Friday, 30 July 2021

चीन, पाक और तुर्की तेजी से अफगानिस्तान में सक्रिय

अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से तेजी से हो रही वापसी के बीच यहां अपने हितों के लिए चीन, पाकिस्तान और तुर्की की तिकड़ी तेजी से सक्रिय हो रही है। तालिबान के तेजी से काबिज होने के बाद पाकिस्तान ने भी रंग बदलना शुरू कर दिया है। वह अमेरिका और पश्चिमी देशों का सहयोगी देश बन शांति प्रयासों का नाटक कर रहा था, अब उसका असली चेहरा सामने आ गया है। यह रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इजरायल में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पाकिस्तान को खराब आर्थिक स्थिति में अमेरिकी सुरक्षा कवच की जरूरत है, ऐसी स्थिति में वह चीन और तुर्की के साथ ही आगे बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट में विदेशी मामलों के जानकार कैबियन बशीर ने कहा है कि पाक ने अपनी नीति में परिवर्तन इस साल जून से ही करना शुरू कर दिया था, जब उसने कहा था कि वह अमेरिका के सैन्य अड्डों के लिए अपनी भूमि नहीं देगा। हाल ही में तालिबान ने चीन की उन चिंताओं को भी कम कर दिया है, जिसमें उसका मानना है कि तालिबानी शासन में अफगानिस्तान उइगरों के संगठन पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) का केंद्र बन जाएगा। यह संगठन जिनजियांग में सक्रिय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की भी इस तिकड़ी में शामिल होकर अपना लाभ देख रहा है। उसे लगता है कि वह मुस्लिम देशों का नेतृत्व कर सकेगा। तुर्की पहले से ही अपने देश में उइगर मुस्लिमों को निशाना बनाकर चीन का प्रिय बन गया है। चीन भी अमेरिकी सेना के जाने से आई शून्यता को अपनी मौजूदगी से भरना चाहता है। इन तीनों ही देशों की अफगानिस्तान की खनिज सम्पदा पर भी नजर है। -अनिल नरेन्द्र

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