Tuesday 20 June 2023

सिधिया को बड़ा झटका

मध्य प्रादेश में लगता है कि कांग्रोस के पक्ष में हवा चल रही है। वुछ सव्रे में भी कांग्रोस को विधानसभा चुनाव में बढ़त दिखाईं जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान के खिलाफ जबरदस्त एंटी इंकमबैसी है। इसलिए हैरानी नहीं हुईं जब मध्य प्रादेश में वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया को बड़ा झटका लगा। सिधिया के कट्टर समर्थक बैजनाथ यादव भाजपा छोड़ कांग्रोस में शामिल हो गए। यादव 400 गािड़यों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचे। बता दें कि एक दिन पहले ही मंगलवार को सिधिया समर्थक बैजनाथ यादव ने भाजपा में प्रादेश कार्यं समिति सदस्य सहित सभी पदों से इस्तीफा देकर पुष्टि कर दी थी कि अब वह भाजपा में नहीं रहेंगे और एक दिन बाद ही बुधवार को उन्होंने कांग्रोस का दामन थाम लिया है। इस दल-बदल के दौरान बैजनाथ यादव ने अपनी ताकत का भी अहसास कराया। लगभग 400 गािड़यों के काफिले के साथ बैजनाथ यादव अपने समर्थकों के साथ राजधानी भोपाल स्थित पीसीसी कार्यांलय पहुंचे और कांग्रोस की सदस्यता ग्राहण की। मध्य प्रादेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों का समय नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे दोनों ही प्रामुख पाटा भाजपा और कांग्रोस में सेंधमारी का सिलसिला तेज होता जा रहा है। अब कांग्रोस ने भारतीय जनता पाटा में सेंधमारी की है। वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया के समर्थक बैजनाथ यादव को पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कांग्रोस की सदस्यता दिलाईं है। बता दें कि बैजनाथ यादव वेंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। जब ज्योतिरादित्य सिधिया कांग्रोस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे तब बैजनाथ यादव भी उनका साथ कांग्रोस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। लेकिन अब बैजनाथ यादव का सत्ताधारी दल भारतीय जनता पाटा से मोहभंग हो गया और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिह, पूर्व वेंद्रीय मंत्री अरुण यादव व विधायक जयवर्धन सिह की मौजूदगी में कांग्रोस की सदस्यता ली है। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने उन्हें कांग्रोस की सदस्यता दिलाईं है। बता दें कि बैजनाथ यादव मूलत: कांग्रोस नेता हैं लेकिन साल 2020 में सत्ता परिवर्तन के दौरारन बैजनाथ यादव भी तत्कालीन कांग्रोस नेता ज्योतिरादित्य सिधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। जानकारों का मानना है कि यह तो शुरुआत है। खासकर उन कांग्रोसियों के लिए जो सिधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इनको भाजपा टिकट देती है या नहीं, यह भी देखना बाकी है या फिर अपने पुराने कार्यंकर्ताओं को प्राथमिकता देती है? ——अनिल नरेन्द्र

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