Saturday 31 July 2021

सभी को अपनी सरकार में राय रखने का हक है

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को कहा कि सभी लोगों को उनकी सरकार में राय रखने का हक है। उन्होंने कहा कि वह चाहे जो हों, उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय और अमेरिकी मानवीय गरिमा, अवसरों में समानता, विधि का शासन, धार्मिक स्वतंत्रता समेत मौलिक स्वतंत्रता में यकीन रखते हैं। यहां पहुंचने के बाद और भारतीय नेतृत्व के साथ बैठकों से पहले सार्वजनिक कार्यक्रमों में नागरिक संस्थाओं के सदस्यों को संबोधित करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका, दोनों लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता को साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबद्धता द्विपक्षीय संबंधों के आधार का एक हिस्सा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि सफल लोकतांत्रिक देशों में जीवंत नागरिक संस्थाएं शामिल होती हैं और कहा कि लोकतांत्रिक देशों में जीवंत नागरिक संस्थाएं शामिल होती हैं और कहा कि लोकतंत्र को अधिक खुला, ज्यादा समावेशी, ज्यादा लचीला और अधिक समतामूलक बनाने के लिए उनकी जरूरत होती है। ब्लिंकन ने कारोबारी सहयोग, शैक्षणिक कार्यक्रम, धार्मिक व आध्यात्मिक संबंधों और लाखों परिवारों के बीच संबंधों को समूचे संबंध का प्रमुख स्तम्भ बताया। उन्होंने कहाöसंभवत सबसे अहम है कि हम साझा मूल्यों और साझा आकांक्षाओं से जुड़े हुए हैं जो हमारे लोगों के बीच समान है। भारत के लोग मानवीय गरिमा, अवसरों में समानता, कानून के शासन, धार्मिक व मान्यताओं की स्वतंत्रता समेत मौलिक स्वतंत्रता में भरोसा रखते हैं। ब्लिंकन ने कहाöहम मानते हैं कि सभी लोग अपनी सरकार में आवाज उठाने के हकदार हैं और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी हों। हमारा मकसद इन शब्दों को असल अर्थ देना और इन आदर्शों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को लगातार बढ़ाते रहना है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बिडेन की सरकार बनने के बाद ब्लिंकन की भारत की पहली यात्रा है। उन्होंने दबे शब्दों में भारत सरकार को कई नसीहतें दी हैं। उन्होंने भारत में जो चल रहा है उसकी अपने ढंग से व्याख्या की और नसीहत भी दी। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्तों को जो नया आयाम देने के संकेत दिए हैं, वह उत्साहवर्द्धक हैं। पहली और सबसे बड़ी बात तो यही है कि अमेरिका ने भारत को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी माना है। इसे भारत के लिए भी किसी कूटनीतिक उपलब्धि से कम नहीं माना जाना चाहिए। बिडेन के सत्ता में आने के बाद ब्लिंकन पहली बार भारत आए हैं। वह ऐसे नाजुक वक्त में भारत पहुंचे हैं जब अमेरिका न सिर्फ घरेलू मोर्चों पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिका कोरोना से तो लड़ ही रहा है, साथ ही वह चीन और अफगानिस्तान जैसे संकटों से भी जूझ रहा है। भारत भी इन्हीं मुसीबतों से जूझ रहा है। ब्लिंकन की भारत यात्रा का असल मकसद अफगानिस्तान और चीन के मुद्दों पर भारत को अपने साथ खड़ा करना लगता है। अफगानिस्तान में जिस रफ्तार से तालिबान अपने पांव पसारता जा रहा है वह अमेरिका और भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत ने तो अफगान में करोड़ों रुपए की विकास योजनाएं चला रखी हैं। भारत के लिए एक और बड़ा संकट यह भी है कि कहीं तालिबान अपने लड़ाकों को कश्मीर में न भेजने लगे। इसलिए ब्लिंकन ने सुरक्षा चुनौतियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी लंबी चर्चा की।

मौजूदा सांसद को जेल की सजा संभवत पहली बार है

किसी मौजूदा सांसद को जेल और जुर्माने की सजा सुनाए जाने का संभवत यह पहला मामला है। तेलंगाना की सांसद कविता भलोद और उनके सहयोगी शौकत अली को मतदाताओं को घूस देने का दोषी पाया गया है। विशेष अदालत ने सांसद कविता व अली को छह महीने की जेल और 10 हजार रुपए का जुर्माना देने की सजा सुनाई गई है। विशेष अदालत ने सत्ताधारी टीआरएस की मेहबूबाबाद की सांसद कविता भलोद को 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने का दोषी करार दिया। जज वीआरआर प्रसाद ने उन्हें रिश्वत देने यानि आईपीसी की धारा 171ई के तहत सजा सुनाई है। अदालत ने हाई कोर्ट में अपील के लिए दोनों को जमानत भी दे दी है। सांसद के सहयोगी शौकत अली को चुनाव आयोग के उड़न दस्ते ने मतदाताओं को नकदी बांटते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। अली ने स्वीकार कियाöउसने सांसद के कहने पर पैसे बांटे थे। इस मामले में तब बरगामदहद पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। यह मामला हैदराबाद की विशेष अदालत में घटा। जनप्रतिनिधियों के आपराधिक मामलों में सुनवाई में तेजी लाने के लिए मार्च 2018 में विशेष अदालत का गठन हुआ था। विशेष अदालत इससे पहले हैदराबाद के भाजपा विधायक राजा सिंह को पुलिस अधिकारी को पीटने और टीआरएस विधायक दामन नागेंद्र को अपने समर्थक को सरकारी अधिकारी पर हमले के लिए उकसाने के मामले में सजा सुना चुकी है। यह अच्छा है कि इन जनप्रतिनिधियों को भी समझना चाहिए कि वह कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें भी कानून को तोड़ने पर सजा हो सकती है। राजनीति में स्वच्छता लाने के लिए यह जरूरी भी है।

सरकार गिराने के लिए तीन विधायकों से डील

झारखंड में सरकार गिराने की साजिश में गिरफ्तार आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि साजिश में झारखंड के तीन विधायकों, दो पत्रकार व बिचौलिये शामिल थे। दिल्ली में तीनों विधायकों से लेन-देन की डील भी हुई थी। एक करोड़ रुपए एडवांस का वादा भी हुआ था, नहीं देने पर विधायक रांची लौट गए थे। डील में महाराष्ट्र के दो नेता चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह शामिल थे। गिरफ्तार अभिषेक, अमित व निवारण ने दोनों को महाराष्ट्र के भाजपा विधायक बताया था लेकिन वहां की सूची में इनका नाम नहीं है। अभिषेक ने पुलिस को बताया कि इसी मामले में अमित ने 15 जुलाई को इंडिगो का टिकट भेजा था। महाराष्ट्र के एक नेता जयकुमार वानखेड़े ने इसकी बुकिंग कर अमित सिंह को भेजा था। अभिषेक ने बताया है कि 15 जुलाई को दिल्ली पहुंचने पर वहां एयरपोर्ट पर दो एसयूवी लगी हुई थीं। एक से तीनों विधायक होटल में गए। बाकी तीनों को जयकुमार का गार्ड अभिषेक दुबे लेकर होटल पहुंचा। यहां चंद्रशेखर राव बावनकुले और चरण सिंह पहुंचे। वह यहां से तीनों स्थानीय विधायकों को लेकर एक गाड़ी में, जबकि अन्य लोग दूसरी गाड़ी से कई बड़े नेताओं के आवास पर गए। यहां के बाद राज्य के तीनों विधायक झारखंड भवन लौट आए। अभिषेक ने बताया कि 16 जुलाई को भी तीनों स्थानीय विधायक दिल्ली में बड़े नेताओं से मिले। उन्हें एक करोड़ एडवांस देने का वादा किया गया था, पर एडवांस नहीं मिलने से वे नाराज हो गए और उसी दिन फ्लाइट से रांची लौट गए। -अनिल नरेन्द्र

Friday 30 July 2021

ममता का मिशन दिल्ली ः नो वोट टू भाजपा

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। ममता ने मुलाकात में पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये नेताओं, कारोबारियों की जासूसी के आरोपों पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में जांच समिति बनाने की भी मांग रखी। इसके अलावा राज्य के लिए ज्यादा कोविडरोधी टीके भी मांगे। प्रधानमंत्री से 45 मिनट मुलाकात के बाद जब ममता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहाöपीएम से हुई सभी बातों का खुलासा नहीं किया जा सकता। मैं इस मामले में पूरी जांच चाहती हूं। इसीलिए मैंने पश्चिम बंगाल में सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन पहले ही कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी से हमने कोरोना पर चर्चा की और अपने राज्य के लिए जनसंख्या के हिसाब से वैक्सीन की मांग भी की। वहीं प्रधानमंत्री ने ममता से कहा कि तीसरी लहर से पहले सबको टीका लगना चाहिए। लगता है कि ममता का इरादा प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को बंगाल मॉडल से टक्कर देने का है। वह विपक्षी एकजुटता के जरिये 375 सीटों पर भाजपा को सीधी चुनौती देने की तैयारी में हैं। इनमें से 200 सीटों पर कांग्रेस को वाकओवर का प्रस्ताव दे सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक ममता का मिशन दिल्ली 2024 में भाजपा को सत्ता से हटाना है। इसके लिए सोनिया-पवार-ममता देशभर में भाजपा के खिलाफ एकजुटता का संदेश देंगे। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश से होगी। मकसद है कि 2022 में सात राज्यों के चुनाव में भाजपा को मात दी जाए। ममता यह भी साफ करने आई हैं कि उनका इरादा पीएम की कुर्सी नहीं है। इस अभियान में कांग्रेस केंद्रीय भूमिका में होगी। पिछले दिनों ममता के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोनिया-राहुल से मिलकर इसी मॉडल पर बात की थी। देशभर में 375 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा मुकाबले में है। इनमें 200 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा-कांग्रेस की सीधी टक्कर है। इन सीटों पर विपक्ष कांग्रेस को समर्थन दे। वहीं कांग्रेस ऐसे राज्यों में दखल न दे, जहां दूसरे दल भाजपा को सीधी टक्कर दे रहे हैं। भाजपा की मजबूती वाले राज्यों में प्रत्याशी को सीधी टक्कर, गैर-भाजपा शासित राज्यों में गैर-भाजपा गठबंधन दलों को समर्थन। साझा अभियान ‘नो वोट टू भाजपा’ नारा। मुकाबले को मोदी बनाम गांधी न बनने देना। नेतृत्व का निर्णय चुनाव बाद के परिदृश्य पर होगा। शरद पवार पितामह की भूमिका में उभरना चाहते हैं। ममता का मकसद बंगाल में एकछत्र राज कायम रखना है। सोनिया कांग्रेस को पुनर्जीवित कर 10 जनपथ का पुराना वर्चस्व कायम करना चाहेंगी। धार्मिक, भावनात्मक, राष्ट्रवाद के मुद्दों का जवाब महंगाई, पेगासस, किसान आंदोलन, बेरोजगारी, कोरोना महामारी जैसे जमीनी मुद्दों से दिया जाए।

एक फोन कॉल और आपका फोन हैक

पेगासस स्पाइवेयर कोई मैसेज या लिंक भेजे बिना ही किसी स्मार्ट फोन या अन्य स्मार्ट डिवाइस को आसानी से हैक कर लेता है। इसकी तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बस एक मिस कॉल के जरिये यह एक सैकेंड के 10वें हिस्से में ही डिवाइस हैक कर लेता है। हैकिंग की इस आधुनिक तकनीक को जीरो क्लिक एक्सप्लाइट कहते हैं। इजरायली कंपनी द्वारा बनाए गए दुनिया के इस सबसे कुख्यात सॉफ्टवेयर की कई खासियतें इसे दुनिया का नम्बर वन जासूसी बनाती हैं। पेगासस स्पाइवेयर एक तरह का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका इस्तेमाल निगरानी के लिए किया जाता है। यह पहली बार वर्ष 2019 में प्रकाश में आया और आज दुनिया में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले जासूसी हथियार में से एक है। इसे इजरायल की सिक्यूरिटी फर्म एनएसओ ग्रुप ने निगरानी के लिए विकसित किया था जिसे केवल सरकारों को बेचा गया पर मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह का स्पाइवेयर कई हैकर समूहों के पास भी मौजूद है। कहा तो यही जाता है कि कई रहीस लोगों व समूहों ने भी इसे इस्तेमाल कर लिया है। यह तीन कामों को अंजाम देता है ः पहलाöयह स्मार्ट फोन के कैमरे और स्पीकर को ऑन करके पुराने डाटा चुराता है, दूसराöयह फोन के चोरी किए गए डाटा को तुरन्त थर्ड पार्टी को भेज देता है। इनमें पुराने मैसेज, चैट, वीडियो रिकॉर्डिंग, दस्तावेज आदि शामिल हैं, तीसराöयह जब चाहे तब आपकी कॉल या चैट को रिकॉर्ड कर सकता है। यह समझिए कि यह आपके मोबाइल की जड़ में जाकर बैठ जाता है और उसका मालिक बन जाता है। पेगासस दुनिया में सबसे अधिक बेचे जाने वाले स्पाइवेयर में से एक है, पर इकलौता नहीं है। ऐसे अन्य स्पाइवेयर में इटली के हैकिंग ग्रुप का सार सीएमए एंड्रॉयड और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी का ड्रॉपकाउत्जीय भी शामिल है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पास इसी तरह का स्पाइवेयर है जिसका नाम है लाइव स्ट्रांग। एक अन्य इजरायली कंपनी के स्पाइवेयर का नाम कैंडियन है। टोरंटो विश्वविद्यालय की सिटीजन लैब ने आरोप लगाया था कि कैंडियन के जरिये 10 देशों में 100 कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व सरकार के आलोचकों की जासूसी करने के लिए इसे इस्तेमाल किया गया था। एनएसओ ग्रुप केवल अधिकृत सरकार के साथ काम करने का दावा करता है। पेगासस को सार्वजनिक रूप से मैक्सिको और पनामा सरकारों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए जाना जाता है। 40 देशों में इसके 60 ग्राहक हैं। कंपनी ने कहा कि उसके 57 प्रतिशत यूजर्स इंटेलिजेंस एजेंसियों, 38 प्रतिशत कानून प्रवर्तन एजेंसियों और 11 प्रतिशत सेना से संबंधित हैं। कंपनी की वेबसाइट बताती है कि एनएसओ ग्रुप ने सरकारी एजेसिंयों को स्थानीय और वैश्विक खतरों का पता लगाने और रोकने में मदद करने के लिए इसे विकसित किया है। पेगासस स्पाइवेयर लाइसेंस के तौर पर बेचा जाता है। इसकी कीमत कांट्रेक्ट पर निर्भर करती है। एक लाइसेंस की कीमत 70 लाख रुपए हो सकती है। एक लाइसेंस से कई स्मार्ट फोन को ट्रैक किया जा सकता है। 2016 के पिछले अनुमानों के अनुसार पेगासस का उपयोग करने वाले केवल 10 लोगों की जासूसी करने के लिए, एनएसओ ग्रुप न्यूनतम करीब नौ करोड़ रुपए का चार्ज लेता है।

चीन, पाक और तुर्की तेजी से अफगानिस्तान में सक्रिय

अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से तेजी से हो रही वापसी के बीच यहां अपने हितों के लिए चीन, पाकिस्तान और तुर्की की तिकड़ी तेजी से सक्रिय हो रही है। तालिबान के तेजी से काबिज होने के बाद पाकिस्तान ने भी रंग बदलना शुरू कर दिया है। वह अमेरिका और पश्चिमी देशों का सहयोगी देश बन शांति प्रयासों का नाटक कर रहा था, अब उसका असली चेहरा सामने आ गया है। यह रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इजरायल में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पाकिस्तान को खराब आर्थिक स्थिति में अमेरिकी सुरक्षा कवच की जरूरत है, ऐसी स्थिति में वह चीन और तुर्की के साथ ही आगे बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट में विदेशी मामलों के जानकार कैबियन बशीर ने कहा है कि पाक ने अपनी नीति में परिवर्तन इस साल जून से ही करना शुरू कर दिया था, जब उसने कहा था कि वह अमेरिका के सैन्य अड्डों के लिए अपनी भूमि नहीं देगा। हाल ही में तालिबान ने चीन की उन चिंताओं को भी कम कर दिया है, जिसमें उसका मानना है कि तालिबानी शासन में अफगानिस्तान उइगरों के संगठन पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) का केंद्र बन जाएगा। यह संगठन जिनजियांग में सक्रिय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की भी इस तिकड़ी में शामिल होकर अपना लाभ देख रहा है। उसे लगता है कि वह मुस्लिम देशों का नेतृत्व कर सकेगा। तुर्की पहले से ही अपने देश में उइगर मुस्लिमों को निशाना बनाकर चीन का प्रिय बन गया है। चीन भी अमेरिकी सेना के जाने से आई शून्यता को अपनी मौजूदगी से भरना चाहता है। इन तीनों ही देशों की अफगानिस्तान की खनिज सम्पदा पर भी नजर है। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 27 July 2021

मीडिया पर छापे डराने की कोशिश है

दुनियाभर के बड़े संगठनों ने भारत में मीडिया संस्थानों पर पड़े आयकर छापों की निन्दा की है। गौरतलब है कि मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर और टीवी चैनल भारत समाचार के परिसरों पर छापे पड़े थे। रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्ड्स नाम के संगठन ने कहा कि भारत में मीडिया संस्थानों पर इस तरह की कार्रवाई तुरन्त रुकनी चाहिए। संगठन ने कहाöमीडिया सम्पत्तियों के खिलाफ आईटी के छापे उन समाचार आउटलेट्स को डराने के उद्देश्य से किए गए हैं जो सरकार पर गंभीर रिपोर्ट करते हैं और इसे रोकने की जरूरत है। संगठन ने गृह मंत्रालय से मांग की है कि इस तरह के डराने-धमकाने के कृत्य तुरन्त बंद हों। एडिर्ट्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने चिन्ता जताई कि स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल दबाव बनाने के हथकंडे के रूप में किया जा रहा है। मीडिया संस्थानों पर आईटी छापों के संबंध में एडिर्ट्स गिल्ड ने अपने बयान में कहाöदैनिक भास्कर द्वारा (कोविड-19) महामारी पर की गई उस गहन रिपोर्टिंग की पृष्ठभूमि के खिलाफ यह छापेमारी की गई है, जिससे सरकारी अधिकारियों द्वारा घोर कुप्रबंधन और मानव जीवन के भारी नुकसान को सामने लाया गया था। आयकर विभाग के इन छापों पर दैनिक भास्कर ने अपनी वेबसाइट पर बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों की असल तस्वीर रखने वाले दैनिक भास्कर ग्रुप पर सरकार ने दबिश डाली है। इसके साथ ही उसने उन सभी खबरों के लिंक भी डाले हैं जो कोरोना काल से जुड़ी असलियत सामने लाने का दावा करती हैं। दैनिक भास्कर के मुताबिक छापे तड़के साढ़े पांच बजे पड़े और शाम तक चलते रहे। आयकर विभाग की टीमों ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में उसके कार्यालयों पर छापे मारे थे। समूह ने कहा कि छापेमारी उसके कई कर्मचारियों के घरों पर भी की गई, छापे मारने वालों ने कार्यालय में मौजूद लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई। उसने कहाöछापेमारी कर रहे अधिकारियों ने कहा कि यह प्रक्रिया का हिस्सा है और उन्हें पंचनामे की कार्रवाई पूरी होने के बाद छोड़ा जाएगा। मीडिया संस्थान ने कहा कि रात्रि पाली में काम कर रही डिजिटल टीम को साढ़े 12 बजे दोपहर में छोड़ा गया। साथ ही कहा कि आयकर टीमों में कोई महिला सदस्य नहीं थी लेकिन उसने जब भोपाल और अहमदाबाद डिजिटल शाखा के कार्यालयों पर छापे मारे, जहां महिला कर्मचारी मौजूद थीं। वरिष्ठ एडिटर्स डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि हिन्दी के सबसे अधिक प्रामाणिक अखबार भास्कर पर छापों ने देश के करोड़ों पाठकों और हजारों पत्रकारों को हतप्रभ कर दिया है। जो नेता और पत्रकार भाजपा और मोदी के भक्त हैं, वह भी सन्न रह गए हैं। यह छापे मारकर क्या सरकार ने खुद का भला किया है या अपनी छवि चमकाई है? नहीं, उलटा ही हुआ है। एक तो पेगासस से जासूसी के मामले में सरकार की बदनामी पहले से हो रही है और अब लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला करके सरकार ने नई मुसीबत मोल ली है। देश के सभी निष्पक्ष अखबार, पत्रकार और टीवी चैनल इस हमले से परेशान हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भास्कर पर छापे इसलिए मारे हैं कि उसने अपनी अकूत सम्पत्तियों को विदेशों में छिपा रखा है ताकि उसे आयकर न देना पड़े। इसके अलावा उसने पत्रकारिता के अलावा कई धंधे चला रखे हैं। उन सबकी अनियमितता को अब सप्रमाण पकड़ा जाएगा। यदि ऐसा है तो यहां सरकार से मेरे तीन सवाल हैं ः पहलाöयह छापे अभी क्यों डाले गए? पिछले छह-सात साल से मोदी सरकार क्या सो रही थी? अभी इसकी नींद क्यों खुली? उसका कारण क्या है? दूसराöयह छापे सिर्प भास्कर पर ही क्यों डाले गए? क्या देश के सारे नेतागण, व्यापारी और व्यवसायी वित्तीय कानूनों का पूर्ण पालन करते हैं? क्या देश के बड़े अखबार, टीवी चैनलों पर भी इस तरह के छापे डाले जाएंंगे? तीसराöअखबार के मालिकों के साथ-साथ संपादकों और रिपोर्टरों के फोन क्यों जब्त किए गए? उन्हें दफ्तरों में लंबे समय तक बंधक बनाकर क्यों रखा गया? उन्हें डराने और अपमानित करने का उद्देश्य क्या था?

शाबाश चानू आपने रचा इतिहास

टोक्यो ः पहली बार ओलंपिक के पहले दिन भारत ने पदक जीता। वेटलिफ्टिंग के 49 किलो वर्ग में भारत की मीराबाई चानू ने देश को सिल्वर मैडल दिलाया। ओलंपिक के इस खेल में पहली बार किसी भारतीय ने रजत पदक अपने नाम किया। उनकी कामयाबी ने वेटलिफ्टिंग में 21 साल से कायम पदकों का सूखा भी दूर किया। इससे पहले सिडनी में 2000 के ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में कर्णम मल्लेश्वरी ने ब्रांज पदक दिलाया था। मणिपुर के इंफाल के पास के गांव की मीराबाई चानू ने टोक्यो में प्रेस कांफ्रेंस में कड़ी ट्रेनिंग का जिक्र कर कहा कि मैं पांच साल बाद अपने गांव गई। अब मैडल लेकर जाऊंगी। मीराबाई चानू का बचपन पहाड़ से लकड़ियों के गट्ठर घर लाते बीता। इसी तरह वह भारी वजन उठाने की मास्टर बनीं। हालांकि शुरू में वह तीरंदाज बनना चहती थीं, लेकिन आठवीं में वेटलिफ्टिंर पुंजूरानी देवी के बारे में पढ़कर उनका झुकाव वेटलिफ्टिंग की ओर चला गया। मीराबाई ओलंपिक के छल्लों के आकार की बालियां पहनकर फाइनल में उतरीं। यह बालियां मां ने 2016 रियो ओलंपिक से पहले जेवर बेचकर तोहफे के तौर पर दी थीं। रियो में वह डिस-क्वालीफाई हो गई थीं, पर टोक्यो में मीरा के कानों में वही बालियां देखकर मां खुशी से रो पड़ीं। चानू ने 2016 में ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकी थीं। इस बार आत्मविश्वास से भरी चानू ने कहाöमैंने स्वर्ण की कोशिश की। रजत भी बड़ी उपलब्धि है। यह सपने सच होने जैसा है। मैं यह पदक देश को समर्पित करती हूं। शाबाश चानू आपने गर्व से देश का सिर ऊंचा कर दिया है।

जासूसी कांड में अनिल अंबानी और अलोक वर्मा भी

पेगासस जासूसी प्रकरण (पेगासस प्रोजेक्ट) की तीसरी कड़ी अब सामने आई है। इसके तहत दुनिया की 17 मीडिया कंपनियों को जारी हुए लीक डेटाबेस की 2018-19 की सूची सामने आई है। मीडिया कंपनियों के इस समूह में शामिल भारतीय मीडिया व द वायर की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके रिलायंस एडीए समूह के कारपोरेट कम्युनिकेशन चीफ टोनी जेसूदासन और उनकी पत्नी का नम्बर भी निगरानी में था। निगरानी सूची में सीबीआई के पूर्व निदेशक अलोक वर्मा उनके परिवार के सदस्यों के आठ फोन नम्बर पेगासस की निगरानी लक्ष्यों में जोड़े गए थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल की टैब लैब ने इसकी पुष्टि की है। वर्मा के प्रतिद्वंद्वी रहे अधिकारी राकेश अस्थाना, संयुक्त निदेशक रहे एके शर्मा के नाम भी सामने आए हैं। इनके अलावा भारत को राफेल विमान बेचने वाली कंपनी दस्सां एविएशन के भारतीय प्रतिनिधि वेंकट राव पोसीना और फ्रांसीसी ऊर्जा कंपनी ईडीएफ के भारतीय मूल के प्रमुख हरमनजीत नेगी के फोन नम्बर भी लीक डेटाबेस में मिले हैं। रक्षा क्षेत्र की कंपनी साव इंडिया के प्रमुख रहे इंद्रजीत सियाल और बोइंग इंडियन के प्रमुख प्रच्युश कुमार के नाम भी शामिल हैं। द वायर के मुताबिक टोरंटो विश्वविद्यालय के सिटीजन लैब ने अपनी जांच में बताया था कि भारत में एनएसओ के कम से कम दो उपभोक्ता क्लाइंट हैं। द वायर ने इस बात की पुष्टि की है कि उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी के रिलायंस एडीए समूह के कारपोरेट अधिकारी जेसूदासन और उनकी पत्नी के फोन नम्बर लीक सूची में मिले हैं। इन नम्बरों की जासूसी हुई या नहीं, इस बात की जानकारी उन लोगों के द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन हैंडसेट की फोरेंसिक जांच से पता चल सकेगी। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 25 July 2021

फ्रांस के राष्ट्रपति भी स्पाइवेयर के निशाने पर

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों का नाम भी उन 14 वर्तमान या पूर्व राष्ट्राध्यक्षों की सूची में शामिल है, जिन्हें कुख्यात इजरायली स्पाइवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप के ग्राहकों द्वारा हैकिंग के लिए शायद लक्षित किया गया हो। स्पाइवेयर एक सॉफ्टवेयर है जो किसी भी कम्प्यूटर में प्रवेश करके उसके बारे में सूचना जुटाता है और उसे चोरी-छिपे किसी तीसरे पक्ष को भेजता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलायार्ड ने मंगलवार को एक बयान में कहाöएक ऐसा खुलासा... जिससे कई विश्व के नेताओं को चिंता हो सकती है। पेरिस अभियोजक के कार्यालय ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि उसने गोपनीयता के उल्लंघन, डेटा के अवैध रूप से उपयोग करना और अवैध रूप से स्पाइवेयर बेचने सहित संभावित आरोपों की जांच शुरू कर दी है। फ्रांसीसी कानून के तहत जांच में संदिग्ध अपराधी का नाम दर्ज नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि अंतत किस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। दो पत्रकारों और फ्रांसीसी वेबसाइट मीडियापार्ट की शिकायत के बाद जांच शुरू की गई है। कथित पीड़ितों द्वारा एनएसओ समूह के खिलाफ कई मुकदमे दायर किए गए हैं। इसमें फेसबुक भी शामिल है जिसने इजरायली कंपनी पर उसकी सहायक वॉट्सएप को हैक करने का आरोप लगाया गया था। द वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के अनुसार एमनेस्टी और पेरिस स्थित गैर-लाभकारी पत्रकारिता संस्था फॉरबिडन स्टोरीज को लीक किए गए 50000 फोन नम्बरों की सूची में पाए जाने वाले संभावित लक्षित लोगों के नाम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और इराक के राष्ट्रपति बरहम सालिह शामिल हैं। तीन वर्तमान प्रधानमंत्री और मोरोक्को के राजा मोहम्मद इस सूची में शामिल हैं। खबर के अनुसार कोई भी राष्ट्राध्यक्ष अपने स्मार्ट फोन को फोरेंसिक परीक्षण के लिए पेश नहीं करेगा जिससे यह पता चल सके कि वह एनएसओ के सैन्य-ग्रेड पेगासस स्पाइवेयर की चपेट में आया है या नहीं? जांच में 37 फोन में या तो स्पाइवेयर पाया गया या उसमें सेंध करने की कोशिश के सुबूत मिले हैं। एक वैश्विक मीडिया संघ के 16 सदस्यों को लीक हुई सूची दी गई है। फ्रांसीसी समाचार दैनिक ले मोंडे ने कहा कि 2019 में मैक्रों के अलावा फ्रांस सरकार के 15 सदस्यों के भी स्पाइवेयर के निशाने पर होने की संभावना है।

अब की बार ओलंपिक सिर्फ टीवी पर

जापान में ओलंपिक गेम्स का आगाज हो गया है। कोरोना के खतरे को देखते हुए ओपनिंग सेरेमनी में 80 हजार दर्शक क्षमता वाले टोक्यो के नेशनल स्टेडियम में सिर्फ 950 लोगों को ही एंट्री मिली। इसमें भारत से सात खेलों के सिर्फ 20 खिलाड़ी और छह ऑफिशियल अधिकारी शामिल हो पाए। दोनों हॉकी टीमें, निशानेबाज, तीरंदाज, बैडमिंटन, एथलेटिक्स के खिलाड़ी नहीं थे। छह बार की वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर एमसी मैरीकॉम और हॉकी कप्तान मनप्रीत सिंह ध्वजवाहक थे। भारत के 126 खिलाड़ी गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी ओपनिंग सेरेमनी में शामिल नहीं हुए। जापान में शुक्रवार से खेलों का महाकुंभ आरंभ हो गया। लेकिन यहां के माहौल को देखकर ऐसा नहीं लग रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि जापान के लोग छुट्टियां मनाने के लिए बाहर जा रहे हैं। वजह है ओलंपिक में फैंस (दर्शकों) की एंट्री पर वैन। कोरोना की वजह से स्थानीय लोगों को भी ओलंपिक वेन्यू पर एंट्री नहीं मिलेगी। गेम्स सिर्फ टीवी इवेंट बनकर रहेंगे। ओपनिंग सेरेमनी से एक दिन पहले शुक्रवार को टोक्यो की सड़कों पर ट्रैफिक दिखाई दे रहा था। लेकिन यह ओलंपिक फैंस नहीं थे, बल्कि यहां के लोग एयरपोर्ट जा रहे थे। लोग गेम्स की शुरुआत से पहले टोक्यो छोड़ना चाहते हैं। क्योंकि गेम्स के दौरान कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। जापान का मौसम भी शहर छोड़ने की वजह है। टोक्यो में गर्मी है। ह्यूमिटिडी 50 प्रतिशत तक है। प्रतिबंधों की वजह से रेस्तरां और बार भी आठ बजे ही बंद हो जाते हैं। सो इस बार ओलंपिक का मजा टीवी पर ही ले सकेंगे।

सेक्सटॉर्शन गैंग का पर्दाफाश

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने क्रीन रिकॉर्डर एप के जरिये लोगों से वीडियो कॉल के दौरान उनके अश्लील वीडियो रिकॉर्ड कर वसूली (सेक्सटॉर्शन) करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। जांच के बाद पुलिस ने गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि यह गैंग अभी तक दो सौ लोगों से करीब एक करोड़ रुपए वसूल चुका है। हालांकि जांच में यह रकम बढ़ भी सकती है। फिलहाल पुलिस गिरोह के दो फरार सदस्यों की तलाश में जुटी है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अलोक कुमार ने बताया कि क्राइम ब्रांच को सूचना मिल रही थी कि कोई गिरोह लगातार सेक्सटॉर्शन के धंधे में लिप्त है लेकिन लोकलाज के डर से ब्लैकमेल होने वाले लोग इसकी शिकायत नहीं कर रहे हैं। जांच में जुटी एसीपी रिछपाल सिंह की टीम ने एक सूचना के आधार पर 15 जुलाई को नूंह से गैंग के एक सदस्य नखरुद्दीन को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान नखरुद्दीन ने बताया कि वेरिडंर, इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर आदि सोशल नेटवर्किंग साइट से शिकार को ढूंढते हैं। दोस्ती के बाद वीडियो कॉल कर उन्हें फंसाते हैं। इसके अलावा वह बल्क में मोबाइल नम्बर खरीद कर लड़की की आवाज से युवकों से बात करते थे। पहले वह उन्हें लड़कियों की अश्लील फोटो और वीडियो भेजते थे और फिर फोन पर बात कराते थे। भरोसा करने पर आरोपी शिकार को वॉट्सएप वीडियो कॉल करने के लिए कहते थे। इसके बाद गिरोह का सदस्य अश्लील वीडियो चलाता था, जिसे देखकर सामने वाला शख्स भी अपने कपड़े उतार देता था। इसे क्रीन एक रिकॉर्डर से रिकॉर्ड कर लोगों को ब्लैकमेल करते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह के सदस्य पहले ओएलएक्स के जरिये लोगों से ठगी करते थे। इसमें वह खरीददार या विक्रेता बनकर संभावित शिकार से सम्पर्क करते थे। लेकिन बाद में सेक्सटॉर्शन करने लगे। इसमें कोई भी शख्स पुलिस के पास नहीं जाता था। नखरुद्दीन सातवीं तक पढ़ाई करने के बाद ट्रैक्टर मैकेनिक का काम करने लगा। बाद में उसकी मुलाकात मुनफेद और समय दीन से हुई। सेक्सटॉर्शन का रैकेट दिल्ली, एनसीआर, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और यूपी तक फैला हुआ था। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 24 July 2021

ऑक्सीजन की कमी से मौतों पर सियासी महायुद्ध

कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर केंद्र सरकार के जवाब से विपक्ष भड़क गया। इस मुद्दे को लेकर संसद में आम आदमी पार्टी विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले में तल्ख टिप्पणी की है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद ने कहा कि इस संकट काल में सरकार ने देश को अनाथ छोड़ दिया था। सरकार को पता नहीं था कि देश में क्या हो रहा है? आप इस मुद्दे पर संसद में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश करेगी, वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि केंद्र सरकार ने संसद में बेशर्मी से झूठ बोला है कि देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच कराएगी जिससे सच सबके सामने आ सके। केंद्र सरकार के इस महाझूठ का पर्दाफाश करते हुए सिसोदिया ने कहाöकेंद्र सरकार के नाकारापन के कारण देश में हजारों लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई। लेकिन इस पर जिम्मेदारी लेने की बजाय केंद्र सरकार बेशर्मी के साथ झूठ बोलकर अपना पल्ला झाड़ रही है, साथ ही केंद्र सरकार की ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की पुष्टि करने वाली कमेटी को खारिज कर दिया। क्योंकि केंद्र सरकार को डर है कि यह कमेटी उनके कुप्रबंधन और बेशर्मी से बोले गए झूठ को जनता के सामने ले आएगी। वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि सरकार का जवाब बिल्कुल असत्य है। दिल्ली सहित देश की अन्य जगहों पर भी ऑक्सीजन की कमी हुई थी। प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट करके कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से इसलिए मौतें हुईं क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की थी। इसके अलावा अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने में कोई सक्रियता नहीं दिखाई। तेजस्वी यादव ने भी इस पूरे मामले पर एक छोटा-सा लेकिन सटीक ट्वीट करते हुए कहाöठीक बा मतलब सबने आत्महत्या की थी। शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी स्वास्थ्य मंत्री के जवाब को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के इस जवाब को सुनकर उन पर क्या गुजरी होगी, जिन्होंने अपनों को खोया है। सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। सरकार झूठ बोल रही है। राउत ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से अपने परिजनों को खो देने वाले लोगों को केंद्र सरकार को अदालत में ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों में कई लोग ऑक्सीजन की कमी से मारे गए। बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मृत्यु का कोई आंकड़ा नहीं भेजा। किसी ने यह नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई है। उन्होंने कहा कि सदन में मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर सवाल पूछा गया था। इस पर जो जवाब मिला उसमें तीन चीजें ध्यान में रखने योग्य हैं ः पहलीöकेंद्र कहता है कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है। दूसरीöकेंद्र कहता है कि हम सिर्फ राज्यों के भेजे डेटा को संग्रहित करते हैं और तीसरीöहमने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसके आधार पर राज्य अपने मौत के आंकड़ों को रिपोर्ट कर सकें। कटु सत्य तो इस पूरे विवाद में यह है कि ऑक्सीजन की कमी मृत्यु के सर्टिफिकेट में दर्ज नहीं की जाती जबकि ऑक्सीजन की कमी से हार्ट अटैक, लंग्स फेलियर इत्यादि लिखा जाता है। सरकार शब्दों के हेरफेर का फायदा उठाकर सफेद झूठ बोल रही है।

किसानों की समस्या का समाधान होना चाहिए

सरकार ने मंगलवार को कहा कि विभिन्न योजनाओं के तहत केंद्र एवं राज्यों की एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीद की जा रही है तथा किसान संगठनों को तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर जोर देने की बजाय कृषि अधिनियमों के हिस्सों पर उनकी चिंताओं को लेकर चर्चा करनी चाहिए ताकि उनका समाधान निकाला जा सके। लोकसभा में मनीष तिवारी तथा बेनी बहेनन के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह बात कही। सदस्यों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए पूछा था कि क्या किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किन्हीं विशिष्ट प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है? इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीन कृषि कानूनों से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक 11 दौर की वार्ता हुई है। संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है। दोनों सदनों में किसान आंदोलन का मुद्दा जोरशोर से उठा। इस आंदोलन को आठ महीने से ज्यादा हो गए हैं। किसानों का अब तक जो जज्बा देखने को मिला है, उसे देखते हुए तो लगता है कि किसान संसद के बाहर जाए बिना मानेंगे नहीं। इस बीच दूसरे प्रदेशों से किसान दिल्ली की सीमा पर पहुंचना जारी है। ऐसे में किसानों को दिल्ली में घुसने से रोक पाना पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। पुलिस का अपने पक्ष में यह तर्क हो सकता है कि प्रदर्शन के नाम पर कहीं वैसी स्थिति खड़ी न हो जाए जैसी गत 26 जनवरी को बन गई थी। उस दिन किसान आंदोलन में घुस गए शरारती तत्वों ने लाल किले सहित कई इलाकों में उत्पात मचाया था। जाहिर है, इससे एक जायज किसान आंदोलन की साख को बट्टा लगना ही था। यह भी सही है कि राजधानी में कानून-व्यवस्था को लेकर पुलिस किसी तरह का जोखिम मोल नहीं ले सकती। संयुक्त किसान मोर्चे ने रोजाना दो सौ किसानों को संसद के बाहर धरना-प्रदर्शन करने की इजाजत मांगी है। लेकिन पुलिस दो सौ किसानों को भी जमा होने देने में बड़ा खतरा मान रही है। अब तक के आंदोलन से साफ हो चुका है कि किसान आसानी से तो नहीं लौटने वाले। दूसरी तरफ सरकार भी हठधर्मिता पर उतरी हुई है और बार-बार दोहरा रही है कि कुछ भी हो कानून वापस नहीं लेंगे। इससे तो तकरार और बढ़ना तय है। किसान आंदोलन में फूट पैदा करने की रणनीति की बजाय वार्ता की कोशिशें ही कोई रास्ता निकाल सकती हैं। यह नहीं माना जाना चाहिए कि मौका हाथ से निकल चुका है। दोनों ही पक्षों को कुछ झुकते हुए बातचीत फिर से शुरू करनी ही होगी। इतिहास गवाह है कि बातचीत से बड़े से बड़े गतिरोध दूर हो जाते हैं। लेकिन किसान आंदोलन के मामले में अब तक देखने में आया है कि सरकार का रुख उदारता का नहीं, बल्कि सख्ती का है। उसका रवैया सबक सिखाने वाला है पर यह नहीं भूलना चाहिए कि फूट डालो और राज करो करने की नीति से बुनियादी मुद्दों का हल नहीं निकलता। अगर कृषि कानून वाकई किसानों के हित में होते तो क्यों किसान इस गर्मी, सर्दी, बरसात, कोविड के समय में पिछले आठ महीने से आंदोलन कर रहे होते? -अनिल नरेन्द्र

Friday 23 July 2021

विधायिकी नहीं चाहती कि राजनीति में अपराधियों को रोके

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहाöहमें यकीन है कि विधायिका कभी राजनीति से अपराधीकरण को मुक्त नहीं करेगी। हम आश्वस्त हैं कि निकट भविष्य में नहीं, बल्कि भविष्य में कभी वह ऐसा नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने अफसोस जताया कि किसी भी पार्टी की न तो राजनीति को अपराधियों से मुक्त करने के लिए कानून बनाने और न ही उन उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने में दिलचस्पी है, जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों में कोर्ट ने आरोप तय किए हैं। इस मामले में सभी राजनीतिक दलों की विविधता में एकता है। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस वीआर गवई की पीठ ने कहाöसरकार की विधायी शाखा कानून लाने पर कोई कदम उठाने में दिलचस्पी नहीं ले रही। अफसोस की बात है कि हम कानून नहीं बना सकते। हम विधायिका से लगातार कहते आ रहे हैं कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करे। हालांकि अब तक कुछ भी नहीं किया गया, न किसी पार्टी द्वारा कभी कुछ किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने अवमानना के इस मामले में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, लोजपा, माकपा और राकांपा सहित विभिन्न पक्षों के वकीलों को भी सुना। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। दरअसल पीठ वकील ब्रिजेश सिंह द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2020 में बिहार चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का जानबूझ कर पालन नहीं करने का आरोप है। फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी का व्यापक प्रकाशन करने का आदेश दिया था। बता दें कि लोकसभा के 539 सांसदों में से 233 पर केस दर्ज हैं। भाजपा के 39 प्रतिशत, कांग्रेस के 57 प्रतिशत सांसद दागी हैं। जैसा माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायिकी कभी भी दागियों के खिलाफ कानून नहीं बनाएगी और सुप्रीम कोर्ट कानून से बंधा हुआ है। यह समस्या हमें तो हल होती नहीं दिखती, क्योंकि हर पार्टी को ऐसे उम्मीदवार चाहिए जो सीट निकाल सकें। भले ही वह आपराधिक पृष्ठभूमि के ही क्यों न हों? चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहाöमामले में दोषी राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह फ्रीज या निलंबित किए जाने चाहिए। जुर्माने की रकम एक रुपए न हो, नहीं तो नेता हंसेंगे। वह फोटो खिंचवाते हुए रकम जमा कर देंगे। उन्हें फर्क नहीं पड़ता। साल्वे ने वकील प्रशांत भूषण के अवमानना में एक रुपए जुर्माने की सजा का हवाला दिया। बसपा और एनसीपी ने कहा कि चुनाव चिन्ह निलंबित करना भारी जुर्माना है। एनसीपी के वकील कपिल सिब्बल ने कहाöएक उम्मीदवार या राज्य इकाई की गलती के कारण पूरे देश में पार्टी का चुनाव चिन्ह निलंबित कर देना उचित नहीं होगा। एक तंत्र विकसित करना चाहिए। इससे पहले राजनीतिक दलों की बात सुनी जाए।

पोर्न फिल्में बनाने के आरोप में राज कुंद्रा गिरफ्तार

बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा शिल्पा शेट्टी के पति और मशहूर बिजनेसमैन राज कुंद्रा को पोर्न (अश्लील) फिल्में बनाने और विभिन्न ऐप्स के माध्यम से उनका प्रदर्शन करने के आरोप में मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस की टीम ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है। घटना की पुष्टि मुंबई पुलिस आयुक्त ने की है। उन्होंने बताया कि अश्लील फिल्म बनाने और ऐप्स के माध्यम से उनको प्रसारित करने के आरोप में राज कुंद्रा के खिलाफ पर्याप्त सुबूत मिले हैं। साथ ही जांच में राज कुंद्रा इस पूरे रैकेट के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में उभर कर सामने आए हैं। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष फरवरी 2021 में क्राइम ब्रांच ने मुंबई में अश्लील फिल्म बनाने और उन्हें कुछ ऐप्स पर दिखाने को लेकर मिली शिकायत के बाद केस दर्ज किया था। इस मामले की जांच करते हुए क्राइम ब्रांच ने सोमवार को राज कुंद्रा को गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि क्राइम ब्रांच की टीम ने राज कुंद्रा को इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था और घंटों तक चली पूछताछ के बाद आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि कंपनी पर इस सनसनीखेज आरोप लगने के बाद सफाई देते हुए राज कुंद्रा ने कहा था कि जिस कंपनी पर अश्लील वीडियो बनाने का आरोप लगा है, वह उन्होंने छोड़ दी है। कुंद्रा को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने राज कुंद्रा को 23 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इसी साल फरवरी में मुंबई पुलिस की एक टीम ने मड में ग्रीन पार्क बंगले पर छापा मारा था। पुलिस ने यह कार्रवाई वहां पोर्न फिल्मों की शूटिंग की सूचना मिलने पर की थी। इस दौरान पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और एक लड़की को रिहा भी कराया था। गिरफ्तार पांच लोगों में दो अभिनेता और दो युवतियां भी शामिल हैं। कोर्ट में पुलिस की तारीफ में अभियोजन पक्ष ने कहाöराज कुंद्रा अपने ऐप हॉटशॉट के जरिये अश्लील वीडियो की डीलिंग कर रहे थे। जब गहना वशिष्ट को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने उमेश कॉमत का नाम लिया और राज कुंद्रा के पूर्व पीए उमेश कॉमत ने पुलिस को राज कुंद्रा के शामिल होने के बारे में बताया। हालांकि राज कुंद्रा ने दावा किया है कि वो हॉटशॉट ऐप को एक वांछित आरोपी प्रदीप बख्शी को बेच चुके हैं। विवादों से राज कुंद्रा का पुराना वास्ता रहा है। साल 2012 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के मामले में भी राज कुंद्रा पर आरोप लगे थे और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। राज कुंद्रा की आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स में हिस्सेदारी थी। स्पॉट फिक्सिंग के मामले में पुलिस ने कुंद्रा के अलावा कई खिलाड़ियों को भी गिरफ्तार किया था। जनवरी 2015 में तत्कालीन बीसीसीआई के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मय्यपन और राजस्थान रॉयल्स के सहमालिक राज कुंद्रा पर सुप्रीम कोर्ट में स्पॉट फिक्सिंग और मैच से जुड़ी जानकारी देने के आरोप सिद्ध हुए। मृदुल कमेटी की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने अहम फैसला सुनाते हुए चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल के प्रतिबंध की सिफारिश की थी, वहीं मय्यपन और राज कुंद्रा पर आजीवन प्रतिबंध लगाया था। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 21 July 2021

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद, अश्विनी, राहुल गांधी की जासूसी

भारत समेत दुनिया के कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक नेताओं, एक्टिविस्टों की जासूसी का दावा किया गया है। दावा किया गया है कि इन लोगों के फोन को टेप करने के लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया। दुनियाभर की सरकारों पर पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी का आरोप हैं। भारत के 38 पत्रकारों के फोन टेप करने का दावा किया गया। दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों की कंसोर्टियन ने दावा किया है कि दुनियाभर में सरकारें पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी करा रही हैं। रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों की सरकारों ने करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्टों की जासूसी की। द गार्जियन ने पेगासस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर के डेटा का अध्ययन कर दावा किया है कि इस सूची में समाचार वेबसाइट द वायर के एक सह-संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और वरिष्ठ पत्रकार परजॉय गुहा ठाकुरता का नाम शामिल है। ठाकुरता के फोन को 2008 में हैक कर लिया गया था। गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस समय ठाकुरता इस बात की जांच कर रहे थे कि नरेंद्र मोदी सरकार कैसे फेसबुक का इस्तेमाल करके भारतीय लोगों के बीच ऑनलाइन गलत सूचना फैला रही है। सन 2019 में जब कैलिफोर्निया की कोर्ट में फेसबुक ने रहस्य खोला कि कई देशों में पेगासस स्पाइवेयर का प्रयोग कर उसके क्लाइंट्स के फोन की सभी जानकारियां ली जा रही हैं, जिसमें भारत भी था। तब सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ने इसे कुबूल किया, लेकिन कहा कि वह केवल संप्रभु देशों के खुफिया प्रतिष्ठानों को ही पेगासस देती है। भारत सरकार ने संसद में इस आरोप से इंकार किया है। कैलिफोर्निया की कोर्ट ने 16 जुलाई 2020 के अपने फैसले में फेसबुक द्वारा लगाए आरोप सही पाए। दुनियाभर की लोकतांत्रिक सरकारों के लिए यह एक बड़ा धब्बा था। पश्चिमी दुनिया के अखबारों ने खुलासा किया कि भारत सरकार अपने कुछ मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जजों, विपक्ष के नेताओं और दर्जनों पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन इस स्पाइवेयर के जरिये टेप कर रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस मामले को भी विदेशी साजिश करार देकर कमजोर करने का प्रयास कर रही है। इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियन के खुलासे और आरोप गंभीर हैं और आगे चलकर इन पर मुहर लग जाती है, तो सरकार पर कई सवाल खड़े होने लाजिमी हैं। अगर विदेशी मीडिया के खुलासे और आरोपों को सच मानें तो सवाल उठता है.... सुप्रीम कोर्ट के जज और सरकार के अपने मंत्रियों की जासूसी की नौबत क्यों आई? अगर केंद्रीय मंत्री संदिग्ध हैं तो देश सुरक्षित कैसे रह सकता है? विपक्ष को शक है कि सरकार की खुफिया एजेंसियों द्वारा इस तरह के सर्विलांस कहीं बड़े पदों पर बैठे लोगों को डराने और अपने अनुकूल व्यवहार करवाने के लिए तो नहीं किया गया है? संसद से लेकर सड़क तक बेचैनी है। उम्मीद है कि सच जल्द सामने आएगा और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

सप्लाई होने वाले राशन की भी जानकारी लेते थे

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हैंडलर ठेकेदार हबीबुर्रहमान उर्फ हबीब और सैन्य कर्मी परमजीत से राजस्थान व अन्य बॉर्डरों पर तैनात हमारे जवानों के बारे में पूरी जानकारी लेते थे। हैंडलर बॉर्डरों पर सप्लाई होने वाले राशन तक के बारे में भी जानकारी मांगते थे। इससे हैंडलर यह अंदाजा लगाते थे कि किस बॉर्डर पर कितनी भारतीय सेना तैनात है। आरोपी पिछले दो वर्ष से गोपनीय दस्तावेज व सूचनाएं पाकिस्तानी हैंडलरों को दे रहे थे। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परमजीत की तैनाती पहले पोखरण में थी। वह पोखरण में सेना की सप्लाई यूनिट में तैनात था। ऐसे में उसे पता था कि किस बॉर्डर पर कितना राशन सप्लाई होता है। हबीबुर्रहमान सेना को राशन सप्लाई करता था। इस कारण उसकी परमजीत से दोस्ती थी। पाकिस्तान हैंडलर बाद में अन्य जानकारी मांगने लगा जैसे कि कहां कितनी पोस्टें हैं और एक पोस्ट में कितने जवान तैनात रहते हैं। शुरुआती जांच में यह बातें सामने आई हैं कि परमजीत अफसरों के कमरे में घुसकर गोपनीय दस्तावेज चुरा लेता था। दोनों ही आरोपी व्हॉट्सएप के जरिये भी हैंडलरों को गोपनीय जानकारी व दस्तावेज देते थे। पुलिस ने दोनों का मोबाइल व अन्य सामान जब्त कर लिया है। आरोपियों के कई बैंक खाते हैं। इनके सभी बैंक खातों में हवाला के जरिये रकम आती थी। दिल्ली पुलिस ने सेना से पूछा है कि परमजीत के कितने बैंक खाते हैं और इसका सैलेरी खाता कहां हैं? पुलिस ने आर्मी हैडक्वार्टर को आरोपियों के कब्जे से बरामद गोपनीय दस्तावेज व अन्य जानकारी लेने के लिए पत्र लिखा है। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया है कि इस मामले में जल्द ही दिल्ली, यूपी और राजस्थान से और गिरफ्तारियां होंगी। यह बात भी सामने आई है कि आरोपी व्हॉट्सएप पर हैंडलरों को गुप्त सूचना देते थे। आरोपियों ने सीडी के जरिये भी संवेदनशील जानकारियां हैंडलरों को दी थीं। हबीबुर्रहमान 2019 में पाकिस्तान गया था। इस बार उसे कैश में रकम दी गई थी। हाई स्कूल तक पढ़ाई करने वाले हबीबुर्रहमान ने कई जगह काम किया था। वर्ष 2009 में बीकानेर से पोखरण आया था। पोखरण में इसने सेना में ठेके पर सब्जियां व फल सप्लाई करना शुरू किया। बाद में आइसक्रीम व अन्य सामान सप्लाई करना शुरू कर दिया। हैंडलरों के कहने पर इसने परमजीत से दोस्ती की। परमजीत से यह गोपनीय दस्तावेज लेता था। स्पेशल सीपी प्रवीन रंजन ने बताया कि क्राइम ब्रांच एक ऑपरेशन पर काम कर रही थी। उसे सूचना मिली थी कि सेना के कुछ सीक्रेट दस्तावेज हमारे दुश्मन देश को भेजे जा रहे हैं। जासूसी के नेक्सस का पता सबसे पहले पोखरण से चला। यहां से हबीबुर्रहमान के बारे मे पता चला, उसके घर पर रेड की गई, जहां काफी दस्तावेज बरामद हुए जोकि सेना से जुड़े थे। परमजीत जब पोखरण में पोस्टेड था तब हबीबुर्रहमान से उसकी मुलाकात हुई थी। परमजीत को हबीबुर्रहमान ने पैसे का लालच देकर सेना से जुड़ी संवेदनशील और गोपनीय जानकारी देने को कहा था। वह तभी से गोपनीय दस्तावेज शेयर कर रहा था। परमजीत व्हॉट्सएप से जासूसी के दस्तावेज हबीबुर्रहमान को भेजता था। वर्तमान में परमजीत की पोस्टिंग आगरा में है।

लीवर और किडनी बिकाऊ हैं

वैश्विक महामारी के प्रकोप के कारण सामान्य रूप से व्यस्त रहने वाली सड़कों के खाली होने और शहर में सन्नाटा छाने के कारण स्ट्रीट सिंगर रोनाल्डो के सामने भी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। रोनाल्डो (तिरुवनंतपुरम) वैश्विक महामारी के प्रकोप से पहले अपने चार पहिया स्कूटर पर सवार होकर बस स्टैंड से लेकर समुद्र तट तक भीड़भाड़ वाले सभी स्थानों पर जाकर पुराने गीत गाते थे जिससे खुश होकर लोग उन्हें जो पैसा देते थे, उससे उनके रोज के खाने-पीने का खर्चा चल जाता था बल्कि कुछ बचत भी हो जाती थी। देश में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से ऐसे दिव्यांग स्ट्रीट सिंगर (सड़क पर गीत गाने वाले) के लिए जीवन बसर करना मुश्किल हो गया है। मजबूरी इतनी बढ़ गई कि पैसों के लिए उन्हें अपने यकृत और गुर्दे की बिक्री की पेशकश करनी पड़ी। जब उन्होंने अपने स्कूटर पर लीवर और किडनी फॉर सेल है, का बोर्ड लगाने के अलावा मैं भूखा हूं... कृपया मुझे दान दें और मेरे अंदर के गायक ने दम तोड़ दिया है और अब मौत का इंतजार कर रहा हूं, की तख्तियां भी लगा रखी हैं। रोनाल्डो (59) ने कहा कि वैश्विक महामारी से पहले वह स्ट्रीट सिंगर थे और अब उनकी हालत भिखारी के समान है, वह अब कमरे में पड़ा बचा-खुचा खाने से भी परहेज नहीं करता। राज्य के परिवहन मंत्री एंथनी राजू और त्रिकारा के विधायक वीटी थॉमस सोशल मीडिया के जरिये रोनाल्डो के बारे में पता चलने के बाद उनकी मदद को सामने आए हैं। रोनाल्डो ने कहाöसड़कों पर लोग नहीं हैं, एक समय पर लोगों से भरी पड़ी सड़कें अब खाली हैं, कोई सुनने वाला नहीं है। -अनिल नरेन्द्र

राजद्रोह कानून को खत्म करने का समय आ गया है

सुपीम कोर्ट ने एक बार फिर अंग्रेजी हुकूमत के वक्त के राजद्रोह संबंधी कानून की निरर्थकता को रेखांकित करते हुए केन्द्र से पूछा है कि सरकार इसे रद्द क्यों नहीं कर देती? इससे पहले कई मामलों में फैसला सुनाते हुए अदालत ने स्पष्ट किया है कि सरकार की नीतियों की आलोचना करना देशद्रोह नहीं माना जाना चाहिए। लोगों की आलोचना जनतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। हाल ही में विनोद दुआ मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस बात पर खासा जोर दिया था। इस वक्त राजद्रोह कानून के तहत देश की विभिन्न जेलें में अनेक पत्रकार, समाजसेवी और आंदोलनकारी बंद हैं। इनमें से कुछ पत्रकारों ने किसान आंदोलन के समर्थन में लिखना शुरू किया था तो कुछ ने हाथरस में बलात्कार पीड़िता को मौत और फिर पशासन द्वारा रातों-रात उसके दाह-संस्कार से जुड़े तथ्य उजागर करने शुरू किए थे। इसी तरह भीमा कोरेगांव मामले में कई समाजसेवियें और बुद्धिजीवियों पर राजद्रोह का मुकदमा कर उन्हें जेलों में बंद कर दिया गया था। इस कानून को आवाज दबाने के लिए अमल में लिया जाता है। अंग्रेजों ने तो इस कानून को स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए बनाया था। लेकिन अब इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है। यह कानून बोलने की आजादी पर रोक के समान है। यह सरकार की गलत मानसिकता है। इस कानून और अन्य कानून की समीक्षा की जाने की आवश्यकता है। सरकार लोगों को निशाना बनाने के लिए इस पकार के कानून का दुरुपयोग कर सकती है। बोलने की आजादी पर अंग्रेजों के समय के कानून के साथ चिपककर रहना सरकार की थोथी मानसिकता है। आज सोशल मीडिया पर राज सरकार को कोसा जा रहा है। गाली-गलौच की जाती है उनके खिलाफ सरकार कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। जबकि पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए राजद्रोह कानून को अमल में लिया जा रहा है, आश्चर्यजनक बात यह है कि अभी भी राजद्रोह कानून को खत्म करने में सरकार सक्षम नहीं है। जांच एंजेसी इस कानून का दुरुपयोग करती है। सरकारी अधिकारी किसी व्यक्ति को फंसाना चाहता है तो उपरोक्त कानून का सहारा लेता है। खास बात यह भी देखने में आई कि राजद्रोह के केस में पावधान तो है लेकिन सजा बहुत ही कम हो पाती है। राजद्रोह पर औपनिवेशक काल के विवादित दंडात्मक कानून के तहत 2014 से 2019 के बीच 326 मामले दर्ज किए गए जिनमें महज छह लोगें को सजा हुई। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आईपीसी की धारा 124 (ए) राजद्रोह के अपराध का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया और उसने केन्द्र सरकार से पूछा कि वह अंग्रेजों द्वारा आजादी के आंदोलन को दबाने के लिए और महात्मा गांधी जैसे लोगें को चुप कराने के लिए इस्तेमाल किए गए पावधानों को खत्म क्यों नहीं करती? समय आ गया है कि सरकार अब अविलंब इस काले कानून को खत्म करे। देश में अंग्रेजों के जमाने में बने ऐसे काले कानून को खत्म करने का समय आ गया है।

जब अफगान राष्ट्रपति गनी ने इमरान को खरी-खरी सुनाई

मध्य और दक्षिण एशिया संपर्प सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के पधानमंत्री इमरान खान से महज कुछ फीट की दूरी पर ही बैठे हुए थे। शुकवार को हुए इस सम्मेलन में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान ने चरमपंथी समूहें से अपने संबंध नहीं तोड़े हैं। मध्य और दक्षिण एशिया, संपर्प सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हुए थे। अपने संबोधन में उन्होंने भी पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए व्यापार की समस्या का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास और समृद्धि, शांति और सुरक्षा के साथ ही संभव है। खुफिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने संबोधन में कठोर शब्दों में कहा कि पिछले महीने 10000 से अधिक जेहादी लड़ाके अफगानिस्तान आए हैं, जबकि पाकिस्तान सरकार तालिबान को शांति वार्ता में गंभीरता से भाग लेने के लिए मनाने में असफल रही है। इस सम्मेलन में उद्घाटन समारोह में क्षेत्रीय संपर्प के लिए चुनौतियों और खतरों पर बोलते हुए गनी ने कहा पाकिस्तान के पधानमंत्री इमरान खान और उनके जनरलों ने बार-बार आश्वासन दिया कि वे नहीं समझते हैं अफगानिस्तान में तालिबान का अधिग्रहण पाकिस्तान के हित में है। पाकिस्तान को कोसना बंद करें, अफगानिस्तान से बोले इमरान, इस पर दोनों में कहा-सुनी हो गई। उन्होंने बार-बार कहा कि वे तालिबान को गंभीरता से बातचीत करने के लिए मनाने में अपनी ताकत और पभाव का इस्तेमाल करेंगे लेकिन तालिबान का समर्थन करने वाले नेटवर्प और संगठन खुलेआम अफगान लोगों और राष्ट्र की संपत्ति और क्षमताआंs के विनाश पर जश्न मना रहे हैं। अशरफ गनी के इस बयान के कुछ मिनट बाद अपने ऊपर लगे इन आरोपें पर अपनी पतिकिया देते हुए इमरान खान ने कहा कि इन आरोपों से वह निराश हुए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह सुनकर निराशा हुई कि इस संघर्ष में पाकिस्तान की नकारात्मक भूमिका थी। उन्होंने गनी को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति गनी, अफगानिस्तान में अभी उथल-पुथल से सबसे ज्यादा पभावित होने वाला देश पाकिस्तान है। पिछले 15 सालों में पाक में 70 हजार लोगों की जान गई है। अगर कोई अंfितम चीज है तो वो है कि पाकिस्तान अब और संघर्ष नहीं चाहता है। इमरान ने अफगान राष्ट्रपति को जवाब देते हुए कहा कि मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि पाकिस्तान की तुलना में किसी भी देश ने तालिबान को वार्ता की मेज पर लाने के लिए इस कदर पयास नहीं किया होगा...। अमेरिका के पतिनिधि जहाचे खलीलजाद ने कहा है कि सेना की वापसी के बाद भी अफगान सरकार की मदद जारी रहेगी। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक समझौते की जरूरत है। अफगानिस्तान के सैन्य बलों की मदद के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने 303 करोड़ डालर की मदद का पावधान रखा है। वाशिंगटन में व्हाइट हाउस ने बताया कि अफगान शांति पकिया, स्थिरता और कारोबार को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका पाकिस्तान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान चार सदस्यीय राजनयिक समूह का गठन करेगा। -अनिल नरेन्द्र

Monday 19 July 2021

मोदी-पवार मुलाकात से चढ़ा सियासी पारा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर करीब एक घंटे लंबी चर्चा की। इस चर्चा से दिल्ली और महाराष्ट्र के साथ देशभर में सियासी अटकलें लगने लगी हैं। दोनों पक्षों ने आपसी बातचीत को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं दी। हालांकि पीएमओ और पवार की ओर से किए गए ट्वीट से जो चीजें छनकर सामने आईं, उनसे बैठक में बैंकिंग संशोधन कानून और सहकारिता क्षेत्र समेत कई मुद्दों पर चर्चा होने की बात कही जा रही है। राकांपा की ओर से कहा गया कि इस मुलाकात के बारे में सहयोगी दलों को पहले ही बता दिया गया था। इस मुलाकात के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय ने बैठक की एक तस्वीर ट्वीट की, लेकिन बातचीत के बारे में कोई विवरण सांझा नहीं किया। उधर पवार ने भी एक ट्वीट में कहाöहमने अपने देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। राष्ट्रीय हित के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। यह बैठक संसद के मानसून सत्र से दो दिन पहले हो रही है, जो सोमवार से शुरू हो रहा है। बाद में पवार ने एक पत्र ट्वीट किया, जो उन्होंने पीएम को बैंकिंग अधिनियम में संशोधन के बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा कि मैं कुछ विसंगतियों व अधिनियम के मानक प्रावधानों की परिणामी कानून अक्षमता को इंगित करना चाहता हूं, जिनसे भ्रम की स्थिति है। खासतौर से 97वां संवैधानिक संशोधन जिससे राज्य सहकारी समिति अधिनियम और सहकारी सिद्धांतों के साथ टकराव की स्थिति है। शरद पवार ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में नवनियुक्त सदन के नेता पीयूष गोयल से भी मुलाकात की थी। वहीं भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी पवार से मुलाकात की। इन मुलाकातों के बाद अटकलों का बाजार गरम हो गया। अटकलें लगाई जा रही हैं कि महाराष्ट्र में एनसीपी और भाजपा की नजदीकियां बढ़ सकती हैं, जो शिवसेना के लिए खतरे का संकेत हैं। कुछ दिन पहले एनसीपी के रवैये के बाद शिवसेना ने भी संकेत दिया था कि उनकी भाजपा से कोई दुश्मनी नहीं है। शिवसेना ने प्रधानमंत्री की तारीफ भी की थी। शिवसेना के बयान और शरद पवार की प्रधानमंत्री से मुलाकात से अनुमान लगाया जा रहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि शरद पवार राजनीतिक संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री से मिले। दरअसल वह एनसीपी नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से व्यथित हैं। इसी मुद्दे पर वह पीएम से मिले हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि शरद पवार नया को-ऑपरेटिव मंत्रालय के गठन को लेकर भी मोदी से मिले हैं। महाराष्ट्र में को-ऑपरेटिव पर पवार का जबरदस्त प्रभाव है। पवार नया मंत्रालय बनाने से खुश नहीं हैं। सोमवार को संसद सत्र को लेकर भी प्रधानमंत्री से चर्चा की और प्रधानमंत्री ने भी उनसे सहयोग मांगा। अलबत्ता दोनों तरफ से इस मुलाकात का विवरण सांझा नहीं किया गया। फिर भी अटकलें महाराष्ट्र को लेकर लगाई जा रही हैं। अटकलें लगाई जाने के बाद एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि भाजपा और एनसीपी कभी एक साथ नहीं आ सकते हैं। दोनों की विचारधारा अलग-अलग है। शहरी राजनीतिक सूझबूझ के लिए मशहूर शरद पवार, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के मुख्य वास्तुकार हैं। उन्हें भाजपा के खिलाफ किसी भी भावी विपक्षी गठबंधन के लिए सूत्रधार के रूप में देखा जाता है।

अफगानिस्तान में मीडियाकर्मी जान हथेली पर रखकर चलने पर मजबूर

पत्रकारिता को जुनून की हद तक ले जाने वाले भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में तालिबानी हमले में जान चली गई। वह गुरुवार की रात पाकिस्तान की सीमा से सटे कंधार के स्पिन बोल्डक जिले में तालिबानी आतंकियों व अफगान सुरक्षाकर्मियों के बीच चल रही मुठभेड़ को कवर कर रहे थे। इसी दौरान क्रॉस फायरिंग में दानिश और अफगानी सेना के डिप्टी कमांडर सिद्दीकी करजई मारे गए। पत्रकारिता का नोबल कहे जाने वाले पुलित्जर अवॉर्ड से सम्मानित 40 वर्षीय दानिश अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स में भारत के चीफ फोटो जर्नलिस्ट थे। वर्ष 2018 में फीचर फोटोग्राफी के लिए पुलित्जर जीतने वाले दानिश और अदनान अबिदी पहले भारतीय थे। दानिश तीन दिन से स्पिन बोल्डक में युद्ध की कवरेज कर रहे थे। इस बीच छर्रे लगने से जख्मी भी हुए। एक अफगान कमांडर ने बताया कि तालिबानी हमले के वक्त दानिश दुकानदारों से बात कर रहे थे। दूसरी ओर तालिबान प्रवक्ता कारी यूसुफ ने कहा कि रॉयटर्स ने उन्हें नहीं बताया था कि उनका पत्रकार युद्ध क्षेत्र में कवरेज के लिए गया है। मुंबई के दानिश दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स ग्रेजुएट थे। दानिश के साथ काम कर चुके उनके दोस्त ने बताया... जब कोई रिपोर्ट्स रिपोर्टिंग छोड़ फोटो जर्नलिस्ट में कैरियर बनाता है तो सिर्प फोटो नहीं खींचता... खबरों को कैप्चर करता है। ऐसे थे दानिश। 2008 में हम दोनों दिल्ली में एक साथ टीवी चैनल से जुड़े थे। अच्छी रिपोर्टिंग के साथ ही दानिश में फोटोग्राफी का जुनून था। 2010 में जब रॉयटर्स से इंटर्न के रूप में जुड़ने लगे तो लंबी बहस हुई। मैंने कहाöकोई रिपोर्टर फोटोग्राफर बनता है क्या? दानिश ने यह सवाल नकारते हुए जो मुकाम हासिल किया वह किसी भी पत्रकार के लिए फख्र की बात है। यूं तो दानिश ने दुनिया को बहुत सारा सच दिखाया, लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के हालात को ऐसे उजागर किया कि उन्हें पुलित्जर अवॉर्ड मिला। उसके बाद मैंने दानिश से कहा था कि तुमने सबको गलत साबित कर दिया। कोरोना की दूसरी लहर में मैंने उनके फोटो अंतर्राष्ट्रीय पब्लिकेशंस में देखकर बधाई दी तो जवाब आयाöयही तो हमारी जिम्मेदारी है। अफगानिस्तान में जिस तरह के हालात हैं, उसमें वैसे ही मीडिया से जुड़े लोगों के लिए काम करना जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है। तीन महीने पहले तालिबान के जलालाबाद में रेडियो और टीवी में काम करने वाली तीन महिला पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया। पिछले 10 महीनों में 20 से ज्यादा मीडियाकर्मी तालिबान की गोलियों का शिकार हो चुके हैं। दुनिया में मीडियाकर्मियों के लिए जो सबसे ज्यादा खतरनाक देश माने जाते हैं, अफगानिस्तान भी उनमें से एक है। दानिश सिद्दीकी की हत्या अफगानिस्तान और दुनिया के लिए एक निर्णायक बिन्दु होनी चाहिए और अब समय आ गया है कि मानवता के दुश्मनों को पहचान कर ठिकाने लगाया जाए।

केदारनाथ जैसी आपदा फिर आने का खतरा

उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में लैंडस्लाइड हो रही है। मौसम विभाग ने देहरादून, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और टिहरी समेत कई इलाकों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। नदियां उफान पर हैं। इससे स्थानीय लोगों में बादल फटने की दहशत है। इस साल प्री-मानसून में ही उत्तराखंड में चार अलग-अलग जगहों पर बादल फट चुके हैं। वैज्ञानिकों को इस बात की चिन्ता है कि इन घटनाओं से 2013 की केदारनाथ जैसी त्रासदी फिर हो सकती है। आपदा की पुष्टि से 308 संवेदनशील गांवों का विस्थापन होना था। लेकिन अभी तक यह योजना पूरी नहीं हो सकी है। पिथौरागढ़ जिले में 79, चमौली और बागेश्वर में 40 से ज्यादा गांवों का विस्थापन होना है। इन गांवों में बादल फटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला के मुताबिक उत्तराखंड में बादल फटने की पहली घटना 1952 में हुई थी। इससे पौड़ी जिले के दूधावेली की चार नदियों में बाढ़ आ गई थी और सतपुली कस्बे का अस्तित्व खत्म हो गया था। लेकिन अब हर मानसूनी सीजन में 15 से 20 घटनाएं हो रही हैं। केदारनाथ त्रासदी भी बादल फटने से हुई थी। जिसमें 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 10 हजार तो अभी भी लापता हैं। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के शोध के नतीजे बताते हैं कि मानसून में बारिश तो एक समान दर्ज हो रही है, लेकिन बारिश सात दिनों में होती थी, वो तीन दिन में हो रही है। इससे स्थिति बिगड़ रही है। जून से सितम्बर का मानसून सीजन जुलाई-अगस्त में सिकुड़ गया है, यानि चार महीने की बारिश दो महीने में ही हो रही है। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 18 July 2021

फाइनल में गोल नहीं कर पाए तो गालियां

यूरोप की सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल प्रतियोगिता यूरो कप के फाइनल में मेजबान इंग्लैंड की टीम इटली से हार गई। एक बार फिर यूरो कप जीतने का उसका सपना टूट गया। वर्ष 1966 में विश्व कप जीतने के बाद पहली बार इंग्लैंड की टीम किसी बड़ी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंची थी। लंदन के मशहूर वेम्बले स्टेडियम में करीब 60 हजार दर्शकों के सामने हार के बाद इंग्लैंड के खिलाड़ी काफी मायूस, निराश और हताश दिखे। कई खिलाड़ी इतने भावुक हो गए कि वह अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए। खासकर उस स्थिति में जब इंग्लैंड की टीम ने दो मिनट के अंदर ही गोल करके इटली पर बढ़त बना ली थी। फाइनल मैच का फैसला पेनल्टी शूटआउट में हुआ, क्योंकि अतिरिक्त टाइम के बाद भी स्कोर 1-1 से बराबर था। पेनल्टी शूटआउट में इंग्लैंड की टीम पांच में से दो ही गोल कर पाई, जबकि इटली ने तीन गोल दागकर खिताब अपने नाम कर लिया। इंंग्लैंड की हार और इटली की जीत के अलावा यह फाइनल मैच फुटबॉल प्रशंसकों के हुड़दंग और फिर नस्लभेदी टिप्पणियों के कारण चर्चा में रहा। मैच शुरू होने से पहले वेम्बले स्टेडियम के बाहर जुटे सैकड़ों की संख्या में लोगों ने खूब हंगामा किया, मारपीट की और कई तो बिना टिकट के अंदर घुस गए। वेम्बले स्टेडियम के बाहर का नजारा इतना अव्यवस्थित था कि लोगों को पता ही नहीं था कि वहां हो क्या रहा है। वहीं मैच के बाद इंग्लैंड के जिन खिलाड़ियों ने पेनल्टी मिस की, वो निशाने पर आ गए। मार्क्स रशफोर्ड, जेहान साझो और बुकायो साफा ने पेनल्टी मिस की। मार्क्स रशफोर्ड ने बयान जारी कर कहा कि वह पेनल्टी मिस करने के लिए माफी मांगते हैं। लेकिन वह इसके लिए कभी माफी नहीं मांगेंगे कि वह क्या हैं? अपने बयान में 23 वर्षीय रशफोर्ड ने कहा कि मैं पूरे दिन अपने प्रदर्शन के लिए आलोचना सुन सकता हूं, मेरा पेनल्टी शॉट ठीक नहीं था। मुझे गोल करना चाहिए था, लेकिन मैं कभी भी इसके लिए माफी नहीं मांगूंगा कि मैं कौन हूं और कहां से आया हूं। मैं इंग्लैंड की जर्सी पहनकर गर्व महसूस करता हूं। इंग्लैंड के कप्तान हैरी केन ने कहा कि शरफोर्ड, साझो और साफा के खिलाफ नस्लभेदी टिप्पणी करने वाले इंग्लैंड के फैन नहीं हैं और हमें ऐसे लोगों की आवश्यकता भी नहीं है। हैरी केन ने ट्विटर पर लिखाöइन खिलाड़ियों को सहयोग और समर्थन की आवश्यकता है। नस्लभेदी टिप्पणी की नहीं, जो फाइनल की रात से की जा रही हैं। अगर आप सोशल मीडिया पर किसी को गाली दे रहे हैं तो आप इंग्लैंड के फैन नहीं हैं और हमें आपकी आवश्यकता नहीं। डिफेंडर टिरोन किंग्स ने ट्विटर पर लिखाöसुबह जागकर यह देखना भी मेरे भाई नस्लीय रूप से दुर्व्यवहार का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने बहादुरी दिखाकर अपने देश को इस स्थिति में पहुंचाया है। यह बीमार मानसिकता है, लेकिन मुझे इससे आश्चर्य भी नहीं है। उन्होंने गृहमंत्री प्रीति पटेल की भी आलोचना की। पिछले महीने प्रीति पटेल ने उन खिलाड़ियों की आलोचना की थी, जो नस्लभेद के खिलाफ मैदान पर घुटनों के बल बैठे थे और इसे भाव प्रदर्शन की राजनीति कहा था। इंग्लैंड के मिड फील्डर ने कहा कि वह अपने साथी खिलाड़ियों के लिए की गई नस्लभेदी टिप्पणी से काफी निराश हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी खिलाड़ियों के प्रति समर्थन जताया और नस्लभेदी टिप्पणियों की आलोचना की। उन्होंने कहाöवह देश के लिए खुशी लेकर आए हैं, जो उन पर नस्लभेदी टिप्पणी कर रहे हैं, उनके लिए मैं कहूंगाöतुम पर शर्म आती है।

22 निहत्थे सैनिकों को सरेंडर के बाद गोलियों से भून डाला

अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के साथ ही तालिबान की बर्बरता का एक भयानक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अफगान कमांडो का गोला-बारूद खत्म होने के बाद उन्होंने तालिबान के आगे निहत्थे सरेंडर कर दिया। इसके बाद 22 अफगान कमांडो को एक साथ ख़ड़ा कर अल्लाहू-अकबर का नारा लगाते हुए तालिबानियों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। सीएनएन ने इस सामूहिक नरसंहार का वीडियो जारी किया है। इस कूरतम हत्याकांड को अफगानिस्तान के फरयाब प्रांत के दवलात अबास में 16 जून को अंजाम दिया गया। यह क्षेत्र अफगानिस्तान व तुर्पमेनिस्तान की सीमा के पास है। रिपोर्ट के अनुसार अफगान कमांडो हर तरफ से तालिबान लड़ाकों से घिर गए थे। सीएनएन ने दावा किया कि उसने कई प्रत्यक्षदर्शियों से बात कर वीडियो को वैरिफाई किया है। वीडियो में दिखाई पड़ रहा है कि अफगान सैनिक अपने हाथ उठाए हुए हैं और कई लोग जमीन पर झुके हुए हैं। इस वीडियो में एक आवाज आ रही है जिसमें कहा जा रहा है कि गोली मत मारो-मत मारो। मैं आपके सामने रहम की भीख मांगता हूं। इसके कुछ ही सैकेंड के बाद तालिबानी आतंकियों ने अल्लाहू-अकबर के नारे लगाए और निहत्थे सैनिकों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। तालिबान ने इस वीडियो को फर्जी बताया है। सीएनएन ने जब नरसंहार के बारे में तालिबान से बात की तो उसने इस वीडियो को फर्जी बताया, साथ ही कहाöयह सब तालिबान विरोधी अफगान सरकार का प्रोपेगंडा है। तालिबान ने दावा किया कि अभी भी उनके कब्जे में 24 कमांडो हैं, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई सुबूत नहीं दिया। यूएन में शरणार्थी मामलों की एजेंसी ने बताया कि अफगानिस्तान में असुरक्षा और हिंसा के कारण जनवरी से करीब 2.70 लाख लोग देश के अंदर विस्थापित हुए हैं। एजेंसी ने अफगानिस्तान में बढ़ते मानवीय संकट के कारण विस्थापित यह तालिबान के 85 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्जा करने व अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर मानवीय संकट को लेकर आगाह भी किया है। उसने कहा कि देश में अब तक कुल विस्थापितों की संख्या 35 लाख के पार हो गई है।

अगवा मासूम को दो महीने में तीन बार बेचा

तिमारपुर इलाके में तीन साल के एक मासूम को अगवा कर दो महीने में तीन बार बेचे जाने का मामला सामने आया है। आरोपी चौथी बार बच्चे का सौदा पांच लाख में तय करने वाले थे, तब तक पुलिस उन तक पहुंच गई। पुलिस ने मासूम को सुरक्षित बरामद कर लिया है। इस मामले में आरोपी 70 वर्षीय राजरानी, उसकी बेटी 35 वर्षीय अनुज रानी के साथ ही 29 वर्षीय सुनीता, 35 वर्षीय सीमा और 39 वर्षीय सर्वेश को गिरफ्तार कर लिया गया है। उत्तरी जिले के डीसीपी अंटो अल्फोंस ने बताया कि 22 मई को तिमारपुर थाने में श्रीराम बस्ती में रहने वाले रवि ने शिकायत की थी। रवि ने बताया था कि उनका तीन साल का बेटा लापता हो गया है। रवि ने बेटे के अपहरण की आशंका जताई तो पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। स्थानीय लोगों से पूछताछ और सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पर पड़ोस में रहने वाली सुनीता नाम की महिला पर शक हुआ। पुलिस ने सुनीता को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह बहाना बनाती रही। फिर पुलिस ने उसके मोबाइल की सीडीआर निकाली तो ऑटो चालक सर्वेश का नम्बर मिला। लेकिन सर्वेश से पूछताछ में वह भी इंकार करता रहा। इसी बीच मंगलवार को मुखबिर से पता चला कि बच्चा मंगोलपुरी इलाके में एक बुजुर्ग महिला और उसकी बेटी के पास है। पुलिस तुरन्त मौके पर पहुंची और बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया, साथ ही आरोपी महिला राजरानी और उसकी बेटी अनुज रानी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में आरोपी राजरानी और अनुज रानी ने बताया कि मंगोलपुरी की रहने वाली सीमा ने उन्हें बच्चे को बेचने के लिए दिया है। पुलिस ने सीमा को पकड़ा तो उसने बताया कि उसे ऑटो चालक सर्वेश ने बच्चे को दिया था। पुलिस ने सर्वेश को दबोचा तो उसने बताया कि उसे सुनीता ने ही बच्चे को अगवा करने के लिए कहा था। इसके बाद सुनीता ने बच्चे को अगवा कर 70 हजार रुपए में सर्वेश को बेच दिया था। सर्वेश ने सुनीता को आगे बच्चे को बेचने के बाद रुपए देने का आश्वासन दिया था। इसके बाद सर्वेश ने बच्चे को सीमा और सीमा ने राजरानी को बेचा था। माता-पिता बच्चों को लेकर यह सावधानी बरतें। बच्चों को अकेले घर से बाहर भेजने से बचें। घर के बाहर पार्प में बच्चों के खेलते समय उन पर नजर रखें। अनजान पड़ोसियों के भरोसे बच्चों को नहीं छोड़ें, बच्चों को उनकी खुद की सुरक्षा रखने के बारे में सिखाएं। बच्चों को बताएं कि वह किसी अनजान शख्स की दी हुई कोई भी चीज न खाएं। साथ ही अकेले कहीं किसी अनजान व्यक्ति के साथ न जाएं। -अनिल नरेन्द्र

Saturday 17 July 2021

असंतोष दबाने के लिए न हो कानूनों का दुरुपयोग

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने देश में मौलिक अधिकारों की रक्षा में शीर्ष अदालत की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा है कि नागरिकों के असंतोष को कुचलने या उनका उत्पीड़न करने के लिए आतंकवाद विरोधी कानून सहित अन्य आपराधिक कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। अर्नब गोस्वामी के मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी को स्वतंत्रता से एक दिन भी वंचित करना ज्यादती है। अदालतों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वह लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पहली पंक्ति बनी रहेंगी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट को सतर्प अभिभावक के रूप में अपनी भूमिका आगे बढ़ाने के साथ संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियां अलग तरह की हैं। महामारी से लेकर असहिष्णुता बढ़ने जैसे मुद्दों से निपटना है। कोर्ट जब ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करता है तो उसे न्यायिक सक्रियता या न्यायिक अतिरेक कहा जाता है। जस्टिस चंद्रचूड़ सोमवार को अमेरिका बार एसोसिएशन द्वारा सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स और चार्टेर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ आर्बिट्रेटस के साथ आयोजित एक सम्मेलन में चुनौतीपूर्ण समय में मौलिक अधिकारों की रक्षा में शीर्ष अदालत की भूमिका पर बोल रहे थे। उन्होंने महामारी के दौरान जेलों में भीड़ घटाने पर शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लेख किया और कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जेलों में भीड़भाड़ कम हो क्योंकि वह वायरस के लिए हॉटस्पॉट बनने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

हवाला के पैसे से आतंकवाद को हवा देना

हिजबुल मुजाहिद्दीन का सरगना मोहम्मद यूसुफ शाह उर्प सैयद सलाऊद्दीन बेशक पाकिस्तान में छिपा बैठा है, लेकिन उसके दोनों बेटे हवाला नेटवर्प से पैसा हासिल कर जम्मू-कश्मीर में उसकी आतंकी विरासत का पालन-पोषण कर रहे थे। उन्होंने खुद बंदूक नहीं उठाई, लेकिन अन्य कश्मीरी नौजवानों को बंदूक उठाने और निर्दोष कश्मीरियों का कत्ल करने के लिए पैसा दिया। वह अपने पिता और उसके आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए टेरर फंडिंग में पूरी तरह सक्रिय थे। मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल सलाऊद्दीन के दोनों बेटों सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ उन 11 सरकारी कर्मियों में शामिल हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल में राष्ट्रद्रोह में संलिप्तता के आधार पर सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया है। दोनों फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा ग्लोबल आतंकियों की सूची में नामजद सलाऊद्दीन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची का एक प्रमुख आतंकी है। सूत्रों ने बताया कि सलाऊद्दीन के दोनों बेटों की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की जानकारी संबंधित एजेंसियों को पहले से ही थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में जो पहले स्वतंत्रता थी उसने किन्ही कारणों से उन्हें छूट दे रखी थी। दोनों के खिलाफ सुबूतों के आधार पर कार्रवाई के लिए भेजी गई फाइलों को हमेशा दबाया जाता रहा। सैयद अहमद शकील शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में 1990 के दौरान चोर दरवाजे से बतौर लैब टेक्निशियन तैनात किया गया था। उसने करीब छह बार आतंकियों के लिए वित्तीय मदद जुटाई और उन तक पैसा पहुंचाया। सलाऊद्दीन का दूसरा बेटा शाहिद यूसुफ भी चोर दरवाजे से ही वर्ष 2007 में कृषि विभाग में नियुक्त हुआ। कश्मीर में आतंकी हिंसा व अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वह हवाला व अन्य मामलों से करीब नौ बार पैसा प्राप्त कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि शाहिद यूसुफ 1999-2000 के दौरान पासपोर्ट के आधार पर दुबई भाग गया था। उसके पासपोर्ट पर पिता का नाम यूसुफ मीर लिखा गया था जबकि नाम सैयद मोहम्मद यूसुफ होना चाहिए था।

नौ चीनी इंजीनियरों समेत 13 लोगों की मौत

पाकिस्तान के उत्तरी राज्य खैबर पख्तूनख्वा में एक बस को निशाना बनाकर हुए बम धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में चीन के नौ इंजीनियर भी शामिल हैं। वह चीन-पाक आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) से जुड़ी परियोजना के लिए काम कर रहे थे। धमाके में दो पाकिस्तानी सैनिक व दो अन्य स्थानीय नागरिक भी मारे गए। पाकिस्तान ने इसे एक हादसा बताया है जबकि चीन ने इसे हमला कहा है। समाचार एजेंसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बस को निशाना बनाते हुए आतंकियों ने धमाका किया है जबकि पाकिस्तान ने कोहिस्तान स्थित सहायक आयुक्त आसिम अब्बासी ने कहा है कि यह महज एक हादसा था जिसकी जांच जारी है। उन्होंने इस हादसे का कारण गैस सिलेंडर में विस्फोट बताया और आशंका जताई कि बस में कोई इंजीनियरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विस्फोटक सामग्री रही होगी। धमाके के बाद बस खड्डे में जा गिरी। चीन ने इसे एक हमला बताते हुए पाक में अपने नागरिकों को सूचित किया है कि जब तक जरूरी न हो वह घर से बाहर न निकलें। जानकारी के मुताबिक बस में करीब 30 इंजीनियर सवार थे, जो ऊपरी कोहिस्तान क्षेत्र में स्थित दासू डैम पर जा रहे थे। पाकिस्तान में जिस जगह पर बस में धमाका हुआ वह कोहिस्तान का दासू डैम क्षेत्र है, जहां सीपीईसी के तहत काम चल रहा है। यह सब चीन के 65 अरब डॉलर के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसके तहत चीन अपने पश्चिमी हिस्से को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ने जा रहा है। चीन ने इस परियोजना के लिए बड़ी संख्या में अपने इंजीनियरों को पाकिस्तान भेजा है। चीन ग्वादर तक सीपीईसी परियोजना के तहत बड़े स्तर पर काम कर रहा है। लेकिन ग्वादर और बलोचिस्तान में स्थानीय नागरिकों द्वारा चीनी परियोजनाओं का उग्र विरोध किया जा रहा है। हाल ही में क्वेटा में चीन के राजदूत को निशाना बनाते हुए एक होटल में धमाका किया गया। हालांकि वह होटल में उस समय मौजूद नहीं थे लेकिन धमाके में पांच लोग मारे गए। यहां चीन विरोधी बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी भी हमले करती है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि इस हमले से चीन सदमे में है और घटना की कड़ी निन्दा करता है। उन्होंने इमरान सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले में कड़ाई से जांच की जाए और दोषियों को गिरफ्तार किया जाए। पाक ने पहले घटना को हादसा बताकर छिपाने की कोशिश की लेकिन चीनी दूतावास ने इसे एक बम हमला बताया। इसके बाद पीएम के संसदीय सलाहकार बाबर अवान ने पुष्टि की कि चीनी नागरिकों पर बम से हमला किया गया था। अवान ने इसे कायराना हमला करार दिया है। -अनिल नरेन्द्र

Friday 16 July 2021

योगी की जनसंख्या नीति का विरोध

उत्तर प्रदेश विधि आयोग की ओर से तैयार किए गए जनसंख्या नियंत्रण ड्राफ्ट में सुझाव देने के लिए चार दिन में पांच हजार से अधिक ईमेल पहुंच चुके हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अपने ही इस नीति के विरोध में उतर आए हैं। विश्व हिन्दू परिषद ने ड्राफ्ट के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति दर्ज कराई है। परिषद के कार्यकारी सदस्य आलोक कुमार ने विधि आयोग को पत्र लिखा है। वहीं ड्राफ्ट के विरोध में विहिप के साथ मुस्लिम शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद भी जुड़ गई है। देवबंद ने इस नीति को हर समाज के खिलाफ बताया है। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कह दिया है कि यह नीति कारगर नहीं है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रित कोई कानून बनाकर नहीं की जा सकती। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने आयोग को भेजे अपने पत्र में कहा कि ड्राफ्ट की वन चाइल्ड पॉलिसी से समाज में आबादी का असंतुलन पैदा होगा। सरकार को इस संबंध में सोचना चाहिए, क्योंकि यह जन्म दर को 1.7 प्रतिशत पर ले आएगी, इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है। वहीं सोमवार को दारुल उलूम के मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें सुविधाओं से वंचित किए जाने का मतलब पैदा होने वाले बच्चों के साथ भी नाइंसाफी होगी। किसी को सुविधाओं से वंचित किया जाना कौन-सी नीति है। इधर संसद के मानसून सत्र में भाजपा सांसद जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता पर प्राइवेट बिल लाने की तैयारी में हैं। यह जानकारी लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय से मिली है। इसलिए आगामी सत्र जो 19 जुलाई को शुरू होने वाला है उसके हंगामेदार होने के आसार हैं। मजे की बात यह है कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2021 के प्रावधानों को राज्य विधानसभा चुनावों के लिए भी लागू कर दिया जाए तो खुद भाजपा के ही 50 प्रतिशत विधायक चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर कुल 397 विधायकों की प्रोफाइल अपलोड है। इनमें 304 विधायक भाजपा के हैं। इनके प्रोफाइल बताते हैं कि 152 यानि बिल्कुल आधे विधायकों के दो से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें एक भाजपा विधायक के तो आठ बच्चे हैं। लिस्ट में किसी और विधायक के इतने ज्यादा बच्चे नहीं हैं। एक विधायक के सात बच्चे हैं। भाजपा के आठ विधायक ऐसे हैं जिनके छह-छह बच्चे हैं। वहीं 15 विधायकों के पांच, 44 विधायकों के चार, 83 विधायकों के तीन और 103 विधायकों के दो-दो बच्चे हैं। 34 विधायकों के एक-एक बच्चा है। वहीं 15 विधायकों में किसी के एक भी बच्चा नहीं है। बात यहीं खत्म नहीं होती है। गोरखपुर से लोकसभा सांसद और भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन ने जनसंख्या नियंत्रण आयोग पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। रवि किशन भी भाजपा के सांसद हैं और चार बच्चों के पिता हैं। अगर लोकसभा की बात की जाए तो लोकसभा वेबसाइट के मुताबिक 186 सांसद इस कानून के दायरे में आ जाएंगे। इनमें 105 सांसद भाजपा के हैं, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि बढ़ती आबादी का असर विकास और अंतत लोगों के जीवन पर पड़ता है। मगर यह बेहद संवेदनशील मसला है। लिहाजा ध्यान रखना होगा कि परिवार को नियंत्रित करने के लिए लोग खुद प्रेरित हों।

अंतरिक्ष के सफर पर भारत की बेटी

एरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला सोमवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं। उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ वर्जिन गैलेक्टिक की अंतरिक्ष के लिए पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान भरी। शिरिषा से पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं। एक फरवरी 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया जब पृथ्वी पर वापस आ रहा था तो वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। वहीं सुनीता विलियम्स के नाम महिला के रूप में सबसे अधिक स्पेस वॉक करने का रिकॉर्ड है। सबसे पहले भारतीय नागरिक के तौर पर विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे। शिरिषा बांदला ने कहा कि उपर से धरती को देखना एक अद्भुत और जीवन बदलने वाला अनुभव रहा। बता दें कि बांदला करीब 53 मील की ऊंचाई पर चार मिनट तक भारहीनता महसूस करने व धरती का नजारा देखने के बाद वापस लौट आई थीं। बांदला ने एसबीसी न्यूज से एक इंटरव्यू में कहाöलगता है कि मैं अभी वहीं हूं। लेकिन यहां आकर बहुत खुशी हुई। मैं अद्भुत से बेहतर शब्द के बारे में सोचने की कोशिश कर रही थी। लेकिन यही एकमात्र शब्द है जो मेरे दिमाग में आ सकता है। पृथ्वी का दृश्य देखना जीवन बदलने जैसा है। अंतरिक्ष में यात्रा करना वास्तव में अद्भुत है। उन्होंने अंतरिक्ष के पलों को भावुक करने वाले बताते हुए कहाöमैं बचपन से ही अंतरिक्ष में जाने का सपना देख रही थी और सचमुच यह एक सपने के सच होने जैसा है। इधर गुंटूर में शिरिषा के दादा बांदला रागैया ने सोमवार को बताया कि उनकी पोती की नजर बचपन से ही आकाशगंगा, हवाई जहाज और अंतरिक्ष की तरफ बहुत उत्सुकता से देखती थी। -अनिल नरेन्द्र

Thursday 15 July 2021

ऊपर वाले का कहर, कहीं बिजली गिरी तो कहीं बादल फटे

पूरे उत्तर भारत में मौसम कहर बनकर टूट रहा है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल और मध्यप्रदेश में रविवार और सोमवार के बीच ही बिजली गिरने की कई घटनाएं हो गईं। जिसमें करीब 73 लोगों की जान चली गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अकेले यूपी के अलग-अलग जिलों में बिजली गिरने से 41 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 22 लोग झुलसे, जबकि 200 से ज्यादा मवेशियों की भी मौत हुई। राजस्थान में बिजली गिरने से करीब 23 लोगें की मौत हो गई। यह हादसे जयपुर, धौलपुर, कोटा, झालावाड़ जैसे इलाकों में हुए। मध्य प्रदेश में 11 लोगों की मौत हुई। मौसम विभाग ने भोपाल, ग्वालियर, होशंगाबाद, उज्जैन और इंदौर में आकाशीय बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। पीएम मोदी ने हादसों पर दुख जताकर बिजली गिरने से जान गंवाने वालों के परिजनों को पीएम राहत राष्ट्रीय कोष से दो-दो लाख रुपए की मदद की घोषणा की। वहीं घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। लंबे इंतजार के बाद रविवार शाम को जयपुर में मानसून की पहली बारिश पड़ी तो लोग आमेर के किले में पहुंच गए। इसी दौरान शाम 7 बजे जब कुछ लोग पहाड़ियों पर बने वॉच टावर पर चढ़कर सेल्फी ले रहे थे कि अचानक आसमान से बिजली गिर गई। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उस वक्त टावर पर कम से कम दो दर्जन लोग रहे होंगे। बिजली गिरते ही अफरातफरी मच गई, लोग यहां-वहां भागने लगे। कुछ लोगें ने मौके पर ही दम तोड़ दिया तो कई लोग बेहोश होकर पहाड़ी के नीचे झाड़ियों में फंस गए। कुछ लोग भगदड़ में ऊंचाई से कूद गए। हादसे में 12 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। कुछ शव जंगली इलाकों से भी मिले। बिजली गिरने से कैसे होती है मौत? बिजली कई तरह से झपट्टें में ले सकती है। यह सीधे किसी पर fिगर जाए तो तुरंत मौत हो जाती है। यह तभी होता है जब कोई खुले इलाके में हो। खासकर जब वह बारिश से बचने के लिए पेड़ की शरण ले। बिजली पेड़ पर गिरकर या आसपास की किसी ऊंची चीज पर गिरकर व्यक्ति के शरीर तक पहुंचकर निकल जाती है। इससे शरीर बुरी तरह से झुलस जाता है। भारत में 25 से 31 जुलाई 2019 के बीच ही 4 लाख से ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं हुई हैं। हालांकि उत्तर-पूर्व और छोटा नागपुर पठार में यह हादसे ज्यादा होते हैं। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मैकलॉडगंज से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित फागसू में रविवार सुबह बादल फट गया जिससे नाले ने भारी बारिश के कारण अपना मार्ग बदल लिया और वह चार कारों और कई मोटरसाइकिलों को बहाकर ले गया। हादसे में दो लोग लापता हैं। इस हादसे के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के सीएम से फोन पर हालात का जायजा लिया। शिमला में भी झाकरी के पास भूस्खलन के कारण नेशनल हाइवे पर ट्रैफिक रोकना पड़ा। मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिन और कई इलाकों में भारी बारिश जारी रहेगी। जम्मू जिले में 32 साल बाद यानि 1989 के बाद जुलाई महीने में अब तक की सबसे अधिक 150.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है। वहीं उत्तराखंड में ऋषिकेश, बद्रीनाथ हाइवे, चमोली के पास बंद हो हो गया है। तीन लोगों की मौत हो गई है। अभी तक कई इलाकों में पूरी तरह मानसून आया भी नहीं है और यह हाल है। ऊपर वाला महर करे।

तालिबान के कब्जाए जिलों में शरिया कानून लागू

युद्ध से जर्जर हो चुके अफगानिस्तान में फिर तालिबान के लड़ाकों ने देश के 407 में से 204 जिलों पर कब्जा कर लिया है और शरिया कानून लागू कर दिया है। महिलाओं-मीडिया पर पाबंदियों का नया दौर शुरू हो गया है। हालांकि तालिबान का दावा है कि उसने अब तक अफगानिस्तान के 85 प्रतिशत हिस्से पर अधिकार जमा लिया है। अमेरिकी व नाटो सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान तेजी से देश के बड़े हिस्से को अपने नियंत्रण में ले रहा है। ईरान, तुर्कमेनिस्तान से सटी सीमा चौकियों पर तालिबानी लड़ाकों ने अपना कब्जा कर लिया है। 407 में से सिर्फ 74 जिलों पर अफगानिस्तान सरकार का नियंत्रण बचा है और लड़ाके धीरे-धीरे उन पर कब्जा कर रहे हैं। पिछले बीस साल से महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिए जाने की जो मुहिम चल रही थी वो थम गई है। तालिबान ने बल्ख प्रांत के कई जिलों में पत्र बांटकर महिलाओं पर तमाम पाबंदियां लगाने का फरमान जारी कर दिया है। लोगों से कहा जा रहा है कि उन्हें सख्त कानूनों का पालन करना होगा जैसा कि 1996 से 2001 के दौरान होता था। तब तालिबान का अफगानिस्तान पर नियंत्रण था। तालिबानी जज गुल रहीम ने कहा कि कुछ जिलों में नए गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह इलाका राजधानी मजार-ए-शरीफ से सिर्फ 20 किमी उत्तर में स्थित है। तखर, बदख्ंशा और कुंदुज प्रांत के कई जिले पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में हैं। तालिबान ने कहा है कि वह चीन को अफगानिस्तान के मित्र के रूप में देखता है। उसने चीन को आश्वस्त किया कि वह उसके अशांत प्रांत शिजियांग प्रांत के उइगर इस्लामी चरमपंथियों को अपने यहां पनाह नहीं देगा। हालांकि तालिबान की इस पेशकश को लेकर चीन की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उधर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को देश में जारी हिंसा और मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भारत के लिए चिंताजनक बात यह भी है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठनों ने तालिबान से हाथ मिला लिया है। हजारों आतंकी साथ मिलकर अफगानिस्तान की फौज से लड़ रहे हैं। भारतीय एजेसियां भी इसे लेकर चिंतित हैं। इन मामलों से बाकिफ लोगों ने बताया कि लश्कर और जैश के अधिकांश लड़ाके पूर्वी अफगानिस्तान के कुनार और नगहार प्रांतों और देश के दक्षिण-पूर्व में हेलम्दे और कंधार प्रांतों में सक्रिय हैं। यह इलाके पाक सीमा से सटे हुए हैं। बल्ख प्रांत की 34 वर्षीय नाहिदा ने बताया कि महिलाएं बिना पुरुष साथी के और बिना हिजाब-घर से नहीं निकल सकतीं। कई महिलाएं परिवार का भरण-पोषण करती हैं उनके लिए यह मुश्किल वक्त है। 30 प्रतिशत सिविल सेवक अब महिलाएं हैं जिन्हें दिक्कत होगी। तालिबान ने सैलून वालों को दाढ़ी नहीं काटने का आदेश दिया है। लोगों को दाढ़ी बढ़ाने को कहा जा रहा है। -अनिल नरेन्द्र

Wednesday 14 July 2021

ड्रग्स और आतंकवाद

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अंतर्राष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश किया है और हेरोइन की अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी की है। आशंका है कि ड्रग्स को बेचकर हुई कमाई को आतंकी घटनाओं में इस्तेमाल किया जाता था। इस रैकेट में पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के भी शामिल होने की संभावना है। इनका मकसद हेरोइन की काली कमाई से कश्मीर और पंजाब में आतंक फैलाना हो सकता है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि पकड़े गए आरोपियों के आका अफगानिस्तान और पुर्तगाल में बैठे हैं। उनके गुर्गे उनसे निर्देश लेकर अफगानिस्तान के रास्ते भारत में इस धंधे को बढ़ा रहे थे। इस रैकेट का सुराग तब मिला जब पुलिस ने रिजवान अहमद उर्फ रिजवान कश्मीरी को पकड़ा। पुलिस ने बताया कि रिजवान ने खुलासा किया कि वह अफगानिस्तान में बैठे हैंडलर ईशा खान के इशारे पर हेरोइन का धंधा करता है। उसकी निशानदेही पर फरीदाबाद के सेक्टर-65 स्थित एक सोसाइटी से गुरजीत और गुरप्रीत को गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी निशानदेही पर पार्किंग में खड़ी दो कारों से 166 किलोग्राम और 115 किलोग्राम हेरोइन बरामद हुई। दोनों की निशानदेही पर सोसाइटी के फ्लैट में रखे बेड से भी 30 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई। इनका हैंडलर नवप्रीत सिंह उर्फ नव पुर्तगाल में बैठा है। इसके आदेश पर देश के अलग-अलग राज्यों में हेरोइन सप्लाई हो रही थी। रिजवान से पूछताछ के बाद अफगानी नागरिक हजरत अली को भी पकड़ा गया। हजरत अली की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर से 100 किलोग्राम रसायन भी बरामद किया। हजरत अली कच्चे माल में रसायन मिलाकर हेरोइन तैयार करवाता था। स्पेशल सेल को पता चला है कि अफगानिस्तान के कई हिस्सों से कच्चे माल के तौर पर अफीम को भारत में भेजा जाता है। अफगानिस्तान से आने वाले वैध सामान के साथ इसको कार्टन, डिब्बों व अन्य जगहों में छिपाकर कंटेनर से अफीम को ईरान के रास्ते मुंबई भेजा जाता है। मुंबई से अफीम को शिवपुरी, मध्य प्रदेश भेज दिया जाता है। वहां रसायनों की मदद से अफीम और बाकी मादक पदार्थों से हेरोइन तैयार कर ली जाती है। इसके बाद कुरियर से इसे देश के अलग-अलग राज्यों में भेज देते थे। बरामद खेप को पंजाब जाना था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पूरा नेटवर्क अफगानिस्तान एवं यूरोप में बैठे तस्कर चला रहे हैं। इनके बारे में भी संबंधित एजेंसियों से जानकारी साझा की जा रही है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को कुछ इनपुट मिले हैं कि पाकिस्तान के रास्ते भी ड्रग्स को भारत भेजा जा रहा है। इस वजह से यह जांच की जा रही है कि बरामद ड्रग्स से होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में तो नहीं हो रहा था।

एडीजी जीपी सिंह पर राजद्रोह का मुकदमा

रायपुर के सीनियर आईपीएस तथा एडीजी जीपी सिंह पर एसबी के छापे और निलंबन के बाद पुलिस ने गुरुवार को राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करके तलाश और गिरफ्तारी की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं, लेकिन पुलिस को यह सूचना भी मिल गई है कि जीपी सिंह अपने बंगले से गायब है। जीपी के बुधवार को बिलासपुर जाने और फिर वहां से दूसरी कार में बैठकर कहीं ओर चले जाने के पुख्ता प्रमाण भी पुलिस को मिले हैं। उधर जो एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें जब्त दस्तावेजों और डायरी के पन्नों के हवाले से बेहद गंभीर बातों का जिक्र है। एफआईआर में कहा गया है कि जीपी के बंगले के पीछे मिले फटे कागज, पत्र और डायरी के पन्नों में ऐसी बातें लिखी गई हैं जो सरकार के खिलाफ गंभीर साजिश और समाज में वैमनस्यता तथा घृणा फैलाने की साजिशों की तरफ इशारा कर रही हैं। एफआईआर के मुताबिक गुजिंदर पाल सिंह के निवास स्थल की तलाशी के दौरान घर के पिछले हिस्से में कागजों के फटे हुए टुकड़े मिले। इनका कंटेट लिखा हुआ अथवा टाइप किया गया था, जिन्हें गवाहों के समक्ष री-अरेंज किया गया। इनमें गंभीर और संवेदनशील तथ्य सामने आए। पन्नों में प्रतिष्ठित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के खिलाफ अनर्गल एवं आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। उनके खिलाफ षड्यंत्रकारी योजनाओं का भी उल्लेख है। राज्य के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के प्रतिनिधियों-उम्मीदवारों का गोपनीय विश्लेषण है तथा उन क्षेत्रों से संबंधित गंभीर मुद्दों पर टिप्पणी की गई है। शासकीय योजनाओं, नीतियों एवं सामाजिक, धार्मिक मुद्दों को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां दस्तावेजों में दर्ज हैं। ऐसी भड़काऊ बातें लिखी गई हैं, जिनसे सरकार के प्रति घृणा और असंतोष पैदा हो। यही नहीं, विभिन्न धर्मों और मूलवंशियों के संबंध में भी आपत्तिजनक बातें इन दस्तावेजों में लिखी हुई हैं। राजद्रोह का मामला दर्ज होते ही आरोपित एडीजी गुजिंदर पाल सिंह उर्फ जीपी सिंह छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे और लापता बताए जा रहे हैं। राज्य शासन उनके मामले में कैवियर तैयार कर चुकी है। रायपुर के कोतवाली थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह) और 153ए (हेट स्पीच) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पीछे हटने की बजाय युद्धाभ्यास कर रहा है चीन

भारत ने पिछले दिनों में चीनी सीमा पर 50 हजार अतिरिक्त सैनिक तैनात कर दिए हैं। यह 1962 के युद्ध के बाद पहली बार है कि जब एलएसी पर भारतीय सैनिकों की संख्या दो लाख के करीब पहुंच गई है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चीन ने पिछले तीन महीने में भारतीय सीमा के पास दो लाख सैनिक तैनात किए हैं। इधर ब्लूमबर्ग ने चार अलग-अलग सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत ने चीन से लगती सीमा के तीन अलग-अलग इलाकों में सैन्य टुकड़ियों के अलावा लड़ाकू विमानों की स्वॉड्रन तैनात की है। एलएसी पर भारतीय जवानों की तैनाती पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत बढ़ाई गई है। एक घाटी से दूसरी घाटी में सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए अधिक हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं। इन हेलीकॉप्टरों से एम 777 होवित्जर जैसी भारी तोपें भी एयरलिफ्ट की जा सकती हैं। भारत के इस कदम के पीछे चीन की बढ़ती गतिविधियां हैं। फरवरी में समझौता हुआ था कि दोनों सेनाएं जवानों की तैनाती घटाएंगी। चीन ने ऐसा नहीं किया। उलटा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया। इस वादाखिलाफी को देखते हुए भारत ने भी सेना बढ़ा दी। दूसरी ओर चीन ने तिब्बत की विवादित सीमा पर नई रनवे, इमारतें, लड़ाकू विमान रखने के लिए बमरोधी बंकर और नए एयरफील्ड्स बनाने शुरू कर दिए है। साथ ही लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम और दो इंजन वाले फाइटर जेट्स भी तैनात कर दिए हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लेह से लौटकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और शीर्ष अफसरों के साथ नई स्थिति की समीक्षा की। -अनिल नरेन्द्र

Tuesday 13 July 2021

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड

दिल्ली हाई कोर्ट ने देश में एक समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) कानून को लेकर बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि देश में एक ऐसी संहिता की जरूरत है जो सभी के लिए समान हो। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में जरूरी कदम उठाने को कहा है। फैसले के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस प्रतिभा सिंह ने अपने फैसले से केंद्रीय न्याय मंत्रालय को अवगत कराए जाने का निर्देश दिया जिससे वह इस मुद्दे पर उचित कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए जस्टिस सिंह ने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने 1985 में निर्देश दिया था कि इस मामले को उचित कदम उठाने के लिए कानून मंत्रालय के सामने रखा जाए। हालांकि तब से अब तक तीन दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है और यह साफ नहीं हुआ है कि इस बारे में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहाöसमय आ गया है कि संविधान की धारा 44 के आलोक में समान नागरिक संहिता की तरफ कदम बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर आर्टिकल 44 के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत को दोहराया है। मौजूदा ऐसे मामले बार-बार ऐसी संहिता की जरूरत को उजागर करते हैं जो सभी के लिए समान हो। जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार आदि पहलुओं पर समान सिद्धांतों को लागू करने में मदद करते हों। बता दें कि आर्टिकल 36 से 57 के जरिये राज्य को सुझाव दिए गए हैं। उम्मीद की गई है कि राज्य अपनी नीतियां तय करते हुए इनको ध्यान में रखेंगे। इन्हीं में आर्टिकल 44 राज्य को उचित समय आने पर सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने का निर्देश देता है। कुल मिलाकर आर्टिकल 44 का उद्देश्य कमजोर वर्गों से भेदभाव की समस्या को खत्म करके देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच तालमेल बढ़ाना है। क्या है कॉमन सिविल कोड? अभी देशभर में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। इसके हिसाब से उनकी शादी, तलाक, गुजारा-भत्ता, गोद लेने की प्रक्रिया, विरासत संबंधित अधिकार आदि तय होते हैं। कॉमन सिविल कोड के लागू होने पर सबके लिए एक ही कानून होगा। इसके लिए क्यों उठ रही है मांग? मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह की छूट है। अन्य धर्मों में एक पति-पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है। हिन्दू-ईसाई, पारसी के लिए दूसरा विवाह अपराध है। भारतीय दंड संहिता की धारा 494 में सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। इसलिए कई लोग दूसरा विवाह करने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लेते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर एक समग्र एवं एकीकृत कानून मिल सकेगा। अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून होने के कारण अनावश्यक मुकदमेबाजी में उलझना पड़ता है। अभी शादी की उम्र अलग-अलग धर्म में अलग-अलग है। कानून बनाने के बाद वह एक समान हो जाएगी। 1980 में बहुचर्चित मिनर्वा क्रिहस केस में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला उठा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मौलिक अधिकार, नीति-निर्देशक सिद्धांत के बीच सौहार्द और संतुलन संविधान का महत्वपूर्ण आधारभूत सिद्धांत है। 1985 में शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अत्याधिक दुख का विषय है कि हमारे संविधान का अनुच्छेद 44 मृत अक्षर बनकर रह गया है।

20 भारतीय सम्पत्तियों को जब्त करने का आदेश

वित्त मंत्रालय ने ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी के उस दावे का खंडन किया है, जिसमें केयर्न कंपनी ने दावा किया है कि उसे एक फ्रांसीसी अदालत ने मध्यस्थता आदेश के तहत फ्रांस में स्थित 20 भारतीय सम्पत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है। वित्त मंत्रालय ने केयर्न के हवाले से मीडिया में आ रही इस आशय की खबरों को लेकर कहा कि भारत सरकार को इस संबंध में किसी भी फ्रांसीसी न्यायालय से नोटिस नहीं मिला है। भारत के साथ कर विवाद में फ्रांस के कोर्ट ने ब्रिटेन की केयर्न कंपनी के पक्ष में फैसला दिया है। केयर्न के अधिकारियों के हवाले से गुरुवार को यह जानकारी सामने आई कि ब्रिटेन की इस कंपनी ने मध्यस्थता आदेश के तहत 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने के लिए एक फ्रांसीसी अदालत ने फ्रांस में स्थित 20 भारतीय सरकारी सम्पत्तियों को जब्त करने का आदेश हासिल किया है। लेकिन भारत सरकार को इस संबंध में किसी भी फ्रांसीसी न्यायालय से कोई भी नोटिस या आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार तथ्यों का पता लगाने की कोशिश कर रही है और जब भी ऐसा कोई आदेश प्राप्त होगा, भारत के हितों की रक्षा के लिए अपने वकीलों से परामर्श करेगी और उचित कानूनी उपाय करेगी, साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि केयर्न के सीईओ और प्रतिनिधियों ने मामले को सुलझाने के लिए भारत सरकार से सम्पर्प किया है। चर्चा हुई है और सरकार देश के कानूनी ढांचे के भीतर विवाद के समाधान के लिए तैयार है। एक मध्यस्थता अदालत ने दिसम्बर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर से अधिक का ब्याज और जुर्माना चुकाए। हालांकि भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया था।

मशाल रिले से टोक्यो ओलंपिक का चरण आरंभ

ओलंपिक आयोजकों ने शुक्रवार को ओलंपिक मशाल के टोक्यो आगमन के साथ ही प्रज्जवलन समारोह का आयोजन किया। इससे एक दिन पहले ही सरकार ने टोक्यो में कोरोना आपातकाल की घोषणा की थी। चूंकि डेल्टा वेरिएंट के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसी वजह से मशाल रिले राजधानी की सड़कों पर आयोजित नहीं की जा सकी। टोक्यो के तटवर्ती द्वीपों पर ही इसका आयोजन किया गया। रिले की शुरुआत से अब तक कई बार इसका रास्ता बदला गया, नया रास्ता बनाया गया और सार्वजनिक पार्कों में जनता से दूर इसका आयोजन किया गया। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि स्टेडियम में उद्घाटन समारोह के लिए मशाल कैसे आएगी? वैसे टोक्यो ओलंपिक के आयोजन में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ओलंपिक के इतिहास में पहली बार महामारी के कारण पिछले साल इसका आयोजन स्थगित किया गया था। अब आगामी 23 जुलाई से आठ अगस्त तक इसका आयोजन होना है। लेकिन एक अजीब स्थिति बन रही है, क्योंकि टोक्यो में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखकर प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने वहां आपातकाल की घोषणा कर दी है। नतीजतन टोक्यो और उससे सटे तीन शहरों में घरेलू दर्शकों को भी स्टेडियम में आने की इजाजत नहीं होगी, जबकि विदेशी दर्शकों पर तो पहले ही प्रतिबंध लग चुका है। यानि पहली बार आईपीएल की तरह ओलंपिक भी टीवी तक ही सीमित होगा। यह व्यवस्था ओलंपिक के आयोजकों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, जिन्हें टिकटों के जरिये होने वाली लाखों डॉलर की आय से हाथ धोना पड़ेगा। ओलंपिक जैसा आयोजन किसी देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी का मौका होता है, लेकिन कोरोना महामारी ने जापान को इस स्वर्णिम अवसर से वंचित कर दिया। इस सन्दर्भ में प्रधानमंत्री सुगा का यह कहना बेहद अर्थपूर्ण है कि दर्शकों पर प्रतिबंध के बावजूद टोक्यो ओलंपिक विपत्ति के बीच धैर्य और एकजुटता की ऐतिहासिक मिसाल बनेगा। -अनिल नरेन्द्र

Sunday 11 July 2021

बड़ी कंपनियों की बम्पर कमाई, छोटी बर्बाद

कोविड महामारी का दौर बड़ी कंपनियों के लिए अवसर साबित हो रहा है, जबकि छोटी कंपनियां शिकार बन रही हैं। संक्रमण की पहली लहर के बाद बड़ी कंपनियों के कारोबार में वृद्धि दिखी, तो छोटे उद्यमों और दुकानदारों को धंधा बंद करना पड़ा। रिजर्व बैंक ने हालिया मासिक रिपोर्ट में बताया कि अक्तूबर 2020 के बाद उबरने की कोशिश में लगे उद्यमों को दूसरी लहर ने फिर बड़ा नुकसान पहुंचाया। इस दौरान अर्थव्यवस्था के उत्पादन को दो लाख करोड़ रुपए की चपत लगी। इस बार छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में असर दिखा, जिससे छोटे दुकानदारों का धंधा चौपट हो गया। लोकल सर्पिल की रिपोर्ट के मुताबिक महामारी में देशभर में मोबाइल की 10 हजार दुकानें बंद हो चुकी हैं, जो इसकी कुल संख्या का करीब आठ प्रतिशत है। इनकी जगह बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों ने ले ली। देश के 49 प्रतिशत स्टार्ट-अप और एमएसएमई के पास फंड नहीं बचा और वह जुलाई से काम बंद करने, लागत घटाने और कर्मचारियों की संख्या कम करने पर मजबूर हो रहे हैं। 22 प्रतिशत के पास तीन महीने का फंड बचा है, जबकि 41 प्रतिशत के पास महज एक महीने तक धंधा चलाने का फंड है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था में जब छोटी कंपनियों का आकार बढ़ता है तो रोजगार के ज्यादा मौके पैदा होते हैं। महामारी के बाद भारत से छोटी कंपनियों का कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जिसने रोजगार के अवसर भी घटा दिए हैं। इसके अलावा वर्प फ्रॉम होम जैसी व्यवस्था से कैब और टैक्सी चालकों की कमाई भी ठप हो गई। पिछले 15 महीने से ओला-उबर टैक्सी चालकों की आमदनी लगभग शून्य हो गई, जो ज्यादातर ऑफिस जाने वालों पर निर्भर थी। -अनिल नरेन्द्र

हथियार की बरामदगी सजा के लिए अनिवार्य नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक अभियुक्त की दोषसिद्धि बरकरार रखते हुए कहा कि एक आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी अनिवार्य शर्त नहीं है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि मामूली विरोधाभास जो मामले की तह तक नहीं जाते हैं और/या विरोधाभास जो वास्तविक विरोधाभास न हों। ऐसे गवाहों के साक्ष्य को खारिज नहीं किया जा सकता और उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता। मामले में अभियुक्त को 28 जनवरी 2006 को हुई घटना में भीष्मपाल सिंह की हत्या के लिए आईपीसी की धारा 302/34 के तहत दोषी ठहराया गया था। अपील में अभियुक्त की ओर से मुख्य दलील यह थी कि फोरेंसिक बैलेस्टिक रिपोर्ट के अनुसार घटनास्थल से प्राप्त गोली बरामद बंदूक के बोर से मेल नहीं खाती है। इसलिए कथित बंदूक के इस्तेमाल की बात संदेहास्पद है। अत संदेह का लाभ संबंधित अभियुक्त को दिया जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने यह तर्प खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिक से अधिक यह कहा जा सकता है कि पुलिस द्वारा आरोपी से बरामद बंदूक का इस्तेमाल हत्या के लिए नहीं किया गया हो सकता है। इसलिए हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए वास्तविक हथियार की बरामदगी को नजरंदाज किया जा सकता है और इसे माना जा सकता है कि कोई बरामदगी हुई ही नहीं, लेकिन एक आरोपी को दोषी ठहराने के लिए अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी एक अनिवार्य शर्त नहीं है। मामला यूपी के हाथरस का है।

परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या aबदल सकता है?

परिसीमन होने से जम्मू-कश्मीर में सियासी तस्वीर बदल सकती है? इस प्रक्रिया का असर राज्य पर किस तरह पड़ेगा, क्या इससे किसी एक क्षेत्र को अधिक लाभ मिलेगा? कुछ राजनीतिक दल परिसीमन प्रक्रिया के पूरे होने से पहले ही इसका विरोध कर रहे हैं। परिसीमन से राज्य में कितनी विधानसभा सीटें बढ़ने की संभावना है, यह सवाल तब उठे हैं जब ऐसी सहमति बनती दिख रही है कि जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 के हटने के बाद राजनीतिक प्रक्रिया परिसीमन प्रक्रिया के पूरे होने के तुरन्त बाद शुरू हो सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी की हाल में अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं की मीटिंग में भी सरकार की ओर से कहा गया कि प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी। पांच अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाते हुए उससे राज्य का दर्जा वापस लिया गया तो उसके बाद यह केंद्र शासित प्रदेशोंöजम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो भागों में बंट गया। इसके बाद केंद्र ने यहां नए सिरे से विधानसभा और संसद की सीटों को बनाने के लिए पिछले साल फरवरी में एक विशेष परिसीमन आयोग का गठन किया था। तीन सदस्यों के इस आयोग को सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजन प्रकाश देसाई लीड कर रहे हैं। कमेटी को एक साल में रिपोर्ट देनी थी लेकिन कोविड के कारण ऐसा नहीं हो सका। कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक साल का विस्तार और दिया गया है। पिछले कुछ दिनों से तमाम राजनीतिक दलों और अधिकारियों के साथ परिसीमन आयोग की लगातार मीटिंग हो रही हैं। माना जा रहा है कि इस साल अगस्त तक परिसीमन आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। परिसीमन क्या होता है? परिसीमन जनसंख्या के बदलते स्वरूप को देखते हुए जनप्रतिनिधित्व को भी नए सिरे से गठित करने की एक प्रक्रिया है। हर जनगणना के बाद परिसीमन की प्रक्रिया चलाई जा सकती है। जम्मू-कश्मीर का परिसीमन इसलिए देश के दूसरे हिस्सों से अलग था क्योंकि अनुच्छेद 370 के तहत ऐसा कराने का विशेषाधिकार राज्य विधानसभा के पास था। परिसीमन के आधार पर कम जनप्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में संतुलन बनाने की कोशिश होती है। साथ ही आरक्षित सीटों के प्रतिनिधित्व को नए सिरे से तय करने का रास्ता खुलता है। जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार परिसीमन 1995 में हुआ था। मौजूदा परिदृश्य में कश्मीर चुनावों में जो बेहतर प्रदर्शन करता है वह लाभ में रहता है। लेकिन नए परिसीमन के बाद अगर जम्मू के पक्ष में आंकड़े हो गए तो इसका असर पूरे इलाके की सियासत पर पड़ सकता है। कश्मीर की सीटों में लद्दाख के भी इलाके आते थे जो पहले ही अलग हो चुका है। पिछले दिनों जिला विकास परिषद के चुनाव में इसका साफ असर दिखा। जम्मू में भाजपा ने लगभग पूरी जीत हासिल की तो कश्मीर में गुपकार गठबंधन ने बाजी मारी। भाजपा का हमेशा से मानना रहा है कि अगर जम्मू के पक्ष में आंकड़ों का गणित आ गया तो जम्मू-कश्मीर में अकेले शासन करने का रास्ता खुल सकता है और ठीक यही आशंका कश्मीर के दलों में भी है और वह मौजूदा लाभ किसी भी सूरत में नहीं खोना चाहते हैं। यही कारण है कि परिसीमन प्रक्रिया पर अपनी सहमति दे या नहीं, इसे लेकर कई दिनों तक राजनीतिक दलों में अनिर्णय की स्थिति बनी रही। राजनीतिक दलों को भरोसा दिलाया गया है कि अगर उनके पास कोई तथ्य आधारित आपत्ति हो तो उसे जरूर सुना जाएगा।

Friday 9 July 2021

विदेशी फंडिंग और मतांतरण

अवैध तरीके से मतांतरण कराने के लिए उमर गौतम का गिरोह पूरे देश में सक्रिय था और इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेश से फंडिंग हो रही थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों में इसका ठोस सुबूत और अहम दस्तावेज मिले हैं। संगठित रूप से अवैध मतांतरण कराने के मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने के बाद ईडी ने शनिवार को दिल्ली और उत्तर प्रदेश में छह ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरोपित उमर गौतम, उसके सहयोगी मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी के घरों के साथ-साथ इस्लामिक दावा सेंटर अल हसन एजुकेन एंड वेलफेयर फाउंडेशन और गाइडेंस एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी पर छापे मारे गए। इनमें उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी का घर और इस्लामिक दावा सेंटर का कार्यालय दिल्ली के जामिया नगर में स्थित है। वहीं अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन के दफ्तर नोएडा और लखनऊ में स्थित हैं। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छापों में बड़े पैमाने पर अवैध मतांतरण कराने और इसके लिए विदेश से बड़ी मात्रा में फंडिंग से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। उमर गौतम और उससे जुड़े संगठन और यूपी में ही नहीं बल्कि देश में अवैध मतांतरण कराने में सक्रिय थे। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि छापे में उन लोगों के नाम भी मिले हैं, जिनका अवैध मतांतरण कराया गया था। साथ ही पूरे देश में उमर गौतम के अवैध मतांतरण के नेटवर्क के बारे में अहम जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि उमर गौतम और उससे जुड़े संगठनों को विदेश से करोड़ों रुपए की फंडिंग मिली थी, जिनका उपयोग अवैध मतांतरण के लिए किया गया। ईडी अवैध मतांतरण के मामले में उत्तर प्रदेश एटीएस की एफआईआर के आधार पर मनी लांड्रिंग की जांच कर रहा है। -अनिल नरेन्द्र

भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत

भारतीय सिनेमा के सबसे चहेते दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार को मुंबई में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। सांताक्रूज के जुहू कब्रिस्तान में उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस तरह भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत हो गया। ट्रेजडी किंग 98 वर्षीय दिलीप कुमार को उनकी पत्नी सायरा बानो और अन्य परिजनों की मौजूदगी में अपराह्न 4ः45 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सांताक्रूज के जुहू कब्रिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दिए जाने के समय तोप से सलामी दी गई जिसके बाद उनके सम्मान में पुलिस बैंड बजाया गया। कब्रिस्तान के अंदर 25-30 से अधिक लोगों को आने की अनुमति नहीं थी लेकिन वहां मीडिया कर्मियों और दिलीप कुमार के चाहने वालों का तांता लगा था। पुलिस को करीब 100 लोगों को संभालना पड़ा। दिलीप कुमार के अंतिम संस्कार के बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन ने जुहू कब्रिस्तान जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के प्रोटोकॉल के अनुसार कुमार के पार्थिव शरीर को उनके पाली हिल स्थित आवास पर तिरंगे में लपेटा गया और फिर उनका जनाजा कब्रिस्तान लाया गया। उनके आवास पर 60 से अधिक पुलिस वाले थे। वह जन्मे तो मोहम्मद यूसुफ खान थे लेकिन जब उन्होंने अपना फिल्मी कैरियर शुरू किया तो उस समय की प्रमुख रहीं देविका रानी ने उन्हें नया नाम दिलीप कुमार दिया जो फिल्मों में उनकी रोमांटिक छवि पर फिट बैठता गया। दिलीप कुमार के जाने से भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत हो गया है। बेशक अब वह इस दुनिया में नहीं रहे पर उनके अभिनय को कोई भूल नहीं सकता और वर्षों तक उन्हें याद रखा जाएगा। कलाकार कभी मरता नहीं।

सभी भारतीयों का डीएनए एक है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम एकरूपता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि दोनों एक ही हैं। दोनों का इतिहास व पृष्ठभूमि अलग हो सकती है, लेकिन पूर्व समान है, दोनों का डीएनए एक ही है। दोनों एक होकर भी एक नहीं हुए, इसकी वजह राजनीति है। अल्पसंख्यकों के मन में डर बिठाया गया है कि हिन्दू उसे खा जाएगा। ऐसा दूसरे देशों में होता होगा, जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक पर हावी हैं। पर हमारे यहां जो आया, वह आज भी मौजूद है। हिन्दू-मुस्लिम जब खुद को अलग मानते हैं तब संकट पैदा होता है। हम निराकार के साथ आकार में भी श्रद्धा रखते हैं। हम मोहन भागवत जी के विचारों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है लिहाजा लिंचिंग करने वाले हिन्दुत्व के विरोधी हैं। तथाकथित गौरक्षकों का बड़ा वर्ग एक अन्य संप्रदाय के लिए लोगों को गौमांस खाने के केवल शक के आधार पर सरेआम पीट-पीटकर मार देता है। अखलाक, पहलू खान, जुनैद और तबरेज की लिंचिंग सुर्खियों में रही। संघ प्रमुख के इस वक्तव्य से कट्टर हिन्दू अवधारणा पर भी विराम लगेगा, जिसकी वजह से देश को नुकसान पहुंचा है। लगता है कि देश में बह रही हिन्दुत्व की धारा में आ रहे विकारों पर मंथन करना शुरू कर दिया गया है, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जो कहा उससे तो लगता है कि हिन्दुत्व के नाम पर मुस्लिम विरोध का झंडा उठाए घूम रहे स्वयंसेवकों और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। भागवत ने मुस्लिमों को भी नसीहत दी कि वह इस्लाम खतरे में है कहने वालों के दुष्चक्र में न फंसे, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। भागवत चाहते हैं कि हिन्दू और मुस्लिम झगड़ा छोड़कर सब एक साथ आएं और भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में काम करें, यह वक्त की जरूरत है और इसी से दुनिया बचेगी। संघ प्रमुख ने कहा कि जो कहते हैं कि मुसलमान यहां नहीं रह सकते वह हिन्दू नहीं हैं। संघ प्रमुख जानते हैं कि इस समय लोग उनकी बात को ध्यान से सुनेंगे, उन्होंने कहा भी कि एक समय था जब संघ छोटा-सा था तो किसी ने आवाज नहीं सुनी, पर आज पूरा समाज सुनता है, लेकिन सुनने और मायने के अंतर को भी देखना होगा। अच्छा होता कि भागवत यह बयान उत्तर प्रदेश के दादरी में भीड़ हिंसा में अखलाक की हत्या से पहले देते। वर्तमान में हिन्दुत्व का एकमात्र मतलब मुस्लिम विरोध है और जिसे मुस्लिमों में फैलाई गईं भ्रांतियां कहा जा रहा है वह एकतरफा नहीं हैं। हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले संघ की अनुषांगिक संगठन भाजपा के अनेक नेता और कार्यकर्ता संघ प्रमुख के दृष्टिकोण के ठीक विपरीत आचरण करते हैं। क्या सरसंघचालक भाजपा के लिए भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय कर रहे हैं?

Thursday 8 July 2021

धनशोधन मामले में पत्रकार गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि उसने चीनी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी कथित तौर पर लीक करने से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में दिल्ली के एक स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को गिरफ्तार किया है और शुक्रवार को यहां एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया। एनआईए ने एक बयान में कहा कि अदालत ने शर्मा को सात दिन तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि 62 वर्षीय शर्मा ने पैसों के लिए चीनी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को गोपनीय और संवेदनशील जानकारी दी थी। एजेंसी ने आरोप लगायाöयह भी पता चला है कि शर्मा और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के लिए नकदी का इंतजाम महिपालपुर स्थित मखौटी कंपनियों द्वारा एक हवाला के माध्यम से किया जा रहा था, जिसे चीनी नागरिक झांग येंग उर्प सूरज, झांग लिकिसया उर्प उषा और क्वींग उर्प शी, एक नेपाली नागरिक शेर सिंह उर्प राज बोहरा के साथ चला रहे थे। ईडी ने कहा कि नकदी के अलावा, विभिन्न चीनी कंपनियों और भारत में कुछ अन्य व्यापारिक कंपनियों के बीच भारी लेनदेन किया गया, जिसकी जांच की जा रही है। एजेंसी ने कहा कि राजीव शर्मा ने आपराधिक गतिविधियों में अपनी संलिप्तता को छिपाने के लिए बेनामी बैंक खातों के माध्यम से भी धन प्राप्त किया। ईडी का मामला पिछले साल शर्मा के खिलाफ शासकीय गोपनीयता अधिनियम और आरपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज दिल्ली पुलिस की प्राथमिकी पर आधारित हैं। शर्मा को दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 14 सितम्बर को गिरफ्तार किया था और उन पर भारतीय सेना की तैनाती और देश की सीमा रणनीति के बारे में चीनी खुफिया अधिकारियों को जानकारी देने का आरोप लगाया था। -अनिल नरेन्द्र

शरद पवार के भतीजे पर शिकंजे का मतलब...

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उसने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के सिलसिले में धनशोधन रोधी कानून के तहत करीब 65 करोड़ रुपए मूल्य की एक चीनी मिल कुर्प की है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं उनकी पत्नी से जुड़ी एक कंपनी मामले में लिप्त हैं। इस कंपनी का स्वामित्व खुद अजीत पवार और उनकी पत्नी सुनेज से जुड़ा है। ईडी ने कहा कि सतारा चिमनगांव-कोरेगांव में स्थित जरंडेश्वर सहकारी शुगर कारखाना (जरंडेश्वर एसएसके) की जमीन, भवन, ढांचे, संयंत्र और मशीनरी को कुर्प करने के लिए धनशोधन रोकथाम अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत अंतरिम आदेश जारी किया गया है। आखिरकार राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे डिप्टी सीएम अजीत पवार पर शिकंजा कसने की अगर कोशिश की जा रही है तो इसका महत्व बहुत ज्यादा है। राजनीतिक रूप से जिस तरह से महाराष्ट्र में उथलपुथल मच गई है, राजनीतिक विश्लेषक इसे एक बड़े तूफान के रूप में देख रहे हैं। ईडी ने कहा कि यह 65.75 करोड़ रुपए मूल्य की सम्पत्ति है और यह 2010 में उसका क्रय मूल्य था। ईडी ने कहाöयह सम्पत्ति फिलहाल ग्रुप कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एक कथित नकली कंपनी) के नाम से है और जरंडेश्वर एसएसके को पट्टे पर दी गई है। बता दें कि 2019 में हुई प्राथमिकी के बाद यह कार्यवाही हो रही है। यह पीएमएलए मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 2019 में दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है। उस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि एसएसके को एमएस करीबी के तत्कालीन अधिकारियों एवं निदेशकों ने गलत तरीके से अपने रिश्तेदारों को औने-पौने दाम पर बेच दिया और ऐसा करते समय एसएआरएफएएमआई अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। वित्तीय परिसम्पत्तियों का प्रतिभूतिकरण एक पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन कानून के प्रावधानों के तहत बैंक अपना ऋण वसूलने के लिए अचल सम्पत्तियां बेच सकता है। देखना अब यह होगा कि इस कदम का शरद पवार और अजीत परिवार व एनसीपी क्या जवाब देते हैं। इतना तो साफ दिखता है कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है।

फादर स्टेन की मौत का जिम्मेदार कौन?

जन अधिकार कार्यकर्ता 84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी का सोमवार को निधन हो गया। उन्हें अक्तूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उनके निधन पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने खेद जताया है। हाई कोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और एनजी जमादार ने शोक संदेश में कहा कि हम पूरी विनम्रता के साथ कहते हैं कि इस सूचना पर हमें खेद है। यह हमारे लिए बड़ा झटका है। हमने उनकी पसंद के अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश ]िदया था। पर आज हमारे पास उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शब्द नहीं हैं। हम, आप (अस्पताल) पूरी कोशिश के बावजूद उन्हें नहीं बचा सके। हाई कोर्ट के इन्हीं जजों के पास फादर स्टेन की जमानत याचिका (मेडिकल बेल) लंबित है। स्वामी के वकील मिहिर सिंह देसाई ने हाई कोर्ट से इस पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया था। शनिवार को जब बेंच सुनवाई के लिए बैठी तो देसाई ने बतायाöमेरे मुवक्किल (स्वामी स्टेन) की हालत गंभीर है। इसलिए हमारी प्राथमिकता अभी उनका इलाज है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई मंगलवार छह जुलाई तक टाल दी थी। लेकिन यह सुनवाई होती, इससे पहले ही मुंबई के होली फैमिली अस्पताल के डॉक्टर रयान डिसूजा ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि स्वामी नहीं रहे। उन्होंने बताया कि शनिवार तड़के स़ाढ़े चार बजे स्वामी स्टेन को दिल का दौरा पड़ा। वह तब से वेंटिलेटर पर थे। मगर उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें सोमवार को दिन में 1ः30 बजे मृत घोषित कर दिया। बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे में भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसा के सिलसिले में कई वामपंथी कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया था। भीमा कोरेगांव में अंग्रेज की महार रेजिमेंट और पेशवा की सेना के बीच हुई लड़ाई में महार रेजिमेंट की जीत हुई थी। दलित बहुल सेना की जीत की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर 31 दिसम्बर 2017 को यहां हिंसा की घटना हुई थी, यहां दलित और बहुजन समाज के लोगों ने एग्लार परिषद के नाम से कई जनसभाएं कीं। 84 साल के स्टेन स्वामी ने लंबे समय तक दलित, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए काम किया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में न्यायिक हिरासत में रखे गए मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन की मौत के बाद राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कई लोगों ने दुख जताया है। स्टेन स्वामी के निधन के बाद सोशल मीडिया पर कई तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संवेदना जताते हुए ट्वीट किया कि वह न्याय और मानवता के हकदार थे। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री और टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा ने उनकी मौत को हत्या बताते हुए लिखा कि हम जानते हैं कि कौन उनकी हत्या का जिम्मेदार है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर लिखा कि उनकी त्रासद मौत जुडिशियल मर्डर का केस है जिसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट संयुक्त रूप से जवाबदेह हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने लिखा कि बगैर किसी आरोप के यूएपीए लगाकर अक्तूबर 2020 से हिरासत में अमानवीय व्यवहार किया गया। हिरासत में हुई इस हत्या की जवाबदेही जरूर तय की जानी चाहिए। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि कठोर और निर्दयी सरकार ने उनके जीवित रहते उनका सम्मान छीन लिया और वही उनकी मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट करण नंदी ने लिखा कि सिस्टम के हाथों कूर और अमानवीय व्यवहार सह कर उनकी मौत हिरासत में हुई। उनके प्रियजनों और सभी नागरिकों की भी जवाबदेही है, जिनके फैसले ने उन्हें नुकसान पहुंचाया और मार डाला।