Tuesday 21 February 2012

अमेरिकी संसद को उड़ाने की साजिश नाकाम कर दी गई

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 20th February  2012
अनिल नरेन्द्र
अमेरिका ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि वह 9/11 आतंकी हमले के बाद कितनी चौकस है। उसका आतंक विरोधी अभियान तब रंग लाया जब एफबीआई ने अमेरिकी संसद (कैपिटल हिल) को उड़ाने की साजिश को नाकाम कर दिया। अमेरिका के न्याय विभाग के मुताबिक आत्मघाती हमला करके अमेरिकी संसद को उड़ाने की साजिश रचने वाले मोरक्को के एक शख्स को गिरफ्तार किया है। 29 वर्षीय अमीन अल खलीफी के तौर पर की गई है। खलीफी को शुक्रवार अमेरिकी संसद के पार्किंग लॉट से गिरफ्तार किया गया। खलीफी एक बमों से भरी बैल्ट पहनकर व हाथ में सब-मशीनगन लेकर अमेरिकी संसद को उड़ाना चाहता था। उसे यह नहीं मालूम था कि जो बमों से लदी बैल्ट उसको दी गई और जो हथियार दिए गए वह सब नकली थे। दरअसल एफबीआई ने एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत बहुत पहले से ही अपने एक एजेंट को अलकायदा के उस गिरोह में शामिल करने में सफलता पा ली थी। वही अंडर कवर एजेंट अलकायदा का कार्यकर्ता बनकर खलीफी की गतिविधियों पर नजर रखता रहा। उसी ने खलीफी को यह नकली हथियार दिए और जब वह अपने प्लान के मुताबिक कैपिटल हिल की पार्किंग एरिया में पहुंचा तो उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। अमेरिका की एफबीआई और ज्वाइंट टैरेरिज्म टास्क फोर्स का यह संयुक्त अभियान सफल रहा। खलीफी को सामूहिक विनाश के हथियार का इस्तेमाल करके जन सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने और आम जनता पर गोलीबारी करने की कोशिश का आरोपी बनाया गया है। अमेरिकी अटार्नी नील मैक्ब्राइड ने कहा कि खलीफी को लग रहा था कि वह अलकायदा के लिए काम कर रहा है लेकिन वह अलकायदा का छद्म अभियान चला रही एफबीआई के शिकंजे में फंस चुका था। खलीफी का आरोप सिद्ध हो जाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है। अदालती दस्तावेजों के अनुसार खलीफी 1999 में वीजा पर अमेरिका आया था लेकिन वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद वह यहां टिका रहा और उसने कभी भी अमेरिका की नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन नहीं दिया था। एफबीआई के जनवरी 2011 के हलफनामे में बताया गया कि एक विश्वसनीय सूत्र ने उसे बताया कि खलीफी ने वर्जीनिया के एक घर पर कुछ लोगों से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान एक व्यक्ति ने उसे एके 47 और दो रिवाल्वर तथा कुछ विस्फोटक दिए। खलीफी ने हथियार लेते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध दरअसल मुसलमानों के खिलाफ युद्ध है और हमें युद्ध के लिए तैयार हो जाना चाहिए। खलीफी को एक रेस्तरां पर हमला करना था लेकिन पिछले माह उसने अपनी योजना बदली दी और उसने संसद भवन पर हमला करने की मंशा जताई थी। उसने पश्चिम वर्जीनिया में बाकायदा हमले का अभ्यास भी किया था। संसद पर हमला करने के लिए उसने 17 फरवरी का दिन चुना था। पिछले माह उसने कैपिटल हिल के आसपास चक्कर लगाकर उपयुक्त स्थान की तलाश भी कर ली थी। लेकिन उसे हमले से पहले ही धर लिया गया। अमेरिका की सुरक्षा और गुप्त व्यवस्था इतनी मजबूत है, यह एक बार फिर साबित हो गया।
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