Tuesday 18 October 2011

अमेरिका प्रति वर्ष 120 अरब डालर विभिन्न युद्धों पर खर्च करता है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 18th October 2011
अनिल नरेन्द्र
कारपोरेट घरानों की लूट के खिलाफ अमेरिका में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन हो रहे हैं। आक्यूपाई वॉल स्ट्रीट नामक इस आंदोलन को विश्वव्यापी समर्थन मिलने लगा है। यूरोप, अमेरिका और एशिया में करीब 80 देशों के 950 शहरों में हजारों की तादाद में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। आक्यूपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन के हजारों प्रदर्शनकारियों ने न्यूयार्प स्थित ऐतिहासिक टाइम्स स्क्वेयर पर जबरदस्त प्रदर्शन किया। इससे मेनहट्टन में यातायात बाधित हो गया और पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं। कम से कम 88 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 24 लोग सिटी बैंक की एक शाखा में जबरन घुस गए थे जबकि 45 लोगों को उग्र रैली निकालने को लेकर गिरफ्तार किया। ये लोग कारपोरेट घरानों की लूट और वित्तीय राहत पैकेज के विरोध में पिछले 30 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड शहर में हजारों लोगों और आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में लगभग दो हजार लोगों ने प्रदर्शन किया। इसके अलावा टोक्यो, ताइपे, मनीला में भी लोगों ने फेसबुक पर प्रदर्शनों के आह्वान को समर्थन देते हुए `आर्थिक अन्याय' के खिलाफ प्रदर्शन किया। आस्ट्रेलिया में हो रहे ऐसे ही एक प्रदर्शन में शामिल जोश ली ने कहा, हम केवल सरकार बदलने की बात नहीं कर रहे हैं। ज्यादातर लोग व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं। हम चाहते हैं कि जिस तरह राजनीति पर पैसा हावी है वह व्यवस्था बदले। बड़े-बड़े व्यापारिक संस्थान, खनन कम्पनियां राजनीति पर कब्जा किए बैठी हैं। यह सब समाप्त होना चाहिए।
अमेरिका की सशक्त सैन्य संसदीय समिति में रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा के लिए उस समय अपना बचाव करना मुश्किल हो गया जब समिति के अन्य सदस्यों ने उन्हें घेरते हुए कहा कि ऐसे समय में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है तो प्रति वर्ष 120 अरब डालर सालाना विभिन्न देशों में युद्ध पर खर्च करने का क्या औचित्य है? विपक्षी रिपब्लिकन की तेज-तर्रार नेता चेली पिनग्री ने पैनेटा से सवाल किया कि जब वित्तीय घाटे के कारण देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है तो अमेरिका युद्धों पर अरबों डालर क्यों खर्च कर रहा है? रक्षा मंत्री ने अपना बचाव करते हुए कहा कि वर्ष 2014 तक अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमलों के 10 वर्ष बाद रक्षा और सेना विषय पर सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से रक्षा बजट पर चर्चा हुई बैठक के पहले 15 मिनट तक युद्ध विरोधी प्रदर्शनकारियों के नारेबाजी के कारण बैठक बाधित हुई। रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, यमन और सोमालिया के आतंकवादी देश के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका का मुख्य ध्यान इस ओर है कि अफगानिस्तान अलकायदा तथा अन्य आतंकियों के लिए फिर सुरक्षित पनाह न बनने पाए। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका जल्दबाजी में वहां से अपनी सेनाएं हटा लेता है और ऐसी स्थिति में वह फिर से अलकायदा का ठिकाना बन जाता है तो अंतर्राष्ट्रीय जगत अमेरिका से ही सवाल पूछेगा। मतलब साफ था कि बजट कट करोगे तो नुकसान होगा। उधर इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयार्प को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने देश में नीति-निर्धारकों को भारत और ब्राजील जैसे उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों से सीख लेने को कहा जिन्होंने अर्थव्यवस्था को अपनी विदेश नीति के केंद्र में रखा। श्रीमती क्लिंटन ने कहा कि जब उनके नेता विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों पर कोई फैसला करते हैं तो उनका पहला सवाल यह होता है कि यह उनकी अर्थव्यवस्था के विकास से कैसे मददगार होगा। क्लिंटन का मतलब साफ था कि अमेरिका की विदेश नीति काफी हद तक अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर हावी हो रही है और यह युद्ध अमेरिका को भारी पड़ रहे हैं।
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