Tuesday, 15 July 2025

क्या ट्रंप और नेतन्याहू ने फिर हमले की तैयारी कर ली है?


नेतन्याहू की हाल की अमेरिकी यात्रा के बाद ईरान पर फिर हमले की आशंका बढ़ गई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बड़ा मकसद पूरा हो गया लगता है जिसके लिए वो खासतौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने अमेरिका गए थे। माना जा रहा है कि ट्रंप ने इजरायल को ईरान पर फिर से हमले करने की अनुमति दे दी है। तो सवाल यही है कि क्या नेतन्याहू ईरान पर हमले का दूसरा चरण शुरू करने जा रहे हैं? ईरान पर हमले का खतरा इसलिए बढ़ गया है क्योंकि ट्रंप और नेतन्याहू ईरान पर आाढमण का ब्लू प्रिंट तैयार कर चुके हैं। ऐसा अमेरिकी मीडिया दावा कर रहा है। नेतन्याहू जब वाशिंगटन गए थे तभी ये साफ हो गया था कि वो ट्रंप से ईरान पर हमले की अनुमति मांगेंगे। अब जबकि नेतन्याहू का दौरा पूरा हो गया है तो माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेतन्याहू को ईरान पर हमले की हरी झंडी दे दी है। इसके संकेत इस बात से भी मिल रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों में वाशिंगटन में सब कुछ वैसा ही हो रहा हैं। जैसा पिछली बार हमले से पहले हुआ था। ट्रंप और नेतन्याहू में वाशिंगटन दौरे के दौरान दो बार आपात बैठक हुई। एक बैठक में तो ट्रंप के साथ तमाम अमेरिकी सेना के अध्यक्ष भी बैठक में शामिल थे। यानि कि सैनिक दृष्टि से भी हमले के सारे पहलुओं पर विचार हुआ होगा। नेतन्याहू की यात्रा के बाद ट्रंप अपने इटेंलीजेंस एजेंसियों से मिले। ट्रंप पिछली बार ईरान पर हुए हमले से पहले इसी तरह के शेड्यूल पर थे। इजरायल ने जिस दिन ईरान पर हमला किया था, उस दिन भी ट्रंप ने इंटेलीजेंस से ब्रीफिंग लिया था। नेतन्याहू का आाढामक रुख तो इसी बात का संकेत दे रहा है कि ईरान पर हमले का दूसरा राउंड किसी भी समय शुरू हो सकता है। अमेरिका और इजरायल के हमें दोबारा जंग छेड़ने के पीछे तीन मकसद नजर आते हैं। पहला है ईरान को हर हालत में परमाणु शक्ति बनने से रोकना। पहले राउंड में जब अमेरिका ने बी-2 स्टैल्थ बाम्बर से बंकर बस्टर बम गिराये थे तो ईरान की परमाणु प्रतिष्ठानों को इतना नुकसान नहीं हुआ था और विशेषज्ञों का दावा था कि ईरान परमाणु बम बनाने में सिर्फ 2-3 महीने पीछे हुआ है। कहा तो यह भी जा रहा है कि ईरान ने अपने 400 किलो एनरिच्ड यूरेनियम को अमेरिकी हमले से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया था। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान अब जब चाहे कम से कम दस परमाणु बम बना सकता है। ट्रंप-नेतन्याहू ईरान के परमाणु ठिकानों को हमेशा से मिटाना चाहते हैं। दूसरा मकसद ईरान को इतना कमजोर कर दें कि वह मध्य पूर्व एशिया में महज एक बिना प्रभाव का देश बन कर रह जाए। तीसरा मकसद ईरान से अयातुल्ला रेजीम को हमेशा के लिए खत्म करना। इसमें अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या का भी प्लान है। इजरायल का दावा है कि उसने ईरान के यूरेनियम का पता लगा लिया है। माना जा रहा है कि सीज फायर के बाद मोसाद ने उस लोकेशन का पता लगा लिया है, जहां ईरान ने अपना सर्वाधिक यूरेनियम छिपा रखा है। उधर अमेरिका इस बात से भड़का हुआ है कि ईरान अपने एटमी मिशन का निरीक्षण नहीं करने दे रहा है। इंटरनेशनल एटोमिक एनर्जी और आईएईए प्रमुख राफेल ग्रैसी ने ईरान के एटमी मिशन को लेकर कहा है कि ईरान के पास एटमी हथियार हैं। इस बात के सुबूत तो नहीं हैं। लेकिन खतरा हर बीतते दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। ग्रैसी के कहने का मतलब ये है कि ईरान इतना सक्षम हो चुका है कि वो बहुत जल्द परमाणु परीक्षण कर सकता है। अपुष्ट दावों में तो यहां तक कहा जा रहा है कि ईरान ने परमाणु बम तैयार कर लिए हैं। उधर ईरान भी अगले राउंड के लिए पूरी तरह तैयार है। वह चुनौती दे रहा है और कह रहा है कि अगर इस बार अमेरिका और इजरायल ने फिर ईरान पर हमला किया तो उन्हें ऐसा सबक सिखाया जाएगा जिसे वह भूलेंगे नहीं। हम पूरी ताकत से जवाब देंगे। पिछले 12 दिन के राउंड में हमने साबित कर दिया था कि हम कितनी तबाही कर सकते हैं। इस बार तो ईरान और ज्यादा मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है क्योंकि चीन, रूस और उत्तरी कोरिया का भी उसे पूरा खुला समर्थन मिल चुका है। कुल मिलाकर स्थिति बहुत तनावपूर्ण है। उम्मीद करते हैं, ऊपर वाले सभी पक्षों को सद्बुद्धि दे ताकि कहीं तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत न हो जाए। 
-अनिल नरेन्द्र

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