Tuesday 26 April 2011

कारपोरेट कैदियों को तिहाड़ का लंगर पसंद नहीं आया

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 26 अप्रैल 2011
-अनिल नरेन्द्र

लाखों रुपये की सालाना सेलरी लेने वाले कारपोरेट जाइंट्स की आजकल तिहाड़ में जिंदगी कैसी गुजर रही होगी? प्राप्त समाचारों के अनुसार तिहाड़ में उनका हाल खस्ता है। 26 अप्रैल तक ये बड़े लोग जेल नंबर तीन के वार्ड नंबर चार में बारह फीट लम्बी और दस फीट चौड़ी कोठरी में ही दिन और रात बिताएंगे। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट उनकी जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला देगी। जेल के पहले दिन बुधवार रात को इन लोगों को चार कंबल मिले। एक दरी, कुछ चादरें भी दी गईं। लेकिन जेल में कोई बन्द नहीं था लिहाजा उन्हें जमीन पर ही सोना पड़ रहा है। खाना भी उन्हें जेल में बना खाना पड़ रहा है। हां जेल में उनके लिए राहत की बात है कि कोठरी से लगा शौचालय में एक पंखा लगा हुआ है। लेकिन वार्ड में एक ही खिड़की है जहां से थोड़ी रोशनी उनके हिस्से  में आ सकती है। इनको अपना वार्ड छोड़ने की इजाजत नहीं है। दरअसल यूनिटेक के प्रबंधक निदेशक संजय चंद्रा, स्वान  टेलीकॉम के निदेशक विनोद गोयनका और धीरु भाई अंबानी समूह के तीन आला अधिकारी गौतम दोशी, हरि नायर और सुरेन्द्र पीपारा जेल में इससे ज्यादा जगह की उम्मीद भी नहीं कर सकते। तिहाड़ पहले से ही जरूरत से ज्यादा भरी है। गुरुवार को तिहाड़ परिसर की नौ जेलों में 11,696 कैदी बन्द थे।
तिहाड़ जेल में बन्द इन कारपोरेट हस्तियों को जेल के लंगर का खाना पसंद नहीं आया। अब वे कैंटीन से खाना खरीद कर खाते हैं। इनमें से कोई भी जेल में सुबह-सुबह होने वाली प्रार्थना में भी शरीक नहीं हुआ। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अब तक किसी ने भी उन पांच-पांच लोगों के नाम भी जेल प्रशासन को नहीं दिए हैं जिनसे इन्हें मुलाकात करनी है जबकि तिहाड़ जेल प्रशासन ने कुछ समय पहले यह नियम बनाया था कि जेल में जो भी विचाराधीन कैदी आएगा उसी वक्त उससे उन पांच लोगों के नाम, पता और टेलीफोन नंबर ले लिए जाएंगे जिनसे कैदियों को मुलाकात और बाद में जेल में ही उपलब्ध सुविधा के तहत फोन पर बात करनी होगी। सुबह 5.30 बजे जेल खुल जाती है और 6 बजे सभी जेलों में प्रार्थना होती है। इसमें सभी विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों को शरीक होना पड़ता है। लेकिन शुक्रवार को इनमें से कोई भी प्रार्थना में नहीं गया। सभी ने दोपहर में वार्ड में ही चहलकदमी की पर किसी से बात नहीं की। शुक्रवार को उन्होंने अखबारों की मांग की। अपने-अपने सेल में अधिकतर वक्त वे टीवी पर न्यूज देखते रहे। जेल आने के वक्त ही ये अपने साथ दो-दो जोड़ी कपड़े लाए थे। इनमें से एक भी तनाव में नहीं दिख रहा है।
कड़ी सुरक्षा वाले कैदियों के लिए विशेष यही है कि दुर्दांत अपराधियों से उन्हें बचाने के बंदोबस्त किए गए हैं। तिहाड़ जेल के एक अधिकारी ने बताया कि वसूली के लिए इन बड़े लोगों पर हमला हो सकता है। बहरहाल में पांच बड़े लोग भले ही जेल में एक साथ न रह पाएं, राजा की तरह कुछ नियमों से वे प्रोत्साहित हो सकते हैं। फरवरी में जब ए. राजा तिहाड़ पहुंचे थे तो उन्हें भी खाली संकरे स्थान में रखा गया जहां छत पर लोहे की एक झिरी से रोशनी आती थी। जाली वाले दरवाजे के कारण उनके लिए कोई एकांत नहीं था। लेकिन एक हफ्ते बाद ही राजा ने इस बन्द जगह को अपना घर बनाना शुरू कर दिया। जेल कैंटीन में डोसा, इडली, सांभर स्वादिष्ट मिलती है और यह उसी को खा रहे हैं।

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