Saturday 17 April 2021

वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं

वैक्सीन लेने के बाद भी कुछ लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि ऐसे में वैक्सीन लेने का क्या फायदा? एक्सपर्ट की राय में इसकी कई वजहें हैं। उनका कहना है कि महामारी से बचाव वैक्सीन ही है। यह संक्रमण से बचाती है और संक्रमित होने पर बीमारी को गंभीर नहीं होने देती। एक्सपर्ट का कहना है कि वैक्सीन के बाद संक्रमण की कई वजहें हो सकती हैं। पहली वजह यह हो सकती है कि अभी वायरस में म्यूटेशन बहुत ज्यादा हो रहा है। ऐसे में जो वैक्सीन दी जा रही है, वह मौजूदा वेरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं हो। दूसरी वजह यह हो सकती है कि पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं बन रही हों। अगर एंटीबॉडी की वजह से ऐसा हो रहा है तो इसके भी कई कारण हो सकते हैं। कोविड एक्सपर्ट डॉक्टर अंशुमान कुमार ने कहा कि अभी जो भी वायरस की वैक्सीन है, यह इंट्रामस्कयुलर इंजेक्शन हैं, जो मांसपेशियों में दी जाती है। यह ब्लड में जाकर वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है। यह वैक्सीन बॉडी में मुख्य रूप से दो प्रकार की एंटीबॉडी बनाती है। पहलाöइम्यूरोग्लोबुलिन एम, जिसे मेडिकली आईजीएम कहा जाता है। दूसराöइम्यूरोग्लोबुलिन जी बनाता है, इसे आईजीजी के नाम से जानते हैं। डॉक्टर अंशुमान ने कहा कि हमारा शरीर किसी वायरस के संक्रमण के खिलाफ पहले आईजीएम बनाता है। शरीर में आईजीजी धीरे-धीरे बनता है और यह लंबे समय तक शरीर में रहता है। इसी आईजीजी से कोरोना वायरस की संभावित इम्यूनिटी की पहचान होती है। यह एंटीबॉडी हमारे ब्लड में मौजूद रहती है और जब कोई नया संक्रमण आता है तो उसके खिलाफ एक्टिव हो जाती है। गंगाराम अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉक्टर चांद वॉटल ने कहा कि एक और इम्यूनोग्लोबिन ए होता है, जिसे आईजीए कहा जाता है। इसका होना भी जरूरी है। लेकिन यह एंटीबॉडी म्यूकोजा में बनती है। यानि नाक, मुंह, लंग्स, आंत के अंदर एक खास प्रकार की लाइनिंग होती है, जिस पर यह वायरस को चिपकने नहीं देती। अभी जो वैक्सीन दी जा रही है, उसमें आईजीए कितना बन रहा है, इसका पता नहीं है। डॉक्टर अंशुमान ने कहा कि जब कोरोना की नेजल वैक्सीन आएगी, हो सकता है कि यह ज्यादा कारगर होगी। क्योंकि कोरोना वायरस की एंट्री नाक के जरिये ज्यादा है। जब वैक्सीन की ड्रॉप वहां से जाएगी तो म्यूकोजा के पास भी एंटीबॉडी बनेगी और फिर वह ब्लड में जाकर वहां भी एंटीबॉडी बनाएगी। तब इस वायरस के खिलाफ ज्यादा कारगर हो सकती है और वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण होने की संभावना कम हो सकती है। डॉ. अंशुमान कहते हैं कि किसी को कोरोना है या नहीं, इसकी पहचान के लिए नाक से सैंपल लिया जाता है। नाक के पास म्यूकोजा में नहीं है। इसलिए नाक के म्यूकोजा में वायरस चिपक जाता है। उन्होंने कहा कि जब वायरस म्यूकोजा तक पहुंचता है, तो रिजल्ट पॉजिटिव आता है, लेकिन वह शरीर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। क्योंकि ब्लड में मौजूद एंटीबॉडी उसके खिलाफ एक्टिव हो जाती है। यही वजह है कि संक्रमित होने के बाद भी जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, उनमें बीमारी माइल्ड या माडरेट रहती है। वो सीरियस या गंभीर नहीं होते। यह वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा है।

No comments:

Post a Comment