Saturday, 17 July 2021
हवाला के पैसे से आतंकवाद को हवा देना
हिजबुल मुजाहिद्दीन का सरगना मोहम्मद यूसुफ शाह उर्प सैयद सलाऊद्दीन बेशक पाकिस्तान में छिपा बैठा है, लेकिन उसके दोनों बेटे हवाला नेटवर्प से पैसा हासिल कर जम्मू-कश्मीर में उसकी आतंकी विरासत का पालन-पोषण कर रहे थे। उन्होंने खुद बंदूक नहीं उठाई, लेकिन अन्य कश्मीरी नौजवानों को बंदूक उठाने और निर्दोष कश्मीरियों का कत्ल करने के लिए पैसा दिया। वह अपने पिता और उसके आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए टेरर फंडिंग में पूरी तरह सक्रिय थे। मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल सलाऊद्दीन के दोनों बेटों सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ उन 11 सरकारी कर्मियों में शामिल हैं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हाल में राष्ट्रद्रोह में संलिप्तता के आधार पर सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया है। दोनों फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा ग्लोबल आतंकियों की सूची में नामजद सलाऊद्दीन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची का एक प्रमुख आतंकी है। सूत्रों ने बताया कि सलाऊद्दीन के दोनों बेटों की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की जानकारी संबंधित एजेंसियों को पहले से ही थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में जो पहले स्वतंत्रता थी उसने किन्ही कारणों से उन्हें छूट दे रखी थी। दोनों के खिलाफ सुबूतों के आधार पर कार्रवाई के लिए भेजी गई फाइलों को हमेशा दबाया जाता रहा। सैयद अहमद शकील शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) में 1990 के दौरान चोर दरवाजे से बतौर लैब टेक्निशियन तैनात किया गया था। उसने करीब छह बार आतंकियों के लिए वित्तीय मदद जुटाई और उन तक पैसा पहुंचाया। सलाऊद्दीन का दूसरा बेटा शाहिद यूसुफ भी चोर दरवाजे से ही वर्ष 2007 में कृषि विभाग में नियुक्त हुआ। कश्मीर में आतंकी हिंसा व अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वह हवाला व अन्य मामलों से करीब नौ बार पैसा प्राप्त कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि शाहिद यूसुफ 1999-2000 के दौरान पासपोर्ट के आधार पर दुबई भाग गया था। उसके पासपोर्ट पर पिता का नाम यूसुफ मीर लिखा गया था जबकि नाम सैयद मोहम्मद यूसुफ होना चाहिए था।
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