Thursday 23 April 2015

पाकिस्तान के तो दोनों हाथों में लड्डू हैं

मैं बात कर रहा हूं अपने पड़ोसी पाकिस्तान की। चीन ने तो पाकिस्तान को अमेरिका से भी बड़ा तोहफा दिया है। यह तोहफा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर पहुंचने पर दिया। इस दौरान दोनें देशों के बीच 46 अरब डालर के चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) और ऊर्जा परियोजनाओं समेत 51 द्विपक्षीय समझौतों पर दस्तखत किए गए। भारत की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए गुलाम कश्मीर से गुजरने वाली अरबों डालर की पाइप लाइन की चीन-पाकिस्तान ने शुरुआत कर दी है। चीन के शिनजियांग पांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाली 46 अरब डालर (करीब 2,89,500 करोड़ रुपए) की इस परियोजना के तहत गुलाम कश्मीर में रेल नेटवर्प व सड़कों का जाल बिछाया जाएगा। सोमवार को पाकिस्तान पहुंचे चीनी राष्ट्रपति ने शुरुआती कुछ घंटों में ही इस समझौते की घोषणा कर दी। इस परियोजना के तहत सौर पवन चक्कियां, बांध आदि का निर्माण भी चीन की मदद से किया जाएगा। परियोजनाओं के पूरे होने पर चीन को अरब खाड़ी व होर्मूज की खाड़ी से सीधा पवेश मिलेगा। यह मार्ग पश्चिम एशिया से तेल भेजने के रास्तों के करीब है। भारत ज्यादातर तेल पश्चिम एशिया से आयात करता है। चीन ग्वादर का इस्तेमाल नौसैनिक केन्द्र के तौर पर भी कर सकेगा। चीन के काशगर से  पाक के अरब सागर में स्थित ग्वादर बंदरगाह तक जोड़े जाने वाले 46 अरब डालर के रेल नेटवर्प को चीन-पाकिस्तान कारिडोर कहा जाता है जो पीओके से होकर गुजरेगा। योजना के तहत करीब 3 हजार किलोमीटर लंबा सड़क (स्लिक रोड) रेल और पाइपलाइन नेटवर्प बिछाया जाएगा। चीन का यह करार पाकिस्तान में बीते सालों में किए गए कुल अमेरिकी निवेश (करीब 31 अरब डालर) से कहीं ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि चीनी राष्ट्रपति का यह पिछले नौ सालों में पहले किसी राष्ट्रपति का दौरा है। भारत की आशंका है कि भविष्य में चीन ग्वादर बदंरगाह को नौसैनिक ठिकानों के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही चीन के लिए होर्मूज और अरब की खाड़ी के दरवाजे खुल जाएंगे जहां से वह पश्चिम एशिया के तेल भेजने के रास्तों के बेहद करीब पहुंच सकता है। ये वे रास्तें हैं जहां से भारत अपना अधिकांश तेल आयात करता है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने पहले दौरे में जिस तरह से 51 समझौते किए हैं, उनसे जाहिर होता है कि पाकिस्तान के दोनों हाथों में लड्डू हैं। उधर अमेरिका खुलकर मदद कर रहा है, इधर चीन। इस लिहाज से पाकिस्तान की विदेश नीति सफल मानी जाएगी। आधारभूत संरचना को छोड़ भी दें तो अकेले यही गलियारा भारत के लिए चिंता करने के लिए काफी है। चीन इसकी एवज में पाक के परमाणु ईंधन संयंत्र बिठाने और उसके लिए आपूर्ति देशों की बगैर सहमति के यूरेनियम देने पर अड़ा हुआ है। इसके साथ सैन्य सामान की आपूर्ति की भी बात हो रही है। इसका इस्तेमाल कहने के लिए आतंकवाद के विरुद्ध होना है किन्तु होगा यह भारत के मोर्चे पर। चीन भारत को चारों ओर से घेरने में लगा है। देखें अगले महीने हमारे पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पस्तावित चीन यात्रा में क्या हासिल करेंगे?

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