Friday, 8 November 2024
सभी निजी संपत्ति कब्जे में नहीं ले सकती
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कि सरकार हर निजी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकती। केवल इसलिए ऐतिहासिक नहीं है कि यह नौ सदस्यीय संविधान पीठ की ओर से दिया गया है, बल्कि इसलिए भी है, क्योंकि इसे उस विचार को आईना दिखाया है, जिसे सरकारों की रीति-नीति का अनिवार्य अंग बनाने का दबाव रहता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नौ सदस्यीय पीठ ने 7ः2 के बहुमत से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा, संविधान के तह सरकारों को आम भलाई के लिए निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधन को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि सरकारें कुछ मामले में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकती है। पीठ ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ऋषिकेश राय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेवी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्र, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस एजे मसीह शामिल थे। प्रॉपर्टी ऑनर्स एसो. महाराष्ट्र व 16 अन्य ने 1992 में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की। सुनवाई के दौरान मुद्दा उठा कि क्या निजी सचिव को समुदाय की भलाई का बताकर सरकार अधिग्रहित कर सकती है? सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसी साल व जजों की बेंच बनाई और मई को फैसला सुरक्षित रखा। मंगलवार सुबह सीजेआई ने कहा ः मैंने और 6 जजों ने बहुमत से फैसला लिया है। जस्टिस नगरत्ना ने मुख्य फैसले से सहमति जाहिर कर कुछ मुद्दों पर असहमति जताई है। जस्टिस धूलिया का फैसला अस्वीकृति का है। बहुमत ने 1978 के जस्टिस कृष्णा अय्यर फैसले को खारिज किया है। जस्टिस अय्यर ने अल्पमत फैसले में कहा थाö सरकार निजी संपत्ति आम भलाई के लिए अधिग्रहित कर सकती है। सीजेआई ने कहाö इसमें सैद्धांतिक त्रुटि थी। यह निजी संसाधनो पर सरकार के नियंत्रण की वकालत करता है। पुराना शासन विशेष आर्थिक व समाजवादी विचारधारा से प्रभावित था। बीते 30 साल में गतिशील आर्थिक नीति ने भारत सबसे तेज अर्थव्यवस्था बन गया है। जस्टिस नागरत्ना ने कहाö फैसले में जस्टिस कृष्णा अय्यर के फैसले का उल्लेख करते हुए कहाöकेवल अर्थव्यवस्था के उदारीकरण और निजीकरण की ओर बढ़ने के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि बीते वर्षों में इस कोर्ट के जजों ने लोगों से अन्याय किया था। उन्होंने कहा, भारत की सुप्रीम कोर्ट की संख्या उन जजों से बड़ी है जो इसके इतिहास का हिस्सा थे। यह अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट करने की आवश्यकता भी समझी कि उक्त फैसला एक विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। समय बदल चुका है, व्यवस्था बदल चुकी है, परिस्थितियां बदल गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि पिछले कुछ दशकों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से ही भारत दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना है। किसी भी देश को अपने आर्थिक दर्शन देश, काल और परिस्थितियों के हिसाब से अपनाना चाहिए। समय के साथ बदलाव ही प्रगति का आधार है।
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