Thursday 21 April 2011

ताकि अन्ना हजारे के आंदोलन की हवा निकल जाए

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 21 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र

पाठकों को याद होगा कि मैंने इसी कॉलम में यह आशंका प्रकट की थी कि अन्ना हजारे के लिए इस देश से भ्रष्टाचार दूर करने का संकल्प इतना आसान नहीं होगा। इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उन्हें हिलाना मुश्किल है और अन्ना के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा यह राजनेता और नौकरशाह गठबंधन होगा। कभी-कभी पहला कदम ही सबसे कठिन हो जाता है। हम देख रहे हैं कि जन लोकपाल विधेयक के मुद्दे को लेकर बड़ी राजनीतिक साजिश शुरू हो गई है। अब तक दबी जुबान से एक दूसरे पर निशाना साध रहे समाजसेवी अन्ना हजारे और केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस के कुछ नेता खुलकर एक-दूसरे के सामने आ गए हैं। कभी फर्जी सीडी जारी करके तो कभी अन्ना व उनके सहयोगियों को बदनाम करने का अभियान शुरू हो चुका है। अन्ना इतने परेशान हो गए कि उन्होंने गेंद दस जनपथ के पाले में डालने की कोशिश की है। उन्होंने सीधे-सीधे सोनिया गांधी से पूछ लिया है, बोलो आपकी मर्जी क्या है? क्या दिग्विजय सिंह आपकी सहमति से  बोल रहे हैं? अन्ना ने अपनी दो पेज की चिट्ठी में सोनिया को लिखा है कि ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य और सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री (कपिल सिब्बल और दिग्विजय) जिस तरह से संयुक्त समिति के लोगों के बारे में भ्रम फैला रहे हैं, उससे कहीं न कहीं बदनीयती की झलक मिलती है। पार्टी के एक महासचिव तो लगातार सिविल सोसाइटी के लोगों के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां करने में जुटे हैं। पिछले कई दिनों से आपके  लोग इस तरह की शरारतें कर रहे हैं, फिर भी इनके खिलाफ पार्टी की तरफ से कोई पहल नहीं दिखाई गई। ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार विरोधी उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए इस तरह की गतिविधियां  बढ़ाई गई हैं। इसको देखते हुए वे जानना चाहते हैं कि पार्टी के इन नेताओं की ऐसी शरारतों के प्रति उनका खुद का नजरिया क्या है? पार्टी आखिर चुपचाप यह सब क्यों देख रही है। सोनिया गांधी को लिखा गया अन्ना हजारे का पत्र काफी तीखे तेवर वाला है। अन्ना ने सीधे-सीधे कांग्रेस और यूपीए सरकार की नीयत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है।
कांग्रेसी नेताओं की शिकायत जब श्री अन्ना हजारे ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से की तो कांग्रेस ने भी साफ कह दिया कि उसके नेता कोई अपराध नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है कि जैसे श्री हजारे लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कह रहे हैं वैसे ही उसके महासचिव दिग्विजय सिंह और दूसरे नेता कह रहे हैं। जनतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है तो फिर कांग्रेस के नेताओं पर वही बात लागू क्यों नहीं होती? मनीष तिवारी ने कहा कि जहां तक अन्ना की सोनिया गांधी को लिखी खुली चिट्ठी का सवाल है तो इसका जवाब तत्काल नहीं दिया जाएगा। सही समय पर इस पत्र का उत्तर पार्टी अध्यक्ष की ओर से दिया जाएगा।
लगता है कि अन्ना सोनिया के जवाब का इंतजार करेंगे और फिर आगे की रणनीति तय करेंगे। यदि उन्हें कांग्रेस और सरकार की नीयत में खोट लगी तो सम्भव है कि वह नए सिरे से आंदोलन की घोषणा कर दें। क्योंकि देश की जनता अब भ्रष्टाचार के खिलाफ हीला-हवाली बर्दाश्त करने के मूड में नहीं दिखती। यदि सरकार को सद्बुद्धि आ जाए तो अच्छी बात है वरना गुस्साये लोगों का आक्रोश फिर सड़कों पर नजर आ जाएगा और इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी और मनमोहन सरकार की होगी।

No comments:

Post a Comment