Saturday 3 April 2021

इशरत जहां मुठभेड़ फर्जी होने का सवाल ही नहीं उठता

गुजरात के बहुचर्चित इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को आईजी जीएल सिंघल सहित तीन पुलिस वालों को बरी कर दिया है। क्राइम ब्रांच के अन्य दो अधिकारी तरुण बारोट (अब रिटायर्ड) और अनुज चौधरी हैं। कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि फर्जी मुठभेड़ का कोई प्रश्न ही नहीं उठता ऐसा कोई सुबूत नहीं है कि कहा जा सके कि मारे गए आतंकी नहीं थे। इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आतंकी थी और इस खुफिया रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता है। इसके साथ ही सीबीआई जज वीआर रावल ने तीनों पुलिसकर्मियों के बरी करने के आवेदन को मंजूरी दे दी। सीबीआई ने 20 मार्च को अदालत को बताया था कि राज्य सरकार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी देने से इंकार कर दिया है। इस मामले में पूर्व आईजी डीजी बंजारा, पीपी पांडे और एनके अमीन को पहले ही बरी किया जा चुका है। अब सभी छह आरोपी पुलिस वाले इस मामले में बरी हो चुके हैं जिन्हें शुरू में गिरफ्तार किया गया था और आरोप पत्र दाखिल किया गया था। बता दें कि 15 जून 2004 को मुंबई के नजदीक मुंब्रा की रहने वाली 19 साल की इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी। इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली, अकबर अली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे। पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे। हालांकि हाई कोर्ट की गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि मुठभेड़ फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई के विशेष जज विपुल आर. रावल ने कहा कि तीनों आरोपियों ने आईबी व गुजरात पुलिस के उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन किया। इशरत जहां व उसके साथी आतंकी नहीं थे, इसके कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं। विपक्ष ने इस मामले को खूब उछाला था और गुजरात पुलिस पर कई आरोप लगाए गए थे। पर अब सीबीआई अदालत ने मामले में कोई भी गुंजाइश होने की बात सिरे से खत्म कर दी है। मारे गए आतंकी थे यह कोर्ट ने भी मान लिया है।

No comments:

Post a Comment