Saturday 29 June 2013

रुपया, सोना और शेयर सब धड़ाम


 Published on 29 June, 2013 
 अनिल नरेन्द्र 
उत्तराखंड में अगर नदियों के रौद्र रूप के सामने पर्वत उखड़ रहे हैं तो आर्थिक जगत में मंदी की सुनामी ने रुपया, शेयर और सर्राफा पर जोरदार प्रहार किया है। रुपया, सोना और शेयर सब धड़ाम हो गए। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सुधरने के साथ वैश्विक मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुए डॉलर ने रुपए, शेयर बाजार और सर्राफा सबकी हालत पतली कर दी। अत बैंकिंग मुद्रा कारोबार में रुपया 60.72 रुपए प्रति डॉलर के रिकार्ड स्तर (निचले) पर औंधे मुंह गिरा। शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की निकासी से सेंसेक्स 77 अंक टूटा, सोना प्रति 10 ग्राम 620 गिरा और चांदी एक हजार रुपए उतरकर 20 महीने के न्यूनतम स्तर 40,500 रुपए प्रति किलोग्राम रह गई। डॉलर के सामने पस्त रुपए का दूरगामी असर होगा। डॉलर के मुकाबले कमजोरी के लगातार नए आयाम छू रहा रुपया सरकारी खजाने पर चोट करने के साथ-साथ महंगाई की आग भी भड़काएगा। पेट्रोलियम और सोने-चांदी के मामले में देश पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खाद्य तेलों और दालों का आयात जिस तरह बढ़ा है, उससे कमजोर रुपया आम आदमी के निवाले पर भी भारी पड़ेगा। पेट्रोलियम और सोने के अलावा भारत में बड़े पैमाने पर खाद्य तेल, दालों, उर्वरक और कोयले का आयात किया जाता है। रुपए की कमजोरी का सीधा असर इन पर  पड़ेगा,  जिससे महंगाई को काबू में रखना मुश्किल हो जाएगा। खाने-पीने से लेकर डीजल, पेट्रोल और इलैक्ट्रॉनिक उपकरण महंगे होंगे। विदेशों में पढ़ाई, इलाज और घूमना-फिरना अभी के मुकाबले महंगा हो जाएगा। क्योंकि विदेशों में भुगतान डॉलर से होता है। डॉलर के मुकाबले रुपया मई से अब तक 12 प्रतिशत तक गिर चुका है। विशेषज्ञ इस गिरावट के कुछ कारण बता रहे हैं। रुपए की कमजोरी की मुख्य वजह महीने के अंत में भुगतान के लिए डॉलर की मांग। विदेशी संस्थान भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। एक कारण यह भी है कि अमेरिका में प्रोत्साहन पैकेज वापस होने से फंड रिजर्व के संकेत। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना अगस्त 2010 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंचा। भाव 1228 डॉलर प्रति औंस। फिलहाल भारत में रुपया सम्भलने के आसार नहीं और सोना 25 हजार के नीचे आ सकता है। क्योंकि हमारे रुपए की कीमत इस दौरान कहीं ज्यादा गिर गई इसलिए हमारे यहां सोना सस्ता हुआ है। रुपए में गिरावट जारी रहेगी। रिजर्व बैंक के पास बहुत विकल्प नहीं है। 291 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है। इससे सिर्प सात महीने की आयात जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। पिछले दिनों वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने अपील की थी कि प्लीज सोना मत खरीदिए ताकि देश की माली हालत सम्भाली जा सके। चिदम्बरम ने कहा कि लोग बड़ी संख्या में सोना खरीदते हैं। इससे हमें उसका आयात करना पड़ता है। इसके लिए सरकार को डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। कच्चे तेल के बाद सबसे ज्यादा आयात भारत सोने का करता है। देश में सोने की जितनी मांग है उसका 5 प्रतिशत ही उत्पादन करता है। उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा स्वर्ण खरीदार है। सोने का हमारे लिए धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक महत्व है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक भारतीय पूरे जीवन में कम से कम 5 से 10 लाख तक का सोना खरीदता है।

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