Thursday, 14 November 2024
मैं व्यवसाय नहीं, एकाधिकार के खिलाफ हूं
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल में भारत के कई बड़े समाचार पत्रों में एक लेख लिखा था जो विवादों में आ गया है। जहां कुछ लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं और गलत तथ्यों का दावा कर रहे हैं वहीं ऐसे लोगों की कमी नहीं जो इसकी तारीफ कर रहे हैं। आखिर इस लेख में राहुल गांधी ने लिखा क्या था? राहुल ने कहा कि वह व्यवसायों के नहीं, बल्कि एकाधिकार के खिलाफ हैं। उन्होंने अपने एक लेख का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि नियम-कायदे के अनुसार काम करने वाले कुछ कारोबारी समूहों को केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के कार्यक्रमों की तारीफ करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उनके इस दावे पर सरकार की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए बुधवार को राहुल गांधी की आलोचना की थी और उनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले तथ्यों की जांच करने की सलाह दी थी। राहुल गांधी ने गुरुवार को एक वीडियो जारी कर कहा, भाजपा के लोगों द्वारा मुझे व्यवसाय विरोधी बताने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन मैं व्यवसाय विरोधी नहीं हूं बल्कि एकाधिकार के खिलाफ हूं। उनका कहना है कि वह एक-दो-तीन या पांच लोगों द्वारा उद्योग जगत में एकाधिकार स्थापित करने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, मैंने अपने करियर की शुरुआत प्रबंधक सलाहाकार के रूप में की थी। मैं कारोबार को समझता हूं और उनके लिए जरूरी चीजों को भी जानता हूं। इसलिए स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि मैं व्यवसाय विरोधी नहीं हूं, एकाधिकार विरोधी हूं। राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, मैं नौकरियों के सृजन का समर्थक हूं, व्यवसाय का समर्थक हूं, नवोन्मेष का समर्थक हूं, प्रतिस्पर्धा का समर्थक हूं। मैं एकाधिकार विरोधी हूं। हमारी अर्थव्यवस्था तभी फूलेगी-फलेगी जब सभी व्यवसायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष स्थान होगा। बाद में उन्होंने एक अन्य पोस्ट में दावा किया कि मेरे लेख के बाद नियम-कायदे से चलने वाले व्यवसायिक समूहों ने मुझे बताया कि एक वरिष्ठ मंत्री फोन पर कह रहे हैं और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के कार्यक्रमों के बारे में सोशल मीडिया पर अपनी बातें कहने के लिए मजबूर कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि इससे उनकी बात बिलकुल सही साबित होती है, कांग्रेस नेता ने बुधवार को एक लेख में दावा किया था कि ईस्ट इंडिया कंपनी भले ही सैकड़ों साल पहले खत्म हो गई है, लेकिन उसने जो डर पैदा किया था वह आज फिर से दिखाई देने लगा है और एकाधिकारवादियों की एक नई पीढ़ी ने उसकी जगह ले ली है। उनका कहना है कि वह एक-दो, तीन या पांच लोगों द्वारा उद्योग जगत में एकाधिकार स्थापित करने के खिलाफ हैं। गांधी ने अपने लेख में कहा कि भारत माता अपने सभी बच्चों की मां है। उनके संसाधनों और सत्ता पर कुछ लोगों का एकाधिकार भारत मां को चोट पहुंचाता है। मैं जानता हूं कि भारत के सैकड़ों प्रतिभाशाली कारोबारी हैं पर वह एकाधिकारवादियों से डरते हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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