Sunday 3 November 2024

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और मध्य पूर्व

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। दुनिया के सबसे ताकतवर दफ्तर के लिए दोनों प्रमुख दावेदार यानि डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। नतीजों के बाद वाशिंगटन के व्हाइट हाउस में कमला की सत्ता जमेगी या ट्रंप का कार्ड चलेगा यह तो 5 नवम्बर को तय होगा। लेकिन इस चुनावी रेस के लिए अमेरिका में अर्ली वोटिंग यानि समय पूर्व मतदान की कवायद जोर-शोर से जारी है। 30 करोड़ में से करीब 3 करोड़ मतदान अपना वोट डाल भी चुके हैं। पिछली बार जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे, तो इजरायल के प्रधानमंत्री नेतान्याहू इतने खुश हुए कि उन्होंने एक इलाके का नाम उनके नाम पर रख दिया था। यह इलाका है ट्रंप हाइट्स ये गोलन हाइट्स के चट्टानी इलाके में है। सारी दुनिया की नजर खासकर मध्य-पूर्व के लोगों की 5 नवम्बर पर पर टिकी हुई है। यह चुनाव मध्य-पूर्व एशिया के लिए महत्वपूर्ण होगा। सवाल यह है कि रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप या डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस का इस क्षेत्र में क्या असर पड़ेगा? पिछले 7 अक्टूबर से आरम्भ हुए इस जंग को साल से ज्यादा समय हो गया है और यह कहीं थमने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप को इजरायल का समर्थन मिला था, जब उन्होंने ईरान के साथ परमाणु समझौता रद्द कर दिया था। ट्रंप ने यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी। यह दशकों पुरानी अमेरिकी नीति के विपरीत था। नेतान्याहू ने ट्रंप को इजरायल का व्हाइट हाउस में अब तक का सबसे अच्छा मित्र कहा था। एक सर्वेक्षण के मुताबिक बेंजामिन नेतान्याहू के समर्थकों में केवल 1 प्रतिशत ही कमला हैरिस की जीत चाहते हैं। यरुशलम के मायने येहुदा बाजार में शापिंग कर रहे 24 साल के युवक का कहना था कि कमला हैरिस ने उस वक्त अपना असली रंग दिखाया जब वो एक रैली में प्रदर्शनकारियों से सहमत दिखीं। जिसमें इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाया था। कमला हैरिस ने कहा था कि वह (प्रदर्शनकारी) जिस बारे में बात कर रहे हैं वह सच है, हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वो नहीं मानती हैं कि इजरायल नरसंहार कर रहा है। जुलाई के महीने में व्हाइट हाउस में नेतान्याहू से मुलाकात के बाद कमला हैरिस ने कहा था कि वो गाजा की स्थिति के बारे में चुप नहीं रहेंगी। उन्होंने नेतान्याहू के सामने मानवीय पीड़ा और निर्दोष नागरिकों की मौत के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की थी। डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध की समाप्ति को इजरायल की जीत के रूप में देखा है और अभी तत्काल युद्ध विराम का विरोध किया है। ट्रंप ने कथित तौर पर नेतान्याहू से कहा है आपको जो करना है वो करें। फिलस्तनियों को किसी भी उम्मीदवार से कोई खास उम्मीद नहीं दिखती है। वेस्ट बैंक के एक प्रतिष्ठित फिलस्तीनी विश्लेषक मुस्तफा बरगौती का कहना है कि कुल मिलाकर अनुमान यह है कि उनके लिए डेमोक्रेटिक पार्टी हारती है, लेकिन मगर ट्रंप जीत जाते हैं तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी। इसमें मुख्य अंतर यह है कि कमला हैरिस अमेरिकी जनता की राय में बदलाव के प्रति अधिक संवेदनशील होंगी। इसका मतलब है कि वो युद्धविराम के पक्ष में ज्यादा होंगी, गाजा युद्ध ने फिलस्तीनी राज्य को दिशा में प्रगति के लिए सऊदी अरब जैसे अमेरिकी सहयोगियों पर दबाव बढ़ा है। लेकिन किसी भी उम्मीदवार ने फिलस्तीनी राज्य की स्थापना को अपने प्रमुख एजेंडे में नहीं रखा है। अब उनके फिलस्तीनियों ने अपने राज्य के सपने छोड़ दिए हैं। प्राथमिकता तो मध्य-पूर्व में छिड़ी जंग को रोकने की है और प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने की होगी। -अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment