Friday, 9 July 2021
सभी भारतीयों का डीएनए एक है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम एकरूपता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि दोनों एक ही हैं। दोनों का इतिहास व पृष्ठभूमि अलग हो सकती है, लेकिन पूर्व समान है, दोनों का डीएनए एक ही है। दोनों एक होकर भी एक नहीं हुए, इसकी वजह राजनीति है। अल्पसंख्यकों के मन में डर बिठाया गया है कि हिन्दू उसे खा जाएगा। ऐसा दूसरे देशों में होता होगा, जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक पर हावी हैं। पर हमारे यहां जो आया, वह आज भी मौजूद है। हिन्दू-मुस्लिम जब खुद को अलग मानते हैं तब संकट पैदा होता है। हम निराकार के साथ आकार में भी श्रद्धा रखते हैं। हम मोहन भागवत जी के विचारों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है लिहाजा लिंचिंग करने वाले हिन्दुत्व के विरोधी हैं। तथाकथित गौरक्षकों का बड़ा वर्ग एक अन्य संप्रदाय के लिए लोगों को गौमांस खाने के केवल शक के आधार पर सरेआम पीट-पीटकर मार देता है। अखलाक, पहलू खान, जुनैद और तबरेज की लिंचिंग सुर्खियों में रही। संघ प्रमुख के इस वक्तव्य से कट्टर हिन्दू अवधारणा पर भी विराम लगेगा, जिसकी वजह से देश को नुकसान पहुंचा है। लगता है कि देश में बह रही हिन्दुत्व की धारा में आ रहे विकारों पर मंथन करना शुरू कर दिया गया है, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जो कहा उससे तो लगता है कि हिन्दुत्व के नाम पर मुस्लिम विरोध का झंडा उठाए घूम रहे स्वयंसेवकों और अन्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं को उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। भागवत ने मुस्लिमों को भी नसीहत दी कि वह इस्लाम खतरे में है कहने वालों के दुष्चक्र में न फंसे, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। भागवत चाहते हैं कि हिन्दू और मुस्लिम झगड़ा छोड़कर सब एक साथ आएं और भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में काम करें, यह वक्त की जरूरत है और इसी से दुनिया बचेगी। संघ प्रमुख ने कहा कि जो कहते हैं कि मुसलमान यहां नहीं रह सकते वह हिन्दू नहीं हैं। संघ प्रमुख जानते हैं कि इस समय लोग उनकी बात को ध्यान से सुनेंगे, उन्होंने कहा भी कि एक समय था जब संघ छोटा-सा था तो किसी ने आवाज नहीं सुनी, पर आज पूरा समाज सुनता है, लेकिन सुनने और मायने के अंतर को भी देखना होगा। अच्छा होता कि भागवत यह बयान उत्तर प्रदेश के दादरी में भीड़ हिंसा में अखलाक की हत्या से पहले देते। वर्तमान में हिन्दुत्व का एकमात्र मतलब मुस्लिम विरोध है और जिसे मुस्लिमों में फैलाई गईं भ्रांतियां कहा जा रहा है वह एकतरफा नहीं हैं। हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले संघ की अनुषांगिक संगठन भाजपा के अनेक नेता और कार्यकर्ता संघ प्रमुख के दृष्टिकोण के ठीक विपरीत आचरण करते हैं। क्या सरसंघचालक भाजपा के लिए भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय कर रहे हैं?
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