Thursday 3 October 2024

वित्त मंत्री सीतारमण पर एफआईआर

शायद यह पहली बार हो रहा है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी भी केंद्रीय वित्त मंत्री पर एफआईआर दर्ज हुई हो। इससे पहले जहां तक मेरी जानकारी है कभी भी किसी केंद्रीय वित्त मंत्री पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई। मामला इलेक्टोरल बांड संबंधी है। अब समाप्त हो चुकी चुनावी बांड योजना से संबंधित एक शिकायत के बाद बेंगलुरू से चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए नामित मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बांड के मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ जबरन वसूली और आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोर्ट ने यह फैसला आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनाया था। आदर्श जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने मार्च में स्थानीय पुलिस को एक शिकायत दी थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के अगले ही दिन यानि शनिवार दोपहर तीन बजे एफआईआर दर्ज की गई। इसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी के अधिकारी, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 304 (जबरन वसूली) 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने चुनावी बांड की आड़ में जबरन वसूली की और 8000 करोड़ रुपए से अधिक का फायदा उठाया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के फायदे के लिए हजारों करोड़ रुपए की जबरन वसूली की। शिकायत में कहा गया है कि चुनावी बांड की आड़ में जबरन वसूली का काम विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था। फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लघंन होता है। इस केस की जानकारी सामने आते ही भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर आशोक ने कहा कि इलेक्टोरल बांड का लाभार्थी कांग्रेस भी रही है और निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की तरह अपने ही परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए पैसे नहीं लिए हैं। जब से राज्यपाल का पद गहलोत ने सीएम सिद्धरमैया के खिलाफ मूडा मामले में केस चलाने की मंजूरी दी है, तब से भाजपा उनका इस्तीफा मांग रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट की ओर से राज्यपाल की दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए दी गई याचिका जिसे खारिज कर दिया गया। उधर कांग्रेस ने इस संबंध में कहा कि लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए वित्त मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस ने कहा कि वित्त मंत्री खुद से ऐसा नहीं कर सकतीं। हम जानते हैं कि नंबर-1 और नंबर-2 कौन है और यह किसके निर्देश पर किया गया। सिंघवी ने इसे ईबीएस (इंक्सटॉशनिस्ट बीजेपी स्कीम) करार देते हुए कहा था कि बड़ा मुद्दा समान अवसर उपलब्ध कराने का है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है। इस बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ इस मामले की जांच पर रोक लगा दी है। भाजपा नेता नलिन कुमार ने उन्हें आरोपी के रूप में नामजद करने वाली एफआईआर को चुनौती दी थी। अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी। देखें, अब आगे क्या होता है। वैसे यह अभूतपूर्व मामला है जहां किसी केंद्रीय मंत्री को किसी केस में आरोपी बनाया गया हो।

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