Saturday 4 October 2014

खुद सफाई कर मोदी ने दिया जनता को स्वच्छता का सबक

न्यूयार्प में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम बापू को तो कुछ नहीं दे सकते हैं लेकिन उन्हें स्वच्छता बहुत पसंद थी, तो हम देश को साफ-सुथरा रखकर उनका यह सपना तो पूरा कर ही सकते हैं। भारत लौटते ही नरेन्द्र मोदी ने गांधी जयंती के अवसर पर खुद झाड़ू लगाकर देश के अब तक के सबसे बड़े स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। ऐसा पहले किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया था। राष्ट्रपिता के 145वें जन्म दिवस के लिए `स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत' का नारा देकर प्रधानमंत्री ने जो पहल की है उसका स्वागत होना चाहिए। गांधी जी सफाई को खासा महत्व देते थे। वे खुद ही वस्तुएं साफ करते थे। वे  दूसरों को ऐसा करने के लिए कहने की बजाय खुद करके उदाहरण प्रस्तुत करते थे। हमारा मानना है कि नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से जोरशोर से किया गया स्वच्छ भारत अभियान को सफल होना चाहिए क्योंकि इसमें पूरे देश का हित है। यह जरूरी है कि आम जनता इसे अपने अभियान के तौर पर ले। इसे एक सरकारी कार्यक्रम या ड्रामेबाजी के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह सरकारी कार्यक्रम है भी नहीं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि मोदी सरकार को देश को साफ-सुथरा बनाने का काम एक तरह से अपने हाथ में लेना पड़ा है। हम अपने घरों को तो साफ रखने की कोशिश करते हैं पर सार्वजनिक स्थलों की सफाई को लेकर वह बेपरवाह दिखते हैं। सड़क पर कचरा फेंकना, दीवारों पर थूकना, नुक्कड़ पर पेशाब करना, यह आम बात है। मुझे याद है कि एक बार ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ दिल्ली आई थीं तो उन्होंने दिल्ली को एक ओपन स्लम कहा था। स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अगर आप ट्रेन से सफर कर रहे हैं तो सुबह आप खिड़की से नहीं झांक सकते क्योंकि रेलवे  लाइन के पास जनता शौच करते दिखेगी। औसत भारतीय अपने घर की साफ-सफाई को लेकर बिल्कुल लापरवाह हैं। सिंगापुर में अगर आप सड़क पर कुछ कचरा फेंकेंगे या सड़क को किसी भी प्रकार से गंदा करेंगे तो आप पर जुर्माना लग जाएगा। यही वजह है कि इन देशों में सड़कें चमकती दिखती हैं। एक कड़वी सच्चाई है कि अगर कोई रोकने-टोकने वाला न हो तो साफ-सुथरे स्थलों में भी लोग कचरा फैलाने से बाज नहीं आते। यही कारण है कि भारत की गिनती उन देशों में होती है जहां सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी का साम्राज्य रहता है। गंदगी के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न केवल देश की छवि ही प्रभावित होती है बल्कि किस्म-किस्म की बीमारियां भी सिर उठाती हैं। गंदगी इतनी गंभीर समस्या बनती जा रही है, इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में रोजाना 15 हजार टन कचरा अकेले प्लास्टिक से पैदा होता है, जो आने वाले पांच वर्षों में दोगुना हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम प्लास्टिक के टाइम बम पर  बैठे हुए हैं।  सफाई रखना निसंदेह प्रधानमंत्री का काम नहीं है कि वह गंदगी के खिलाफ इस तरह झाड़ू लेकर सड़क पर उतरें, लेकिन आम जनता को प्रेरित करने के लिए इससे बेहतर तरीका और कोई नहीं हो सकता। इस अभियान में जनता की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।

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