Saturday 29 September 2018

लालू को दोहरा झटका, परिवार भी मुश्किलों में

राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ ही उनकी पत्नी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके पुत्र तथा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। रेलवे होटल टेंडर में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। अब उन्हें दिल्ली स्थित न्यायालय में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा। वहीं झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा लालू प्रसाद यादव को स्वास्थ्य के आधार पर मिली औपबंधिक जमानत का विस्तार नहीं किए जाने से यह संकट और गहरा गया है। अब लालू को इसी 30 अगस्त को सरेंडर करना होगा। इलाज कराने को आधार बनाकर डाली गई अंतरिम जमानत बढ़ाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने राज्य सरकार को जरूरत पड़ने पर लालू प्रसाद को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने आईआरसीटीसी होटल आवंटन मनी लांड्रिंग में शुक्रवार को लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी एवं बेटे तेजस्वी यादव समेत अन्य के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष जज अरविन्द कुमार सिंह की कोर्ट में जो मनी लांड्रिंग केस दर्ज किया है उसमें लारा प्रोजेक्ट्स नाम की एक कंपनी एवं 10 अन्य के खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत चार्जशीट में शामिल है। रेलवे टेंडर मामले में त्वरित ट्रायल की स्थिति में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव और वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय जनता दल के समक्ष नेतृत्व का संकट खड़ा हो सकता है। पार्टी में प्रथम पंक्ति के वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर तेजस्वी और तेज प्रताप को लालू ने आगे किया था, लेकिन परिस्थितियां यदि विषम रूप लेती हैं तो संगठन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका ही अहम होगी। ऐसे में राजद का आधार वोट संभालना मुश्किल हो सकता है। उस सूरत में राजद के वरिष्ठ नेता जगतानन्द सिंह, रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी, जयप्रकाश नारायण यादव, डॉ. राजचन्द्र पूर्वे व अब्दुल बारी सिद्दीकी पर जिम्मेदारी आ जाएगी। चारा घोटाला मामले में सजा से पूर्व लालू प्रसाद ने संगठनात्मक रणनीति के तहत पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को आगे कर दिया था। साथ ही लालू प्रसाद ने तब राजद के प्रथम व दूसरी पंक्ति के नेताओं को मिलाकर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संघर्ष समिति के गठन की घोषणा की। पर ईडी की चार्जशीट से तेजस्वी व राबड़ी देवी के साथ ही संगठन की परेशानी बढ़ सकती है। लालू प्रसाद की अस्वस्थता के कारण उनका परिवार और संगठन पहले से ही परेशानी में है। अब इस नए केस से यह संकट और बढ़ गया है।

-अनिल नरेन्द्र

वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा पर पथराव

राजस्थान के जोधपुर में सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा पर पथराव बेहद चौंकाने वाली घटना है। प्रदेश ने राजनीति के उभरते इस रूप को शायद पहले कभी नहीं देखा होगा। पहली बार किसी राजनीतिक कार्यक्रम में इस तरह की पत्थरबाजी हुई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के दूसरे चरण के दूसरे दिन शनिवार को जोधपुर जिले में गौरव रथ पर पथराव और विरोध प्रदर्शन के मामले में पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी है। वीडियोग्रॉफी के आधार पर पुलिस ने अब तक 17 लोगों को पकड़ा है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह मुख्यमंत्री का विरोध दर्शाता है कि भाजपा के लिए माहौल अच्छा संकेत नहीं दे रहा। मुख्यमंत्री को जोधपुर संभाग के कई इलाकों में लोगों ने काले झंडे भी दिखाए तो एक जगह पर तो गुस्साई भीड़ ने जमकर पथराव भी किया। इससे मुख्यमंत्री के काफिले में चल रही कुछ गाड़ियों के कांच भी टूट गए। पुलिस ने यात्रा का विरोध करने वालों पर लाठियां बरसा कर उन्हें खदेड़ा। राजे शनिवार को ही यात्रा रोक कर रात को जोधपुर आ गईं। उनकी जोधपुर संभाग की यात्रा में 28 अगस्त तक विश्राम के दिन हैं। इसके बाद फिर से यात्रा जोधपुर संभाग में गुजरेगी। राजे ने यात्रा की अंतिम सभा में विरोध करने वालों को चुनौती देते हुए कहा कि वह किसी से डरती नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने विरोध के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जिम्मेवार ठहराया। विरोध करने वाले गहलोत के पक्ष में नारे लगा रहे थे। दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को कहा कि विरोध और काले झंडे दिखाने की परिपाटी भाजपा की ही है। राजे की गौरव यात्रा में जो काले झंडे दिखाए गए हैं, हो सकता है कि वह भाजपा की ही साजिश हो। उन्होंने इसकी निन्दा भी की। गहलोत का कहना है कि लोकतंत्र में विरोध को सहने की शक्ति भी होनी चाहिए। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार लोगों की तरफ से दिखाए गए काले झंडों से ही तिलमिला गई। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री राजे अपने साढ़े चार साल के शासन में जब भी जोधपुर आईं, एक बार भी सर्पिट हाउस में नहीं ठहरीं। ऐसे में अपनी समस्या लेकर आने वाले फरियादी अपनी शिकायत उनसे कहां मिल कर करते? इस तरह के हालातों में लोगों के नराजगी होना जायज है। यह मुख्यमंत्री व उनकी सरकार के प्रति रोष का प्रदर्शन है। सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौर ने रविवार को कहा कि कांग्रेस बौखलाहट में आ गई है। वसुंधरा की गौरव यात्रा को बड़ा जन समर्थन मिल रहा है, जिससे कांग्रेस घबरा गई है और इस तरह के हथकंडे अपना रही है। राठौर ने दावा किया कि भाजपा को जनता का साथ मिल रहा है। वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि संकल्प यात्रा में मुख्यमंत्री ने बहुत बड़े सपने दिखाए और वह पूरे नहीं हुए, न ही होने थे। जनता नाराज व निराश है परन्तु विरोध प्रकट करने वालों को मर्यादा और राजस्थान की गौरवशाली परंपरा का पालन करना चाहिए। राजनीति में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।

Thursday 27 September 2018

क्या अपराधियों को राजनीति में आने से रोका जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि राजनीति का अपराधीकरण कैंसर है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है। परन्तु इसका शीघ्र हल निकलना चाहिए, ताकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए घातक न बन जाए। दागियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए संविधान पीठ ने यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे लोगों को राजनीति में प्रवेश से रोका जाना चाहिए, क्योंकि राजनीति की संदूषित धारा को स्वच्छ करने की आवश्यकता है। सुधार वह भी समाज का शॉर्टकट नहीं होता। यह बात मंगलवार के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गई। इसलिए राजनीति को अपराधी-मुक्त करना है तो इसके लिए संसद से कानून बनाने के साथ सामाजिक चेतना जगाने का लंबा संघर्ष करना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनावी भविष्य पर कोई सीधा फैसला भले ही न दिया हो, लेकिन यह कहकर कि इसके लिए संसद को खुद कानून बनाना चाहिए, गेंद केंद्र सरकार और संसद के पाले में डाल दी है यानि सर्वोच्च अदालत ने संसद पर छोड़ दिया है कि वह जनता को कैसे-कैसे प्रतिनिधियों के हवाले करना चाहते हैं? अदालत ने माना कि महज चार्जशीट के आधार पर न तो जनप्रतिनिधियों पर कोई कार्रवाई की जा सकती है, न उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है। यह तो संसद को कानून बनाकर तय करना होगा कि वह जनप्रतिनिधियों के आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामलों में क्या और कैसा रुख अपनाना चाहती है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और चार अन्य जजों की खंडपीठ ने जो फैसला दिया है वह न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि किसी भी उम्मीदवार को महज इस आधार पर चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता कि उस पर चार्जशीट दायर हो चुकी है। यह बात विधि शास्त्र के उस सिद्धांत का हिस्सा है, जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जब तक दोषी साबित न हो जाए तब तक वह निर्दोष है। अदालत के फैसले का दूसरा हिस्सा कहता है कि कानून बनाने का अधिकार विधायिका का है। अदालत का काम कानून की व्याख्या करना है, इसलिए अगर किसी अपराधी को राजनीति में आने से रोकना है तो उसके लिए संसद को कानून बनाना चाहिए। राजनीति के अपराधीकरण ने लोकतंत्र को खासा नुकसान पहुंचाया है और इसका खामियाजा निचले तबके के लोगों को उठाना पड़ता है, जिन्हें लगता है कि वह अपने वोट की व्यवस्था को जवाबदेही बना सकते हैं। जहां तक राजनीतिक दलों और संसद का सवाल है इसमें संदेह है कि वह इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई करें क्योंकि हर एक दल के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीट जीतना है, इसके चलते वह सिर्प विनिंग कैंडिडेट देखते हैं भले ही वह एक अपराधी क्यों न हो?

-अनिल नरेन्द्र

सिक्किम में चीनी सीमा से लगता हुआ भारतीय हवाई अड्डा

पूर्वोत्तर में भारतीय सीमा के पास चीन तीन हवाई अड्डों का निर्माण कर रहा है। सिक्किम पर वह अपना दावा जताता रहा है। सिक्किम के नाथूला और अन्य पासों में कई बार भारतीय-चीनी सैनिकों की झड़पें भी हो चुकी हैं। कुछ दिन पहले मैंने जेपी दत्ता की फिल्म पलटन देखी थी। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि 1967 में भारतीय सैनिकों ने न केवल चीनियों को खदेड़ा था बल्कि दोनों देशों में अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर दर्शाने के लिए एक कांटेदार दीवार भी तैयार की। इसके रोकने के लिए चीनियों ने पूरी ताकत के साथ हमारे सैनिकों पर हमला किया जिसका हमारे बहादुर जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। अंत में चीन ने न केवल सरेंडर किया बल्कि इस कांटे की बाड़ को स्वीकार भी किया। यह आज भी मौजूद है। 1962 की हार का हमने चीनियों से 1967 में बदला लिया। यही वजह है कि चीन यह समझ गया है कि भारत अब 1962 का भारत नहीं है। हमारे सुरक्षा जवान अब उनको मुंहतोड़ जवाब देंगे। सिक्किम के इस नए हवाई अड्डे का सामरिक महत्व तो है ही बल्कि यह चीनियों को मुंहतोड़ जवाब भी है। सिक्किम के एक छोटे से गांव पाक्योंग से करीब दो किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर इस हवाई अड्डे को तैयार किया गया है। चारों तरफ पहाड़ियां, नीचे बहता पानी, यहां आने वाले यात्री को जन्नत का सा अहसास कर देगा। इसे तैयार करने लिए पहाड़ काटा गया और उसके मलबे से खाई भरी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हवाई अड्डे का सोमवार को उद्घाटन किया। मोदी ने इस हवाई अड्डे के उद्घाटन के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहाöकेंद्र की वर्तमान सरकार सिक्किम सहित पूर्वोत्तर में आधारभूत ढांचा व भावनात्मक दोनों तरह की कनेक्टिविटी को विस्तार देने का काम तेजी से कर रही है। हम पूर्वोत्तर को देश के विकास का इंजन बनाना चाहते हैं और इस दिशा में काम कर रहे हैं। सात साल लगे इसे तैयार करने में। 2008 में इस हवाई अड्डे को मंजूरी मिली थी। 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ। 990 एकड़ में तैयार किया गया है यह खूबसूरत हवाई अड्डा। इसमें 605 करोड़ रुपए की लागत आई है। यह एयरपोर्ट इसलिए भी खास है क्योंकि यह समुद्र तल से 4500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। निर्माण के दौरान मिट्टी में जरूरतों के हिसाब से बदलाव किए गए। निर्माण में हमारे इंजीनियरों ने जियो टेक्निकल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया। यह सिक्किम की राजधानी गंगटोक से सिर्प 33 किलोमीटर दूर है। यह फासला सिर्प 1.5 घंटे में तय किया जा सकता है। यह भारतीय इंजीनियरों की एक और शानदार उपलब्धि है। इससे चीन को उसी की भाषा में भी जवाब है। भारत ने इसके निर्माण से उन्हें समझा दिया है कि उनकी तैयारियों का हम अनुकूल जवाब देंगे। चीन इस हवाई अड्डे से खुश नहीं होगा और कहेगा कि आपने हमारे क्षेत्र में इसका निर्माण क्यों किया है? पर 1967 को याद करके ज्यादा कुछ रिएक्शन शायद न दिखाए।

अमेरिका और चीन में छिड़ा भयंकर ट्रेड वॉर

चीन और अमेरिका के बीच आजकल एक ट्रेड वॉर छिड़ी हुई है। इस ट्रेड वॉर यानि व्यापार युद्ध का असर भारत सहित अन्य देशों पर पड़ना तय है। यह व्यापार युद्ध क्या हैं? इसका क्या पभाव होता है? जब एक देश दूसरे के पति संरक्षणवादी रवैया अपनाता है यानि वहां से आयात होने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क (टैक्स) बढ़ाता है तो दूसरा देश भी उसी अंदाज में जवाबी कार्रवाई करता है। ऐसी ही संरक्षणवादी नीतियों के पभाव को ट्रेड वॉर यानि व्यापार युद्ध कहते हैं। इसकी शुरुआत तब होती है जब एक देश को दूसरे देश की व्यापारिक नीतियां अनुचित पतीत होती हैं या वह देश रोजगार सृजन के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाता है जैसा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है। ट्रंप ने इस इरादे से चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध का शखनांद किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन से आयातित 200 अरब डालर की वस्तुओं पर लगाया गया नया शुल्क सोमवार से पभावी हो गया है। ट्रंप पशासन अब तक चीन से आयातित 250 अरब डालर की वस्तुओं पर शुल्क लगा चुका है। यह अमेरिका को होने वाले चीन के निर्यात का करीब-करीब आधा हिस्सा हैं। उधर चीन ने अमेरिका के खिलाफ व्यापार में जवाबी कार्रवाई करते हुए वहां से आयातित कई वस्तुओं पर सोमवार को नया शुल्क लगाने की घोषणा की है और अमेरिका पर धमकाने का आरोप लगाया है। पौद्योगिकी को लेकर दोनों के बीच इस व्यापारिक टकराव के बीच चीन ने इस तरह संकेत दिया है कि वह इस मामले में दबेगा नहीं। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि हम जीत की ओर बढ़ रहे हैं। हम एक नतीजा हासिल करने जा रहे हैं जो चीन को वैश्विक शक्ति की तरह व्यवहार करने पर मजबूर करेगा। चीन के सीमा शुल्क विभाग ने कहा है कि उसने 5207 अमेरिकी वस्तुओं पर 5 पतिशत और 10 पतिशत का अतिरिक्त शुल्क लेना शुरू किया है। इसमें शहद से लेकर औद्योगिक रसायन तक शामिल है। चीन ऐसी 60 अरब डालर की वस्तुएं सालाना अमेरिका से मंगाता है। दोनों देशों के बीच व्यापार संवाद भी टूटता नजर आ रहा है। चीन ने अमेरिका जाने वाले अपने एक पतिनिधिमंडल की यात्रा भी रद्द कर दी है। रूस के लड़ाकू जेट विमान खरीदने पर चीन की सैन्य एजेंसी पर अमेरिका के पतिबंध से नाराज चीन ने अमेरिका के साथ अपनी सैन्य वार्ता भी रद्द कर दी है। चीन ने अमेरिकी राजदूत को तलब किया है और सैन्य समझौता रद्द करने की घोषणा की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा है कि यह पतिबंध चीन द्वारा रूस से पिछले साल 10 एमयू-35 लड़ाकू विमान और इस वर्ष सतह से हवा में मार करने वाली एम-400 मिसाइलों के खरीदने के कारण लगाया गया है। चीन के सैन्य पवक्ता ने कहा कि रूस से लड़ाकू विमान और मिसाइल खरीदना दो संपभु देशों के बीच सहयोग के लिए उठाया गया सामान्य कदम है और अमेरिका को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। चीन-अमेरिका के बीच जारी यह ट्रेड वॉर अपने चरम पर पहुंच रहा है और यह दुनियाभर के लिए संकट का संकेत है।
-अनिल नरेन्द्र


अमित शाह-केजरीवाल की ट्वीटर वॉर

अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम तक लेने से कतराने वाले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूर्वांचल महापुंभ की रैली में भाषण के दौरान केजरीवाल पर कई सीधे हमले बोले। मामला तब रोचक हो गया जब बीजेपी के ट्वीटर हैंडल से अमित शाह की कही गई बातें ट्वीट की गई तो उसके जवाब में केजरीवाल ट्वीट पर जवाब देने लगे। शाह ने दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतने का दावा भी किया। इस ट्वीटर वॉर में मनोज तिवारी भी कूद पड़े। उन्होंने ट्वीट किया कि केजरीवाल जी दिल्ली की जनता ने आपको बड़ी उम्मीद से चुना था, पर आपने उनके विश्वास को तार-तार कर दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना काम आपको करना है। आपको पब्लिक fिडबेट का बहुत शौक है न तो दिल्ली के किसी भी कार्यकर्ता को चुन लें। अमित शाह के सवालों का सवाल दर सवाल केजरीवाल ने जवाब दिया। अमित शाहöकेजरीवाल जी चार बरसों में आपने दिल्ली के लोगों के कितने काम किए है? दिल्ली के मुख्यमंत्री का एक ही मंत्र है झूठ बोलना, जोर से बोलना, सार्वजनिक बोलना और बार-बार झूठ बोलना।  इसके जवाब में केजरीवाल ने कहा कि जितने काम मोदी जी ने 4 साल में किए उससे 10 गुना ज्यादा हमने किए हैं। मोदी जी ने जितने जन विरोधी और गलत काम किए? आपको दिल्ली के लोगों ने दो ही काम दिए थेö सफाई और पुलिस। आपने दोनों का बेड़ागर्प कर दिया। अमित शाहöयूपी के पूर्वी हिस्से बिहार और झारखंड के लिए कांग्रेस सरकार ने 13वें  वित्त आयोग में मात्र 4 लाख करोड़ रुपए दिए। मोदी सरकार ने 14वें वित्त अयोग में 13,80,00 करोड़ रुपए पूर्वांचल विकास के लिए दिए हैं। केजरीवालöआपने दिल्ली को 14वें वित्त आयोग में कितने रुपए दिए? मात्र 325 करोड़? दिल्ली में भी तो पूर्वांचल के लोग रहते हैं। उनके विकास के लिए क्यों पैसे नहीं दिए हैं? दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों के खिलाफ केंद्र सरकार का भेदभाव क्यों? आपने तो हमारी हस्ती मिटाने की बहुत कोशिश की पर ऊपर वाला हमारे साथ है। बताइए, कब और कहां डिबेट करेंगे। 9 मई 2014 को अमित शाह ने ट्वीट किया था कि अगर 16 मई के बाद केजरीवाल राजनीति में रहे तो मैं जरूर उनसे बहस करूंगा। अरविंद केजरीवाल ने रविवार को भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को रामलीला मैदान में खुली बहस की चुनौती दी। केजरीवाल ने कहा कि अतिम शाह जी आइए सार्वजनिक मंच से रामलीला मैदान में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के कामों पर खुली बहस करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी ने चार साल में जितने काम किए, उससे 10 गुना काम हमने तीन साल में करके दिखाए हैं। मोदी जी ने जन विरोधी काम किए, गलत फैसले लिएमगर मैंने एक भी ऐसा काम नहीं किया। जैसे-जैसे चुनाव करीब आते जाएंगे, खासकर 2019 के लोकसभा चुनाव बीजेपी और आम आदमी पार्टी की तकरार बढ़ती जाएगी। अगर अमित शाह दिल्ली की सातों सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं तो अरविंद केजरीवाल भी कह रहे हैं कि हम सातों सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।


Wednesday 26 September 2018

जासूसी के संदेह पर चीनी व्यापारी गिरफ्तार

पिछले कुछ दिनों से देश के खिलाफ जासूसी करने की खबरें सुर्खियों में हैं। अब दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने जासूसी के आरोप में एक चीनी नागरिक तसाओ लुंग उर्प चार्ली पेंग (39) को गिरफ्तार किया है। आरोपी करीब सात वर्ष से चार्ली पेंग के नाम से भारत में रह रहा था। आरोप है कि यह चीन के लिए जासूसी कर रहा था। पुलिस ने इसके पास से फर्जी तरीके से बनवाया गया भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड व पैन कार्ड बरामद किया है। पुलिस ने आरोपी को उत्तरी दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके से 13 सितम्बर को गिरफ्तार किया था। स्पेशल सेल के अधिकारी के मुताबिक चार्ली पेंग गुड़गांव में रह रहा था और वहीं से मनी एक्सचेंज की कंपनी चला रहा था। चार्ली पेंग पांच साल से भारत में रह रहा है। बृहस्पतिवार को पेंग को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत की अदालत में पेश किया गया, जहां उसकी रिमांड सोमवार तक बढ़ाए जाने का फैसला सुनाया गया। पुलिस ने बताया कि पेंग को संदिग्ध राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया गया है और पूछताछ के लिए पुलिस को और समय की जरूरत है। पुलिस इससे एक फॉर्च्यूनर कार, साढ़े तीन लाख इंडियन करेंसी, 2000 डॉलर और 22 हजार थाई करेंसी बरामद हुई है। स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि चार्ली पेंग ने आधार कार्ड व वोटर कार्ड दिल्ली व पासपोर्ट गुवाहाटी में बनवाया था। पुलिस जांच कर रही है कि आरोपी ने आधार कार्ड बनवाने के लिए कौन-से कागजात लगाए थे। इसकी पूर्वोत्तर राज्यों व हिमाचल प्रदेश में संदिग्ध गतिविधियां देखी जा रही हैं। चीन के नानजिंग एरिया के रहने वाले चार्ली पेंग ने मणिपुर की युवती से शादी की थी। पुलिस को संदेह है कि आरोपी हवाला कारोबार से जुड़ा था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आरोपी चीन के लिए जासूसी कर रहा था या नहीं? चार्ली पेंग करीब डेढ़ साल पहले देश की सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर आ गया था। आरोपी के कई मोबाइल फोन को सर्विलांस पर ले रखा था। पुलिस मानती है कि आरोपी ने जासूसी करने के लिए भारत के गुरुग्राम में पूरा सैटअप लगा रखा था। गुरुग्राम में उसकी कंपनी में 8-10 कर्मचारी थे, आरोपी की जिस तरह की लाइफ स्टाइल व कर्मियों का वेतन आदि का खर्चा जोकि प्रतिमाह 8-10 लाख रुपए का था, जासूसी का शक पैदा करता है। पुलिस जांच कर रही है कि आरोपी के पास पैसा कहां से आता था। वह चीन में फोन के जरिये कई लोगों के सम्पर्प में था। वह हर रोज चीन फोन करता था। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं पेंग का पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ चाइना या पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स से तो कोई नाता नहीं है। पेंग से मिले सुराग के आधार पर जगह-जगह पर छापेमारी की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पासपोर्ट और आधार कार्ड हासिल करने में उसकी किन-किन लोगों ने मदद की।

-अनिल नरेन्द्र

मोदी का अब तक का सबसे बड़ा सियासी दांव

हमारे देश में पब्लिक की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। जो सरकारी अस्पताल हैं उनकी सेवाओं का बुरा हाल सबको मालूम है और निजी अस्पतालों में इलाज कितना महंगा है इसके चलते गरीब आदमी वहां इलाज कराने की सोच भी नहीं सकता। छोटी से छोटी बीमारी के लिए लाखों का बिल बन जाता है। हर साल लाखों लोग असमय मौत के मुंह में इसी वजह से चले जाते हैं। इसी समस्या से पार पाने के लिए प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत यानि जन आरोग्य की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से औपचारिक शुरुआत के बाद मंगलवार यानि 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर देश के 25 राज्यों में यह योजना प्रभावी हो गई। योजना के अनुसार देश में 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपए का बीमा सरकार मुफ्त देगी और इसके बदले इलाज कैशलेस होगा। सरकार के अनुसार पूरे देश में 15 हजार से अधिक अस्पतालों ने आयुष्मान योजना से जुड़ने के लिए पैनल में शामिल होने के लिए आवेदन दिया है। सरकार का लक्ष्य है कि स्कीम लांच होने के एक हफ्ते के अंदर कम से कम एक करोड़ से अधिक परिवारों को बीमा कार्ड मिल जाए। इसके लिए परिवारों को चिन्हित करने का काम पूरा कर दिया गया है। मरीजों को कैशलेस सुविधा लेने में दिक्कत न पड़े, इसके लिए सभी जिलों में एक को-ऑर्डिनेंस कमेटी बनाने को कहा गया है जो मामले के निष्पादन को देखेगी। मरीज पूरे देश में कहीं भी अस्पताल की इस कैशलेस सुविधा से इलाज करा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इस योजना को गेम चेंजर बताया है। अगर यह सही से लागू हो जाती है तो इसका भाजपा को भारी लाभ होगा। पर यहां देखना यह भी होगा कि निजी अस्पताल असलियत में गरीबों का मुफ्त इलाज करते भी हैं या नहीं? दूसरी बात यह जो बीमा कंपनियां हैं यह क्लेम सैटल करने में ईमानदार भी हैं या नहीं? आमतौर पर तो क्लेम सैटल करते वक्त यह बीमा कंपनियां उसे सैटल न करने के बहाने बनाती रहती हैं। फिर राज्यों की इसकी सफलता में बहुत बड़ी भूमिका होगी। इस योजना पर मौजूदा वित्त वर्ष में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का बोझ पड़ने का अनुमान है। इसके लिए केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकारें 40 प्रतिशत धन मुहैया कराएंगी। स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी ऐसी योजनाओं के लक्ष्य तक न पहुंचने की एक बड़ी वजह यह भी रही है कि राज्य सरकारें अपने हिस्से का धन उपलब्ध नहीं करा पातीं और न ही योजना को ठीक से लागू करा पाने की दिशा में गंभीरता दिखाती हैं। इसलिए इस दिशा में राज्य सरकारों की मुस्तैदी भी बहुत जरूरी है। मोदी सरकार और भाजपा 2019 के आम चुनावों से पहले इस योजना को गेम चेंजर के रूप में देख रही है। यही वजह है कि मोदी ने पार्टी और सभी भाजपा सरकारों को अगले कुछ महीनों तक पूरा फोकस इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन पर ही रखने को कहा है।

Tuesday 25 September 2018

ईवीएम की विश्वसनीयता पर अमेरिका में भी विवाद

देश में इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान को लेकर समय-समय पर इसकी विश्वसनीयता पर संदेह जताया जाता रहा है। बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने जयपुर में पत्रकारों को फिर भरोसा दिया कि ईवीएम भरोसे लायक है, इन्हें हमने हाइटैक कर लिया है। एम-3 ईवीएम मशीन ज्यादा सेंसेटिव है। मशीन से टेंपर करने का कोई प्रयास करेगा तो मशीन फैक्टरी मोड में चली जाएगी और ऐसा होने पर प्रभावित मशीन को बदल दिया जाएगा। अमेरिका जैसे मजबूत लोकतंत्र में भी ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसा ही एक विवाद कोर्ट में पहुंच गया है। अमेरिका में 14 ऐसे सूबे हैं, जहां टच क्रीन वोटिंग मशीन चुनावों में उपयोग के लिए लाई जाती है। इनमें से एक सूबा है जॉर्जिया, जहां इन वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता और सुरक्षा न होने का मामला वहां की जिला अदालत में पहुंचा तो उसने इनके असुरक्षित होने की बात तो मानी लेकिन फैसला दिया कि फिलहाल ईवीएम से ही वहां के मध्यावधि चुनाव कराए जाएं। सोमवार को ही सामने आए एक सर्वेक्षण से पता चला कि 56 फीसदी अमेरिकियों को विश्वास है कि ईवीएम चुनाव को असुरक्षित बनाती है। जबकि 68 फीसद ने माना कि मतपत्र से चुनाव कहीं ज्यादा सुरक्षित होते हैं। इस वर्ग में तीन में एक अमेरिकी यह मानता है कि आगामी मध्यावधि चुनावों में कोई भी देश मत-तालिका या नतीजे बदल सकता है। जिला अदालत की जज एमी टोटेन बर्ग ने जॉर्जिया और राज्य चुनाव विभाग के अधिकारियों को सुरक्षित चुनावों को लेकर उनकी तैयारी पर फटकार भी लगाई। टच क्रीन वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल करने वाले 14 राज्यों में से जॉर्जिया भी एक है, लेकिन इन मशीनों में पेपर ट्रेल का बंदोबस्त नहीं है। लिहाजा मतदाता इस बात की पुष्टि नहीं कर पाता है कि उसका मत उसकी पसंद के उम्मीदवार को गया है या नहीं? अमेरिका में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों में इस बात पर रजामंदी है कि ऐसी मशीनों के हैक होने की संभावना पूरी है। यदि हैकर वोट की कुल संख्या में हेरफेर करे या फिर कोई तकनीकी गड़बड़ी हो जाए तो वास्तविक मतों का कोई बैकअप इनमें नहीं होता। एनपीआर वेबसाइट के मुताबिक टोटेन बर्ग ने हालांकि जॉर्जिया में सुरक्षित चुनावों को लेकर अपनी चिन्ताएं जताईं लेकिन उन्होंने चुनाव इतने नजदीक होने के कारण 15 अक्तूबर से होने वाले मतदान को पूरी तरह टच क्रीन वोटिंग मशीन की बजाय मतपत्र से कराने के खिलाफ फैसला दिया। राज्य में मतपत्र से मतदान न कराने के फैसले में जो मुख्य आधार बने, उनमें सबसे प्रमुख था चुनाव का इतना नजदीक आना। बता दें कि जॉर्जिया उन 21 राज्यों में शरीक नहीं है जहां 2016 में राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हैकरों ने सेंध लगाई थी।

-अनिल नरेन्द्र

राफेल डील में अनिल अंबानी को लेकर तूफान

क्या राफेल विमान सौदा भारतीय सियासत में एक ऐसा जिन्न बन गया है जो केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी बोतल में बंद नहीं हो पा रहा है। समय-समय पर इससे कुछ न कुछ ऐसी जानकारियां सामने आती जा रही हैं जिन्हें लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के सामने लगातार मुश्किल सवाल खड़े हो रहे हैं। राफेल सौदे में कीमत बढ़ने का मुद्दा तो विपक्ष पिछले कई महीनों से उठा ही रहा था कि शुक्रवार को फ्रांस की मीडिया में आए पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के एक बयान ने इस पूरे मामले पर नए सवाल और शक पैदा कर दिए। फ्रांस की मीडिया में देश के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का बयान आया जिसमें दावा किया गया था कि राफेल विमान बनाने के समझौते के लिए भारत सरकार ने ही रिलायंस डिफेंस का नाम सुझाया था और फ्रांस के पास इस संबंध में कोई विकल्प नहीं था। फ्रेंच पत्रिका मीडिया पार्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ओलांद ने कथित रूप से कहा कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इस सौदे में शामिल करने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी। भारत सरकार ने इस कंपनी का नाम प्रस्तावित किया और द सॉल्ट ने अंबानी से समझौता किया। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था। मैं तो सोच भी नहीं सकता हूं कि इससे जूली गाए (उनकी गर्लफ्रेंड) की फिल्म का कोई संबंध भी हो सकता है। बता दें कि 2016 में भारत में  गणतंत्र दिवस समारोह में ओलांद के शामिल होने से दो दिन पहले ही अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने गाए के साथ एक समझौता किया था। इसी यात्रा के दौरान भारत को 36 राफेल विमान सौंपने के लिए ओलांद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान को  लेकर जो हलचल है, वह बेवजह नहीं है। जिस वक्त राफेल सौदा हुआ था उस समय ओलांद ही फ्रांस के राष्ट्रपति थे। ओलांद के किसी भी बयान को नकारने का सीधा मतलब है कि आप कह रहे हैं कि उस वक्त के फ्रांस के राष्ट्रपति डील के बारे में सच नहीं बोल रहे हैं? केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए राफेल सौदे पर कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही सवाल उठाती रही है। ओलांद के बयान के बाद तो राहुल गांधी और ज्यादा आक्रामक हो गए हैं। शनिवार को राहुल गांधी ने पीएम को चोर और भ्रष्ट तक कह दिया। उन्होंने कहा कि ओलांद पीएम को चोर कह रहे हैं लेकिन वे चुप्पी साधे हुए हैं। जवाब में 15 से ज्यादा केंद्रीय मंत्रियों ने राहुल का पूरा खानदान चोर हैश टेक के साथ ट्वीट किया। राहुल ने कहा कि पीएम ने राफेल सौदे पर निजी तौर पर बातचीत की और बंद कमरे में सौदे को बदल दिया। फ्रांस्वा ओलांद के कारण हमें पता चल रहा है कि मोदी ने निजी तौर पर अरबों डॉलर का एक सौदा एक बैंक रिपोर्ट को दे दिया। प्रधानमंत्री ने भारत के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने हमारे सैनिकों के खून का अपमान किया है। वहीं पहले कांग्रेस के नेता ही ज्यादा बोल रहे थे, लेकिन अब समूचा विपक्ष हमलावर हो गया है। भाजपा सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बोफोर्स सौदे को लेकर पूर्व पीएम राजीव गांधी पर लगे आरोपों का बदला लेने के लिए राफेल को उछाल रहे हैं। पर हकीकत तो यह है कि वार की धार उम्मीदों के हिसाब से बेशक अब तक लोगों के बीच उतना असर न कर रही हो लेकिन अब ओलांद का कथन एक औजार के रूप में विपक्ष के हाथ जरूर लग गया है। आने वाले दिनों में कांग्रेस के अलावा सीपीएम, आरजेडी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी व टीएमसी और अन्य दल इस मुद्दे पर हमलावर हो जाएंगे। खुद भाजपा में ही हलचल होनी शुरू हो गई है। सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि फ्रांस्वा ओलांद का दावा अगर सही है तो यह बहुत गंभीर मामला है। पीएम मोदी की सबसे बड़ी पूंजी बेदाग ईमानदारी है, लेकिन अनिल अंबानी का राफेल सौदे में होना जरूर शक की गुंजाइश पैदा करता है। हालांकि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद पीएम की तरफदारी करने के लिए उतरे। उन्होंने कहा कि चोर कहने वाले राहुल गांधी खुद भ्रष्टाचार, जमीन और नेशनल हेराल्ड शेयर घोटाले में आरोपी हैं। भ्रष्टाचार में डूबा गांधी परिवार ही देश में भ्रष्टाचार का जनक है। मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और बिचौलियों के दरवाजे बंद कर दिए। यही राहुल का दर्द है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को दोहराया कि राफेल के व्यावसायिक सौदे व फैसले से न तो भारत सरकार का कोई लेना-देना है और न ही फ्रांस की सरकार का। मंत्रालय ने ट्वीट किया कि ओलांद के इस दावे की जांच की जा रही है। आने वाले दिनों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला और तेज होगा और तीखे होंगे वार।

Sunday 23 September 2018

चर्च की बजाय सड़क पर क्यों हैं केरल की ननें?

केरल जैसे राज्य में जहां पिछले साल ही सौ से ज्यादा बार हड़ताल की गई, ननों का न्याय के लिए धरने पर बैठना अपने आपमें ऐतिहासिक घटना है। धरने पर बैठने वाली यह पांच सिस्टर मिशनरीज ऑफ जीसस से जुड़ी हैं। यह लेटिन कैथोलिक ऑर्डर के तहत आती हैं जिसका मुख्यालय 1993 में जालंधर में बना था। केरल में चर्च की तीन शाखाएं (कॉन्वेंट) हैं। इन्हीं कॉन्वेंट में रहती हैं 44 साल की वह नन जिन्होंने बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाया है। बिशप चर्च की इस शाखा का पेटर्न है। और इस तरह सबसे शक्तिशाली अथारिटी भी है। इस मामले में शिकायत इसी साल जून में केरल पुलिस में दर्ज कराई गई थी। यह मामला 2014 का है। शिकायत में नन ने बताया है कि मुलक्कल जब भी जालंधर से आते थे, वह एक कमरे का इस्तेमाल करते थे, उसी में नन को बंधक बनाकर रेप किया गया। शोषण का यह सिलसिला 2016 के उत्तरार्द्ध तक चलता रहा। सिस्टर अनुपमा के मुताबिक आखिर में पीड़ित नन ने मदर जनरल को मौखिक रूप से शिकायत की, इसके बाद पादरी और दूसरे पादरियों के सामने बात रखी और उनकी सलाह पर कॉर्डिनल जॉर्ज एलेंयरी जोकि सायरो-भालावार कैथोलिक चर्च के प्रमुख और राज्य में प्रमुख कैथोलिक पदाधिकारी हैं उन्हें पत्र भेजा मगर कुछ नहीं हुआ। उलटा पीड़िता और उसकी सपोर्ट कर रहे लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी गई। आरोपी जालंधर के बिशप फ्रेंको मुलक्कल को अब वेटिकन ने उनके पद से हटा दिया है। यह फैसला रेप मामले की जांच शुरू होने और चौतरफा आलोचना, ननों के धरने पर बैठने के बाद लिया गया। केरल पुलिस ने बुधवार को मुलक्कल से पूछताछ की। 59 वर्षीय मुलक्कल के खिलाफ विभिन्न संगठनों और ननों ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए बुधवार को 12वें दिन भी अपना प्रदर्शन जारी रखा। यह इकलौता मामला नहीं जब केरल के चर्च से जुड़ा स्कैंडल सामने आया है। राज्य में ईसाई आबादी बेशक 18 फीसदी ही है मगर यह बड़ा प्रभाव रखती है। जो भी स्कैंडल सामने आए, उनमें से ज्यादातर पीड़ित की बजाय चर्च आरोपी का ही पक्ष लेता दिखा। इनमें फादर रॉबिन वडाक्कुमयेरी का मामला प्रमुख है। उन पर नाबालिग छात्रा से रेप और उसे गर्भवती करने का आरोप लगा था। वडाक्कुमयेरी का इतना प्रभाव था कि चर्च ने शुरुआत में पीड़ित के पिता पर ही दबाव डाला कि वह पुलिस के सामने बताएं कि बेटी से रेप उन्होंने खुद किया है। हालांकि बाद में जाकर जब वडाक्कुमयेरी को गिरफ्तार किया गया तो पीड़िता ने बयान बदल दिया। पिछले महीने ही उसने अदालत में कहा कि संबंध सहमति से बनाए थे और उस वक्त मैं बालिग थी। पादरी अकसर खौफ दिखाकर काम करते हैं जबकि उन्हें मानने वाला आंख बंद कर उनकी जायज/नाजायज बातें मानता है। पीड़ित को यकीन दिलाया जाता है कि अगर उसने विरोध किया तो चर्च और ईश्वर का श्राप मिलेगा। ननों के धरने में समाज के हर तबके का समर्थन मिल रहा है। चर्च में इस प्रकार की हरकतों की उम्मीद नहीं की जा सकती थी।

-अनिल नरेन्द्र

नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत

कुछ लोगों को उम्मीद थी कि शायद पाकिस्तान में निजाम बदलने से पाक-भारत रिश्तों में नई शुरुआत होगी। इमरान खान के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद उनके भारत के साथ रिश्ते सुधारने की बात करने से लगा कि शायद दोनों देशों में शांति वार्ता फिर से शुरू होगी। पर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। पाकिस्तानी सेना यह माहौल बनने ही नहीं देगी। पाकिस्तान ने फिर कायरतापूर्ण कार्रवाई को अंजाम दिया है। मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के रामगढ़ सैक्टर में पाक रेंजर्स ने ऐसी घिनौनी हरकत की है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम होगी। एक बार फिर बर्बरता का परिचय देते हुए हमारे बीएसएफ के जवान को पकड़ लिया, नौ घंटे तक तड़पाया। जवान नरेंद्र सिंह (51) का शव बेहद खराब हालत में मिला। उनका गला रेता गया था, एक टांग कटी हुई थी और आंख निकाल रखी थी। पीठ पर करंट लगने से झुलसने के निशान थे। शहीद के शरीर में तीन गोलियां लगी हुई थीं। एक गोली शुरुआती हमले में लगी थी लेकिन बाकी दो गोलियां यातनाएं देने के बाद मारी गई थीं। जवान नरेंद्र सिंह के लापता होने के करीब नौ घंटे बाद उनका शव मिला था। यह पहली बार है जब जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के किसी जवान के पार्थिव शरीर से दुश्मन ने इस प्रकार की हरकत की है। नरेंद्र सिंह बीएसएफ की 176वीं बटालियन के हैड कांस्टेबल थे। वह हरियाणा के जिला सोनीपत के रहने वाले हैं। इस हमले के पीछे पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान की बैट टीम में पाक रेंजर्स के साथ आतंकी भी रहते हैं। वह अकसर भारतीय जवानों में दहशत पैदा करने के लिए ऐसी बर्बर कार्रवाई करते हैं। जवान नरेंद्र कुमार की जिस तरीके से हत्या की गई उससे साफ लग रहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ संबंधों को सहज बनाने की बजाय उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। यह अचानक गोलीबारी में हुई किसी जवान की मौत नहीं है। जैसी खबरें आई हैं उनसे तो यही लगता है कि पाकिस्तानी सैनिकों ने सुनियोजित तरीके से घात लगाकर भारतीय जवान को निशाना बनाया, उस पर तीन गोलियां दागीं और फिर गला रेत कर उसकी मौत सुनिश्चित की। भारतीय सैनिकों के साथ ऐसी बर्बरता पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें पाक सैनिकों ने भारतीय जवानों को मार डाला और उनका सिर काटकर ले गए थे उनके शव को क्षत-विक्षत कर डाला। पाकिस्तान की हरकतों से ऐसा लगता है कि न उसे किसी नैतिकता की परवाह है, न अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को मानना जरूरी समझता है। कटु सत्य तो यह है कि पाकिस्तान बातों से मानने वाला नहीं है। पहले की तरह पाकिस्तानियों के घर में घुसकर भारत को मुंहतोड़ जवाब देना होगा। हमें अब डिफेंस की मुद्रा की बजाय अटैक मुद्रा में आना होगा। पाकिस्तान की इस कायरतापूर्ण हरकत का जवाब भारत को तुरन्त देना चाहिए। इसके लिए हमें चाहे बॉर्डर ही क्रॉस क्यों न करना पड़े। रही शांति वार्ता की बात तो वह तब तक संभव नहीं जब तक पाक ऐसी हरकतें बंद नहीं करता, अपनी जमीन को इन आतंकियों को इस्तेमाल करने से नहीं रोकता। इंतजार करने का समय गया।

Saturday 22 September 2018

न मैं किसी की बुआ, न कोई मेरा भतीजा

बहन जी लंबे समय के बाद लखनऊ अपने आवास पहुंचीं, पहुंचने के बाद ही बहन जी ने धमाका कर दिया। मायावती ने अपने नए बंगले के लिए भाजपा का बाकायदा शुक्रिया किया। उन्होंने कहा कि न वे मुझे फंसाते और न ही मेरे पास बंगला आता। धमाका करते हुए बहन जी ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन के खिलाफ नहीं है लेकिन सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही गठबंधन हो सकता है। इस तरह उन्होंने दो टूक कह दिया कि उनकी पार्टी सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही चुनाव पूर्व बनने वाले किसी गठबंधन का हिस्सा बनेगी। कांग्रेस के नेतृत्व में कुछ विपक्षी दल आगामी लोकसभा और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जहां इस बयान से भाजपा ने थोड़ी राहत की सांस ली होगी वहीं बहुजन समाज के इस बदलते रुख ने कांग्रेस की धड़कन जरूर बढ़ा दी होगी। मायावती ने एक तीर से कई निशाने साधे और कहा कि न मैं किसी की बुआ हूं और न ही मेरा कोई भतीजा। बात केवल सम्मान की है, जो हमारा सम्मान करेगा हम उसका सम्मान करेंगे। कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि मध्यप्रदेश में भाजपा को हराने के लिए बसपा का साथ जरूरी है। इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बसपा संग गठबंधन को लेकर चर्चा भी शुरू की थी। पर मायावती के मौजूदा रुख से कांग्रेस हैरान है। बसपा के मध्यप्रदेश में चार विधायक हैं। 2013 के चुनाव में पार्टी को साढ़े छह फीसदी वोट मिले थे, चूंकि भाजपा प्रस्तावित गठबंधन से परेशान है, यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री और भाजपा दोनों के निशाने पर विपक्षी गठबंधन है। प्रधानमंत्री महागठबंधन को नेतृत्व पता नहीं, नीति स्पष्ट नहीं और नीयत भ्रष्ट के तौर पर व्याख्या कर रहे हैं तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इसे ढकोसला बता रहे हैं। लोकसभा की अस्सी सीटों वाले उत्तर प्रदेश का राजनीतिक यथार्थ बताता है कि यदि बसपा और सपा एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरती हैं तो भाजपा का यहां सूपड़ा साफ हो सकता है। कटु सत्य तो यह भी है कि दिल्ली के सिंहासन का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। जाहिर है कि भाजपा अगर यूपी में पिछड़ती है तो लगातार दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीतने का उसका सपना पूरा नहीं हो पाएगा। मायावती अनुभवी सियासतदान हैं, जो गठबंधन के पक्ष में तो हैं, लेकिन बारगेनिंग करने के लिए अखिलेश यादव पर दबाव बनाना चाहती हैं। वह लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा इसलिए भी सीटें चाहती हैं ताकि अगर मौका मिले तो वह दिल्ली के सिंहासन पर विराजमान हो सकें। लोकसभा में त्रिशंकु की स्थिति में प्रधानमंत्री पद के लिए अपना दावा मजबूत कर सकें। हालांकि उन्हें भी भीम आर्मी के नाम से तेजी से उभरती दलित शक्ति का भी डर कहीं न कहीं सता रहा होगा। अगर भाजपा को रोकने के लिए सपा-बसपा दोनों सीटों में बंटवारे पर नरम रुख रखती हैं तो ही गठबंधन ठोस आकार ले सकता है।

-अनिल नरेन्द्र

महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति

संसद के मानसून सत्र में तीन तलाक बिल पास न हो पाने के बाद अब केंद्र सरकार ने दूसरा रास्ता निकाला है। कुल तीन संशोधनों के साथ तीन तलाक (तलाक--बिद्दत) को कानूनी रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश पास कर दिया है। अब मार्च 2019 तक इसे ही कानून की तरह बरता जाएगा। कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने लोकसभा में इस आशय का जो बिल पास करवाया था, उसके कुछ पहलुओं पर विवाद था। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने तीन तलाक पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक बताया था और संसद को इस पर कानून बनाने के लिए कहा था।  लेकिन लोकसभा में पारित होने के बावजूद राज्यसभा में यह अटक गया, तो सरकार अब यह अध्यादेश लाई है और छह महीने में इसे संसद में पारित कराने की बाध्यता तो रहेगी ही। मुस्लिम संगठनों और कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के विरोध को देखते हुए अध्यादेश में कुछ बदलाव किए गए हैंöजैसे तीन तलाक के मामले में गिरफ्तारी तभी होगी, जब इसकी शिकायत पत्नी या खून की रिश्तेदारी में से कोई करेगा। ऐसे ही महिला अगर चाहे तो समझौते का विकल्प खुला हैöइसके तहत पत्नी का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट पति को जमानत दे सकता है। कुल मिलाकर इसके प्रावधानों को अपेक्षाकृत लचीला बनाया गया है। जो बिल सरकार ने लोकसभा में पास करवाया था उसमें प्रावधान था कि केस कोई भी दर्ज करके बगैर वारंट के गिरफ्तारी हो सकती है। यह गैर-जमानती संज्ञेय अपराध था, जिसमें समझौते का कोई प्रावधान नहीं था। इन प्रावधानों को लेकर सशंक्ति विपक्ष ने मांग की थी कि बिल को चयन समिति के पास भेजा जाए ताकि हर पहलू पर विचार हो सके। जब अधिकांश मुस्लिम देशों ने एक साथ बोलकर दिए जाने वाले तीन तलाक को अपने यहां खत्म कर दिया है, तब भारत में इसके बरकरार रहने का कोई औचित्य ही नहीं है। यह दुख की बात है कि आजादी के बाद हमारे यहां हिन्दू महिलाओं को तो विवाह, उत्तराधिकार आदि से जुड़े कानूनी अधिकार प्रदान किए गए, लेकिन मुस्लिम महिलाओं को इससे रिएक्शन के डर के कारण अलग रखा गया। निश्चय ही मुस्लिम महिलाओं के लिए कानून की तरह यह अध्यादेश भी मील का पत्थर साबित होने वाला है। हां, इसके संज्ञेय अपराध बनाए जाने से डर आज भी कायम है। जैसे केस दर्ज होते ही तीन तलाक देने वाले को जेल हो जाएगी तो पीड़िता को गुजारा-भत्ता कौन देगा? पति की सम्पत्ति कुर्प करने का रास्ता जरूर खुला है, लेकिन यह भी गुजारा-भत्ते की जिम्मेदारी तय करने के जितना ही लंबा है और घुमावदार है। ऐसे में पीड़िता की तकलीफ और बढ़ सकती है और उसे अलग तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है। आधुनिक विश्व में और वह भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों के लिए अलग-अलग नियमों की इजाजत नहीं दी जा सकती। वैसे भी ऐसे नियमों की तो कमी नहीं जो महिलाओं को शोषण का शिकार बनाते रहें। ऐसे में इस पर आम सहमति बनाने की कोशिश बेहतर रहेगी।

Friday 21 September 2018

कांग्रेस गोवा में कर्नाटक जैसा दांव चलने की फिराक में

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के लगातार बीमार रहने और बार-बार अस्पताल में भर्ती होने के चलते राज्य में सियासी उठापटक तेज हो गई है। राज्य में भाजपा के सहयोगी दलों ने भी सीएम बदलने की मांग की है जिसके कारण अस्थिरता बढ़ गई है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ने सोमवार को उठापटक शुरू कर दी। उसके 16 में से 14 विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करने राजभवन जा पहुंचे। हालांकि राज्यपाल मृदुला सिन्हा से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी, क्योंकि वह शहर (पणजी) से बाहर हैं। इसके बाद विधायक सरकार बनाने का ज्ञापन अधिकारियों को सौंपकर लौट आए। कांग्रेसी विधायकों ने आरोप लगाया कि सीएम पर्रिकर समेत तीन मंत्री बीमार हैं। सरकार नदारद है। कोई काम नहीं हो रहा है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए हमें आमंत्रित किया जाना चाहिए। हमारे पास एनसीपी विधायक समेत 17 सदस्यों का समर्थन है। बहुमत भी साबित कर देंगे। 40 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 16 जबकि एनसीपी का एक विधायक है। दूसरी ओर सत्तारूढ़ गठबंधन की स्थिति कुछ यूं हैöभाजपा 14, महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी (एमजीपी) तीन, गोवा फारवर्ड पार्टी (जीएफपी 3) और निर्दलीय तीन। गोवा में कांग्रेस के सरकार बनाने के दावे के बाद भाजपा सतर्प हो गई है। उसे आशंका है कि कांग्रेस कर्नाटक वाला दांव गोवा में अगर खेलती है तो उसे दिक्कत हो सकती है। महत्वपूर्ण है कि गोवा में सीएम पर्रिकर की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भी भाजपा के लिए आसान नहीं है। ऐसे में भाजपा इस कोशिश में है कि भले ही पर्रिकर अस्पताल में हों लेकिन मुख्यमंत्री बदलने के लिए जल्दबाजी न की जाए और अगर बदलना भी पड़े तो पहले सहयोगियों को इसके लिए तैयार किया जाए। इस वक्त भाजपा सरकार के बहुमत होने की वजह तीन-तीन विधायकों वाली पार्टियों के अलावा तीन निर्दलीय विधायक हैं। पार्टी को लग रहा है कि बीमार पर्रिकर की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो पार्टी के भीतर विधानसभा भंग करने की संभावनाओं पर विचार करती, इससे पहले ही कांग्रेस के दांव से अब राज्यपाल के लिए भी कांग्रेस को अवसर दिए बिना विधानसभा भंग करना आसान नहीं होगा। हालांकि भाजपा नेताओं का कहना है कि गोवा में सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन जिस तरह से पार्टी नेताओं के गोवा में दौरे शुरू हुए हैं, उससे संकेत मिलने लगे हैं कि खुद भाजपा भी वहां की स्थिति को लेकर सहज नहीं है। पार्टी कर्नाटक में कांग्रेस के खेल को भूल नहीं सकती उसे यह भी डर सता रहा है कि कहीं कांग्रेस भाजपा से इतर पार्टियों में से किसी को मुख्यमंत्री पद की पेशकश न कर दे। अगर इनमें से किसी भी दल के तीन विधायक कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार हो जाते हैं तो वहां की सियासी स्थिति बदल सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए पार्टी को लग रहा है कि फिलहाल बीमार होने के बावजूद पर्रिकर की जगह तब तक किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान न किया जाए, जब तक पार्टी के भीतर और सहयोगियों के बीच पूर्ण सहमति न बन जाए।

-अनिल नरेन्द्र

मोदी सरकार 15-20 उद्योगपतियों के लिए कर रही है काम

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर, उनकी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी जी की सरकार केवल 15-20 बड़े उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है। राहुल ने यहां लगभग साढ़े तीन घंटे के रोड शो के बाद भेल दशहरा मैदान में प्रदेश-भर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए राफेल सौदे, गैर-सम्पादित अस्तियां (एनपीए), नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आदि को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने एनपीए की चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि पिछले साल मोदी सरकार ने देश के 15 उद्योगपतियों का डेढ़ लाख करोड़ रुपए का कर्जा माफ किया। वह पांच हजार रुपए के कर्जदार किसान को चोर कहते हैं, लेकिन हजारों करोड़ रुपए का कर्ज वापस नहीं करने वाले विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी उनके दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि साढ़े 12 लाख करोड़ रुपए का एनपीए है। आपका पैसा माल्या जैसों की जेब में जा रहा है। गांधी ने राफेल सौदे में मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि उन्होंने इसका ठेका हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड (एचएएल) से छीनकर अपने दोस्त उद्योगपति अनिल अंबानी को दे दिया। अंबानी पर बैंकों का 45 हजार करोड़ रुपए का कर्जा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर उद्योगपतियों को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले तीन-चार साल के दौरान प्राय देखा गया है कि उद्योगपतियों के खिलाफ जहां भी जांच शुरू होती है, सरकार हस्तक्षेप कर मामले को जल्द बंद करा देती है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने सोमवार को नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार किस ढंग से उद्योगपति गौतम अडानी को बचा रही है जगजाहिर है। रमेश ने कहा कि राजस्व सतर्पता निदेशालय (डीआरआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार अडानी समूह पर ऊर्जी उपकरणों की खरीद में 6600 करोड़ रुपए की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया। डीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि उपकरणों को उनकी लागत मूल्य से 6600 करोड़ रुपए ज्यादा के मूल्य पर खरीदा गया है। उन्होंने कहा कि डीआरआई की रिपोर्ट के आधार पर अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी लेकिन दबाव में सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कह दिया कि जांच रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है और लगाए गए कोई भी आरोप सही नहीं है। डीआरआई द्वारा इसकी जांच 2014 से की जा रही थी। इसी तरह गुजरात में भी अडानी को बचाने का प्रयास हुआ है। वहां अडानी समूह ने 2007 में राज्य सरकार के साथ समझौता किया था कि वह दो रुपए 40 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध कराएगा। बाद में कंपनी करार से मुकर गई और मदद मांगने लगी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने कह दिया कि जो करार हुआ है उसी के आधार पर बिजली देनी होगी, लेकिन राज्य सरकार न्यायालय के फैसले के विरुद्ध कंपनी को राहत देने पर सहमत हो गई। रमेश ने कहा कि गुजरात सरकार के इस फैसले से अगले 30 साल तक ऊर्जी क्षेत्र की तीन कंपनियों को एक लाख 30 हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा और बैंकों को हर साल इसके कारण 18 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

Thursday 20 September 2018

सेना की बड़ी कामयाबी, एक हफ्ते में मारे 17 आतंकी

जम्मू-कश्मीर के कुलगांव जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों ने घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर--तैयबा के पांच आतंकियों को मार गिराने में भारी सफलता हासिल की। हमारे बहादुर जवानों ने एक हफ्ते में 17 आतंकियों को मार गिराया है। यह अपने आप में भारी उपलब्धि है। कुलगांव जिले की तलाशी में पिछले साल कैशवैन पर हमला कर पांच पुलिसकर्मियों और दो बैंक गार्डों की हत्या करने वाला आतंकी भी मारा गया है। सुरक्षा बलों के अभियान में कुछ स्थानीय उपद्रवियों ने बाधा डालने की कोशिश की। इस दौरान सुरक्षा बलों ने हवा में गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसमें एक पत्थरबाज की हत्या हो गई जबकि 10 पत्थरबाज घायल हुए हैं। घाटी में पिछले एक हफ्ते में सेना को बड़ी सफलता मिली है। सेना ने कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में 17 आतंकियों को मार गिराया। मुठभेड़ के चलते बारामूला और कांजीपुंड के बीच ट्रेन सेवा निलंबित कर दी गई है, साथ ही दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनावों का भी ऐलान कर दिया गया है। चार चरणों में होने वाले चुनावों की मतगणना 20 अक्तूबर को होगी। चुनाव आयुक्त शलीन काबरा ने बताया कि चुनाव 8, 10, 13 और 16 अक्तूबर को होंगे। वोटिंग  का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक रहेगा। बता दें कि राज्य की मुख्य पार्टियों नेशनल कांपेंस और पीपुल्स डेमोकेटिक पंट (पीडीपी) ने संविधान के अनुच्छेद 35 () का हवाला देते हुए निकाय चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। पूर्व सीएम और नेशनल कांपेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि एक चुनाव जिसमें लोगों की हिस्सेदारी नहीं है, उसे केंद्र चुनाव की तरह देख रहा है तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? हमने लोगों से चुनाव में भाग न लेने या फिर इसका बहिष्कार करने को नहीं कहा है। हमने सिर्प इतना कहा है कि हमारी पार्टी इसमें भाग नहीं लेगी। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी की ओर से एक बैठक के बाद राज्य के पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। महबूबा की दलील थी कि पदेश में अनुच्छेद 35 () को लेकर एक बड़ी अनिश्चितता और डर का माहौल है, ऐसे में अगर इन स्थितियों में सरकार कोई भी चुनाव कराती है तो परिणामों के बाद उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होंगे। आने वाले दिन सुरक्षा बलों के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे, साथ ही जम्मू-कश्मीर की अवाम के लिए भी यह एक अवसर होगा, लोकतंत्र को मजबूत करने और अपने हितों की रक्षा करने के लिए अपनी पसंद के नुमाइंदों को चुनने का।

-अलिन नरेन्द्र

बाबा रामदेव को गुस्सा क्यों आया?

बहुचर्चित योग गुरू बाबा रामदेव आज कल फिर सुर्खियों में हैं। आमतौर पर सत्ता के साथ रहने वाले बाबा रामदेव कभी-कभी सत्तारूढ़ दलों को चेता भी देते हैं। कभी-कभी उन्हें गुस्सा आ जाता है। स्वामी रामदेव ने टीवी चैनल एनडीटीवी के युवा कान्क्लेव कार्यकम में यह कह कर सनसनी पैदा कर दी कि वे सर्वदलीय और निर्दलीय हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वे 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का पचार नहीं करेंगे तो उन्होंने कहा कि भला क्यों करूंगा, नहीं करूंगा। हालांकि इसी कार्यकम में उन्होंने यह भी कहा कि कालाधन, भ्रष्टाचार और व्यवस्था में परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर उनका मोदी जी पर भरोसा था। यह भरोसा अभी है या नहीं पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर फिलहाल उन्होंने अभी मौन रख रखा है। बाबा रामदेव ने रविवार को मोदी सरकार को चेताया भी। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतें काबू नहीं कीं तो महंगाई की आग मोदी सरकार को बहुत महंगी पड़ेगी। योग गुरु ने कहा कि काफी लोग मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ करते हैं। लेकिन अब कुछ लोग सुधार की जरूरत महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल सहित अन्य वस्तुओं की कीमतें नीचे लाने के लिए मोदी जी को कदम उठाने होंगे। पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाकर सबसे कम स्लैब में रखना चाहिए। राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए अभी अमीरों पर और टैक्स लगा सकते हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए पचार करने के सवाल पर उन्होंने कहा ः मैं क्यों करूंगा? में नहीं करूंगा। मैं राजनीति से अलग हो चुका हूं। मैं स्वतंत्र हूं और सभी दलों के साथ हूं। उन्होंने कहा कि मोदी की आलोचना करना लोगों का मौलिक अधिकार है लेकिन उन्होंने अच्छे काम भी किए हैं। स्वच्छता अभियान चलाया, देश में कोई बड़ा घोटाला नहीं होने दिया इत्यादि इत्यादि। यह बाबा का नया अंदाज है और राजनीतिक तौर पर नई पोजिशनिंग लगती है। 2019 के आम चुनाव के नजदीक आने से पहले वे नरेन्द्र मोदी की एनडीए सरकार से एक तरह से दूरी बनाने का पयास कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं जब बाबा को मोदी सरकार से गुस्सा आया हो, दिसंबर 2016 में भी उन्होंने बातचीत में एनडीए सरकार के राजगुरू कहे जाने पर उसे अतीत की बात बताया था। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह उनसे मिले भी थे। दरअसल बाबा अब पूरी तरह से व्यावसायिक बाबा हो चुके हैं। दांव पर है हजारों करोड़ का कारोबार। बाबा रामदेव का पतंजलि आर्युर्वेद का कारोबार हजारों करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। हाल ही में न्यूयार्प टाइम्स ने द बिलियनेट योगी बिहाइंड मोदीज राइज नाम से विस्तृत रिपोर्ट पकाशित की थी। इसमें बाबा रामदेव कहते हैं कि 2025 तक उनका लक्ष्य अपने समूह के उत्पादों की बिकी को 15 अरब डालर तक पहुंचाने का है। यह मौजूदा वित्तीय साल में 1.6 अरब डालर तक है। लगता है कहीं न कहीं बाबा रामदेव मोदी सरकार से नाराज हैं। उनका कोई पोजेक्ट क्लीयर नहीं हो रहा। इसी वजह से रामदेव आंखें दिखा रहे हैं। वह जब क्लीयर हो जाएगा तो फिर गुणगान करने लगेंगे। बाबा अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए राजनीति करते हैं।

Wednesday 19 September 2018

बलात्कार की घटनाएं थमने का नाम ही नहीं ले रहीं

देश में जिस रफ्तार से बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं वह हमारे समाज के लिए न केवल शर्म की बात हैं बल्कि एक जबरदस्त चुनौती भी है कि इन्हें कैसे रोका जाए? यह चिन्ता इसलिए भी बढ़ती जा रही है कि हमारी पुलिस की शुरुआती उदासीनता और राजनीतिक संवेदनहीनता में कोई फर्प नहीं पड़ रहा है। आए दिन बलात्कार की घटनाओं से दिल बैठ जाता है। हरियाणा के रेवाड़ी में एक मेधावी छात्रा के साथ हुई बलात्कार की घटना स्तब्ध करने वाली है। जिस राज्य में बेटियां खेल की दुनिया में अपना और देश का परचम लगातार लहरा रही हैं, उस राज्य में बेटियों की सुरक्षा का आलम यह है कि कुछ शोहदे बस अड्डे से एक लड़की का अपहरण करते हैं, फिर उसके साथ अमानुष बर्ताव करने के कुछ घंटे बाद उसी बस अड्डे पर उसे छोड़ देते हैं। जिस व्यक्ति के ट्यूबवैल के पास उस वारदात को अंजाम दिया गया, उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। हरियाणा की एसआईटी ने रविवार देर रात वारदात के साजिशकर्ता और मुख्य आरोपी निशु को गिरफ्तार कर लिया है। वारदात में शामिल दो अन्य की अभी भी तलाश जारी है और वह गिरफ्तार नहीं किए जा सके। रेवाड़ी के एसपी राजेश दुग्गल का तबादला कर दिया गया है। मेवात की एसपी नाजनीन भसीन ने बताया कि वो अन्य आरोपी पंकज जैन जो सेना का जवान है और मनीष की तलाश जारी है। इस मामले में अब तक तीन गिरफ्तारियां हुई हैं। एसपी भसीन ने बताया कि निशु ने ही साजिश रची थी। युवती के परिजनों ने मीडिया से अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि इस हादसे से उनको गहरा आघात पहुंचा है। पीड़िता की मां ने इंसाफ की उम्मीद जताते हुए कहा कि ऐसी दरिन्दगी करने वाले आरोपियों को फांसी पर लटका देना चाहिए। उन्होंने प्रशासन द्वारा दी गई आर्थिक मदद लौटाने की भी बात कही। बोलींöपरिवार ने प्रशासन द्वारा शनिवार को दिए दो लाख का चेक लौटाने का फैसला किया है। हमें इस चेक की जरूरत नहीं है। क्या यह कीमत हमारी बेटी की इज्जत के लिए लगाई जा रही है? हमें रुपए-पैसे नहीं, बस इंसाफ चाहिए। हमने कानून के लंबे हाथों के बारे में सुना है, लेकिन पुलिस अब तक क्या कर रही है? आरोपियों को वारदात के इतने दिन बाद तक भी पकड़ा नहीं जा सका है। जिन तीन आरोपियोंöपंकज, मनीष और निशु का नाम एफआईआर में दर्ज है, वह पीड़िता के ही गांव के रहने वाले हैं और उसके परिवार को अच्छी तरह जानते थे। इस बीच अस्पताल में भर्ती पीड़िता की हालत में सुधार आया है। अस्पताल प्रशासन के जारी बुलेटिन में कहा गया है कि पीड़िता ने खाना-पीना शुरू कर दिया है। हालांकि वह सदमे में है जिससे निकलने के लिए समय लगेगा। सख्त सजा का इंतजाम करने के बावजूद बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं, लेकिन उन्हें गंभीरता से लेने की बजाय इन पर सियासत शुरू हो जाती है, नतीजतन मूल समस्या वहीं की वहीं रह जाती है। ऐसे दरिन्दों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

दहेज कानून बदलाव ः सारी ताकत पुलिस के पास फिर

सुप्रीम कोर्ट ने गत बुधवार अपने ही एक फैसले को पलटते हुए दहेज उत्पीड़न रोकने के लिए बनी भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत सीधी गिरफ्तारी का अधिकार बरकरार रखा है। दहेज उत्पीड़न के मामलों में पति और उसके परिवार वालों को जो संरक्षण मिला हुआ था अब वह समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए पिछले वर्ष जारी किए गए दिशानिर्देश में बदलाव करते हुए दहेज उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए परिवार कल्याण समिति गठित करने और उस समिति की रिपोर्ट आने तक गिरफ्तारी करने का निर्देश रद्द कर दिया है यानि अब अगर पुलिस को गिरफ्तारी का पर्याप्त आधार लगता है तो वह आरोपित को गिरफ्तार कर सकती है। अपने ही फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी का अधिकार पुलिस के पास देकर अपनी सीमाएं रेखांकित कर ली हैं। अब पुलिस ही फैसला करेगी कि यह शिकायत सही है या नहीं? एक साल पहले 2017 के जुलाई में न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित ने यह मानते हुए कि दहेज की फर्जी शिकायतें बहुत आ रही हैं और उसके कारण परिवार के बूढ़ों और रिश्तेदारों को भी परेशान किया जाता है, गिरफ्तार किया जाता है, फैसला दिया था कि अब दहेज की शिकायत आने पर एक कल्याण समिति जांच करेगी। जांच करने वाली समिति की फाइडिंग पर पुलिस गिरफ्तारी करेगी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर और डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने ताजा फैसला न्यायधर नामक एनजीओ की याचिका पर दिया है। पीठ ने भले ही दहेज उत्पीड़न के मामले में सीधे गिरफ्तारी के प्रावधान को फिर से लागू कर दिया हो, लेकिन शीर्ष अदालत ने साथ ही यह भी माना कि दहेज उत्पीड़न कानून का दुरुपयोग होता है। पता नहीं यह हाल में आए एससी/एसटी कानून के बाद का असर है या फिर महिला अधिकार संगठनों का लेकिन अदालत मानवाधिकारों का हवाला देकर उन कानूनों को कमजोर करने से बचती नजर आ रही है, जिन्हें सामाजिक न्याय के लिए बनाया गया है। शायद अदालत को यह अहसास हो रहा है कि सामाजिक न्याय की आवश्यकता और उसके पक्ष में खड़े आंदोलन उसके फैसले की आलोचना और विरोध कर सकते हैं इसलिए यह मामला विधायिका के पाले में ही छोड़ना उचित है। हालांकि अदालत ने यह कहा है कि दहेज कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सीआरपीसी में धारा 41ए और अग्रिम जमानत के प्रावधान पहले से मौजूद हैं। इस फैसले के तहत अब दहेज की शिकायत की सत्यता जांचने वाली परिवार कल्याण समितियों का हस्तक्षेप खत्म हो जाएगा और यह पुलिस ही फैसला करेगी कि शिकायत सही है या गलत? पुलिस के इस अधिकार का पहले भी दुरुपयोग होने का खतरा था तभी तो फैसला बदला गया था। अब फिर से यह अधिकार पुलिस के पास आ गया है।

Tuesday 18 September 2018

इसलिए नहीं कम हो सकतीं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?

पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना बढ़ने से आम लोग परेशान हैं पर लगता नहीं कि केंद्र सरकार या राज्य सरकारें इसमें किसी प्रकार की राहत देना चाहती हैं। इसका कारण है बढ़ी हुई आमदनी। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़े दामों से 19 प्रमुख राज्यों को 2018-19 में 22,702 करोड़ रुपए की अतिरिक्त कमाई होगी। यह आंकलन साल में कच्चे तेल की औसत कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का मूल्य 72 रुपए मानकर किया गया है। कीमत बढ़ने के साथ वैट के रूप में वसूली बढ़ने से सरकारों की कमाई भी बढ़ जाती है। केंद्र की एक्साइज ड्यूटी फिक्सड होने के बावजूद कमाई 2014-15 में 99 हजार करोड़ से बढ़कर 2017-2018 में 2.29 लाख करोड़ हो गई है। गत मंगलवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.87 रुपए और डीजल की 72.97 रुपए लीटर हो गई। दोनों के दाम 14 पैसे बढ़े। अब तो इसमें भी इजाफा हो गया है। अप्रैल से गत मंगलवार तक पेट्रोल 9.95 प्रतिशत और डीजल 13.3 प्रतिशत महंगा हुआ है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम को काबू में रखने को लेकर जो रुख अपना रही है वह उचित है, क्योंकि इन ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में कटौती से राजकीय घाटा बढ़ेगा और समस्या कम होने की बजाय जटिल हो जाएगी। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि तमाम विपक्ष और जनता ईंधन के भाव में तेजी को लेकर उत्पाद शुल्क की कटौती की मांग कर रही है। जाहिर है कि न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारें ईंधन की कीमतों पर नियंत्रण लगाने व घटाने का कोई इरादा रखतीं। बेशक राजस्थान और आंध्रप्रदेश ने वैट में कटौती कर कुछ राहत दी है। चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में ईंधन की बढ़ती कीमतों का मुद्दा जरूर उछलेगा। इसलिए संभव है कि वोटों की खातिर शायद राज्य सरकारें मामूली राहतें दें। गत वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, लाभांश अन्य मुद्दों में तीन लाख 43 हजार करोड़ रुपए की धनराशि मिली थी। इसी तरह राज्य सरकारों को वैट के रूप में दो लाख 10 हजार करोड़ रुपए मिले थे। कुल मिलाकर केंद्र का राज्य सरकारों पर दबाव है कि वे वैट में कमी करें। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कीमतें घटा सकती हैं तावक्ते ऐसा करने का उनका कोई इरादा हो। उनकी नजरों में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें कोई चुनावी मद्दा नहीं है। वह सोचती हैं कि आखिर भारत की जनता के पास चुप रहने के अलावा विकल्प ही क्या है? रुपया और कमजोर हो रहा है, कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी और इसमें पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और बढ़ोत्तरी होगी। इसके लिए तैयार रहना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

भगोड़े माल्या का सनसनीखेज बयान

भारत से भागकर लंदन में रह रहे भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के बारे में जो बयान दिया है, उससे राजनीतिक तूफान आना ही था। हमारे देश की राजनीति खासकर इस चुनावी माहौल में जो अवस्था है, उसमें किसी पर भी आरोप लगा नहीं कि विपक्ष उसे खलनायक साबित करने को तूल देता है। माल्या ने लंदन में मीडिया से बात करते हुए वेस्टमिनिस्टर कोर्ट में प्रत्यर्पण सुनवाई पूरी होने के बाद सनसनीखेज आरोप लगाया कि देश छोड़ने से पहले सैटलमेंट ऑफर लेकर वह वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिला था। मैंने बताया कि संसद में जेटली से मिला था और यह भी बताया था कि मैं लंदन जा रहा हूं। लेकिन हमारी कोई औपचारिक मुलाकात नहीं थी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक ब्लॉग पर सफाई देते हुए कहा कि माल्या का यह दावा गलत है। 2014 से अब तक मैंने माल्या को कोई अपॉइटमेंट नहीं दिया। वह राज्यसभा के सदस्य थे। कभी-कभी सदन में भी आते थे। ऐसे ही एक अवसर का उन्होंने दुरुपयोग किया। मैं सदन से निकलकर अपने कमरे में जा रहा था। इसी दौरान वह साथ हो लिए। चलते-चलते कहा कि मैं सैटलमेंट की पेशकश कर रहा हूं। उन्हें बात आगे बढ़ाने से रोकते हुए मैंने कहा कि मेरे साथ बात करने का कोई मतलब नहीं है। यह पेशकश बैंकों के समक्ष करें। कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने अरुण जी की सफाई के बाद राहुल गांधी के साथ एक प्रेसवार्ता में कहा कि एक मार्च 2016 को बजट सत्र के दौरान अरुण जेटली और विजय माल्या को बातचीत करते मैंने देखा था। उन्होंने कहाöमाल्या और वित्तमंत्री के बीच संसद में लंबी वार्ता हुई और मैंने अपनी आंखों से देखा। सीसीटीवी कैमरे में चैक किया जा सकता है, अगर झूठ निकला तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। पुनिया ने आरोप लगाया है कि माल्या जेटली से सलाह-मशविरा करने के बाद ही लंदन भागे। भाजपा ने पीएल पुनिया की उस बात को सिरे से नकार दिया है कि संसद के सैंट्रल हॉल में अरुण जेटली और माल्या को साथ बैठकर बातें करते देखा। भाजपा के संसदीय सूत्रों ने कहा है कि अरुण जेटली एक मार्च को सदन के सैंट्रल हॉल में गए ही नहीं थे। मैंने दोनों पक्षों की दलीलें पेश कर दी हैं। यहां सवाल दो-तीन हैं। पहला कि माल्या लंदन भागने से पहले जेटली से मिले थे? अगर मिले थे तो क्या उन्होंने कोई सैटलमेंट की पेशकश की थी? क्या मोदी सरकार ने माल्या को लंदन भागने में मदद की? राहुल गांधी व पुनिया का दावा है कि यह मुलाकात हुई थी चाहे वह औपचारिक थी या नहीं? सीसीटीवी की फुटेज से इसे चैक किया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरे प्रकरण में वित्तमंत्री अरुण जेटली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाया है। राहुल ने बृहस्पतिवार को कहाöजेटली ने आर्थिक अपराधी को देश से भागने पर रोका क्यों नहीं? जेटली बताएं कि माल्या से लंदन जाने की जानकारी मिलने के बाद भी उन्होंने सीबीआई और ईडी को सूचित नहीं करने का फैसला क्या खुद ही कर लिया? या उन्हें ऊपर से ऑर्डर मिला था। मामले में पीएम की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जेटली बताएं कि क्या डील हुई है? कांग्रेस ने संसद के सैंट्रल हॉल में हुई जेटली और माल्या की 15-20 मिनट की बातचीत के गवाह के रूप में सांसद पीएल पुनिया को पेश किया है। बता दें कि पहली मार्च को पुनिया के अनुसार माल्या और जेटली में करीब 15-20 मिनट बात हुई थी और अगले दिन ही माल्या यानि दो मार्च को लंदन भाग गया। जेटली इतने दिनों तक इस मुलाकात पर क्यों चुप्पी बनाए रहे? संसद की चर्चा में भी जेटली ने इस मुलाकात के बारे में नहीं बताया? विजय माल्या के खिलाफ 24 अक्तूबर 2015 को लुकआउट नोटिस जारी हुआ था। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि यह नोटिस की ब्लॉक से रिपोर्ट में शिफ्ट किया गया, जिसकी मदद से माल्या 54 लगेज आराम से लेकर लंदन भागने में सफल हुआ। भगोड़ा घोषित माल्या के लुकआउट नोटिस जारी होने के बावजूद लंदन की फ्लाइट पकड़ने में सफल होने का भी राज अब खुल गया है। दरअसल सीबीआई ने माल्या के लुकआउट नोटिस को गिरफ्तारी की श्रेणी से बदलकर महज सूचना देने वाली श्रेणी में शामिल कर दिया था। इसके चलते ही किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व मालिक को दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर घंटों तक देखे जाने के बावजूद फ्लाइट पकड़ने से नहीं रोका और लंदन भागने में वह सफल रहा। जांच एजेंसियों के पास मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक 9000 करोड़ के बैंक फ्रॉड के आरोपी विजय माल्या ने दो मार्च 2016 की सुबह लंदन जाने वाली जेट एयरवेज की दो टिकटें खरीदी थीं। दो मार्च की रात में ही वह अपनी महिला मित्र पिंकी लालवाणी के साथ फ्लाइट नम्बर 9 डब्ल्यू-122 की एग्जीक्यूटिव श्रेणी में बैठकर लंदन चला गया था। माल्या तब राज्यसभा के सांसद थे और इस कारण मिले हुए डिप्लोमैटिक पासपोर्ट के कारण उसे विमान और हवाई अड्डे पर विशेष यात्री का दर्जा मिला था। रवानगी से पहले करीब एक घंटे तक दोनों ने एयरपोर्ट के प्रीमियम प्लाजा लाउंज में आराम किया था। एयरपोर्ट पर तैनात इमिग्रेशन के अधिकारियों के पास माल्या को रोकने या गिरफ्तारी का आदेश नहीं होने के कारण उन्होंने इस दौरान कोई हस्तक्षेप नहीं किया। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर यह तय होने के बावजूद की माल्या आर्थिक अपराधी है जिसने 9000 करोड़ का घोटाला किया है उसके भागने में मदद किसके कहने पर हुई? आखिर किसके आदेश पर सीबीआई ने बदला लुकआउट सर्पुलर? इन सवालों का जवाब देश चाहता है। आरोप-प्रत्यारोप से काम चलने वाला नहीं है। ठोस जवाब व सबूत चाहिए।

Sunday 16 September 2018

हैड कांस्टेबल की हत्या निंदनीय घटना है

राजधानी दिल्ली में बदमाशों के हौंसले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तो वे पुलिसकर्मियों पर भी निशाना साध रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे इन बदमाशों को अब वर्दी का भी खौफ नहीं रहा। चक्की से आटा लेने बाइक से जा रहे दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल (हवलदार) राम अवतार को मंगलवार रात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। वह ड्यूटी से रात साढ़े नौ बजे घर पहुंचे थे। पुलिस के मुताबिक राम अवतार मूल रूप से राजस्थान के करौली जिले के बरदाला गांव के रहने वाले थे। परिवार में पत्नी, 10 वर्ष की बेटी व पांच वर्ष का बेटा है। राम अवतार रात 9.30 बजे आटा लेने के लिए घर से निकले थे, रास्ते में उन्हें दो-तीन संदिग्ध युवक खड़े दिखाई दिए। उन्होंने उनसे वहां खड़े होने का कारण पूछा तभी एक बदमाश ने तमंचा निकालकर उन्हें गोली मार दी। गोली उनके पेट में लगी। मौके पर पहुंची पुलिस उन्हें अपोलो अस्पताल लेकर गई, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वर्ष 2003 में दिल्ली पुलिस में उनकी नियुक्ति हुई थी। वह तेज-तर्रार पुलिसकर्मी थे। हाल के दिनों में पुलिसकर्मियों के साथ अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं जो दर्शाती हैं कि अब बदमाशों के हौंसले कितने बुलंद हैं। पिछले चार सालों में दिल्ली पुलिस के नौजवान ड्यूटी के दौरान बदमाशों के शिकार हुए हैं। 17 जनवरी 2015 को नरेला में कांस्टेबल जितेन्द्र को उसके घर के सामने बदमाशों ने सिर में गोली मारकर हत्या कर दी। 12 दिसम्बर 2016 को बेगमपुर इलाके में एएसआई जितेन्द्र और उसकी महिला मित्र की गोली मारकर हत्या की गई। 30 अप्रैल 2017 को मियांवाली में एएसआई विजय की हत्या की गई। नौ जुलाई 2017 को कांस्टेबल परविन्द्र की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या की। 2017 में ही 15 अक्तूबर को हैड कांस्टेबल राजेश को बदमाशों ने मौत के घाट उतार दिया। 29 मई इसी साल पीसीआर में तैनात एएसआई सुधीर कुमार की हत्या हुई और 11 सितम्बर इसी साल मीठापुर में हैंड कांस्टेबल राम अवतार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाइक सवार बदमाशों ने एक महिला इंस्पेक्टर से दिनदहाड़े उसका पर्स लूट लिया। शाहदरा के जीटीबी एन्क्लेव में सड़क से कार हटाने के लिए कहने पर कुछ लोगों ने एक एएसआई की पिटाई कर दी। यह सारी वारदातें दर्शाती हैं कि किस हद तक इन बदमाशों के हौंसले बढ़ चुके हैं। प्रश्न यह उठता है कि आखिर इन अपराधियों में कानून का डर क्यों खत्म होता जा रहा है? इसके कई कारण हैं पर मुख्य बात यह है कि दिल्ली पुलिस और हमारी अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अपराध करने पर किसी भी सूरत में अपराधी बच न पाए और उसे उसके किए की सजा अवश्य मिले। यदि ऐसा होता है तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली की सड़कें सुरक्षित होंगी और अपनी ड्यूटी निभा रहे पुलिसकर्मी भी सुरक्षित रहेंगे।

-अनिल नरेन्द्र

सुपरहिट मुकाबले ः एशिया कप का आगाज

अबुधाबी में शनिवार से एशिया कप 2018 शुरू हो गया है। टूर्नामेंट 28 सितम्बर तक चलेगा। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट की पहली विनर है। इस बार टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा हैं। मैच राउंड रॉबिन और नाटआउट आधार पर होंगे। इसमें भाग ले रहीं कुल छह टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया हैöग्रुप ए में भारत, पाकिस्तान और हांगकांग हैं और ग्रुप बी में श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान। दुनिया के किसी भी कोने में भारत और पाकिस्तान की भिड़ंत ]िक्रकेट के मैदान पर हो तो उसका रोमांच चरम पर होता है। मौजूदा चैंपियन भारत और पूर्व चैंपियन पाकिस्तान का मैच बुधवार को होगा। चूंकि मुकाबला संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबुधाबी में होगा लिहाजा पाकिस्तान और भारत दोनों को ही दर्शकों का समर्थन भरपूर मिलेगा। इंग्लैंड के हाल के दौरे में टीम इंडिया का परफार्मेंस अच्छा नहीं रहा। टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे से पहले विराट कोहली का प्रदर्शन चर्चा में था, क्योंकि पिछले दौरे में वह बुरी तरह नाकाम रहे थे। बतौर बल्लेबाज अपनी छाप छोड़ने में बेशक विराट कामयाब रहे, उनका बल्ला खूब बोला पर बतौर कप्तान कोहली पूरी तरह से इंग्लैंड दौरे में फ्लॉप साबित हुए। कोहली का यह आंकलन सही है कि 1-4 की हार के दौरान लाइव टेस्ट के अलावा बाकी टेस्ट में इंग्लैंड की टीम पूरी तरह से उन पर दबदबा नहीं बना पाई। लेकिन मेजबान टीम ने अहम मौकों पर बेहतर क्रिकेट खेला। सीरीज से साबित हुआ कि कोहली सिर्प भारत में ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में अपने समकक्षों से कहीं आगे हैं। कोहली की बैड लक रही कि पांचों टेस्टों में उन्होंने टॉस गंवाए। इंग्लिश सीरीज में बतौर कैप्टन विराट कोहली ने कई गलतियां कीं। एजवेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड एक वक्त 87 रन पर सात विकेट खोकर बेहद मुश्किल में था, मगर सैम करन ने पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ भारत के लिए 194 रन का टारगेट सेट कर दिया। कप्तान कोहली ने तब आर. अश्विन को अटैक से हटाकर विपक्षी टीम पर प्रेशर बनाने का मौका गंवाया। साउथ कैम्पटन के चौथे टेस्ट की पहली पारी में इंग्लैंड के दूसरे दिन 86 रन पर छह विकेट निकल गए। लेकिन करन के 76 रन से उसने 246 का टोटल स्कोर खड़ा कर दिया। चोट के कारण अश्विन की गैर-मौजूदगी में कोहली के पास प्लान बी मौजूद नहीं था, जिसका इंग्लैंड ने भरपूर फायदा उठाया। दिग्गज और पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर को लगता है कि विराट कोहली को इंग्लैंड में मिली हार से तकनीकी पहलुओं के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है। उन्होंने जब से कप्तानी संभाली है, तब से दो साल (उन्होंने चार साल पहले कप्तानी संभाली थी) ही हुए हैं, इसलिए कभी-कभार अनुभव की कमी दिखाई देती है। इंग्लैंड की सीरीज में अगर महेंद्र सिंह धोनी कप्तान होते तो शायद सीरीज का परिणाम बेहतर होता। बतौर कप्तान कोहली को धोनी से बहुत कुछ सीखने की दरकार है। अगर कोहली इस नाकाम दौरे में बतौर कप्तान फेल हुए तो कसूरवार तो कोच रवि शास्त्राr व चयनकर्ता भी कम नहीं। खैर जो बीत गई वह बात गई। अब तो सारी निगाहें एशिया कप पर टिकी हैं। विराट कोहली को आराम दिया गया है। इस कप के लिए अबांती रायडू, मनीष पांडे, केदार जाधव, महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक, अक्षर पटेल, खलील अहमद को टीम में शामिल कर युवाओं को भी चांस मिला है। उम्मीद की जाती है कि एशिया कप 2018 में भी टीम इंडिया रोहित शर्मा की कप्तानी में कप जीतने में सफल होगी। टीम इंडिया को बैस्ट ऑफ लक। पाकिस्तान से मुकाबला दिलचस्प होगा।

Saturday 15 September 2018

एनपीए महाघोटाला ः इस हमाम में सभी नंगे हैं

बैंकों का कर्ज क्यों डूबता चला गया और वह कैसे बदहाल होते गए, इसका ताजा खुलासा रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने किया है। राजन ने संसद की प्रॉक्कलन समिति के जवाब में बताया है कि किस तरह उदारता बरती गई, वहीं भारी पड़ी। एनपीए के मसले पर जो खुलासा रघुराम राजन ने अब किया है वह कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं। एनपीए की समस्या ने बैंकिंग प्रणाली के खोखलेपन को उजागर करके रख दिया है। इससे यह पता चलता है कि बैंकों की अंदरूनी प्रबंध तंत्र किस तरह से संचालित होता है और होता रहा है। राजन के खुलासों से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होना स्वाभाविक ही था। यूपीए और एनडीए दोनों ही आज की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। बैंकों के डूबे कर्ज यानि एनपीए को लेकर जहां राजन ने यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया वहीं उन्होंने यह भी खुलासा किया कि बैंकों की धोखाधड़ी से जुड़े हाई-प्रोफाइल मामलों के खिलाफ साझा कार्रवाई के लिए इसकी सूची प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेज दी गई थी। हालांकि राजन ने यह नहीं बताया कि किस पीएमओ को यह सूची भेजी गई थी? यूपीए के पीएमओ को या एनडीए के पीएमओ को? पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2016 में एनडीए की सरकार थी इसलिए यह सूची मोदी जी के पीएमओ को भेजी गई होगी। प्रॉक्कलन समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी को भेजे नोट में राजन ने कहा कि सरकारी बैंकों की बैंकिंग प्रणाली में धोखाधड़ी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं लेकिन यह डूबे हुए कर्ज (एनपीए) की राशि के मुकाबले अब भी कम है। उन्होंने बताया कि मैंने एक धोखाधड़ी निगरानी समिति गठित की थी ताकि जांच एजेंसियों तक शुरू में ही इन मामलों की जानकारी पहुंच जाए। मैंने हाई-प्रोफाइल मामलों की एक सूची पीएमओ को भेजकर अपील की थी कि कम से कम एक या दो आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कर साझा कार्रवाई की जाए। मुझे इस बारे में न तो कोई जवाब मिला और जाहिर है कि न ही कोई ठोस कार्रवाई हुई? सरकार एक भी हाई-प्रोफाइल धोखेबाज के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर बेपरवाह रही। बैंक अधिकारी जानते थे कि जब किसी लेनदेन को धोखाधड़ी माना जाएगा तो जांच एजेंसियां असली गुनाहगारों को पकड़ने के बजाय उन्हें ही प्रताड़ित करेंगी। लिहाजा उन्होंने अपना काम धीमा रखा। बैंकों के डूबे कर्ज यानि एनपीए को  लेकर राजन ने यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद कांग्रेस ने सफाई दी कि एनपीए के लिए भाजपा सरकार  भी जिम्मेदार है। वहीं भाजपा ने कहा कि यूपीए सरकार के समय माफिया राज था। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 2014 में जब यूपीए सत्ता से बाहर हुई, तब तक कुल एनपीए 2.83 लाख करोड़ था। एनडीए की सरकार आने के बाद बीते चार सालों में 10 लाख 30 हजार करोड़ हो गया। बेशक दो लाख 83 हजार करोड़ के एनपीए की हमारी जिम्मेदारी बनती है, लेकिन मोदी सरकार के चार सालों में 10 लाख 30 हजार करोड़ का एनपीए है, इसका जिम्मेदार कौन है? वहीं इस मुद्दे पर भाजपा की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहाöराजन ने जो कहा है वह तथ्य सिर्प कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीति में माफिया राज को ही नहीं बताता है, बल्कि बताता है कि यूपीए सरकार ने देश को उन चुनौतियों से लड़ने के लिए छोड़ दिया है। क्या यह गंभीर बात नहीं है कि बुनियादी परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ का कर्ज देते वक्त बैंक यह सुनिश्चित क्यों नहीं कर पाए कि इन मोटे कर्जों की वापसी कैसे होगी? एक तरह से यह खुले हाथ पैसा लुटाने जैसी बात हुई। कई मामलों में तो बैंकों ने कर्ज देने के लिए प्रवर्तक के निवेशक बैंक की रिपोर्ट के आधार पर ही करार कर लिया और अपनी ओर से जांच-पड़ताल जरा भी जरूरी नहीं समझी। दुनिया में शायद ही कोई कर्जदाता ऐसा होता होगा जो उसकी वापसी के तरीके सुनिश्चित नहीं करता है। लेकिन भारत के व्यावसायिक बैंकों ने इसमें घोर लापरवाही बरती। ऐसे में क्या यह मानना गलत होगा कि भारत में बैंकिंग प्रणाली बिल्कुल ठप हालत में है? रघुराम राजन ने अपने लिखित बयान में जो कहा है उसकी सच्चाई पर कोई प्रश्न भी नहीं उठा सकता है। इससे कांग्रेस और भाजपा दोनों कठघरे में खड़े होते हैं। हालांकि अर्थव्यवस्था और बैंकिंग व्यवस्था पर नजर रखने वालों के लिए इसमें कुछ भी नया नहीं है। राजन के कहने से उन सारी बातों की पुष्टि हो जाती है जो एनपीए के सन्दर्भ में कही जा रही थीं। एनपीए के बोझ से हमारी बैंकिंग प्रणाली चरमरा रही है और नरेंद्र मोदी सरकार को अब उन्हें बचाने के लिए मोटी रकम लगानी पड़ रही है। बैंकों का कर्ज देने में उत्साह तो साफ दिखता है किन्तु इसका कारण क्या हो सकता है यह जानने की जरूरत भी है। क्या सरकार की ओर से बैंकों को इसके लिए संकेत दिए जाते थे और दिए जा रहे हैं? बैंक अपने जोखिम पर इतने सारे कर्ज दे देंगे यह सामान्य समझ से परे है। इसमें बैंक अधिकारियों का भ्रष्टाचार भी एक बड़ा कारण है। आरोप यह भी है कि बैंक अधिकारियों द्वारा कर्ज की याद दिलाने पर उन्हें धमकी तक मिलती थी। ऐसा वातावरण आखिर क्यों बन गया था इसकी तो जांच होनी ही चाहिए। कांग्रेस के यह कहने से उसका दोष कम नहीं हो जाता कि जब हम गए तो एनपीए केवल दो लाख करोड़ था और आज नौ लाख करोड़ हो गया। यह इसलिए हो गया कि वर्तमान सरकार ने पूरे एनपीए को सामने लाने की कोशिश की है ताकि बैंकिंग प्रणाली की असल स्थिति समझी जा सके। हकीकत तो यह है कि कोई भी सरकार रही हो अगर वह समय पर उचित नीतिगत फैसले नहीं ले पाती है तो उसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ते हैं। एनपीए की वजह से कंगाली की कगार पर आए बैंकों की फौरी खुराक के तौर पर पैकेज तो दिए गए हैं, लेकिन मूल बीमारी जस की तस बनी हुई है। एनपीए का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है और आज यह 10 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। रघुराम राजन ने संकेत दिए हैं कि यह आंकड़ा और आगे बढ़ सकता है। इससे यह भी पता चलता है कि चाहे वह यूपीए की सरकार हो चाहे एनडीए सरकार की हो, दोनों ने ही व्यावसायिक बैंकों की लापरवाही पर किस कदर आंखें मूंदी रखीं। अगर रिजर्व बैंक भी शुरू से व्यावसायिक बैंकों के परिचालन और लेनदेन पर कड़ी नजर रखता तो नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे बड़े घोटालेबाजों से बैंकों और देश को बचाया जा सकता था। एनपीए पर हल्ला मचने के बाद सरकार और आरबीआई भले ठोस कदम उठाने के दावे करें लेकिन हालात उम्मीदों के बजाय आशंका को ही जन्म देते हैं। हमारा तो यही मानना है कि इस एनपीए महाघोटाले में इस हमाम में सभी नंगे हैं।

-अनिल नरेन्द्र

Friday 14 September 2018

अब तक 33 कत्ल कबूले

भोपाल के ट्रक ड्राइवरों और कंडक्टरों का सीरियल किलर आदेश खामरा को याद नहीं कि उसने अब तक कितने बेकसूरों का कत्ल किया है। पूछताछ में उसका हर खुलासा पुलिस को हैरान कर रहा है। सोमवार देर रात जब आदेश से सख्त पूछताछ की तो उसने बताया कि तीन और बेकसूरों की उसने जान ली है। तीन में से दो सगे भाई हैं, जबकि तीसरा ट्रक ड्राइवर है। इन तीनों को मिलाकर वह अब तक 33 हत्याएं कर चुका है और इन 33 हत्याओं का गुनाह भी कबूल कर चुका है। इन 33 हत्याओं में 22 ऐसी हैं जिन्हें पुलिस कभी सुलझा ही नहीं पाई थी। हर कत्ल पर आदेश के हिस्से में महज 25 से 30 हजार रुपए ही आते थे। इन 33 में से एक हत्या तो उसने 25 हजार रुपए की सुपारी लेकर भी की है। शनिवार देर रात कड़ी पूछताछ में उसने 16 हत्याएं और कबूलीं जिनमें आठ के आरोप में वह जेल भी जा चुका है। शुक्रवार रात पूछताछ के बीच एसपी साउथ राहुल लोढा को रायपुर पुलिस का कॉल आया। उन्होंने बताया कि राजनंदगांव के पास अलग-अलग स्थानों पर जंगल में तीन ड्राइवर-कंडक्टरों के शव मिले थे। वहीं बेमेतरा के पास पुलिया के नीचे एक और बिलासपुर के पास और एक नदी में लाश मिली है। इस आधार पर पुलिस ने आदेश खामरा से सवाल किए तो उसने इन पांचों बेकसूरों की हत्या का पूरा घटनाक्रम भी पुलिस के सामने उगल दिया। पुलिस का दावा है कि वह अगली वारदात के बारे में तभी बता रहा है जब उससे जुड़े सवाल किए जाएं। इसलिए देशभर की पुलिस को उसके पकड़े जाने की जानकारी भेज दी गई है ताकि देशभर में हुईं उन हत्याओं का भी खुलासा हो सके, जिन्हें वह अब भी छिपा रहा है। कुछ ऐसे जुड़ते गए आदेश के काले कारनामेö15 अगस्त को झगरिया पठार में ड्राइवर माखन सिंह की लाश मिली। 22 अगस्त को पुलिस ने शानू-रितेश और विजय को पकड़ा। रितेश और विजय ने ही लूटा गया सरिया शानू को दिलाया था। पूछताछ में जय करण, वाहिद नूर और साबिर कला के नाम सामने आए। जय करण व साबिर ने महेश राठौर व नसीम के बारे में बताया। इसी बीच सिसरोंद थाने में 25 क्विंटल शक्कर समेत ट्रक की चोरी की शिकायत आई। इसमें जय करण का हाथ होने की जानकारी मिली। पूछताछ में जय करण ने अपने साथियों तुकाराम बंजारा और आदेश खामरा का नाम बताया। पूछताछ अभी जारी है। और भी कई रहस्य खुल सकते हैं। पैसों की खातिर इतने निर्दोषों की हत्या करने वाले इस खूंखार सीरियल किलर ने न जाने कितने परिवार तबाह कर दिए? आखिर सजा भी इसे कड़ी से कड़ी मिलनी चाहिए। अपने आपमें इतने निर्दोषों का कत्ल करने का यह बहुत बड़ा किस्सा है। कई अनसुलझे मर्डरों का पता चलेगा।

-अनिल नरेन्द्र

क्यों खामोश हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

डीजल और पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों से देशभर में तूफान मच गया है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने भारत बंद का आयोजन किया। कांग्रेस के नेतृत्व में सोमवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित धरना-प्रदर्शन में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल, आम आदमी पार्टी सहित 16 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया और ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों के लिए मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। सभी दलों ने एक स्वर में मोदी सरकार को संवेदनहीन करार दिया और कहा कि चार साल में इनकी नीतियों के कारण देश की जनता त्रस्त है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि और महंगाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भाजपा के लोगों का अहंकार है कि जनता महंगाई से परेशान है और भाजपा कह रही है कि वह अगले 50 साल तक सत्ता में रहेगी। राहुल ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। जनता ने भरोसा कर उनकी सरकार बनवाई। अब लोगों को साफ अहसास हो गया कि उन्होंने साढ़े चार साल में क्या किया? मोदी जी कहते हैं कि उन्होंने साढ़े चार साल में वो किया जो 70 साल में नहीं हुआ। अब लोगों को पता चल गया है कि उन्होंने साढ़े चार साल में हिन्दुस्तानियों को आपस में लड़वाया। महिलाओं पर अत्याचार होते रहे पर प्रधानमंत्री खामोश रहे। पूरे देश में मोदी जी पेट्रोल-डीजल और गैस पर विपक्ष में रहते हुए खूब बोलते थे, लेकिन अब एक शब्द नहीं बोलते हैं। आखिर मोदी जी खामोश क्यों हैं? राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी सिर्प भाषण देते हैं। देश उनके भाषणों से तंग आ चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उसकी जनविरोधी नीतियों के कारण देश का कारोबारी और किसान परेशान हो गया है। युवा रोजगार तलाश कर रहे हैं। सरकार सिर्प जनविरोधी काम कर रही है और उसने सारी सीमाएं लांघ दी हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां जनविरोधी हैं और इनके कारण देश का आम जनमानस परेशान है। अब समय आ गया है कि जनहित में सोचने वाले राजनीतिक दलों को एकजुट होकर देश की जनता को भरोसा देना चाहिए कि उसे मोदी सरकार से जल्द मुक्ति दिलाई जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलशों का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि इसे जिस तरह से प्रचारित किया जा रहा है वह उनकी सेवाओं को याद करने का सही तरीका नहीं है। बेशक भाजपा इस बंद को असफल बताने की कोशिश करे पर इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि जो मुद्दे विपक्षी दलों ने उठाए हैं वह सब ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर मोदी सरकार को जवाब देना चाहिए। ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों से जनता परेशान है।

Thursday 13 September 2018

नन बलात्कार केस पर केरल हाई कोर्ट सख्त

एक नन से बलात्कार करने के आरोप में जालंधर के बिशप, पैंको मुलक्कल को पूछताछ के लिए इस हफ्ते बुलाए जाने की संभावना है। केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से एसआईटी जांच की रिपोर्ट तलब की है। साथ ही हाई कोर्ट ने पूछा है कि पीड़िता नन और उसके परिवार को सुरक्षा क्यों नहीं दी गई? केरल कैथोलिक चर्च रिफार्मेशन के जॉर्ज जोसेफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जांच में हुई पगति और उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी है। नन का आरोप है कि बिशप मुलक्कल ने उसके साथ 2014 से 2016 तक कई बार दुष्कर्म किया। इसकी शिकायत ढाई माह पहले कराई गई थी, लेकिन केरल पुलिस की एसआईटी ने अब तक बिशप से सिर्प एक बार पूछताछ की है, जबकि पीड़िता से 12 बार बयान लिए जा चुके हैं। वहीं पुलिस ने संकेत दिए हैं कि आरोपी को पूछताछ के लिए इसी सप्ताह नोटिस दिया जा सकता है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने नन के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने वाले निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज को भी समन जारी किया है। पुलिस का कहना है कि नन, गवाहों और जालंधर डायोसिस बिशप पैंको मुलक्कल के दिए बयानों में काफी विरोधाभास है। इसलिए संदेह दूर करने के बाद आगे की कार्रवाई के बारे में कोई फैसला किया जाएगा। हालांकि अधिकारी ने नन के लिए न्याय मांग रहे पदर्शनकारियों के इस आरोप को खारिज कर दिया कि पुलिस आरोपी बिशप की मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच चल रही है। इसी बीच कोट्टयम से पाप्त खबरों के अनुसार पुलिस ने निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की है जिन्होंने पीड़िता नन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। केरल विधानसभा में विपक्षी नेता रमेश चैन्नीमला ने कहा कि यह आरोप है कि जांच बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मामला दर्ज होने के 76 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने जांच पूरी नहीं की। उन्होंने समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने का अनुरोध किया। वहीं केरल कैथोलिक चर्च रिफार्मेशन मूवमेंट सहित कैथोलिक सुधार संगठनों ने नन के लिए न्याय की मांग करते हुए केरल में अपना पदर्शन जारी रखा है। केरल में भाजपा और संघ परिवार से जुड़े संगठनों ने पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए पदर्शनकारी ननों के साथ एकजुटता जाहिर की है। निर्दलीय विधायक पीसी जॉर्ज ने पीड़िता और उसकी साथी ननों के खिलाफ एक बयान में कहा है कि असली पीड़ित को लेकर कुछ संदेह है। उन्होंने पूछा असली पीड़ित कौन है? नन या बिशप? नन के खिलाफ अभद्र भाषा का कथित तौर पर इस्तेमाल किए जाने को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर जॉर्ज ने कहा कि क्या वे लोग उनकी नाक काट लेंगे?

-अनिल नरेन्द्र