Friday 26 August 2016

रियो का प्रदर्शन टोक्यो के लिए शुभ संकेत व उम्मीद है

जीका का डर, आतंकी हमले का खतरा, जहरीले पानी आदि तमाम तरह की चुनौतियों के साथ शुरू हुआ 31वां ओलंपिक गेम्स शांतिपूर्वक और शानदार तरीके से खत्म हो गए। बेशक भारत के लिए यह गेम्स उतने अच्छे नहीं रहे जितनी उम्मीद की जा रही थी और अंत में हमारे हाथ सिर्प दो मैडल ही लगे पर रियो से निराशा खेल प्रेमियों के लिए कई उम्मीदें भी बनी हैं। इस बार हमने 15 खेलों में भाग लिया, जिसमें नौ खेलों में हमारा प्रदर्शन पिछली बार से बेहतर रहा। जिम्नास्टिक और नौकायान जैसे खेलों में भी हम पदक के नजदीक पहुंच गए थे। कुल 118 खिलाड़ियों के साथ ओलंपिक में भागीदारी भी एक रिकार्ड रहा। रियो बीता कल हो चुका है और टोक्यो आने वाला कल है। इन खेलों में भारत का शानदार प्रदर्शन रहाöजिम्नास्टिक में दीपा कर्माकर पहले ही प्रयास में अंतिम चार तक पहुंची। हॉकी में 36 साल बाद महिला टीम ने क्वालीफाई किया और पुरुष टीम अंतिम आठ तक पहुंची। 3000 मीटर स्टीपल मेस में ललिता बाबर ने राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ दुनिया में टॉप दस रनरों में पोजीशन बनाई। बैडमिंटन में 2012 में साइना नेहवाल को कांस्य पदक मिला था, जबकि सिंधु ने अब की बार रजत पदक जीता। महिला कुश्ती में भारत के इतिहास में पहली बार साक्षी मलिक ने कांस्य पदक हासिल किया। लंदन ओलंपिक में छह मैडल जीतने के साथ ही रियो में और बेहतर किए जाने की उम्मीद की जा रही थी। पहली बार क्वालीफाई करने वाले एथलीटों की संख्या 100 के पार पहुंची। कई एथलीटों को पक्का दावेदार बताकर कुल संभावित मैडल की संख्या आसानी से 10 के पार जाने की उम्मीद थी। पर हकीकत में कई एथलीटों का प्रदर्शन उम्मीदों के आसपास भी नहीं ठहरा। भारत के टॉप शूटर्स में से एक जीतू राय मुल्क की सबसे बड़ी मैडल होप थे। 10 मीटर एयर पिस्टल में वर्ल्ड चैंपियनशिप का गोल्ड जीतने वाले राय को 50 मीटर इवेंट में भी विपक्षी तगड़ा दावेदार मानकर चल रहे थे। लेकिन दोनों ही इवेंट में वह बड़ी मुश्किल से फाइनल में जगह बना सके। योगेश्वर दत्त लंदन में ब्रांज मैडल जीते थे। रियो में वह पहले ही चक्र में बाहर हो गए। लंदन ओलंपिक के ब्रांज मैडललिस्ट शूटर गगन नारंग ने 10 मीटर एयर राइफल, 50 मीटर एयर राइफल, 50 मीटर राइफल, तीन पोजीशन में मैडल के लिए निशाना लगाने से चूक गए और वह तीनों इवेंटों में क्रमश 23, 13 और 33वीं पोजीशन में रहे। विमिन्स रिकर्व अमिटी टीम में भारत का सफर अगर ज्यादा दूर तक नहीं चला तो उसकी बड़ी वजह एक बार फिर भारत की स्टार आर्यर दीपिका कुमारी रही। अहम मौकों पर वह परफैक्ट 10 नहीं लग सकी। बाद में हार के लिए मौसम को जिम्मेदार ठहरा दिया। हमारी खेल एसोसिएशनों को चाहिए कि अभी से टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में जुट जाएं। अगर ये एसोसिएशन पूरे साल एक्टिव रहे तो एथलीटों का प्रदर्शन और बेहतर हो सकता है। लगातार दो ओलंपिक्स में मैडल दिलाकर गोपी चन्द ने दिखा दिया कि अगर खिलाड़ियों को सही से तराशा जाए तो ओलंपिक्स में मैडल जीतना इतना मुश्किल भी नहीं। आंकड़ों के मुताबिक देश की ज्यादातर आबादी गरीब है। लोग बच्चों को ग्राउंड पर भेजने की जगह काम पर लगाने पर मजबूर हैं। जो बच्चे खेलना भी चाहते हैं वो तमाम प्रतिभा के बावजूद गरीबी के चलते खेल छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। भूखे पेट खेल कर कोई चैंपियन कैसे बन सकता है। सरकार भी इनकी तरफ ध्यान नहीं देती।

-अनिल नरेन्द्र

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