब नहीं दिया। तृणमूल के सांसदों का कहना था कि यदि एसआईआर का उद्देश्य नकली वोटरों और घुसपैठियों का पता लगाना है तो फिर बंगाल ही क्यों? मेघालय और त्रिपुरा में क्यों नहीं? जबकि इन राज्यों की सीमाएं भी बांग्लादेश से मिलती हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस सांसदों को सुनने के बाद आयोग ने स्पष्ट किया कि एसआईआर सभी राज्यों में होना है। डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि हम इन एसआईआर की संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि उस तरीके पर सवाल उठा रहे हैं, जिस तरीके से जल्दबाजी में इसे लागू किया जा रहा है उस पर एतराज है। एसआईआर के लिए उन्होंने समय बढ़ाने के लिए भी मांग की। तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने जब पावार को चुनाव आयोग की पूरी पीठ से मुलाकात की तो उन्होंने खुलकर आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर के कारण कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त के हाथ खून से सने हैं। हमने 5 सवाल उठाए और चुनाव आयोग ने एक घंटे तक बिना रूके हमसे बात की। जब हम बोल रहे थे तब हमें भी नहीं टोका गया लेकिन हमारे पांच सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं मिला। लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलकर उन्हें 40 ऐसे लोगों की सूची सौंपी जिनकी मौत कथित तौर पर एसआईआर प्रािढया से जुड़ी थी। हालांकि उन्होंने कहा कि आयोग ने इन्हें केवल आरोपी कहकर खारिज कर दिया। सांसदों की चुनाव आयोग से करीब 40 मिनट में कल्याण बनर्जी, महुआ मोइत्रा और ममता बाला ठाकुर ने अपनी बात रखी और जो कहना था वो कहा। उन्होंने कहा, इसके बाद सीईसी ने एक घंटे तक बिना रूके बात की। जब हम बोल रहे थे तब हमें भी नहीं टोका गया, लेकिन हमें हमारे पांच सवालों में से किसी एक का भी जवाब नहीं मिला। एसआईआर के दूसरे चरण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। टीएमसी सांसदों के प्रश्नों का संतोषजनक जवाब न देना इस प्रािढया के औचित्य और उपलब्धता पर सवाल उठ रहा है। एसआईआर से जुड़े संदेहों का दूर न होना शुभ संकेत नहीं है। एसआईआर के राजनीतिक पहल को समझा जा सकता है। खासकर बंगाल में जहां भाजपा और तृणमूल की कड़ी टक्कर होने का अंदाजा है। लेकिन इससे जुड़ी चिंताओं को भी खारिज नहीं कर सकते। एसआईआर की प्रासंगिकता पर कोई सवाल नहीं है और न ही आयोग के अधिकार पर। सुप्रीम कोर्ट भी यह बात कह चुका है। लेकिन विपक्ष की चिंताओं को दूर करना भी आयोग की ही जिम्मेदारी है। विपक्ष को अगर लग रहा है कि उनकी बातों को अनसुना किया जा रहा है तो देश की इस संवैधानिक संस्था को न केवल इनका संतोषजनक जवाब देना होगा। बल्कि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव प्रािढया भी अपनानी होगी। 
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 29 November 2025

एक बार फिर चर्चा में अफगानिस्तान

पिछले कुछ दिनों से एक बार फिर अफगानिस्तान चर्चाओं में है। दो घटनाएं ऐसी हुई हैं जिन्होंने अफगानिस्तान को सुर्खियों में ला दिया है। पहली घटना अमेरिका की है। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में दिल दहलाने वाली घटना घटी। व्हाइट हाउस से कुछ ही दूरी पर बुधवार को दोपहर दो वेस्ट वजीनिया नेशनल गार्ड सदस्यों पर अचानक की गई गोलीबारी ने पूरे शहर को झकझोर दिया। व्हाइट हाउस में लॉकडाउन लग गया है। दोनों सैनिकों की दुखद मौत हो गई। वाशिंगटन की मेयर म्यूरियाल बाउजर ने इसे टारगेटिड शूटिंग बताया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हमलावर को जानवर बताते हुए अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है। यह गोलाबारी उस समय हुई जब गार्ड के सदस्य एक मेट्रो स्टेशन के पास तैनात थे। हमलावर अचानक मोड़ से आया और बिना किसी चेतावनी के गोली चलाने लगा। वहीं आसपास मौजूद अन्य सैनिकों ने तुरंत भागकर मौके पर पहुंचे और हमलावर को काबू कर लिया। गोली चलाने वाले का नाम रहमानुल्लाह लकनवाल (29 वर्ष) बताया गया है। यह अफगानिस्तान का नागरिक है जो 2021 में अमेरिका आया था। कहा जा रहा है कि यह अफगानिस्तान में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए भी काम कर चुका है। राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिटेन सरकार के तहत अमेरिका में आए अफगानिस्तान के हर नागरिक को फिर से जांच करने का भी वादा किया। ट्रंप ने फ्लोरिडा से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए हमलावर को चेतावनी देते हुए कहा कि वह बहुत बड़ी कीमत चुकाएगा। हमलावर ने हमला क्यों किया इसकी जानकारी अभी नहीं आई। पहली सुखी अफगानिस्तान की तब बनी जब व्हाइट हाउस के बाहर गोली चलाने वाला एक अफगानी निकला। दूसरी सुर्खी तब बनी जब तीन दिन पहले अफगानिस्तान के एक मीडिया चैनल ने यह खबर चलाई कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान की जेल में हत्या कर दी गई है। इस खबर के आते ही पाकिस्तान में आग लग गई। बता दें कि इमरान खान पिछले दो साल से रावलपिंडी की मटियाला जेल में भ्रष्टाचार के आरोपों में बंद हैं। इमरान खान की सुरक्षा को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। इस बीच बेटे कासिम खान ने भी अपने पिता की सुरक्षा को लेकर एक्स पर एक पोस्ट लिखी है। मेरे पिता 845 दिन से जेल में हैं। पिछले छह हफ्तों से उन्हें एक डेथ सेल में एकांत में रखा गया है। यहां किसी तरह की पारदर्शिता नहीं है। अदालत के स्पष्ट आदेश होने के बावजूद उनकी बहनों को हर मुलाकात से वंचित किया गया है। न कोई फोन, न कोई मुलाकात और न ही उनके जीवित होने का कोई सुबूत। मैं और मेरे भाई हम दोनों का अपने पिता से कोई संपर्क नहीं हुआ है। कासिम ने लिखा है, यह पूरी तरह से ब्लैकआउट कोई सुरक्षा प्रोटोकाल नहीं है, यह उनकी स्थिति को छिपाने और हमारे परिवार को यह जानने से रोकने का एक सोचा-समझा प्रयास है। मेरे पिता की सुरक्षा और इस अमानवीय एकांत केंद्र के हर नतीजे के लिए पाकिस्तानी सरकार को नोटिस और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह जवाबदेही ठहराया जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि इमरान की मौत महज एक अफवाह हो और वह जिंदा हों। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 27 November 2025

दबाव से बीएलओ की मौतों पर सवाल


देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के बीच बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) की मौत चिंता का कारण बन गई है। मध्य प्रदेश में 24 घंटों में 2 बीएलओ की मौत हो गई है। वहीं पिछले 4 दिनों में भोपाल के 50 से ज्यादा बीएलओ बीमार पड़े हैं। इनमें दो को हार्ट अटैक और एक को ब्रेन हैमरेज हुआ है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में एक महिला बीएलओ ने तो आत्महत्या ही कर ली। परिजनों ने ज्यादा काम के दबाव को मौत का कारण बताया। एसआईआर 4 नवम्बर को शुरू हुआ। तब से अब तक यानि 19 दिनों में 6 राज्यों में 16 लोगों की मौत हो गई है। गुजरात व मध्य प्रदेश में 4-4, पश्चिम बंगाल में 3, राजस्थान में 2, केरल व तमिलनाडु में 1-1 की जान गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन मौतों के लिए केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर को अव्यावहारिक बताते हुए इसे तुरन्त रोकने की मांग की है। कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी एक्स पर पोस्ट कर इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने लिखा  एसआईआर के नाम पर देशभर में अफरा-तफरी मचा रखी है नतीजा? तीन सालों में 16 बीएलओ की जान चली गई। हार्ट अटैक, तनाव, आत्महत्या एसआईआर में कोई सुधार नहीं। थोपा गया जुल्म है। उन्होंने आरोप लगाया, ईसीआई ने ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें नागरिक को खुद को तलाशने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्नों को पलटना पड़े, मकसद साफ है-सही मतदाता हारकर थक कर बैठ जाए और वोट चोरी बिना रोक-टोक जारी रहे। दूसरी ओर भाजपा ने इन मौतों के लिए तृणमूल कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के मुख्यालय कृष्णा नगर में बीएलओ के तौर पर काम करने वाली रिंकू नामक महिला शिक्षक ने शनिवार को आत्महत्या कर ली। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शव के पास बरामद एक सुसाइड नोट में रिंकू ने अपनी मौत के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए जिला चुनाव अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। पुलिस के मुताबिक रिंकू ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्होंने 95 फीसदी ऑफलाइन काम पूरा कर लिया है, लेकिन ऑनलाइन के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं है। सुपरवाइजर को इस बारे में बताने से भी कोई फायदा नहीं हुआ। इससे कुछ दिन पहले बर्धमान जिले के मेचारी में भी काम के कथित दबाव के कारण ब्रेन स्ट्रोक की वजह से नमिता हासंदा नाम का एक बीएलओ की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन घटनाओं पर दुख जताते हुए सवाल किया कि आखिर एसआईआर और कितने लोगों की जान लेगी? दूसरी ओर भाजपा और सीपीएम ने इन घटनाओं पर कहा था कि इनके लिए तृणमूल कांग्रेस खुद जिम्मेदार है। सीपीएम नेता और पार्टी के केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती का सवाल है कि आखिर काम के दौरान बीएलओ को जान क्यों गंवानी पड़ रही है? उनका कहना था चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से इंकार नहीं कर सकता। साथ ही राज्य सरकार को भी बीएलओ की मदद करनी चाहिए थी। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी और भाजपा इस प्रक्रिया का राजनीतिक फायदा उठाने में जुटी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में बीएलओ की मौतों और बीमारियों ने तृणमूल कांग्रेस को चुनाव आयोग और भाजपा के खिलाफ एक मजबूत हथियार दे दिया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी इस मुद्दे पर लगातार दबाव बढ़ा रही हैं। राजनीतिक हानि-लाभ को एक तरफ रखें और इस दुखद मुद्दे पर विचार करें तो चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए और इस दबाव के कारण आत्महत्या तक करने पर मजबूर होने की प्रक्रिया में सुधार लाना चाहिए या तो वह बीएलओ की संख्या बढ़ाएं या फिर लक्ष्य पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ाएं? चुनाव आयोग को अविलंब एक्शन लेना होगा नहीं तो इन निर्दोषों की हत्या का दाग उस पर लगेगा।
-अनिल नरेन्द्र