Thursday, 17 July 2025

सत्ता के लिए खींचा गाजा युद्ध लंबा

इजरायल में सबसे ज्यादा समय सत्ता में रहने का रिकार्ड बेंजामिन नेतन्याहू के नाम है। वे 17 साल 9 महीने से इजरायल के प्रधानमंत्री हैं। दिसम्बर 2022 के बाद नेतन्याहू के तीसरे कार्य काल के 30 माह में से 21 माह तक इजरायल युद्ध में घिरा रहा है। नई न्यूयार्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नेतन्याहू ने घटती लोकप्रियता, भ्रष्टाचार के आरोपों से और अदालतों में चल रही उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के केसों से बचने व ध्यान हटाने के लिए गाजा युद्ध लंबा खींचा। आरोप है कि नेतन्याहू ने कतर के जरिए हमास की बाकायदा फंडिंग भी की। जानिए कैसे नेतन्याहू ने पीएम पद पर बने रहने और अपने फायदे के लिए बाकायदा युद्ध का इस्तेमाल किया। नेतन्याहू ने खुफिया इनपुट की अनदेखी की जिससे हमास मजबूत हुआ और उसे तैयारियों का मौका मिला। नेतन्याहू 2020 से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे थे, जिससे उनकी सियासी पकड़ कमजोर हुई। सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने दक्षिणपंथी और अतिवादी दलों के साथ गठबंधन किया। नेतन्याहू ने कतर के माध्यम से गाजा को आर्थिक सहायता देने की नीति अपनाई जिसे वे शांति खरीदने का तरीका मानते थे। लेकिन इससे हमास को सैन्य तैयारियों के लिए संसाधन जुटाने का मौका मिला। जुलाई 2023 में सैन्य खुफिया इकाई ने चेतावनी दी कि नेतन्याहू की न्यायपालिका सुधार योजना ने देश को कमजोर किया, जिससे हमास, हिजबुल्ला और ईरान को हमले का अवसर मिल सकता है। रिज बेट तत्कालीन प्रमुख रोनन बार रणनीतिक युद्ध की चेतावनी दी, लेकिन नेतन्याहू ने इसे खारिज कर दिया और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया। इससे हमास को लाभ मिला। नेतन्याहू का दोहरा खेल, क्षेत्र के लिए युद्ध का ऐलान, नाकामी का ठीकरा सेना, एजेंसियों पर फोड़ा। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले ने इजरायल को चौंका दिया। हमले में 1195 इजरायली मारे गए और 251 को अगवा किया गया। नेतन्याहू ने तुरंत हमास नेतृत्व को खत्म करने के आदेश दिए। खुफिया विफलता की जिम्मेदारी से बचने के लिए उन्होंने सेना और खुफिया एजेंसियों पर ठीकरा फोड़ा। उनकी पहली रणनीति थी सैन्य जवाब को तेज करना, जिसमें गाजा पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शामिल थे। उन्होंने मध्यमार्गी बेनी गैंट्स और गादी आईजेनकारे को सरकार में शामिल किया। इस कदम ने गठबंधन सरकार को स्थिरता दी और युद्ध को लंबे खींचने की उनकी रणनीति को समर्थन मिला। पीएम ने दोहरा खेल खेलते हुए हमास हमले के लिए सार्वजनिक रूप से दावा किया कि उन्हें हमास के इरादों की कोई चेतावनी नहीं मिली थी, जिससे उनकी छवि को बचाने की कोशिश की। नेतन्याहू ने अपनी सियासी छवि को चमकाने और सत्ता में बने रहने के लिए युद्ध का इस्तेमाल किया। सितम्बर 2024 में बंधकों की हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन बढ़े। उनके प्रवक्ता ने एक हमास दस्तावेज को जर्मन अखबार बिल्ड में लीक किया, जिसमें दावा किया गया कि प्रदर्शनकारी हमास के एजेंडे को बढ़ावा दे रहे थे। इस रणनीति ने जनता का ध्यान युद्ध विराम की मांग से हटाकर, हमास के खिलाफ एकजुटता की ओर मोड़ा। हिज्बुल्ला व ईरान के खिलाफ सैन्य सफलताओं ने नेतन्याहू की लोकप्रियता बढ़ा दी। हमास नेता माल्या सिनवार और हिज्बुल्ला नेता नसरूल्ला की मौत, लेबनान पर वाकी टॉकी हमले और ईरान के परमाणु fिठकानों पर हमले ने नेतन्याहू की स्थिति को और मजबूत किया। अप्रैल 2024 में नेतन्याहू ने एक युद्ध विराम योजना को मंजूरी दी जिसमें 30 से अधिक इजरायली बंधकों की रिहाई और सऊदी अरब के साथ शांति समझौते की संभावना शामिल थी। कैबिनेट बैठक में कट्टर दक्षिणपंथी और वित्त मंत्री ने धमकी दी कि अगर यह योजना आई तो सरकार गिर जाएगी। नेतन्याहू ने तुरंत अपनी सत्ता को प्राथमिकता देते हुए इस योजना को रद्द कर दिया। 1 जुलाई 2024 में एक और युद्ध विराम समझौता करीब था लेकिन नेशनल सिक्यूरिटी मंत्री के दबाव में नेतन्याहू ने गाजा-मिस्र सीमा पर नई शर्तें जोड़ दी जिससे बातचीत विफल हो गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में नेतन्याहू ने जनवरी 2025 में गाजा युद्ध विराम लागू तो किया लेकिन अपनी सत्ता बचाने के लिए मार्च में ही उसे तोड़ दिया। अल्ट्रा आर्थोडॉक्स सांसदों के विरोध में सरकार गिरने के खतरे को देखते हुए नेतन्याहू ने बेन ग्वीर को फिर से गठबंधन में जोड़ा जिसकी शर्त थी गाजा में बमबारी जारी रहे। 18 मार्च को हमले शुरू हुए, 19 को गठबंधन बहाल हुआ और बजट पारित। नेतन्याहू ने ट्रंप को ईरान पर हमले के लिए मना लिया। ट्रंप ने सैन्य समर्थन दिया और इजरायल का साथ देकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की। इसी के बाद नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया। साफ है कि बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी सत्ता बचाने के लिए गाजा युद्ध जारी रखा। 50 हजार से ज्यादा लोग बली चढ़ चुके हैं जिनमें 28000 बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। सत्ता की खातिर यह तानाशाह कुछ भी कर सकते हैं। ऊपर वाला सब देख रहा है और सही समय पर उनके कुकर्मों की सजा देगा। -अनिल नरेन्द्र

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