Thursday 26 July 2018

हिंदू तालिबानी कहने पर सुपीम कोर्ट की फटकार

अयोध्या राम जन्मभूमि में सुनवाई के दौरान गत शुकवार 20 जुलाई को मुस्लिम पक्ष के वकील की अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने की घटना को हिंदू तालिबानी कार्यवाही बताने पर जमकर हंगामा होना स्वाभाविक ही है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले पर जैसे ही सुनवाई शुरू की हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने पीठ से कहा कि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन का हिंदुओं को हिंदू तालिबानी कहना बेहद गैर जरूरी था। उन्होंने हिंदुओं का अपमान किया है। जैन ने कहा कि इस शब्द से उन्हें गहरी पीड़ा हुई है और इससे हिंदुओं की छवि खराब हुई है। उन्होंने कोर्ट से ऐसे शब्दों पर रोक लगाने और दिशा-निर्देश देने की मांग की, लेकिन तभी धवन खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि वह अपनी बात पर कायम हैं। उनकी बात को संदर्भ में देखा जाए। उन्होंने कहा कि जैसे बामियान में मुस्लिम तालिबानियों ने बुद्ध की मूर्ति तोड़ी थी, वैसे ही यहां दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा तोड़ने वाले हिंदू तालिबानी थे। तभी वकील किशोर चौधरी धवन की बात पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे। चौधरी ने कहा कि आप पूरे हिंदू समुदाय को हिंदू तालिबानी कैसे कह सकते हैं, लेकिन धवन शब्द दोहराते हुए अपनी बात पर कायम रहे। इस पर भगवान रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट से धवन के रवैये पर अंकुश लगाने की मांग की। कोर्ट में शोर बढ़ने लगा, तभी पधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि वकीलों को कोर्ट की मर्यादा व भाषा के पति विशेष का ध्यान रहना चाहिए। पयोग किया गया शब्द आवंछित और संदर्भ से अलग था। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, लेकिन धवन ने कहा कि वह इससे सहमत नहीं हैं और उन्हें असहमत होने का हक है। इस पर पधान न्यायाधीश ने कहा कि कोई अड़ा रहे तो क्या किया जा सकता है। बाद में जस्टिस अशोक भूषण ने धवन से बात खत्म करने और मुख्य मामले में बहस शुरू करने को कहा। उधर मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं मानने वाले 1994 के इस्माइल फारुखी के फैसले के अंश पर पुनर्विचार के लिए पांच जजों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मुस्लिम पक्ष की मांग पर सुपीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। राजीव धवन ने कहा कि इस मामले को संविधान पीठ को भेजा जाना चाहिए। इस पर हिंदू पक्ष ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि इतने वर्षों बाद इस पर पुनर्विचार की मांग करके मुस्लिम पक्ष अयोध्या विवाद के मुख्य मामले की सुनवाई में देर करना चाहता है। अध्योध्या के मुद्दे पर सुनवाई जारी है।

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