Saturday, 18 January 2025
भागवत के बयान पर राहुल का पलटवार
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सच्ची आजादी वाले बयान पर भारी विवाद खड़ा हो गया है। पहले बताते हैं कि सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा क्या था? मोहन भागवत सोमवार को इंदौर में थे। वहां वो रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चपंत राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार देने के लिए मौजूद थे। इस पुरस्कार समारोह में भागवत ने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए। इसे ही भारत का सच्चा स्वतंत्रता दिवस मानना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा था, प्रतिष्ठा द्वादशी, पौष शुक्ल द्वादशी का नया नामकरण हुआ। भारत स्वतंत्र हुआ 15 अगस्त 1947 को जिससे राजनीतिक स्वतंत्रता आपको मिल गई। उन्होंने आगे जो कहा उसका भाव यह था कि असल आजादी तो हमें प्रभु राम के मंदिर की प्रतिष्ठा के साथ मिली। मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया आई। राहुल गांधी ने नई दिल्ली में बुधवार को कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर भागवत के इस बयान का जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, हमें ये मुख्यालय एक खास समय में मिला है। मेरा मानना है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत 1947 में आजाद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत की सच्ची आजादी उस दिन मिली जब राम मंदिर बना। वो कहते हैं कि संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि मोहन भागवत में ये दुस्साहस है कि हर दो तीन दिन में वो देश को ये बताते हैं कि आजादी के आंदोलन को लेकर वह क्या सोचते हैं। राहुल गांधी ने कहा, मोहन भागवत तो कह रहे थे कि संविधान बेमानी है, उनके बयान का मतलब ये है की ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़कर हासिल की गई हर जीत बेमानी है और उनके अंदर इतना दुस्साहस है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बात कर रहे है। मोहन भागवत ने अगर ये बयान किसी और देश में दिया होता तो उनके खिलाफ कार्रवाई होती। ये देशद्रोह करार दिया जाता और वो गिरफ्तार हो जाते। भागवत कह रहे हैं कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। ऐसा कहना हर भारतीय का अपमान है, स्वतंत्रता के लिए लड़े शहीदों का अपमान है। आगे राहुल गांधी ने कहा कि हमारी विचारधारा हजारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ती आ रही है पर आप समझते हैं कि हम सिर्फ भाजपा या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठनों से लड़ रहे हैं, तो आप ये समझ नहीं पा रहे हैं आखिर हो क्या रहा है। हम भाजपा और आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत ने राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी का दिन बताकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। भागवत ने कुछ समय पहले कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। इसके बाद कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजना बंद कर देना चाहिए। लेकिन अब भागवत मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आजादी बताकर अपनी गलती सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। इस बयान से भागवत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तरफ भागवत ने भाजपा से संघ के कथित तनाव को कम करने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ हिंदुत्व समर्थकों को ये बता दिया है कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही भाजपा को चुनावी सफलता मिली है। इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो इस लहर को धीमा न पड़ने दें।
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