Friday 26 August 2022

जब माता पार्वती भोलेनाथ पर व््राोधित हो उठीं प्रोरणा

हिन्दू धर्म में भगवान गणेश जी को प्राथम पूज्य देवता माना गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में पार्वती जी को श्रद्धा और शंकर जी को विश्वास का रूप माना है।दोनों ही किसी भी कार्यं की सफलता के लिए परम आवश्यक हैं और यह दोनों लक्षण उनके पुत्र गणेश जी में हैं। गणेश जी की दो पत्नियां रिद्धि, सिद्वि और दो पुत्र शुभ और लाभ हैं।मुदल्र पुराण में इनके आठ अवतारों—वव््रातुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण का वर्णन है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ है। इनके जन्म से संबंध में कईं कथाएं पुराणों में मिलती हैं। शिवमहापुराण की रुद्रसंहिता में वर्णन है कि वुमारिका खंड में माता पार्वती जी ने अपने उबटन से एक पुतला बनाया। इस पर अपना रक्त छिड़क कर उसे जीवित कर दिया। कथा में आगे बताया गया कि माता पार्वती गणेश को द्वार पर पहरा देने का आदेश देकर स्नान करने चली गईं। इसी दौरान भगवान शिव वहां आते हैं, तो गणेश उन्हें अंदर जाने से रोक देते हैं। व््राोधित शिवजी गणेश जी का सिर काट देते हैं। जब इस घटना का पता माता पार्वती को चलता है, तो वह भोलेनाथ पर व््राोधित हो उठती हैं।माता पुत्र वियोग को सह नहीं पाती हैं और शिवजी से गणेश को पुन:जीवित करने के लिए कहती हैं। तब शिवजी अपने गणों को धरती पर भेजते हैं और कहते हैं कि जो मां अपने बच्चे से उलट मुख किए हो, उसका सिर काट लाएं। गणों को ऐसी कोईं मां नहीं मिलती, जो अपने बच्चे से मुंह मोड़े हो। ऐसे में उन्हें एक हथनी मिलती है, जो बच्चे की ओर मुंह नहीं किए होती है। गण हाथी के बच्चे का शीश काटकर ले जाते हैं और इस प्राकार गणेश जी को गजानन का शीश लगाकर पुन: जीवत किया जाता है। इसीलिए उनका नाम गजानन पड़ा। कहते हैं जो भक्त भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन करता है, उसे चोरी आदि का आरोप झेलना होता है। श्रीवृष्ण से एक बार यह गलती हो गईं थी, तब उन पर स्यमंतक मणि चुराने का आरोप लगा था। अगर कोईं गलती से इस दिन इस चंद्रमा के दर्शन कर लेता है तो उसका पाप स्यमंतक मणि कथा पढ़कर समाप्त हो जाता है। पुराणों में एक और कथा का वर्णन मिलता है कि जिसके अनुसार गणेश और उनके भाईं कार्तिकेय माता पार्वती और शिव के पास पहुंचे। गणेशजी बुद्धि और कार्तिकेय बल में किसी से कम नहीं थे। ऐसे में सर्वश्रेष्ठ कौन है, इसका पता करने के लिए भगवान शिव ने एक परीक्षा ली।उन्होंने कहा कि जो सात बार धरती की परिव््रामा करके लौटेगा वह सर्वश्रेष्ठ और सर्वपूज्य होगा। परीक्षा शुरू होते ही देवताओं के सेनापति व मंगल ग्रह के स्वामी कार्तिकेय अपने वाहन मोर को लेकर शीघ्रता से चले गए, लेकिन गणेश जी परेशान हो गए। उन्होंने अपने वाहन चूहा को देखा तो सोचा कि ऐसे तो मैं हार जाऊंगा।

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