Thursday 29 June 2023

सीएम हटाओ राष्ट्रपति शासन लगाओ

मणिपुर के हालात संभाले नहीं संभल रहे हैं। मणिपुर में करीब दो महीने से चल रही हिसा पर नियंत्रण करने के लिए शनिवार को बुलाईं गईं सर्वदलीय बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री की कार्यंशैली पर सवाल उठाए गए। अधिकतर दलों ने प्राधानमंत्री के साथ सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। तृणमूल कांग्रोस ने सर्वदलीय प्रातिनिधि मंडल भेजने की मांग की, वहीं समाजवादी पाटा ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया कि सभी के सहयोग से राज्य में शांति बहाली की जाएगी। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुईं सर्वदलीय बैठक में लगभग सभी राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के मणिपुर प्राभारी डॉ. संबित पात्रा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रोस नेता ओकराम इबोबी सिह, टीएमसी से डेरेक ओ ब्रायन, मेघालय के सीएम व एनसीपी नेता कोनराड संगमा, (शिवसेना उद्धव गुट) से प््िरायंका चतुव्रेदी, अन्नाद्रमुक, बीजद, आप पाटा व राजद नेता शामिल हुए। उधर मणिपुर में भीड़ ने राज्य सरकार में मंत्री एल. सुसींद्रो के इंफाल पूवा, जिले के चिनगारेल स्थित निजी गोदाम में आग लगा दी। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी। भीड़ ने उपभोक्ता एवं खादृा मामलों के मंत्री सुसींद्रो के इसी जिले के खुरईं इलाके में स्थित आवास और अन्य सम्पत्तियों को भी शुव््रावार रात आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने वक्त पर पहुंचकर उन्हें रोक दिया। पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने आधी रात आंसू गैस के कईं गोले छोड़े ताकि भीड़ को मंत्री के खुरईं स्थित आवास का घेराव करने से रोका जा सके। इससे पहले राज्य की महिला मंत्री निपया किपगेट के इंफाल पािम जिले के ताकझेल इलाके स्थित घर को 14 जून की रात को अज्ञात लोगों ने जला दिया। यह स्थिति तब है जबकि मणिपुर में इस वक्त रिकॉर्ड संख्या में सुरक्षा बल और अधिकारी तैनात हैं। विपक्ष का जोर है कि वहां एक सर्वदलीय प्रातिनिधि मंडल भेजा जाए, जो वुकी एवं मैतेईं समुदाय से बात करे। यह सब प्रायास ऐसे समय अपेक्षित होते हैं और किए भी जाने चाहिए। इससे उस हिसा पीिड़त राज्य को संदेश जाता है कि उनके मुद्दों को लेकर पूरा देश चिंतित है। राज्य की सरकार और उसके मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिह जनता का भरोसा खो चुके हैं। बहुसंख्यक मैतेईं मानते हैं कि वह सरकार के समर्थन के बावजूद मर रहे हैं तो वुकी समुदाय भी इन पर भरोसा नहीं करता। मणिपुर जल रहा है और तुरन्त स्थित पर काबू पाने की सख्त जरूरत है। ——अनिल नरेन्द्र

विपक्षी एकता का राउंड वन

बिहार की राजधानी पटना में हुईं विपक्षी दलों की बैठक कईं मायनों में ऐतिहासिक रही। इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार भाजपा विरोधी 15 राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने में सफल रहे। यह भी अपने आपमें एक ऐतिहासिक लम्हा रहा। करीब साढ़े तीन घंटे की बैठक में विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एक होकर चुनाव लड़ने पर सहमत हो गए। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में लालू प्रासाद यादव ने बताया कि जुलाईं में अगली बैठक शिमला में होगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। निशाने पर है 2024 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वेंद्र की एनडीए सरकार को शिकस्त देना। दूसरी ओर भाजपा के शीर्ष नेताओं की नजर में यह एकता बहुत चलने वाली नहीं है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अगर विपक्षी एकता हो भी गईं तो सिर्प बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र में ही भाजपा के लिए थोड़ी चुनौती होगी जिसे सही रणनीति और मुद्दों के जरिये ध्वस्त किया जा सकता है। महाराष्ट्र में 48, बिहार में 40 और झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं। पिछली बार उत्तर प्रादेश में विपक्षी एकता के मुकाबले भाजपा लड़कर दिखा चुकी है। बाकी की साढ़े चार सौ सीटों पर विपक्षी एकता का कोईं अर्थ ही नहीं है। दरअसल विपक्षी दलों की एकजुटता का प्रायास पहली बार नहीं हुआ है। नए बने गठबंधन में ज्यादातर क्षेत्रीय दल हैं और सबके अपने क्षेत्रीय स्वार्थ, समीकरण और मुद्दे हैं। कईं राज्यों में सबकी लड़ाईं भाजपा के अलावा कांग्रोस से भी है। इस तरह अगर सभी एकजुट होकर केवल भाजपा के विरोध में उतरते हैं तो उन्हें कांग्रोस के साथ अपनी अपनी सीटों का बंटवारा करना पड़ेगा, जिसके लिए खासा मंथन और विरोध से गुजरना होगा। इसका मतलब यह नहीं कि विपक्षी एकता हो नहीं सकती। कोशिश यह रहेगी कि भाजपा के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार हो। फाइट वन टू वन हो। राहुल गांधी ने कहा कि राज्यवार मतभेदों को दूर किया जाएगा। अगर कांग्रोस को वुछ वुर्बानी देनी पड़ेगी तो देंगे। बहुत से सीटों पर भाजपा-कांग्रोस की सीधी टक्कर है। इसमें कोईं शक नहीं कि भाजपा का ग्राफ नीचे आ रहा है और मोदी जी की लोकप््िरायता 2019 जैसी नहीं होगी। फिर इन तमाम विपक्षी दलों को यह भी मालूम है कि अगर 2024 में मोदी जी जीत जाते हैं तो इनका क्या हाल होगा। भाजपा ने इस गठबंधन को तोड़ने की पूरी कोशिश की पर सफल नहीं हुआ। मतभेद बहुत हैं, विरोधाभास भी बहुत हैं पर ईंडी, सीबीआईं, जेल के डर के कारण भी इनकी साथ आने की मजबूरी है। दरअसल अगला राउंड सबसे अहम होगा। नीतीश वुमार ने पहले दो पड़ावों को पार करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं है। 10 या 12 जुलाईं को शिमला में इस विपक्षी एकता का दूसरा राउंड होगा। जहां सीटों के बंटवारे और चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। एकता आसान नहीं पर असंभव भी नहीं।

Tuesday 27 June 2023

टाइटन की सवारी जानलेवा साबित हुईं

दुनिया के सबसे चर्चित जहाज टाइटैनिक का मलबा दिखाने गईं पनडुब्बी टाइटन के दुर्घटनाग्रास्त होने की जानकारी सामने आईं है। यह पनडुब्बी बीते रविवार से ही लापत हो गईं थी। इसके बाद इसकी तलाश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बचाव अभियान चलाया गया और गुरुवार को इस पनडुब्बी का मलबा समुंदर की सतह पर पड़े होने की जानकारी सामने आईं। अमेरिकी तटरक्षक बल ने घोषणा की है कि टाइटैनिक के पास खोजकर्ताओं को लापता पनडुब्बी टाइटन का मलबा मिला है। गुरुवार दोपहर एक प्रोस वार्ता में यूएस कोस्ट गार्ड रोमैट एडमिरल जॉन माउगर ने कहा कि रिमोट से संचालित वाहन (आरओवी) ने समुद्र तट पर टाइटैनिक से लगभग आधा किलोमीटर दूर टाइटन पनडुब्बी के तेल कोन की खोज की। माउगर ने कहा—बाद में आरओवी को अतिरिक्त मलबा मिला। उन्होंने कहा कि मैं पीिड़त परिवारों के प्राति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। समर्सिबल का स्वामित्व और संचालन करने वाली अमेरिका स्थित वंपनी ओशनगेट एक्सपीडिशन ने एक बयान में कहा कि उनका मानना है कि टाइटैनिकबाउंड समर्सिबल के पांचों यात्रियों की दुखद मौत हो गईं है। इन यात्रियों में अरबपति हामिश हार्डिग प्रांसीसी एक्सरगोन पॉल-हेनरी, एक प्रामुख पाकिस्तानी परिवार के अरबपति शहजादा दाउद और उसका बेटा सुलेमान दाउद और ओशनगेट एक्सपीडिशन के सीईंओ और टाइटन पायलट स्कॉकरन रश शामिल है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार रविवार सुबह उतरी अटलांटिक में टाइटैनिक के मलबे की ओर गोता लगाने के दौरान पनडुब्बी पूवा कनाडा में न्यूफाउंडलैंड के तट से 600 किलोमीटर से अधिक दूर लापता हो गईं। अमेरिकी तटरक्षकों के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय खोज की टीम लापता पनडुब्बी का पता लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था। अनुमान लगाया गया था कि पनडुब्बी में 96 घंटे का ऑक्सीजन है, जिसके गुरुवार की सुबह तक खत्म होने की उम्मीद थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस क्षेत्र में समर्सिबल गायब हुईं थी। वहां मंगलवार और बुधवार पानी के भीतर सोनार, उपकरणों ने धमाके की आवाजें सुनीं। माउगर ने कहा कि शोर और समुद्र तट पर समर्सिबल के स्थान के बीच कोईं संबंध प्रातीत नहीं होता। ओशनगेट अभियान ने समुद्र की सतह से 3800 मीटर नीचे मलबे तक पहुंचने के लिए पनडुब्बी का उपयोग किया। अब तक जो बात पता चली है वह विनाशकारी विस्फोट से मेल खाती है क्योंकि मलबे के दो ढेर मिले हैं। एक ढेर में टाइटन का पिछला हिस्सा मिला है और वहीं दूसरे ढेर में टाइटन का लैडिंग प्रोम दिखा है। यह इस बात का संकेत देता है कि पनडुब्बी में धमाका हुआ होगा। इस पनडुब्बी में ब्लैक बॉक्स नहीं था। ऐसे में अंतिम समय की कोईं जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी। ——अनिल नरेन्द्र

अमेरिकी मीडिया की नजरों में मोदी का दौरा

भारत के प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे की चर्चा पूरी दुनियाभर के मीडिया में हो रही है। अमेरिकी मीडिया में भी इस दौरे को खासा तवज्जो मिली है। पीएम मोदी पहली बार अमेरिकी राजकीय अतिथि बनकर गए। दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी पहली बार अमेरिका के स्टेट विजिट पर गए। मोदी ने अमेरिकी कांग्रोस को भी संबोधित किया। प्राधानमंत्री के रूप में पीएम मोदी ने अमेरिकी कांग्रोस को दूसरी बार संबोधित किया है। अमेरिकी कांग्रोस के रूप में दो बार संबोधित करने वाले मोदी भारत के पहले प्राधानमंत्री बन गए हैं। अमेरिकी मीडिया में मोदी के दौरे पर मिलीजुली प्रातिव््िराया है। कईं सांसदों की ओर से अमेरिकी कांग्रोस में पीएम मोदी के भाषण के बहिष्कार की खबर को भी अमेरिकी मीडिया ने प्रामुखता से छापा है। इसके अलावा भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार, लोकतंत्र और प्रोस पर कथित हमलों से जुड़े सवाल भी पीएम मोदी के दौरे में पूछे गए और इन सवालों को अमेरिकी मीडिया ने भी प्रामुखता से उठाया है। करीब आधा दर्जन डेमोव््रोट्स सांसदों ने अमेरिकी कांग्रोस में पीएम मोदी के भाषण का बहिष्कार किया। इनमें मिशिगन से राशद तालिब, मिसौरी से छोटी बुश, मिने सोरा से इल्लान उमर और न्यूयार्व से जमाल काकेस ने मोदी के भाषण का बहिष्कार करते हुए साझा बयान दिया। इनके साझा बयान को न्यूयार्व टाइम्स ने प्रामुखता से जगह दी है। बयान में इन्होंने कहा है कि भारत के प्राधानमंत्री मोदी को अमेरिकी कांग्रोस का मंच देकर धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों और पत्रकारों की आवाज कमजोर की गईं है। न्यूयार्व टाइम्स ने लिखा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मोदी के स्वागत में कोईं कसर नहीं छोड़ी। बाइडन चाहते हैं कि रूस और चीन के साथ जब अमेरिका की तनातनी चल रही है। ऐसे में भारत उसके साथ रहे। मोदी के इस दौरे में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि बाइडन ने मोदी को संयुक्त प्रोस कांप्रोंस में रिपोर्टर से सवाल लेने के लिए तैयार किया। पिछले एक दशक में राष्ट्रवादी प्राधानमंत्री मोदी के लिए यह विरले था कि उन्होंने रिपोर्टर का सीधा सवाल लिया। मोदी से भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार और लोकतंत्र को लेकर पूछा सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि भारत के डीएनए में लोकतंत्र है और धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं हो रहा है। न्यूयार्व टाइम्स ने लिखा है—बाइडन ने मोदी के शासन में भारत में असहमति की आवाज दबाने और प्रोस की आजादी कमजोर होने के आरोपों को तवज्जो नहीं दी। एक रिपोर्ट में वाशिगटन पोस्ट ने लिखा है कि राष्ट्रपति बाइडन ने भारत के लोकतंत्र को लेकर उठते सवालों के बावजूद बचाव किया है। अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने भी मोदी के दौरे का व्यापक रूप से कवरेज किया है। सीएनएन अपनी रिपोर्ट में लिखता है—मोदी की लोकप््िरायता भारत में जबरदस्त है लेकिन अधिनायकवाद की तरफ उनका झुकाव पािम को चिंतित करता है। उन्होंने असहमति को तो नकार दिया है। पत्रकारों को निशाने पर लिया है और जिन नीतियों को उन्होंने आगे बढ़ाया है, उसे मानवाधिकार समूह मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताते हैं।

Tuesday 20 June 2023

सिधिया को बड़ा झटका

मध्य प्रादेश में लगता है कि कांग्रोस के पक्ष में हवा चल रही है। वुछ सव्रे में भी कांग्रोस को विधानसभा चुनाव में बढ़त दिखाईं जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान के खिलाफ जबरदस्त एंटी इंकमबैसी है। इसलिए हैरानी नहीं हुईं जब मध्य प्रादेश में वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया को बड़ा झटका लगा। सिधिया के कट्टर समर्थक बैजनाथ यादव भाजपा छोड़ कांग्रोस में शामिल हो गए। यादव 400 गािड़यों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचे। बता दें कि एक दिन पहले ही मंगलवार को सिधिया समर्थक बैजनाथ यादव ने भाजपा में प्रादेश कार्यं समिति सदस्य सहित सभी पदों से इस्तीफा देकर पुष्टि कर दी थी कि अब वह भाजपा में नहीं रहेंगे और एक दिन बाद ही बुधवार को उन्होंने कांग्रोस का दामन थाम लिया है। इस दल-बदल के दौरान बैजनाथ यादव ने अपनी ताकत का भी अहसास कराया। लगभग 400 गािड़यों के काफिले के साथ बैजनाथ यादव अपने समर्थकों के साथ राजधानी भोपाल स्थित पीसीसी कार्यांलय पहुंचे और कांग्रोस की सदस्यता ग्राहण की। मध्य प्रादेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे दोनों ही प्रामुख पाटा भाजपा और कांग्रोस में सेंधमारी का सिलसिला तेज होता जा रहा है। अब कांग्रोस ने भारतीय जनता पाटा में सेंधमारी की है। वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया के समर्थक बैजनाथ यादव को पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कांग्रोस की सदस्यता दिलाईं है। बता दें कि बैजनाथ यादव वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। जब ज्योतिरादित्य सिधिया कांग्रोस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे तब बैजनाथ यादव भी उनका साथ कांग्रोस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। लेकिन अब बैजनाथ यादव का सत्ताधारी दल भारतीय जनता पाटा से मोहभंग हो गया और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिह, पूर्व वेंद्रीय मंत्री अरुण यादव व विधायक जयवर्धन सिह की मौजूदगी में कांग्रोस की सदस्यता ली है। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने उन्हें कांग्रोस की सदस्यता दिलाईं है। बता दें कि बैजनाथ यादव मूलत: कांग्रोस नेता हैं लेकिन साल 2020 में सत्ता परिवर्तन के दौरारन बैजनाथ यादव भी तत्कालीन कांग्रोस नेता ज्योतिरादित्य सिधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। जानकारों का मानना है कि यह तो शुरुआत है। खासकर उन कांग्रोसियों के लिए जो सिधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इनको भाजपा टिकट देती है या नहीं, यह भी देखना बाकी है या फिर अपने पुराने कार्यंकर्ताओं को प्राथमिकता देती है? ——अनिल नरेन्द्र

मणिपुर में हिसा क्यों नहीं रुक रही?

सौ से ज्यादा लोगों की मौत, 50 हजार से ज्यादा विस्थापित लोगों के घर जलाए जा रहे हैं, दुकानें जलाईं जा रही हैं, चर्च जलाए जा रहे हैं। मणिपुर में हिसा के बीच डेढ़ महीना गुजर चुका है, इस दौरान वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा होना, हिसा की न्यायिक जांच की घोषणा किए जाने तथा शांति समिति का गठन होने के बावजूद हिसा रुकने के बजाय जिस तरह बढ़ती जा रही है, वह अत्यंत चिंताजनक है। असम के मुख्यमंत्री हिमत बिस्वा सरमा को मैतेईं और वुकी समुदाय के बीच खाईं पाटने की जिम्मेदारी दी गईं, लेकिन मणिपुर में हिसा लगातार जारी है। ताजा घटनाव््राम में गुरुवार की रात इंफाल के कोंगवा में स्थित वेंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिह के घर को आग लगा दी गईं। इसके पहले बुधवार को एक गांव में संदिग्ध चरमपंथियों के हमले में कम से कम नौ लोगो की मौत हो गईं थी। वेंद्र में भारतीय जनता पाटा की सरकार, राज्य में भारतीय जनता पाटा की सरकार.. लेकिन फिर भी हिसा जारी है। क्या वजह है कि वेंद्र और राज्य सरकार एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी तनाव और हिसा पर काबू नहीं कर पा रहे हैं? क्या प्राधानमंत्री और मुख्यमंत्री बीरेन सिह मणिपुर के मोच्रे पर विफल साबित हो रहे हैं? गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर दौरे के समय सभी पक्षों से बात कर 15 दिनों के भीतर शांति बहाल करने की अपील की थी। लेकिन हालात और खराब ही होते जा रहे हैं। वुछ विशेषज्ञों का कहना है कि हालात को ठीक करने के लिए जिस तरह के कदम उठाए जाने की जरूरत है वो कदम न वेंद्र सरकार ने उठाए और न ही राज्य सरकार ने। सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। वुकी और मैतेईं दोनों ही समुदाय के लोगों को लग रहा है कि उन्हें अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी। क्योंकि सरकार उनके लिए वुछ कर ही नहीं रही है और इसी वजह से हालात बिगड़ते चले गए क्योंकि लोग हिसा से निपटने के लिए खुद हिसा का सहारा ले रहे हैं। हाल के दिनों में मणिपुर के अलग-अलग इलाकों से बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए गए। विशेषज्ञ बताते हैं कि दोनों समुदायों के बीच लंबे समय से मतभेद होने के बावजूद राज्य में वुकी और मैतेईं समुदाय शांतिपूर्वक रहते चले आए हैं। यहां तक कि दोनों के बीच व्यापारिक संबंध भी रहे हैं। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि उनका एक दूसरे पर भरोसा ही नहीं रह गया है। मणिपुर में जारी हिसा के दौर ने पूर्व सैन्य अधिकारियों को भी चिंता में डाल दिया है। पूर्व सेना प्रामुख वेद प्राकाश मलिक ने वेंद्रीय सरकार से मणिपुर के हालात पर तुरन्त ध्यान देने की अपील की है। वहीं एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने मणिपुर के मौजूदा हालात की तुलना सीरिया और लीबिया जैसे हिसाग्रास्त देशों से कर दी है। अब तो हथियारबंद विद्रोहियों ने सुरक्षा बलों पर भी हमले शुरू कर दिए हैं।

Thursday 15 June 2023

अब कांग्रोस की नजरें मध्य प्रादेश पर

कर्नाटक में शानदार जीत दर्ज करने के बाद अब कांग्रोस पाटा की नजरें मध्य प्रादेश विधानसभना चुनाव जीतने पर हैं। कांग्रोस महासचिव प््िरायंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को मध्य प्रादेश के जबलपुर से पाटा का चुनावी बिगुल पूंक दिया। प््िरायंका ने शिवराज चौहान सरकार पर भ्रष्टाचार और नौकरियां देने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने व्यापक राशन बांटने में कथित भ्रष्टाचार का जिव््रा करते हुए कहा कि प्रादेश में भाजपा की सरकार के 220 महीनों के शासन में 225 घोटाले हुए हैं। प््िरायंका ने कहा—पिछले तीन वर्षो में भाजपा सरकार ने राज्य में सिर्प 21 सरकारी नौकरियां दी हैं। मैंने अपने दफ्तर से तीन बार इसकी जांच करने को कहा और पाया कि यह सही है। अगर हम मध्य प्रादेश में सत्ता में आए तो महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने, 500 रुपए में सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली मुफ्त देंगे, पुरानी पेंशन योजना लाएंगे और किसानों का कर्ज माफ करेंगे। हमने कर्नाटक में पांचों गारंटियों को पूरा कर दिया है। डबल इंजन की सरकार के दावे पर तंज कसते हुए प््िरायंका ने कहा—हमने कईं डबल और ट्रिपल इंजन वाली सरकारें देखी हैं, लेकिन हिमाचल प्रादेश और कर्नाटक के लोगों ने चुनावों में इसका करारा जवाब दिया है। उधर कांग्रोस ने कर्नाटक में जीत के सूत्रधार डीके शिववुमार को मध्य प्रादेश में चुनाव-प्राचार व चुनाव संभालने के लिए मैदान में उतार दिया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिववुमार रविवार सुबह मध्य प्रादेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में शामिल हुए और फिर काल भैरव मंदिर में पूजा- अर्चना की। शिववुमार ने कहा कि हिन्दुत्व मंदिर और देवता भारतीय जनता पाटा की निजी सम्पत्ति नहीं है। शिववुमार ने कहा कि मध्य प्रादेश चुनाव के लिए कांग्रोस की रणनीति तैयार है। लेकिन उन्होंने विवरण देने से इंकार कर दिया। समझा जाता है कि मध्य प्रादेश कांग्रोस के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में वह मुख्य रणनीतिकार होंगे। कांग्रोस नेता ने कहा कि यह तीसरी या चौथी बार है, जब वह महाकलेश्वर मंदिर में आए हैं। कर्नाटक चुनाव से पहले मैंने सत्ता के लिए महाकलेश्वर और काल भैरव से प्रार्थना की थी। अब हमें कर्नाटक में सत्ता मिल गईं है। शिववुमार ने भरोसा जताया कि कांग्रोस को 230 सदस्यीय मध्य प्रादेश विधानसभा में उनकी पाटा द्वारा कर्नाटक में जीती गईं 135 सीटों की तुलना में अधिक सीटें मिलेंगी। मध्य प्रादेश में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों पर उन्होंने इंदौर में कहा था कि राज्य के लोगों ने सत्ता में बदलाव का निर्णय करते हुए पूर्ण और स्पष्ट बहुमत से सरकार चुनने का मन बना लिया है। मौजूदा भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य की जनता ने डबल इंजन की सरकार एवं ऑपरेशन लोटस से बनी सरकार देख ली है और यह सरकार नाकाम रही है। ——अनिल नरेन्द्र

2024 की तैयारियां शुरू

2024 आम चुनाव को लेकर भाजपा में शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर तैयारी शुरू हो गईं है। इसकी कमान खुद प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली है। इसी व््राम में बहुत जल्दी सभी भाजपा शासित राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम की मीटिंग पीएम मोदी के नेतृत्व में होगी। इसमें वेंद्र प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं के व््िरायान्वयन के अलावा 2024 आम चुनाव की तैयारी को लेकर भी समीक्षा की जाएगी। इससे पहले 28 मईं को भी पीएम मोदी सभी भाजपा शासित राज्यों के सीएम के साथ मीटिंग कर चुके हैं। सभी भाजपा शासित राज्यों के सीएम को मीटिंग के लिए तैयारी भी करने को कहा गया है। यह मीटिंग प्राधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर जाने से पहले हो सकती है। यह मीटिंग इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछले वुछ दिनों से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बीएल संतोष के बीच कईं दौर की मीटिंग हो चुकी है। इसके बाद से ही भाजपा में बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलाव की चर्चा शुरू हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार अगले वुछ दिनों में तमाम राज्यों से लेकर वेंद्रीय स्तर तक बड़े पैमाने में पेरबदल हो सकता है। अगले वुछ महीनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव होंगे। भाजपा विधानसभा चुनावों की तैयारी के साथ-साथ लोकसभा में अपनी सीटें बचाने के लिए पूरा जोर लगाएगी। वह उन राज्यों पर तो फोकस कर रही है जहां पहले पाटा ने बहुत अच्छा प्रादर्शन नहीं किया। साथ ही अलग हो गए पुराने साथियों पर भी उसकी नजरें हैं। इस बार भी चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बातें होने लगी हैं। विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को हराने की योजना बनाने के लिए बैठवें कर रहे हैं। नईं संसद के उद्घाटन समारोह का कांग्रोस सहित 20 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। एक तरफ विपक्षी एकता की कोशिश हो रही हैं तो दूसरी तरफ भाजपा भी अपना वुनबा बढ़ाना चाहती है। पिछले वुछ वक्त में भाजपा के कईं पुराने साथी अलग हुए हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल, आंध्र प्रादेश को विशेष राज्य के दज्रे के मसले पर टीडीपी और बिहार में क्षेत्रीय राजनीति के मसले पर जेडीयू एनडीए से अलग हो गईं। क्या भाजपा के पुराने साथी एनडीए में वापस आ सकते हैं। इस सवाल के जवाब में पाटा के एक सीनियर नेता ने किसी खास पाटा के बारे में बात करने से इंकार कर दिया। हालांकि यह साफ कहा कि जो पार्टियां नईं संसद के उद्घाटन पर उनके साथ थीं उनके लिए रास्ता खुला हुआ है। पिछले दिनों टीडीपी प्रामुख चंद्रबाबू नायडू की दिल्ली में वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुईं थी। इसी के बाद से अटकलें लगाईं जा रही हैं कि टीडीपी भाजपा गठबंधन में शामिल हो सकती है। एनडीए वुनबे के बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं।

Tuesday 13 June 2023

राहुल गांधी के अमेरिका दौरे से क्या हासिल हुआ?

अब सवाल यह है कि राहुल गांधी को अमेरिकी दौरे से क्या लाभ हुआ? कांग्रोस पाटा के प्रावक्ता अखिलेश प्राताप सिह कहते हैं—दुनिया ने उनको बड़े चाव से सुना और दुनिया में बहुत अच्छा असर छोड़ कर आए हैं राहुल गांधी। राहुल जी कांग्रोस पाटा के अध्यक्ष रह चुके हैं और संसद की सदस्यता गंवाने के बाद वो अमेरिका गए थे। अखिलेश प्राताप सिह आगे कहते हैं—आज की तारीख में राहुल गांधी आधिकारिक तौर पर तो वुछ नहीं हैं, न संगठन में, न सरकार में और न ही सदन में। लेकिन उनकी दुनिया में एक जगह है, उनकी एक आवाज है, विजन है जिसे दुनिया जानना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस बात को न तो भारत में नजरंदाज कर सकते हैं न दुनिया में। कोईं नेता ऐसा है जो सत्ता से हट जाएं और इतने चाव से कोईं उनको सुनने जाता हो? भाजपा को ही देख लीजिए, किसी पूर्व पीएम को किसी ने पूछा है? राहुल गांधी का अमेरिका का दौरा ऐसे समय हुआ है, जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कामयाबी से पाटा का मनोबल बढ़ा है और पाटा अगले साल आम चुनाव की तैयारी में जुटी हुईं है, तो क्या चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है, के जवाब में दक्षिणपंथी राजनीतिक विदेश नीति विशेषज्ञ और भाजपा के सदस्य डॉ. सुब्रोधमल दत्ता कहते हैं। संक्षेप में राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा का विश्लेषण किया जाए, तो ऐसा लगता है कि अमेरिका में भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक दर्शकों के सामने वुछ सस्ते राजनीतियां आधारहीन स्टंट के अलावा उन्हें राजनीतिक रूप से वुछ भी हासिल नहीं हुआ है। लेकिन अखिलेश प्राताप सिह के मुताबिक अमेरिका के दौरे से राहुल गांधी की बातें और उनके विचार दुनिया वालों तक पहुंचे हैं और इसलिए उनका यह दौरा कामयाब रहा। वह कहते हैं—राहुल गांधी को दुनिया की हर फील्ड के लोग सुनना और उनकी राय जानना चाहते हैं। उनको सुनने के बाद सबको लगता है कि हर फील्ड में उनकी जानकारी कितनी गहरी है। वो लोग भी राहुल जी को सुनने के बाद स्वीकार कर रहे हैं कि इस आदमी में देश और दुनिया को एक नईं दिशा देने की क्षमता है और विजन भी। लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा की नजरों में राहुल गांधी के अमेरिका के दौरे से उन्हें कोईं फायदा नहीं हुआ है। डॉ. दत्ता कहते हैं—पािम के साथ राहुल गांधी का रोमांस उन्हें खूबसूरत रोमांटिक कहानी नहीं देता। बल्कि उनकी भारत वापसी पर उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। वाशिगटन में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार अजीत साही कहते हैं कि भारतीय विपक्षी नेता राहुल गांधी का अमेरिकी दौरा बड़े मामलों में सफल रहा। वह बताते हैं कि पहला, नौ वर्ष में पहली बार उन्होंने वाशिगटन डीसी में भारतीय प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा एक और आवाज को नीति बनाने वालों के सामने लाया है, दूसरा, उनके दौरे ने नौ वर्षो में पहली बार उन हजारों भारतीय अमेरिकियों को एक अवसर प्रादान किया जो मोदी की राजनीति से खुद को अलग देखते हैं और अलग-अलग शहरों में बड़े समूहों में इकट्ठा होते हैं और एकजुटता का प्रादर्शन करते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

क्रूरता , जघन्यता का चरम

समझ नहीं आ रहा कि हमारे समाज को आखिर क्या हो गया है? क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर गया है हमारा समाज। निर्भया से आरंभ हुआ व््राूरता का यह दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। मुंबईं से सटे समंदर इलाके में एक महिला की हत्या और उसकी जैसी प्रावृति सामने आईं है। उसने एक बार फिर सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोईं व्यक्ति वैसे इस हद तक जा सकता है कि अपनी ही साथी के खिलाफ इतना बर्बर हो जाए। मनोज साने ने लिव-इन में रहने वाली अपनी महिला मित्र सरस्वती वैध की कथित हत्या के बाद उसके शव को ठिकाने लगाने का जो तरीका अपनाया, वह इतना जघन्य, वीभत्स और जुनूनभरा है कि उसके मानसिक रूप से संतुलित होने के बारे में संदेह होता है। मानवता को दहला कर रख देने वाला मुंबईं का यह मामला हमें श्रद्धा वालकर मर्डर को याद दिलाता है। बीते साल नवम्बर में दिल्ली में यह मामला सामने आया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक पिछले साल मईं में 27 साल की लड़की श्रद्धा वालकर की आफताब पूनावाला ने हत्या की और फिर उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर जंगल में पेंक दिए थे। मुंबईं के मोरा रोड इलाके में 56 साल के आरोपी ने अपनी 32 साल की लिव-इन पार्टनर का मर्डर कर आरी से शव के टुकड़े कर दिए। आरोपी ने शव के टुकड़े करके वुकर में उबाल दिए। पुलिस को शक है कि उसने उबला हुआ मांस वुत्ताें को खिलाया। आरोपी का नाम मनोज साने है। इसके बावजूद पुलिस जब दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी तो बैडरूम से लेकर रसोईं तक रखे हुए शव के टुकड़े, बाल और खून अपराध की नृशंसता व अमानवीयता की गवाही दे रहा था। रौंगटे खड़े कर देने वाले इस मामले की पूरी सच्चाईं तो जांच के बाद ही सामने आएगी पर इतना साफ है कि अपने पुरुष मित्र से 24 साल छोटी और अनाथालय में पली वह स्त्री समाज की स्त्रियों की तुलना में ज्यादा ही कमजोर और असुरक्षित रही होगी। एक साल पहले हुईं श्रद्धा वालकर की हत्या की रोशनी में देखें, वह भी लिव-इन में रहती थी, तो यह कहा जा सकता है कि सहजीवन शादी की तुलना में असुरक्षित है, क्योंकि इसमें परिवारों और समाज का जुड़ाव नहीं होता। यूं हत्या आखिर एक जघन्य अपराध ही है, लेकिन मुंबईं की इस घटना से ऐसे मामलों पर कईं बार एक बारगी विश्वास करने में वक्त लग जाता है। आखिर एक सामान्य दिखने वाला इंसान वैसे ऐसा हो जाता है कि अपनी ही साथी को मार डालने के बाद खुद बचने के लिए व््राूरता की सारी सीमाएं पार कर जाता है? पिछले वुछ समय से ऐसी घटनाएं अकसर देखी जा रही हैं, जिनमें सहजीवन में रहने वाले किसी पुरुष ने अपनी महिला साथी की न केवल जान ले ली बल्कि खुद को बचाने के मकसद से उसके शव को ठिकाने लगाने के लिए संवेदनहीनता की सारी सीमाएं पार कर दीं। सरकार से लेकर समाज तक को ऐसे अपराधों से कानून निपटने के अलावा और कईं पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है। लिव-इन रिलेशंस पर भी चिंता होनी स्वाभाविक है।

Thursday 8 June 2023

भ्रष्टाचार का सेतु

बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर 1710 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे अगुवानी घाट-सुल्तानगंज सड़क पुल का बड़ा हिस्सा ताश के पत्ताें की तरह ढह गया और गंगा में समा गया। पुल के चार पिलर के साथ उसके ऊपर का करीब 200 मीटर हिस्सा नदी में गिर गया। हादसा रविवार शाम करीब छह बजे हुआ। तब निर्माण कार्यं बंद हो चुका था और मजदूर पुल से हट चुके थे। हादसे में किसी की मौत की सूचना नहीं है। हालांकि एक गार्ड लापता बताया जा रहा है। पुल के गिरने की वीडियो वायरल होने और विपक्ष की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद बिहार सरकार ने दावा किया कि पुल खुद से नहीं ढहा, बल्कि डिजाइन में खामी के कारण इसे नियोजित तरीके से गिराया गया। वहीं बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि पूरी नीतीश वुमार सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। नीतीश के पास राज्य के विकास के लिए समय नहीं है। वह घूमने में व्यस्त हैं। यह दूसरी बार है जब पुल का हिस्सा ढहा है। अप्रौल 2022 में भी पुल के एक हिस्से के 36 स्पैन ढह गए थे। इसके निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। यह स्टे केबल पर झूलता हुआ पुल है, जिसकी लंबाईं 3.160 किलोमीटर है। खगिड़या जिले के अगुवानी घाट में भागलपुर के सुल्तानगंज को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे इस पुल से उत्तर बिहार सीधा झारखंड से जुड़ जाएगा। यह पुल नीतीश वुमार का ड्रीम प्राोजेक्ट बताया जाता है। नीतीश ने 2014 को इसका शिलान्यास किया था और मईं 2015 में इसका निर्माण शुरू हुआ था। पुल को नवम्बर 2019 में ही तैयार होना था। लेकिन उसके बाद से छह बार इसकी समयावधि बढ़ाईं जा चुकी है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पथ निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रात्यप अमृत ने दावा किया, पिछले साल एक हिस्सा गिरने के बाद आईंआईंटी रुड़की से पुल का अध्ययन कराया गया था। उसकी रिपोर्ट अभी आनी है, पर पुल के डिजाइन का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि इसमें गंभीर खामियां हैं। इस पर सरकार ने पैसला किया कि आखिरी रिपोर्ट तक इंतजार न किया जाए, इसलिए पुल के वुछ हिस्सों को गिराने का पैसला किया गया। फाइनल रिपोर्ट आने पर केस दर्ज कर एसपी सिगला वंस्ट्रशन को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। नदी में इतना मलब गिरा कि 200 मीटर के दायरे में धारा भी अवरुद्ध हो गईं। नदी में वुल 34 पिलर हैं। ——अनिल नरेन्द्र

अमित शाह की मेहनत रंग लाईं?

बृजभूषण शरण सिह के खिलाफ आंदोलन कर रहे पहलवान साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने उत्तर रेलवे में अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली है। वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आंदोलन कर रहे पहलवानों को कानून के मुताबिक न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। शनिवार रात 11 बजे गृहमंत्री अमित शाह ने विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत वुछ और पहलवानों के साथ मुलाकात की और उनकी शिकायतों को सुना। सूत्रों का कहना है कि रेलवे ने साक्षी और विनेश को ड्यूटी ज्वाइन करने का अल्टीमेटम दिया था। गृहमंत्री ने उनसे कहा था कि ड्यूटी ज्वाइन करें और उनसे मिलने आएं उनके साथ न्याय होगा। शाह के आश्वासन के बाद दोनों ने ड्यूटी ज्वाइन कर ली और शनिवार को देर रात शाह से मुलाकात की। उन्होंने बृजभूषण शरण सिह के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में डिटेल से बताया। अमित शाह ने उन्हें आंदोलन खत्म करने का आग्राह किया और कहा कि एफआईंआर दर्ज होने के बाद पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है। उनको न्याय मिलेगा और दोषी पाए जाने वाले को सजा मिलेगी। बजरंग पूनिया रविवार को सोनीपत में हुईं खाप पंचायत की बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में उनके सुर नरम थे। उन्होंने इतना ही कहा कि आंदोलन का अगला चरण पंचायत में ही तय होगा। खाप पंचायत ने नौ जून तक बृजभूषण शरण सिह को गिरफ्तार करने का अल्टीमेटम दिया है। उसके बाद खाप पंचायत की मीटिंग होगी। लेकिन इस बैठक में विनेश और साक्षी शामिल नहीं हुए। माना जा रहा है कि अमित शाह के आश्वासन के बाद आंदोलन धीमा पड़ जाएगा और बजरंग पूनिया भी अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे। बजरंग पूनिया ने रविवार को सोनीपत में घोषणा की कि पहलवान जल्द ही अपनी खुद की एक महापंचायत करेंगे। हरियाणा से सोनीपत जिले के मुंडलाना में पहलवानों के समर्थन में सर्व समाज समर्थन पंचायत को संबोधित करते हुए पूनिया ने वक्ताओं से किसी भी निर्णय की घोषणा नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अगले तीन-चार दिनों में पहलवान महापंचायत बुलाएंगे। उन्होंने कहा—हम एक महापंचायत करेंगे और उसके लिए आह्वान करेंगे। हम जगह तय करेंगे। हम उस पंचायत के लिए सबको साथ लाना चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि हम बंटें। इस पंचायत में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और रालोद के प्रामुख जयंत चौधरी भी मौजूद थे। सो क्या यह समझा जाए कि पहलवानों का आंदोलन समाप्त हो गया है? अमित शाह ने एक झटके में महीनों से चला आ रहा संघर्ष मिनटों में समाप्त करा दिया। हम उम्मीद करते हैं कि अमित शाह अपने आश्वासनों पर खरे उतरेंगे और कसूरवार को सजा मिलेगी। बहुत वुछ निर्भर करता है कि दिल्ली पुलिस अपनी जांच रिपोर्ट में क्या कहती है? अगर उसने जांच में बृजभूषण शरण सिह के खिलाफ आरोपों की पुष्टि की तो निाित रूप से वह गिरफ्तार होंगे और कानून अपना काम करेगा। पर अगर पुलिस की जांच रिपोर्ट में बृजभूषण शरण सिह को क्लीन चिट मिलती है तो मामला यहीं समाप्त हो जाएगा।

Tuesday 6 June 2023

राहुल के बयान पर इतना हंगामा क्यों?

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् कांग्रोस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाशिगटन डीसी के नेशनल प्रोस क्लब में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मुस्लिम लीग पूरी तरह से सैक्यूलर पाटा है। राहुल गांधी से पूछा गया था कि क्या केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से कांग्रोस का गठबंधन धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है? इसी के जवाब में राहुल ने कहा—मुस्लिम लीग के साथ धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ जैसी कोईं बात नहीं है। मुझे लगता है कि जिस व्यक्ति ने यह सवाल भेजा है, उसने मुस्लिम लीग को ठीक से पढ़ा नहीं है। वाशिगटन के नेशनल प्रोस क्लब में राहुल गांधी भारत से जुड़े कईं सवालों का जवाब दे रहे थे। बता दें कि वाशिगटन नेशनल प्रोस क्लब में प्रोस कांप्रोंस सबके बस की नहीं। वहां इतने टेढ़े-सीधे सवाल पूछे जाते हैं कि अच्छों-अच्छों की हवा निकल जाती है। खैर! उनके यूव््रोन पर रूसी हमले में भारत के रुख को लेकर भी सवाल पूछा गया था। राहुल ने मोदी सरकार की नीति का समर्थन किया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईंयूएमएल) केरल की क्षेत्रीय राजनीतिक पाटा है और यह पारंपरिक रूप से कांग्रोस की अगुवाईं वाले गठबंधन यूडीएफ में शामिल रहती है। राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे में जो वुछ कहा है, उसे लेकर भाजपा खफा है और राहुल पर गंभीर आरोप लगा रही है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने निशाना साधते हुए कहा कि वायनाड में स्वीकार्यं बनी रहने के लिए यह राहुल गांधी की मजबूरी है कि मुस्लिम लीग को सैक्यूलर कहें। मालवीय ने ट्वीट कर कहा है—जिन्ना की मुस्लिम लीग धर्म के आधार पर भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार है और राहुल गांधी इसे सैक्यूलर कह रहे हैं। राहुल गांधी भले ही कम पढ़े-लिखे हैं, लेकिन यहां वह चालाकी कर रहे हैं। वायनाड में स्वीकार्यं बने रहने के लिए यह उनकी मजबूरी है। अमित मालवीय के इस ट्वीट के जवाब में कांग्रोस प्रावक्ता सुप््िराया श्रीनेत ने लिखा है, हेलो फजा खबर के सौदागर आपको आधी रात तक जागते देख अच्छा लगा। मालवीय के ट्वीट पर पवन खेड़ा ने भी जवाब दिया है। पवन खेड़ा ने कहा—अनपढ़ हो भाईं? केरल की मुस्लिम लीग और जिन्ना की मुस्लिम लीग में फर्व नहीं मालूम? जिन्ना वाली मुस्लिम लीग वो जिसके साथ तुम्हारे पूर्वजों ने गठबंधन किया है। दूसरी वाली मुस्लिम लीग वो जिसके साथ भाजपा ने गठबंधन किया था। साल 2012 में नागपुर नगर निगम चुनाव में मेयर का पद हासिल करने के लिए भाजपा के इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग से समर्थन लेने का भी हवाला दिया है। नागपुर नगर निगम चुनाव में भाजपा 62 सीटें जीती थी। 145 सदस्यों के सदन में बहुमत के लिए 73 सदस्यों की जरूरत थी। भाजपा ने मुस्लिम लीग के दो सदस्यों और 10 निर्दलीय सदस्यों की बदौलत बहुमत का आंकड़ा पार किया था। भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान के गठन का आंदोलन चलाने वाली ऑल इंडिया मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया था। पाकिस्तान के गठन के बाद मोहम्मद अली जिन्ना देश के गवर्नर जनरल बने थे। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान को शुरुआती छह प्राधानमंत्री दिए। केरल की आईंयूएमएल लंबे समय से कांग्रोस की गठबंधन सहयोगी है और केरल में विपक्षी यूडीएफ गठबंधन का हिस्सा है। वर्तमान केरल विधानसभा में पाटा के 18 विधायक हैं। ——अनिल नरेन्द्र

यूसीसी और विपक्ष

प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता यानि यूसीसी का मुद्दा उठाकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। इसके बाद से ही वुछ राजनीतिक दल यूसीसी के समर्थन में आ गए हैं, तो वुछ इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं वुछ पार्टियों ने यह भी कहा है कि यूसीसी की ड्राफ्ट सामने आने के बाद वह अपना रुख तय करेंगे। समान नागरिक संहिता भागीदारी, तलाक, विरासत, गोद लेने समेत कईं चीजों पर देश के सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून। पीएम मोदी का बयान ऐसे समय आया, जब विपक्षी दल एकजुट होकर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उतरने की कवायद में जुटे हैं। जानकार मानते हैं कि भाजपा की ओर से विपक्षी एकता में सेंधमारी के लिए यूसीसी को अगले चुनाव के एजेंडे के तौर पर स्थापित किया जा रहा है। राजनीतिक हलकों में चर्चा इस बात की भी है कि क्या यूसीसी के मुद्दे पर अलग-अलग राय रखने वाली विपक्षी पार्टियां करीब 10 महीने बाद होने वाले आम चुनावों में एक मंच पर आ सवेंगी? कांग्रोस पाटा के संसदीय दल के रणनीतिक समूह ने शनिवार को एक अहम बैठक की। सोनिया गांधी कांग्रोस संसदीय दल की नेता हैं। बैठक के बाद जयराम रमेश ने कहा कि कोईं मसौदा आएगा और चर्चा होगी तो हम हिस्सा लेंगे और जो भी प्रास्तावित ड्राफ्ट होगा उसकी समीक्षा करेंगे। फिलहाल हमारे पास विधि आयोग का एक सार्वजनिक नोटिस है। वुछ भी नया नहीं हुआ है। यह महंगाईं, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा का तरीका-भर है। उन्होंने भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। लेकिन क्या यूसीसी विपक्षी एकता में एक बड़ी पेचीदगी साबित हो सकता है, इस सवाल पर एनडीए के सहयोगी कोनराड संगमा ने कहा कि यूसीसी से करीब 200 से अधिक आदिवासी समुदायों के अधिकार और आजादी कम होने का खतरा है। भारत की करीब 12 प्रातिशत आदिवासी आबादी पूवरेत्तर के राज्यों में बसती है। कोनराड संगमा मेघालय में नेशनल पीपुल्स पाटा और भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। कोनराड संगमा मुख्यमंत्री हैं। प्रामोद तिवारी संगमा के बयान का हवाला देते हुए कहते हैं कि वो (संगमा) कह रहे हैं कि यूसीसी आएगा तो हम इसका विरोध करेंगे। ऐसे ही विपक्षी पार्टियों में भी सबके अपने विचार होंगे। जब यह (प्रास्ताव) संसद में आएगा तब हम मिलजुल कर तय करेंगे कि क्या करना है? पटना में बैठक के दौरान लालू यादव के साथ ममता बनजा इस बीच तृणमूल कांग्रोस ने इस पर विपक्षी दलों की एकजुटता पर सवाल उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया है। पाटा के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि जरूरी नहीं सभी विपक्षी दल एक-दूसरे की फोटो कॉपी हों। यह जरूरी नहीं कि लोकतंत्र और नौकरियां पैदा करने के लिए लड़ रही विपक्षी दलों में हर मुद्दे पर एक राय हो। व्यापक मामलों पर दलों का रुख स्पष्ट है।

एफआईंआर में लगे बृजभूषण पर संगीन आरोप

जब एक महीने तक विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना-प्रादर्शन पर बैठे तो उन्होंने कभी रोते हुए, कभी सहजता से, बार-बार डर का जिव््रा किया। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की कीमत का अपने वैरियर को खत्म होने का और यहां तक कि अपनी जान जाने का डर, अब जब महिला पहलवानों द्वारा अप्रौल में दायर की गईं यौन उत्पीड़न की एफआईंआर की जानकारी सामने आईं है, तो उसमें भी हर पóो पर उस डर का जिव््रा है। इंडियन एक्सप्रोस ने लगातार दो दिन पहले पóो पर इस एफआईंआर की तफ्सील से डिटेल दी है। महिलाओं के खिलाफ हिसा के कईं मामलों पर काम कर चुकी सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील वृंदा ग्राोवर ने कहा—नाबालिग समेत सभी महिलाओं के ब्यौरों में उनके उत्पीड़न के लिए बार-बार ताकत और सत्ता के गलत इस्तेमाल का उल्लेख है जो आईंपीसी और पॉक्सो दोनों के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। वुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा के सांसद ब्रजभूषण शरण सिह के खिलाफ एक नाबालिग समेत सात महिलाओं (पहलवानों) ने दो एफआईंआर दायर कराईं थी। एफआईंआर में सिह के अलावा वुश्ती महासंघ के कईं पहलवानों ने उनके साथ काम कर रहे एक और वरिष्ठ सदस्य के खिलाफ उत्पीड़न में अबैटमेंट यानि साथ देने का आरोप लगाया है। बृजभूषण शरण सिह और उस सदस्य ने सभी आरोपों से इंकार किया है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिह के मुताबिक एक व्यक्ति के खिलाफ कईं महिलाओं की शिकायतें और उनमें एक तरह का पैटर्न उभरना उस व्यक्ति के चरित्र के बारे में बताता है। साथ ही शिकायतकर्ताओं के आरोपों को विश्वसनीयता भी देता है। यह दो एफआईंआर महिला पहलवानों के थाने जाने पर नहीं, बल्कि उनके सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने और कोर्ट के दिल्ली पुलिस को नोटिस दिए जाने के जवाब में दायर हुईं। एफआईंआर में यौन उत्पीड़न से जुड़ी धाराओं 354, 354ए, 354डी) के अलावा पॉक्सो कानून की धरा (10) एग्रोबेटेड सेक्सुअल असॉल्ट (यानि गंभीर यौन हिसा) है। इन धाराओं में औरत की सहमति के बिना सेक्सुअल मंशा से उसकी सहमति के बिना उसे छूने की कोशिश करना, उससे यौन संबंध बनाने की मांग करना, अश्लील बातें करना, बार-बार पीछा करना इत्यादि शामिल हैं। एफआईंआर में साल 2012 से 2022 के बीच घटी जिन अलग-अलग यौन उत्पीड़न की वारदातों का ब्यौरा है। उनमें कईं एक जैसी बातें दिखाईं देती हैं। इंदिरा जयसिह के मुताबिक शिकायतों में समानता पर उनकी सच्चाईं का प्रामाण नहीं माना जा सकता, पर वारदात की पुष्टि के लिए तहकीकात जरूरी है और सुबूतों और तथ्यों के बिनाह पर किसी मामले में अपराध साबित करना आसान हो सकता है और किसी में नहीं भी। वृंदा ग्राोवर के मुताबिक इस तहकीकात के लिए बृजभूषण शरण सिह के बयान लेना काफी नहीं है, उनकी हिरासत जरूरी है। वो कहती हैं, एफआईंआर में जो ब्यौरा है, उनकी पुष्टि के लिए पुलिस हिरासत में पूछताछ की, कॉल रिकॉर्ड निकलवाना, गवाहों के बयान लेने की और फोन जब्त करने जैसे कदम उठाने की सख्त जरूरत है जिसे करने के लिए दिल्ली पुलिस इच्छुक नहीं दिखती। ब्यौरे में वुश्ती महासंघ के प्राशासन में 12 साल से अध्यक्ष होने की वजह से बृजभूषण शरण सिह के प्राभुत्व और ताकत का बार-बार उल्लेख है।

Thursday 1 June 2023

विपक्षी एकता का रास्ता

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता संभव होगी या नहीं, यह कांग्रोस के रुख पर निर्भर करेगा। ममता बनजा, शरद पवार और नीतीश वुमार चाहते हैं कि समान विचारधारा वाले दल लोकसभा की 543 में से 474 सीटों पर इकलौता उम्मीदवार खड़ा करे। तेलंगाना, आंध्र प्रादेश, केरल को छोड़कर इस फॉर्मूले के मुताबिक कांग्रोस के हिस्सा 249 सीटें आती हैं। ऐसे में कांग्रोस अगर दिल बड़ा नहीं करेगी तो विपक्षी एकता असंभव है। दरअसल विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को नीतीश वुमार की अगुवाईं में पटना में विपक्षी दलों की बैठक है, जिसमें राहुल गांधी भी शिरकत करेंगे। जदयू, एनसीपी और टीएमसी चाहती है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रोस बड़ा दिल दिखाते हुए तेलंगाना, दिल्ली, आंध्र प्रादेश और केरल को छोड़कर उन्हीं सीटों पर दावा करे जहां पाटा बीते चुनाव में पहले या दूसरे नम्बर पर थी। इस फॉर्मूले को छोड़कर कांग्रोस के हाथ 244 सीटें आएंगी। बीते चुनाव में पाटा इन चार राज्यों को छोड़कर 192 सीटों पर भाजपा से सीधे मुकाबले पर दूसरे स्थान पर रही थी, जबकि पाटा को 52 सीटों पर ही सफलता मिली थी। विपक्षी एकता के बहाने से सबसे बड़ा दांव नीतीश वुमार चल रहे हैं। प्राधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले नीतीश विपक्षी एकता के साथ जनता परिवार को भी एकजुट करना चाहते हैं। बिहार में भाजपा से दूरी बनाने के बाद एकीकरण के लिए नीतीश की रालोद, सपा, इनेलो और राजद से कईं दौर की बातचीत हुईं है। नीतीश को लगता है कि अगर एकीकरण हुआ तो उनका प्राभाव उत्तर प्रादेश, बिहार, हरियाणा और कर्नाटक में बढ़ेगा। जनता दल परिवार में अब पीएम पद के दावेदार नहीं हैं। मुलायम सिह अब इस दुनिया में नहीं है। लालू प्रासाद अस्वस्थ हैं। एचडी देवेगौड़ा उम्रदराज हो चुके हैं। इसके अलावा उनकी दूसरी पीढ़ी का सारा ध्यान राज्य की राजनीति पर है। कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रोस आत्मसमर्पण की मुद्रा में थी। इससे पहले विपक्षी एकता के लिए हुईं बैठक में उसका रुख बेहद रक्षात्मक था। हालांकि कर्नाटक के नतीजे के बाद पाटा एकता के लिए शर्त रख रही है। पाटा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि उसका आप, बीआरएस, केरल के वाम दलों से समझौता नहीं हो सकता। इसी शर्त के मद्देनजर नीतीश, ममता, पवार ने समझौते के लिए 474 सीटों का फॉर्मूला पेश किया है। जदयू सूत्रों का कहना है कि अगर पटना की बैठक में बात नहीं बनी तो विपक्षी एकता बेहद मुश्किल होगी। जदयू सूत्रों का कहना है कि 12 जून को विपक्षी दलों को होने वाली बैठक अहम है। ममता, नीतीश और पवार चाहते हैं कि कांग्रोस इसी बैठक में 474 सीटों में से महज 244 सीटों पर लड़ने के लिए राजी हो जाए। अगर कांग्रोस इसके लिए तैयार नहीं हुईं तो विपक्षी एकता की संभावना धूमिल हो जाएगी। जदयू सूत्रों का कहना है कि वेंद्र में सत्ता परिवर्तन की सबसे अधिक जरूरत कांग्रोस को है, ऐसे में उसे ही अपना दिल बड़ा करना चाहिए। ——अनिल नरेन्द्र

मिशन 2024 : 450 सीटों का टारगेट

आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा ने मेगा प्लान तैयार किया है। पाटा की योजना लोकसभा की तीन से पांच सीटों का समूह (क्लस्टर) बनाकर चुनाव तक इसकी तीन स्तरीय निगरानी और जिम्मेदारी तय करने की है। चुनाव सम्पन्न होने तक ए, बी व सी तीन श्रेणियों के नेता खुद से जुड़े समूह की सीटों पर तय की गईं जिम्मेदारी निभाएंगे। इसी व््राम में उत्तर प्रादेश और उत्तराखंड की 85 सीटों को तीन से पांच लोकसभा समूहों में बांटने और जिम्मेदारी तय करने का काम उच्च स्तर पर पूरा हो चुका है। इनमें ए श्रेणी में वेंद्रीय मंत्रियों और राष्ट्रीय पदाधिकारियों को, बी श्रेणी में वरिष्ठ नेताओं और दूसरे राज्यों के सांसदों और सी श्रेणी में स्थानीय नेताओं को रखा गया है। आगामी 30 जनवरी को पाटा के महासम्पर्व अभियान के साथ ही तीनों ही श्रेणियों के नेता आठ माह तक अपने क्लस्टर से जुड़े रहेंगे। पाटा सूत्रों के मुताबिक इनमें ए श्रेणी के नेता सत्ता विरोधी लहर को पहचानेंगे और उसे दुरुस्त करेंगे। साथ ही इन पर सांगठनिक कार्यो को पूरा करने, जनसभाएं करने और स्थानीय लोगों की समस्याएं दूर करने की कोशिश करेंगी। सी श्रेणी में शामिल नेता जमीन पर काम करने के साथ पाटा के कार्यंव््राम आयोजित करेंगे जबकि बी क्षेणी में शामिल नेता इन कार्यंव््रामों की निगरानी करेंगे। आगामी चुनाव में पाटा के पास तेलंगाना को छोड़ विस्तार की संभावना वाले राज्य नहीं हैं। ऐसे में पाटा की चुनौती जीती हुईं 303 सीटें बरकरार रखने और यहां होने वाले नुकसान की भरपायी इन 144 सीटों से पूरी करने की है जहां पाटा दूसरे या तीसरे नम्बर पर रही थी। पाटा ने इन सीटों को क्लस्टर बनाकर चिन्हित किया है। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मईं 2014 को प्राधानमंत्री पद की शपथ ली थी इसलिए नौवीं वर्षगांठ 30 मईं को मनाईं गईं। 30 मईं को भाजपा के बड़े नेता और वेंद्रीय मंत्रियों ने देशभर में प्रोस कांप्रोंस की। 31 मईं को प्राधानमंत्री मोदी ने अजमेर में रैली की। भाजपा ने अपने मेगा प्लान की घोषणा की। भाजपा सूत्रों के मुताबिक मेगा प्लान ऐतिहासिक होगा। यह पाटा के गठन के अब तक का सबसे बड़ा जनसम्पर्व वाला बहुत बड़े स्तर का प्लान होगा। इस प्लान में आगामी एक महीने के अंदर देशभर के मतदाताओं तक पहुंचा जाएगा। इसलिए 543 लोकसभा सीटों के लिए बूथ लेवल अध्यक्ष, पन्ना प्रामुख, जिला अध्यक्ष, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद और प्रादेशाध्यक्ष जनता के बीच जाना शुरू कर देंगे। दरअसल नौ साल पूरे होने के मौके को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी से जोड़ा गया है। 28 मईं को नए संसद भवन का उद्घाटन और आगामी दिसम्बर में अयोध्या में राम मंदिर गर्भगृह में विराजमान रामलला मूर्ति स्थापित करने की योजना इसी तैयारी का ही हिस्सा है। भाजपा को लगता है कि उत्तर भारत में उसकी स्थिति सैचुरेशन प्वाइंट यानि अधिकतम सीमा तक पहुंच चुकी है। अब उसे दक्षिणी राज्यों को पूवरेत्तर की तरफ ध्यान देना होगा। कर्नाटक चुनाव हारने से मनोवैज्ञानिक तौर पर माना जा रहा है कि भाजपा की सीटें कम होंगी, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने उदाहरण दिया कि पिछली बार भी कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रादेश और छत्तीसगढ़ चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पांचों राज्यों में क्लीन स्वीप किया था। इसलिए कर्नाटक की हार का असर लोकसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा।