Friday 30 November 2018

वैज्ञानिकों के एक नहीं दो चमत्कार

वैज्ञानिकों ने चमत्कार एक बार फिर करके दिखा दिया है। वह भी एक नहीं दो। पहला चीन के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उन्होंने पहली बार जीन में बदलाव कर दो बच्चियों को पैदा करने में सफलता हासिल की है। और दूसरा है मंगल ग्रह पर नासा का मार्स की सतह पर सफलतापूर्वक इनसाइट का उतारना। पहले बात करते हैं चीनी वैज्ञानिकों के चमत्कार की। शेनझान के अनुसंधानकर्ता ही जियांनकुई ने उन्होंने दावा किया कि इस तकनीक से पैदा बच्चों में एचआईवी से लड़ने की कुदरती क्षमता होगी। माना जा रहा है कि इस कामयाबी से नए सिरे से जीवन को लिखा जा सकता है। उन्होंने सात दंपतियों के बांझपन के उपचार के दौरान भ्रूण बदल डाले। एक दंपति को इसी माह जुड़वा बच्चियां पैदा हुई हैं, जिससे बदलाव की पुष्टि होती है। एक अमेरिकन वैज्ञानिक ने भी कहा है कि उन्होंने चीन में हुए इस अनुसंधान में हिस्सा लिया। अमेरिका में इस तरह के जीन-परिवर्तन प्रतिबंधित है क्योंकि डीएनए में बदलाव भावी पीढ़ियों तक असर पहुंचाएंगे और अन्य जीन्स को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है। मंगलवार को शुरू हो रहे जीन-एडिटिंग के एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले जियांनकुई ने कहा कि प्रयोग में शामिल दंपतियों ने पहचान जाहिर करने से मना कर दिया है। वह यह भी नहीं बताएंगे कि वह कहां रहते हैं और यह प्रयोग कैसे हुआ। हालांकि इस दावे की स्वतंत्र रूप से कोई पुष्टि नहीं हो सकी है। वहीं कुछ वैज्ञानिक इस खबर को सुनकर ही हैरान हैं। हालांकि एक अमेरिकन डाक्टर, डॉ. एरिक टोपोल ने कहा कि हम इंसानों के आपरेटिंग निर्देशों से डील कर रहे हैं जो बड़ी बात है। वहीं पेंसलवेनिया विश्वविद्यालय के डाक्टर किरण मुसुनुरी ने कहा कि इंसानों पर प्रयोग नैतिक रूप से ठीक नहीं है। इसकी निन्दा हो। दूसरा चमत्कार कह सकते हैं वह है नासा के यान का मंगल ग्रह तक पहुंचना। मंगल ग्रह के रहस्य उजागर करने के लिए इसकी चट्टानी सतह को खोदने के लिहाज से डिजाइन किया गया नासा का रोबोटिक इनसाइट अंतरिक्ष यान सोमवार को सफलतापूर्वक लाल ग्रह की सतह पर उतरा। अंतरिक्ष यान से भेजे सिग्नल में संकेत दिया गया है कि उन्हें मंगल ग्रह पर धूप मिल रही है। नासा के मार्स ओडिसी आर्बिटर ने सिग्नल भेजे जो मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह सात बजे पृथ्वी पर पहुंचे। धूप मिलने के संकेतों से साफ हो गया है कि अंतरिक्ष यान की बैटरी रिचार्ज हो सकती है। ओडिसी ने कुछ तस्वीरें भेजी हैं जिनमें इनसाइट को सतह पर उतरते देखा जा सकता है। सात महीने की लगातार यात्रा के बाद इनसाइट सोमवार को लाल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया। इनसाइट पहली बार मंगल ग्रह के सुदूर इलाके में खुदवाई करके ग्रह की भूमिगत संख्या का अध्ययन करेगा। साथ ही भूकंपीय गतिविधियों को भी इसके जरिये दर्ज किया जाएगा। इनसाइट को इसी साल 5 मई को प्रक्षेपित किया गया था। 6200 मील प्रति घंटे की रफ्तार से 301,223,981 मील दूरी इसने तय की है।

-अनिल नरेन्द्र

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