Sunday, 3 October 2021
सीमा पर नए सिरे से तैनाती कर रहा है चीन
लद्दाख और उत्तराखंड से लगे सीमाई इलाकों में चीन की बढ़ती हरकतें चिन्ता पैदा करने वाली हैं। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास 50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए जाने की खबर है। 17 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में हुई मुठभेड़ के बाद फिर से चीन सीमा रेखा के पास अपनी सेना के लिए नए बंकर बना रहा है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पूर्वी लद्दाख के सामने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास करीब आठ लोकेशन पर नए मॉड्यूलर कंटेनर (अस्थायी टैंट) जैसी रहने की व्यवस्था की है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उत्तर के काराकोरम पास के करीब वहाब जिल्गा से लेकर पीयू, हॉट प्रिंग्स, यांग ला, ताशिगएंगा, मानजा और युरुप तक के लिए शेल्टर बनाया है। हर लोकेशन पर सात कलस्टर्स में 80 से 84 तक कंटेनर्स बनाए गए हैं। पिछले साल अप्रैल-मई में भारत-चीन के बीच हुए सैन्य टकराव के बाद से चीन ने कई नए कैंप बनाए हैं। यह नए कैंप पुराने मौजूदा कैंपों के अलावा बनाए गए हैं। इससे साफ पता चलता है कि लंबे समय तक सीमा से अपनी फौज हटाने का चीन का कोई इरादा नहीं है। भारतीय सेना ने भी सीमा पर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सीमा के नजदीक पहुंच बनाने के लिए कई आलवेदर सड़कों का निर्माण किया है। एलएसी पर सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया है। चीन सीमा पर सैनिकों की घातक टुकड़ियों को भी तैनात किया गया है जो किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। भारत और चीन, दोनों ने पूर्वी लद्दाख के पास सीमा रेखा पर 50-50 हजार सैनिक तैनात किए हुए हैं। इनके पास हाट्जिर, टैंक और सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी हैं। इस असहज स्थिति के बीच दोनों तरफ से नियमित रूप से सैनिकों को बदलना जारी है। चीन ने इस क्षेत्र में कई एयरस्ट्रिप और नए हैलीपैड भी बनाए हैं, जो लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक फैले हुए हैं। इसके साथ ही चीन ने यहां अपने प्रमुख एयरबेस होतन, करणार, गुरयुनसा, ल्हासा-गोगर और शिकारसे को भी अपग्रेड किया है। इसमें तो कोई संदेह नहीं है कि सीमाई इलाकों में सैन्य गतिविधियां बढ़ाकर चीन भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल के महीनों में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान और भारत के चौगुटे (क्वाड) की सक्रियता से चीन के माथे पर परेशानी साफ झलक रही है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर क्वाड में भारत की बढ़ती भूमिका से भी चीन हिल गया है। इसलिए भारतीय इलाकों में घुसपैठ और हमले करके वह भारत को धमका रहा है। चीन को समझना चाहिए कि यह वक्त विवाद बढ़ाने का नहीं, बल्कि लंबित मुद्दों को शांति से निपटाने का है। गलवान घाटी मसले पर अब तक हुई वार्ताओं में बनी सहमतियों के अनुरूप काम करने की जरूरत है। गलवान घाटी में पिछले साल हुई भारत-चीन झड़प तो उसे याद रखनी चाहिए। भारत पूरी तरह से तैयार है। वह किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने में अब सक्षम है। लेकिन जानबूझ कर वह जिस रास्ते पर बढ़ रहा है, वह टकराव को और बढ़ाने वाला ही साबित होगा।
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