Friday 23 April 2021

वैक्सीन की लाखों डोज बर्बाद

एक तरफ जब देश में कोविड-19 के कारण रोजाना 1500 से अधिक लोगों की जान जाने लगी है वहीं कई राज्यों से टीके के अभाव की शिकायतें सुनने को मिल रही हैं, तब यह चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन हुआ है कि 11 अप्रैल तक देश में टीके की 44.5 लाख से अधिक खुराकें बर्बाद हो गई हैं। देश में 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान के बाद से 11 अप्रैल तक देश में 44.5 लाख से अधिक डोज बर्बाद हो चुकी हैं। टीके की बर्बादी में सबसे आगे तमिलनाडु है। सरकार ने यह जानकारी आरटीआई (सूचना के अधिकार) कार्यकर्ता और फ्रीलांस पत्रकार विवेक पांडेय द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी। सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 11 अप्रैल तक राज्यों को टीके की करीब 10.34 करोड़ डोज जारी की गई, जिसमें से 44.78 लाख से अधिक डोज विभिन्न कारणों से बेकार हो गई। सबसे ज्यादा 12 प्रतिशत डोज तमिलनाडु में बर्बाद हुई। इसके बाद हरियाणा में 9.74 प्रतिशत, पंजाब में 8.12 प्रतिशत, मणिपुर में 7.8 प्रतिशत, तेलंगाना में 7.55 प्रतिशत डोज बर्बाद हुई। वहीं केरल, बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, गोवा, दमन और दीव, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रहे, जहां वैक्सीन की डोज न के बराबर यानि जीरो प्रतिशत बर्बाद हुई। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वैक्सीन को लेकर गैर-भाजपा शासित राज्यों और केंद्र के बीच जमकर राजनीति हो रही है। महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली की सरकारें केंद्र पर आरोप लगाती रही हैं कि उन्हें गुजरात के मुकाबले वैक्सीन का स्टॉक कम मिला। केंद्र सरकार के द्वारा सोमवार को पहली मई से 18 साल के ऊपर के सभी लोगों को कोरोना टीका लगाने की अनुमति देने के बाद देश में टीकाकरण अभियान को और गति मिलने की उम्मीद है। देशभर में वैक्सीन की भारी मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने विदेश में इस्तेमाल की जा रही अलग-अलग कोरोना वैक्सीन के भी भारत में आपात इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। वैक्सीन की बर्बादी काबिले बर्दाश्त नहीं है। इसे तुरन्त रोकने के उपाय होने चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण सत्रों का नियोजन बेहतर व प्रभावी होना चाहिए। हर सत्र में अधिक से अधिक 100 लाभार्थियों का टीकाकरण किया जाना चाहिए। जब तक 10 लोग मौजूद न हों तब तक शीशी न खोलें। एक शीशी में 10 डोज होती हैं। अगर 10 से कम लोग होंगे तो डोज बच जाएंगी और उसको अगर ध्यान से स्टोर न किया जाए तो वह बर्बाद हो जाएगी। प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी को ही टीकाकरण में लगाया जाए, ताकि शीशी में उपलब्ध सभी खुराक का इस्तेमाल हो सके। कोविड-19 से संघर्ष में इस वक्त हम जिस मोड़ पर खड़े हैं, उसमें अब किसी कोताही के लिए कोई जगह नहीं है, बल्कि वह जनता ही नहीं, पूरी मानवता के प्रति आपराधिक लापरवाही कहलाएगी। देश में टीकाकरण अभियान की शुरुआत से पहले बाकायदा कई अभ्यास किए गए थे, इसका प्रोटोकॉल तय हुआ था, उसके बावजूद यदि यह स्थिति है तो हमें अपनी निगरानी तंत्र पर गौर करने और बगैर वक्त गंवाए उसे दुरुस्त करने की दरकार है। राज्य सरकारों को भी अपनी कार्यशैली पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। देश के नागरिक इस समय तकलीफ में हैं, तो ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए, जिससे उनकी पीड़ा दोहरी हो जाए। लोग गम जज्ब कर लेते हैं, अगर उन्हें यह दिखता है कि मददगारों ने अपनी ओर से ईमानदारी से कोशिश की है। इसलिए जीवन रक्षक संसाधनों की बर्बादी, कालाबाजारी को केंद्र और राज्य सरकारों को हर हाल में रोकना होगा।

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