Sunday 31 October 2021

26 दिन बाद पूरी हुई शाहरुख की मन्नत

मादक पदार्थ रखने और सेवन करने के आरोप में गिरफ्तार अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को आखिरकार बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। 26 दिन तक जमानत के लिए चली बहसों के बाद यह फैसला आया है। बंबई हाई कोर्ट की एकल पीठ ने गुरुवार को एनसीबी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह की दलीलें सुनने के बाद आर्यन खान और दो अन्य को जमानत दे दी। गुरुवार को एनसीबी के वकील अदालत के सवालों में उलझ गए और इसी के बाद आर्यन की जमानत का रास्ता साफ हो गया। एनसीबी की ओर से पेश हुए एएसजी अनिल सिंह ने 2ः58 मिनट पर दलीलें शुरू कीं और 4ः11 बजे पर पूरी की। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति साम्ब्रे ने जानना चाहा कि किस आधार पर कहा जा रहा है कि आर्यन ने वाणिज्यिक यात्रा में मादक पदार्थ का सौदा किया। इस पर सिंह ने कहा कि आर्यन ने सौदा करने का प्रयास किया। व्हॉट्सएप चैट यह दर्शाती है। आरोपी के फोन से इलैक्ट्रॉनिक सुबूत जुटाए गए हैं। एनसीबी ने जमानत अर्जियों का विरोध किया कि इस मामले में साजिश एवं अपराध के लिए उकसाने के आरोप लगते हैं। इस पर आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि साजिश का मतलब है कि समान मंशा से बैठक हो। आर्यन अरबाज के अलावा किसी को नहीं जानता, इसलिए साजिश को दर्शाने वाला कुछ नहीं है। एनसीबी पर भारी पड़ी बचाव पक्ष की यह दलीलेंöआर्यन के पास कोई ड्रग्स नहीं थे, न ही कुछ बरामद हुए, न ही सेवन करते पाए गए थे। अरबाज के जूते से ड्रग्स मिली थी, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि वह आर्यन के इस्तेमाल के लिए थे या उन्हें इसकी जानकारी थी। इसे कॉन्शस पजेशन नहीं कर सकते। इस प्रकार के छोटे केस में पहले नोटिस दिया जाता है, पूछताछ होती है, पहले ही सीधे गिरफ्तारी हुई है, यह गलत है। आर्यन खान के खिलाफ पूरा केस एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 67 के तहत अपनी मर्जी से दिए गए स्टेटमेंट पर आधारित है। तूफान सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक इसे एक सुबूत के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं। आर्यन की चैट में क्रूज पार्टी का कोई जिक्र नहीं है। चैट के आधार पर कोई साजिश की बात साबित नहीं हुई है। आर्यन का मोबाइल फोन जब्त नहीं किया गया, पंचनामा में भी इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया है। उनका मेडिकल भी नहीं करवाया गया है। आर्यन क्रूज पार्टी में कस्टमर नहीं थे। उन्हें बतौर गेस्ट वहां पर बुलाया गया था। आर्यन खान और सप्लायर उपित कुमार की चैट पोकर गेम के लिए थी, ड्रग के लिए नहीं और यह चैट भी एक-डेढ़ साल पुरानी है। वैसे भी उपित तो क्रूज पर था ही नहीं, मतलब उसने आर्यन के साथ कोई प्लान किया है, ऐसी बात ही नहीं है। अगर आर्यन ने ड्रग्स ली भी तो उसके लिए ज्यादा से ज्यादा एक साल की कैद की सजा है और उसमें उनको रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजने का प्रावधान है। क्रूज में 1300 लोग मौजूद थे। अरबाज और उपित के अलावा दूसरे किसी को भी जानता था, ऐसा कुछ भी एनसीबी ने नहीं बताया। अरबाज के अलावा बाकी गिरफ्तार लोगों को आर्यन जानता नहीं है, फिर साजिश कैसे हुई। अगर साजिश की बात करते हैं तो आर्यन को प्रतीक गाबा और मानक ने बुलाया था, पर उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई? आर्यन के मामले में अब एनसीपी खुद सवालों के घेरे में आ खड़ी हुई है।

कैप्टन साहब से मेरे रूह के रिश्ते हैं

पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा आलम का नाम पंजाब की राजनीति में हंगामा मचाए हुए है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के साथ उनके करीबी रिश्तों को लेकर कांग्रेस का एक खेमा लगातार हमलावर है जबकि कैप्टन अरूसा के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं की तस्वीरें जारी कर जवाबी हमला कर रहे हैं। पंजाब कांग्रेस की सियासत में इस तरह घसीटे जाने से निराश अरूसा ने भी अपना पक्ष रखना शुरू किया है। भारतीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अमरिन्दर सिंह को अपना करीबी दोस्त बताते हुए कहाöमेरा उनसे रूह का रिश्ता है। अरूसा कहती हैं कि 2004 में मेरी कैप्टन साहब से पहली बार मुलाकात हुई थी। तब मेरी 56 साल की उम्र थी और वह 66 वर्ष की उम्र के थे। इस उम्र में आप प्रेमी नहीं तलाशते, इसलिए हमारे रिश्ते में रोमांस जैसा कुछ तलाशना बेकार है। हां, हमारा बौद्धिक स्तर एक जैसा है, जिसके कारण हम दोस्त बने। कैप्टन साहब ने पूरी दुनिया में सिर्फ मुझे अपनी दोस्ती के लायक समझा, इसका मुझे फख्र है। जब हम मिले तो हमें एक-दूसरे की कुछ चीजें पसंद आईं, जैसे कि मुझे उनकी बागवानी और खाना बनाने की कला, जबकि उन्हें मेरा लेखन, हमें एक-दूसरे का सोलमेंट कर सकते हैं। मैं सिर्फ कैप्टन साहब की ही नहीं, उनके परिवार की भी दोस्त हूं। उनकी पत्नी महारानी साहिबा परगीत कौर, उनकी बहनें, बहनोई, पूरा परिवार, सब मेरे दोस्त हैं। उनसे दोस्ती के बाद 16 साल से मैं भारत आ रही हूं, मगर पिछले एक साल से मैं पाकिस्तान में ही हूं। नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने आरोप लगाया है कि पंजाब पुलिस वालों की ट्रांसफर, पोस्टिंग में अरूसा ने जमकर पैसा कमाया है और पैसा लेकर पाकिस्तान भाग गईं। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 30 October 2021

हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ नहीं ले सकते, जांच होगी

इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के माध्यम से विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य की जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मामले की जांच के ]िलए एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देकर बचने का प्रयास करने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और केंद्र से इस मुद्दे पर जांच का अधिकार भी छीन लिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष जांच सरकार की एक्सपर्ट कमेटी नहीं कर सकती क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों पर खुद नागरिकों के अधिकार का हनन करने में शामिल होने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि अगर मामले की जांच सरकार को करने दी गई तो इस सिद्धांत का उल्लंघन होगा कि न्याय सिर्प किया ही नहीं जाना चाहिए बल्कि न्याय होते दिखना भी चाहिए। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने बुधवार को अपना 46 पेज का फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि विशेष समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रविंद्रन करेंगे। इसके अतिरिक्त तीन सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ कमेटी भी गठित की जा रही है, जो जांच कमेटी के कार्य में उनकी मदद करेगी। उक्त कमेटी के कार्य में पेगासस स्पाईवेयर के माध्यम से जासूसी के आरोपों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगी। कमेटी अपने कार्य के लिए अन्य विशेषज्ञों को जोड़ सकती है। कोर्ट इस मुद्दे पर आठ सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सरकार को जांच समिति बनाने की इजाजत नहीं दी। सरकार ने अनुरोध किया था कि जासूसी मामले में आरोपों की जांच के लिए केंद्र को विशेष समिति बनाने की अनुमति दी जाए। लेकिन अदालत ने सरकार का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ऐसा करना पक्षपात के खिलाफ स्थापित न्यायिक सिद्धांत के उलट होगा। अदालत की यह टिप्पणी उसके गंभीर रुख को बताने के लिए पर्याप्त है। पेगासस मामला सामने आने के बाद सरकार ने जिस तरह का रवैया दिखाया, उससे यह संदेश गया कि सरकार इससे बचने की कोशिश कर रही है। कुछ छिपा रही है और सच्चाई सामने नहीं आने देना चाहती। ऐसे में अगर सरकार खुद ही जांच करती तो उस पर भरोसा कौन करता? इसलिए बेहतर यही था कि इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में हो ताकि दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। भारतीय नागरिकों की जासूसी करवाने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं, इसलिए सर्वोच्च अदालत की यह जांच समिति इस बात की भी जांच करेगी कि 2019 में भारतीय नागरिकों के व्हाट्सएप खातों में सेंध का मामला उजागर होने के बाद सरकार ने क्या कदम उठाए? समिति यह भी पता लगाएगी कि क्या भारत के नागरिकों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए भारत सरकार किसी राज्य सरकार या किसी भी केंद्रीय या राज्य एजेंसी ने पेगासस खरीदा था? पेगासस जासूसी कांड से यह संदेह पुख्ता हुआ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में सरकार नागरिकों के निजता के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी को प्रभावित कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर तो अदालत दखल भी नहीं देती पर मामला नागरिकों की निजता के अधिकार से जुड़ा है, इसलिए अदालत ने भी इसकी निष्पक्ष जांच करवाना जरूरी समझा। उम्मीद की जा सकती है कि अंतत अब इस मामले की सच्चाई सामने आ सकेगी।

पुलिसकर्मियों को दौड़ाकर मारी गोलियां

इस्लामाबाद की ओर बढ़ रही तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों का लाहौर से करीब 50 किलोमीटर दूर साधोक में पुलिस से जबरदस्त खूनी टकराव हुआ। यहां टीएलपी समर्थकों पर लाठीचार्ज किया गया। टीएलपी कार्यकर्ताओं ने एके-47 व अन्य ऑटोमैटिक हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। इससे पुलिसकर्मियों में भगदड़ मच गई और कट्टरपंथियों ने पुलिसकर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर गोली मारी। कुछ ही देर में दर्जनों पुलिस वाले घायलावस्था में जमीन पर गिरकर तड़पने लगे। पुलिस ने भी मोर्चा संभाला और गोली का जवाब गोली से दिया। सूचना मिलते ही हेलीकॉप्टर से सुरक्षा बल का दस्ता पहुंचा व हालात काबू करने के लिए उन्होंने ऊंचाई से ही फायरिंग की। मांगें पूरी न होने के विरोध में साधोक व गुजरांवाला के बीच जीटी रोड पर तीन दिन से धरना दे रहे प्रतिबंधित टीएलपी के 10 हजार समर्थकों ने बुधवार को इस्लामाबाद की ओर मार्च शुरू किया था। संगठन फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद की विवादित तस्वीर बनाए जाने के विरोध में वहां के राजदूत को पाकिस्तान से निकालने की मांग कर रहा था। अप्रैल में संगठन के संस्थापक खादिम रिजवी के बेटे साद रिजवी को गिरफ्तार किया गया था। पंजाब पुलिस के अनुसार बुधवार की घटना में चार पुलिस अधिकारी मारे गए हैं। 263 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, 10 हजार पुलिसकर्मियों को लाहौर बुलाकर तैनात किया गया है। आतंकवादी व कट्टरपंथी ताकतों को भड़का कर पड़ोसी देशों को अशांत करने की कोशिश करने वाला पाकिस्तान अब खुद ही अपना दामन जला रहा है। बुधवार को कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों और पुलिस टकराव में चार पुलिस अफसरों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। घटना में सैकड़ों लोगों के घायल होने की खबर बताती है कि यह संघर्ष कितना बड़ा हुआ होगा।

43 करोड़ का इनामी ड्रग्स तस्कर गिरफ्तार

कोलंबिया में सर्वाधिक वांछित में शुमार और देश के बड़े ड्रग्स तस्कर गिरोह के खूंखार सरगना डायरो एंटोनियो यूसुगा उर्प ओटोनियल को वहां के सैन्य बलों ने गिरफ्तार कर लिया है। कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक ने शनिवार को खुद यह जानकारी दी। ड्यूक देश में आतंकी हिंसा रोकने की कोशिशों में लगातार जुटे हुए हैं। कोलंबिया ने यूसुगा के बारे में जानकारी देने पर आठ लाख डॉलर (करीब छह करोड़ रुपए) और अमेरिका ने 50 लाख डॉलर (करीब 37 करोड़ रुपए) के इनाम की घोषणा की थी। 50 वर्षीय यूसुगा कोलंबिया के हिंसक ड्रग्स तस्करी गिरोह क्लान डेल गोल्फो का सरगना है, जो कोकीन की तस्करी के लिए यह गिरोह अमेरिका के निशाने पर रहा है। राष्ट्रपति ड्यूक ने यूसुगा को दुनिया का सबसे खूंखार ड्रग्स तस्कर करार देते हुए उसे कई पुलिस अधिकारियों, सैनिकों और राजनेताओं की हत्याओं का जिम्मेदार बताया। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहाöहमारे देश में इस सदी में ड्रग्स तस्करी से निपटने में यह सबसे करारा प्रहार है। इसकी तुलना सिर्प 1990 में पाब्लो एस्कोबार के पतन से की जा सकती है। राष्ट्रीय पुलिस के मुताबिक यूसुगा की गिरफ्तारी सुदूरवर्ती पहाड़ों से की गई है और इस कार्रवाई में 34 वर्षीय एक अधिकारी की मौत हुई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने उसे हथियारबंद और बेहद हिंसक गिरोह का नेता करार दिया है, जिसमें आतंकी समूह के सदस्य भी शामिल हैं। क्लान डेल गोल्फो ड्रग्स तस्करी के मागरें कोकीन प्रसंस्करण की प्रयोगशालाओं और गुप्त हवाई पट्टियों पर नियंत्रण के लिए हिंसा और डराने-धमकाने की तरकीबों का इस्तेमाल करता है। उसकी गिरफ्तारी के लिए 500 जवानों, 22 हेलीकॉप्टरों को लगाया गया था। बता दें कि यूसुगा पर कुल मिलाकर 43 करोड़ रुपए का इनाम है। इस लिहाज से तो यह दुनिया का सबसे खूंखार ड्रग्स तस्कर है। -अनिल नरेन्द्र

Friday 29 October 2021

लालू प्रसाद यादव बनाम नीतीश कुमार

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कहा कि आज की राजनीतिक परिस्थितियों में उपचुनाव की दोनों सीटों कुशेश्वरस्थान और तारापुर का बहुत महत्व है। मैं प्रचार करने जाऊंगा। मैं नीतीश-एनडीए सरकार के विसर्जन के लिए आया हूं। वैसे तेजस्वी ने बिहार में विरोधियों को बांटकर छोड़ दिया है। हम जद(यू) को हराएंगे तो निश्चित रूप से उनके यहां भगदड़ मचेगी और हम लोग सरकार बनाएंगे। सवा चार साल बाद बुधवार को पहली आमसभा करने तारापुर जा रहे लालू प्रसाद यादव ने कहा कि कुशेश्वरस्थान सीट के लिए कांग्रेस नेता अशोक राय दिल्ली में उनसे मिलने आए थे और अपने बेटे को राजद का टिकट देने की गुहार कर रहे थे। उन्हें मना कर दिया, क्योंकि वहां राय का कोई प्रभाव नहीं है तो वो गठबंधन ही तोड़ने लगे। लालू प्रसाद यादव के साथ जाने की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि जब एम्स में उनका इलाज चल रहा था तब सभी दलों के नेताओं ने तबीयत के बारे में पूछताछ की पर नीतीश कुमार ने कभी भी फोन करने की जहमत नहीं उठाई। लाल प्रसाद यादव ने कांग्रेस-राजग गठबंधन खत्म होने पर कहा कि देश में कांग्रेस ही विकल्प है। लेकिन बिहार में उसके सब छुटभैया नेता हैं। दिल्ली में भक्त चरण दास का क्या मूल्य है। उन्हें जानता कौन है। वो कांग्रेस की नौकरी करने वाले छुटभैया नेता हैं। फिर कहाöपरेशानी तब शुरू होती है जब बिहार में कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि नीतीश के पास मुझसे ज्यादा वोट हैं। पहले भी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा ने दिवंगत कांग्रेस नेता सदानंद सिंह को अकेले लड़ने के लिए मना लिया था। क्या हुआ, पूरा बिहार जानता है। यह भी सच है कि कांग्रेस के लिए हमने जितना किया है, उतना किसी ने नहीं किया। लालू प्रसाद के जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहाöलालू जी, मुझको गोलियां (गोली) मरवा दें। सबसे अच्छा यही होगा। बाकी कुछ नहीं कर सकते हैं। अगर चाहें तो गोली मरवा दें। समझ गए न। नीतीश मंगलवार को कुशेश्वरस्थान व तारापुर की चुनावी सभाओं को संबोधित कर लौटने के बाद पटना हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उनसे पूछा गया था कि लालू जी बोले हैं कि हम आए ही हैं नीतीश का विसर्जन करने के लिए। नीतीश कुमार ने हंसते हुए, हाथ जोड़ते हुए कहाöछोड़िए न करें गोलियां मरवा दें। प्रचार के लिए लालू जी भी जा रहे हैं, इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहाöजाएं न भाई। सबको जाने का अधिकार है। इसमें हम लोगों को क्या करना है? जनता ही मालिक है। सीएम ने कहाöकिसी को कुछ पता चलता है। खाली बोलता है। हम पर बोलेगा तभी न पब्लिसिटी मिलेगी, बोलो, करो जो इच्छा है करो। हम लोगों को कोई चिंता नहीं, कोई परवाह नहीं। हम लोग जनता की सेवा करते हैं। सेवा करन ही हमारा धर्म है। लालू प्रसाद काफी अरसे के बाद बिहार लौटे हैं। देखना अब यह होगा कि इन दो उपचुनावों पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है?

चीन मस्जिदों से हटा रहा गुंबद व मीनारें

चीन ने उत्तर-पश्चिमी प्रांत के शिनिंग शहर स्थित डोंगगुआन मस्जिद के गुंबद और मीनारों को हटा दिया है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार इसे और अधिक चाइनीज स्वरूप देना चाहती है। चीन सरकार का कहना है कि यह सब कुछ इसलिए किया गया है ताकि मस्जिद पर मध्य-पूर्व एशिया का कथित इस्लामीकरण न दिखे, इसे ज्यादा चाइनीज लगना चाहिए। चीन ने अपने देश की मस्जिदों से इस्लामी वास्तुकला के प्रतीकों जैसे गुंबद और मीनारों को 1990 के दशक से हटाना शुरू कर दिया था। शुरुआत में मस्जिदों के पास बसी आबादी को हटाया गया। फिर वहां का वास्तुशिल्प बदलना शुरू किया गया। वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौर में यह कार्रवाई और बढ़ी है। जिनपिंग ने इस अभियान को सांस्कृतिक एकीकरण का नाम दिया है। इसके तहत अन्य धर्मों को मानने वाले और संस्कृति वाले समुदायों से जुड़े हुए प्रतीकों को हटाने का काम शुरू किया गया। ऐसी कार्रवाई क्यों कर रहा है चीन? चीन को अपने पश्चिमी क्षेत्र में मुस्लिमों विशेषकर उइगरों से विरोध झेलना पड़ता रहा है। चीन ने धार्मिक प्रतिबंधों को और कड़ा किया है जिससे सरकार को कोई चुनौती नहीं मिल सके। पिछले दो वर्षों में चीन ने कई मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं को बंद कर इमामों को गिरफ्तार किया है। तिब्बत के साथ रनर मंगोलिया क्षेत्र के स्कूलों में अब केवल चीन की मंदारिन भाषा में पढ़ाई होती है। शिनिंग में गत 1300 साल से हुई मुस्लिम रह रहे हैं। इनकी आबादी लगभग 11 करोड़ है। चीन ने सोवियत मॉडल पर अपने देश में रहने वाले धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को 55 वर्गों में बांटा है।

सूडान में तख्ता पलट, पीएम गिरफ्तार

सूडान में सेना ने तख्ता पलट कर दिया है और सेना के सबसे प्रमुख जनरल ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इससे पहले देश के अंतरिम प्रधानमंत्री और सरकार की कैबिनेट के कमोबेश सभी सदस्यों को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया। सूचना मंत्रालय के फेसबुक पेज के अनुसार सूडान में बड़े पैमाने पर इंटरनेट स्लो कर दिया गया है। सुरक्षा बलों ने पुलों को बंद कर दिया है। प्रधानमंत्री अब्दाला हमदोक कहां हैं, यह अभी तक किसी को पता नहीं है। देश का सरकारी चैनल फिलहाल टीवी पर देशभक्ति का परंपरागत संगीत बजा रहा है। टीवी पर दिए संबोधन में सूडानी सेना के जनरल अब्देल फताह बुरहान ने घोषणा की है कि देश की सत्तारूढ़ संप्रभु परिषद को भंग कर दिया गया है, साथ ही प्रधानमंत्री हमदोक के नेतृत्व वाली सरकार को भी खत्म कर दिया गया है। मुख्य लोकतांत्रिक समर्थक संगठन और सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी ने सूडानी जनता से सड़कों पर उतर कर सैन्य तख्ता पलट का विरोध करने को कहा है। सूडान में तख्ता पलट इस देश के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। ब्रिटिश शासन से 1956 में आजादी मिलने के बाद करीब आठ बार तख्ता पलट हो चुका है। दो साल पहले ही देश के लंबे समय तक शासक उमर-अल-बशीर को हटाया गया था। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 28 October 2021

विवादों में घिरते समीर वानखेड़े

बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान से जुड़े ड्रग्स मामले में एक नया मोड़ आ गया है। इस केस में आरोप-पत्यारोप और बयानबाजी का सिलसिला काफी पहले से चल रहा है, लेकिन एक नया मोड़ तब आया जब एक गवाह ने यह कहा कि उससे कोरे कागज पर यह लिखवाया कि वह मौके पर मौजूद नहीं था, एनसीबी (नार्केटिक्स कंट्रोल बोर्ड) अधिकारियों की कार्यपणाली पर पश्न जरूर खड़े करता है। मामले में गवाह किरण गोस्वामी के सुरक्षा गार्ड पभाकर सैल ने समीर वानखेड़े पर रिश्वत मांगने के आरोप लगाए हैं। उसके मुताबिक उसने आर्यन को छोड़ने के एवज में 25 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगे जाने की बात सुनी थी। हालांकि आखिर में डील 18 करोड़ रुपए में तय हो गई थी। इसमें से 8 करोड़ रुपए वानखेड़े को दिए जाने थे। वानखेड़े ने सोमवार को मुंबई की एक अदालत में हलफनामा देकर कहा- मुझे झूठे आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है। क्योंकि मैं जिस केस की जांच कर रहा हूं, उसमें कुछ लोगों के निजी हित आड़े आ रहे हैं। वे नहीं चाहते कि ईमानदारी से जांच हो। इसलिए वह लोग मेरी दिवंगत मां तक को निशाना बना रहे हैं। लेकिन कोर्ट ने वानखेड़े की अर्जी खारिज करते हुए कहा- हम कुछ नहीं कर सकते। वहीं महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने वानखेड़े का जन्म पमाण पत्र दिखाया। इसमें उनका नाम समीर दाउद वानखेड़े लिखा है। मलिक ने लिखा जालसाजी यहां से शुरू हुई थी। नवाब की पार्टी एनसीपी ने यह भी कहा कि वानखेड़े ने पहले एक मुस्लिम डॉक्टर से निकाह किया था। फिर उनसे तलाक लेकर मराठी अभिनेत्री कांति रेडकर से शादी की। वहीं वानखेड़े ने जवाब में कहा मेरे पिता ज्ञानदेव काथरुजी वानखेड़े राज्य सरकार के आबकारी विभाग में वरिष्ठ निरीक्षक थे। वह हिंदू हैं और मेरी मां जाहिदा मुस्लिम थीं। मैं धर्मनिरपेक्ष परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मैंने 2006 में विशेष विवाह अधिनियम-1954 के तहत डॉक्टर शबाना कुरैशी से शादी की थी। हम दोनों ने 2016 में तलाक ले लिया। 2017 में मैंने कांति रेडकर से शादी की। एनसीपी पवक्ता व राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक के बारे में कहा- वह मुझे निजी तौर पर निशाना बना रहे है। क्योंकि मैंने उनके दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था। एनसीबी ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले के सबूतों के साथ छेड़छाड़ और जांच पभावित नहीं होनी चाहिए। सत्र न्यायालय में सोमवार को दो हलफनामे दाखिल किए गए। एक एनसीबी की ओर से और दूसरा गवाह पभाकर सैल के आरोप से संबंधित है। इस पर जज पाटिल ने कहा, हम इस तरह अभी कोई आदेश नहीं दे सकते। संबंधित अदालत उचित वक्त आने पर ही कोई फैसला सुना सकती है। मामला अभी बाम्बे हाई कोर्ट में विचाराधीन है और आर्यन खान की जमानत पर वहां सुनवाई होनी है। हम अभी इस मामले में कोई आदेश नहीं दे सकते। नवाब मलिक ने यह भी कहा कि समीर के पिता का नाम दाउद वानखेड़े है, इससे जन्म पमाण पत्र में जो छेड़छाड़ की और पिता ने धर्म परिवर्तन कर जो नाम बदला था उसे दुरुस्त कर नौकरी पाई। एनसीबी के डीडीजे ज्ञानेश्वर सिंह ने कहा कि उन्हें सैल का हलफनामा और मुंबई में तैनात दक्षिण-पश्चिम जोन की डीडीजी की fिरपोर्ट मिली है। एनसीबी की महानिदेशक ने इसे सतर्पता शाखा को भेजा है। एनसीबी पेशेवर संगठन है, इसके स्टाफ पर लगे किसी भी आरोप की जांच पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होगी।

फेकबुक की शक्ल ले चुका फेसबुक

वैसे तो पूरी दुनिया में फेसबुक पर फर्जी खबरों और भड़काऊ सामग्री को अनदेखा करने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन, भारत में यह प्लेटफार्म साफ तौर पर फेकबुक (फर्जी सामग्री की पुस्तक) की शक्ल ले चुका है। यह निष्कर्ष किसी और ने नहीं निकाला, बल्कि फेसबुक की ही एक दर्जन अंदरूनी fिरपोर्ट और उच्च सूत्रांs का है। यह अध्ययन फेसबुक के कर्मचारियों और शोधकर्ताओं ने किया है। समाचार संस्थानों के एक वैश्विक समूह ने फेसबुक पेपर्स के नाम से यह सारी जानकारी सार्वजनिक की। इस समूह में द न्यूयार्प टाइम्स भी शामिल है। फेसबुक की पूर्व डायरेक्टर मैनेजर फांसेस हॉजेन ने इन रिपोर्टों, अध्ययनों के दस्तावेज जुटाए हैं, इनके आधार पर वह लगातार फेसबुक की कार्य-संस्कृति, अंदरूनी खामियों आदि से जुड़े खुलासे कर रही हैं। उनके द्वारा सार्वजनिक किए गए फेसबुक पेपर्स के मुताबिक भारत में फर्जी एकाउंट्स से झूठी खबरों के जरिए चुनावों को पभावित किया जाता है। इसकी पूरी जानकारी फेसबुक को है। लेकिन उसके पास इतने संसाधन ही नहीं कि वह इस गड़बड़ी को रोक सके। इस तरह की सामग्री को रोकने के लिए कंपनी ने जितना बजट तय किया है, उसका 87 पतिशत सिर्प अमेरिका में खर्च होता है। फेसबुक की पवक्ता एंडी स्टोन भी मानती हैं कि भारत में इस तरह की दिक्कतें हैं। लेकिन वह यह दावा भी करती हैं कि इसे नियंत्रित करने के लिए तकनीक उन्नत कर रहे हैं। भारत में आपत्तिजनक सामग्री के पचार पसार के बारे में फेसबुक को सब पता है पर इसे पसारित करने वाले संगठनों पर कार्रवाई से डरता है। क्योंकि ऐसे अधिकांश संगठन राजनीतिक तौर पर सकिय हैं। मसलन धर्म के आधार पर बने एक संगठन को फेसबुक ने खतरनाक बताने की तैयारी की है। मगर कुछ किया नहीं है। फेसबुक का फीचर पॉप्युलर अकास ऐसी-ऐसी सामग्री दिखा रहा था, जिसकी कहीं पुष्टि नहीं की गई थी। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन बातों पर गहराई से नजर रखे और सोशल मीडिया को भ्रामक सूचनाएं फैलाकर समाजिक तानाबाना छिन्न-भिन्न करने से रोके।

10 देशों के राजनयिकों को देश से निकाला

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने शनिवार को अमेरिकी राजदूत सहित 10 देशों के शीर्ष राजनयिकों को अवांछित व्यक्ति घोषित करने का आदेश दिया। 18 अक्टूबर को बयान में अमेरिका के साथ कनाडा, डेनमार्प, फांस, जर्मनी, नीदरलैंड, नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड और न्यूजलैंड के शीर्ष राजनयिकों ने उस्मान कवाला को रिहा करने की अपील की थी। उन्होंने कवाला की तुरंत रिहाई व मुकदमे के न्यायपूर्ण निपटारे पर जोर दिया था। कवाला तुर्की में मानवाधिकार समूह की मदद करते रहे हैं और देशद्रोह जैसे आरोपों में चार साल से जेल में है। कवाला को 2013 में राष्ट्रव्यापी सरकार विरोधी पदर्शनों से जुड़े आरोपों में पिछले साल बरी कर दिया गया था। लेकिन बाद में फैसले को पलटकर उन्हें 2016 के सत्ता पलट के पयासों से जुड़े आरोपों में घसीट लिया गया। एर्दोगान ने से राजनयिकों के बयान को धृष्टता करार देते हुए एक पश्चिम शहर एस्किसेर में एक रैली में कहा-मैंने अपने विदेश मंत्री को निर्देश दिया कि आप इन 10 संबंधित अवांछित व्यक्ति घोषित किए गए राजदूतों के मामले का तुरंत निपटारा करें। संबंधित घोषित राजनयिकों में नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्प, स्वीडन, फिनलैंड, नार्वे और न्यूजीलैंड के राजनयिक भी शामिल हैं। असल में किसी भी राजनयिक को अवांछित व्यक्ति घोषित करने का मतलब यही होता है कि वह मेजबान देश में आगे नहीं रह सकता है। वहीं यूरोप की परिषद का कहना है कि कवाला को रिहा नहीं किया गया तो नवम्बर के अंत में तुर्की पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की जाएगी। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 27 October 2021

सवाल सीबीआई की साख का

सीबीआई डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है, उससे न केवल इस जांच एजेंसी के कामकाज की मौजूदा स्थिति स्पष्ट होती है बल्कि उन अड़चनों का भी पता चलता है जिनका इसे सामना करना पड़ता है। बता दें कि एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की बैंच ने तीन सितम्बर को कहा था कि सीबीआई चीफ एजेंसी के कामकाज का पूरा ब्यौरा पेश करें ताकि यह अंदाजा हो सके कि पिछले 10 वर्षों के दौरान मामले दर्ज करने और उन्हें सुलझाने के लिए एजेंसी कितनी कामयाब रही है। हलफनामे में सीबीआई ने दावा किया है कि अपराधियों के खिलाफ फौजदारी मामलों में 65 से 70 प्रतिशत केस सजा में तब्दील हुए हैं। यह दर अगले साल तक 75 प्रतिशत तक चली जाएगी। ज्यादा सटीकता से कहा जाए तो 2011 से 2014 तक कन्विकशन रेट 67 प्रतिशत से 69 प्रतिशत तक पहुंचाई जा सकी, उसके बाद 2015 में अचानक यह गिरकर 65.1 प्रतिशत पर आ गई, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 2020 में 69.8 प्रतिशत तक आई। साल 2015 में आई इस अचानक गिरावट की वजहें साफ नहीं हो पाईं। लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि सीबीआई चीफ इसे अगले साल 75 प्रतिशत तक ले जाने का इरादा रखते हैं। उसने कहा कि पुराने दिशानिर्देश के स्थानों पर नए दिशानिर्देश जारी किए गए जिससे सीबीआई के लिए ऊपरी अदालतों में अपील दायर करने एवं उन पर नजर रखने से संबंधित विषयों पर निगरानी पर जोर दिया गया। सीबीआई ने कहा कि फिलहाल आठ राज्योंöपश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा छह के तहत सीबीआई को दी गई आम मंजूरी वापस ले ली है जिससे मामले दर मामले पर इन राज्यों से सहमति प्राप्त करने में वक्त बहुत लग जाता है और यह त्वरित जांच के रास्ते में रुकावट है। सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता मोहम्मद अलताफ मोहंद और शेख मुबारक के मामले में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा है। यह अपील 542 दिन के विलंब से दायर की गई थी। बहरहाल सीबीआई का कन्विकशन दर के मौजूदा आंकड़े भी कम नहीं कहे जा सकते। खासकर जब एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक आईपीसी के तहत दर्ज किए गए मामलों में कन्विकशन रेट 2020 में 59.2 प्रतिशत ही रहा है। विशेषज्ञ के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि हलफनामे में कन्विकशन रेट तय करने का आधार ऊपरी अदालतों के अंतिम निर्णय को बनाया गया है या निचली अदालतों के शुरुआती फैसलों को? हलफनामे में सीबीआई ने अदालतों से स्टे ऑर्डर जारी किए जाने और कई राज्यों द्वारा सीबीआई को मिली जांच करने की आम इजाजत वापस लिए जाने जैसी अड़चनों का भी जिक्र है, जो कुछ हद तक जायज है। सीबीआई पर आमतौर पर आरोप लगता है कि वह मौजूदा सरकार के आदेशों पर काम करती है। एजेंसी को तो यहां तक कहा गया है कि यह पिंजरे में बंद तोता है। जिस तरह से कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सरकार के इशारे पर यह एजेंसी अपना रुख तय करती है। वह इसकी साख बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। अकसर मांग की जाती है कि एजेंसी को स्वायत्त बनाना चाहिए पर कटु सत्य यह है कि कोई भी सरकार चाहे किसी पार्टी की हो, यह करने को तैयार नहीं है।

पुतिन का बयान क्या भारत के लिए झटका है?

रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि तालिबान को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से हटाना संभव है। लेकिन साथ में पुतिन ने यह भी कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर होना चाहिए। पुतिन ने गत दिनों इंटरनेशनल वलवाची डिक्शन क्लब की समग्र बैठक में कहा, जाहिर है कि तालिबान के हाथ में ही पूरा अफगानिस्तान का नियंत्रण है। हमें उम्मीद है कि तालिबान अफगानिस्तान में सकारात्मक माहौल को सुनिश्चित करेगा। तालिबान को लेकर हमें सहमति से फैसला लेना चाहिए। हम तालिबान को आतंकवाद की लिस्ट से हटाने के फैसले पर विचार करेंगे। हम इस फैसले के करीब पहुंच रहे हैं। पुतिन ने कहा कि रूस इस मामले में सावधानी से आगे बढ़ रहा है। रूसी राष्ट्रपति ने कहाöलेकिन तालिबान को लेकर फैसला प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। जिस प्रक्रिया के तहत इसे आतंकवादियों की लिस्ट में डाला गया था, उसी प्रक्रिया के तहत उसे इस लिस्ट से बाहर निकालना चाहिए। तालिबान को आतंकवादी संगठनों की लिस्ट से बाहर करने के मामले में पुतिन ने कहा कि इस प्रक्रिया में केवल रूस नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि तालिबान के प्रतिनिधियों को मॉस्को बुलाया और उनके साथ लगातार सम्पर्प में हैं। उधर रूस में अफगानिस्तान पर वार्ता के लिए आयोजित मॉस्को फॉर्मेट भी सम्पन्न हो गया है। कहा जा रहा है कि भारत, मॉस्को फॉर्मेट की ओर से जारी बयान से बहुत खुश नहीं है। मॉस्को फॉर्मेट के बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान एक नई हकीकत है और रूस देश से संबंधों में भी इसका ध्यान रखना होगा। लेकिन तालिबान की एक छवि यह है कि वो पाकिस्तान परस्त है। ऐसे में मॉस्को फॉर्मेट के इस बयान को भारत के पक्ष में नहीं माना जा रहा है। इस बीच रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह कह दिया कि तालिबान को आतंकवादियों की सूची से बाहर किया जा सकता है। भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने मॉस्को फॉर्मेट के बयान को लेकर कहा है, मॉस्को फॉर्मेट के बयान से साफ है कि तालिबान को असली हुक्मरान मान लिया गया है। इस फॉर्मेट में कहा गया है कि तालिबान के साथ ही अब वार्ता होगी। समावेशी सरकार की भी बात कही गई है। अब तालिबान को इस बात का अंदाजा हो गया है कि हर कोई उनसे बात करने को तैयार है। संयुक्त राष्ट्र के तहत एक समिट बुलाने की भी बात कही गई है। मॉस्को फॉर्मेट वार्ता रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित की गई थी। इस वार्ता में रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्पमेनिस्तान और अजबेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसके अलावा इस वार्ता में अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल उप-प्रधानमंत्री मवलावी अब्दुल सलाम हनाफी के नेतृत्व में आया था। कहा जा रहा है कि मॉस्को फॉर्मेट के बयान में भारत को असहज करने वाली बात यह हैöअफगानिस्तान के साथ संबंधों को अब नई हकीकत को ध्यान में रखना होगा। तालिबान अब सत्ता में है, भले ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान को मान्यता दे या न दे।

ब्रेन डेड मरीज में सूअर किडनी का ट्रांसप्लांट

न्यूयॉर्प में मैनहैटन ने एनवाईयू लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने अंग प्रत्यारोपण की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की है। दरअसल यहां के सर्जनों ने एक ब्रेन डेड मरीज में सूअर की विकसित किडनी सफलतापूर्ण प्रत्यारोपित की। इस प्रत्यारोपण के बाद मरीज के सभी अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। इस मरीज की किडनी ने काम करना बंद कर दिया था और लाइफ सपोर्ट हटाने से पहले डॉक्टरों ने उनके परिवार वालों से इस प्रयोग की अनुमति मांगी थी। एनवाईयू के डायरेक्टर डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी ने इस अभूतपूर्व सफलता के बाद कहा कि सूअर के अंगों को आनुवांशिक रूप से बदलकर उसका उपयोग अंग ट्रांसप्लांट की दिशा में एक स्थायी स्रोत बन सकता है। इस सफलता के बाद मानव शरीर में आर्गन ट्रांसप्लांट करने के लिए मानव अंगों की गंभीर कमी को दूर किया जा सकेगा। मरीज पर सभी प्रकार के टेस्ट करने के बाद डॉक्टरों का कहना है कि मानव शरीर में सूअर की किडनी अच्छे से काम कर रही है। शरीर के इम्यून सिस्टम ने तत्काल सूअर के इस अंग को खारिज नहीं किया। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब मानव शरीर में किसी दूसरे प्राणी की किडनी का सफल ट्रांसप्लांट किया गया हो। डॉक्टरों ने इस पूरी प्रक्रिया को सामान्य करार दिया है। यह रिसर्च रिपोर्ट किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुई है। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 26 October 2021

अंबानी की फाइल पास करने के लिए 300 करोड़ का ऑफर

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद पर आसीन थे, तब अंबानी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक व्यक्ति की फाइल को पास करने की एवज में उन्हें 300 करोड़ रुपए की घूस का प्रस्ताव किया गया था। उन्होंने साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उस वक्त पीएम ने उनसे कहा था कि वह भ्रष्टाचार से कोई समझौता न करें और उन्हें समर्थन भी किया था। राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम के दौरान गुरुवार को सत्यपाल मलिक ने कहाöकश्मीर जाने के बाद मेरे पास दो फाइलें आई थीं। एक अंबानी की फाइल और दूसरी संघ से जुड़े एक शख्स की थी, जो पिछली महबूबा मुफ्ती और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री थे। वो पीएम मोदी के भी बेहद करीबी थे। मलिक ने आगे कहाöमुझे सचिवों ने सूचना दी कि इसमें घोटाला है और फिर मैंने बारी-बारी से दोनों डीलें रद्द कर दीं। सचिवों ने सूचना दी थी कि दोनों फाइलों के लिए उन्हें 150-150 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। उनसे मैंने कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामों के साथ आया हूं और सिर्प उन्हीं के साथ यहां से जाऊंगा। मलिक के इस बयान की वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई है। बताया जा रहा है कि मलिक सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स व पत्रकारों के लिए लाई गई एक ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी एक फाइल का जिक्र कर रहे थे, जिसके लिए सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से डील की थी। सत्यपाल मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कश्मीर में है। उधर पीपुल्स डेमोकेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल व मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को शुक्रवार को कानूनी नोटिस भेज 10 करोड़ रुपए मुआवजा मांगा है। इसके लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है। महबूबा ने सत्यपाल मलिक को यह नोटिस उन पर लगाए गए आरोपों के बाद भेजा है। सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल थे। अकसर विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रहने वाले सत्यपाल मलिक ने बीते दिनों कहा था कि महबूबा ने भी रोशनी योजना का लाभ उठाया है। रोशनी योजना के तहत सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बैठे आम लोगों को कम कीमत पर संबंधित जमीन का मालिकाना अधिकार देना था। इससे जो पैसे जमा होता, उसका इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में बिजली संकट दूर करने के लिए होना था। सत्यपाल ने दावा किया है कि रोशनी योजना के तहत फारुख अब्दुल्ला और महबूबा ने भूखंड प्राप्त किए हैं। उन्होंने रोशनी अधिनियम को रद्द करने का श्रेय लेते हुए कहा कि मेरे कारण जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। भारत सरकार के लिए सिटिंग राज्यपाल द्वारा इतने गंभीर आरोप लगाना साधारण नहीं है। इन मामलों की बारीकी से जांच होनी चाहिए और तथ्य जनता के सामने आने चाहिए। मोदी सरकार जो भ्रष्टाचार को खत्म करने का दावा करती है उसी के एक अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों से मोदी सरकार के दावे की धज्जियां उड़ रही हैं। अधिकारियों के साथ एक मंत्री और आरएसएस से जुड़े लोगों की हरकतों का पर्दाफाश करना चौंकाने वाला है।

कैप्टन की पाकिस्तानी दोस्त पर सियासी बवाल

पाकिस्तानी पत्रकार और पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की महिला मित्र अरूसा आलम के लंबे समय से भारत में रहने के मुद्दे पर पंजाब की सियासत में फिर उबाल आ रहा है। अरूसा के पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ कथित कनेक्शन की जांच के आदेश देने के बाद पंजाब के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा खुद ही सवालों के घेरे में हैं। शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट कर जांच के आदेशों की जानकारी दी। लिखाöअरूसा आलम के पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ कथित कनेक्शन की जांच के आदेश पंजाब पुलिस के डीजीपी इकबाल प्रीत सहोता को दिए हैं। लोगों ने ट्विटर पर उन्हें घेर लिया और सवाल करने लगे कि उन्हें साढ़े चार साल बाद अब क्यों याद आई। थोड़ी देर बाद रंधावा ने ट्वीट डिलीट कर दिया। बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाई कमान ने रंधावा को दिल्ली तलब कर लिया है। कैप्टन ने पलटवार करते हुए रंधावा को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने ट्वीट कर पूछाöरंधावा किस पर अंगुली उठा रहे हैं। अरूसा 16 साल से भारत आ रही हैं और इस दौरान केंद्र में कांग्रेस गठबंधन की सरकार भी थी। तब भी अरूसा केंद्र सरकार की अनुमति लेने के बाद आती थीं और उसके बाद भी केंद्र की इजाजत से ही आती रही हैं। कैप्टन ने लिखाöरंधावा पहले तो यह स्पष्ट करें कि वह अपनी ही कांग्रेस सरकार के फैसले पर अंगुली उठा रहे हैं या मौजूदा केंद्र सरकार पर? त्यौहारों के समय जब पंजाब बॉर्डर पार से सुरक्षा को लेकर हाई रिस्क पर है तो इस प्रकार की जांच में पंजाब के डीजीपी को उलझा कर रंधावा क्या करना चाह रहे हैं? पाकिस्तानी पत्रकार अरूसा 2006 में जालंधर में पंजाब प्रेस क्लब के उद्घाटन समारोह के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिली थीं। वह जालंधर प्रेस क्लब के आमंत्रण पर आई थीं। इसके कुछ दिनों बाद ही कैप्टन और अरूसा की मित्रता को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने कैप्टन पर सवाल खड़े किए थे। कई बार दोनों के फोटो भी वायरल किए गए। शिअद इसे लगातार मुद्दा बनाता रहा, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कभी इसकी परवाह नहीं की।

विक्की कौशल की फिल्म ने मचाया उधम

विक्की कौशल इस समय अपनी फिल्म सरदार उधम सिंह की कामयाबी को लेकर एन्जॉय कर रहे हैं। अब विक्की ने सोशल मीडिया के जरिये अपने फैंस और दर्शकों को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद दिया है। विक्की कौशल की फिल्म सरदार उधम सिंह को आईएमबीडीबी पर 9.2 रेटिंग मिली है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर फिल्म का पोस्टर शेयर कर इस बात की जानकारी दी है। इसके साथ ही लिखा है कि 9.2! आप सबने तो उधम मचा दिया। सरदार उधम सिंह को इतना प्यार देने के लिए आप सबका दिल से आभार। फिल्म जलियांवाला बाग का नरसंहार का बदला लेने के लिए माइकल ओ डायर जो तब पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर था, हालांकि गोलियां चलाने का आदेश रेजिनाल्ड डायर ने दिया था, को लंदन जाकर मारने वाले सरदार उधम सिंह के जीवन पर बनी यह फिल्म एक ऐसे क्रांतिकारी के जीवन और संघर्ष को सामने लाती है जिसके बारे में आज भी देश के लोगों को कम ही मालूम है। हालांकि उधम सिंह नाम को भारत की आजादी की लड़ाई से परिचित हर हिन्दुस्तानी जानता है पर जीवन में उनको किन हालातों से गुजरना पड़ा इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। फिल्म उसका थोड़ा-सा परिचय देती है लेकिन पूरी तरह से नहीं क्योंकि लगभग ढाई घंटे में आप कितना दिखा सकते हैं? फिर भी निर्देशक शुजित सरकार ने एक बड़ी कोशिश की है। इनके डायरेक्शन की जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी। फिर भी यह एक बड़ी कोशिश तो है ही, जलियांवाला बाग हत्याकांड को याद करने की भी और क्रांतिकारी उधम सिंह के जज्बे को सलाम करने की भी। विक्की कौशल ने इसमें उधम सिंह की भूमिका निभाई है और काफी हद तक वह अपने चरित्र के साथ न्याय करने में सफल रहे हैं। मैं इससे ज्यादा फिल्म के बारे में नहीं बताऊंगा क्योंकि मैं चाहता हूं कि तमाम देशवासी इसको जरूर देखें। सरदार उधम सिंह अमर रहें। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 24 October 2021

सबसे रोमांचक क्रिकेट मुकाबला

24 अक्तूबर को भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में टी-20 वर्ल्ड कप का मैच खेला जाएगा। ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा इसी मैच की है। चूंकि यूएई में भारत-पाकिस्तान दोनों ही देशों के लोगों की बड़ी आबादी है। इसके चलते यहां इस मैच का रोमांच सबसे अलग है। आम मजदूर से अरबपति तक अपने-अपने देश की टीम से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। इस मैच के सभी टूर पैकेज हाथोंहाथ बिक गए। बड़ी बात यह है कि मैच के लिए अमेरिका और कनाडा तक के लोगों ने पैकेज खरीदे हैं। दुबई की नामचीन ट्रेवल कंपनी दादाभाई के सुपरवाइजर एलिडस बताते हैं कि हमने मैच के टिकट के साथ एक रात स्टे वाले 500 पैकेज जारी किए थे। यह हाथोंहाथ बुक हो गए। एक पैकेज की कीमत 40,700 रुपए (2000 दिरहम) थी। दूसरी तरफ दुबई के रेस्तरां और बार भी लोगों को लुभाने के लिए नए-नए ऑफर ला रहे हैं। इनके मैन्यू में क्रिकेट छाया हुआ है। मसलन खानों का सेंचुरी पैक, हॉफ सेंचुरी पैक, फिक्स्ड ओवर मैन्यू आदि बनाए गए हैं। रेस्तरां ने भी फूड डिलीवरी की तैयारी की है, ताकि लोग घर बैठे मैच और लजीज व्यंजन का आनंद ले सकें। दूसरी तरफ भारत-पाक मैच के टिकट की बिक्री शुरू होते ही मिनटों में सभी टिकट बिक गए। शुरुआती 30 मिनट में वेटिंग 13 हजार के पार पहुंच गई। कई प्लेटफॉर्म पर टिकट चार से पांच गुना दाम पर बेचा जा रहा है। टिकट खत्म होने से मैच लाइव देखना कर्मचारियों के लिए दूर का सपना है। उनके इसी ख्वाब को पूरा करने के लिए क्रिकेट यूएई से मशहूर डेनयूब ग्रुप के वाइस चेयरमैन अनीस साजन ने लक्की ड्रॉ के जरिये 100 वर्कर्स को मैच के टिकट दिए हैं। अनीस कहते हैं कि हम सेमीफाइनल और फाइनल मैच के टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जो कर्मचारियों के लिए मैच देखने में काम आएंगे। टी-20 वर्ल्ड कप के लाइव ब्रॉडकास्टिंग पार्टनर 24 अक्तूबर के मैच के बीच 10-10 सैकेंड के स्लाट 25 से 30 लाख रुपए में बेच रहे हैं। रविवार को होने वाले टी-20 विश्व कप के मुकाबले की एक-एक गेंद पर लाखों रुपए बरसने जा रहा है। अनुमान के मुताबिक सिर्फ इस मैच पर विज्ञापन और टिकट के जरिये तकरीबन 120 करोड़ रुपए बाजार पर दांव लगा होगा। मुकाबले की हर गेंद 50 लाख रुपए में पड़ने वाली है। पूरे विश्व कप में यही एक ऐसा मुकाबला है जिसे लेकर बाजार में जबरदस्त मारामारी है। इसे आईसीसी और मुख्य प्रसारणकर्ता स्टार भी जानते हैं। आईसीसी पिछले कुछ विश्व कप से भारत का पहला मुकाबला पाकिस्तान से रखता आ रहा है। इससे उसे टूर्नामेंट के लिए आयोजक देश में ज्यादा दर्शक मिल रहे हैं। स्टार भी इस मैच के लिए तकरीबन 40 से 50 प्रतिशत का प्रीमियम वसूल रहा है। दुबई में होने वाले इस मैच की सारी टिकटें बिक चुकी हैं। सबसे सस्ती टिकट 150 दिरहम (करीब 3000 रुपए) की है जिसकी काला बाजारी एक लाख रुपए तक में हो रही है। आईसीसी ने इस मैच के लिए अन्य मुकाबलों की अपेक्षा टिकट के दाम भी ज्यादा रखे हैं। आम टिकट 3000, 6300 और 15,700 रुपए की है। इन्हीं टिकटों की काला बाजारी हो रही है। मुंबई से अपने दोस्तों के साथ शुक्रवार को दुबई रवाना हो रहे एक क्रिकेट-प्रेमी के मुताबिक उन्होंने 3000 रुपए का टिकट एक लाख रुपए में और 15 हजार रुपए का डेढ़ लाख रुपए में लिया है। इस मैच के हॉस्पिटेलिटी टिकट भी जारी किए हैं। इनकी कीमत 27 हजार, 63 हजार, एक लाख 90 हजार और दो लाख 33 हजार रुपए है। मैच की ऑनलाइन बुकिंग शुरू होने के दो घंटे बाद ही सब टिकट बिक गए।

भगोड़े नीरव मोदी को लगा एक और झटका

भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके दो सहयोगियों को अमेरिका की एक अदालत से झटका लगा है। नीरव मोदी व साथियों ने सर्दन डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क बैंकरपसी कोर्ट में धोखाधड़ी के आरोपों को निरस्त करने की अर्जी दी थी। इसे न्यायाधीश सीन एम लेन ने खारिज कर दिया। एक अदालती निर्देश पर फायरस्टार डायमंड फैंटेसी इंक और ए. जाफ कंपनियों के ट्रस्टी नियुक्त किए गए रिचर्ड लेविन ने नीरव और साथियों पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। पहले इन तीन कंपनियों का स्वामित्व नीरव मोदी के पास ही था। लेविन ने नीरव मोदी और उनके साथी मिहिर भंसाली व अजय गांधी से न्यूनतम 1.5 करोड़ डॉलर का मुआवजा भी मांगा है, ताकि कर्जदाताओं के नुकसान की भरपायी की जा सके। लेविन के मुताबिक नीरव व सहयोगियों ने छह वर्ष तक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग और गबन को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया, जिससे उनके कर्जदाताओं को भारी नुकसान हुआ है। भारतीय मूल के अधिवक्ता रवि बत्रा ने अदालत को 60 पन्नों के आदेश को समझाते हुए बताया कि नीरव ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और अन्य बैंकों से धोखे से एक अरब डॉलर कर्ज लेने के लिए योजनाबद्ध तरीके से मुनाफे को अतिरिक्त बिक्री के लिए इस्तेमाल कर कंपनी के बाजार मूल्यांकन को बढ़ाया और इसके आधार पर पीएनबी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी कर कर्ज लिया। इस धोखाधड़ी को छिपाने के लिए एक और फर्जीवाड़ा करते हुए ऋण की रकम को छिपा लिया।

इंटरनेट बैंकिंग के जरिये पैसा निकालने का प्लान

साइबर सेल ने बैंक से जुड़ी एक बड़ी जालसाजी का खुलासा किया है। साइबर सेल का दावा है कि उसने एक प्राइवेट बैंक के तीन स्टाफ समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। स्टाफ में एक महिला भी शामिल है। इन पर आरोप है कि इन्होंने एनआरआई के बंद पड़े अकाउंट में सेंध लगाने की कोशिश की। यह कोशिश एक-दो बार नहीं, बल्कि 66 बार की गई। बैंक कर्मचारियों को मोटी रकम देने का लालच दिया गया था। आरोपियों ने बैंक कर्मियों को 10-10 लाख रुपए देने का झांसा दिया था। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गाजियाबाद निवासी आर. जायसवाल, जी. शर्मा, ग्रेटर नोएडा निवासी ए. कुमार, हापुड़ निवासी ए. तोमर, गाजियाबाद निवासी एम. यादव, बुलंदशहर निवासी एसएल सिंह, गुरुग्राम निवासी एस. तंवर, झांसी निवासी एनके जाटव, बागपत निवासी एस. सिंह, रायबरेली निवासी डी. चौरसिया, गोंडा निवासी ए. सिंह व एक महिला के रूप में हुई है। डी. चौरसिया, ए. सिंह और महिला बैंक के कर्मचारी हैं। दरअसल एचडीएफसी बैंक ने इस मामले में शिकायत की थी। इसमें बताया गया कि उनके बैंक में एक एनआरआई का अकाउंट है। अकाउंट होल्डर की ओर से उसकी लेनदेन बंद है। खाते में मोटी रकम जमा है। पिछले कुछ दिनों से कुछ लोगों ने इस बैंक खाते में सेंध लगाने की कोशिश की। अलग-अलग जगहों से करीब 66 बार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की कोशिश की गई। खाताधारक की चेक से भी पांच-छह बार रकम निकालने की कोशिश की गई, लेकिन जालसाजी कामयाब नहीं हो सकी। साइबर सेल की टीम ने टेक्निकल व ह्यूमन इंटेलिजेंट के जरिये दिल्ली, यूपी और हरियाणा की 20 अलग-अलग जगहों से 12 लोगों को पकड़ा। पता चला कि एचडीएफसी बैंक में एक एनआरआई के खाते में मोटी रकम है। खाते का लेनदेन बंद है। खाते से मोटी रकम निकाल ली जाए तो खातेदार को शायद पता नहीं चलेगा। यही सोचकर बैंक कर्मियों ने पहले खाते की एक चेकबुक जारी करवाई। इसके बाद लेनदेन को भी शुरू करवाया। खाते में केवाईसी करवा उसमें एनआरआई अमेरिकी खाताधारक के मोबाइल नम्बर की जगह एक भारतीय नम्बर जोड़ दिया गया, जिसमें सिर्फ देश का कोड ही अलग था। बाकी नम्बर एक जैसा था। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 23 October 2021

उत्तराखंड में काल बने बादल

मानसून की विदाईं के बाद भीषण बारिश से हो रही जानमाल की क्षति बेहद चिंताजनक है। चूंकि जलवायु परिवर्तन का असर साफ-साफ दिखने लगा है, ऐसे में अगर अब भी पर्यांवरण मानकों के प्रति गंभीरता न दिखाईं गईं तो बहुत देर हो जाएगी। बारिश से प्रभावित उत्तराखंड में बुधवार को छह और शव बरामद किए गए। इससे राज्य में मरने वालों की संख्या बढ़कर 52 हो गईं जबकि उत्तर प्रदेश, सिक्किम और उत्तरी बंगाल में भी मूसलाधार बारिश हुईं। इस कारण हुए भूस्खलन से गंगटोक को देश के शेष हिस्सों से जोड़ने वाली सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 10 को बंद करना पड़ा। उत्तराखंड में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 17 लोग घायल हो गए और एक ट्रैकिग टीम के 11 सदस्य समेत 16 लोग लापता हो गए। राज्य का वुमाऊं क्षेत्र जो बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है में भी 46 मकानों के क्षतिग्रस्त होने के मामले सामने आए हैं। नैनीताल में सबसे अधिक 28 लोगों की मौत हुईं है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए वुमाऊं के उधम सिंह नगर और चंपावत जिलों के प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने सड़क मार्ग से यात्रा की क्योंकि उनका हेलीकाप्टर तकनीकी कारणों से हल्द्वानी से उड़ान नहीं भर सका। चार धाम यात्रा आंशिक रूप से फिर से शुरू हुईं जिससे तीर्थ यात्रियों को केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जाने की अनुमति मिली। हालांकि बद्रीनाथ की यात्रा फिर से शुरू नहीं की जा सकी क्योंकि मंदिर की ओर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग कईं जगहों पर भूस्खलन से अवरुद्ध हो गया है। हिमाचल प्रदेश में चितवुल की यात्रा पर आए आठ ट्रैक्टर और उनके साथ आए तीन रसोइये लापता हो गए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने कहा कि उसने उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 1300 से ज्यादा लोगों को बचाया है और बचाव दल की टीमों की संख्या बढ़ाकर 15 से 17 कर दी है। बेमौसम बारिश से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों को इस बारिश के कारण नुकसान की भरपाईं में समय लगेगा जबकि पंसे हुए अनेक पर्यंटकों को भी खतरे से बाहर निकाला गया है। पहाड़ की नदियां उफान पर हैं। तराईं में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और उत्तर प्रदेश के कईं जिलों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऐसे में राज्य की चार धाम सड़क परियोजना समेत उन तमाम विकास योजनाओं के मामले में सतर्वता से आगे बढ़ने की जरूरत है जो पर्यांवरण दृष्टि से नाजुक है। जलवायु परिवर्तन का असर साफ-साफ दिखने लगा है। ऐसे में अब जब भी अगर पर्यांवरण मानकों के प्रति गंभीरता न दिखाईं गईं तो बहुत देर हो जाएगी।

पहली नजर में लगता है आरोपियों ने अपराध किया, बेल नहीं दे सकते

आर्यंन खान ने अपराध किया, बेल नहीं दे सकते बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यंन खान की जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपने विस्तृत आदेश में विशेष अदालत ने कहा कि वह (आर्यंन) जानता था कि उसके दोस्त के पास ड्रग्स है। व्रूज पर उसके साथ उसके दोस्त अरबाज मर्चेट के पास प्रतिबंधित सामग्री मिली थी। विशेष एनडीपीएस अधिनियम अदालत ने अपने 21 पृष्ठों के आदेश में कहा कि आर्यंन खान की चैट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि वह नियमित आधार पर मादक पदार्थ संबंधी अवैध गतिविधियों में शामिल था। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि यदि उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसके द्वारा ऐसा अपराध किए जाने की संभावना नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि आर्यंन जानता था कि उसके दोस्त और सह आरोपी अरबाज मर्चेट के पास मादक पदार्थ था। भले ही एनसीबी को आर्यंन से कोईं मादक पदार्थ नहीं मिला हो। अदालत ने इस पांच आधार पर खारिज की आर्यंन की जमानत - पहला आर्यंन खान अन्य ड्रग डीलरों के संपर्व में था जो एक अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नेटवर्व का हिस्सा प्रतीत होते हैं। जांच एजेंसी एनसीबी इनका पता लगाने और उनके आपराधिक रिकार्ड की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा - आर्यंन को इन व्यक्तियों के बारे में जानकारी है। आर्यंन ने अभी तक उन व्यक्तियों के नामों का खुलासा नहीं किया है। आर्यंन एक मात्र व्यक्ति हैं जो इन व्यक्तियों के विवरण का खुलासा कर सकता है। जमानत पर सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना है। तीसरा - यह सच है कि आर्यंन का कोईं अपराधिक इतिहास नहीं है लेकिन उसकी व्हाट्सअप चैट से पता चलता है कि वह अवैध ड्रग गतिविधियों में लिप्त था। अदालत ने कहा, इससे पता चलता है कि सभी आरोपी एक सिक्के के दो पहलू हैं। चौथा - अदालत ने शौविक चव्रवर्ती मामले का भी उल्लेख किया कि गिरफ्तार हर व्यक्ति जब्त दवाओं की मात्रा के लिए उत्तरदाईं है। हर आरोपी के मामले को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। पांचवां - अपनी चैट में आर्यंन ने भारी मात्रा में हाईं ड्रग्स का जिव्र किया। प्रथम दृष्टया यह सामग्री दर्शाती है कि आवेदक नंबर-1 (आर्यंन खान) अभियोजन पक्ष के आरोप के अनुसार प्रतिबंधित नशीले पदार्थो का कारोबार करने वाले व्यक्तियों के संपर्व में था। आर्यंन की जमानत याचिका खारिज होने के बाद शाहरुख खान आर्यंन से मिलने मुंबईं के आर्थर रोड जेल पहुंचे। यह पहली बार है जब शाहरुख अपने बेटे से मिलने के लिए जेल पहुंचे। शाहरुख की आर्यंन से यह मुलाकात करीब 12 मिनट की रही। शाहरुख खान अपने बेटे आर्यंन को लेकर पिछले कईं दिनों से परेशान हैं। करीब 21 दिन से अपने बेटे से दूर रहे शाहरुख खान के सब्र का बांध आखिर टूट गया। शाहरुख खान ने करीब 15 से 20 मिनट जेल के अंदर बिताए। यह पहली बार है जब शाहरुख अपने बेटे का हाल जानने के लिए जेल पहुंचे। शाहरुख जब जेल के अंदर गए तब उनकी एंट्री ठीक उसी तरह हुईं जैसे वैदियों से मिलने आए बाकी परिजनों की होती है। आर्यंन-शाहरुख खान में 15 से 20 मिनट तक बातचीत हुईं।बातचीत के दौरान दोनों के बीच एक ग्लास पैसिंग थी और दोनों तरफ इंटरकॉम था जिससे दोनों ने बात की। बातचीत के समय वहां गार्ड मौजूद थे।आर्यंन ने अब हाईं कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। देखें, वहां उन्हें जमानत मिलती है या नहीं।

दुनिया में मिसाल, 100 करोड़ टीके का कमाल

कोरोना के खिलाफ नौ महीने पहले शुरू हुए टीकाकरण अभियान में भारत ने इतिहास बना दिया है। भारत ने गुरुवार को 100 करोड़ डोज लगाने के आंकड़े को पार करने के साथ ही दुनिया के सामने मिसाल पेश की। कोरोना के शुरू होने के बाद भारत को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताईं गईं थीं। 130 करोड़ से ज्यादा की आबादी में सभी पात्र लोगों को टीका लगाने के मैराथन काम को लेकर भारत की क्षमता पर सवाल खड़े किए गए थे। टीके की उपलब्धता को लेकर भी आशंका जताईं गईं थी। वक्त के साथ भारत न सिर्प इन सभी आशंकाओं को झुठलाते हुए अपने नागरिकों को टीकों का सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने की राह पर तेजी से आगे बढ़ता रहा, बल्कि अब एक अरब डोज लगाने के मील के पत्थर को भी पार कर गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व तमाम अफसरों, हेल्थ वर्वरों, अस्पतालों, टीका सेंटरों आदि को बधाईं। ——अनिल नरेन्द्र

Friday 22 October 2021

जेहादिस्तान बनता बांग्लादेश

बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान भड़की हिंसा यही दिखाती है कि वहां हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यक कितने असुरक्षित हैं और कैसे अफवाह की एक चिंगारी उनके घरों को जला सकती है। दुखद पहलू यह है कि उदार मानी जाने वाली शेख हसीना की सरकार और उनका प्रशासन हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को देश के 20 से अधिक जिलों तक फैलने से नहीं रोक सका। हिंसा की शुरुआत दुर्गा पूजा के दौरान एक पंडाल में ईशनिंदा की अफवाह से हुई और देखते ही देखते इस्लामी कट्टरपंथियों ने अनेक मंदिरों, पंडालों और हिन्दुओं के घरों पर हमला शुरू कर दिया। इन हमलों में नोआखली स्थित प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर भी नहीं बच सका। इन हमलों में छह लोगों की मौत की भी खबर है। बता दें कि बांग्लादेश में गत नौ वर्षों में हिन्दुओं पर करीब 3721 हमले हुए हैं। ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि यह डाटा एक प्रमुख अधिकार समूह एनओ सतीश केंद्र से मिला है। इसके अनुसार 2021 पिछले पांच वर्षों में अब तक का सबसे घातक वर्ष रहा है। पिछले पांच वर्षों में हिन्दू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ व आगजनी के कम से कम 1678 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा पिछले तीन वर्षों में 18 हिन्दू परिवारों पर हमले हुए हैं। यह संख्या इससे अधिक भी हो सकती है, क्योंकि मीडिया सिर्प उन मामलों को कवर करता है जो प्रकाश में आते हैं। 2014 में अल्पसंख्यकों के 201 घरों और प्रतिष्ठानों में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ की थी। इस साल सितम्बर के अंत तक 196 घरों, व्यापारिक केंद्रों, मंदिरों, मठों और मूर्तियों को भी तोड़ा गया। पुलिस मुख्यालय के सहायक महानिरीक्षक मोहम्मद करुंज्जमा ने बताया कि अफवाह फैलने वालों और हिंसा करने वालों के खिलाफ पूरे देश में अभियान जारी है। पुलिस ने कथित रूप से पोस्ट अपलोड करने वाले हिन्दू युवक को भी हिरासत में ले लिया है। दुर्गा पूजा के बाद हिन्दुओं पर जारी हमलों के संबंध में देश के विभिन्न हिस्सों में कम से कम 71 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा करीब 450 लोगों को सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। देश में 13 अक्तूबर को कई जगहों पर भड़की सांप्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। चिंता की बात यह है कि खुद शेख हसीना की सरकार ने माना है कि दुर्गा पंडालों पर हुए हमले पूर्व नियोजित थे, तो ऐसे में उन्हें नहीं रोकने में उनकी नाकामी ही कही जाएगी। यह भी समझने की जरूरत है कि इन हमलों में सोशल मीडिया के जरिये फैलाई गई अफवाह ने चिंगारी का काम किया है। इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी हिंसा की घटनाओं से कुद्ध मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि उनका देश अब जेहादिस्तान बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार अपने सियासी फायदे के लिए मजहब का इस्तेमाल कर रही है और मदरसे कट्टरपंथ फैलाने में लगे हैं। सभी सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल किया। उन्होंने इस्लाम को राज धर्म बना दिया जिससे वहां हिन्दुओं और बौद्धों की स्थिति दयनीय हो गई है। शेख हसीना सरकार पूरी कड़ाई के साथ इस हिंसा को रोके और हिन्दुओं सहित अन्य अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराए।

पिता की जिम्मेदारी

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि एक पिता को अपने बेटे की शिक्षा के खर्च को पूरा करने की जिम्मेदारी से केवल इसलिए मुक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि वह बालिग हो गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एक पिता को यह सुनिश्चित करने का वित्तीय बोझ उठाना चाहिए कि उसके बच्चे समाज में एक ऐसा स्थान प्राप्त करने में सक्षम हो जहां वह पर्याप्त रूप से अपना भरण-पोषण कर सके। न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि मां पर अपने बेटे की शिक्षा का पूरे खर्च का बोझ सिर्प इसलिए नहीं डाला जा सकता है क्योंकि बच्चे ने 18 साल की उम्र पूरी कर ली है। पीठ ने कहा कि पिता को अपने बेटे की शिक्षा के खर्चों को पूरा करने के लिए सभी जिम्मेदारियों से केवल इसलिए मुक्त नहीं किया जा सकता है कि उसका बेटा बालिग हो गया है। हो सकता है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो और खुद का गुजारा करने में असमर्थ हो। एक पिता अपनी पत्नी को मुआवजा देने के लिए बाध्य है, क्योंकि बच्चों पर खर्च करने के बाद शायद ही उसके पास अपने लिए कुछ बचे। पीठ ने यह आदेश एक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज करते हुए दिया जिसमें हाई कोर्ट के उस आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें उसे अपनी अलग रह रही पत्नी को तब तक 15 हजार रुपए का मासिक गुजारा-भत्ता देने का निर्देश दिया गया था, जब तक कि बेटा स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर लेता और वह कमाने नहीं लग जाता। इससे पहले एक परिवार को अदालत ने आदेश दिया था कि बेटा वयस्क होने तक भरण-पोषण का हकदार है और बेटी रोजगार मिलने या शादी होने तक, जो भी पहले हो, भरण-पोषण की हकदार है।

चीनी सेना से निपटेंगे त्रिशूल और वज्र

गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर नुकीले तार वाली छड़ों व बिजली के झटके देने वाली बंदूक का प्रयोग किया था। इसके बाद अब एलएसी पर हिंसक झड़प होने की स्थिति में चीन की सेना के इन हथियारों से भारतीय सेना व सुरक्षा बल त्रिशूल, वज्र जैसे पारंपरिक हथियारों से निपटेगी। गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत व चीन के बीच हुए संघर्ष के बाद नोएडा की एक स्टार्टअप फर्म एपास्टेरान प्राइवेट लिमिटेड ने यह गैर-घातक हथियार तैयार किए हैं। सुरक्षा बलों की तरफ से उन्हें चीनी सेना के हथियारों से निपटने में सक्षम उपकरण प्रदान करने का काम सौंपा गया था। फर्म ने कहा कि जब चीनी सैनिकों ने गलवान में तार की छड़ें और टेसर इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारत ने गैर-घातक उपकरण के लिए कहा था। फर्म के प्रवक्ता ने कहा कि हमने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित होकर यह हथियार तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने मेटल रॉड से बना हुआ नुकीला टेसर बनाया है। वज्र नाम से तैयार इस टेसर का प्रयोग दुश्मन सैनिकों पर सामने से आक्रामक हमला करने व उनके बुलेटप्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है। करंट छोड़ने वाला आमने-सामने लड़ाई में प्रभावी हो सकता है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 20 October 2021

कश्मीर जन्नत नहीं, यह मौत का घर है

कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का नया चैप्टर है। इस महीने टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम देने के लिए आतंकी नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। वारदात से पहले वह सॉफ्ट टारगेट की पूरी रेकी कर रहे हैं। इसमें हाईब्रिड आतंकियों के साथ ओवर ग्राउंड वर्पर को भी लगाया जा रहा है। पांच अक्तूबर को श्रीनगर के स्कूल में परिचय पत्र देखने के बाद सिख महिला प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और जम्मू के हिन्दू शिक्षक दीपक चंद की आतंकियों ने हत्या की थी। कुलगांव में रविवार को दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने धान कटाई के लिए मजदूर खोजने के बहाने को हथियार बनाया। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि टारगेट किलिंग के पीछे सॉफ्ट टारगेट की मुकम्मल रेकी प्रमुख वजह है। आतंकी कई दिनों तक सॉफ्ट टारगेट की रेकी कर उसके बारे में पूरा ब्यौरा जुटा रहे हैं। उन्हें यह अच्छी तरह पता होता है कि कब और किस वक्त हमला करना मुफीद होगा। इस महीने हुई सभी टारगेट किलिंग की जांच में यह बात सामने आई है कि आतंकी हमलावरों ने अपने टारगेट की पूरी तरह जानकारी हासिल की थी। श्रीनगर स्कूल में हमला, कश्मीरी पंडित दवा कारोबारी की हत्या या फिर कामगार मजदूरों की हत्या हो सभी यह दर्शाती हैं कि आतंकियों को पता था कि टारगेट मौजूद है और हमले का उपयुक्त समय है। घाटी में एक के बाद एक हत्याओं से खौफजदा प्रवासी श्रमिक घाटी छोड़कर जम्मू पहुंचे। निराश श्रमिकों ने कहा कि सुना था कि कश्मीर जन्नत है, लेकिन यह हमारे जैसे गरीबों के लिए तो मौत का घर है। कश्मीर संभाग के बड़गांव में ईंट-भट्ठे पर काम करने वाले पति-पत्नी गोविंदा और राजेश्वरी ने कहा कि सुबह छह बजे जम्मू पहुंचे थे। आठ महीने से वहीं काम कर रहे थे, लेकिन आतंकी हमलों से डर गए हैं। ठेकेदार ने भी हालात ठीक होने तक चले जाने को कह दिया। बिहार के सीतापुर के श्रमिक मोहन भगत ने कहा कि घर वाले चिंतित हैं। पहले हमें डर नहीं लगता था। इस बार हालात डराने वाले हैं। ठेकेदार ने भी बिना पैसे के भेज दिया। आठ महीने में जो कमाया वह ठेकेदार के पास ही रह गया। एक अन्य श्रमिक जयचंद ने कहा कि पांच साल से लगातार कश्मीर में ईंट-भट्ठे पर काम करता हूं। डर तो हमेशा रहता था, लेकिन इस बार स्थिति काफी अलग है। कई दिन तक एक कमरे में बंद रहे। 2019 में अनुच्छेद 370, 2020 में लॉकडाउन और 2021 में टारगेट किलिंग की दहशत ने श्रमिकों को घाटी से घर लौटने को मजबूर कर दिया है। घाटी में करीब पांच लाख प्रवासी श्रमिक हैं जो निर्माण संबंधी गतिविधियों से लेकर खेती व अन्य स्थानीय उद्योगों में काम करते हैं। ऐसे में अगर बड़ी संख्या में कामगार अपने राज्यों में लौटने लगे तो कश्मीर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन महत्वपूर्ण अंश है। घाटी में लगातार हो रहे आतंकी हमलों को हताशा में किए गए हमले बता कर या सिर्प पाकिस्तान पर ठीकरा फोड़कर पल्ला झाड़ने से काम नहीं बनेगा। अगर सेना के आतंकवाद निरोधी अभियानों के बावजूद आतंकी सरेआम हत्याएं करने में कामयाब हैं तो कहीं न कहीं सुरक्षा संबंधी रणनीति पर सवाल जरूर खड़े होंगे। यह अत्यंत आवश्यक है कि सरकार तत्काल ऐसे कदम उठाए जिससे प्रवासियों के भीतर पनपा असुरक्षा का भाव खत्म हो और उन्हें घर लौटने को मजबूर न होना पड़े।

अफगानिस्तान में शिया समुदाय निशाने पर

अफगानिस्तान में रहने वाला शिया समुदाय शुक्रवार को मातम में डूब गया। देश के दूसरे बड़े शहर कंधार की शिया मस्जिद में शुक्रवार को नमाज पढ़ रहे लोगों पर हुए आत्मघाती हमले में 62 लोगों के मारे जाने की खबर है। इस हमले में 68 लोग घायल हुए। घटना की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है। लेकिन शक आतंकी संगठन आईएस के खुरासान शाखा पर है। पिछले हफ्ते शुक्रवार को ही इसी संगठन ने पुंदूज शहर की शिया मस्जिद में 80 से ज्यादा नमाजियों की हत्या की थी। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार आत्मघाती हमलावर ने नमाजियों के बीच आकर खुद को उड़ाया। तालिबान सरकार की न्यूज एजेंसी बख्तार ने 62 लोगों के मरने की पुष्टि की है। उस समय मस्जिद में लगभग 500 लोग जुम्मे की नमाज अदा कर रहे थे। यह कट्टरपंथी समूह तालिबान के शासन का विरोधी है और शिया मुसलमानों को मूर्तद (धर्मत्यागी) मानता है, जिन्हें मार दिया जाना चाहिए। अमेरिकी फौजों की वापसी के बीच अगस्त में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद आईएस ने कई विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है। समूह ने छोटे हमलों में तालिबान लड़ाकों को भी निशाना बनाया है। तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने विस्फोट की पुष्टि की है और कहा कि मामले की जांच चल रही है। अफगानिस्तान में दशकों की जंग के बाद तालिबान ने मुल्क में अमन बहाली का संकल्प लिया है। तालिबान-आईएस दोनों सुन्नी मुसलमानों के समूह हैं, लेकिन वह वैचारिक तौर पर काफी अलग हैं। इनमें आईएस काफी कट्टर है। तालिबान ने शिया अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का बेशक वचन दिया हो पर तालिबान उनकी सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। अफगानिस्तान में शिया अल्पसंख्यक अकसर हमलों के शिकार होते रहे हैं। इनमें से कई हजारा शिया समुदाय के हैं। देश की शिया मस्जिदों में आने वाले नमाजियों पर हमला करने वालों में इस्लामिक स्टेट (आईएस) का हाथ रहा है। बता दें कि अफगानिस्तान की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा शिया समुदाय का है। वैसे यह कैसे मुसलमान हैं और कुरान को मानने वाले हैं जो नमाजियों को मस्जिद में नमाज अदा कर रहे भाई मुसलमानों को मारते हैं?

अभी टला नहीं कोरोना का खतरा

कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर बीके पॉल ने कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में जानकारी देते हुए रविवार को बताया कि जायडस कौडिला का कोविड-19 का टीका जल्द आएगा। पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर कमजोर पड़ी है लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि बुरा समय बीत चुका है। डॉ. पॉल ने आगाह करते हुए कहा कि भले ही कोरोना का संक्रमण कम हो रहा है और दूसरी लहर जा रही है लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है। क्योंकि कई देशों ने दो से अधिक लहरों का सामना किया है। भारत में फिलहाल कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक वी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। सही समय बता पाना संभव नहीं है। वैक्सीन को लेकर प्रशिक्षण शुरू होने के बाद कई देशों में दो से ज्यादा लहर आई हैं। उन्होंने आगे कहा कि टीका आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए बालिग आबादी में सभी के लिए पूर्ण टीकाकरण हमारी पहुंच के दायरे में है। पॉल ने कहा कि सरकार वैज्ञानिक तर्प के साथ-साथ बच्चों और किशोरों के लिए उपलब्ध वैक्सीन की सप्लाई की स्थिति के आधार पर कोई फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि कई देशों में किशोरों और बच्चों के लिए वैक्सीन की शुरुआत हो गई है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि देश ऐसे दौर से गुजर रहा है, जब त्यौहारों में लोगों का जमावड़ा होता है। यह बहुत मुश्किल वक्त है, क्योंकि वायरस फिर से फैल सकता है। हमने देखा है कि दूसरे देशों में भी जहां वैक्सीन कवरेज अच्छा होने के बावजूद कोरोना केसों में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसलिए निश्चित रूप से हमें यह नहीं मानना चाहिए कि संक्रमण में गिरावट की यह स्थिति आगे भी जारी रहेगी। इसलिए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सबसे बुरा समय खत्म हो गया है। हमें हमेशा अलर्ट रहना होगा। इसमें जनता का योगदान आवश्यक है। दो दिन पहले हमने चावड़ी बाजार का सीन देखा जहां आदमी पर आदमी चढ़ा जा रहा था। अगर यही हालत रही तो कोरोना फिर लौट सकता है। -अनिल नरेन्द्र

फिर वही सोनिया गांधी की कांग्रेस

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से अब तक दिखी चाशनी से यह बात तो साफ है कि पार्टी के संचालन में गांधी परिवार शक्ति और पावर का केंद्र बना रहेगा। अब यह भी चर्चा जोरों पर है कि राहुल गांधी के सिर पर दोबारा पार्टी मुखिया का मुकुट सज सकता है। इस काम में राज्य विधानसभाओं के चुनावों तक इंतजार का इसलिए भी कोई लाभ होता नहीं दिख रहा, क्योंकि कांग्रेस पार्टी अपना स्थायी अध्यक्ष घोषित करने में जितनी देरी करेगी, पार्टी के भीतर उतनी ही तेजी से दरकन भी आती जाएगी और भविष्य में नई दरारें पैदा होने की आशंका बनी रहेगी। असंतुष्ट खेमे के नेताओं की मांग पर बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कोई विवाद तो नहीं उभरा। लेकिन अपने तीखे तेवर के जरिये सोनिया गांधी ने तमाम पार्टी नेताओं को जो संदेश दिया वह हताशा ही ज्यादा पैदा करता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी लगातार चुनावी पराजयों के अलावा भी जिन समस्याओं से जूझ रही है, उन पर संजीदगी से व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है। मसलन, जिन कुछ राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां अंदरूनी विवाद न केवल बना हुआ है, बल्कि उसके समाधान में भी नेतृत्व की कोई रुचि नहीं दिखती। सोनिया गांधी कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काम करती आई हैं। इसके चलते कांग्रेस के कई नेता लंबे समय से असंतुष्ट चल रहे हैं। 23 नेताओं ने अपना एक समूह बना लिया है। कई नेता समय-समय पर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते रहे हैं। उनकी मांग पर ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। बैठक में सभी वरिष्ठ नेता शामिल हुए। असंतुष्टों ने भी हिस्सा लिया। इससे पहले भी सोनिया गांधी ने इन असंतुष्ट नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाया, फिर स्पष्ट कर दिया कि बेशक वह कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम करती हैं पर वह पूर्वकालिक अध्यक्ष हैं। फिर तय हुआ कि एक साल तक पार्टी अध्यक्ष को लेकर विचार-विमर्श चलेगा और फिर अगले साल अक्तूबर में अध्यक्ष का चुनाव होगा। कई युवा नेता पार्टी छोड़कर चले गए हैं। जबकि अनेक वरिष्ठ नेता खुद को असहज पा रहे हैं। कांग्रेस भले ही अपनी विविधता और मतभिन्नता के लिए जानी जाती रही हो। लेकिन अभी तो स्थिति यह है कि वरिष्ठ नेताओं की टिप्पणियां नेतृत्व की दिशाहीनता के बारे में बताती हैं, जो ज्यादा गंभीर और चिंताजनक है। सोनिया गांधी ने बेशक यह साबित करने की कोशिश की हो कि वह अब भी पार्टी की सर्वेसर्वा हैं पर स्थिति यह है कि कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व न केवल दिशाहीन ही है बल्कि वह सही नेतृत्व नहीं दे पाया। तभी तो पार्टी की एक के बाद एक राज्य में पराजय होती जा रही है। यह कार्यसमिति की बैठक का कोई सार्थक नतीजा निकलेगा, हमें तो नहीं लगता। कांग्रेस पार्टी उसी ढर्रे पर चलती रहेगी। आज आवश्यकता है कि विपक्ष इकट्ठा हो ताकि सरकार को टक्कर दे सके। इस काम में कांग्रेस का नेतृत्व बहुत आवश्यक है। हमें तो नहीं लगता कि कांग्रेस पार्टी की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आएगा। उम्मीद तो यह थी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व संभालना चाहिए पर इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा और कांग्रेस का पतन जारी रहेगा।

अलकायदा खत्म नहीं हुआ, 10 नए गुट उससे जन्मे हैं

9/11 आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर एक बार फिर से खूंखार आतंकवादी संगठन का प्रमुख अल जवाहिरी का जिन्न बाहर निकल आया है। अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी की मौत हो गई या वह अब भी जिंदा है, यह रहस्य ही बना हुआ है, मगर कई अटकलों के बीच एक नए वीडियो में आतंकी अल जवाहिरी को देखा गया। 9/11 आतंकी हमले की बरसी पर अलकायदा प्रमुख जवाहिरी का एक नया वीडियो जारी किया गया, जिसमें उसे कई मसलों पर बोलते हुए देखा गया। आतंकी समूहों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने वाले इंटेलिजेंस ग्रुप एसआईटीई ने बताया कि अलकायदा द्वारा जारी एक वीडियो में आतंकी अल जवाहिरी ने यरुशलम के यहूदीकरण सहित कई विषयों पर बात की। जवाहिरी को दिसम्बर 2020 में मरा मान लिया गया था। वीडियो में वह सीरिया में एक रूसी सैन्य अड्डे पर एक जनवरी 2021 के आतंकी हमले का जिक्र कर रहा है। मिस्री मूल के जवाहिरी ने अलकायदा का पद उस समय ग्रहण किया, जब अमेरिका ने 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन का खात्मा किया था। अब तक जवाहिरी की मौत दिसम्बर 2020 में बीमारी की वजह से होने की बात कही गई थी। हालांकि खुफिया एजेंसियां इसका साक्ष्य नहीं दे पाई थीं। अब अमेरिका खुफिया साइट ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वीडियो में जवाहिरी कई मुद्दों पर जनसमूह को संबोधित करता दिख रहा है। साइट की निदेशक रीटा काट्स ने कहा कि 60 मिनट का यह वीडियो एक साक्ष्य हो सकता है। रीटा काट्स ने कहा कि वीडियो फिर साबित कर रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबानियों की जीत अलकायदा की ही जीत है। तालिबान अंतर्राष्ट्रीय आतंकियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भले ही पश्चिमी देशों को दोस्ताना चेहरा दिखा रहा है, उसका असली चेहरा आतंकियों के मददगार का है। अलकायदा का तो उसका करीबी नाता है। काट्स के अनुसार अगर जवाहिरी एक जनवरी 2021 की घटना का उल्लेख कर रहा है तो इसका मतलब निकल सकता है कि कम से कम जनवरी 2012 तक वह जीवित था। हालांकि उसके बाद भी उसकी मौत हुई हो, हो सकता है। लेकिन अब तक प्रमाण सामने नहीं आए हैं। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने दुनिया से अलकायदा को खत्म करने का ऐलान किया। अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान, यमन, सीरिया, इराक, लीबिया, मिस्र में भी आतंक पर उसने वार किया। सभी लड़ाई में 585 लाख करोड़ रुपए खर्च हो गए। करीब 9.29 लाख लोग मारे गए। इनमें 84 हजार आतंकी शामिल थे। अमेरिकी कार्रवाई से खत्म होने की बजाय अलकायदा से टूटकर 10 से ज्यादा नए आतंकी संगठन खड़े हो गए हैं। यह आईएसआईएस व बोकोहरम नाम से इराक से लेकर नाइजीरिया तक 17 देशों में फैल गए। इसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी समेत 35 गुट जुड़े हुए हैं। 20 साल में इन गुटों ने दुनिया में 34 हजार हमले किए, जिनमें 70 हजार लोग मारे गए।

क्या रद्द हो सकता है भारत-पाक मैच?

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अभी रिश्ते ठीक नहीं हैं इसलिए प्रस्तावित वर्ल्ड कप क्रिकेट मैच पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का आतंकी चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है। इसका अंजाम भी पाकिस्तान को भुगतना पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को जोधपुर में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के घर शोकसभा में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं। गिरिराज सिंह ने कहाöजम्मू-कश्मीर में हो रहे आतंकी हमले को देखते हुए आने वाले दिनों में होने वाले भारत-पाकिस्तान के बीच मैच पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत है। रिश्ते अभी अच्छे नहीं हैं। गिरिराज सिंह ने इस दौरान कांग्रेस पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि देश में कांग्रेस गलत राजनीति कर रही है। राजस्थान में बाल्मीकि समाज के लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है। कश्मीर में हिन्दुओं को टारगेट करके मारा जा रहा है। इन मुद्दों पर कुछ नहीं बोलकर लखीमपुर में जाकर राजनीति कर रही है। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में आतंकियों द्वारा एक गोलगप्पे बेचने वाले को निशाना बनाया गया था। बिहार के बांका के रहने वाले इस शख्स के पिता ने भी मांग की है कि भारत-पाकिस्तान का मैच जो होना है, उसे रद्द कर देना चाहिए। पंजाब सरकार के मंत्री परगट सिंह की ओर से भी यही मांग की गई है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान-पाकिस्तान तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 19 October 2021

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में बनेगी भाजपा सरकार?

हालांकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अभी कुछ महीने बचे हैं पर सर्वे का सिलसिला शुरू हो गया है। इससे इतना तो पता चलता ही है कि विभिन्न राज्यों में जहां चुनाव होने वाले हैं वहां पर इस समय मतदाताओं का क्या रुख है। एबीपी-सी वोटर के सर्वे में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान है। सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड और मणिपुर में भी भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद है। लेकिन पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा के आसार नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा का वोट शेयर सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत रह सकता है। वहीं समाजवादी पार्टी 32 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरे नम्बर पर रह सकती है। बसपा को 15 प्रतिशत, कांग्रेस को छह प्रतिशत और इतना ही वोट शेयर बाकी पार्टियों को मिलने का अनुमान है। सीटों के हिसाब से बात करें तो भाजपा को 403 में से 241 से 249 सीटें मिलने की उम्मीद है। तो सपा के खाते में 130-138 सीटों का अनुमान है। वहीं बसपा 15 से 19 और कांग्रेस तीन से सात सीटों पर सिमट सकती है। सर्वे में सामने आया है कि पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनेगी और आम आदमी पार्टी (आप) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। 117 विधानसभा सीटों में से 49 से 55 सीटें आप के खाते में जा सकती हैं। कांग्रेस 30 से 47 सीटों पर जीत सकती है और अकाली दल को 17 से 25 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं भाजपा और दूसरे दल महज एक-एक सीट पर सिमट सकते हैं। सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनने का अनुमान है। यहां भाजपा को 45 प्रतिशत, कांग्रेस को 34 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी को 15 प्रतिशत और अन्य दलों को छह प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। यहां की 70 सीटों में से भाजपा को 42-46, कांग्रेस को 21-25, आम आदमी पार्टी को 0-4 और अन्य दलों को दो सीटें मिल सकती हैं। गोवा में भाजपा के सत्ता में रहने की उम्मीद है। यहां 40 में से 24-28 सीटें भाजपा को मिल सकती हैं और वोट शेयर 38 प्रतिशत रहने के आसार हैं। गोवा में आप का वोट शेयर 23 प्रतिशत और कांग्रेस का 18 प्रतिशत रह सकता है। वहीं अन्य दलों को 21 प्रतिशत वोट मिल सकता है। बता दें कि गोवा में पिछले चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना पाई थी। मणिपुर के सर्वे के मुताबिक 60 सीटों में से भाजपा 21 से 25 सीटों पर, कांग्रेस 18 से 22 सीटों पर जीत सकती है। वहीं नागा पीपुल्स फ्रंट को चार से आठ और अन्य दलों को एक से पांच सीटें मिल सकती हैं। वोटों की बात करें तो भाजपा का शेयर 36 प्रतिशत, कांग्रेस का 34 प्रतिशत, एनपीएफ का नौ प्रतिशत और अन्य दलों का 21 प्रतिशत रहने के आसार हैं। जैसा मैंने कहा कि वैसे भी अभी चुनावों में देर है और कई बार स्थिति बदलेगी। इस सर्वे से बस इतना अंदाजा हो सकता है कि इन राज्यों में कौन-सी पार्टी कहां खड़ी है। सर्वे सही साबित हों, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

ब्रिटिश सांसद की हत्या

ब्रिटेन में एक सिरफिरे ने शुक्रवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी के एक सांसद डेविड अमेस की चाकू मारकर हत्या कर दी। एसेक्स इलाके की साउथएंड पश्चिम सीट से सांसद 69 वर्षीय अमेस पर चर्च में अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत करते समय हमला किया गया। अमेस पर चाकू से कई वार किए गए। 25 वर्षीय आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लोगों ने अमेस को बचाने की कोशिश की लेकिन हमलावर को वार करने से नहीं रोक सके। पैरामेडिकल्स ने मौके पर ही लगभग एक घंटे तक अमेस को तात्कालिक उपचार देने की कोशिश की, लेकिन उनकी जान बचा नहीं सके। अमेस पहली बार 1983 में सांसद बने थे। 1997 से वो साउथएंड इलाके से चुनाव जीत रहे हैं। अमेस पशु संरक्षण पर काम करने के लिए जाने जाते रहे हैं। मौके पर मौजूद एक स्थानीय पार्षद जॉन लांक का आरोप है कि हमले के दो घंटे बाद तक अमेस को अस्पताल नहीं ले जाया गया। पुलिस के मुताबिक दोपहर में सूचना मिली कि लीवआन शहर में चाकू से हमला किया गया है। मौके पर पहुंचकर एक 25 वर्षीय हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया, साथ ही हमले में प्रयुक्त चाकू को भी बरामद कर लिया गया। वहीं सांसद के कार्यालय ने इस बात की पुष्टि की है कि पुलिस और एम्बुलेंस को मौके पर बुलाया गया था। पुलिस के मुताबिक प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की पार्टी के सांसद डेविड अमेस पर हमला किस कारणवश किया गया। इस संबंध में अभी तक यह पता नहीं चल सका है। पहले भी ब्रिटेन में सांसदों पर हमला हो चुके हैं। जून 2016 में लेबर पार्टी से सांसद जो कॉक्स की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे पहले 2010 में लेबर पार्टी के सांसद स्टीफन टिम्स पर भी इसी तरह का हमला किया गया था। द डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेस ने कई बार समलैंगिक विवाह और गर्भपात का सार्वजनिक तौर पर विरोध जताया था। इससे कुछ लोग उनसे काफी नाराज थे। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने खबर सुनने के बाद राजधानी से बाहर का दौरा खत्म कर लंदन लौट आए थे। जॉनसन ने डेविड की हत्या पर शोक जताते हुए उन्हें बहुत प्यारा साथी बताया। डाउनिंग स्ट्रीट स्थित सरकारी कार्यालय के झंडे राष्ट्रीय शोक के चलते झुका दिए गए।

तालिबान-आईएस के बीच झगड़े की जड़

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद इस्लामिक स्टेट (आईएस) वहां बड़ा खतरा बनकर उभरा है। तालिबान सरकार के सामने वैश्विक मान्यता पाने के साथ-साथ आईएस से निपटने की दोहरी चुनौती है। अमेरिका के साथ 2020 में हुए समझौते में तालिबान ने आतंकी गुटों पर लगाम लगाने और अफगान जमीन का दूसरे देशों पर हमलों के लिए इस्तेमाल न होने का वादा किया था। लेकिन मौजूदा हालात में आईएस के बढ़ते हमलों के बीच यह कतई साफ नहीं है कि तालिबान अपने इस वादे पर खरा कैसे उतरेगा? जानकारों का कहना है कि वैसे तालिबान और आईएस दोनों ही इस्लामी कानून के तहत कट्टरपंथी शासन के पैरोकार हैं। लेकिन इनमें एक बुनियादी वैचारिक अंतर के कारण दोनों के बीच वैमनस्यता है। दरअसल तालिबान कहता है कि वह अफगानिस्तान की सीमा में इस्लामी राज बना रहे हैं। वहीं आईएस पूरी दुनिया में इस्लामी खलीफा का राज चाहता है। यह तालिबान के राष्ट्रवादी लक्ष्यों को खारिज करता है। कमोबेश ऐसे ही कारणों से आईएस अलकायदा का कट्टर दुश्मन रहा है। लांग वार जनरल के बिल रोजिरो का मानना है कि तालिबान आईएस पर काबू पा सकता है। इसके लिए उसे अमेरिकी हवाई हमलों की भी जरूरत नहीं है। उनके मुताबिक आईएस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उसे पाकिस्तान और ईरान में शरण और समर्थन नहीं मिलेगा। प्रशासन पर पकड़, समावेशी सरकार से आईएस पर जीत संभवत आतंकवाद से प्रशासन की ओर बढ़ते तालिबान की समावेशी सरकार पर ध्यान देना होगा। हजारा, शिया जैसे अल्पसंख्यकों को बचाना होगा। उन्होंने हिंसा झेली है और अब आईएस भी उन्हें निशाना बना रहा है। जानकारों का मानना है कि तालिबान के लिए मौका है कि वह अल्पसंख्यकों के साथ खड़ा हों और प्रशासन पर पकड़ वाली छवि पेश करें, ताकि लोगों का झुकाव आईएस की तरफ न हो। अंतर्राष्ट्रीय संकट समूह के सलाहकार इब्राहिम बहिस का कहना है कि अफगानिस्तान में हमले करके आईएस ने तालिबान को तगड़ा झटका दिया है और खतरा थोड़े समय का नहीं है। आईएस का तात्कालिक मकसद तालिबान को अस्थिर कर मुल्क की हिफाजत करने वाली छवि तोड़ना है। यही वजह है कि वह जनजातियों और अन्य छोटे समूहों को साथ मिला रहा है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 17 October 2021

मंत्री अजय मिश्रा पर जल्द कोई फैसला लेना होगा

लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी से किसानों को कुचले जाने का मामला आपराधिक के साथ-साथ राजनीतिक मुद्दा बन गया है। महाराष्ट्र में सरकार प्रायोजित बंद और विपक्ष का देशभर में प्रदर्शन और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का राष्ट्रपति से मिलना यह सब बता रहे हैं कि यह मुद्दा सुलगता जा रहा है। समझौता हो जाने के बावजूद किसान भी अब मिश्रा के इस्तीफे पर अड़ गए हैं। ऐसे में जनता में बन रही धारणा के मद्देनजर पार्टी को मिश्रा पर जल्द कोई फैसला लेना पड़ सकता है। हालांकि पुलिस अधिकारियों का पहले मानना था कि यदि मंत्री-पुत्र आशीष वह एसयूवी नहीं चला रहा था, जिससे किसानों को कुचला गया था, तो उसके खिलाफ कोई संगीन मामला (आपराधिक) नहीं बनेगा। लेकिन मौका-ए-वारदात पर उसकी मौजूदगी के सुबूतों से स्थिति बदल रही है। हालांकि पूर्व डीजीपी डॉ. एनसी अस्थाना का कहना है कि यदि आशीष उस गाड़ी में मौजूद भी था, तो यह हत्या या गैर-इरादतन हत्या का मामला नहीं बनता। लेकिन आशीष का दंगल में मौजूदगी का दावा तो अब तक जांच में गलत साबित हो रहा है। ऐसे में आपराधिक साजिश के आरोप से यह शायद ही बच पाए। चूंकि मामले को विपक्षी दलों ने इतना अधिक तूल दे दिया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका स्वत संज्ञान लेकर सख्त टिप्पणियां की हैं, इसलिए भाजपा को हमारी राय में कोई न कोई कदम तो उठाना ही पड़ेगा। अवकाश के बाद होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कोई निर्णय ले लेता है तो पार्टी के लिए मुश्किलें ही बढ़ेंगी। अभी तक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से सीएम योगी आदित्यनाथ तक सभी भाजपा नेता कानून अपना काम कर रहा है और भाजपा पुलिस पर कोई दबाव नहीं डाल रही है जैसे बयान दे रहे थे। यहां प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के बयान से पार्टी के रुख में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा हैöहम कार से लोगों को कुचलने के लिए तो राजनीति में नहीं आए हैं। माना जा रहा है कि चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और अदालत के कड़े रुख के चलते जनता में बनने वाली धारणा के मद्देनजर पार्टी को कोई सख्त फैसला लेना पड़ सकता है। यदि अजय मिश्रा इस्तीफा देते भी हैं तो उनके स्थान पर किसी अन्य ब्राह्मण नेता को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह दी जा सकती है। उधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से अजय मिश्रा टोनी को बर्खास्त किया जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके। पार्टी ने यह भी कहा कि इस मामले की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के दो वर्तमान न्यायाधीशों का आयोग गठित किया जाए तथा राष्ट्रपति इस बारे में सरकार को निर्देश दें। राहुल गांधी ने मुलाकात के बाद कहाöजिन परिवारों के सदस्यों को कुचला गया था, उन्होंने बताया कि वह न्याय चाहते हैं। वो चाहते हैं कि जिस व्यक्ति ने यह हत्या की है उसे सजा मिले। उन्होंने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति ने हत्या की है उसके पिता देश के गृह राज्यमंत्री हैं और जब तक वह व्यक्ति मंत्री है तब तक सही जांच नहीं हो सकती।

अस्थाना की नियुक्ति में कोई अनियमितता नहीं है

गुजरात कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को सही ठहराया। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति में सभी नियमों और प्रतिक्रियाओं का पालन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा है कि राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति में किसी तरह की खामी नहीं पाई गई है। सेवानिवृत्त से महज चार दिन पहले सेवा विस्तार देकर अस्थाना को पुलिस आयुक्त नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की। पीठ ने 77 पन्नों के फैसले में कहा कि अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने वही प्रक्रिया अपनाई है, जो पिछले एक दशक से अधिक समय से अपनाई जा रही है। पीठ ने राजधानी की जटिल सुरक्षा प्रबंधन व अनूठी आवश्यकताओं को देखते हुए सक्षम अधिकारी को इस तरह की नियुक्ति में कुछ आजादी होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा है कि अस्थाना की नियुक्ति से पहले दिल्ली में आठ पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति की गई है, उन सभी नियुक्तियों में इसी प्रक्रिया का पालन किया गया। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए सदर-ए-आलम और सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन की ओर से दाखिल जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया। याचिका में लगाए गए आरोप में कहा गया था कि अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त करने में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में पारित दिशानिर्देश का पालन नहीं किया गया। इस फैसले की तरह ऐसे अधिकारी को पुलिस प्रमुख नियुक्त नहीं किया जा सकता है जिनका सेवाकाल छह महीने से कम बचा हो। दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने न्यायालय में कहा था कि सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति को लेकर दी गई चुनौती कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा था कि उनकी नियुक्ति को चुनौती देने के पीछे बदले की भावना है। अस्थाना ने कहा था कि जब से उन्हें सीबीआई का विशेष निदेशक नियुक्त किया गया है, तब से कुछ संगठनों ने उन्हें निशाना बनाकर उनके खिलाफ याचिका दायर कर रहे हैं। हम प्रसन्न हैं कि इस नाजुक समय में अस्थाना की नियुक्ति को चैलेंज करने वाली याचिका अस्थिरता पैदा करने वाली थी। अस्थाना तभी काम कर सकते हैं जब वह मजबूत हों और अस्थाना ने अब तक अच्छे काम किए हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस में कई नए कदम उठाए हैं जिससे पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ा है। हाई कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है।

आईएसआई चीफ को लेकर इमरान और बाजवा में ठनी

अफगानिस्तान में तालिबान की जबरिया हुकूमत बनवाने में मदद करने वाले पाकिस्तान के इंटेलिजेंस आईएसआई के चीफ जनरल फैज हमीद को पद से हटा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फैज पिछले महीने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से मंजूरी लिए बगैर काबुल गए, ऐसा दावा किया जा रहा है कि वहां उन्होंने तालिबान नेताओं के साथ सेरेना होटल में टी-पार्टी की। सरकार बनाने में मदद की। फैज इमरान खान की पसंद के थे और अगले साल आर्मी चीफ बनने वाले थे। बताया जाता है कि उनकी काबुल यात्रा से जनरल बाजवा और अमेरिकी काफी नाराज थे। माना जा रहा है कि जनरल नदीम अंजुम आईएसआई के नए चीफ होंगे। जनरल हमीद को हटाए जाने की खबरें लंबे वक्त से गर्दिश में रही थीं लेकिन आर्मी के दबदबे के चलते पाकिस्तान का मीडिया इन खबरों को दबा रहा था। हमीद को पेशावर कॉर्प्स कमांडर का चीफ बनाकर भेजा गया है। अब खबर आई है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा के बीच इन दिनों टकराव चल रहा है। इसकी जड़ है तालिबान जिससे मुलाकात की वजह से बाजवा ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ को बदल दिया है। दरअसल बाजवा ने पिछले हफ्ते आईएसआई चीफ जनरल फैज हमीद को हटाकर लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को नियुक्त कर दिया था, लेकिन इमरान खान के ऑफिस से इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया। तभी से इमरान खान और बाजवा के बीच तल्खी की खबरें आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इमरान नहीं चाहते थे कि फैज हमीद को आईएसआई के पद से हटाया जाए, लेकिन बाजवा ने साफ कह दिया कि इमरान को सेना के मामलों में दखल देकर अपनी हद पार नहीं करनी चाहिए। अगर वह चाहें तो हमीद को 15 नवम्बर तक एक्सटेंशन दिया जा सकता है, लेकिन इसके बाद उन्हें पद पर नहीं रखा जा सकता। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नजम सेठी भी यह कह चुके हैं कि इस मुद्दे पर इमरान खान के रवैये की वजह से विवाद की स्थिति बनी और यही वजह है कि सरकार की तरफ से अभी तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमीद आर्मी चीफ बाजवा से मंजूरी लिए बगैर ही काबुल पहुंच गए थे, इससे बाजवा बिफर गए थे। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 14 October 2021

कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले ः एक दिन में 5 जगह एनकाउंटर

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान मुठभेड़ और उसमें हमारे जवानों के शहीद होने की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे एक बात यह साफ हो गई है कि घाटी में आतंकवाद की जड़ें अभी कमजोर नहीं पड़ी हैं। पुंछ में सोमवार को आतंकी हमले में जेसीओ समेत 5 सैनिक शहीद हो गए। हमलावर आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए। इससे पहले 3 मई, 2020 को एक हमले में पांच सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद एक साथ इतनी शहादत नहीं हुई थी। सोमवार को पांच अलग-अलग जगहों पर सेना की आतंकियों से मुठभेड़ हुई। घटनाओं का पैट्रर्न भी एक जैसा था। सूचनाओं के आधार पर सैन्य टुकड़ियों ने सर्च ऑपरेशन लांच किए। इसी दौरान आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। दो जगहों पर एक-एक आतंकी मार दिए गए। 2 जगहों पर से 5 से ज्यादा छिपे हुए आतंकी बताए जा रहे हैं। इनकी घेराबंदी कर दी गई है। सोमवार रात तक ऑपरेशन जारी थे। सेना ने बताया कि सभी आतंकी जब तक मारे नहीं जाते यह सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा। ताजे हमलें के पीछे दो प्रमुख कारण लगते हैं। पहलाöसरकार ने कश्मीरी विस्थापितों व पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों को 45 लाख मूल निवासी प्रमाण-पत्र बांटे हैं। इससे गैर-मुस्लिम उत्साहित थे। यही आतंकियों की बौखलाहट की वजह है। इसलिए न सिर्फ हिंदुओं बल्कि सिखों को भी निशाना बनाया जा रहा है ताकि इनमें दहशत फैले। दूसरा-5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटा। इसके बाद से अब तक एक भी हिंदू परिवार का विस्थापन नहीं हुआ। जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसे अपनी उपलब्धि बता रहा था। यह बात आतंकियों को लगातार परेशान कर रही थी। इसलिए उन्होंने गैर-मुस्लिमों पर हमले शुरू किए हैं। एलओसी पर सख्ती की वजह से सेना को घुसपैठ रोकने में कामयाबी भी मिली है। दूसरी ओर घाटी में सेना ने संदिग्ध युवाओं के परिवार के साथ मिलकर नए आतंकियों की भर्ती पर भी लगाम लगा रखी है। कई युवाओं को मुख्यधारा में लाया गया है। इन दो वजहों से आतंकी संगठनों के पास घाटी में स्थायी लड़कों की कमी हो गई है, इसलिए पाकिस्तान से संचलित होने वाले आतंकी संगठनों ने पार्ट टाइम आतंकियों से हमले कराने का तरीका अपनाया है। यह बात मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसियों को घाटी में बैठे हैंडलर्स को पाकिस्तान से भेजे गए संदेशों में इंटरसेफ्ट करने से पता चला है। विडंबना यह है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे को लेकर जारी कोशिशें जब भी सार्थक मानी जाती हैं, तब आतंकी गिरोहों की ओर से हमले बढ़ जाते हैं। आतंकी संगठन शायद दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर अभी भी आतंकवाद की गिरफ्त में है। दरअसल इस जटिल समस्या की जड़े सीमापार से संचालित गतिविधियों में fिछपी है। भारत के अलावा वैश्विक मंचों पर भी ऐसे सवाल लगातार उठाए जाते हैं कि पाकिस्तान स्थित fिठकानों से आतंकवादी समूह अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं। इसके लिए आए दिन पाकिस्तान को बेहद सुविधाजनक स्थितियों से गुजरना पड़ता है। इसके बावजूद वह इस मामले पर कोई सख्त और ठोस नतीजा देने वाले कदम उठाने से बचता रहा है। खासतौर पर अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान का दोहरा खेल खेलना शुरू हो चुका है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद निरोधक राजनीति पर नए सिरे से विचार इसलिए भी होना चाहिए, क्योंकि घाटी में हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाया जाने का सिलसिला तेज हो गया है और उसके चलते उनके पलायन का खतरा पैदा हो गया है। कश्मीर की ताजा हालत सेना के लिए तो चुनौती है ही साथ-साथ केन्द्र सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है।

छह शहीदों के परिवारों को एक-एक करोड़ की सहायता

दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को छह शहीदों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता देने का स्वागतयोग्य काम किया है। शुक्रवार को दिल्ली के रेसकोर्स क्लब में रह रहे शहीद राजेश कुमार के परिवार से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राजेश के परिजनों को एक करोड़ रुपए का चैक दिया। राजेश कुमार भारतीय वायुसेना में तैनात थे और तीन जून 2019 के अरुणाचल प्रदेश में एक विमान दुर्घटना में शहीद हो गए थे। इस दौरान शोक संतृप्त परिवार के सदस्य अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर आंसू रोक नहीं सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजेश कुमार की जान की कीमत तो हम नहीं लगा सकते, लेकिन उम्मीद करता हूं कि इससे परिवार को थोड़ी मदद मिलेगी। केजरीवाल ने कहा कि हमने राजेश कुमार की एक बहन को पहले ही सिविल डिफेंस में शामिल कर लिया है। दूसरी बहन को भी उसमें नौकरी देंगे और भविष्य में भी उनके परिवार का ख्याल रखेंगे। केजरीवाल ने शहीद होने वाले पांच और जवानों के परिवारों को भी एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी। राज्यसभा के सदस्य सुशील गुप्ता ने दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली पुलिस के शहीद सिपाही विकास कुमार के परिवार को एक करोड़ रुपए का चैक दिया। आरके पुरम विधायक प्रमिला टोकस ने दिल्ली पुलिस के शहीद एसीपी संकेत कौशिक के घर जाकर उनके स्वजन को चैक दिया। शहीद सिविल डिफेंस में कार्यरत प्रवेश कुमार के स्वजन को परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने नजफगढ़ स्थित उनके आवास पर एक करोड़ का चैक दिया। वजीरपुर के विधायक राजेश गुप्ता अशोक विहार पहुंचे और एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर मीत कुमार के स्वजन को चैक सैंपा। उधर, एयरफोर्स के सुनील मोहंती के स्वजन को भी एक करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। चैक तैयार है, लेकिन किसी कारणवश द्वारका स्थित आवास पर जाकर उनके स्वजन को शुक्रवार को चैक सौंपा नहीं जा सका। हम दिल्ली सरकार की इस अनूठी पहल की सरहाना करते है। शहीद हुए व्यक्तियों के घर जाकर उनकी आर्थिक मदद करना निसंदेह बहुत नेक काम है। दिल्ली सरकार बधाई की पात्र है।

राम रहीम डेरे के पूर्व प्रबंधक की हत्या में दोषी करार

रोहतक की सुनारिया जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम सिंह को डेरे के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में दोषी करार दिया है। पंचकुला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को 19 साल पुराने इस मामले में पांच लोगों को दोषी पाया। सजा पर फैसला जल्द को सुनाया जाएगा। राम रहीम सिंह दो अनुयायियों के साथ बलात्कार मामले में 2017 में दोषी ठहराए जाने के बाद से जेल में बंद हैं। सीबीआई के विशेष अभियोजक एचपीसी वर्मा ने फोन पर बताया कि विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह और चार अन्य किशन लाल, जसबीर सिंह, अवतार सिंह और सबदिल को हत्या का दोषी बताया। हाल में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में पंचकुला में विशेष सीबीआई अदालत से किसी अन्य विशेष सीबीआई अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध खारिज कर दिया। पूर्व डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की 2002 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। एक अज्ञात पत्र प्रसारित करने में संदिग्ध भूमिका के चलते उसकी हत्या की गई थी। इस पत्र में बताया गया था कि डेरा प्रमुख मुख्यालय में किस प्रकार महिलाओं का शोषण करता है। सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार डेरा प्रमुख का मानना था कि इस अज्ञात पत्र को प्रसारित करने में रणजीत सिंह का हाथ था और उसने उसकी हत्या की साजिश रची। विशेष अदालत ने जैसे ही गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराया वह परेशान हो गया। वह काफी समय तक जज की ओर हाथ जोड़कर खड़ा रहा और फिर फूट-फूटकर रेने लगा। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 13 October 2021

आशीष मिश्रा को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया

लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा मोनू को शनिवार देर रात आखिरकार गिरफ्तार कर ही लिया गया। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद हुई। एसआईटी के प्रभारी डीआईजी उपेन्द्र अग्रवाल ने शनिवार रात करीब 11 बजे बताया कि जांच में सहयोग नहीं करने के आरोप में आशीष मिश्रा को गिरफ्तार किया गया है। आशीष को लखीमपुर हिंसा मामले में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। एसआईटी ने करीब 12 घंटे आशीष से पूछताछ की। इसके बाद शनिवार देर रात जांच में सहयोग न करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसे लखीमपुर की कोर्ट में पेश किया गया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने जेल भेज दिया। एसआईटी ने पूछताछ में आशीष से 150 से ज्यादा सवाल पूछे, लेकिन अग्रवाल के मुताबिक सवालों के अतार्पिक जवाब मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि एसआईटी के सामने 12 पेन ड्राइव में कई वीडियो, फोटो और दर्जनभर शपथ पत्र देने वाले लोगों ने दावा किया है कि घटना के दिन आशीष ग्राम बनवीरपुर में दंगल कार्यक्रम में मौजूद थे और महिंद्रा कार में घटना के समय मौजूद नहीं थे। हालांकि कई वीडियो में यह साफ दिख रहा है कि महिंद्रा कार में आशीष मौजूद थे। तीन अक्तूबर की घटना में आठ लोगों की जान चली गई थी। वाहन से कुचल कर चार किसानों की मौत हो गई थी। कवरेज करते अपनी ड्यूटी निभाते एक बहादुर पत्रकार भी इस हिंसा में मारे गए थे। बहराइच निवासी जगजीत सिंह द्वारा दायर प्राथमिकी में आशीष मिश्रा और 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल पर वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 309ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120बी (साजिश) के तहत मामला दर्ज कराया था। आंदोलन करने वाले किसानों ने मांग की है कि मंत्री पिता को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए। अजय मिश्रा टेनी पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे। मिलने के बाद मिश्रा टेनी ने साफ कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। मामला अब अदालत में है। पुलिस को साबित करना होगा कि आशीर्ष उन चार किसानों की हत्या के दोषी हैं और उस दिन वह महिंद्रा कार में मौजूद थे जिस दिन चार किसानों को कुचला गया। यह भी साबित करना होगा कि यह इरादतन किया गया। आशीष की कोशिश होगी कि वह यह साबित करें कि वह उस दिन महिंद्रा कार में मौजूद नहीं थे।

एक बार फिर चीनी सैनिकों को खदेड़ा

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। पूर्वी लद्दाख में बुरी तरह से मुंह की खाने के बाद भी वह भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की कोशिश कर रहा है। इस बार चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के त्वांग सैक्टर में घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन मुस्तैद भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया। इस दौरान कुछ समय के लिए दोनों तरफ से सैनिक आमने-सामने भी आ गए थे और उनके बीच झड़प भी हुई, लेकिन भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। खबर यह भी है कि भारतीय जवानों ने कुछ चीनी सैनिकों को पकड़ लिया था, जिन्हें स्थापित प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडर स्तर पर दोनों पक्षों के बीच बातचीत से मसला सुलझने के बाद छोड़ा गया। यह घटना हफ्तेभर पहले त्वांग सैक्टर में भांग्झी इलाके में हुई थी। बताया जाता है कि चीनी सैनिक लगभग 200 जवान पेट्रोलिंग करते हुए सीमा पार कर भारतीय इलाके में घुसने का प्रयास करने लगे। इनकी गतिविधियों पर निगाह रख रहे भारतीय सैनिकों ने सीमा का अतिक्रमण करने के चीनी सैनिकों के इरादे को भांपते हुए तत्काल उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए आगाह किया। चीनी सैनिकों ने चेतावनी की अनदेखी कर भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की तब भारतीय सैनिकों ने मोर्चा संभाल लिया और उन्हें वहीं रोक दिया। इस दौरान उनके बीच कुछ देर झड़प भी हुई। हालांकि दोनों देशों के स्थानीय कमांडरों के स्तर पर जल्द ही इस मामले को सुलझा लिया गया। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सौ से ज्यादा चीनी सैनिक भारतीय इलाके में आ गए थे। इसके बाद दोनों पक्षों ने तैनाती बढ़ा दी थी। तनाव कुछ घंटों तक रहा। इस दौरान भारतीय इलाके में किसी बंकर या अन्य रक्षा तैयारी को कोई नुकसान नहीं हुआ। बता दें कि चीनी सैनिक अकसर भारत से लगी सीमा पर एलएसी पर भारत के बनाए बंकरों या बाकी तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर को नष्ट करके चले जाते हैं। इरादे क्या हैं पड़ोसी के? चीन सरकार के प्रापेगंडा को चलाने वाली पेइचिंग की न्यूज वेबसाइट सोहू ने दावा किया था कि चीन साल 2024 तक अरुणाचल प्रदेश पर कब्जे की तैयारी कर रहा है। यह विवादित लेख साल 2013 में प्रसारित हुआ था। लेकिन पिछले दिनों फिर से चीन के सोशल मीडिया में यह वायरल हो गया था। इसमें कहा गया है कि चीन साल 2020 से 2026 के बीच में ताइवान, भारत, जापान और रूस से सैन्य मुठभेड़ की तैयारी कर रहा है। चीन का मकसद साल 2025 तक ताइवान पर कब्जा कर लेना है। पिछले साल पांच मई को लद्दाख वाली झड़प के बाद से चीन का आक्रामक रुख बढ़ता जा रहा है। 10 मई को सिक्किम में भारत-चीन सैनिकों की झड़प हुई। जून में चीनी ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर कई जगह आगे आ गया था। 15 जून को गलवान में खूनी झड़प हुई थी। इस साल अगस्त में चीनी उत्तराखंड में घुस आए थे। चीन की नीयत साफ है पर उसे समझना होगा कि भारत भी उसको खदेड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। जय हिन्द।

मुंबई पुलिस ने भेजा सीबीआई निदेशक को समन

मुंबई पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण से जुड़े फोन टैपिंग और आंकड़े लीक होने के मामले में शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और सीबीआई के निदेशक सुबोध जायसवाल को समन भेजा। जायसवाल को 14 अक्तूबर को उपस्थित होने के समन में कहा गया है कि वह अपना बयान दर्ज कराएं। फोन टैपिंग होने के वक्त जायसवाल प्रदेश के डीजीपी थे। मुंबई पुलिस की साइबर सेल ऑफिशियल सीकेट एक्ट के तहत इस मामले की जांच कर रही है। वहीं इसकी सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट भी कर रहा है। पुलिस ने अदालत में कहा है कि जायसवाल को समन ई-मेल के जरिये भेजा गया है, जिसमें उन्हें अगले गुरुवार को पेश होने के लिए कहा गया है। महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी जायसवाल को इस साल मई में दो साल के लिए सीबीआई का प्रमुख नियुक्त किया गया है। वह मुंबई पुलिस के आयुक्त भी रह चुके हैं। यह पूरा मामला 2020 का है। महाराष्ट्र पुलिस के खुफिया विभाग की प्रमुख आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने एक खुफिया रिपोर्ट तैयार की थी। रश्मि शुक्ला ने इसे 25 अगस्त 2020 को तत्कालीन डीजीपी सुबोध जायसवाल को भेजी थी। इसमें पुलिस अफसरों के तबादले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। कई आईपीएस अफसरों और मंत्रियों के फोन टेप किए जाने के बाद उनकी बातचीत का ब्यौरा था। जायसवाल ने यह रिपोर्ट अपनी नोटिंग के साथ तत्काल एसीएस गृह सीताराम पुंटे को सौंपकर जांच की मांग की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने राज्य में बड़े तबादले रैकेट का आरोप लगाया था। उन्हें कई घंटों की रिकॉर्डिंग केंद्रीय गृह सचिव को सौंपी थी। आरोप है कि जांच के दौरान वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों के फोन टेप किए गए और रिपोर्ट जानबूझ कर लीक की गई। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 12 October 2021

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पत्रकारों का सम्मान

जान की बाजी लगाकर अभिव्यक्ति की आजादी, गलत सूचनाओं से मुकाबला और निरंकुश सरकारों को जिम्मेदार ठहराने का संघर्ष कर रहे दो पत्रकारों को इस बार शांति के नोबेल पुरस्कारों के लिए चुना गया है। नोबेल कमेटी ने शुक्रवार को रूस के पत्रकार दिमित्री मुरातोव (59) और फिलीपींस की मारिया रेसा (58) को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने की घोषणा की। कमेटी ने कहाöइन दोनों ने बोलने की आजादी की रक्षा की पुरजोर कोशिश की। यह लोकतंत्र और शांति के लिए जरूरी शर्त है। यह दुनिया के उन पत्रकारों के प्रतिनिधि हैं, जो अपनी-अपनी जगहों पर विपरीत हालात में संघर्ष करते हुए लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 80 साल बाद किसी पत्रकार को नोबेल पुरस्कार मिला है। इससे पहले 1935 में जर्मन पत्रकार कॉर्ल वॉन ओस्सिएट्जकी को जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध के बाद गुप्त रूप से फिर से सशस्त्र हो रहा है के खुलासे के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। 126 साल के इतिहास में मारिया 18वीं महिला हैं जिन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिला। मारिया फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते को उनके फैसलों और गलत सूचनाओं के लिए लगातार जिम्मेदार ठहराती रही हैं। उन्हें 2018 में टाइम मैग्जीन ने पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया था। मारिया ने 2012 में पोर्टल शुरू किया और दुतेर्ते की सरकार से लोहा लेती रहीं। अपने पोर्टल के जरिये वह लगातार सरकारी भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करती रही हैं। मारिया ने देश में तानाशाही और सत्ता के दुरुपयोग का खुलासा किया। नशे के विरुद्ध युद्ध में मानवाधिकार हनन और हत्याओं को सामने लाईं। बताया कि सरकार ने सोशल मीडिया से फर्जी खबरें छपवाईं। विरोधियों को परेशान किया और सार्वजनिक विमर्श अपने मुताबिक करने के लिए खेल किया। रोज अपनी वेबसाइट बंद होने की आशंका के बावजूद सच्ची पत्रकारिता करती हूं, मारिया ने कहा। यह पुरस्कार रेखांकित करेगा कि आज पत्रकारिता कितनी कठिन है। सच की कीमत 28 साल में अखबार के छह पत्रकारों की हत्या हो चुकी है रूस में। नोबेल कमेटी कहती है कि 28 साल में छह पत्रकारों की हत्या के बावजूद दिमित्री ने अखबार की स्वतंत्र नीति छोड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने पत्रकारिता के पेशेवर और नैतिक मानकों का पालन करते हुए अपने पत्रकारों के कुछ भी लिखने के अधिकार का हमेशा बचाव किया। दिमित्री मुरातोव कहती हैंöइस पुरस्कार का श्रेय सिर्फ मैं नहीं ले सकती। यह उनका है जिन्होंने बोलने की आजादी की हिफाजत करते हुए अपनी जान गंवा दी। हम इन दोनों पत्रकारों को बधाई देते हैं और नोबेल कमेटी का धन्यवाद करते हैं कि आखिरकार उन्होंने पत्रकारिता का सम्मान किया। उन्होंने रेखांकित किया कि इस समय पत्रकारिता कितना जोखिमभरा काम है।

एयर इंडिया की घर वापसी

चार साल की जद्दोजहद के बाद कर्ज में डूबी सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया को न केवल नया खरीददार मिला है बल्कि उससे भी महत्वपूर्ण यह बात है कि टाटा समूह के पास जाना एयर इंडिया की 68 साल बाद घर वापसी है। एयर इंडिया की बिक्री शायद इसलिए आवश्यक हो गई थी, क्योंकि उसके घाटे से उबरने के कहीं कोई आसार नहीं थे। एक लंबे समय से सरकार उस पर धन व्यय कर रही थी, लेकिन वह घाटे से बाहर आने का नाम ही नहीं ले रही थी। प्रसिद्ध उद्योगपति जेआरडी टाटा ने वर्ष 1932 में टाटा एयर सर्विसेज नाम से विमानन कंपनी शुरू की थी, लेकिन 1953 में भारत सरकार ने एयर कारपोरेशन एक्ट पास कर टाटा सन्स से उसका मालिकाना हक खरीद लिया था। वर्ष 1962 में इसका नाम एयर इंडिया हुआ और सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी उड्डयन क्षेत्र में देश की शान थी। शायद यह गलत कदम था। इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि उस समय यह एयरलाइन दुनिया की प्रमुख उड्डयन कंपनियों में शामिल थी। दुर्भाग्य से उस समय के हमारे शासक इस सोच से ग्रस्त थे कि सब कुछ और यहां तक कि उद्योग-धंधे भी सरकार को चलाने चाहिए। इस सोच ने कुल मिलाकर निजी क्षेत्र को हमसे दूर कर दिया, रही-सही कसर कोटा-परमिट राज ने पूरी कर दी। एयर इंडिया के टाटा समूह के पास जाने का फैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है। यह घटनाक्रम सिर्फ इतना ही नहीं है कि लगातार कर्ज में डूबती एक एयरलाइंस को जीवन दान मिला है। यह इंडिया और इंडिया के भीतर के हवाई सफर करने की काया पलटने वाली है। टाटा के आने से एयर इंडिया की छवि उम्मीद की जाती है बदलेगी और भारत की छवि भी निखरेगी। टाटा की पहली चुनौती इस इंटरनेशनल एयरलाइंस को नई लीडरशिप और कुशल मैनेजमेंट देने की है। इसके लिए जो नॉलेज, पेशन और पैसा चाहिए वह सब टाटा के पास है। एक कमजोर एयर इंडिया देश की प्राइवेट एयरलाइंस को कोई प्रतिस्पर्धा नहीं दे पा रही थी। अब प्राइवेट सैक्टर की एयरलाइंस को भी बदलना पड़ेगा, दुनिया की कई मंजिलें हैं, जहां भारत से एयर इंडिया के विमान ही जाते हैं। दरअसल सरकार ने संसद को बताया था कि अगर एयर इंडिया बिक नहीं पाती, तो इसे बंद करना ही एकमात्र उपाय था। ऐसे में देखें तो देर से ही सही पर बदहाल एयर इंडिया को टाटा समूह जैसा बेहतर खरीददार मिला है। इससे विमानन के क्षेत्र में खुद टाटा समूह की स्थिति मजबूत होगी, जो पहले से ही सिंगापुर एयरलाइंस के साथ विमानन सेवा विस्तारा का परिचालन कर रहा है। इस सौदे का फायदा विस्तारा को व्यापक रूप देने में हो सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण देश में उद्योगीकरण की बदलती तस्वीर और नीति-नियंताओं की बदलती प्राथमिकताओं के बारे में भी बताता है। टाटा समूह को वैसे भी इस समय विस्तारा और एयर एशिया के संचालन का अच्छा-खासा अनुभव है। एक तरह से टाटा के पास अब तीन एयरलाइंस हो गई हैं। यह तो भविष्य ही बताएगा कि टाटा प्रबंधन कैसे एयर इंडिया को फिर से पटरी पर लाता है, लेकिन यह संतोषजनक है कि सरकार ने इस कंपनी के कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है।

नवाब मलिक का सनसनीखेज आरोप

क्रूज पर छापेमारी करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारियों पर हमला जारी रखते हुए एनसीपी प्रवक्ता और महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री नवाब मलिक ने शनिवार को एक और खुलासा करने की चेतावनी दी। उन्होंने यह बताने का दावा किया कि कैसे भाजपा से जुड़े एक व्यक्ति को एजेंसी ने कथित रूप से भगाने में मदद की। वहीं अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने क्रूज शिप पर ड्रग्स पार्टी करने के आरोप में गिरफ्तार आर्यन, अरबाज मर्चेंट और मुनमुन की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। मलिक ने शुक्रवार को कहाöमेरे पास फोटो और वीडियो समेत पूरे सुबूत हैं। एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने खुद कहा था कि उन्होंने दो अक्तूबर को आठ से 10 आरोपियों को हिरासत में लिया था। केवल आठ नाम सामने आए। बाकी दो का क्या हुआ? उन्होंने एनसीबी पर कथित रूप से अन्य दो लोगों की मदद करने का आरोप लगाया, जिनमें एक भाजपा नेता से संबंधित है। मलिक ने सवाल किया कि भाजपा के कौन से नेता वानखेड़े के सम्पर्क में हैं, पार्टी और संबंधित पहलुओं के साथ उनके क्या संबंध हैं और यह सब कैसे बॉलीवुड और राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए काम कर रहे हैं? उधर ड्रग्स केस में गिरफ्तार आर्यन खान सहित अन्य आरोपियों के वकीलों ने मीडिया को बताया कि वह जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन करेंगे। आरोपियों के वकीलों की दलीलों का अदालत पर कोई असर नहीं हुआ। अब अगली सुनवाई 13 अक्तूबर को होगी। एनसीबी का दावा है कि आर्यन खान ड्रग्स रैकेट का हिस्सा हैं। अब आरोपियों को ऑर्थर रोड जेल से बाहर निकालने के लिए सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 10 October 2021

महामारी से तो बच गए पर यह महंगाई मार डालेगी

कोरोना महामारी की दूसरी लहर जैसे-जैसे दम तोड़ रही है, आफत की एक नई लहर परवान चढ़ रही है। कोरोना की लहर से तो लोग किसी तरह बच भी गए पर अब जो लहर चल रही है उससे कोई बचने वाला नहीं। यह लहर है भयंकर महंगाई की। जिसके असर से सब पीड़ित हैं, लेकिन दुख है कि कोई कराह नहीं रहा। सब अपनी किस्मत को कोस रहे हैं और हाथ मल रहे हैं। कोरोना लाखों लोगों की नौकरियां खा गया और लाखों लोगों का वेतन आधा-अधूरा हो गया। लोग रिश्तेदारों से पैसे मांगकर या कर्ज लेकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। पिछले दो-तीन दिनों से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इसके लिए लोग अपना बजट बैलेंस कर ही रहे थे कि अब घरेलू गैस सिलेंडर के दाम भी 15 रुपए बढ़ा दिए गए हैं। ऐसे में चाहकर भी लोग अपना बजट संतुलित नहीं कर पा रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि कहां से घटाएं और कहां पर जोड़ें। दिल्ली के बाजार में शुक्रवार को पेट्रोल प्रति लीटर 103.54 रुपए पर चला गया जबकि डीजल 92.12 रुपए प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है। पिछले 11 दिनों से पेट्रोल की कीमत में 2.35 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने की वजह से रसोई के बजट पर असर पड़ा है। सब्जी से लेकर सरसों का तेल सबके तो दाम बढ़े हैं। कारोबार पर अभी कोविड महामारी का असर है। इस साल भी रसोई गैस के दाम जनवरी से हर महीने 15-25 रुपए के हिसाब से बढ़ाए जाते रहे हैं। अब इसमें और 15 रुपए की वृद्धि की गई है। गरीबों के काम आने वाले पांच किलो का सिलेंडर भी 500 रुपए से अधिक महंगा है। चाहे सब्सिडी वाला हो, बिना सब्सिडी वाला या कॉमर्शियल हो, हर तरह के सिलेंडर के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार का एक मासूम तर्प है कि तेल और गैस के दाम पेट्रोलियम कंपनियां तय करती हैं और यह रेट अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के आधार पर होते हैं। इन पर नियंत्रण किसी सरकार के वश में नहीं है। यह माना जा सकता है कि फिलहाल पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कुछ ऊपर चल रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में जब यह दाम काफी नीचे आ गए थे, तब भी देश के उपभोक्ताओं पर दाम बढ़ाकर लगातार बोझ डाला गया था। यह सही है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रसोई गैस और कच्चे तेल के दामों को नियंत्रित कर पाना सरकार के दायरे के बाहर है। लेकिन देश के भीतर लोगों को उचित दामों पर यह चीजें कैसे मिलें, इसके उपाय तो किए ही जा सकते हैं। पेट्रोल और डीजल पर लगाए जाने वाले भारी-भरकम शुल्कों को लेकर लंबे समय से आवाज उठती रही है। एक लीटर पेट्रोल या डीजल के दाम में दो-तिहाई के करीब तो केंद्र और राज्यों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क ही होते हैं। सरकारों ने इसे खजाना भरने का बड़ा और आसान जरिया बना लिया है। दरअसल सरकारें जानती हैं कि ईंधन, रसोई गैस, दूध, खाने-पीने का सामान कितना भी महंगा क्यों न कर दिया जाए, लोग बिना खरीद के रह नहीं सकते। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई सहमति नहीं बनती दिखना भी बता रही है कि भविष्य में पेट्रोलियम उत्पाद और महंगे ही होंगे, यानि हर तरह से महंगाई बढ़ेगी। जनता परेशान है क्योंकि ईंधन, दूध और घर चलाने के लिए सामान खरीदना उसकी मजबूरी है चाहे दाम कितने ही बढ़ जाएं, लेकिन जनता कब तक ऐसा झेलेगी? ऐसा न हो कि लोगों की बिगड़ती माली हालत सरकारों का ही पसीना न छुड़ा दे।

एनसीबी के सिंघम

कूज पार्टी का भंडाफोड़ होने के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े फिर चर्चा में हैं। पिछले साल अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग्स ऐंगल की जांच को लेकर सुर्खियों में आए वानखेड़े मुंबई के सिंघम कहे जाते हैं। वह सख्त अधिकारी माने जाते हैं और उनसे बड़े-बड़े सेलिब्रेटी भी डरते हैं। समीर वानखेड़े वर्ष 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं। आईआरएस में आने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर डिप्टी कस्टम कमिश्नर के तौर पर हुई थी। वह एयर इंटेलिजेंस और एनआईए के उपायुक्त भी रह चुके हैं। इसके बाद उन्हें एनसीबी का जोनल डायरेक्टर बनाया गया। उन्हें ड्रग्स से जुड़े मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। एनसीबी में आने के बाद उन्होंने अब तक 300 स्थानों पर छापे मारे हैं और करीब 17 हजार करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ के रैकेट का पर्दाफाश किया है। साथ ही कई चर्चित ड्रग्स पैडलरों को जेल की कोठरी तक पहुंचाया है। उन्होंने मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग में रहते हुए कथित तौर पर कई मशहूर हस्तियों को कस्टम क्लीयरेंस तब तक नहीं दी थी, जब तक उन्होंने विदेशी मुद्रा में खरीदे गए सामान की पूरी जानकारी नहीं दे दी। उन्होंने वर्ष 2017 में मराठी अभिनेत्री क्रांति रेडकर से शादी की। क्रांति ने फिल्म गंगाजल में काम किया। समीर वानखेड़े इस वक्त बॉलीवुड के ड्रग्स कनैक्शन की जांच में जुटे हैं। उन्होंने ही कूज रेव पार्टी पर रेड के बाद शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को अरेस्ट किया। पति समीर खानखेड़े पर क्रांति रेडकर को गर्व है। उन्होंने हाल में दिए गए एक चैनल को इंटरव्यू में बताया कि समीर बेहद मेहनती हैं। जब भी समीर अपने ऑपरेशंस को अंजाम देते हैं या फिर कुछ जांच में जुटे होते हैं तो मैं उनसे कभी नहीं पूछती कि क्या हुआ, कैसे हुआ, क्योंकि मैं उनके काम की प्राइवेसी समझती हूं। कभी-कभी तो वह इतने बिजी हो जाते हैं कि सो भी नहीं पाते हैं। वह 24द्ध7 काम करते हैं और बामुश्किल से दो घंटे सोते हैं। क्रांति ने कहा कि उनके पति समीर बहुत ही शांत और रोबोर्ट टाइप के हैं। वह कभी किसी को कुछ नहीं बताते और न ही कभी हंसते हैं। क्रांति रेडकर बोलींöतब मैंने उनसे कहा कि इंटरव्यू के दौरान स्माइल किया करिए, लेकिन इंटरव्यू के दौरान वह जो स्माइल देते भी हैं वह बनावटी होती है।

सीआईए के मुखबिरों को ठिकाने लगाया

सीआईए ने स्वीकार किया है कि दुनियाभर में उसके कई मुखबिरों को मारा जा रहा है, उन्हें पकड़ा जा रहा है या उनके जासूसों के लिए एक गुप्त मेमो बनाया जा रहा है। डेली मेल की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। सभी सीआईए स्टेशनों और ठिकानों पर भेजी गई असामान्य केवल या जानकारी में कहा गया है कि काउंटर इंटेलिजेंस मिशन सेंटर ने पिछले कई वर्षों में दर्जनों मामलों का विश्लेषण किया है। न्यूयॉर्प टाइम्स के अनुसार मेमो ने मारे गए मुखबिरों की सटीक संख्या दी है। वर्गीकृत जानकारी आमतौर पर ऐसे केबलों में साझा नहीं की जाती है। पूर्व अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया है कि चीन और ईरान ने एजेंसी की वर्गीकृत संचार प्रणाली या कोवकॉम को तोड़ दिया और नेटवर्प में शामिल मुखबिरों को मार डाला। मेमो खराब ट्रेडक्राफ्ट के लिए जासूसी करता है, स्रोतों पर अत्याधिक भरोसा करता है, विदेशी खुफिया एजेंसियों को कम आंकता है। रूस, चीन, ईरान और पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में मुखबिरों का शिकार करने में सफलता हासिल की है। कुछ मामलों में उन्हें दोहरे एजेंटों में बदल दिया गया है। ईरान और चीन में कुछ खुफिया अधिकारियों का मानना है कि अमेरिकियों ने उन विरोधी एजेंसियों को जानकारी प्रदान की है, जो मुखबिरों को बेनकाब करने में मदद कर सकते हैं। अमेरिकी अधिकारियों को संदेह है कि चीन ने मिली जानकारी को रूस से साझा किया, जिसने इसका इस्तेमाल अमेरिकी जासूसों को बेनकाब करने और मारने के लिए किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन निष्कर्षों ने सीआईए को चीन में मानव जासूसी को अस्थायी रूप से बंद करने और दुनियाभर में खुफिया सम्पत्तियों के साथ संचार करने के तरीके का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया है। -अनिल नरेन्द्र