Wednesday 23 August 2017

क्या दिल्ली की अदालतों में पुख्ता सुरक्षा प्रबंध हैं?

दिल्ली हाई कोर्ट में बम की सूचना ने एक बार फिर दिल्ली की अदालतों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिली। फोन करने वाले ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को सूचना देकर कहा कि एक घंटे के भीतर कोर्ट में बम फट जाएगा। खबर मिलते ही नई दिल्ली जिला पुलिस व हाई कोर्ट की इंटरनल सिक्यूरिटी को अलर्ट कर दिया गया। डॉग व बम स्क्वायड, स्पेशल सेल, आपदा प्रबंधन, दमकल विभाग के अलावा अन्य बचाव दल मौके पर पहुंच गए। जैसे ही कोर्ट में मौजूद लोगों को बम की खबर लगी तो अफरातफरी मच गई। तलाशी के दौरान करीब 30 मिनट के लिए कोर्ट की कार्रवाई भी रोकनी पड़ी। कई घंटे चले तलाशी अभियान के बाद सूचना को झूठा करार दे दिया गया। बता दें कि इससे पूर्व दो बार हाई कोर्ट में बम विस्फोट हो चुके हैं। अदालतों में कई बार गोलीबारी भी हो चुकी है। रोहिणी, कड़कड़डूमा, पटियाला हाउस सहित कई अन्य अदालतों में कई बार गोलियां चली हैं। घटना होते ही कड़ी सुरक्षा के दावे किए जाते हैं लेकिन कुछ ही दिनों में हालात पहले जैसे हो जाते हैं। वकील और अदालतों में आने वाले लोगों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। हाई कोर्ट में सुरक्षा कहने को तो कड़ी है, लेकिन वकील की ड्रेस में कोई भी आतंकी या शरारती तत्व अदालत में पहुंच जाए तो उसे रोकना मुश्किल होगा। बेशक कोर्ट की सुरक्षा में लगा दिल्ली पुलिस का स्टाफ अदालत में जाने वाले व्यक्तियों की जांच तो करता है लेकिन वकील और उनके स्टाफ की जांच से पीछे हट जाता है। कोई भी वकील की ड्रेस में अंदर आ जाए तो उसे रोकने वाला कोई नहीं है। तीस हजारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव ने माना कि कोर्ट की सुरक्षा राम भरोसे है। ट्रायल कोर्ट होने के कारण जहां प्रतिदिन अपराधियों को पेश किया जाता है उनके साथ काफी लोग होते हैं। कुछ दुश्मन भी होते हैं जो बदला लेने की ताक में रहते हैं। दिल्ली की अदालतों में कई ऐसी वारदातें हो चुकी हैं। 23 दिसम्बर 2015 की सुबह करीब पौने 12 बजे कड़कड़डूमा अदालत में चार हमलावरों ने कोर्ट रूम 73 में घुसकर एक बदमाश इरफान उर्फ छेनू पर गोलियां बरसाईं। जनवरी 2014 में कोर्ट परिसर के गेट नम्बर पांच के पास सुबह बदमाशों ने गोलीबारी की थी। हत्या के प्रयास के आरोपी जितेन्द्र उर्फ गोगी (23) को कोर्ट रूम ले जाते समय एक युवक ने गोली मार दी थी। इन अदालतों में जो पार्किंग लॉट बने हुए हैं वह भी सुरक्षा की दृष्टि से सेफ नहीं हैं। गाड़ी में कोई भी गोला-बारूद लेकर जा सकता है। दिल्ली की अदालतों में भीड़ इतनी बढ़ती जा रही है कि आखिर पुलिस भी कहां तक पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त कर सकती है। अदालतों के पुख्ता सुरक्षा प्रबंधन पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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