Thursday, 25 December 2025

एपस्टीन फाइलों में दबे हैं कई राज


अमेरिकी न्याय विभाग ने कुख्यात फाइनेंसर और यौन अपराधी जेफरी एपस्टीन से जुड़े मामलों की जांच से संबंधित 13 हजार से ज्यादा फाइल सार्वजनिक कर दिए हैं। वे दस्तावेज उस कानून के तहत जारी किए गए हैं। जिस पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने हस्ताक्षर किए थे। हालांकि लंबे इंतजार के बावजूद इन फाइलों से अभी तक कोई चौंकाने वाले खुलासे नहीं हुए हैं। ज्यादातर दस्तावेजों को भारी रूप से ब्लैक किए गए हैं। जेफरी एपस्टीन की मौत हो चुकी है। अमेरिकी संसद ने एक कानून पास किया था, जिसके तहत शुक्रवार तक सभी फाइलों को पूरी तरह सार्वजनिक करना जरूरी था। लेकिन अब तक कुछ ही दस्तावेज जारी किए गए हैं, वो भी कई जगह भारी काट-छांट के साथ। इन दस्तावेजों को सार्वजनिक कराने के लिए दबाव बनाने वाले सांसदों ने विभाग की कोशिश को गैर-गंभीर बताया है। वहीं कुछ कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी ज्यादा काट-छांट से साजिश से जुड़ी धाराएं और मजबूत हो सकती हैं। जारी सामग्री में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फोटो भी जारी किया गया है, हालांकि उन्हें बचाने की भी पूरी कोशिश की गई है। फाइलों में एक फोटो शामिल है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जेफरी एपस्टीन, मेलानिया ट्रंप और गिलेन मैक्सवैल (एपस्टीन की गर्लफ्रेंड) साथ नजर आ रहे हैं। जस्टिस डिपार्टमेंट ने इन फाइलों के हटने को लेकर अब तक कोई सफाई नहीं दी है। जो फाइले सार्वजनिक की गई हैं उनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ब्रिटेन के शाही परिवार से जुड़े एंड्रयू माउंटबेटन-विंडसर, मशहूर गायक मिक जैगर और माइकल जैक्सन के नाम शामिल हैं। हालांकि इन फाइलों में किसी का नाम होना या उनकी तस्वीर होना यह साबित नहीं करता कि उन्होंने कोई गलत काम किया है। जिन लोगों के नाम इन दस्तावेजों में आए हैं या पहले भी एपस्टीन से जुड़े मामलों में सामने आए थे, उनमें से कई ने किसी भी तरह की गलत गतिविधि से इंकार किया है। जारी की गई कई तस्वीरों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन स्विमिंग पूल में दो महिलाओं के साथ तैरते दिखते हैं। यह तस्वीर हॉट टब की लगती है। 1990 के दशक और 2000 के शुरुआती सालों में बिल क्लिंटन की जेफरी एपस्टीन के साथ कई बार तस्वीरें ली गई थीं। क्लिंटन हालांकि यह कहते हैं कि उन्हें एपस्टीन के यौन अपराधों की कोई जानकारी नहीं थी। दस्तावेजों के मुताबिक जेफरी एपस्टीन ने कथित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात एक 14 साल की लड़की से कराई गई थी। अमेरिकी न्याय विभाग ने जो फाइलें जारी की हैं उनमें राष्ट्रपति ट्रंप का भी जिक्र है। अदालत के कागजों के मुताबिक यह मुलाकात फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में 1990 के दशक की बताई जाती है। दस्तावेज में कहा गया है कि एपस्टीन ने ट्रंप को कोहनी मारकर लड़की की ओर इशारा किया और मजाकिया अंदाज में पूछा कि यह अच्छी है ना...? ट्रंप मुस्कराए और सहमति से सिर हिलाया। दस्तावेज के मुताबिक इसे लेकर दोनों हंसे थे और लड़की को असहज महसूस हुआ। लेकिन उस समय वह इतनी छोटी थी कि उस हंसी की वजह वे समझ नहीं पाई। सर्वाइवर का आरोप है कि एपस्टीन ने कई सालों तक उसे बहकाया और उसका शोषण किया। हालांकि अदालत में दायर कागजों में लड़की ने ट्रंप पर कोई आरोप नहीं लगाया है। इन दस्तावेजों पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने बयान दिया कि ट्रंप प्रशासन इतिहास का सबसे पारदर्शी प्रशासन है। उन्होंने कहा कि हजारों पन्नों के दस्तावेज जारी किए गए हैं और हाउस ओवरसाइट कमेटी की जांच में सहयोग किया गया है। उधर डिप्टी अटार्नी जनरल टॉड ब्लांश ने कहा है कि कई लाख पन्नों की अभी भी जांच चल रही है। ये दस्तावेज अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। हाउस ओवरसाइट कमेटी के डेमोक्रेटिक सदस्यों ने इससे जुड़ी तस्वीर के गायब होने पर सवाल उठाए हैं और पूछा कि और क्या छिपाया जा रहा है? अभी तो खेला शुरू हुआ है, आगे-आगे देखें होता है क्या?
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 23 December 2025

फिर उठी बांग्लादेश में अशांति की लहर


बांग्लादेश में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद एक बार फिर अशांति और हिंसा की लहर आ गई है। 15 महीने बाद फिर हिंसा भड़क गई। भारत विरोधी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद कट्टरपंथियों ने गुरुवार देर रात चट्टोग्राम में भारतीय उच्चायोग पर हमला कर दिया। यहां पर उच्चायुक्त का निवास स्थान भी है। दंगाइयों ने जमकर पथराव किया और मयमनसिंह के भालुका में दंगाइयों ने ईशनिंदा का आरोप लगा हिन्दू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीट कर हत्या कर दी और पेड़ पर लटकाकर शव को जला दिया। बता दें कि कट्टरपंथी हादी ने पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। हादी हाल ही में जमात-ए-इस्लामी से जुड़े इंकबाल मंच में शामिल हो गया था। वह 12 फरवरी को होने वाले चुनाव में ढाका-8 सीट से इंकलाब मंच का प्रत्याशी था। ढाका में 12 दिसम्बर को हादी को दो युवकों ने गोली मार दी थी। उसकी सिंगापुर में इलाज के दौरान गुरुवार को मौत हो गई थी। भारत संग रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान के बढ़ते कदम और बांग्लादेश से बिगड़ते रिश्तों पर संसदीय रिपोर्ट में इन चुनौतियों का जिक्र किया है। साल 1971 की जंग के बाद भारत को बांग्लादेश में सबसे बड़े रणनीतिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, यह कहना गलत नहीं होगा। राष्ट्रवाद के उभार, इस्लामी संगठनों की दोबारा सक्रियता और चीन-पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव ने बांग्लादेश में भारत के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी है। अगर समय रहते भारत ने अपनी नीति में बदलाव नहीं किया तो वह बांग्लादेश में अप्रासंगिक हो जाएगा। यह बातें भारत में विदेशी मामलों की एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में रेखांकित की गई है। 99 पन्नों की इस रिपोर्ट में समिति ने भारत-बांग्लादेश के रिश्तों से जुड़ी उन चुनौतियों का जिक्र किया है, जो अगस्त 2024 के बाद खड़ी हुई है। अगस्त 2024 यह वह महीना था जब बांग्लादेश में व्यापक जनप्रचार के बाद देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। तब से वह यहां रह रही हैं और देश में मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार काम कर रही है। संसदीय समिति की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नेतृत्व करने के लिए चुना गया। समिति ने विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों से बातचीत की और बीते जून को 4 विशेषज्ञों की राय भी सुनी है। इन विशेषज्ञों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन, सेवानिवृत्त ले. जनरल सैयद अता हसनैन, विदेश मंत्रालय की पूर्व सचिव रीवा गांगुली व अन्य शामिल थे। विश्लेषक के हवाले से बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते में मौजूदा चुनौतियों के पीछे प्रमुख वजहें भी गिनाई गई हैं। अल्पसंख्यकों पर हमले के पीछे आईएसआई के हाथ से इंकार नहीं किया जा सकता। बांग्लादेश में चीन की बढ़ती मौजूदगी भी एक चुनौती है। लालमोनिरहाट एयरबेस का चीनी मदद से विकसित किया जाना भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरा है। जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं के हालिया चीन दौरे का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया और कहा कि इससे बांग्लादेश के अलग-अलग राजनीतिक गुटों के साथ चीन की गहराती बातचीत का संकेत मिलता है, जिहादी वहां उसकी मौजूदगी और मजबूत हो रही है। समिति ने सिफारिश की है कि सरकार बांग्लादेश में विदेशी शक्तियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे क्योंकि किसी भी वैसे देश, जिनके साथ भारत के रिश्ते अच्छे नहीं हैं (पाक-चीन) उनका वहां सैन्य ठिकाना बनाने की कोशिश भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में ताजा हिंसा पर सिर्फ औपचारिक बयान देते दिख रहे हैं। अगर यूनुस वाकई असहाय हो गए हैं और कट्टरपंथी तंत्र अराजकता फैलाने के लिए स्वतंत्र है तो यह न तो बांग्लादेश के लिए अच्छी है और भारत के लिए तो बहुत चिंताजनक है ही। फिलहाल बांग्लादेश में जिस तरह की अराजकता फैली हुई है और उनकी आंच में बहुत कुछ झुलसने की आशंका है। उसे देखते हुए भारत सरकार को चाहिए कि वह कूटनीतिक स्तर पर इन मामलों को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के समक्ष प्रभावी तरीके से उठाए।
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 20 December 2025

राष्ट्रीय अध्यक्ष की जगह कार्यकारी अध्यक्ष


भारतीय जनता पार्टी ने पटना की बांकीपुर सीट से विधायक और बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन सिन्हा को पार्टी का नया कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सबको चौंका दिया है। शायद ही किसी ने उम्मीद की हो कि नबीन बाबू को इतना महत्वपूर्ण पद दिया जाएगा। पिछले कई महीनों से यह चर्चा चल रही थी कि भाजपा अपना नया अध्यक्ष चुनने वाली है क्योंकि श्री नड्डा का कार्यकाल बहुत पहले समाप्त हो चुका था और वह एक्सटेंशन पर चल रहे थे। नितिन नबीन भाजपा के इतिहास में जेपी नड्डा के बाद दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष होंगे। पार्टी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई औपचारिक पद नहीं है। लेकिन साल 2019 के बाद से भाजपा में पूर्णकालिक अध्यक्ष नियुक्त करने से पहले कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की एक परंपरा शुरू हुई है। भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कब होगा अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में पार्टी के शीर्ष नेताओं के हवाले से दावा किया जा रहा है कि अगले साल जनवरी में ये प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी जनवरी तक ही है। ऐसे में से सवाल उठ रहा है कि जब कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है तो पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष क्यों नियुक्त किया है? इसका कोई स्पष्ट जवाब तो नहीं है लेकिन ये माना जा रहा है कि पार्टी अपने संविधान के हिसाब से होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को आम सहमति और निर्विरोध रूप से करना चाहती है। वरिष्ठ पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि भाजपा जनवरी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करेगी। पार्टी में इसकी एक औपचारिक प्रक्रिया है। ऐसे तो कोई चुनाव नहीं हो रहा है लेकिन नामांकन तिथि, चुनाव तिथि में औपचारिक प्रक्रियाएं हैं, पार्टी को इन्हें करना है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं, कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर भाजपा ने ये साफ कर दिया है कि नितिन नबीन ही अगले अध्यक्ष होंगे। भाजपा में अध्यक्ष को चुनने की एक लंबी प्रक्रिया है। भाजपा के संसदीय बोर्ड ने नितिन नबीन सिन्हा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया है। 26 साल की उम्र में पहली बार विधायक चुने जाने वाले नितिन नबीन 5 बार से लगातार विधायक हैं और भाजपा के पहले कार्यकारी अध्यक्ष हैं। 45 साल के नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बन जाना जरूर कई लोगों को हैरान कर रहा है लेकिन विश्लेषक इससे हैरान नहीं हैं। बिहार चुनावों के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने नितिन नबीन से दो घंटे मुलाकात की थी। नितिन नबीन पार्टी के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के प्रभारी थे और भाजपा ने यह चुनाव भारी बहुमत से जीता था। यानी नितिन नबीन अपनी संगठनात्मक क्षमता पहले ही साबित कर चुके हैं। सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या नितिन नबीन की नियुक्ति के पीछे कोई खास वजह या पार्टी की कोई खास रणनीति है? विश्लेषक मानते हैं कि पार्टी में ये बदलाव का दौर है और ये समय की जरूरत के हिसाब से उठाया गया कदम है। विजय त्रिवेदी और विनोद शर्मा दोनों ही मानते हैं कि पार्टी जेनरेट्स चेंज यानि पीढ़ीगत बदलाव से गुजर रही है। पार्टी में पुरानी पीढ़ी के नेताओं की जगह नए नेताओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के रूप में पुराने नेताओं को हटाना और नए चेहरों को लाना पार्टी की इसी रणनीति का हिस्सा है और नितिन नबीन का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना इस कड़ी में अगला कदम है। पार्टी नए नेतृत्व को आगे लाना चाहती है और ये नियुक्ति भी उसी दिशा में है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भाजपा में ऐसे नेताओं को आगे लाया जा रहा है जो किसी भी तरह से नरेन्द्र मोदी या अमित शाह के लिए चुनौती पेश न करें। विनोद शर्मा कहते हैं, नितिन नबीन की नियुक्ति हैरान इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें अमित शाह की सहूलियत के हिसाब से बनाया गया है। किसी भी ऐसे नेता को मजबूत पद पर नहीं लाया जा रहा है जो आगे चलकर किसी भी तरह की शीर्ष नेतृत्व को चुनौती पेश कर सके। व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जो भाजपा और संघ को भी मंजूर हो। विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि नितिन नबीन का नाम उन चुनिन्दा लोगों में रहा होगा जिन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी अनुमोदन प्राप्त हुआ है।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 18 December 2025

नरसंहार करने वाले पिता-पुत्र


ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रविवार को जश्न मना रहे बान्डी बीच पर लोगों पर दो आतंकियों ने हमला कर दिया। इस दौरान 44 साल के अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों से भिड़ गया और कई जानें बचाई। हुआ यूं कि रविवार को सिडनी के बान्डी बीच पर यहूदियों के हनुक्का पर्व पर लोग पर्व का मजा उठा रहे थे। हनुक्का यहूदियों का सालाना त्यौहार है। इस दौरान दो बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी करनी शुरू कर दी। गोलियों की आवाजें सुनकर बीच पर अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे। इस अंधाधुंध फायरिंग में अब तक 16 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। आतंकियों की निशानदेही हो चुकी है। एपी की रिपोर्ट के अनुसार इस आतंकी घटना को अंजाम देने वाले बाप और बेटे हैं, जिनमें से एक की तो मौके पर ही मौत हो गई। आस्ट्रेलिया जांच एजेंसियों ने आरोपी के बैकग्राउंड की जांच शुरू कर दी है। शूटिंग में शामिल पिता (50 वषीय) की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसका 25 वषीय बेटा गंभीर हालत में अस्पताल में भती है, सिडनी अटैक में पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आया है। आस्ट्रेलिया की जांच एजेंसियां इस घटना को लेकर बहुत गंभीर है। अहम बात यह भी है कि हमले में शामिल पिता-पुत्र की पहचान पाकिस्तानी मूल के रूप में हुई है। वहीं अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने भी दोनों आतंकियों को पाकिस्तानी नागरिक बताया है। हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और सिडनी में रह रहे थे। जांच में यह भी सामने आया है कि गोलीबारी के बाद पास ही एक सड़क पर एक कार से कई इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लेसिव डिवाइस यानी विस्फोटक बरामद किए गए, जिससे आशंका है कि हमले की साजिश इससे काफी ज्यादा तबाही फैलाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने की थी। ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसी एसियो ने पुष्टि की है कि हमलावरों में से एक पहले से सुरक्षा एजेंसियों की नजर में संदिग्ध था, लेकिन उसे तत्काल खतरे के रूप में लिस्ट नहीं किया गया था। इधर दोनों आतंकी गोलियां बरसा रहे थे उधर 44 साल के अहमद अल अहमद ने अपनी जान की परवाह किए बिना हिम्मत दिखाते हुए पीछे से आतंकी पर झपट्टा मारा और उससे बंदूक छीन ली, जिससे कई लोगों को सुरक्षित निकालने का मौका मिल गया। लोग अहमद अल अहमद को ऑस्ट्रेलिया का नया हीरो कह रहे हैं। अहमद जब आतंकी साजिद से मुठभेड़ करने जा रहा था, तब उनके भाई ने उन्हें रोका था। तब उन्होंने कहा था कि अगर मुझे कुछ हुआ तो परिवार को बताना कि मैं लोगों की जान बचाते हुए मारा गया। अहमद फल-सब्जी की दुकान चलाता है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा हुई है और ऑस्ट्रेलिया की सरकार से लेकर मुस्लिम-अरब देशों की ओर से भी आतंकवाद और हिंसा के सभी रूपों को खारिज किया है। मगर यह भी सच है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना और विरोध के बावजूद किसी समुदाय से नफरत की भावना में डूबे को रोक पाना एक मुश्किल चुनौती है। यह स्वाभाविक है कि इस आतंकी हमले की वैश्विक स्तर पर निंदा होगी और शोक-संवेदनाएं व्यक्त की जाएंगी, लेकिन इतना पर्याप्त नहीं है। दुनिया भर में जिहादी आतंक का खतरा जिस तरह उभर रहा है उसका मुकाबला तभी किया जा सकता है जब पूरा विश्व समुदाय मिलकर इस उठते खतरे का ईमानदारी से सामना करे और मिलकर मुकाबला करने के लिए कदम उठाएं। बान्डी बीच के हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। दोनों ही आतंकी पाकिस्तानी मूल के निकले। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान विश्व की सबसे बड़ी आतंकी फैक्ट्री है जहां साल दर साल हजारों आतंकी तैयार किए जाते हैं। भारत तो बार-बार इस बात को कहता रहता है पर दुनिया मानने को तैयार नहीं, पहलगाम हमला भी इसी तरह के आतंकियों ने किया था पर दुनिया मानने को तैयार नहीं थी। अब तो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में यह हमला हुआ है, अब विश्व को इस पर क्या कहना है?
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 16 December 2025

चुनाव सुधार पर बहस


चुनाव सुधार पर सड़क से संसद तक चर्चा तेज हुई। शायद यह जरूरी भी था, क्योंकि पिछले कई दिनों से यह चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे भी देश के 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण तेज गति से हो रहा है पर यह भी देखने वाली बात है कि इस पर सियासत भी उसी स्पीड से चल रही है। लोकसभा में चुनाव सुधार के मुद्दे पर बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने इस चर्चा के दौरान लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा वोट चोरी प्रकरण के जवाब में जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम लिया और अपनी बात रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि उसने झूठ फैलाया है और देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है। अमित शाह ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाता सूची का शुद्धिकरण है ताकि जिनकी मृत्यु हो गई उनके नाम कट जाए, जो 18 साल से बड़े हैं उनके नाम जुड़ जाएं, जो दो जगह मतदाता हैं उनके नाम कट जाएं और जो विदेशी नागरिक हैं उनको चुन-चुनकर हटाया जाए। उन्होंने कहा क्या कोई भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है जब देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री कौन हो, यह घुसपैठिए तय करेंगे। एसआईआर से कुछ दलों के राजनीतिक स्वार्थ आहत होते हैं। निर्णय करना पड़ेगा कि देश की संसद और विधानसभा को चुनने के लिए विदेशी को वोट देने का अधिकार देना है या नहीं? इसके बाद राहुल गांधी खड़े हुए और अमित शाह से पूछा कि हिन्दुस्तान के इतिहास में चुनाव आयुक्तों को पूरी तरह माफी दी जाएगी, इसका जवाब दें। हरियाणा का एक उदाहरण इन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को दिया। अपने भाषण में राहुल गांधी ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए। इस दौरान उन्होंने आरएसएस का नाम लिया। राहुल ने कहा कि समानता की भावना से आरएसएस को दिक्कत है। संघ ने संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है। इस पर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें देखा और कहा कि चुनाव सुधार पर चर्चा कीजिए। नेता प्रतिपक्ष का मतलब ये नहीं कि कुछ भी बोलें। राहुल ने बहस की शुरुआत खादी से की। उन्होंने कहा कि हमारा देश एक फैब्रिक की तरह ही है। कपड़ा कई धागों से बनता है। वैसे ही हमारा देश भी कई लोगों से मिलकर बनता है। देश के सारे धागे एक जैसे और अहम हैं। देश के सभी लोग बराबर हैं। राहुल ने कहा कि वोट के लिए देश की संवैधानिक संस्थाओं पर सत्ता दल ने कब्जा कर लिया है। ईसी, सीबीआई, ईडी सब पर कब्जा कर लिया है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव आयोग सत्ता के साथ मिला हुआ है। हमने इस बात के सुबूत दिए। सरकार इसी का इस्तेमाल कर रही है। राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयुक्त चुनने की प्रक्रिया को क्यों बदला गया। इस प्रक्रिया से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को क्यों हटाया गया? क्या सरकार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर विश्वास नहीं है? उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के इशारों पर चलती है। सत्ता पक्ष ही चुनाव आयोग को चला रहा है। राहुल ने ब्राजील की मॉडल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ब्राजील की मॉडल का नाम 22 बार वोटर लिस्ट में आया। एक महिला का नाम 200 बार वोट लिस्ट में आया। चुनाव आयोग को सीसीटीवी फुटेज को कंट्रोल करने का मतलब क्या है और क्यों इस फुटेज को कुछ समय बाद हटाने का फैसला किया गया? फुटेज नष्ट करने की ताकत क्यों दी गई? चुनाव आयुक्तों पर सजा का प्रावधान क्यों हटाया गया? हरियाणा चुनाव का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि हरियाणा का चुनाव चोरी किया गया। जहां तक चुनाव आयोग का सवाल है तो उसे उठ रहे प्रश्नों का उत्तर प्राथमिकता से देना चाहिए। पारदर्शिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है। चुनाव आज से दो दशक पहले कैसे होते थे, इससे ज्यादा जरूरी है कि अब जो चुनाव हों प्रश्नों से पटे हों। लोकतंत्र के असली मालिक व रक्षक मतदाता हैं, जनता है और उसका चुनाव प्रक्रिया पर पूरा विश्वास होना चाहिए। यही भारत के लोकतंत्र की नींव हैं।
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 13 December 2025

एस जयशंकर को पाकिस्तान का जवाब


पाकिस्तान ने अपनी सेना और इसके प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी पर बयान जारी किया है। पाकिस्तान ने कहा है कि सेना और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर पर जयशंकर का बयान भड़काऊ, बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना है। बता दें कि जयशंकर ने हिन्दुस्तान टाइम्स समिट के दौरान आसिम मुनीर के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि पाकिस्तान में आज जो हो रहा है वो इसके 80 साल पुराने इतिहास का प्रतिबिंब है। जयशंकर ने ये भी कहा था कि पाकिस्तान में किसी न किसी तरीके से सेना ही शासन करती है। कभी सेना खुलकर काम करती है, कभी पर्दे के पीछे से। बीबीसी के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने कहा है कि पाकिस्तान एक जिम्मेदार देश है और उसकी सभी संस्थाएं जिनमें सशस्त्र बल भी शामिल हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के मजबूत स्तंभ हैं। यह संस्थाएं देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। प्रवक्ता ने कहा मई 2025 के संघर्ष ने साफतौर पर पाकिस्तानी सेना की पेशेवर क्षमता और मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके संकल्प को साबित कर दिया है। कोई भी दुप्रचार अंिभयान इस सच्चाई को नकार नहीं सकता। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की संस्थाओं और नेतृत्व को बदनाम करने की भारतीय नेतृत्व की कोशिश एक सुनियोजित दुप्रचार अभियान का हिस्सा है। इसका मकसद क्षेत्र में भारत की अस्थिर करने वाली बयानबाजी शांति और स्थिरता के प्रति भारत की गंभीरता की कमी दर्शाती है। बता दें कि हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि जिस तरह अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी जैसी बातें की जाती हैं। उसी तरह अपने सैन्य नेता और उतने अच्छे सैन्य नेता नहीं होने की बात भी की जाती है। हिन्दुस्तान टाइम्स समिट में जयशंकर से यह भी पूछा गया था कि पाकिस्तान में नए चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस के हाथ में जिस तरह सत्ता का बहुत ज्यादा केंद्रीकरण देखा जा रहा है। उस पर आप क्या-क्या आंकलन है? आसिम मुनीर का इतनी गहराई से सत्ता में फंसे होने का भारत को फायदा है या नुकसान? जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए पाकिस्तानी सेना हमेशा एक वास्तविकता की तरह रही है। अगर हम बात करें फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तो केवल हम ही नहीं उनके हाथ में भी इतनी शक्ति आने से संयुक्त राष्ट्र भी चिंतित है। पाकिस्तान में हाल में हुए संविधान संशोधन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार एजेंसी के उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि 27वें संशोधन न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकती है। टर्क ने एक बयान में कहा कि यह बदलाव उन जरूरी कानूनी नियमों को भी कमजोर कर सकता है, जिनसे देश में कानून-व्यवस्था बनी रहती है। बता दें कि पाकिस्तान में हालिया संवैधानिक बदलावों के बाद अब सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में स्थापित हो गए हैं। उन्हें गत दिनों चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (सीडीएफ) बनाया गया है और इसी के साथ सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और मिसाइल नियंत्रण भी उनके हाथ आ गया है। नया तंत्र उन्हें वास्तविक परमाणु बटन का नियंत्रक बना रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार परमाणु हथियारों के नियंत्रण को इतनी स्पष्टता से सेना को सौंपा गया है कि इससे न केवल सैन्य प्रतिष्ठान की ताकत चरम पर पहुंच गई है, बल्कि जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान की राजनीति, सामरिक नीतियों और क्षेत्रीय शक्ति समीकरणों में सबसे निर्णायक और प्रभावशाली व्यक्तित्व बना दिया है।
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 11 December 2025

हुमायूं ने रखी बाबरी मस्जिद की नींव


पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रेजीनगर में शनिवार को बाबरी जैसी मस्जिद की बुनियाद रखी गई। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने (6 दिसंबर, 1992) की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में तमाम मौलवी मौजूद रहे। बाबरी मस्जिद बनवाने के ऐलान के कारण तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने इसका शिलान्यास किया। उन्होंने मुर्शिदाबाद जिले में बेलडांगा से सटे इलाके में सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटकर मस्जिद की नींव रखी। हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की भरतपुर सीट से विधायक हैं। वह पिछले कई दिनों से दावा करते रहे हैं कि 6 दिसम्बर को वे भरतपुर के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनवाने के लिए नींव रखेंगे। उनके समर्थक और अन्य लोग सुबह से ही सिर पर ईंट रखकर निर्माण स्थल पहुंचने लगे थे। हुमायूं कबीर ने निर्माण स्थल से एक किलोमीटर दूर बने मंच पर मौलवियों की मौजूदगी में फीता काटा, समारोह के दौरान अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए गए। इस मौके पर सऊदी अरब के धार्मिक नेता भी मंच पर मौजूद थे। इस दौरान सांप्रदायिक तनाव की आशंकाओं को देखते हुए रेजीनगर और नजदीकी बेलडांगा इलाके में पुलिस, आरएएफ और केंद्रीय बलों की टुकड़ियां तैनात की गई थी जिन्होंने इलाके में फ्लैग मार्च भी किया। नींव रखने के बाद समाचार एजेंसी से बातचीत में हुमायूं कबीर ने कहा, एक साल पहले मैंने ऐलान किया था कि मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में एक नायाब बाबरी मस्जिद का निर्माण होगा। मस्जिद के साथ-साथ इस्लामिया हॉस्पिटल, मेडिकल कालेज, होटल-रेस्टोरेंट, पार्क और हैलीपेड बनाने की योजना है। यह 300 करोड़ का प्रोजेक्ट है। इस मस्जिद की नींव रखे जाने से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, मुख्यमंत्री ममता बनजी राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिमों के ध्रुवीकरण के लिए इस विधायक का इस्तेमाल कर रही हैं। वह आग से खेल रही हैं। उन्होंने कहा कि बेलडांगा से आ रही रिपोर्टें ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। मालवीय ने दावा किया कि कबीर के समर्थकों को इस ढांचे के निर्माण के लिए ईंट ले जाते हुए देखा गया जिसे उन्होंने बाबरी मस्जिद बताया। वहीं टीएमसी नेता सिमोनी घोष ने कहा, भाजपा को हमारा एक ही संदेश है कि खेला होवे। 2026 में ममता बनजी चौथी बार बंगाल की सत्ता संभालेंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनता उनके साथ है और वह अब तक के सबसे बड़े जनादेश में से एक के साथ जीत हासिल करने जा रही हैं। उन्होंने कहा, कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर इसके पीछे किसी की मंशा यहां धार्मिक अशांति फैलाने की है तो सब जानते हैं कि उन्हें भाजपा से फंडिंग मिल रही है और भाजपा उन्हें बंगाल में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए उकसा रही है। 62 साल के हुमायूं कबीर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद एक साल बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 2015 में कबीर को टीएमसी से बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनजी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को राजा बनाना चाहती हैं। भाजपा नेताओं ने इसे वोट बैंक की राजनीति बताते हुए हुमायूं कबीर की गिरफ्तारी तक की मांग कर डाली है। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता 15 वर्षें से तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति करती रही हैं। अगर सच में नहीं चाहती कि बाबरी मस्जिद बने तो उन्हें हुमायूं कबीर को गिरफ्तार करना चाहिए था। टीएमसी ने जवाब में कबीर पर भाजपा-आरएसएस के साथ मिलीभगत करके अशांति पैदा करने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं रोज नई-नई बातें सुनने को मिलेंगी।
-अनिल नरेन्द्र