Tuesday 6 October 2015

सट्टा बाजार के अनुसार बिहार में कमल खिलेगा

बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मतदान में अब सात दिन से भी कम समय रह गया है। विधानसभा की 47 सीटों के लिए 12 अक्तूबर को वोट पड़ने हैं। जनता परिवार और एनडीए के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुके विधानसभा चुनाव में दोनों पक्ष अब हर तीर आजमाने की तैयारी में है। जिस तरह से राज्य में आरक्षण के मुद्दे से लेकर जातिगत समीकरणों को जनता परिवार हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है उसे देखते हुए ही भाजपा अब उसकी काट खोजने में जुटी है। मंदिर निर्माण के मुद्दे पर भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी और विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं की ज्वाइंट डिमांड को भी बिहार चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह कदम भी वोटरों को संकेत देने के लिए उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस महीने होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव अब तक की सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा होगी। अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक के विद्वानों ने कहा है कि इस चुनाव परिणाम के नतीजों का असर राज्य की सीमाओं से बाहर भी पड़ेगा। कार्नेगी इडावमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के विद्वानों मिलान वैष्णव और सक्षम खोसला ने एक संपादकीय में लिखा हैöबिहार के मतदाता क्या निर्णय लेते हैं यह मायने नहीं रखता है लेकिन इसके नतीजों का असर सीमाओं से परे महसूस किया जाएगा। उन्होंने लिखा है कि 12 अक्तूबर को शुरू होने वाला बिहार चुनाव आठ नवम्बर को समाप्त होगा जो मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा होगी। अगर जीत मिलती है तो यह जीत केंद्र सरकार को नई गति प्रदान कर सकती है। इस जीत से भाजपा राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच सकती है और 2016 और 2017 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में इससे इसे मजबूती मिलेगी। अगर हार मिलती है तो यह एक बहुत बड़ा झटका होगा। विशेषकर इसलिए क्योंकि मोदी ने प्रचार में अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है। यहां तक कि राज्य के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की भी घोषणा कर रखी है। अगर सट्टा बाजार की मानें तो बिहार में नीतीश कुमार के अंगने में अमित शाह ने जो जमीन तैयार की है, उससे बिहार विधानसभा में इस साल भाजपा का कमल खिलेगा। इसका रंग इतना चटख होगा कि उसके सामने नीतीश और उसके सियासी साथी लालू फीके पड़ जाएंगे। सट्टेबाजों के मुताबिक शुरू में तो नीतीश-लालू-कांग्रेस महागठबंधन की एनडीए गठबंधन से कांटे की टक्कर थी और महागठबंधन कुछ बढ़त बनाए दिख रहा था लेकिन भाजपा ने अब उसे बहुत पीछे छोड़ दिया है और यह सारा परिवर्तन एक पखवाड़े में हुआ है। डेढ़ महीने पहले तक सट्टा मार्केट का अनुमान था कि नीतीश और उनके महागठबंधन के सामने भाजपा कमजोर है। भाजपा की जीत पर हर एक रुपए के दांव पर एक रुपए 10 पैसे का ऑफर था। तब अनुमान था कि भाजपा 100 सीटों तक ही पहुंच सकेगी। मगर एनडीए का सीट शेयरिंग समझौता होने के बाद रुझान तेजी से बदला। बुकीज अब कहते हैं कि एनडीए को 135 सीटों पर जीत मिल सकती है और बहुमत हासिल करने में सफल रहेगी। वहीं महागठबंधन मुश्किल से 100 सीटों तक पहुंच पाएगा। अभी सट्टा मार्केट 135 सीटों के साथ एनडीए की जीत पर लगे हर एक रुपए के दांव पर केवल 60 पैसे दे रहा है। दूसरी ओर नीतीश महागठबंधन की जीत की संभावना पर लगाए हर एक रुपए पर वह एक रुपया 80 पैसे दे रहा है। चुनाव में हर दिन स्थिति बदलती है। देखें आगे क्या-क्या होता है?

-अनिल नरेन्द्र

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