Thursday, 23 October 2025

नो किंग्स प्रोटेस्ट: सड़कों पर 70 लाख अमेरिकी

 
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ रविवार को अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ। ऐसा लगा मानो पूरा अमेरिका सड़कों पर उतर गया हो। करीब 70 लाख से अधिक लोगों ने अमेरिका में 2600 जगहों पर नो किंग्स नाम से निकाली गई रैलियों में शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका को तानाशाही की ओर ले जा रही हैं। शिकागो शहर में 1 लाख, वाशिंगटन डीसी में 2 लाख, लॉस एंजिलिस सिटी में 50 हजार और सैन डिएगो शहर में 25 हजार प्रदर्शनकारी शामिल हुए। टाइम्स स्क्वायर, बोस्टन कॉमन और अटलांटा सिविक सेंटर जैसे इलाकों में भारी भीड़ उमड़ी। सिएटल में लोगों ने स्पेन नीडल के पास डेढ़ किलोमीटर लंबी परेड निकाली। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने लोकतंत्र, न्याय और नागरिक स्वतंत्रता पर हमला किया है। ओरेगन के एक शिक्षक ने कहा कि हम शांति से यह बताना चाहते हैं कि अमेरिका किसी राजा का देश नहीं है। उनका कहना है कि फेडरल सैनिकों की तैनाती रोकी जाए, इमिग्रेशन छापे बढ़े हों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार की रक्षा हो। प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की। उन्होंने विरोध करने से ज्यादा देशभक्ति कुछ नहीं है या फांसीवाद का विरोध करें जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारी ट्रंप की आप्रवासन शिक्षा और सुरक्षा नीति का भी विरोध कर रहे थे। अमेरिका समेत दुनिया भर में 2700 से ज्यादा नो किंग्स प्रदर्शन हुए हैं। लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर भी सैंकड़ों लोग जमा हुए। आयोजकों का कहना है कि वे प्रदर्शन ट्रंप की तानाशाही प्रवृतियों के खिलाफ एक प्रतिरोध है, इसे अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया जा रहा है। मैड्रिड और वर्सिलोना में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए। ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर वापसी के बाद से यह तीसरा जन आंदोलन है। इस आंदोलन से संघीय कार्पामों और सेवाओं पर असर पड़ा है। वाशिंगटन में प्रदर्शन में शामिल शान हावर्ड ने कहा कि उन्होंने पहले कभी भी विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लिया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने जिस प्रकार से कानून की अवहेलना की है उससे वह बहुत आहत हैं। नो किंग्स थीम का मकसद उन विरोध प्रदर्शनों की याद दिलाना है जिनके कारण अमेरिका का जन्म हुआ, राजशाही और निरंकुशता को छोड़ा गया। गणतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाया गया। ये विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में हुए जब सीनेट में डेपोट्स और रिपब्लिकन के बीच गतिरोध के कारण सरकार का अधिकांश शट डाउन यानि बंद है, डेपोट्स मेडिकल बीमा और स्वास्थ्य संबंधी कार्पामों में कटौती को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा डेपोटिक शासित राज्यों में संघीय बल भेजने और अवैध प्रवासियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने से इंकार किया कि उनकी कोई शाही महत्वकांक्षा है या वे किसी राजा की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने फॉक्स बिजनेस टीवी इंटरव्यू में कहा ये मुझे राजा कह रहे हैं। मैं राजा नहीं हूं। ट्रंप ने एआई वीडियो शेयर करते हुए इस पर प्रतिािढया दी। वीडियो में उनके सिर पर ताज दिखाई दे रहा है। वे एक लड़ाकू विमान में मास्क लगाकर बैठे हैं और जिस पर किंग ट्रंप लिखा है। प्रदर्शनकारियों पर बम बरसाते हुए दिख रहे हैं। 
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 18 October 2025

गठबंधनों में मचा घमासान


बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख गठबंधनों में मचा घमासान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रथम चरण के नामांकन भरने की आखिरी तारीख (17 अक्टूबर) करीब आ जाने के बावजूद भी दोनों गठबंधनों में संग्राम जारी है। गठबंधन की राजनीति में सहयोगी दलें के बीच रूठना-मनाना आम बात है। खासकर जब चुनाव सिर पर हो तो दबाव की राजनीति अपनी चर्म पर होती है। दोनों ही गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन में असंतोष चर्म सीमा पर है। पहले बात करते हैं महागठबंधन की। यह किसी से छिपा नहीं कि कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में मतभेद हैं। तभी तो नामांकन की अंतिम तिथि में जाकर सीट बंटवारे की घोषणा फाइनल हो सकी। दरअसल कांग्रेस यह साबित करना चाहती है कि गठबंधन में सीनियर पार्टनर है क्योंकि वह देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है जबकि राजद एक क्षेत्रीय दल है और उसे उसी हिसाब से सीटें का बंटवारा करना चाहिए। दूसरी ओर तेजस्वी यादव का मानना है कि उनकी पार्टी बिहार में कांग्रेस से कहीं बड़ा जनाधार रखती है इसलिए उसे प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उम्मीद है कि दोनों के बीच सही मायनों में मतभेद मिट गए हैं और दोनों अपने इस इरादे पर पक्के हैं कि एनडीए को इस बार हराना है। वहीं अगर एनडीए की बात करें तो यहां कई मसले हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि वह बड़े भाई की भूमिका में चुनाव में जाएं, इसलिए उन्हें भाजपा से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए थीं। वह यह भी चाहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर एनडीए चुनाव में जाए। जबकि भाजपा का कहना है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह चुनाव के बाद चुने विधायक करेंगे। एक पेंच तो यह फंसा हुआ है। दूसरा पेच चिराग पासवान को लेकर फंसा हुआ है। नीतीश चिराग को एक आंख नहीं भाते। वह चाहते थे कि चिराग को 15 सीटें मिलें, जबकि भाजपा हाईकमान ने उन्हें 29 सीटें दे दीं। इन 29 सीटों में ऐसी भी कई सीटें शामिल हैं जहां जदयू का सिटिंग विधायक है। नतीजा यह हुआ कि जदयू ने चिराग की 7 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए। बता दें कि चिराग ने पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू को करारा झटका दिया था। तब उन्होंने जदयू कोटे की ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशी उतार तीन दर्जन सीटों का नुकसान पहुंचाया था। इस कारण जदयू राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन कर रह गई थी। कहा जा रहा है कि इस बार चिराग के कोटे की सीटों पर उम्मीदवार उतार नीतीश पुराना हिसाब चुकता कर रहे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को 6-6 सीटें दी गई हैं। दोनों ही नाराज चल रहे हैं। भाजपा आलाकमान के दबाव में अब वह कह तो रह हैं कि सब ठीक है पर अंदर खाते आग सुलग रही है और चुनाव में एनडीए एक बंटा हुआ गठबंधन नजर आ सकता है। एक बात फिर से यह तो साबित हो गई कि आज भी बिहार में नीतीश कुमार एक महत्वपूर्ण फैक्टर हैं और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। यह सही है कि पिछले कुछ समय से नीतीश की सेहत पर सवाल उठते रहे हैं और वह ज्यादा सक्रिय भी नहीं दिखे। पर पिछले तीन-चार दिनों में नीतीश अपने पुराने रंग में दिखाई दिए। जिस तरीके से उन्होंने अपनी पार्टी को संभालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं उससे साफ है कि वह यह मानते हैं कि भाजपा उन्हें अगला मुख्यमंत्री नहीं बनाने वाली हैं। उन्हें यह भी समझ आ गया है कि उनके तीनों वरिष्ठ साथी अंदर खाते भाजपा समर्थक हैं और उनके इरादे पर पार्टी को अंदर से तोड़ना चाहते हैं। इसी वजह से नीतीश ने अब कई शर्तें भाजपा के सामने रखी हैं। देखना होगा कि उन्हें भाजपा मानती है या नहीं? उधर भाजपा तहे दिल से चाहती है कि पहला कि वह बिहार विधानसभा चुनाव हर हाल में जीते और बिहार का अगला मुख्यमंत्री भाजपा का हो। अब असल खेला शुरू होने वाला है। देखते हैं, आने वाले दिनों में क्या-क्या होता है? 
-अनिल नरेन्द्र

Thursday, 16 October 2025

मामला आईपीएस पूरन की आत्महत्या का


चंडीगढ़ में सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। 7 अक्टूबर को 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार ने अपने चंडीगढ़ स्थित आवास पर खुद को गोली मार ली थी। इस खुदकुशी से पूरे राज्य में पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। एक आईपीएस अधिकारी की मौत के बाद कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। पुलिस को उनके पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिसमें उन्होंने हरियाणा पुलिस के डीजीपी समेत कई अधिकारियों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया। आईपीएस पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत कुमार हैं। जब पति ने खुदकुशी की उस वक्त अमनीत देश से बाहर गई हुई थीं। उन्होंने लौटकर पूरे मामले की जानकारी हासिल की। अब अमनीत कुमार और पूरा परिवार आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। परिवार ने आरोप लगाएं है कि पुलिस ने एफआईआर भी ठीक से नहीं लिखी और आरोपियों के नाम निश्चित जगह पर नहीं दिए गए है। परिवार लगातार न्याय की मांग कर रहा है। वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शत्रुजीत कपूर के पद से हटाने के लिए 31 सदस्यीय समिति ने राज्य सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेअल दिया है। वाई पूरन कुमार की मौत के बाद पूरे प्रदेश में दलितों में भारी आक्रोश है। ऐसे में इस पर महापंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकार डीजीपी के खिलाफ सख्त एक्शन ले और उन्हें पद से हटाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरे हरियाणा में चंडीगढ़ में करीब 5000 सफाई कर्मचारी काम छोड़ देंगे। वहीं इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शनिवार को कहा था कि आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने पीड़ित परिवार को भी आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है। इस दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की बात भी कही। पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है जो मामले की जांच में जुट गई है। वहीं कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने वाई पूरन कुमार की पत्नी को शोक संदेश भेजकर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि आज भी हुक्मरानों का पूर्वाग्रह से ग्रस्त पक्षपातपूर्ण रवैया बड़े से बड़े अधिकारी को भी सामाजिक न्याय की कसौटी से वंचित रखता है। 10 अक्टूबर को पूरन की पत्नी को भेजे गए पत्र में लिखा आपके पति कुमार के देहांत की खबर स्तब्ध करने वाली भी है और मन को व्यथित करने वाली भी। आपार मुश्किल की इस घड़ी में मेरी ओर से आपके अलावा पूरे परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं। इस कठिन परिस्थिति में ईश्वर आपको धैर्य, साहस और संबल प्रदान करें। हरियाणा सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शनिवार को रोहतक के एसपी नरेन्द्र बिजारणिया को पद से हटा दिया है। सजा के तौर पर उन्हें अभी कहीं पोस्टिंग नहीं दी गई। उधर शनिवार को 5वें दिन भी वाई पूरन कुमार के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। चंडीगढ़ के गृहसचिव मनदीप बराड़ ने शनिवार को सुबह पूरन कुमार की पत्नी अमनीत कुमार के साथ मुलाकात की। इसके कुछ समय बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने वाई पूरन कुमार के राव को सेक्टर-16 अस्पताल में रखवा दिया। खबर आई है कि पत्नी अमनीत कुमार ने हल्की धाराएं लगाने पर आपत्ति जताई थी और सख्त धाराएं नहीं लगाने तक पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार नहीं करने पर अड़ी थी। हरियाणा पुलिस ने रविवार को डीजीपी शत्रुजीत कपूर और तत्कालीन रोहतक एसपी नरेन्द्र बिजारणिया समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में एससी-एसटी एक्ट की नई धाराएं जोड़ी हैं, जिसके तहत उम्र कैद की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। हम वाई पूरन कुमार को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं और उम्मीद करते है कि उनके परिवार के साथ न्याय हो और इस पक्षपाती रवैया की कड़ी निंदा करते हैं।
-अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 14 October 2025

बिहार चुनाव ः पहला राउंड पीके के नाम


बिहार में होने वाले पहले चरण के विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रािढया शुरू हो गई है। इस चरण में 121 सीटों के लिए मतदान होना है। पावार को आयोग ने पहले चरण की अधिसूचना जारी की। इस चरण के लिए उम्मीदवार 17 अक्टूबर तक अपना नामांकन कर सकते हैं और इन सीटों के लिए आगामी 6 नवम्बर को मतदान होगा। इस लेख लिखने तक न तो एनडीए की सीट शेयरिंग फाइनल हुई है और न ही महागठबंधन की। एक उम्मीद की जा रही है कि इसकी घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। जहां एनडीए यानि सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है और पिछले कई दिनों से दिल्ली और पटना में बैठकों का दौर चल रहा है। वहीं महागठबंधन में भी पूरी तरह सहमति नहीं बनी है। अभी भी कुछ सीटों पर मतभेद है। वहीं अगर किसी ने इस प्रािढया में नंबर मारा है तो वह हैं प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी ने। प्रशांत किशोर की जन सुराज ने पावार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। 51 उम्मीदवारों में 17 अति पिछड़े वर्ग से, 11 पिछड़े वर्ग से, 7 दलित, 7 मुस्लिम,नौ सामान्य वर्ग से हैं। इन 51 उम्मीदवारों में 6 महिलाएं हैं और गोपालगंज को भोरे सीट से एक ट्रांसजेंडर प्रीति किन्नर को टिकट मिला है। बिहार जाति सर्वे 2022 के अनुसार राज्य में अति पिछड़ी जातियां 36.01 फीसदी है और आबादी के लिहाज से यह सबसे बड़ा हिस्सा है। वहीं पिछड़ी जातियां 27.12 फीसदी है। पीके की उम्मीदवारों की सूची में कई पढ़े-लिखे प्रतिष्ठित लोग शामिल हैं। उदाहरण के तौर पर होम गार्ड के पूर्व महानिदेशक, हाईकोर्ट के वकील, यूनिवर्सिटी केन्द्र यूके वाइस चांसलर, भोजपुरी फिल्मों के गायक, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर को समस्तीपुर की मोरवा सीट से टिकट दिया गया है। इसके अलावा आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को नालंदा की आस्थावां सीट से उतारा गया है। लगभग सभी उम्मीदवार पहली बार चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा जन सुराज से तीन डाक्टरों को भी उम्मीदवार बनाया गया है। उधर बिहार के दो अहम गठबंधन एनडीए और आरजेडी वाले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। कहा जा रहा है कि एनडीए के दो सहयोगी चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को जितनी सीटें दी जा रही है उससे वह नाखुश हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन में भी कांग्रेस मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा और पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी अपनी सीटों को लेकर आरजेडी से सहमत नहीं हो पाए हैं। बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं। मुकेश साहनी 60 सीटें मांग रहे हैं और उपमुख्यमंत्री का पद भी। साहनी मल्लाह जाति से ताल्लुक रखते हैं और बिहार में इस जाति की आबादी 9.6 प्रतिशत है। प्रशांत किशोर ने अपनी पहली लिस्ट पर कहा, एक भी बाहुबली, धनबली, महाबली कोई नहीं मिलेगा। इसमें सिर्फ वो लोग मिलेंगे, जो बिहार को सुधारने का जज्बा लेकर इस प्रयास से जुड़े हैं। हमारे ज्यादातर उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वो लोग जुड़े हैं, जो राजनीति नहीं जानते, लेकिन वे राजनीति के जरिए समाजसेवा करना चाहते हैं। 
-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 11 October 2025

न कोई अफसोस, न ही मांगूंगा माफी

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर गत fिदनों हमले की शर्मनाक कोशिश हुई। सुप्रीम कोर्ट में गत सोमवार को शर्मनाक घटना में चलती कार्यवाही के बीच एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की ओर जूता फैंकने की कोशिश की। हालांकि कोर्ट में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल हरकत में आकर और डायस के करीब खड़े वकील राकेश किशोर (71) को तुरंत दबोच लिया और कोर्ट से बाहर ले गए। बाद में पुलिस ने राकेश को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। कोर्ट रूम से बाहर निकलते समय वकील राकेश किशोर चिल्ला रहा था, सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। घटना से अविचलित सीजेआई गवई ने सुनवाई जारी रखी और अन्य वकीलों से कहा, इस पर विचलित न हों। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करती हैं। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीजेआई गवई से बात की और एक्स पर लिखा, मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई से बात की, आज सुबह सुप्रीम कोर्ट पfिरसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय आक्रोशित है। हमारे समाज में ऐसे निदंनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है, यह पूरी तरह से निंदनीय है। उधर जस्टिस गवई पर जूता फैंकने वाला बेशर्म वकील राकेश किशोर ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि सीजेआई के भगवान विष्णु पर दिए गए बयान से मैं आहत हूं। उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं है और न ही मैं माफी मांगूंगा। आरोपी अधिवक्ता की अस्थाई सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है। राहुल गांधी ने भी घटना की निंदा करते हुए एक्स पर पोस्ट किया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश पर हमला हमारी न्यायपालिका की गरिमा और हमारे संविधान की भावना पर हमला है। इस तरह की नफरत का हमारे देश में कोई स्थान नहीं है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रोहित पांडे जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व कार्यवाहक सचिव हैं ने बताया कि सारा मामला क्या है? दरअसल 16 सितम्बर को सीजेआई गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बैंच ने मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो में एक मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत और रखरखाव का आदेश देने से जुड़ी अर्जी खारिज कर दी थी। बैंच ने कहा था कि यह अदालत नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आता है। बैंच ने उसे पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका बताते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह भगवान विष्णु के बड़े भक्त हैं तो फिर उन्हीं से प्रार्थना करें और थोड़ा ध्यान लगाएं। सीजेआई की इस टिप्पणी के बाद सनातनी ब्रिगेड ने सीजेआई पर सीधा हमला बोल दिया। एक भक्त ने तो यहां तक कह दिया कि जजों को सड़कें पर पीटा जाएगा, अगर वह सुधरे नहीं। उधर जस्टिस गवई ने अपनी सफाई देते हुए कहा, सोशल मीfिडया पर तो आजकल कुछ भी चल सकता है। परसों किसी ने मुझे बताया कि आपने कुछ अपमानजनक कहा है। उन्होंने कहा मैं सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं और सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। इस पर सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा, मैं सीजेआई को पिछले 10 सालों से जानता हूं। वे सभी धर्मों के मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर पूरी श्रद्धा के साथ जाते हैं। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियां केवल इस संदर्भ में थी कि मंदिर एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आता है। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा, हम सर्वसम्मति से हाल ही में एक अधिवक्ता की ओर से किए गए उस अनुचित और असंयमित व्यवहार पर गहरी पीड़ा और असहमति व्यक्त करते हैं, जिसमें उन्होंने भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद और अधिकार का अपमान करने का प्रयास किया। सोशल मीडिया में इस कृत्य की इसलिए भी निंदा हो रही है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश एक दलित समाज से आते हैं और इसलिए भी उनका अपमान किया गया है और किया जा रहा है। यह हमला सिर्फ सीजेआई गवई पर ही नहीं यह भारत के संविधान पर सीधा हमला है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। यह मामला सिर्फ सीजेआई गवई तक सीमित नहीं है, बेशक उन्होंने अपराधी को माफ कर दिया हो पर देश उसे माफ नहीं करेगा। उसने न केवल देश के मुख्य न्यायाधीश पर हमला किया है, बल्कि देश की पूरी न्यायिक व्यवस्था को चुनौती दी है और संविधान का अपमान किया है। उसे उसकी करनी की सजा मिलनी ही चाहिए ताकि भविष्य में एक नजीर बने। नहीं तो ऐसे हमले बढ़ते जाएंगे। -अनिल नरेन्द्र

Thursday, 9 October 2025

जुबिन की मौत ः दुर्घटना या हत्या?

मशहूर गायक जुबिन गर्ग की मौत को लेकर रोज नए-नए खुलासे आ रहे हैं। बता दें कि जुबिन की मौत 19 सितम्बर, 2025 को सिंगापुर में हुई थी। बता दें कि जुबिन की सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी। जुबिन, श्यामकानु महंत और उनकी कंपनी की ओर से ऑर्गेनाइज इवेंट के चौथे संस्करण में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर गए थे। सिंगापुर में जुबिन और उनके साथी स्कूबा डाइविंग के लिए गए थे। स्कूबा डाइविंग के दौरान जुबिन ने पानी में छलांग मारी और कुछ ही क्षणों में तड़पते नजर आए। बताया गया है कि जुबिन गर्ग पानी में सांस लेने के लिए हाफ रहे थे और लगभग डूबने की स्थिति में थे, उस समय सिद्धार्थ शर्मा था जो जाबो दे, जाबो दे। (जाने दो जाने दो) चिल्लाते सुना गया। ऐसा एक गवाह ने कहा है। जुबिन की मौत के बाद इस मामले की जांच चल रही है। फेस्टिवल ऑर्गेनाइजर, सिंगर के मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और बैंड के दो मेंबर शेखर ज्योति गोस्वामी और अमृत प्रभा महंत को गिरफ्तार कर 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। हालांकि इस दौरान जुबिन के बैंड के मेम्बर शेखर ज्योति गोस्वामी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि सिंगापुर में जुबिन को जहर दिया गया था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी। इस मामले में पूछताछ के दौरान पुलिस के पास मौजूद ऑफिशियल डाक्यूमेंट में दी गई जानकारी के मुताबिक डिटेल्स ग्राउंड ऑफ अरेस्ट या रिमांड नोट में ज्योति ने आरोप लगाया कि जुबिन की सिंगापुर में उनके मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और नार्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के ऑर्गेनाइजर श्यामकानु महंत ने जहर fिदया था। गवाह ने कहा कि जुबिन गर्ग एक ट्रेंड स्विमर थे यानी वह तैराकी में अपनी तह जानते थे और इसलिए डूबने से उनकी मौत नहीं हो सकती। उसने आगे कहा गया है कि शेखर ज्योति गोस्वामी ने आरोप लगाया कि सिद्धार्थ शर्मा और श्यामकानु महंत ने सिंगर को जहर दिया था और अपनी साजिश छिपाने के लिए जानबूझकर विदेश में जगह चुनी थी। सिद्धार्थ ने उन्हें नाव के वीडियो किसी के साथ शेयर न करने का भी निर्देश दिया था। सीआईडी का 9 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) फिलहाल सिंगापुर में गर्ग की मौत से जुड़े मामले की जांच कर रहा है। सीआईडी के सूत्रों ने दस्तावेज की सत्यता की पुष्टि की है। नोट में कहा गया है, गवाह शेखर ज्योति गोस्वामी के बयान से पता चला है कि जुबिन गर्ग की डेथ से पहले मौत का एक्सीडेंट दिखाने की साजिश रची गई थी। जुबिन के साथ सिंगापुर में रह रहे सिद्धार्थ शर्मा का आचरण संदिग्ध था जिसकी वजह से बीच समुद्र में खतरनाक तरीके से नाव डगमगाने लगी थी। साथ ही यह भी बताया गया कि डूबते वक्त जुबिन के मुंह से और नाक से झाग निकल रहा था तो सिद्धार्थ ने जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाए उसे एसिड रिफ्लक्स बताकर टाल दिया और दूसरों को आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है। जुबिन की मौत की जांच के लिए असम सरकार ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का भी गठन किया है। राजनीतिक विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश सौमित्र सैंकिया की अध्यक्षता वाला यह आयोग 6 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। उधर जुबिन की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने शनिवार को अपने पति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को लौटाते हुए कहा कि यह उनका निजी दस्तावेज नहीं है और जांचकर्ता ही बेहतर तय कर पाएंगे कि इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए या नहीं। गरिमा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जांच में सिंगापुर में जुबिन की मौत के पीछे की वास्तविक परिस्थितियों का पता लगा लिया जाएगा। गरिमा ने कहा कि वह बस यही चाहती हैं कि जांच सही तरीके से की जाए और सच्चाई जल्द से जल्द सामने ने आए। जब गरिमा जुबिन के बैंड में शामिल शेखर ज्योति गोस्वामी के गायक को जहर दिए जाने के दावे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल किया कि वह (शेखर) इतने लंबे समय तक चुप क्यों रहे? अगर शेखर को पता था तो उन्होंने यह बात इतने दिनों तक क्यों छिपाई रखी? -अनिल नरेन्द्र

Tuesday, 7 October 2025

कांटे की टक्कर दिखती है बिहार में


बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियां अपने चरम पर हैं। पार्टियों के बीच साधे जा रही सीटों के समीकरण के बीच भारतीय चुनाव आयोग ने एसआईआर यानि गहन मतदाता पुनरीक्षण के आंकड़े भी जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक बिहार में अब 7.42 करोड़ मतदाता हैं। अब बिहार चुनाव की घोषणा भी हो गई और 14 नवंबर 2025 को रिजल्ट भी आ जाएगा। पाठकों की जानकारी के लिए बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन के पास 122 सीटें होना जरूरी है। बिहार में फिलहाल जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घटक दलों वाली एनडीए सरकार है और आरजेडी के तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। विधानसभा में अभी भाजपा के 80 विधायक हैं। आरजेडी के 77, जेडीयू के 45 और कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टी के 11, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के 4, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के 2, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया के दो, ओवैसी की पार्टी का एक और 2 निर्दलीय विधायक हैं। सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए जमकर रेवड़ियां बांट रही है। कहीं तो बिहार की 75 लाख महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए पहुंच रहे हैं तो कहीं चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले सीएम नीतीश कुमार की तरफ से करोड़ों रुपए की योजनाओं की घोषणा हो रही है। महिलाओं के खातों में पैसे देने के बाद पीएम मोदी ने युवाओं के लिए करीब 62 हजार करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू की हैं। इनमें बिहार के लिए भी काफी योजनाएं हैं। इन योजनाओं से लगता है कि बिहार चुनाव सत्तारूढ़ केंद्र की एनडीए सरकार के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखती है और केंद्रीय नेतृत्व किसी भी हालत में बिहार खोना नहीं चाहता। इन योजनाओं से लगता है कि पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान देकर चुनाव में जीत की संभावनाएं बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरी ओर महागठबंधन भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। एसआईआर, वोट चोरी और संविधान रक्षा इनके प्रमुख मुद्दे हैं। एनडीए की अंदरूनी खींचतान भी चिंता का विषय बना हुआ है। इस बार चुनाव में एक नया फैक्टर भी जुड़ गया है। वह है पीके यानि प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी। पीके ने बिहार में अपने आरोपों से तहलका मचा दिया है। उनके फिलहाल निशाने पर सत्तारुढ़ एनडीए सरकार के मंत्री हैं। प्रशांत किशोर अपनी जनसभाओं में जबरदस्त भीड़ खींच रहे हैं। देखना यह होगा कि यह किसकी वोट काटते हैं, एनडीए की या महागठबंधन की? अगर पीके 10-12 सीटें निकाल लेते हैं तो यह किंग मेकर की भूमिका में भी आ सकते हैं। बिहार में इस समय लड़ाई एनडीए बनाम महागठबंधन बनाम जन सुराज पार्टी के बीच दिखती है। मैं व्यक्तिगत रूप से इन चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करता पर जो इन पर यकीन करते हैं उनकी जानकारी के लिए एक ताजा सर्वेक्षण का ब्यौरा दे रहा हूं। नीतीश कुमार, तेजस्वी या प्रशांत किशोर.... बिहार का कौन होगा अगला मुख्यमंत्री नाम के सी-वोटर का ताजा सर्वेक्षण आया है। 2025 में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। हालिया सी-वोटर सर्वे ने दिखाया है कि तेजस्वी यादव अभी सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री के दावेदार हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशांत किशोर ने लोकप्रिया में नीतीश कुमार को पछाड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया है। कौन जीत रहा है यह कहना मुश्किल है, कांटे की टक्कर है। एनडीए, इंडिया गठबंधन और प्रशांत की जन सुराज पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले ने लड़ाई दिलचस्प बना दी है। सवाल यह भी है कि क्या नीतीश कुमार लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बन पाएंगे या फिर एनडीए की जीत होती है तो क्या भाजपा किसी नए मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा करेगी। वहीं विपक्ष अगर जीतती है तो उसका कौन मुख्यमंत्री होगा क्योंकि अभी तक इस विषय पर कांग्रेस ने कुछ खुलकर नहीं बोला है। सी-वोटर सर्वे के अनुसार बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को लगभग 35 फीसदी लोगों ने भावी मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। जबकि नीतीश कुमार को इस सर्वे में तीसरी पसंद बताया गया है और उन्हें केवल 16 प्रतिशत लोगों ने चुना। जबकि दूसरे नंबर पर राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की लोकप्रियता इस सर्वे में सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री के रूप में 23 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जैसा मैंने कहा कि मुझे इन सर्वेक्षणों पर यकीन नहीं है। इनसे बहरहाल इतना तो पता चलता ही है कि बिहार में कैसी सियासी हवा चल रही है। 
-अनिल नरेन्द्र