Tuesday 1 October 2024

हरियाणा में बागी व छोटे दल बिगाड़ रहे हैं गणित

गुटबाजी भाजपा और कांग्रेस दोनों में है देखना यह होगा कि कौन मतदान से पहले इस पर काबू पा सकता है। कहा तो जा रहा है कि हरियाणा में माहौल कांग्रेsस का है। लेकिन आपसी गुटबाजी जीती हुई बाजी को नुकसान में भी बदल सकती है। राहुल गांधी की सभा में बेशक कुमारी शैलजा व भूपेन्द्र सिंह हुड्डा एक मंच पर दिखे पर इससे क्या गुटबाजी का सिलसिला थम गया है। वहीं भाजपा में भी गुटबाजी चरम पर है। वहां तो कई नेताओं ने अभी से अपने आप को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया है। गांव-देहात में भाजपा उम्मीदवारों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कई गांवों में तो भाजपा प्रत्याशी को गांव में घुसने ही नहीं दिया जा रहा है। बड़े-बड़े दिग्गजों को अपनी जान बचाने के लिए मौके से भागना पड़ा। भाजपा का सबसे बड़ा वोट केंपेनर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अंभी तक हुई दो चुनावी सभाओं में भीड़ नदारद थी। पांच से दस हजार लोग ही उपस्थित थे। जहां डेढ़-दो लाख आदमियों का हुजूम प्रधानमंत्री को सुनने के लिए आता रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री सैनी का गुट है, दूसरी तरफ मनोहर लाल खट्टर का गुट है तो तीसरी तरफ अनिल विज का गुट डटा हुआ है। संघ अलग नाराज चल रहा है। कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है। वहीं रही-सही कसर बागी और निर्दलीय उम्मीदवार उतार रहे हैं। दोनों प्रमुख पार्टियों की तुलना करते समय कहा जाता है कि भाजपा के साथ एक संगठित सुव्यवस्थित संगठन है। यह संगठन बिल्कुल नीचे तक है। बूथ इंचार्ज से लेकर पन्ना प्रमुख तक सारे पदों पर लोग तैयार हैं, उनकी भूमिका तय है। कहा तो यह भी जाता है कि भाजपा हर समय चुनाव लड़ते रहने वाली दुनिया की एक सबसे बड़ी मशीन है। इसके विपरीत कांग्रेस में संगठन नाम मात्र के लिए है। जैसा कि हमने मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में देखा था। माहौल पक्ष में होने के कारण अति-विश्वास भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। जैसा कि हमने छत्तीसगढ़ में देखा जैसे-जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है हरियाणा में मुकाबले कड़े होते जा रहे हैं। बेशक मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। चुनिंदा सीटों को छोड़ दिया जाए तो राज्य की 90 सीटों में से ज्यादातर पर मुकाबला नजदीकी बताया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण है दोनों दलों के प्रत्याशियों के अतिरिक्त निर्दलीय, इनेलो, जजपा और आप प्रत्याशियों का भी पूरा जोर लगाना है। 30 से ज्यादा सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय या तीन से अधिक प्रत्याशियों में हो गया है। इस कारण से मुकाबला नजदीकी होता जा रहा है। 15 सीटों पर भाजपा और 29 सीटों पर कांग्रेस के 29 बागी मैदान में है। मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों की पहचान वाले इस राज्य में एक बार फिर वह हाशिए पर हैं। इनके चुनिंदा प्रत्याशी ही प्रभावी दिख रहे हैं। इनसे अधिक निर्दलीय और बागी चर्चा में हैं। इनेलो, जजपा और निर्दलीय में बंटे बेनिवाल परिवार के 8 प्रत्याशी मैदान में हैं। अब प्रचार उफान पर है। रैलियां और रोड शो हो रहे हैं, कांग्रेस-भाजपा अपनी गारंटी और संकल्प पत्र के साथ आम जनता के बीच है। मतदान में मुश्किल से चंद दिन ही बचे हैं। अब प्रचार और मुद्दे आक्रामक व तीखे होंगे। ऐसे में मुकाबलों की दिशा बदल सकती है। वैसे माना जाता है कि हरियाणा में तीन मुद्दे सबसे ज्यादा प्रभावी होते हैं, किसान, जवान और पहलवान।

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