Thursday 26 September 2024

जबरदस्ती दबाव डालने की रणनीति

पीएम नरेन्द्र मोदी अमेरिका दौरे पर गए। इस यात्रा के दौरान की एक तस्वीर चर्चा में है। इस तस्वीर में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी है। भारत की तरफ से इस तस्वीर में पीएम मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा नजर आए। इस तस्वीर और अमेरिकी दौरे में जिनके ना दिखने को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए वो हैं भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए अजित डोभाल। ऐसा आमतौर पर माना जाता है कि भारतीय डिप्लोमैसी में तीन लोग अहम हैं। एक खुद पीएम मोदी, दूसरे विदेश मंत्री एस. जयशंकर और तीसरे एनएसए अजित डोभाल। आमतौर पर मोदी जी के साथ डोभाल साथ होते हैं। ऐसे में सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर डोभाल अमेरिका क्यों नहीं गए? शायद ये पहली बार है जब डोभाल या कोई एनएसए पीएम के साथ अमेरिका न गया हो। अजित डोभाल का अमेरिका ना जाना कई कारणों से चर्चा में है। हाल ही में पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले अमेरिका में शीर्ष अधिकारियों ने खालिस्तान समर्थक नेताओं से मुलाकात की थी। यह मुलाकात व्हाइट हाउस में हुई थी। पिछले कई दिनों से अमेरिका खालिस्तानियों को लेकर भारत पर दबाव बना रहा है। यह अमेरिका की पुरानी कूटनीतिक ट्रिक है। क्या यह महज इत्तिफाक है कि पीएम के दौरे से ठीक कुछ दिन पहले अमेरिका के न्यूयार्क की एक अदालत में एक मुकदमा दर्ज होता है। खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास के आरोपों को लेकर अमेरिका की एक अदालत ने भारत सरकार और शीर्ष अधिकारियों को समन जारी किया जिस पर विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पन्नू ने अमेरिका की एक न्यूयार्क अदालत में दीवानी मुकदमा दायर किया है। जिसका उद्देश्य पिछले साल सरेआम हरदीप सिंह निज्जर की मौत और उसके तुरन्त बाद उसकी (पन्नू की) हत्या की साजिश रचने में कथित संलिप्तता के लिए भारत सरकार को जवाबदेही ठहराया गया है। इस मामले के आधार पर न्यूयार्क के दक्षिणी जिले में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने समन जारी किया है। इसमें भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, रॉ के पूर्व अध्यक्ष सामंत गोयल, रॉ एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता का नाम है। अदालत ने भारत सरकार से इस संबंध में 21 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। न्यूयार्क की इस अदालत ने भारत के कई लोगों को समन किया था। इस समन में अजित डोभाल, निखिल गुप्ता, सामंत गोयल जैसे शीर्ष अधिकारियों के नाम हैं। 21 दिनों के अंदर इस समन का जवाब दिया जाना है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस समन को गैर-जरूरी बताया है। ऐसे में कुछ हल्कों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या डोभाल समन के कारण ही मोदी जी के साथ अमेरिका नहीं गए? हालांकि यह सच नहीं है। डोभाल कश्मीर चुनाव को बिना किसी अड़चन के संपन्न करवा रहे हैं। हमारा मानना है कि यह अमेरिका की नाजायज दबाव बनाने की रणनीति का एक हिस्सा है, ठीक पीएम के दौरे से पहले ऐसा बेहूदा केस रजिस्टर करना अपने आप में अमेरिका की दबाव नीति को दर्शाता है। सारी दुनिया जानती है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू माने हुए आतंकी हैं जो दिन-रात भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं। यह बात गहराई से रेखांकित होनी चाहिए कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त अमेरिका और कनाडा जैसी जगहों के जंगल पर पनाह पाए पन्नू जैसे लोगों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।

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