Thursday 18 June 2015

जगेन्द्र पकरण ः कठघरे में खड़ी अखिलेश यादव सरकार

उत्तर पदेश के शाहजहांपुर में पत्रकार जगेन्द्र सिंह को जलाने की घटना इतनी नृशंस थी जिससे अंतत उसकी मृत्यु हो गई, इस घटना के करीब 9-10 दिन बाद भी मुख्य आरोपी राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ कार्रवाई होना तो दूर की बात है समाजवादी पार्टी ने साफ किया कि फिलहाल उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। उत्तर पदेश के वरिष्ठ केबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि जांच पूरी होने पर ही किसी मंत्री को हटाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आप तो जानते हैं कि झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है, आरोप लगाए जाते हैं। जब तक जांच पूरी नहीं होगी तब तक किसी मंत्री को हटाया नहीं जाएगा। जगेन्द्र सिंह की हत्या के मामले में मंत्री से अब तक पूछताछ नहीं किए जाने के मद्देनजर निष्पक्ष जांच की संभावना को लेकर उठ रहे सवालों के घेरे में पूछे जाने पर यादव ने दावा किया कि पूछताछ हो रही है, जांच भी हो रही है। यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने गत सप्ताह पधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राज्य के हालात के साथ पत्रकार जगेन्द्र सिंह को जलाए जाने की घटना की जानकारी दी। चारों ओर से दबाव के कारण बड़ी मुश्किल से अखिलेश सरकार ने उन पांच पुलिस वालों को सस्पेंड किया जो इस नृशंस हत्या में शामिल थे। सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर अपने पेज शाहजहांपुर समाचार पर उनकी खबरें और रिपोर्ट स्थानीय पत्रकारों के लिए सूचना का स्रोत बना हुआ था। उनका पयोग पभावशाली बन गया था। उन्होंने राज्य सरकार की रोक के बावजूद एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर) राशन कार्ड संबंधी एक रिपोर्ट पकाशित की जिससे कहा जाता है कि पिछड़ा वर्ग के ब्राह्मण मंत्री राममूर्ति खफा हो गए। गत 22 मई को अपनी फेसबुक पोस्ट में जगेन्द्र ने आशंका जताई थी कि वर्मा ने उन पर हमला किया जिसमें उनका पैर टूट गया। उधर शहाजहांपुर पुलिस का दावा है कि जगेन्द्र गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल थे जिस वजह से उनके खिलाफ पांच फौजदारी मामले दर्ज हुए। 27 मई को जगेन्द्र ने अपनी फेसबुक पोस्ट में वर्मा पर गैंगरेप में शामिल होने का आरोप लगाया। इन्हीं परिस्थितियों में एक जून को पुलिस उनके घर पहुंची। उसी दौरान उनकी जलकर मौत हो गई। जगेन्द्र के बेटे द्वारा साफ शब्दों में वर्मा एवं पुलिस कर्मियों का नाम लेने के बावजूद पुलिस मुकदमा दर्ज करने में टाल-मटोल करती रही। मामला तब दर्ज हुआ जब यह घटना देश-विदेशों में पसारित हुई और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने आवाज उठाई। राममूर्ति वर्मा पर केवल हत्या का आरोप, रेप का आरोप ही नहीं है। वे कुछ दिन पहले तक वक्फ सपंत्तियों को जबरन कब्जा करने के आरोपों का भी सामना कर रहे थे। युवा मुख्य मंत्री अखिलेश यादव से जनता को कुछ उम्मीदें हैं। इतने दिन बाद भी वह राममूर्ति वर्मा को हटाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं, निराशाजनक है। दुख से कहना पड़ता है कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में सपा नेता और कार्यकर्ता इतने दुस्साहसी हो गए हैं कि वे अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों की हत्या करने तक से नहीं हिचक रहे। पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं जहां पारदर्शिता की बात करने वाली अखिलेश सरकार की छवि पर धब्बा हैं, वहीं पार्टी जनों का बढ़ता दुस्साहस उसकी नाकामी का परिचायक भी है। जगेन्द्र के परिवार वालों ने पूरी घटना की जांच सीबीआई से कराने की बात कही है क्योंकि पुfिलस पशासन कैसी जांच करेगा जिसमें वह खुद आरोपी है? हमारी मांग है कि राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को जांच पूरी होने तक मंत्री पद से हटाया जाए और मामले की जांच सीबीआई को दी जाए। अखिलेश से यही उम्मीद है।

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