Tuesday 30 August 2022

कन्यावुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा

भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियां पूरी हो गईं हैं। कांग्रोस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सात सितम्बर को कन्यावुमारी से यात्रा की शुरुआत करेंगे।पाटा ने भारत जोड़ो यात्रा से संबंधित लोगो, टैगलाइन, वेबसाइट और पुस्तिका भी जारी कर दी है। यह यात्रा 12 राज्यों और दो वेंद्रीय शासित प्रादेशों से होते हुए करीब पांच माह में कन्यावुमारी से कश्मीर तक का सफर तय करेगी। कांग्रोस महासचिव दिग्विजय सिह व जयराम रमेश ने बीते मंगलवार को पाटा मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश में आर्थिक विषमताओं, सामाजिक ध्रुवीकरण एवं राजनीतिक विभाजन के मद्देनजर यह यात्रा आवश्यक है। यह यात्रा देशहित में है। हम इस यात्रा को दलगत नहीं बनाना चाहते हैं। इसलिए यात्रा में कांग्रोस के बजाय तिरंगा झंडा होगा। दिग्विजय ने कहा—3570 किलोमीटर लंबी इस यात्रा की टैगलाइन मिले कदम, जुड़े वतन होगी। 100 यात्री शुरू से आखिर तक पद्यात्रा करेंगे। यह सवाल किए जाने पर कि क्या राहुल गांधी पूरी यात्रा में हिस्सा लेंगे? जयराम ने कहा कि सात सितम्बर की शुरुआत के वक्त राहुल गांधी मौजूद रहेंगे। बाकी जानकारी बाद में दी जाएगी। दिग्विजय ने कहा कि इस देश में नफरत का माहौल बना हुआ है, व्यवस्था भारतीय संविधान के विपरीत काम कर रही है। महंगाईं-बेरोजगारी बढ़ रही है—आर्थिक-सामाजिक दूरियां बढ़ती जा रही हैं, धार्मिक उन्माद पैलाया जा रहा है। नफरत पैलाईं जा रही है, एक-दूसरे की आस्था पर प्राश्नचिन्ह लगाया जा रहा है। ऐसे माहौल में भारत जोड़ो यात्रा देश के लिए आवश्यक है। वुछ लोगों का कहना है कि कांग्रोस की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। भारत जोड़ो यात्रा को पाटा लोकसभा चुनाव से पहले बड़े जनसम्पर्व अभियान के तौर पर देख रही है। यात्रा का मार्ग भी चुनाव को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है। पाटा को उत्तर के मुकाबले चुनाव में दक्षिणी राज्यों से ज्यादा उम्मीद है। यात्रा में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रादेश और तेलंगाना शामिल हैं। भारत जोड़ो यात्रा का सबसे ज्यादा वक्त दक्षिणी राज्यों में गुजरेगा। पूरी यात्रा के दौरान वुल 22 महत्वपूर्ण स्थान चुने गए हैं, इनमें से नौ स्थान दक्षिण में हैं। इसके साथ मध्य प्रादेश और राजस्थान में भी यात्रा काफी लंबा सफर तय करेगी। मध्य प्रादेश, राजस्थान व कर्नाटक में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव हैं। हालांकि यह यात्रा गुजरात और हिमाचल से होकर नहीं गुजरेगी। दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रादेश और तेलंगाना में लोकसभा की 129 सीटें हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रोस इनमें से सिर्प 28 सीटें जीत सकी थी जबकि भाजपा 29 सीटें जीतने में सफल रही। भाजपा ने अकेले कर्नाटक में 25 सीटें जीती थीं। ऐसे में कर्नाटक में यात्रा पाटा के लिए अहम है।वैसे भी इस यात्रा से कांग्रोस को मजबूत होने की उम्मीद है। अगर कार्यंकर्ताओं ने बढ़चढ़ कर साथ दिया तो निाित रूप से यह पाटा के लिए एक बूस्टर डोज होगी। इससे राहुल गांधी को भी निजी फायदा हो सकता है। तक की भारत जोड़ो यात्रा

सोनाली फोगाट की हत्या क्या राजनीतिक है?

क्या राजनीतिक है? भाजपा नेत्री सोनाली फोगाट की मौत का मामला उलझता जा रहा है।परिजनों ने उनके पीए सुधीर सांगवान व उसके दोस्त सुखविदर सिह पर सम्पत्ति हड़पने और राजनीतिक षड्यंत्र रचते हुए हत्या करने का आरोप लगाया है। सोनाली के भाईं रिवू ढाका ने सुधीर पर खाने में नशीले पदार्थ देकर दुष्कर्म करने और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बारे में उन्होंने गोवा पुलिस को चार पेज की शिकायत दर्ज करने और कार्यंवाही की मांग की है। इस बीच विपक्षी दलों ने सोनाली की मौत की सीबीआईं जांच की मांग की है। दूसरी ओर गोवा के सीएम प्रामोद सांवत ने कहा है कि शुरुआती रिपोर्ट में मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया जा रहा है। पुलिस ने अस्वाभाविक मौत का केस दर्ज किया है। सोनाली फोगाट की पोस्टमाट्र्म रिपोर्ट में शव पर कईं चोट के निशान के उल्लेख के बाद गोवा पुलिस ने बृहस्पतिवार को उनके दो सहयोगियों के खिलाफ हत्या का आरोप दर्ज किया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि फोगाट (42) की मौत से जुड़े मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) जोड़ी गईं है। उन्होंने कहा कि फोगाट के साथ सुधीर सांगवान और सुखविदर सिह को मामले में आरोपी बनाया गया है। फोगाट के भाईं रिवू ढाका ने बुधवार को अंजुना पुलिस थाने में दो लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराईं थी। भाजपा शासित गोवा की पुलिस ने तीन दिन बाद केस में कार्यंवाही की जब पोस्टमट्र्म रिपोर्ट ने इस बात की आशंका जताईं कि सोनाली के शरीर पर कईं निशान पाए गए जिससे यह शक होता है कि उनकी हत्या की गईं है? उधर परिवार वाले पहले दिन से ही कह रहे थे कि उन्हें सुधीर व सुखविदर पर शक है। सोनाली के जीजा अमन पूनिया का आरोप है कि हत्या राजनीतिक षड्यंत्र के तहत की गईं है। सुधीर इसमें चेहरा भर है। उधर अंजुना थाना प्राभारी प्राशल देसाईं आरोपियों से सख्ती से पूछताछ कर रहे हैं। क्या सोनाली फोगाट की मौत का रहस्य कभी खुलेगा? या फिर इस टाइप के केसों को दबा दिया जाएगा? ——अनिल नरेन्द्र

Friday 26 August 2022

जब माता पार्वती भोलेनाथ पर व््राोधित हो उठीं प्रोरणा

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश जी को प्राथम पूज्य देवता माना गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में पार्वती जी को श्रद्धा और शंकर जी को विश्वास का रूप माना है।दोनों ही किसी भी कार्यं की सफलता के लिए परम आवश्यक हैं और यह दोनों लक्षण उनके पुत्र गणेश जी में हैं। गणेश जी की दो पत्नियां रिद्धि, सिद्वि और दो पुत्र शुभ और लाभ हैं।मुदल्र पुराण में इनके आठ अवतारों—वव््रातुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण का वर्णन है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ है। इनके जन्म से संबंध में कईं कथाएं पुराणों में मिलती हैं। शिवमहापुराण की रुद्रसंहिता में वर्णन है कि वुमारिका खंड में माता पार्वती जी ने अपने उबटन से एक पुतला बनाया। इस पर अपना रक्त छिड़क कर उसे जीवित कर दिया। कथा में आगे बताया गया कि माता पार्वती गणेश को द्वार पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गईं। इसी दौरान भगवान शिव वहां आते हैं, तो गणेश उन्हें अंदर जाने से रोक देते हैं। व््राोधित शिवजी गणेश जी का सिर काट देते हैं। जब इस घटना का पता माता पार्वती को चलता है, तो वह भोलेनाथ पर व््राोधित हो उठती हैं।माता पुत्र वियोग को सह नहीं पाती हैं और शिवजी से गणेश को पुन:जीवित करने के लिए कहती हैं। तब शिवजी अपने गणों को धरती पर भेजते हैं और कहते हैं कि जो मां अपने बच्चे से उलट मुख किए हो, उसका सिर काट लाएं। गणों को ऐसी कोईं मां नहीं मिलती, जो अपने बच्चे से मुंह मोड़े हो। ऐसे में उन्हें एक हथनी मिलती है, जो बच्चे की ओर मुंह नहीं किए होती है। गण हाथी के बच्चे का शीश काटकर ले जाते हैं और इस प्राकार गणेश जी को गजानन का शीश लगाकर पुन: जीवत किया जाता है। इसीलिए उनका नाम गजानन पड़ा। कहते हैं जो भक्त भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन करता है, उसे चोरी आदि का आरोप झेलना होता है। श्रीवृष्ण से एक बार यह गलती हो गईं थी, तब उन पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा था। अगर कोईं गलती से इस दिन इस चंद्रमा के दर्शन कर लेता है तो उसका पाप स्यमंतक मणि कथा पढ़कर समाप्त हो जाता है। पुराणों में एक और कथा का वर्णन मिलता है कि जिसके अनुसार गणेश और उनके भाईं कार्तिकेय माता पार्वती और शिव के पास पहुंचे। गणेशजी बुद्धि और कार्तिकेय बल में किसी से कम नहीं थे। ऐसे में सर्वश्रेष्ठ कौन है, इसका पता करने के लिए भगवान शिव ने एक परीक्षा ली।उन्होंने कहा कि जो सात बार धरती की परिव््रामा करके लौटेगा वह सर्वश्रेष्ठ और सर्वपूज्य होगा। परीक्षा शुरू होते ही देवताओं के सेनापति व मंगल ग्रह के स्वामी कार्तिकेय अपने वाहन मोर को लेकर शीघ्रता से चले गए, लेकिन गणेश जी परेशान हो गए। उन्होंने अपने वाहन चूहा को देखा तो सोचा कि ऐसे तो मैं हार जाऊंगा।

और अब पंसी जैकलीन फर्नाडीस

प्रावर्तन निदेशालय (ईंडी) ने जालसाज सुकेश चंद्रशेखर को 215 करोड़ रुपए की वसूली से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में फिल्म अभिनेत्री जैकलीन फर्नाडीस को आरोपी बनाया है। ईंडी ने विशेष पीएमएलए अदालत में बुधवार को पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें जैकलीन अकेली नईं आरोपी हैं। ईंडी के मुताबिक सुकेश ने पिंकी ईंरानी के जरिये जैकलीन को 5.71 करोड़ रुपए के तोहपे दिए थे। जैकलीन के परिजनों को अमेरिकी डॉलर में करीब 1.3 करोड़ रुपए और ऑस्ट्रेलियाईं डॉलर में करीब 14 लाख रुपए पंड किए थे। यह रकम हवाला ऑपरेटर अवतार सिह कोचर के जरिये जैकलीन के परिजनों तक पहुंचाईं गईं थी। सूत्रों के मुताबिक जैकलीन को शुरू से पता था कि सुकेश चंद्रशेखर ठग है और वह जबरन वसूली करने वाला है। एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि चंद्रशेखर पिछले साल फरवरी से लेकर सात अगस्त तक दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने तक जैकलीन के साथ नियमित सम्पर्व में था। आरोप पत्र के बाद जैकलीन ने सोशल मीडिया पर लिखा—मैं शक्तिशाली हूं, मैं खुद को स्वीकार करती हूं। सब ठीक हो जाएगा। मैं मजबूत हूं और अपने लक्ष्यों और सपनों को हासिल करूंगी। ईंडी की पूछताछ में जैकलीन ने सुकेश के साथ रिलेशन की बात मानी थी। रिपोर्ट के मुताबिक अभिनेत्री ने पूछताछ में बताया कि उसने सुकेश से करोड़ों रुपए के गिफ्ट लिए थे। सुकेश ने उसे डायमंड रिग देकर प्रापोज किया था। इस रिग में जे और एस बना हुआ था। सुकेश ने एक्ट्रेस को एस्पुएला नाम का एक 50 लाख का घोड़ा और 9-9 लाख रुपए की बिल्लियां भी गिफ्ट की थीं। इसके अलावा गुच्ची के 3 डिजाइन बैग, गुच्ची के दो जिम वियर, लूईं वितौन के एक जोड़ी जूते, हीरे की दो जोड़ी बालियां, एक माणिक का एक ब्रेसलेट, दो हेमीज ब्रसलेट और एक मिनी वूचर कार दी थी। ——अनिल नरेन्द्र

Tuesday 23 August 2022

उन्नत हरियाणा : वुशल नेतृत्व व उनकी टीम

चाहे वह वेंद्र की सरकार हो, राज्यों की सरकार हो या फिर कोईं भी संगठन हो, उसकी कामयाबी के लिए एक सशक्त नेतृत्व जोकि स्पष्ट निर्देश दे, प्राशासनिक अधिकारी जोकि सरकार की नीतियों को पूरी ईंमानदारी से जमीन पर उतारें अत्यंत आवश्यक है। अगर नीतियां सही हैं पर उनके व््िरायान्वयन में कमी रह जाती है तो उसका लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंचता, जिनको मिलना चाहिए। देश के सबसे सफल राज्यों में हरियाणा का नम्बर बहुत ऊंचा है। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकासात्मक कार्यो को हरियाणा प्रादेश में जिस बाखूबी व ईंमानदारी के साथ युद्ध स्तर पर लागू करके एक नईं मिसाल कायम की जा रही है। इसका मुख्य श्रेय जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जाता है वहीं उनकी प्राशासनिक टीम जिसमें मुख्य सचिव संजीव कौशल (आईंएएस), मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्राधान सचिव सूचना जनसम्पर्व, भाषा विभाग हरियाणा चंडीगढ़ के महानिदेशक अमित अग्रावाल (आईंएएस) सहित भाजपा प्रादेश अध्यक्ष ओम प्राकाश धनखड़ को जाता है जिनके आपसी तालमेल से जहां हरियाणा में आजादी के अमृत महोत्सव को युद्ध स्तर पर प्राचारित कर इसकी धाक दुनिया के देशों में प्राखरित की गईं वहीं सूचना जनसम्पर्व एवं भाषा विभाग के महानिदेशक अमित अग्रावाल ने निजी सूची लेकर प््िरांट मीडिया, इलैक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया में बेहतर कवरेज करवाईं। यह कम ही देखा गया है जब कोईं वरिष्ठ आईंएएस अधिकारी प्रादेश व देश की विकासात्मक एवं महत्वपूर्ण कवरेज करवाने के लिए खुद इतनी दिलचस्पी ले? इसी श्रृंखला में हरियाणा के प्रात्येक व्यक्ति को सक्षम बनाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा अपने प्रायासों को अमलीजामा पहनाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री अंत्योदय उत्थान परिवार योजना तैयार की है। इस योजना के तहत समाज के प्रात्येक व्यक्ति की आय को एक लाख 80 हजार रुपए करने के लिए रोजगार के अवसर मुहैया करवाए जा रहे हैं। इसके लिए गांव, शहर के वार्डो में जाकर अंत्योदय मेलों का आयोजन कर त्रण आदि की सुविधाएं उपलब्ध करवाईं गईं हैं। मनोहर लाल खट्टर ने देश में सबसे पहले परिवार पहचान पत्र को जरूरी किया और इस परिवार पहचान पत्र के साथ ही सरकार की सभी योजनाओं को जोड़ने का काम किया गया है। इस योजना से अब लोगों को घर बैठे बुढ़ापा पेंशन, विधवा पेंशन, त्रण जैसी सुविधाएं, पिछड़ा वर्ग के प्रामाण पत्र के साथ अनुसूचित जाति के प्रामाण पत्र घर बैठे ही बन रहे हैं। सरकार ने किसानों के हित का ध्यान रखते हुए फसल बीमा योजना, मेरी फसल मेरा ब्यौरा प्राणाली को लागू किया है। किसानों को एमएसपी देकर जोखिम को कम करने का काम किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल व खेल मंत्री संदीप सिह के नेतृत्व में नईं खेल नीति को तैयार किया गया। इस खेल नीति से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मैडल जीतने वाले खिलािड़यों को करोड़ों रुपए की ईंनामी राशि के साथ सरकारी विभागों में खेल कोटे के तहत प्राथम श्रेणी की नौकरियां भी दी गईं हैं। इस खेल नीति से प्राभावित होकर हरियाणा के खिलािड़यों ने टोक्यो ओलंपिक और अभी हाल में कॉमनवेल्थ गेम्स में प्रादेश के खिलािड़यों ने 20 मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है।

गडकरी को हटाने के पीछे?

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् भाजपा की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था वेंद्रीय संसदीय बोर्ड से नितिन गडकरी का बाहर होना भाजपा की भावी रणनीति से जुड़ा लगता है। यह पैसला पाटा के अंदरूनी घटनाव््राम को भी प्राभावित करने वाला है। नया घटनाव््राम पाटा के भीतर उनके राजनीतिक वजूद व रसूख को तो प्राभावित करेगा ही, साथ ही उनकी चुनावी राजनीति पर भी असर डालेगा। महाराष्ट्र की राजनीति से 2009 में भाजपा अध्यक्ष बनकर राष्ट्रीय फलक पर उभरे नितिन गडकरी अब भाजपा के वेंद्रीय संगठन में अहम भूमिका से बाहर हैं। वह वेंद्र सरकार में मंत्री हैं और पाटा की राष्ट्रीय कार्यंकारिणी के भी सदस्य तो हैं लेकिन वेंद्रीय संसदीय बोर्ड और वेंद्रीय चुनाव समिति से बाहर रहेंगे। इससे पाटा के भीतर उनका कद प्राभावित होना लाजिमी है। गडकरी अपने बयानों को लेकर अकसर चर्चा में रहे और राजनीति को लेकर उनकी अपनी अलग सोच भी जगजाहिर होती रही है। मैंने इसी कॉलम में उनका एक ताजा बयान बताया था। उन्होंने एक कार्यंव््राम में मौजूदा राजनीति पर सवाल खड़े किए थे और संकेत भी दिया था कि अब राजनीति उनके लिए बहुत ज्यादा रुचि नहीं रखती। अपनी शैली के कारण कईं बार वह सबके साथ समन्वय बनाने में सफल भी नहीं रहे। मोदी सरकार में वेंद्रीय मंत्री के रूप में उनकी भूमिका की सबसे ज्यादा सराहना हो रही है। देशभर में पैले राष्ट्रीय राजमार्गो के जाल को लेकर उनकी तारीफ उनके सियासी विरोधी भी करने से कतराते नहीं हैं। लेकिन पाटा के अंदरूनी समीकरणों में उनकी दिक्कतें बनी रहीं। अपने बेलोस अंदाज से भी वह विवादों में भी रहे हैं। उनके वुछ समर्थक तो यहां तक कहने से कतराते नहीं कि मोदी जी का अगर कोईं विकल्प हो सकता है तो उसमें नितिन गडकरी का नाम भी है। वेंद्रीय नेतृत्व ने नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड और वेंद्रीय चुनाव समिति में शामिल नहीं कर एक बड़ा संदेश दिया है कि पाटा के बजाय विचारधारा पर वेंद्रित है। इसके विस्तार में जो भी जरूरी होगा वह किया जाएगा। इसके पहले पाटा ने मार्गदर्शक मंडल गठित कर वरिष्ठ नेता लाल वृष्ण आडवाणी और डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी जैसे विद्वान को, पाटा की सव््िराय राजनीति से अलग कर उसमें शामिल किया था। महाराष्ट्र की राजनीति में भी इस कदम का असर पड़ सकता है। पाटा में गडकरी की जगह उनके ही गृह नगर से आने वाले देवेंद्र फड़नवीस को आगे करके गडकरी के कद को छोटा किया जा रहा है। हालांकि नितिन गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी करीबी हैं पर मोदी-शाह की जोड़ी के सामने उनकी भी एक नहीं चली। यह भी दबे लफ्जों में कहा जा रहा है कि गडकरी की सेहत अब बहुत अच्छी नहीं है। हाल ही में एक कार्यंव््राम में वह बेहोश हो गए थे। कारण जो भी रहा हो यह दुख की बात है कि एक अत्यंत सफल मंत्री जिनके काम की सभी सराहना करते हैं क्यों यूं बेइज्जत किया जाए? ——अनिल नरेन्द्र

Friday 19 August 2022

न्यूज चैनल का लाइसेंस रद्द

पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथारिटी (पीईंएमआरए) ने एआरवाईं न्यूज चैनल का ऑपरेटिग लाइसेंस रद्द कर दिया है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार पीईंएमआरए ने यह पैसला 172वीं बैठक के दौरान लिया, जिसकी अध्यक्षता फिर से नियुक्त प्रामुख सलीम बेग ने की। एक नोटिफिकेशन में मंत्रालय ने कहा—एआरवाईं के पक्ष में जारी एनओसी तत्काल प्राभाव से रद्द कर दिया गया है। नियामक प्राधिकरण के सूत्रों ने कहा कि बेग ने तीन अन्य सदस्यों की उपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में कईं वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल थे। बैठक में कहा गया कि आंतरिक मंत्रालय ने पत्र दिनांक 10.11.2021 के माध्यम से शुरू में एआरवाईं कम्युनिकेश लिमिटेड के सैटेलाइट टीवी लाइसेंस के नवीकरण के लिए एनओसी को मंजूरी दी थी। मंत्रालय के पत्र दिनांक 11.8.2022 से एआरवाईं न्यूज के संबंध में एनओसी को वापस ले लिया है। एआरवाईं मैनेजमेंट ने पैसले की निदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने एनओसी रद्द करके पत्रकार बिरादरी की आर्थिक हत्या की दिशा में एक और कदम उठाया है। उन्होंने कहा—एनओसी रद्द करने का मतलब न्यूज चैनल से जुड़े 4000 से अधिक मीडिया पेशेवर की आर्थिक हत्या होगी। चैनल ने 8 अगस्त को अपने एक शो में रिपोर्ट दिखाईं थी, जिसमें खान के एक सलाहकार ने सत्तारूढ़ दल पर सेना के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि सेना के अधिकारियों को अपने उच्च अधिकारियों के अवैध और असंवैधानिक आदेशों का पालन नहीं करना चाहिए। इस रिपोर्ट को दिखाने के वुछ घंटों बाद चैनल को बंद करने का आदेश सुना दिया गया। पीईंएमआरए ने कहा कि चैनल ने ऐसी वंटेट प्रासारित किए है, जो अत्याधिक आपत्तिजनक, घृणास्पद और देशद्रोही है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थी। सशस्त्र बलों के भीतर विद्रोह को भड़काने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से पेश की गईं थी। ——अनिल नरेन्

जानलेवा चाइनीज मांझा

हम खबरें पढ़ते रहते हैं कि आज फिर चाइनीज मांझे की चपेट में एक युवक आ गया और जिसकी वजह से उसकी मौत हो गईं। हाल ही में नॉर्थ- ईंस्ट डिस्ट्रिक्ट के शास्त्री पार्व इलाके में चाइनीज मांझे की चपेट में आने से एक बाइक सवार कारोबारी की गर्दन कट गईं। हादसे में उसकी पत्नी और बच्चे बाल-बाल बच गए। घायल को तुरन्त ट्रामा सेंटर में भता कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान विपिन (35) के रूप में हुईं। विपिन वुमार नांगलोईं स्थित राजधानी पार्व इलाके में परिवार के साथ रहता था। परिवार में पत्नी अन्नु और तीन बेटियां हैं। इससे पहले 25 जुलाईं 2022 को हैदरपुर फ्लाइओवर पर चीनी मांझे से गर्दन कटने से कारोबारी सुमित राणा की मौत हो गईं थी। 7 अगस्त को बदरपुर इलाके में तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन के सामने फ्लाइओवर पर चीनी मांझे से गर्दन कटने पर डिलीवरी ब्वॉय नरेंद्र गिर गया। इस दौरान पीछे से आ रहे वाहन ने उसे वुचल दिया, जिससे उसकी मौत हो गईं। उसी दिन जगतपुरी में चीनी मांझे की चपेट में आने से छात्र अभिनव की गर्दन कट गईं थी। रोजाना 70 से अधिक पक्षी अब तक घायल हो चुके हैं। चांदनी चौक के दिगम्बर जैन लाल मंदिर में स्थित पक्षियों का धर्मार्थ चिकित्सालय में रोज 70 से अधिक पक्षी रोजना घायल हो रहे हैं। दरअसल बता दें कि कईं बार मांझा पेड़, बिजली के पोल पर अटक जाता है। जिससे यह मासूम पक्षी उनमें उलझ कर घायल हो जाते हैं। कईं घायल पक्षियों पर तो किसी की नजर नहीं जाती, जिससे उनकी जिंदगी की डोर कट जाती है। मांझे से कटने के ज्यादातर हादसे फ्लाइओवर पर हो रहे हैं। पुल के आसपास बसे इलाकों में से पतंग कटकर अचानक आ जाती है, जो बाइक सवारों के लिए काल बन रही है। हमें समझ नहीं आता कि सरकार इस चाइनीज मांझे पर सख्त प्रातिबंध क्यों नहीं लगाती? इतने हादसे होने के बाद भी सरकार कोईं एहतियाती कदम क्यों नहीं उठा रही? इनका आयात करने वालों पर केस दर्ज की जाए और हत्या का मुकदमा चलाया जाए।

Wednesday 17 August 2022

बिहार की राजनीति भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

जदयू की बैठक में भाजपा पर विधायक तोड़ने-खरीदने का आरोप लगा। कहा गया—भाजपा ने हमेशा विश्वासघात किया है। वह क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है। भाजपा सिर्प हिन्दू-मुस्लिम कर देश का माहौल बिगाड़ रही है। यह कहकर जदयू ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ दिया और आरजेडी के साथ नईं सरकार ने शपथ भी ले ली है। इस गठबंधन टूटने से दोनों को भाजपा और जदयू को नईं चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। भाजपा की 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति को बिहार में नीतीश वुमार ने झटका जरूर दिया है। चार महीने से नीतीश और भाजपा में जो तनातनी चल रही थी, उसमें भाजपा के रणनीतिकारों को मात खानी पड़ी। गठबंधन टूटने के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार के कोर ग्राुप के साथ बैठक की। जानकारों के मुताबिक इस घटनाव््राम से भाजपा का मिशन 2024 डी-रेल भले न हुआ हो लेकिन झटके से इंकार नहीं किया जा सकता। दक्षिण भारत में भाजपा कर्नाटक को छोड़कर अन्य राज्यों में पैर जमाने में अब तक सफल नहीं रही है। आंकड़े देखें तो 2024 के लिए भाजपा का 266 लोकसभा सीटों पर मुकाबला 2019 की तुलना में कठिन हो सकता है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 में एनडीए (जदयू-भाजपा गठबंधन) ने 39 सीटें जीती थीं। अब महागठबंधन बनने से भाजपा बनाम अन्य के बीच 60 प्रातिशत वोट का अंतर होगा। यानि भाजपा 20 प्रातिशत तो महागठबंधन के पास 80 प्रातिशत वोट शेयर है। भाजपा के एक महासचिव ने कहा—नीतीश को इतने दिन साधे रखने की अहम वजह यही है कि उनका वोट शेयर भाजपा को मिल जाए, तो अपराजय है और राजद से मिल जाए तो भी व अपराजय है। बिहार में जदयू के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद भाजपा ने न सिर्प एक राज्य में सत्ता खोईं है, बल्कि उसका एक बड़ा सहयोगी भी उससे दूर हुआ है। भाजपा और जदयू में खटास लंबे समय से चली आ रही थी, लेकिन हाल की वुछ घटनाओं ने दोनों दलों का तलाक वुछ जल्दी ही करा दिया। भाजपा नेतृत्व ने इसे रोकने की कोशिश तो की, लेकिन बहुत ज्यादा चिता नहीं दिखाईं। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेताओं को यह पता चल चुका था कि नीतीश अब रुकने वाले नहीं। विधानसभा में जो दलीय संख्या है उसमें भाजपा किसी तोड़फोड़ और दूसरे दलों को साथ लेकर भी अनी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में भाजपा अब विपक्ष की रचनात्मक भूमिका तो निभाएगी पर नीतीश पर सीधे हमले से बचना चाहेगी। भाजपा का अब पूरा हमला राजद पर होगा। राजद के भ्रष्टाचार के पूर्व के मामलों को लेकर भाजपा एक बार फिर मुखर होगी। इसी पिच पर वह अगले लोकसभा और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी नहीं करेगी। इस घटनाव््राम के बाद भाजपा को बिहार में संगठन में बदलाव करना पड़ेगा। पाटा अपने दम पर चुनाव लड़ने की स्थिति में ऐसे नेतृत्व को उभारेगी जो सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों में तो प्राभावी हो ही साथ ही उसकी राजनीतिक अपील भी बेहतर हो। ऐसे में पुराने नेताओं को एक बार फिर से सामने लाया जा सकता है। ——अनिल नरेन्द्र

रुश्दी पर हमला : हदी मतार कौन है?

न्यूयॉर्व में प्राख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर चावू से हमला करने के आरोप में हिरासत में लिए गए 24 वषाय संदिग्ध हदी मतार की सहानुभूति शिया चरमपंथियों और ईंरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर के उद्देश्यों के प्राति थी। मीडिया में आईं खबरों में यह दावा किया गया है। न्यूयॉर्व स्टेट पुलिस ने संदिग्ध की पहचान पेयरव्यू, न्यूजसा के हदी मतार के तौर पर की है। पािमी न्यूयॉर्व में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में भाषण देने के दौरान हमलावर ने मंच पर चढ़कर रुश्दी पर चावू से हमला किया था। बताया जा रहा है कि हमलावर ने वुछ सैवेंडों में 8 से ज्यादा बार रुश्दी पर हमला किया। एनबीसी न्यूज ने मामले की जांच से जुड़े एक अधिकारी के हवाले से बताया कि आरोपी हदी मतार के सोशल मीडिया अकाउंट की प्राथमिक जांच से पता चला है कि वह शिया चरमपंथ और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड (ईंरान) के प्राति सहानुभूति रखता था। अब तक मतार और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी से सीधे संबंध की जानकारी तो नहीं मिली है। लेकिन उसके मोबाइल फोन के मैसेजिग ऐप से ईंरान के मारे गए कमांडर कासिम सुलेमानी और ईंरानी शासन के प्राति सहानुभूति रखने वाले इराकी चरमपंथियों की तस्वीर मिली है। सुलेमानी एक वरिष्ठ ईंरानी सैन्य अधिकारी थे, जिनकी वर्ष 2020 में हत्या कर दी गईं थी। पत्रकार जोशुआ गुडमैन अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने पािमी न्यूयॉर्व में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन गए थे, लेकिन यहां उनके सामने लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले की घटना घटी। एक समाचार एजेंसी के पत्रकार गुडमैन भी उस कार्यंव््राम में मौजूद थे, जहां रुश्दी व्याख्यान में हिस्सा लेने पहुंचे थे। पत्रकार ने अपने मोबाइल फोन से घटना की तस्वीरें लीं और अपने संस्थान को हमले के वीडियो भेजे। वहीं चौटाउक्वा कानूनी के कार्यंकारी पॉल वेंर्डल ने एक बयान में कहा कि यह निराशाजनक है कि हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जहां हम दूसरों के अलग विचारों को नहीं सुन सकते, खासकर संस्थान जैसी जगह, जहां दुनियाभर के विचारक अपने अनुभव साझा करने आते हैं। उधर वुछ ईंरानियों ने हमले की प्राशंसा भी की है। ईंरानियों ने सलमान रुश्दी पर हुए हमले को लेकर मिश्रित प्रातिव््िराया दी है। तेहरान में वुछ लोगों ने लेखक पर हमले की सराहना की। रेजा अमिरी नामक एक व्यक्ति ने कहा कि मैं रुश्दी को नहीं जानता, लेकिन मुझे यह सुनकर खुशी हुईं है कि उन पर हमला किया गया क्योंकि उन्होंने इस्लाम का अपमान किया है। हालांकि वुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें चिता है ईंरान दुनिया से और कट जाएगा। भूगोल शिक्षक महाशिव बराती (39) ने कहा कि मैं मानता हूं कि जिन्होंने ऐसा किया है, वह ईंरान को अलग-थलग करने का प्रायास कर रहे हैं। रुश्दी पर हमले के बाद मेजबान संस्थान चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में सुरक्षा सावधानियों को लेकर प्राश्न उठने लगे हैं। न्यूयॉर्व पोस्ट की खबर के अनुसार 2001 में रुश्दी ने अपने आसपास बहुत अधिक सुरक्षा की शिकायत की थी। उन्होंने कहा था, अपने आसपास बहुत सुरक्षा देखकर थोड़ी असहजता होती है।

Thursday 11 August 2022

बिहार से महागठबंधन का शंखनाद

का शंखनाद क्या भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान भाजपा-जेडीयू गठबंधन तोड़ने का कारण बना? ऐसी सभी जगह चर्चा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब बिहार के दौरे पर थे तब उन्होंने वहां कईं कार्यंव्रमों में हिस्सा भी लिया। इसी एक कार्यंव्रम में कहा-भाजपा एक विचारधारा से प्रेेरित है दौरे में उन्होंने और हम एक विचारधारा से प्रेरित पार्टी हैं। भाजपा कार्यांलय कार्यंकर्ताओं के लिए एक बिजलीघर है जहां से करोड़ों कार्यंकर्ता पैदा होंगे। नड्डा जी ने कहा कि अगर यह विचारधारा नहीं होती तो हम इतनी बड़ी लड़ाईं नहीं लड़ सकते थे। सब लोग (यानि अन्य राजनीतिक दल) मिट गए, समाप्त हो गए और जो नहीं हुए वह हो जाएंगे, रहेगी तो केवल भाजपा ही। भाजपा के विरोध में लड़ने वाली कोईं भी राष्ट्रीय पार्टी नहीं बनी। बस यह पंक्तियां थीं शायद जिससे जेडीयू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश वुमार के कान खड़े हो गए। बेशक पार्टी के अन्य नेता कह यह भी रहे हैं कि भाजपा उनके विधायकों को तोड़ने के लिए धनबल का प्रयोग भी कर रही थी जिसकी छह रिकार्डिग उनके पास है। नीतीश वुमार और भाजपा के बीच टकराव तो 2020 से ही शुरू हो गया था और भाजपा के नेताओं के बयान भी गठबंधन की नैतिकता को निभाने वाले नहीं थे। नीतीश वुमार को महाराष्ट्र में शिवसेना को खत्म करने की भाजपा की साजिश ने सतर्व कर दिया और पिछले वुछ सालों के भाजपा के कार्यंकलापों की जब विवेचना की तो उन्हें समझ आ गईं। भाजपा की विस्तारवादी नीति। सुशासन बाबू समझ गए कि भाजपा जहां सरकार नहीं बना सकी वहां उसने किस तरह से विधायक खरीद कर सरकारें गिराईं जिनमें मध्य प्रदेश, गोवा, असम जैसे राज्यों में भाजपा की सरकार वैसे बनी यह सब को पता है। भाजपा ने राजस्थान में भी पूरी कोशिश की मगर गहलोत भी बहुत ही परिपक्व राजनेता हैं उन्होंने अपनी सरकार बचा लिए। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सतर्व हो गए। सरकार गिराना और अपनी सरकार बनाना यह राजनीति में कोईं नईं बात नहीं है परंतु विपक्षी पार्टियां या सहयोगी दलों को खत्म करना लोकतंत्र में चिंता का विषय है। तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा ‘शार्व’ है जो सभी दलों को निगल लेना चाहती है जैसे पंजाब में उसने अपने इतने पुराने सहयोगी दल ‘अकाली’ फिर शिवसेना, इसके ताजा उदाहरण है। खैर, अब नीतीश वुमार भाजपा से अलग हो गए हैं और उन्होंने सात दलों के साथ महागठबंधन कर आज 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। वहीं उनके साथ आरजेडी के नेता लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने दोबारा उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और बिहार में महागठबंधन की सरकार फिर एक बार आ गईं। सुशासन बाबू ने आज एक बहुत बड़ा बयान भी शपथ लेने के बाद दे दिया, ‘जो 2014 में आए वो क्या 2024 में रह पाएंगे यह हमें नहीं पता!’ नीतीश वुमार का आरोप है कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह जेडीयू को तोड़ने की कोशिश करते आ रहे हैं और उन्हीं की पार्टी के नेता आरपी सिंह उनके मोहरे का काम कर रहे थे। अमित शाह जी को सब भाजपा का चाणक्य कहते हैं और उनकी अब तक की सभी नीतियां लगभग सही निशाने पर लगी हैं परंतु बिहार तो स्वयं ‘चाणक्य’ की धरती है अत: वहां पर अमित शाह और जेपी नड्डा का दांव नहीं चला। इसमें कोईं शक नहीं कि भाजपा को नीतीश वुमार ने एक भारी झटका दिया है और तभी भाजपा के बिहार के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने नीतीश वुमार को चेताया कि आरजेडी के साथ उन्हें वो सम्मान नहीं मिलेगा जो उन्हें भाजपा में रहते हुए मिला। हमने ज्यादा सीटें होने के बावजूद भी उन्हें मुख्यमंत्री की वुस्री पर बैठाया, पार्टी तोड़ने की कोशिश नहीं की। हमने तो उन्हें ही तोड़ा जिन्होंने हमें धोखा दिया। महाराष्ट्र में शिवसेना ने हमें धोखा दिया तो उन्हें उसके परिणाम भुगतने पड़े। बिहार में धोबी पछाड़ दिए जाने पर महागठबंधन की पार्टियों के नेताओं में एक नईं ऊर्जा का संचार हुआ है और वो कह रही हैं ‘जैसे को तैसा’। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पूर्व नीतीश वुमार ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन कर धन्यवाद दिया और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर सभी विधायकों से मुलाकात भी की। नीतीश वुमार 1974 में बिहार छात्र आंदोलन के समय से ही सूबे की राजनीति में सव्रिय रहे। वर्ष 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद 1985 में हरनौत विधानसभा से जीत कर पहली बार विधायक बने और वर्ष 1989 में पहली बार सांसद बने और वो भी उस सीट से जहां बाढ़ का भारी प्रकोप रहा। फिर उसके बाद 1996, 1998, 1999 के लोकसभा चुनाव में भी वो लगातार जीतते चले गए और केन्द्र सरकार में रेल मंत्री, वृषि मंत्री भी रहे। वर्ष 2000 में एनडीए की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री बने। 2005 में आरजेडी को हराकर मध्यावधि चुनाव बहुमत से जीतकर मुख्यमंत्री बने। इधर-उधर होकर नीतीश वुमार लगातार बिहार के आठवीं बार मुख्यमंत्री बने। नीतीश वुमार को और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं को महसूस होने लग गया था कि भाजपा उनकी पार्टी को खत्म कर देना चाहती है जिसका उदाहरण जेपी नड्डा का 31 जुलाईं को बिहार में दिया गया बयान है। जब जदयू के नेताओं ने इसकी समीक्षा की कि उनकी पार्टी के 2010 में 117 विधायक थे और 2015 में 72 और अब गिनती 40 पर पहुंच गईं और इसको यहां तक पहुंचाने में भाजपा ने चिराग पासवान का खूब अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल किया जो पानी पी-पी कर नीतीश वुमार और तेजस्वी यादव को कोसते थे। बेशक उनकी अपनी पार्टी जीरो हो गईं और उनके चाचा केन्द्र में मंत्री बन गए और चिराग हनुमान बने घूमते रहे हैं। अब वह फिर एक बार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने लगे हैं वो नहीं जानते उनके सामने नीतीश वुमार हैं जिन्हें सभी सात दलों ने समर्थन दिया है। आज शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के कईं बड़े नेता जैसे राबड़ी देवी और जीतन राम मांझी भी उपस्थित थे। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य खराब होने के कारण समारोह में नहीं आ सके। मगर नीतीश वुमार ने उन्हें फोन पर सभी घटनाव्रम से अवगत करवाया। राबड़ी देवी ने तो कहा कि यह बिहार की जनता के लिए बहुत अच्छा हुआ है।

Tuesday 9 August 2022

सवाल दिल्ली में शराब बिक्री का?

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सोमवार को निजी शराब की दुकानों के साथ-साथ होटल और बार के आबकारी लाइसेंस को एक महीने के लिए दिल्ली की आम आदमी पाटा (आप) की सरकार के पैसले को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही शहर में शराब आपूर्ति फिर से शुरू हो जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के प्रास्ताव को मंजूरी देते हुए आबकारी नीति 2021-22 को एक महीने बढ़ाने का प्रास्ताव रविवार देर रात मंजूरी के वास्ते उपराज्यपाल को भेजा था। उपराज्यपाल कार्यांलय के सूत्रों ने बताया कि 31 जुलाईं को समाप्त हुए मौजूदा लाइसेंस को देखते हुए और प्राशासन में लोगों के विश्वास बनाए रखने के लिए इस विस्तार को अनिवार्यं रूप से एक सीमित अस्थायी रूप में मंजूरी दे दी गईं है। उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल ने महसूस किया है कि स्टॉक क्लीयरेंस के लिए मौजूदा खुदरा और थोक लाइसेंस के कार्यंकाल को एक महीने के लिए बढ़ाने और खुदरा तथा थोक ठेके को बंद होने से बचाने के लिए दिल्ली मंत्रिमंडल के पैसले से सहमत होने के अलावा कोईं अन्य विकल्प नहीं था। इसके साथ ही शहर में शराब की अनुपलब्धता के कारण किसी भी तरह की कानून-व्यवस्था बिगड़ने से रोकने के लिए भी यह निर्णय किया गया है। नईं शराब नीति वापस लेने के आदेश के बाद जहां शराब का सेवन करने वालों की परेशानी बढ़ेगी वहीं नईं आबकारी नीति स्व््रौप हुईं तो कईं शराब डीलर अदालत का रुख कर सकते हैं। नईं शराब नीति के तहत वेंडरों ने करोड़ों रुपए दुकान लेने, सजाने और शराब स्टॉक करने में खर्च किए हैं। सरकार की सख्ती पर शटर डाऊन हुए तो शराब की किल्लत भी होगी। इतना ही नहीं, पुरानी नीति लागू हुईं तो रेस्तरां, पब अन्य विव््रोताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली आबकारी विभाग को महज एक दिन ही समय दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि आबकारी विभाग के पुराने वेंडर और पुरानी जगह, जहां शराब की बिव््री की जाती थी, के साथ ही किस विभाग के कितने कर्मचारी तैनात किए गए थे, उसका ब्यौरा मांगा गया है। वर्तमान स्थिति में कितनी पूर्व में संचालित दुकानें और जहां दुकानें थीं उनके खाली और भरे होने का ब्यौरा साझा करें। पुरानी आबकारी नीति के तहत दिल्ली सरकार की चार संस्थाएं मिलकर शराब की बिव््री करती थीं। साथ ही वुछ निजी दुकानों को भी लाइसेंस शराब बिव््री के लिए दिया गया था। पिछले दिनों ही दिल्ली सरकार की नईं आबकारी नीति पर राजनिवास ने कईं सवाल खड़े किए थे। कथित तौर पर भ्रष्टाचार के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री पर आरोप लगे थे। अचानक से आदेश आने से दिल्ली सरकार कठघरे में खड़ी हो रही है। ——अनिल नरेन्द्र

कांग्रोस सरकार से आर-पार के मूड में

कांग्रोस महंगाईं, जरूरी चीजों पर जीएसटी वृद्धि व विरोधियों के खिलाफ जांच एजेंसियों के इस्तेमाल को लेकर अब सरकार से टकराव के मूड में दिख रही है। लगता है कि कांग्रोस पाटा अब मोदी सरकार से आर-पार के मूड में है। इन मुद्दों को लेकर जहां देशव्यापी प्रादर्शन हो रहे हैं, वहीं पाटा अपने इस आव््रामक तेवर के जरिये कहीं न कहीं यह जताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रोसमुक्त भारत की जिस सोच को जमीन पर उतारने के लिए भाजपा पुरजोर कोशिश कर रही है, उसी कांग्रोस के आव््रामक तेवरों को रोकने के लिए उसे अपने पूरे अमले को लगाना पड़ रहा है। इस पूरी कवायद का एक बड़ा मकसद यह भी है कि पाटा जमीन पर यह संदेश देना चाहती है कि आज भी देश में आम लोगों के मुद्दों और हितों के लिए कोईं सियासी दल अगर भाजपा सरकार से टकराने का माद्दा रखता है तो वह कांग्रोस है। कांग्रोस के इस प्रादर्शन और आव््रामक तेवरों के पीछे कईं अहम बिन्दु भी हैं। पिछले दिनों जब राहुल गांधी और कांग्रोस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ईंडी के यहां पेशी हुईं तो पाटा ने उनके प्राति एकजुटता दिखाते हुए विरोध प्रादर्शन किया था। हालांकि तब कांग्रोस की आलोचना हुईं थी कि गांधी परिवार पर आरोपों के चलते पाटा एकजुट हुईं है। आलोचकों की ओर से कहा गया कि लोगों से जुड़े मुद्दों के लिए पाटा के नेता और वर्वर्स जमीन पर नहीं उतरते। इस प्रादर्शन को उस आलोचना का जवाब माना जा सकता है। वैसे कांग्रोस ने पहले महंगाईं, जीएसटी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर जनजागरण अभियान चलाने की योजना बनाईं थी। इस बीच इन मुद्दों के मौजूं होने से कांग्रोस ने इसे लेकर प्रादर्शन कर अपने संगठन के बीच बैठी जड़ता को खत्म करने की भी कोशिश की है। पाटा वर्वर काफी समय से जमीन से कटा हुआ, खुद को हताश और कमजोर मनोबल के बीच घिरा हुआ था। इन कवायदों ने इनमें एक नईं ऊर्जा भर दी है। आने वाले राज्यों के चुनावों को देखते हुए कांग्रोस को अपने वर्वर्स की सव््िरायता और उत्साह बेहद जरूरी है। उधर राहुल गांधी के हमले तीखे होते जा रहे हैं। राहल ने महंगाईं, बेरोजगारी और सामाजिक हालात पर वेंद्र सरकार पर तीखा प्राहार किया और दावा किया कि भारत में लोकतंत्र की मौत हो रही है। सिर्प चार लोगों की तानाशाही है। हेराल्ड मामले में ईंडी की कार्रवाईं का हवाला देते हुए राहुल ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। कहा कि जो डरता है वही धमकाता है तथा गांधी परिवार विचारधारा के लिए लड़ता है, इसलिए उस पर हमला किया जा रहा है। संवाददाताओं से बातचीत में राहुल ने दावा किया कि मौजूदा समय में देश की हर संस्था पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का कब्जा है और संस्थाओं के स्वतंत्र नहीं होने से विपक्ष के संघर्ष का वह असर नहीं दिख रहा, जो दिखना चाहिए। हिन्दुस्तान में लोकतंत्र की मौत हो रही है। उन्होंने कहा कि जो इस देश ने 70 साल में बनाया उसे आठ साल में खत्म कर दिया गया। आज देश में लोकतंत्र नहीं है। आज चार लोगों की तानाशाही है। पूरा देश इसे जानता है। हमें संसद के बाहर और भीतर बोलने नहीं दिया जाता। सरकार दो-तीन बड़े उदृाोगपतियों के हित में काम कर रही है। एक सवाल के जवाब में कांग्रोस नेता ने कहा—मैं जितनी सच्चाईं बोलूंगा उतना मेरे ऊपर आव््रामण होगा। मैं डरने वाला नहीं, झुकने वाला नहीं। मैं जनता से जुड़े मुद्दे उठाता रहूंगा।

Saturday 6 August 2022

कोरोना अभी निपटा नहीं और मंकीपॉक्स नईं मुसीबत

देश ही नहीं, भारत की राजधानी दिल्ली शहर में भी मंकीपॉक्स वायरस संव््रामित संदिग्धों के आने का सिलसिला जारी है। ऐसी हालत में वैश्विक महामारी कोरोना के साथ अब स्वास्थ्य विभाग को इससे भी लड़ना पड़ रहा है। टेस्टिंग, ट्रीटिंग के साथ ही सघन स्व््रीनिंग की स्ट्रेटेजी तैयार करनी पड़ रही है। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं की निदेशक डॉ. इला मंडेजा के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण वाले कईं संदिग्धों के सैंपल की जांच प्राव््िराया को सुदृढ़ किया गया है। पिछले दो सालों से कोरोना से जूझ रहे लोगों के सामने यह नईं मुसीबत के आने और मामलों के बढ़ते जाने से अब चिन्ता पैदा हो गईं है। कोरोना की तरह ही संव््रामण पैलने और लक्षणों को लेकर कईं सवाल लोगों के मन में हैं। इन्हीं में से एक है कि क्या मंकीपॉक्स वायरस का संव््रामण असिम्टोमैटिक यानि बिना लक्षणों वाला भी हो सकता है, जैसा कि कोरोना में देखा गया? एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. मिश्र कहते हैं कि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह असिम्टोमैटिक या बिना लक्षण वाला नहीं हो सकता है। मंकीपॉक्स की पहचान ही लक्षण आने के कारण हो पाती है वरना तो इनके अन्य लक्षण एकदम सामान्य हैं जो आमतौर पर सामान्य बीमारियों या और भी बीमारियों में सामने आते हैं। मंकीपॉक्स में तेज बुखार आता है जो सामान्य रूप से भी लोगों को आता है। ——अनिल नरेन्द्र

वो तकनीक जिससे केवल जवाहिरी की मौत हुईं

बताया जा रहा है कि यह वही घर है जिसकी बालकनी पर ड्रोन से मिसाइल दाग कर जवाहिरी को मारा गया। 31 जुलाईं को सूर्योदय हुए कोईं घंटा भर हुआ होगा, जब अल कायदा मुखिया अयमन अलजवाहिरी टहलते हुए बालकनी में आया। बताते हैं—काबुल के एक मुख्य इलाके में स्थित इस घर में रह रहे मिरत्र के इस नामी जेहादी का यह रोजाना का शेड्यूल था। वह सुबह की नमाज के बाद अमूमन बालकनी में आया करता था। मगर पिछले रविवार को वह आखिरी काम था जो वह कर सका। ठीक 6:18 बजे (स्थानीय समय) दो मिसाइल बालकनी पर आकर गिरीं, धमाका हुआ और 71 साल के जवाहिरी की मौत हो गईं। लेकिन भीतर मौजूद जवाहिरी की पत्नी और बेटी को खरोंच तक नहीं आईं, तो यह हमला ऐसा सटीक वैसे हुआ? इससे पहले कईं बार ऐसा हुआ है जब अमेरिका ने हमले किए और इसमें निशाना चूका या गलती हुईं। अमेरिका ने हमले में जिस तरह की मिसाइल का इस्तेमाल किया वो सबसे अहम है। यह हेलफायर मिसाइल थी जिन्हें ड्रोन से दागा गया। यह हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। इन मिसाइलों को हवा से, हेलीकॉप्टर से, हवाईं जहाज से तो कभी जमीन पर किसी वाहन से, कभी समुद्र से या फिर जवाहिरी के मामले में, ड्रोन से दागा जाता है। जब किसी मिसाइल को ड्रोन से दागा जाता है तो कईं बार उसको चलाने वाला ऑपरेटर कहीं दूर किसी एसी कमरे में बैठा होता है। वो लक्ष्य का लाइव वीडियो स्ट्रीम देखता होता है, जो ड्रोन पर लगे वैमरे में लगे सेंसर्स सैटेलाइट के माध्यम से भेजते रहते हैं। वैमरा ऑपरेटर स्व््रीन पर लगे टारगेटिंग ब्रेकेट्स का इस्तेमाल कर लक्ष्य को लॉक कर देता है और फिर एक लेजर किरण पेंकते हैं। इसके बाद जैसे ही मिसाइल दागी जाती है, वो लेजर के रास्ते सीधे लक्ष्य पर चोट करती है। जवाहिरी पर हुए हमले के बारे में एक और बात कही जा रही है, जिसकी हालांकि पुष्टि नहीं हुईं है कि अमेरिका ने हेलफायर मिसाइल के एक ऐसे प्राकार का इस्तेमाल किया जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, आर नाइन एक्स (आर9एक्स) में छह ब्लेड होते हैं जो काइनेटिक एनजा का इस्तेमाल कर लक्ष्य को भेदता है। यह मिसाइल टारगेट के आसपास रहने वाले लोगों और चीजों को नुकसान नहीं पहुंचाती। जब इससे हमला किया गया तो जवाहिरी जिस घर में था, उसकी सिर्प एक मंजिल पर वुछ खिड़कियों को नुकसान पहुंचा। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा—हमने काफी समय तक जवाहिरी के ठिकाने पर नजर रखी। हमने काबुल के एक घर की बालकनी में उसे कईं बार देखा। अल-जवाहिरी के घर की रेकी की गईं। रोजमर्रा की गतिविधियों का पता लगाया गया और पता लगाया गया कि वह जिस घर में रहते है, उसमें और कौन-कौन रहता है। बताया जा रहा है कि घर में जवाहिरी के साथ मौजूद महिलाएं ट्रेड व््राफ्ट का इस्तेमाल करती थीं। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि जवाहिरी की लोकेशन की जानकारी सामने न आए। इतना ही नहीं, जवाहिरी भी घर से बाहर नहीं निकलता था। जैसे-जैसे समय बीतता चला गया, अमेरिकी अधिकारियों ने घर में इस्तेमाल किए जाने वाले पैटर्न का पता किया। मसलन जवाहिरी कबकब घर की बालकनी में आता है। सीआईंए ने चार महीने की जवाहिरी की ट्रैकिग की और फिर 31 जुलाईं को अल-जवाहिरी को मार गिराया गया। ओसामा बिन लादेन के बाद अल-जवाहिरी अमेरिका की उल्लेखनीय सफलता है और अल कायदा को जबरदस्त झटका।

Friday 5 August 2022

किस्सा चीनी रामपुरी चावुओं का

दिल्ली पुलिस ने इंडो-चाइनीज इंटरनेशनल नाइफ स्मगलिंग के बड़े मामले का खुलासा करने का दावा किया है। इनसे 14053 बटनदार चावू बरामद किए गए हैं, जो रामपुरी चावू के नाम से वुख्यात हैं। इस बड़े मामले का खुलासा होने के बाद अब इसमें कईं दूसरी एजेंसियां भी शामिल हो गईं हैं। कस्टम, ऑनलाइन बिजनेस पर वंट्रोल करने वाली एजेंसियों के अलावा इंटरनेशनल एक्सपोर्ट लाइसेंस जारी करने वाली एजेंसियां भी जांच करके पता करेंगी कि इस पूरे नेक्सस का असल मकसद क्या है? इस रैकेट का खुलासा होने के बाद कईं खामियां भी सामने आईं हैं। रैकेट के जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनसे पूछताछ में कईं चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं हैं। डीसीपी बेनिता मेरी जैकर ने बताया कि एक-एक करके पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पता चला है कि एक साल में यह लोग 19000 बटनदार चावू मंगवा चुके हैं। इसका बिल पुलिस को मिला है। यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि बिना बिल का कितना माल इन्होंने सेल-परचेज किया होगा। चितरंजन पार्व की पुलिस टीम ने 14053 चावू बरामद किए हैं। वह सभी बटनदार हैं और फाइन क्वालिटी के हैं। इनका इस्तेमाल घरों में सब्जी काटने या दूसरे कामों के लिए नहीं होता। यह अकसर व््िरामिनलों के पास ही मिलते हैं क्योंकि बटनदार होने के चलते वह इसे आसानी से जेब में डाल लेते हैं और जैसे ही शिकार उनके सामने आता है, बटन दबाकर वह धारदार हथियार हमले का औजार बन जाता है। इसके साइज अलग-अलग होते हैं। देखने में भी यह खतरनाक लगते हैं। चितरंजन पार्व की पुलिस टीम ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक बड़ा कारोबारी शामिल है। पुलिस ने फ्लिकार्ट और मीशो वंपनी को नोटिस जारी किया है। अगर किसी चावू में बटन है, उनका ब्लेड 7.62 सेंटीमीटर से बड़ा है और 1.62 सेंटीमीटर से चौड़ा है, तो उसे रखना अवैध है। 18 जुलाईं को पीसीआर कॉल से सीआर पार्व की पुलिस को एक संदिग्ध बैग के बारे में जानकारी मिली थी। मौके पर पहुंचने पर पुलिस ने बैग से 80 चावू बरामद किए थे। एसीपी मन हिमांशु, एसएचओ रितेश वुमार शर्मा, इंस्पेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने छानबीन करते हुए मालवीय नगर में कपड़े की दुकान चलाने वाले मोहम्मद शाहिल को गिरफ्तार किया। पूछताछ के बाद दूसरे आरोपी मोहम्मद वसीम को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद मोहम्मद यूसुफ और आशीष समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। अकसर फिल्मों में सुनने को मिलता है कि यह रामपुरी चावू है। पहले उत्तर प्रादेश के रामपुर में कारीगर यह चावू बनाते थे। जब से इंडिया में इस तरह के चावू पर प्रातिबंध लगा तब से चाइना ने इन्हें बनाकर भारत में खपाना शुरू कर दिया। वहां से रामपुरी चावू दूसरे सामान की आड़ में चोरी-छिपे इंडिया मंगवाए जाने लगे। पूछताछ में पता चला कि चीन से सैकड़ों-हजारों की तादाद में बटनदार चावू मंगवाए जाते हैं। लेकिन इनका डिस्पोजल एक- एक करके किया जाता था। पुलिस को अंदेशा है कि 14000 चावू मंगवाने का मतलब है कि देशभर में कम से कम 14000 व््राइम का यह औजार है। ——अनिल नरेन्द्र

बाल मुवुन्द ओझा जल जीवन है या जहर प्रोरणा

भारत सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि आज हम जो पानी पी रहे हैं वह जहर बन गया है। सरकार ने राज्यसभा में जो आंकड़े दिए हैं वो न सिर्प चौंकाने वाले हैं बल्कि डराने वाले भी हैं। जहां भूजल में जहरीली धातुओं की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक पाईं गईं है। आंकड़ों के अनुसार देश के 25 राज्यों के 209 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में आस्रेनिक का स्तर 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। 29 राज्यों के 491 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में लौह तत्व 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। 21 राज्यों में 176 जिले ऐसे हैं जहां भूजल में लेड का स्तर वुछ हिस्सों में 0.01 मिलीग्राम प्रति ली टर से अधिक है। वहीं 11 राज्यों के 29 जिलों के वुछ हिस्सों में भूजल में वैडमियम का स्तर 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया। जल शक्ति मंत्रालय के एक दस्तावेज के अनुसार देश की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी को इसका पानी भूजल से मिलता है। दुनिया में उपलब्ध वुल जल में मात्र 0.6 फीसदी जल ही पीने योग्य है। यह पानी समुद्रों नदियों, तालाबों, झीलों और अन्य जल निकायों में मौजूद है। मानव सयता के विकास के साथ हमारे जलरत्रोत जबरदस्त प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। इनमें जल प्रदूषण मुख्य कारक है। जल प्रदूषण के कारण विभिन्न जलरत्रोतों में जीवन के लिए जहर रूपी खतरनाक रसायनों के मिश्रण का घोल बन रहा है। हमारे देश में शुद्ध जल की प्राप्ति दूभर होती जा रही है। प्रदूषित के बाद संदूषित जल ने हमारे स्वास्थ्य और पाचन तंत्र को बिगाड़ कर रख दिया है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की एकीवृत प्रबंधन सूचना प्रणाली द्वारा दिए आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 4 करोड़ ग्रामीण पीने के लिए धातु-संदूषित जल का उपयोग करते हैं। जल में पाए जाने वाले प्रमुख भारी धातु फ्लोराइड, आस्रेनिक और नाइट्रेट हैं। आस्रेनिक संदूषण में बंगाल और राजस्थान शीर्ष पर हैं। जल जीवन का आवश्यक तत्व है। वनस्पति से लेकर जीव-जंतु अपने पोषक तत्वों की प्राप्ति जल के माध्यम से करते हैं। जीवन पानी पर निर्भर करता है। मनुष्य एवं प्राणियों के लिए पीने के पानी के रत्रोत नदियां, सरिताएं, झीलें, नलवूप आदि हैं। मानव पानी का उपयोग स्नान, धुलाईं, उदृाोग, सिचाईं, नेविगेशन, निर्माण कार्यं आदि के लिए करता है यह हम सब जानते हैं। जल का दूषित होना मनुष्य के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। हमारे देश के भूजल में आस्रेनिक, फ्लोराइड, नाईंट्रेट, लोहा, वैडमियम, व््राोमियम, तांबा, निकल, सीसा, जस्ता व पारा जैसी भारी धातु का मिश्रण तेजी के साथ घुलता जा रहा है। जिससे जलजनित बीमारियां हमारे जीवन के लिए खतरा बन गईं हैं। वेंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की माने तो विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों और जल गुणवत्ता की निगरानी के दौरान वेंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा तैयार भूमि जल गुणवत्ता के आंकड़े देश के विभिन्न राज्यों के भागों के अलग-अलग हिस्सों में भूमि जल संदूषण की पुष्टि कर रहे हैं। हालत यह हो गईं है की लोग धीमे जहर वाले पानी को पीने के लिए विवश हैं।

Tuesday 2 August 2022

राजनीति सिर्प सत्ता के लिए रह गईं है

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् वेंद्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर हैं। इसी कड़ी में उन्होंने नागपुर में आयोजित एक कार्यंव््राम में कहा—कभी-कभी मन करता है कि राजनीति छोड़ दूं। समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के हो सकते हैं। गडकरी ने कहा कि राजनीति बहुत बदल गईं है। महात्मा गांधी के समय में राजनीति देश और समाज के विकास के लिए होती थी, लेकिन अब राजनीति सिर्प सत्ता के लिए होती है। यह समझना होगा कि राजनीति का क्या मतलब है? क्या यह समाज और देश के कल्याण के लिए है या सिर्प सरकार में रहने के लिए? सामाजिक कार्यंकर्ता गिरिश गांधी के सम्मान समारोह में पहुंचे गडकरी ने कहा—राजनीति महात्मा गांधी के युग से सामाजिक जीवन व आंदोलन का हिस्सा रही है। फिर इसने देश और विकास के लक्ष्यों पर ध्यान वेंद्रित किया। पर आज हम (राजनीति में) देख रहे हैं कि वह शत-प्रातिशत सत्ता में रहने या आने के बारे में है। राजनीति सामाजिक- आर्थिक सुधार का एक सय साधन है, इसलिए नेताओं को शिक्षा, कला आदि के विकास का काम करना चाहिए। उन्होंने ऐसा प्रोरणादायक जीवन जिया—जब लोग मेरे पोस्टर लगाते हैं या लाते हैं तो मुझे इससे नफरत होती है। गडकरी ने पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीस का भी जिव््रा किया और कहा—मैंने उनके जीवन से बहुत वुछ सीखा है। उन्हें कभी भी सत्ता की भूख नहीं रही। ——अनिल नरेन्द्र