Wednesday 29 June 2011

जासूसी, फोन टेपिंग और स्टिंग ऑपरेशन सरकार के लिए आम है


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 29th June 2011
अनिल रेन्द्र
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के कार्यालय में कथित जासूसी मामले को सरकार और कांग्रेस भले दबाने का प्रयास कर रही हो लेकिन कांग्रेस और सरकार के आजकल बने सुपर प्रवक्ता दिग्विजय सिंह ने इस मामले की जांच की मांग की है। प्रणब मुखर्जी और सूचना प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी के बयानों से सहमत नहीं होते हुए दिग्विजय ने कहा कि वे रिपोर्ट से चकित हैं और कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। अन्दर खाते जांच आरम्भ भी हो गई है। इस सिलसिले में आईबी ने सीबीडीटी के पूर्व अध्यक्ष सुधीर चन्द्रा से पूछताछ की है। भारतीय जनता पार्टी ने गृहमंत्री पी. चिदम्बरम का वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के कार्यालय में जासूसी की घटना को कुछ खास नहीं बताना स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा मजाक है और पार्टी ने वित्तमंत्री के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र को सार्वजनिक करने की मांग की है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आईबी अधिकारियों ने गत गुरुवार को चन्द्रा से पूछा कि वित्त मंत्रालय में जासूसी के मामले में निरीक्षण करने के लिए आईबी को सूचित करने से पहले निजी जासूसों को क्यों बुलाया गया? इस बारे में आईबी अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय से इन विवादास्पद पदार्थों को हटाने का काम करने वाली निजी खुफिया एजेंसी का नाम पता लगाने के लिए भी जांच आरम्भ कर दी है। भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि मुखर्जी को अपने कार्यालय में जासूसी का संदेह था। उन्होंने इस मसले पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। भाजपा चाहती है कि इस पत्र को सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ब्लॉक चिदम्बरम या किसी की निजी सम्पत्ति नहीं है।
प्राप्त रिपोर्टों से पता चला है कि प्रणब मुखर्जी ही नहीं, सुरक्षा और जांच एजेंसियों के राडार पर एक केंद्रीय मंत्री भी थे और करीब 30 घंटे तक उनका फोन टेप हुआ है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार में मायावती के करीबी और रसूखदार एक नौकरशाह का स्टिंग ऑपरेशन भी चर्चा में बना हुआ है। इतना ही नहीं, सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एण्ड कस्टम (सीबीईसी) के चेयरमैन ने भी अपना फोन टेप किए जाने का आरोप लगाया है। बताते हैं कि सीबीईसी चेयरमैन एम. मजूमदार पिछले साल सीबीईसी का चेयरमैन बनने के प्रमुख दावेदारों में थे। तब डीआरआई (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस) के कुछ अधिकारियों ने उनका, उनके असम में रहने वाले दोस्त और कोलकाता में रहने वाली बहन के फोन टेप करने का आदेश दिया था। बताते हैं कि फोन टेपिंग की ठोस सम्भावना को देखते हुए मजूमदार ने इस मामले को डीआरआई के सामने उठाया है। सूत्र बताते हैं कि एक केंद्रीय मंत्री भी खुफिया एजेंसियों की निगरानी में थे। तकरीबन 30 घंटे से अधिक समय तक उनका फोन टेप होने की सूचना है। इस बारे में खुफिया सूत्रों का कहना है कि एजेंसियां आवश्यकता पड़ने पर सरकार की अनुमति के बाद लोगों के बातचीत, आदि पर निगरानी करती है। हालांकि यह निगरानी प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है। लेकिन प्रणब मुखर्जी के कार्यालय को निगरानी के दायरे में लाने की बाबत पूछने पर वह चुप्पी साध लेते हैं। यहां तक कि गृह मंत्रालय के अफसर भी इस मामले में कोई बात नहीं करना चाहते। पूर्व वरिष्ठ अधिकारी जरूर इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि प्रणब दा के कार्यालय में निगरानी का काम हुआ है। सरकार बेशक छिपाने का प्रयास करे पर सच बाहर निकल ही आएगा।
Tags: Anil Narendra, CBDT, Congress, Daily Pratap, DRI, P. Chidambaram, Phone Taping, Pranab Mukherjee, Vir Arjun

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