Friday 8 April 2016

फर्जीवाड़े का नया कीर्तिमान ः मजिस्ट्रेट बनकर 2700 आरोपियों को रिहा किया

हमारे देश के फर्जीवाड़ा करने में नए-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। यह क्रिमिनल माइंड के कलाकार एक से बढ़कर एक नई योजना निकालते हैं। ठगी की दुनिया में सुपर नटवर लाल और इंडियन चार्ल्स शोभराज के नाम से कुख्यात शातिर धनीराम मित्तल (77) पुलिस की अंतत गिरफ्त में आ ही गया। वह एक-दो साल से नहीं बल्कि 50 साल से ठगी कर रहा था और वह 127 आपराधिक मामलों में शामिल रहा है। मूल रूप से भिवानी (हरियाणा) निवासी धनीराम ने अपना जाल दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ व राजस्थान में फैला रखा था। फर्जी तरीके से मजिस्ट्रेट और स्टेशन मास्टर बनकर उसने कई कारगुजारियों को अंजाम दिया है। धनीराम ने पुलिस को बताया कि झज्जर स्थित कोर्ट में उसने फर्जी मजिस्ट्रेट बनकर 2700 आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया। उसके पास एलएलबी की डिग्री है और उसे कानून की बारीकियों का अच्छा ज्ञान है। उसने कोलकाता से कैलीग्राफी का कोर्स भी किया है। ठगी के धंधे में उसे इसका काफी फायदा भी हुआ। इससे पूर्व धनीराम नशीले पदार्थ की तस्करी, पुलिस की हिरासत से भागना, सट्टेबाजी सहित अन्य मामलों में लिप्त रहा है। चंडीगढ़ के एक मामले में उसे भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है। अभी धनीराम व उसका परिवार टीकरी खुर्द इलाके में रहता है। इससे पूर्व वह जहांगीरपुरी व सोनीपत में रहता था। पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि वाहन चोरी निरोधक दस्ते को सूचना मिली थी कि धनीराम रोहिणी कोर्ट परिसर में कार चोरी के लिए आने वाला है। इंस्पेक्टर राजपाल डबास के नेतृत्व में पुलिस टीम ने कोर्ट के नजदीक अपना जाल बिछाया। सादी वर्दी में पुलिस को तैनात किया गया। जैसे ही वह कोर्ट परिसर के पास दिखा, पुलिस ने उसे दबोच लिया। उसकी निशानदेही पर चोरी की एक कार भी बरामद हुई है। रोहतक कॉलेज में स्नातक करने के बाद धनीराम ने फर्जी कागजात के सहारे रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी की। करीब सात साल वह दिल्ली सहित अन्य जगहों पर तैनात रहा। बाद में वह फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने व गाड़ियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन करने के धंधे में आ गया। वर्ष 1964 में रोहतक में पहली बार पुलिस की गिरफ्त में आया। जेल से छूटने के बाद उसने राजस्थान से एलएलबी की डिग्री हासिल की और कोलकाता से कैलीग्राफी का कोर्स किया। कुछ दिनों तक पटियाला हाउस कोर्ट में मुनीम की नौकरी की। बाद में रोहतक व दिल्ली में वकालत करता रहा। झज्जर कोर्ट में दो महीने तक फर्जी मजिस्ट्रेट बनकर उसने न केवल 2700 आरोपियों को रिहा किया, बल्कि वकील और पुलिस को बेवकूफ बनाता रहा।

-अनिल नरेन्द्र

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