Saturday, 14 December 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट जज की विवादित टिप्पणी



जस्टिस शेखर कुमार यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज हैं। वो रविवार को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस मौके पर जस्टिस यादव ने एक नहीं कई अत्यंत विवादित और दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां की। उन्होंने यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) के मुद्दे पर कहा, हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा। आगे कहा कि एक से ज्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये प्रथाएं नहीं चलेंगी। दरअसल 8 दिसम्बर को विहिप के विधि प्रकोष्ठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में एक कार्यक्रम में वक्फ बोर्ड अधिनियम, धर्मांतरण कारण एवं निवारण और समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक अनिवार्यता विषय पर बोलते हुए जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि मुझे ये कहने में बिलकुल गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है। हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा। यही कानून है। आप यह भी नहीं कह सकते कि हाईकोर्ट के जज ऐसा बोल रहे हैं। कानून तो भैय्या बहुसंख्यक से ही चलता है। जस्टिस शेखर यादव आगे कहते हैं कि कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं। जस्टिस यादव कहते हैं जो कठमुल्ला है शब्द गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है क्योंकि वह देश के लिए घातक हैं। जनता को बहकाने वाले लोग हैं और इनसे सावधान रहने की जरूरत है। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने और भी बहुत कुछ कहा। अगर जस्टिस यादव के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है तो वह स्वाभाविक ही है। जज साहब जिस तरह की बातें कहते दिख रहे हैं, वो देश के संविधान के खिलाफ तो है ही साथ-साथ न्यायपालिका पर भी सवाल उठाता है। एक मौजूदा न्यायाधीश के लिए अपने राजनीतिक एजेंडे पर हिंदू संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेना न केवल शर्म की बात है बल्कि जज द्वारा ली गई शपथ का भी उल्लंघन है। ये सचमुच परेशान करने वाली बात है। हैरत की बात है कि संविधान के संरक्षक की भूमिका निभाने वाली न्यायपालिका का वरिष्ठ सदस्य एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहता दिखता है कि देश संविधान, कानून के हिसाब से नहीं बल्कि बहुसंख्यकों की मर्जी के मुताबिक चलेगा और इसका कोई खंडन भी नहीं आता। ध्यान रहे यह ज्यूडिशियरी के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा जाने-अनजाने संवैधानिक मर्यादा के उल्लघंन से जुड़ा पहला मामला नहीं है। कुछ ही दिनों पहले कर्नाटक हाईकोर्ट के एक जज द्वारा एक मुस्लिम बहुल इलाके का जिक्र पाकिस्तान के रूप में किए जाने का मामला सामने आया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई भी शुरू की थी। हालांकि बाद में उस जज के माफी मांगने पर कार्रवाई रोक दी गई थी। यह संतोष की बात है कि जस्टिस शेखर यादव के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाईकोर्ट से न्यायमूर्ति यादव के बयान पर विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की और कहा मैं चाहूंगा कि हम एकत्र होकर न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ महाभियोग चलाएं। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के आचरण पर विभागीय जांच का आग्रह किया है। वहीं खबर यह भी है कि संसद के विपक्षी दल के सांसद भी जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं और अब तक 35 सांसदों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। एक सुझाव यह भी आया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शेखर से सारे केस वापस ले लें और उन्हें काम देना बंद कर दें।

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