Saturday, 21 December 2024
इजराइल से लौटे कामगारों के अनुभव
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी बीते सोमवार को संसद में फलस्तीन लिखा हैंड बैग लेकर पहुंची थीं और अगले दिन यानी मंगलवार को इसका जिक्र उत्तर प्रदेश विधानसभा में हुआ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, कल कांग्रेस की एक नेत्री फलस्तीन का बैग लेकर संसद घूम रही थीं और हम यूपी के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं। प्रियंका गांधी ने सीएम योगी के इस बयान को शर्म की बात बताया। प्रियंका जो हैंड बैग लेकर पहुंची थीं उस पर फलस्तीन शब्द के साथ कई फलस्तीनी प्रतीक भी बने हुए थे। इस घटना क्रम के बाद बीबीसी ने यूपी के उन लोगों से बातचीत की जो इजराइल काम करने गए थे। अधिकतर कामगारों के लिए काम के घंटे और मनचाहा काम न मिलने की बड़ी समस्या बताई। बीबीसी ने कामगारों के दावों पर यूपी सरकार का पक्ष जानने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क भी किया पर कोई जवाब नहीं मिला। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन के चल रहे सत्र में सीएम योगी ने कहा कल कांग्रेस की नेत्री फलस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं और हम यूपी के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं। यूपी के अब तक लगभग 5600 से अधिक नौजवान इजराइल में हैं। उन्हें रहने के लिए फ्री स्थान, डेढ़ लाख रुपए अतिरिक्त मिल रहे हैं और पूरी सुरक्षा की गारंटी भी है। आप यह मानकर चलिए कि वह नौजवान जब डेढ़ लाख रुपए अपने घर भेजता है तो प्रदेश के ही विकास में योगदान और अच्छा काम कर रहा है। हमास और इजराइल की जंग की वजह से इजराइल में मजदूरों की संख्या में कमी हुई है। इसलिए इस कमी को पूरी करने के लिए इजराइल सरकार ने भारत से मजदूरों को ले जाने की पहल की थी। इसके तहत यूपी के अलावा दूसरे राज्यों जैसे हरियाणा, तेलंगाना से भी मजदूर इजराइल गए हैं। योगी के बयान के बाद प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा ः यूपी के युवाओं को यहां रोजगार देने की जगह उन्हें युद्ध ग्रस्त इजराइल भेजने वाले इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा ः अपने युवाओं को युद्ध में झोंक देना पीठ थपथपाने की नहीं बल्कि शर्म की बात है। प्रदीप सिंह यूपी के बाराबंकी जिले में देवा शरीफ के पास के गांव में रहने वाला है। 4 जून 2024 को प्रदीप सिंह यूपी से काम करने के लिए इजराइल गए थे। वह इजराइल में लगभग चार महीने रहे। बीबीसी से बातचीत में प्रदीप बताते हैं ः हम लोग पेरा टिकवा शहर में थे और सुविधाएं ठीक थीं लेकिन काम थोड़ा हाई था। मैंने प्लास्टरिंग कैटेगरी के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां दूसरा काम करना पड़ा। हम लोग एक चीनी कंपनी शटरिंग और सरिया से जुड़ा काम कर रहे थे। प्रदीप का दावा है कि उन्हें वक्त से ज्यादा समय तक काम करना पड़ता था। हम लोगों को सुबह 7 बजे से शाम सात बजे तक कुल 12 घंटे काम करना होता था। इसमें आधा घंटे तक लंच होता था। प्रदीप वापस इजराइल जाना चाहते हैं लेकिन उनके ही इलाके के दिवाकर सिंह वापस इजराइल नहीं जाना चाहते। दिवाकर कहते हैं कि चीनी कंपनियों में वहां 12 घंटे काम करना होता था, बीच में आराम भी नहीं कर सकते थे। मैंने आयरन वैंडिंग (सरिया मोड़ने का काम) कैटेगरी में इंटरव्यू दिया था लेकिन दूसरे काम करने पड़ते थे। कई बार तो साफ-सफाई का काम भी करना पड़ता था। दिवाकर मई 2024 में इजराइल गए थे और दो महीने वहां रहे थे। वह बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने दो से ढाई लाख रुपए की बचत जमा कर ली थी। फिलहाल दिवाकर अपने घर के पास एक निजी कंपनी में 30 हजार रुपए की नौकरी कर रहे हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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