Tuesday 9 October 2012

महिला की इज्जत के प्रति समाज की बेरुखी आपराधिक


 Published on 9 October, 2012
 अनिल नरेन्द्र

राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के ताजे आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बलात्कार जैसे जघन्य अपराध में पिछले साल 29.27 फीसदी वृद्धि हुई है। रिकार्ड के मुताबिक रोज लगभग 50 महिलाओं का बलात्कार होता है। गौर करने वाली बात यह है कि यह आंकड़े सरकारी रिपोर्ट के आधार पर निर्भर हैं लेकिन बहुत से ऐसे मामले हैं जो दबा दिए जाते हैं या बदनामी के डर से रिपोर्ट ही नहीं होते। बलात्कार की शिकार युवतियों की क्या दुर्दशा होती होगी? गत दिनों दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर एक बलात्कार पीड़ित महिला ने आत्महत्या करने की कोशिश की। महिला आरोपियों की धमकी और अपने पति से परेशान थी। घटना के वक्त वह मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट आई हुई थी। सुनीता (काल्पनिक नाम) पानीपत में परिवार के साथ रहती है। बताया जाता है कि 2011 में उसे किसी ने नौकरी दिलाने की बात कहकर इंटरव्यू के लिए बुलाया था। महिला इंटरव्यू के लिए आई तो परमजीत नाम के एक व्यक्ति ने उसे नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ बलात्कार किया। महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया। महिला का आरोप है कि उसके बाद उसके पति ने भी उसे छोड़ दिया। लेकिन महिला ने आरोपी को सजा दिलवाने की ठान ली। वह लगातार कोर्ट आकर उसके खिलाफ गवाही दे रही थी। आरोपी परमजीत के भाई इस मामले में महिला को गवाही से रोक रहे थे और न मानने की सूरत में उसे परिणाम भुगतने की धमकियां दे रहे थे। महिला एक अक्तूबर को एक बार फिर हाई कोर्ट आई थी, जहां आरोपी के भाई ने पहले उसे धमकाया जब वह नहीं मानी तो पिटाई कर दी। इससे तंग आकर महिला ने हाई कोर्ट के गेट के पास आत्महत्या का प्रयास किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने शहर में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर समाज की उदासीनता पर चिन्ता व्यक्त की। न्यायाधीश ने कहा कि महिला की इज्जत के प्रति समाज की बेरुखी सचमुच चौंकाने वाली है। उन्होंने कहा कि आम जनता की यह प्रवृत्ति आपराधिक किस्म की है। न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा कि जनता यदि जागरूक और सचेत रहे तो कई लड़कियों की समय पर मदद की जा सकती है। दुर्भाग्यवश पेश मामले में ऐसा नहीं हो सका। दोषी को 10 साल की सजा का फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा कि पेश मामले में पीड़िता पास खड़े लोगों से मदद मांगती रही पर कोई सामने नहीं आया। न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत ही क्षोभ का विषय है कि घटनास्थल पर काम कर रहे मजदूर पीड़िता की मदद करने को आगे नहीं आए। फैक्ट्री मालिक को भी सूचना देर से दी गई। पुलिस के रवैए पर भी अदालत ने अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले की जांच ही लचर तरीके से की गई। सुनवाई के बाद अदालत ने दोषी के खिलाफ 52,000 रुपए का जुर्माना लगाया। न्यायाधीश कामिनी लॉ ने पीड़िता को एक लाख रुपए की मदद देने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि मुआवजे के बाद सरकार उसका नाम किसी स्कूल में भी दर्ज करवाए। इस घटना में लड़की स्कूल के बाद अपने घर जा रही थी। रास्ते में उसे उसके साथी ने रोक लिया और पास की एक फैक्ट्री में ले गया। वहां उसके साथ बलात्कार किया। लड़की पास खड़े मजदूरों से मदद मांगती रही पर कोई बचाने नहीं आया।

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