Saturday 9 February 2013

जोर-शोर से लाबिंग करती वॉलमार्ट कम्पनी



    Published on 9 February, 2013   
अनिल नरेन्द्र
 भारत आने के लिए लाबिंग पर मचे बवाल के बावजूद अमेरिकी रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट अपनी आदतों से मजबूर है और अपनी हरकतें करने से बाज नहीं आ रही है। कम्पनी की ओर से अमेरिका में लाबिंग गतिविधियों पर लाखों डॉलर खर्च करने की रणनीति अब भी जारी है। जबकि भारत इस मामले की जांच में जुटा है। अक्तूबर-दिसम्बर 2012 तिमाही में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अन्य मसलों पर लाबिंग के लिए वॉलमार्ट ने 14.8 लाख डॉलर (करीब आठ करोड़ रुपए) की रकम खर्च की है। जुलाई-सितम्बर तिमाही में लाबिंग के लिए खर्च किए गए आंकड़ों के सामने आने के बाद देश में इसे लेकर काफी बवाल मचा था। इसी दौरान सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी थी। अमेरिकी कम्पनियों को हर तिमाही में लाबिंग गतिविधियों पर खर्च की गई रकम की जानकारी अमेरिकी संसद को देनी होती है। अमेरिका में लाबिंग कानूनन वैध है। अमेरिकी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रवेश और अन्य मसलों को लेकर वॉलमार्ट ने वर्ष 2012 में कुल 61.3 लाख डॉलर (33 करोड़ रुपए) झोंके हैं। यह रकम उसने अपने पक्ष में नीतियां बनवाने के लिए अमेरिकी सांसदों पर खर्च की है। वॉलमार्ट की ओर से की जा रही इस लाबिंग पर पिछले दिनों राजनीतिक हलकों में बहस शुरू होने के बाद वॉलमार्ट पर लगे आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक सदस्यीय जांच समिति के गठन को मंजूरी दे दी है। सरकार ने इस जांच का दायरा भी बढ़ा दिया है। हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस या जज की अध्यक्षता में बनने वाली यह समिति वॉलमार्ट की लाबिंग पर आई मीडिया रिपोर्टों के अलावा इस बात की जांच भी करेगी कि कम्पनी ने किसी भारतीय कानून का उल्लंघन तो नहीं किया है। समिति को तीन महीने के अन्दर अपनी रिपोर्ट देनी है। पिछले महीने अमेरिकी सीनेट को वॉलमार्ट ने भारत समेत कई देशों में प्रवेश के लिए लाबिंग पर किए खर्च का ब्यौरा दिया था, जिसके बाद देश में यह मुद्दा तूल पकड़ गया और विपक्ष ने कई दिनों तक संसद में खूब हंगामा किया। कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि संसदीय कार्यमंत्री (कमलनाथ) ने संसद को वॉलमार्ट पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करने का भरोसा दिया था। देश के रिटेल क्षेत्र में प्रवेश के लिए लाबिंग का सहारा लेने के आरोपों के अलावा यह समिति देश में वॉलमार्ट की बाकी गतिविधियों की भी जांच करेगी। वॉलमार्ट पिछले कई वर्षों से भारतीय खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति मिलने का इंतजार कर रही थी। कम्पनी वर्ष 2008 से भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए अमेरिकी सांसदों से लाबिंग करवा रही है। तब से अब तक कम्पनी इन गतिविधियों पर कुल 3-4 करोड़ डॉलर (180 करोड़ रुपए) की रकम खर्च कर चुकी है। दिसम्बर तिमाही में किए गए इस खर्च के तहत कम्पनी ने भारत में एफडीआई संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श पर जोर दिया। कम्पनी ने अपने विभिन्न कारोबारी हितों को लेकर अमेरिकी सीनेट, हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों के अलावा अमेरिकी विदेश विभाग में भी लाबिंग की।

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