Wednesday 2 January 2013

प्रमोशन में आरक्षण विधेयक पर अब भाजपा कहां खड़ी है?


 Published on 2 January, 2013 
 अनिल नरेन्द्र
प्रमोशन में आरक्षण विधेयक को लेकर भाजपा में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने पार्टी लाइन के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वे इस विधेयक का किसी भी सूरत में समर्थन नहीं कर सकते हैं और भाजपा को भी अब उनकी लाइन पर चलना होगा। योगी ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक व समाज को बांटने वाला है। हम इसका समर्थन नहीं कर सकते। इसे सुप्रीम कोर्ट के पास राय के लिए भेजा जाना चाहिए। योगी ने कहा कि राज्यसभा में भले ही इसका समर्थन भाजपा ने किया हो, लेकिन भाजपा को अब लोकसभा में उनकी लाइन पर चलना होगा। योगी ने यह बात तब कही जब लोकसभा में  बिल को सपा सांसदों ने फाड़ दिया। आनन-फानन में राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली ने समर्थन में लम्बा-चौड़ा भाषण तो दे दिया पर इस स्टैंड पर जितनी गम्भीरता से विचार होना चाहिए था वह करने की जरूरत नहीं समझी। अब पार्टी बुरी तरह से फंस गई है। भाजपा में योगी अकेले सांसद नहीं हैं जो इस बिल का विरोध कर रहे हैं। फर्प इतना है कि बाकी सांसद दबी जुबान में ऐतराज जता रहे हैं जबकि योगी ने खुलकर इसका विरोध किया है। बिल के केंद्रीय नेतृत्व के रुख से नाराज पार्टी की यूपी इकाई भी अब खुलकर विरोध में आ गई है। मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान से भी विरोध के सुर सुनाई देने लगे हैं। पिछली संसदीय दल की बैठक में कड़ा विरोध जताने के बाद डॉ. मुरली मनोहर जोशी व राजनाथ सिंह समेत कई सांसद भी संसद भवन परिसर में इस विधेयक का विरोध करते देखे गए। भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी प्रमोशन में आरक्षण के बिल का विरोध कर दिया है। उन्होंने बताया कि उनकी और योगी आदित्यनाथ की नितिन गडकरी के साथ बैठक हुई है जिसमें उन दोनों ने बिल को समर्थन देने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया। वरुण ने यह भी साफ किया कि  लोकसभा में वे दोनों बिल के खिलाफ वोट देंगे और यह पहले इसलिए बता रहे हैं ताकि बाद में पार्टी नेतृत्व अनुशासन तोड़ने का उन पर आरोप न लगा सके। इस बीच नफा-नुकसान का आंकलन कर पार्टी के यूपी प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी विरोध में खड़े  हो गए हैं। वरुण ने कहा कि गडकरी ने लोकसभा में बिल को पास न होने का भरोसा दिया है। वरुण ने कहा कि इस बिल को समर्थन का फैसला करना बुद्धि के भ्रष्ट होने का परिचायक है। ये पैर में कुल्हाड़ी मारना नहीं बल्कि सीधे सिर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। वरुण ने कहा कि वह अपने जनाधार के बूते पर जीते हैं, भाजपा के वोट बैंक के आधार पर नहीं। चलते विरोध के कारण पार्टी ने शीत सत्र के आखिरी दिन अपने रुख में परिवर्तन करते हुए संविधान संशोधन विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट से विधिक राय लेने की मांग करने लगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो पार्टी ने आरक्षण विधेयक पर जल्दबाजी करने का ही एक नतीजा अब सामने आ रहा है।





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