Tuesday 16 October 2018

दिल्ली सिर्फ दिल्ली वासियों की नहीं है

दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज को लेकर दिल्ली सरकार के आदेश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य पीठ ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सिर्प दिल्ली वालों की नहीं है। मुख्य न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने कहा कि दिल्ली को राजधानी के तौर पर दिए गए विशेष दर्जे के तहत इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। पीठ ने दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जगदीश सरन बनाम भारत सरकार के 1980 और हाल ही में  बीर सिंह बनाम दिल्ली जल बोर्ड के मामले में की गई टिप्पणी को फैसले का आधार बनाया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसले में टिप्पणी की थी कि देश की राजधानी सिर्प देश का एक हिस्सा नहीं है, बल्कि छोटा भारत है। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की पीठ ने दिल्ली सरकार को सभी मरीजों का इलाज उसी तरह करने का निर्देश दिया है, जैसा आरक्षण संबंधी सर्कुलर के जारी होने से पहले किया जाता था। याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार का आदेश देश में वोट बैंक और बांटने की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है। सरकार का काम आम नागरिकों को सुविधा देने का रास्ता खोलने का है पर यहां तो गरीबों के लिए अस्पताल का दरवाजा बंद किया जा रहा था। हाई कोर्ट ने गरीबों के हक में फैसला दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य का अधिकार सबको मिलना चाहिए। दिल्ली सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि बाहरी मरीजों के इलाज पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। दरअसल अस्पताल में दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों की संख्या अधिक होती है। इससे अस्पताल में भीड़ बढ़ती है। दिल्लीवासियों को बेहतर इलाज व स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए यह पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। यह सरकार की नीति है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन ने बताया कि सरकार अदालत में अपना पक्ष समझाने में कामयाब नहीं हो सकी है। ऐसे में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बेहतर तैयारी के साथ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने अस्पतालों में सुविधाओं का विकास किया है। इससे मरीजों की संख्या दोगुनी तक बढ़ गई है। लिहाजा दिल्ली वाले इन सुविधाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। सरकार ने ओपीडी व इमरजेंसी में किसी तरह का आरक्षण नहीं किया है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने एक अक्तूबर 2018 को गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल में दिल्ली के मरीजों के लिए 80 प्रतिशत बेड और ओपीडी के 17 में से 13 काउंटर आरक्षित करने के लिए सर्कुलर जारी किया। गैर-सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट ने सरकार के इस कदम को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के प्रावधानों के तहत मिले अधिकारों का हनन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

-अनिल नरेन्द्र

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