Saturday 30 December 2023

क्या फिर फंसने जा रहे हैं राहुल गांधी?

रहे हैं राहुल गांधी? दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए की गईं कथित जेबकतरे वाली टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जारी किए गए नोटिस पर आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें। कांग्रेस नेता ने पिछले महीने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए जेबकतरे और अन्य टिप्पणियां की थी। अदालत ने उस जनहित याचिका पर सुनवाईं कर रही थी जिसमें राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाईं के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं द्वारा इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का अनुरोध किया गया है। कार्यंवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हालांकि कथित बयान उचित नहीं है और निर्वाचन आयोग मामले की जांच कर रहा है और यहां तक कि गांधी को नोटिस भी जारी किया गया है। न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने आदेश दिया कि यह मानते हुए कि जवाब दाखिल करने की समय सीमा समाप्त हो गईं है और कोईं जवाब नहीं मिला है, अदालत ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर यथासंभव शीघ्रता से आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें। अदालत ने कहा कि 23 नवम्बर को भेजे गए नोटिस में निर्वाचन आयोग ने खुद कहा था कि वह इस मामले में उचित कार्रवाईं करेगा। याचिकाकर्ता भरत नागर ने हाईं कोर्ट को बताया कि राहुल गांधी ने 22 नवम्बर को एक भाषण दिया था जिसमें प्रधानमंत्री सहित उच्चतम सरकारी पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे और उन्हें जेबकरते के रूप में संदर्भित किया गया था। उधर दिल्ली हाईंकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुरुवार को आदेश दिया कि वह 2021 में बलात्कार का शिकार 50 नाबालिग दलित पीिड़ता की पहचान का खुलासा करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट को हटाएं ताकि बच्ची की पहचान दुनियाभर में उजागर न हो। गांधी ने एक्स पर उस बच्ची के माता-पिता के साथ एक तस्वीर साझा की थी जिसकी एक अगस्त 2021 को संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गईं थी। बच्ची के मातापिता ने आरोप लगाया था कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नगल गांव के एक शमशान घाट के पुरोहित ने बच्ची से बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी और फिर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। गांधी ने एक्स की इस पोस्ट को अवरुद्ध कर दिया है। दिल्ली हाईं कोर्ट में जो केस जेबकतरे बयान को लेकर चल रहा है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अगर अदालत ने इसे दंडात्मक माना तो राहुल गांधी को वुछ भी सजा हो सकती है। चुनाव आयोग भी हरकत में आ सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अगर राहुल पर कोईं सख्त कार्रवाईं होती है तो उससे उन्हें, कांग्रेस पार्टी और इंडिया एलायंस को नुकसान हो सकता है। राहुल और उनके वकीलों को इस केस को गंभीरता से लेना चाहिए और हाईंकोर्ट में केस प्रभावी ढंग से लड़ना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि आगामी तीन-चार महीने अत्यंत महत्वपूर्ण है और राहुल गांधी को चुनावी मैदान से हटाने के लिए बहुत लोग तत्पर हैं। ——अनिल नरेन्द्र

समुद्री जहाजों पर कौन हमला कर रहा है?

हमला कर रहा है? अरब सागर में संदिग्ध ड्रोन हमले का शिकार जहाज एमवी केम प्लूटो जब 25 दिसम्बर को मुंबईं पहुंचा तो भारतीय नौसेना की विस्फोटक डिस्पोजल टीम ने इसकी शुरुआती जांच की। जहाज पर लाइबेरिया का झंडा लगा था और इसके चालक दल में 21 भारतीय और एक वियतनामी शामिल था। जहाज के जिस हिस्से पर हमला हुआ था उसे और वहां पड़े मलबे को देखने के बाद ऐसा लग रह है कि शायद इस पर ड्रोन से हमला किया गया है। हालांकि इसकी जांच की जा रही है। सऊदी अरब से मंगलुरू आ रहे इस जहाज पर शनिवार को अरब सागर में हमला किया गया था। इस बीच भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों पर हमलों की घटनाओं के बाद अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में आईंएनएस मोर्मुगाओ, आईंएनएस कोच्चि और आईंएनएच कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक तैनात कर दिए हैं। इससे पहले अप्रीकी देश गैबॉन का झंडा लगाकर जा रहे जहाज पर हमला हुआ था, इस पर तेल लदा हुआ था। एम साईं बाबा नाम का ये जहाज भारत की ओर आ रहा था और इसमें चालक दल के 25 सदस्य सवार थे। ये सभी भारतीय थे। रविवार को इस जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया था। अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमान का कहना था कि रविवार को गैबान का झंडा लगाकर जा रहे जहाज पर हमला हुती विद्रोहियों ने किया था। वहीं शनिवार को एमवी केम प्लूटो पर हमला ईंरान की तरफ से आए ड्रोन से हुआ था। हालांकि ईंरान ने कहा था कि भारत आ रहे जहाज पर उसके इलाके की ओर से हमला नहीं किया गया। भारत आ रहे जहाजों पर हमले ऐसे वक्त हो रहे हैं, जब पहले से ही लाल सागर में यमन के हुती विद्रोहियों को यूएवी और मिसाइल हमले जारी है। यह हमले इजरायल और हमास युद्ध के बाद इजरायल की ओर से जाने वाले समुद्री जहाजों पर हो रहे हैं। ये हमले सात अक्टूबर को हमास की ओर से इजरायल पर हमले और फिर उसकी जवाबी कार्रवाईं के बाद शुरू हुए थे, कहा जहा रहा है कि हमास का समर्थन कर रहे ईंरान की ओर से हुती व्रिदोहियों को ड्रोन, बैलिस्टिक और व्रूज मिसाइल चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है और अब पिछले दो-तीन दिनों के अंदर भारत आ रहे दो जहाजों पर हमलों से हालात काफी गंभीर हो गए हैं। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में प्रतिव्रिया देते हुए कहा, भारत की बढ़ती आर्थिक और सामारिक ताकत ने वुछ ताकतों को ईंष्र्यां से भर दिया है। हमलों को भारत सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। जिन्होंने भी इस हमले को अंजाम दिया है, उन्हें सागर तल से ढूंढ़ निकालकर सजा दी जाएगी। एक सेना अधिकारी का कहना है कि हमास और इजरायल का संघर्ष अब अरब सागर की ओर आता दिख रहा है। इस तरह के युद्ध के मोर्चे खुलने से भारत पर बड़ा असर पड़ सकता है। बल्कि यह कहें कि भारत पर असर पड़ने लगा है। यही वजह है कि भारत ने मिसाइल विध्वंसक जहाज तैनात कर दिए हैं। भारत का ज्यादातर आयातनि र्यांत कोच्चि, मंगलुरू, गोवा और मुंबईं से होकर आता-जाता है। इसलिए भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है। भारत का 80 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है, इसके साथ 90 फीसदी ईंधन समद्री मार्ग से आता है। ऐसे में समुद्री रास्ते में कोईं भी हमला सीधे भारत के कारोबार और इसकी सप्लाईं चेन के लिए खतरा बना जाएगा।

Thursday 28 December 2023

जम्मू-कश्मीर में कम नहीं हो रही आतंकी हिंसा!

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर लगातार हमले हो रहे हैं और तमाम दावों के बावजूद हिंसा की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही है. ताजा मामला ये है कि कश्मीर के बारामूला में आतंकियों ने रिटायर वरिष्ठ पुलिस एसपी शफी मीर की गोली मारकर हत्या कर दी. जब वह मस्जिद में नमाज पढ़ने जा रहा था तो उसे पीट-पीट कर मार डाला गया. पुलिस के मुताबिक, वह मस्जिद की सीढ़ियों पर खड़े होकर फज्र की नमाज पढ़ रहा था. उसी वक्त आतंकियों ने उसे गोलियों से भून डाला. कुछ दिन पहले इससे पहले सेना सीमावर्ती जिले में दाखिल हुई थी. आतंकियों ने दो गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे और 2 घायल हो गए थे. एक दिन बाद विशेषज्ञों ने कहा कि इलाके में आतंकियों की बढ़ती सक्रियता के कारण सुरक्षा व्यवस्था और गुप्त सुरक्षा व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है. जम्मू में एलओसी। मशीनरी को मजबूत करने की जरूरत है। 2023 में इस क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं में 24 सुरक्षाकर्मियों और 28 आतंकवादियों सहित 69 लोग मारे गए थे, लेकिन ये ताजा घटनाएं बताती हैं कि सख्ती के तमाम दावों के बावजूद। की विफलता आतंकियों का पूरी तरह से हतोत्साहित होना ऐसे हमलों में एक नए चलन को भी दर्शाता है, जहां आतंकी अब विशेष रूप से सेना और अर्धसैनिक बलों को निशाना बना रहे हैं। जी हां, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एक नए तरीके से जटिल स्थिति बन गया है। सुरक्षा बलों द्वारा जानकारी प्राप्त की जा सकती है। स्थानीय लोग भी सुरक्षित हैं। पथराव बंद हो गया है और यह भी सच है कि पड़ोसी देश ने अपनी नीति बदल दी है और उसे निशाना बनाकर मारा जा रहा है। इस वजह से कई आतंकवादी मारे गए हैं और आतंकी स्थिति को नियंत्रित करने में सफलता प्राप्त हुई है। तदनुसार, सेना और नए सैन्य बल को भी इस क्षेत्र में आतंकवादियों के खिलाफ एक नई रणनीति पर विचार करने की आवश्यकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात गुप्त तंत्र को मजबूत करना है और हमारे सुरक्षा बल अधिक हैं वे तभी सफल होते हैं जब उनके पास मजबूत ज्ञान होता है और वे उसे नष्ट करने में भी सफल होते हैं۔ अनिल नरेंद्र.

टैंकरमिनल बिल का आम लोगों पर क्या होगा असर!

राज्यसभा ने 21 दिसंबर को तीन आपराधिक विधेयक पारित किए। ये विधेयक हमारे मौजूदा अपराध कानूनों को बदल देंगे। आईपीसी, भारतीय नागरिक सुरक्षा न्यायालय और भारतीय गरीब विधेयक को अब उनकी सहमति के लिए राष्ट्रीय पति के पास भेजा गया है। ये तीन विधेयक ही कानून बनेंगे उन पर हस्ताक्षर होने के बाद। कई कानूनी विशेषज्ञों ने इन कानूनों की आवश्यकता पर सवाल उठाया है क्योंकि वे काफी हद तक पिछले कानूनों की नकल करते हैं। कई लोगों ने लोकतंत्र पर उनके प्रभाव पर भी सवाल उठाया है। उठाया गया है क्योंकि हाल ही में विपक्षी संसद के 146 सदस्यों को गृह से एक बयान की मांग करने के लिए निलंबित कर दिया गया था। संसद की सुरक्षा के उल्लंघन पर मंत्री अमित शाह. घोलमी के सभी निशानों को हटाकर एक पूर्ण भारतीय कानून बनाया जाएगा। इसके बाद शाह ने कानून में नस्लवादी गतिविधियों, मॉब लिंचिंग और भारत की सर्वोच्चता के लिए खतरों जैसे अपराधों को जोड़कर कोड में किए गए बदलावों की एक सूची पेश की है। और उन्होंने अभद्रता जैसे कई गंभीर अपराधों के लिए सजा बढ़ाने की भी बात कही। परिचितों के मुताबिक नए नियमों में 80 फीसदी से ज्यादा की सुविधा बराबर है। इसके बाद भी कुछ अहम बदलाव हुए हैं। धमकी देने वाले कृत्य भारत की एकता और अखंडता को एक नई श्रेणी में रखा गया है। जबकि तकनीकी रूप से राजद्रोह को आईपीसी से हटा दिया गया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस नए प्रावधान को व्यापक बनाया गया है। अधिकार प्राप्त कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह विधेयक पुलिस और अपराध और न्याय प्रणाली सभी स्तरों पर राजनीतिक नेतृत्व को - केंद्रीय, राज्य और स्थानीय - राजनीतिक लाभ के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करने के अधिक अवसर देती है। यह भी माना जाता है कि एक गिरफ्तार व्यक्ति से बायोमेट्रिक्स के संग्रह की आवश्यकता के द्वारा एक निगरानी राज्य बनाया जाएगा , जबकि विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि संदिग्धों की पहचान करने में क्या मदद मिलेगी। जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग शामिल है, लेकिन यह कितना प्रभावी होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे लागू किया जाता है। वरिष्ठ वकील अभिषेक मूनसिंघवी ने भी कहा कि यह कानून लुजाहाद को धोखाधड़ी से जब्त करने के लिए दंडित करेगा। संपत्ति। इसलिए उन्होंने सोचा कि इसका इस्तेमाल लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा। हमारी न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव यह है कि यह देश में पूरे आपराधिक कानून पैनल को उलट देगा। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday 26 December 2023

विपक्ष के लिए करो या मरो!

आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए करो या मरो की स्थिति है। जिस तरह से संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सदस्यों को बाहर कर दिया गया, उससे अब सत्तारूढ़ बीजेपी के इरादे साफ हो गए हैं। अब उसका लक्ष्य 2024 लोकसभा है। .चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है.संसद में हंगामे के बीच विपक्ष की आखिरी बैठक में पहली बार प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर किसी नेता का नाम आगे किया गया है. एलायंस ऑफ इंडिया। विपक्षी गठबंधन स्थापित हो गया है। इंडियन नेशनल डोलमेंट एक्स कलेक्टिव (इंडिया) में फूट के कारण ज्यादा दिक्कत की उम्मीद नहीं है। पीके को मध्य प्रदेश में 29, गुजरात में 26, गुजरात में 28 सीटों पर सीधे विरोध का सामना करना पड़ेगा। कर्नाटक में 11, छत्तीसगढ़ में 11, असम में 11, हरियाणा में 11, उत्तराखंड में 10, हिमांचल में 5, अरुणाचल में 4 और गोवा में 2 सीटें हैं। प. में सीधा मुकाबला है। यहां बीजेपी ने तीसरे चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। विपक्ष की अगली बैठक मुंबई में होनी है और यह बैठक गणतंत्र दिवस के बाद होने की संभावना है. बैठक में सीट बंटवारे पर नहीं बल्कि गठबंधन दलों पर चर्चा होने की उम्मीद है. भारत बीजेपी के खिलाफ एकजुटता को लेकर गंभीर है. एक वरिष्ठ पार्टी के मुताबिक नेता जी, बिहार, चारखंड, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कांग्रेस एकजुट है. इन 5 राज्यों में जेडीयू के पास 161 सीटें हैं. महाराष्ट्र में चुनाव के बाद गठबंधन में शिवसेना भी शामिल हो गई, इसके बावजूद सीटों को लेकर कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए वितरण। त्रिमुल कांग्रेस असम और गोवा में मौजूद रहेगी, लेकिन इन दोनों राज्यों में गठबंधन पश्चिम बंगाल की तरह ही गुजरात में भी सूट करेगा। दिल्ली पंजाब में आदमी पार्टी की हिस्सेदारी तय होगी। वरिष्ठ नेता के मुताबिक, सीटवार विचार किया जाएगा। पहले उन राज्यों में किया जाएगा जहां गठबंधन दल पहले से ही गठबंधन में हैं। 31 राज्यों, यूपी, बंगाल, पंजाब दिल्ली और जम्मू-कश्मीर की 400 सीटों पर विचार करने के बाद बहस होगी। इन चार राज्यों में 147 लोकसभा सीटें हैं। पटना और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सकारात्मक रुख से बेंगलुरु में एकता की उम्मीद बढ़ गई है. वहीं, बीजेपी के मुकाबले की बात करें तो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में इन दोनों के बीच सीधी टक्कर थी. कांग्रेस को इस बात को स्वीकार करना होगा. अगर कांग्रेस की वजह से सीटों के बंटवारे में दखल नहीं होगा तो सीटों पर तालमेल हो सकता है. सीटें जीतने का लक्ष्य रखने वाली सभी पार्टियों को याद रखना चाहिए कि 2024 में अगर बीजेपी भारी बहुमत से जीतती है तो वे इन सभी राजनेताओं को सड़क पर ला देंगे या उन्हें जेल भेजो, तो यह इन दलों के लिए है। करो या मरो की सूरत हकीकत बन गई है। उम्मीद है कि विपक्षी दलों को यह बात समझ में आ गई होगी। (अनिल नरेंद्र)

Saturday 23 December 2023

पाक में चुनाव की उल्टी गिनती शुरू

लंबे इंतजार के बाद आखिर पाकिस्तान में 8 फरवरी को होने वाले आम चुनावों का कार्यंव््राम जारी कर दिया गया। कार्यंव््राम जारी होने के बाद राजनीतिक दलों ने राहत की सांस ली है। पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईंसीपी) ने शुव््रावार देर रात चुनाव कार्यंव््राम जारी किया। इससे वुछ ही घंटों पहले उच्चतम न्यायालय ने आम चुनावों के लिए नौकरशाहों को निर्वाचन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने के निर्वाचन आयोग के पैसले को स्थगित करने वाले लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के निर्णय को खारिज कर दिया था। ईंसीपी की अपनी सूचना के अनुसार, उम्मीदवार 20 दिसम्बर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों के नाम 23 दिसम्बर को प्राकाशित किए जाएंगे और उनके दस्तावेजों की जांच 24 दिसम्बर से 30 दिसम्बर तक की जाएगी। नामांकन पत्रों को खारिज या स्वीकार करने के निर्वाचन अधिकारी के पैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अंतिम तिथि 3 जनवरी होगी। उम्मीदवारों की संशोधित सूची 11 जनवरी को प्राकाशित की जाएगी और उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 12 जनवरी है। मतदान 8 फरवरी को होगा। बता दें कि पाकिस्तान में नए परिसीमन के बाद नेशनल असेंबली में वुल 336 सीटें होंगी, इससे पहले इनकी संख्या 342 थी। पूरे पाकिस्तान में प्रांतीय असेंबली और संसद का चुनाव कराने की प्राव््िराया को पूरा करने में 54 दिन का वक्त लगेगा। हालांकि पहले की तरह पाकिस्स्तान में चुनावी माहौल ठंडा पड़ा हुआ है। तोशाखाना मामले में पूर्व प्राधानमंत्री इमरान खान को अगले 5 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया है। पिछले वुछ महीनों से चुनाव आयोग ने पीटीआईं (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) को निशाने पर ले रखा था और अंतर पाटा चुनाव को विवादित घोषित कर रद्द कर दिया। आयोग ने आतंरिक चुनाव कराने के लिए पाटा को 20 दिन का समय दिया और वो भी इस हिदायत के साथ कि अगर वो ऐसा करने में असफल रहती है तो इनका चुनाव चिह्न् व््िराकेट बैट खो देगी। माना जा रहा है कि इमरान की पाटा टूट चुकी हैं और शायद ही चुनाव में खड़ी हो पाए। पाकिस्तान की दो पार्टियां कानूनी मोच्रे पर अपने वजूद का संघर्ष कर रही हैं। इमरान खान के अलावा नवाज शरीफ को कईं मामलों में 2018-19 में दोषी ठहराया जा चुका है और वे अपनी क्लीन चिट की कोशिश में जुटे हुए हैं। सिर्प हालात बदले हैं। पिछली बार नवाज शरीफ सेना के खिलाफ खड़े थे, इस बार निशाने पर इमरान खान हैं। सेना को पाकिस्तानी राजनीति का असली किग मेकर माना जाता है।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इमरान खान का भविष्य धुंधला है जबकि नवाज शरीफ अगले प्राधानमंत्री हो सकते हैं। अक्तूबर में जब से नवाज शरीफ पाकिस्तान लौटे हैं। कोईं बड़ी रैली नहीं की है, चुनाव से पहले वो अपने सारे केस रफा-दफा कराने में लगे हैं। चुनाव आयोग लगातार कह रहा है कि चुनाव तय समय पर होंगे लेकिन लगता है कि लोगों ने भरोसा खो दिया है हमने पहले की संसद भंग होने के 90 दिनों के अन्दर चुनाव कराए जाने की सीमा को तोड़ दिया है, इसलिए लोगों को भरोसा नहीं है। एक विश्लेषक का कहना है कि राज्य और इसके विषय के बीच भरोसे का बांध टूट चुका है, लोगों का मोह भंग है। हो सकता है कि चुनाव करीब आते-आते सियासी माहौल गर्म हो जाए पर फिलहाल तो यह ठंडा है। —— अनिल नरेन्द्र

विपक्ष मुक्त संसद

सोमवार को विपक्ष के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। मंगलवार को एक बार फिर लोकसभा से 49 सांसदों को सस्पैंड कर दिया गया। पिछले हफ्ते निलंबित किए गए 14 सांसदों को मिला लें, तो संसद के शीतकालीन सत्र में निलंबित सांसदों की वुल संख्या 141 हो गईं। इन सभी सांसदों को मौजूदा सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित किया गया। सरकार का कहना है कि इन सांसदों ने अपनी मांग के समर्थन में संसद में हंगामा किया और कामकाज में अड़ंगा डाला। सदन का कामकाज न होने की वजह से इन सांसदों को निलंबित किया गया। हालांकि विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार मनमानी पर उतर आईं है। वो बेहद अहम बिलों को बगैर बहस के मनमाने ढंग से पारित कराना चाहती है। इसलिए वे संसद में विपक्षी सांसदों को नहीं देखना चाहती। मोदी सरकार विपक्ष मुक्त देश की बात इसलिए करती है ताकि अपनी मनमानी कर सके। कांग्रोस ने इसे संसद और लोकतंत्र पर हमला बताया। विपक्ष का कहना है कि सरकार विपक्ष मुक्त संसद चाहती है ताकि अहम बिलों को मनमानी ढंग से पारित करा सके। सरकार संसद की सुरक्षा को नजरअंदाज कर लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रही है। दूसरी ओर भारतीय जनता पाटा (भाजपा) का कहना है कि ये सरकार को अहम बिलों को पारित करने से रोकने के लिए विपक्ष की सोची-समझी साजिश है। उसने कांग्रोस और उसके सहयोगी दलों पर लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के अध्यक्ष का अपमान करने का भी आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रोस प्रामुख और प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनजा ने कहा कि मोदी सरकार बेहद अधिनायकवादी रवैया दिखा रही है। उसे सदन चलाने का कोईं नैतिक अधिकार अब नहीं रह गया है। सरकार डरी हुईं है।उन्होंने कहा, अगर उनके पास बहुमत है तो विपक्ष से क्यों डर रहे हैं।सांसदों के न रहने पर लोगों की आवाज कौन उठाएगा। सरकार इस तरह के कदम उठा कर जनता का व लोकतंत्र का गला घोंट रही है।मोदी और शाह लोगों को डराकर लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं।डिपल यादव का मामला नजीर है। वो तो अपनी सीट से भी हिली नहीं थीं। वो सिर्प वहां खड़ी थीं लेकिन उन्हें निलंबित कर दिया। बात इतनी सी है कि विपक्ष 13 दिसम्बर को संसद हमले की बरसी पर फिर से इतिहास दोहराए जाने की मॉक कवायद पर सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहा था। सरकार जो प्राचंड बहुमत में है और विधानसभाओं में भी जिसकी लहर चल रही है। वही संसद में संवाद को लेकर बहुत कम चितित दिखाईं देती है। इसे विपक्ष सरकार का अराजक आचरण कहता है। संसदीय इतिहास का यह सबसे बड़ा निलंबन है। संसद संवाद का साकार विग्राह होती है, जो सत्ता एक प्रातिपक्ष के सहयोग से ही संभव होता है। पर बहुमत की जिम्मेदारी इसमें सबसे अधिक आंकी गईं है, लेकिन जिस तरह से नियमित तौर पर निलंबन हुआ है। उससे इस जिम्मेदारी से पलायन ही दिखता है। यह तर्व सीमित मायने में ठीक हो सकता है कि लोकसभा अध्यक्ष ने जब कह दिया कि इसकी जांच की जा रही है तब विपक्ष को शांत हो जाना चाहिए। पर इससे सरकार की जवाबदेही समाप्त नहीं हो जाती। अगर संसद में प्राधानमंत्री या गृहमंत्री दो लाइन का बयान दे देते तो सारा मामला टल सकता था।

Thursday 21 December 2023

असंतुष्ट सीजीआई ने कहा, 'दोष देना आसान है

मामलों की सूची पर विवाद से नाखुश भारत के मुख्य न्यायाधीश डीएस चंद्रचूड़ ने कहा कि आरोप लगाना और पत्र लिखना बहुत आसान है। आप नेता सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका 2 वरिष्ठों के मामले में न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी। सुनवाई के मामलों की सूची में कथित अनियमितताओं के संबंध में बार के सदस्यों दुशांत दुबे, प्रशांत भूषण ने न्यायमूर्ति चंद्र चोर को अलग-अलग पत्र लिखे। मामला उठाया गया है और याचिकाएं उस पीठ को वापस भेजी जा रही हैं जिसके द्वारा उन्हें सुना जाना है। इनकार कर दिया दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका को न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ ने स्थगित करने की याचिका स्वीकार कर ली है। दोषारोपण करना और पत्र लिखना बहुत आसान है। न्यायमूर्ति एएस भूपना के कार्यालय से एक पत्र आया है जिसमें उन्होंने कहा है खराब स्वास्थ्य के कारण अदालत नहीं आऊंगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, लेकिन इसे अफवाह के रूप में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, इसलिए जैन की जमानत याचिका न्यायमूर्ति त्रिवेदी को सौंपी गई थी जिन्होंने मामले की आखिरी सुनवाई की थी क्योंकि यह अंतरिम जमानत के विस्तार की याचिका है। मैंने सोचा के.के. मैं साफ़ कर दूँगा न्यायमूर्ति चंद्र चोर ने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, "बार के सदस्य कह रहे हैं कि यह अजीब है कि मुझे यह विशेष न्यायाधीश चाहिए। इसलिए, अदालत कक्ष में सार्वजनिक वकील तुषार मेहता ने कहा कि इस तरह की दुर्भावनापूर्ण सामग्री से निपटने का यही एकमात्र तरीका है" .उन्हें नजरअंदाज किया जाना चाहिए। उन पर राय नहीं दी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने यह समझाने के लिए न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी के बीच पिछले कुछ आदेशों का हवाला दिया कि वे चाहते थे कि जैन के मामले में इस पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि बार का कोई भी सदस्य कह रहा है कि इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति द्वारा की जानी चाहिए और किसी अन्य न्यायाधीश को इसकी सुनवाई नहीं करनी चाहिए। न्यायमूर्ति बोपन्ना को मेडिकल अवकाश पर जाना पड़ा। जैन के वकील ने कहा कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ द्वारा प्रस्तावित सुनवाई को न्यायमूर्ति बुपना की याचिका पर स्थगित कर दिया जाना चाहिए। चूंकि न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ ने मामले में पर्याप्त दलीलें सुनी थीं, अब मामला पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday 19 December 2023

सिम्हा के विजिटर पास पर हंगामा!

कौन हैं प्रताप सिम्हा जिनसे वो लोकसभा पहुंचे और जिन्होंने रंजन धन्वा को छोड़ा? बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा का नाम अब भारत के संसदीय इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। बुधवार को संसद में प्रवेश करने वाले 2 लड़कों से मुलाकात हुई। बचपन से ही सांसद उन पर सख्त थे पत्रकार के रूप में उम्र और उसके बाद 2014 में मैसूर कोडागू सीट से सांसद बनने तक पिछले 9 सालों में उन्होंने कई कारनामे किए हैं। सांसदी में सिम्हा न सिर्फ विपक्ष से बल्कि विपक्ष से भी भिड़ चुके हैं। अपनी ही पार्टी के नेता. एस येदियुरप्पा और बसु राजबोमई ने सरकार पर उंगली उठाते हुए कहा कि पार्टी ने कांग्रेस नेताओं पर लगे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं की. नहीं, बुधवार को संसद में जो हुआ उससे संसद की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं .अब हर स्तर पर इसकी समीक्षा की जा रही है और नए प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, चाहे वह सुरक्षा का मामला हो या विजिटर पास का, हालांकि यह पहली बार है. ऐसा कोई मौका नहीं है जब संसद का सुरक्षा प्रबंधन सवालों के घेरे में हो. विजिटर संसद के पास किसी भी सांसद का कोटा पूरा करने का अधिकार है। इसका फायदा उठाकर दोनों दर्शक दीर्घा तक पहुंच गए, जहां से वे दोनों लोकसभा सदन में कूद गए। और जांच के मुताबिक, हरे रंग के धनवे का इस्तेमाल किया गया था। अध्यक्ष सिम्हा ने कहा कि जो लड़के लोकसभा में कूदे, उनके पास भाजपा सांसद प्रताप सिन्हा के नाम से जारी आगंतुक पास थे। ऐसा कहा गया है कि ड्रिंडाज़मनुरंजन डी के पिता और उनके परिचित हैं, इसलिए उन्हें पास दिया गया था। यह स्वीकार किया गया है कि एक आरोपी मनोरंजन डीके तीन महीने से अपने विजिटर पास के लिए चक्कर लगा रहा था और पास काफी समय से सवालों के घेरे में है. पास को लेकर सवाल उठ रहे थे. कहा जा रहा था कि जिस तरह से नेता अपने लोगों को पास जारी कर रहे हैं. यह खतरनाक है।जी हां, जेपीसी की रिपोर्ट तो सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने 3-4 अहम सिफारिशें लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी हैं. लोकसभा स्कोर्टी? (अनिल नरेंद्र)

क्या बीजेपी में पीढ़ीगत युग है?

भोपाल स्थित भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ता मंगलवार को एक बार फिर चौंक गए। 11 दिसंबर को वे तब भी चौंक गए जब एक दिन पहले ही पार्टी ने मध्य प्रदेश में अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा की। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के चुनाव ने सभी को चौंका दिया पार्टी आलाकमान में. मंगलवार को बारी राजस्थान की थी क्योंकि वहां मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने वाला था. जब खबर आ रही थी तो वसुंधरा राजे सिंधिया ने भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान कर दिया. नेता और कार्यकर्ता भोपाल ने कभी उनका नाम भी नहीं सुना था। लोग आपस में पूछ रहे थे कि ये भजनलाल शर्मा कौन हैं? छत्तीसगढ़ में विष्णु देव, फिर मध्य प्रदेश में मोहन यादव और अब राजस्थान में भजन लाल शर्मा मुख्यमंत्री हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि अब भारतीय जनता पार्टी सदमे की राजनीति में महारत हासिल है। भारतीय जनता पार्टी ने खुद ही पदों की जिम्मेदारी सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, यह राजनीतिक पर्यवेक्षकों की समझ से परे है क्योंकि पार्टी के इस कदम की अलग-अलग तरह से व्याख्या की जा रही है। मुझे राज्यों की कमान सौंपी गई है जिनका नाम किसी सूची में भी नहीं था, जो मुख्यमंत्री की दौड़ में भी नहीं थे. ये एक चमत्कार था क्योंकि कोई सोच भी नहीं सकता था कि जो नेता पहली बार विधानसभा का सदस्य बना, उसे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री। राजस्थान में पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गए भजनलाल शर्मा को बनाकर बीजेपी ने सभी अटकलों को खत्म कर दिया। मध्य प्रदेश में जिन लोगों को मुख्यमंत्री बनाया गया है, उन्हें चुनाव लड़ने का पूर्व अनुभव हो सकता है, लेकिन भजनलाल के मामले में, सभी अटकलें खत्म हो गईं कि राजनीतिक दल आमतौर पर कैसे काम करते हैं या उनकी परंपरा क्या रही है। अब भाजपा, खासकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, परंपरा को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी नई चीजों और कई प्रयोग कर रही है इसके फैसले अप्रत्याशित हैं। कांग्रेस ने कभी जोखिम नहीं लिया। वे जोखिम ले रहे हैं। कांग्रेस हमेशा पुराने नेताओं पर दांव लगाती रही है, नए नेताओं को पार्टी में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उदाहरण के लिए, कमल नाथ, अशोक गहलोत ,दिग्विजय सिंह नए नेतृत्व के उदाहरण हैं और नई पीढ़ी हमेशा पीछे रहती है। इसकी वजह यह भी है कि सिंधिया को कांग्रेस को अलविदा कहना पड़ा। पिछले 10 सालों में बीजेपी ने पीढ़ीगत बदलाव पर काफी जोर दिया है और वह इसीलिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और नए मुख्यमंत्री के नामों की घोषणा की गई। इसे इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जिन चेहरों का जिक्र नहीं है या जिनके नाम दौड़ में नहीं हैं, अगर उन्हें मौका दिया जाए सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, वे हमेशा काम के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं और वे दूर रहते हैं। इसे अभी से चलाया जा सकता है, भविष्य के वरिष्ठ नेताओं का भविष्य क्या होगा? (अनल नरेंद्र)

Saturday 16 December 2023

क्या वसुंधरा और शिवराज की अपेक्षा करना आसान होगा?

मध्य प्रादेश, राजस्थान में बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व में जब मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों को चुना तो सवाल ये उठा कि पुराने चेहरों का अब क्या होगा? मध्य प्रादेश में 18 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिह चौहान की बजाए मोहन यादव को सीएम पद के लिए चुना गया।राजस्थान में 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे की बजाए भजनलाल शर्मा को चुना गया। इस पैसले के बाद इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का भविष्य क्या होगा? द इंडियन एक्सप्रोस की रिपोर्ट में लिखा है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालवृष्ण आडवाणी के चुने हुए शिवराज और वसुंधरा के भविष्य पर अनिाितता छाईं हुईं है। बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल पत्ते नहीं खोले हैं कि आखिर इन दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए क्या प्लान है। 64 साल के शिवराज और 70 साल की वसुंधरा अपने राज्यों में अब भी लोकप््िराय हैं। पाटा नेताओं का कहना है कि वेंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं को पाटा के भीतर या वेंद्र सरकार में मौका दे सकता है। राज्य की सत्ता संभालने से पहले शिवराज और वसुंधरा दोनों वेंद्र सरकार में रह चुके हैं। पाटा से जुड़े नेताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आईं तो वसुंधरा को केन्द्र की राजनीति में आने के लिए कहा गया था, मगर उन्होंने इससे इंकार कर दिया था। मोदी-शाह जब पाटा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे, तब वसुंधरा राजस्थान में स्थानीय नेताओं, विधायकों और वफादारों के बीच बनी रहकर राज्य में बीजेपी को संभाल रही थीं। इससे कोईं इंकार नहीं कर सकता कि आज भी राजस्थान में वसुंधरा राजे बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। हालांकि 2018 में वसुंधरा जब अशोक गहलोत के सामने सत्ता खोली हैं तो आलाकमान ने तभी नए नेतृत्व को आगे लाने का पैसला कर लिया था। सीएम रहने के दौरान शिवराज ने अपना प्रायास तेजी से बढ़ाया। ज्योतिरादित्य सिधिया के कांग्रोस छोड़ने और बीजेपी में आने के बाद भी शिवराज की लोकप््िरायता कम नहीं हुईं और महिलाओं के लिए शुरू की गईं स्कीम खासकर लाडली बहन योजना मध्य प्रादेश में भाजपा की अप्रात्याशित जीत का एक कारण बना।अब जब बीजेपी ने दोनों राज्यों में नेतृत्व को बदल दिया है तो इन नेताओं का क्या होगा। इसे लेकर अलग-अलग राय है। एक पाटा के नेता ने कहा कि ये असंभव है कि वसुंधरा और शिवराज को कोईं काम ना दिया जाए। एक अन्य वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वसुंधरा और शिवराज बिना जिम्मेदारी के नहीं रहेंगे। इनको क्या जिम्मेवारी दी जाएगी, उसे यह स्वीकार करते हैं या नहीं यह अलग बात है। शिवराज सिह चौहान उर्प मामाजी ने तो स्पष्ट कर दिया है कि वह मध्य प्रादेश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कईं लोगों का मानना है कि राज्य के चुनावों में बहुमत इन दोनों नेताओं को मिला। हाल ही में शिवराज सिह चौहान ने मीडिया में कहा था, मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि मैं अपने लिए वुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा। शिवराज के इस बयान से पाटा नेतृत्व परेशान हुआ होगा और अब इसकी संभावना कम ही है कि उन्हें दिल्ली में कोईं जिम्मेदारी दी जाएगी। बीजेपी ने राज्य सरकारों में जो नए चेहरे चुने हैं, वो एबीवीपी से जुड़े रहे हैं। वसुंधरा 2003 से 2008 और फिर 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी है। अब वे सिर्प एक विधायक बन गईं हैं। मामा भी एक विधायक रह गए हैं। —— अनिल नरेन्द्र

नए मुख्यमंत्रियों पर चले कईं और दांव

सिर्प उम्र और वोट बैंक नहीं, भाजपा ने तीन नए मुख्यमंत्रियों से कईं और दांव भी चले। भारतीय जनता पाटा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रादेश और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों के चुनाव से मानना पड़ेगा कि सबको चौंका दिया। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा की अगुवाईं में भाजपा पहले भी ऐसा कर चुकी है। लेकिन सवाल है कि आखिर भाजपा ऐसा क्यों करती है? इस सवाल के एक नहीं कईं जवाब हैं। भाजपा ने फिर एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चौंकाने वाले ऐसे चेहरे दिए हैं जिसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की थी और न ही इनके नामों की कहीं चर्चा थी। भाजपा दरअसल एक नहीं कईं तथ्यों पर नजर रखती है।इसका शीर्ष नेतृत्व अकसर रहस्यमयी तरीके से काम करता है। तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों का अप्रात्याशित चुनाव इसका एक उदाहरण है।छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साईं, मध्य प्रादेश में मोहन यादव और राजस्थान में मदन लाल शर्मा का चयन। इन स्पष्ट आार्यंजनक पैसलों के पीछे एक पैटर्न नजर आता है। क्या किसी को पता था कि 2001 में जब गुजरात में केशुभाईं पटेल के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में कईं नामों की चर्चा हो रही थी तो नरेन्द्र मोदी जैसे एक गुप्त संघ प्रातिभा को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? इसी तरह हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के चुनाव में सबको चौंकाया था। छत्तीसगढ़ में साईं, एमपी में यादव और राजस्थान में शर्मा को शामिल करने को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। इनमें यादव और शर्मा को लोकप््िराय दावेदारों व््रामश: शिवराज सिह चौहान और वसुंधरा राजे को दरकिनार करके गद्दी सौंपी गईं। अगर हम सोशल इंजीनियरिग की बात करें तो छत्तीसगढ़ के साईं एक आदिवासी हैं और उनके दो डिप्टी सीएम ओबीसी (अरुण साव) और ब्राrाण (विजय शर्मा) समुदाय से हैं। मध्य प्रादेश में उपमुख्यमंत्री राजेश शुक्ला और जगदीश दबेड़ा व््रामश: ब्राrाण और अनुसूचित जाति के हैं। जबकि सीएम मोहन यादव ओबीसी हैं। मध्य प्रादेश के सीएम मोहन यादव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रादेश के लिए भी एक संकेत हो सकते हैं, जहां ज्यादातर यादव भाजपा को वोट नहीं करते हैं। नरेन्द्र सिह तोमर, जो एक राजपूत हैं विधानसभा अध्यक्ष होंगे। राजस्थान में शर्मा एक ब्राrाण हैं और उनके दो डिप्टी सीएम राजपूत और दलित हैं।हालांकि विभिन्न समुदाय के चेहरों को संतुलित करने का यह पैटर्न भाजपा के लिए अटपटी बात नहीं है, बल्कि यह तो मंडल की राजनीति से शुरू होने के बाद सोशल इंजीनियरिग के साथ प्रायोग करने वाली पाटा में से एक रही है। हालांकि भाजपा के पास एक विशेष ताकत है, उसके पास सरकार और पाटा में पदों के लिए प्रातिभाओं की कमी नहीं है।अधिकांश पार्टियों के पास संभावित नेताओं के तीन स्नेत होते हैं। कोईं अंदरूनी सूत्र, बाहरी लोग और नौकरशाही या कापरेरेट क्षेत्र वैसी प्रातिभाएं जो पूर्व में राजनीति से दूर रही हों। भाजपा के पास एक और रत्रोत है और वह है संघ परिवार। वर्तमान मुख्यमंत्रियों और शीर्ष पदों के लिए संभावित शीर्ष दावेदारों पर नजर डालते हैं। यूपी में गोरखपुर से 5 बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ बेशक संघ से न रहे हों पर अब पाटा का डर और संघ दोनों में बेहद लोकप््िराय हैं। असम में हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रोस से आए हैं। खट्टर, देवेन्द्र फर्णाडीस संघ से हैं। अकसर मौजूदा लोगों को बदलने में जोखिम रहता है लेकिन भाजपा आलाकमान का स्पष्ट रूप से मानना है कि मोदी का जादू राजस्थान और मध्य प्रादेश में किसी भी नुकसान की भरपाईं कर देगा।

Thursday 14 December 2023

धीरज साहू पर क्या बोलेगी कांग्रेस

धीरज साहू कौन है? जिनके ठिकानों से मिले 350 करोड़ रुपए? आयकर विभाग ने ओडिशा और झारखंड में कईं जगहों पर छापेमारी कर कांग्रेस के एक नेता के यहां से 350 करोड़ (लगभग) नकद बरामद किए हैं। आयकर विभाग ने झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ओडिशा और झारखंड में कईं ठिकानों में छापेमारी की थी। यह वैश ओडिशा और झारखंड में उनके घर से बरामद हुआ है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों से बरामद नोटों की गिनती लगातार पांच दिन तक चौबीसों घंटे चली। गिनती खत्म होने के बाद एसबीआईं के क्षेत्रीय प्रबंधक भगत बहेरा ने रविवार को बताया कि गिनती में तीन बैंकों के अधिकारी लगे और 40 मशीनों का इस्तेमाल किया गया। आयकर विभाग जल्द ही वंपनी के प्रमोटरों को बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी करेगा। विभाग का मानना है कि बेहिसाब नकदी का पूरा भंडार देशी शराब की नकद बिव्री से जुटाया है। विभाग के मुताबिक साहू के रांची समेत अन्य ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे। सूत्रों ने बताया कि आयकर विभाग की किसी एक कार्रवाईं में यह सर्वाधिक बरामदगी है। 2019 में कानपुर के इत्र कारोबारी से 257 करोड़ रुपए की नकदी पकड़ी गईं थी। 1 जुलाईं, 2018 में तमिलनाडु में निर्माण फर्म से 163 करोड़ रुपए की नकदी पकड़ी गईं थी। नकदी को विभिन्न बैंकों में जमा करने के लिए करीब 200 बैग व संदूकों का उपयोग किया गया। 176 बैगों में बरामद रकम में अधिकतर 500 रुपए के नोट थे। 2000 रुपए का नोट बंद होने के बाद 500 का नोट ही चलन में सबसे बड़ा है। राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार 23 नवम्बर, 1955 को रांची में जन्मे धीरज प्रसाद साहू के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू है। वो 2009 में राज्यसभा सांसद बने थे। जुलाईं 2010 में वो एक बार फिर झारखंड से राज्यसभा के लिए चुने गए। तीसरी बार वो मईं 2018 में राज्यसभा के लिए चुने गए।1977 में धीरज साहू ने राजनीति में कदम रखा। वो लोहरदगा जिले के यूथ कांग्रेस में शामिल रहे। इतने वैश की बरामदगी पर जनता में आव्रोश स्वाभाविक है। इसे देखकर लोग जानना चाहते हैं कि गांधी परिवार और कांग्रेस अध्यक्ष अपने सांसद धीरज साहू पर क्या कहना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि इन पर कांग्रेस पार्टी क्या कार्रवाईं करती हैं? राहुल गांधी दिन-रात भ्रष्टाचार खत्म करने, भ्रष्टाचार से लड़ने की बात करते हैं और यहां तो उनका अपना ही सांसद इस भ्रष्टाचार में बुरी तरह से लिपटा हुआ है। अब राहुल क्या कहेंगे? इस पर भाजपा का आव्रामक होना स्वाभाविक ही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि हमारा शुरू से मानना है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार, अनाचार भार और अपराधीकरण के लिए मानी जाती है। यह कांग्रेस की रीति-नीति है जिस पर वह काम करती है। आज राहुल गांधी से भाजपा पूछना चाहती है कि इस पर उनका क्या कहना है। सोनिया गांधी ईंडी, इनकम टैक्स पर कटाक्ष करती रही हैं, अब वह धीरज साहू पर क्या कहेंगी? भाजपा इस अवसर का पूरा फायदा उठा रही है और सभी मंचों पर प्रदर्शन कर रही है और कांग्रेस पर निशाना साध रही है। ——अनिल नरेन्

मायावती ने दानिश अली को क्यों निकाला

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने सांसद दानिश अली को पार्टी से निलंबित कर दिया है। दानिश अली अमरोहा से बसपा के सांसद हैं, लेकिन उनका राजनीतिक सफर कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) से शुरू हुआ था। वह पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के काफी करीबी थे। बसपा ने 2018 में जेडीएस के साथ कर्नाटक में गठबंधन किया था। इसके बाद देवगौड़ा के कहने पर 2019 में दानिश को बसपा ने अमरोहा से लोकसभा का टिकट दिया और वह जीत गए। लेकिन वह चर्चा में तब आए जब भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में उनको अशब्द कहे। इसके तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनके घर पहुंच गए। दानिश ने भी राहुल की खुलकर तारीफ की। राहुल गांधी के अलावा अन्य दलों के नेताओं ने भी उनके प्रति सहानुभूति जताईं थी। बिहार के सीएम नीतीश वुमार से भी उनकी मुलाकात चर्चा में रही। कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष बनने के बाद अजय राय ने भी दानिश से मुलाकात की और हमदर्दी जताईं। अब तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के समर्थन में दानिश का बयान भी चर्चा में आया। उन्होंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताईं। उन्होंने कहा कि बहुमत का मतलब यह नहीं कि किसी को भी फांसी पर लटका दिया जाए। वर्तमान लोकसभा के सत्र में वह कांग्रेस नेताओं के साथ ही देखे गए। ऐसी ही कईं वजहें हैं जो उनके निष्कासन का कारण बनीं। बात सिर्प दानिश तक ही सीमित नहीं है। बसपा के कईं सांसद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं। हाल ही में सहारनपुर से सांसद हाजी फजलर्रहमान की जगह बसपा ने वहां से दानिश अली को लोकसभा प्रभारी बना दिया था। माना जा रहा है कि उनका भी टिकट कट सकता है। बसपा ने सांसद वुंवर दानिश अली को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित करने संबंधी एक पत्र जारी कर इसकी वजह बताईं है। बसपा ने अमरोहा सांसद वुंवर दानिश अली को पार्टी से निकालने पर जारी एक पत्र में कहा है कि अमरोह सांसद को कईं बार मौखिक रूप से और शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी की नीतियों, विचारधारा और गतिविधियों के खिलाफ जाकर बयानबाजी न करने की नसीहत दी थी। लेकिन उन्होंने इसकी अनसुनी की। इसमें यह भी कहा गया है कि 2018 तक दानिश अली कर्नाटक की पार्टी जनता दल (एस) के संस्थापक एचडी देवगौड़ा के साथ मिलकर काम कर रहे थे। देवगौड़ा के कहने पर ही दानिश अली को बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में अमरोहा से टिकट देकर लोकसभा चुनाव में जितवाया। लेकिन दानिश अली लगातार पार्टी के आदेशों की अवहेलना कर पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त पाए गए।वुंवर दानिश अली बसपा से निकाले जाने के बाद कांग्रेस या सपा का दामन थाम सकते हैं। मुस्लिम बहुल इलाके में दानिश अली की मजबूत पकड़ मानी जाती है। अमरोहा में करीब 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है। सवाल है कि क्या वह भी इमरान मसूद की तरह कांग्रेस में जाएंगे? या भाजपा को सबसे बड़ी टक्कर देने वाली समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का दामन थामेंगे?

Tuesday 12 December 2023

धीरज साहू के बारे में क्या कहेगी कांग्रेस?

कौन हैं धीरज साहू, जिनके ठिकाने हैं 350 करोड़ रुपये? आयकर विभाग ने ओडिशा, झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी की और एक कांग्रेस नेता के पास से करीब 350 करोड़ रुपये नकद बरामद किए. आयकर विभाग झारखंड से. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू ने कहा यहां से पैसे बरामद हुए थे. और इन नोटों की गिनती लगातार की जा रही थी और मशीनें भी थक चुकी थीं. गिनती में तीन बैंक अधिकारियों और चालीस मशीनों का इस्तेमाल किया गया था. आयकर विभाग जल्द ही कंपनी के प्रमोटरों को बयान दर्ज करने के लिए बुलाएगा. साहू की रांची समेत कई दफ्तरों और घरों पर छापेमारी हुई. सूत्रों ने बताया कि आयकर के किसी भी ऑपरेशन में इतनी बड़ी बरामदगी होती है. 2019 में कानपुर के परफ्यूम कारोबार से 257 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गयी थी. जुलाई 2018. तमिलनाडु से 163 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गयी थी. विभिन्न बैंकों में नकदी जमा करने के लिए निर्माण धन और लगभग 200 बैग और सूटकेस का उपयोग किया गया था। बरामद किए गए 176 बैगों में से अधिकांश में 500 रुपये के नोट और 2 हजार रुपये थे। 500 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के बाद रुपये का प्रचलन बढ़ा। .500 का नोट सबसे बड़ा है। राज्यसभा की वेबसाइट के मुताबिक, धीरज साहू का जन्म 23 नवंबर 1955 को रांची में हुआ था और उनके पिता का नाम राय साहब वोल्डिब साहू है। वह सांसद बने और जुलाई 2010 में राज्यसभा के लिए चुने गए। मई 2018 में वह तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए। धीरज साहू ने 1977 में राजनीति में प्रवेश किया और लोहार बाग जिले की युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। मामले के नतीजे पर जनता का नाराज होना स्वाभाविक है। यह देखकर लोग जानना चाहते हैं कि गांधी परिवार और अपने सांसद धीरज साहू के बारे में क्या कहेंगी और वे देखना चाहते हैं कि पार्टी उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी। राहुल गांधी दिन-रात भ्रष्टाचार खत्म करने और उससे लड़ने की बात करते हैं और यहां उनके ही सांसद इस भ्रष्टाचार में बुरी तरह शामिल हैं. अब राहुल गांधी क्या कहेंगे, इस पर बीजेपी का आक्रामक होना स्वाभाविक है. बीजे पीके के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि से शुरुआत, हम मानते हैं कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार और अपराध स्वीकार हैं। यह कांग्रेस की परंपरा है जिस पर वह काम करती है। लेकिन वे क्या कहते हैं? सोनिया गांधी ईडी, इनकम टैक्स का मजाक उड़ाती रही हैं। अब वह धीरज साहू के बारे में क्या कहेंगी ?बीजेपी इस मौके का भरपूर फायदा उठा रही है और हर स्तर पर प्रदर्शन कर कांग्रेस पर निशाना साध रही है. (अनिल नरेंद्र)

गोगा मेडी का क़त्ल !

राजपूत करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को जयपुर में दोपहर में गोली मार दी गई। सुखदेव सिंह गोगा माड़ी को गंभीर हालत में मंसूर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। जयपुर से वाल्मेर और कई लोग राजपूत करणी सेना से जुड़े हुए हैं। इस हत्या के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। गोलीबारी में मारा गया। अवार की पहचान नवीन सिंह के रूप में हुई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात भी सुर्खियों में रही। कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष बनने के बाद अजय राय ने दानिश अली से भी मुलाकात की और उनका आभार व्यक्त किया। अब तृणमूल कांग्रेस सांसद मेहवा मोइत्रा के समर्थन में दानिश अली का बयान भी सुर्खियों में रहा. उन्होंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कहा कि बहुमत का मतलब यह नहीं है कि किसी को फांसी दे दी जाए. नेताओं के साथ दिखे. ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से उन्हें बाहर निकाला गया बीएसपी. और सांसद तलाश रहे थे और अन्य भी आलोचना के घेरे में थे, लेकिन बात सिर्फ जानकारी तक ही सीमित नहीं है. 2024 के कई बीएसपी सांसद. लोकसभा चुनाव से पहले नए पते की तलाश में हैं. हाल ही में बीएसपी ने सहारनपुर से सांसद हाजी फजलुर्रहमान की जगह माजिद अली को लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है. माना जा रहा है कि उनका टिकट भी कट सकता है. बसपा ने सांसद कुंवर दानिश अली को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित करने का पत्र जारी कर दिया है. कारण बताया। उन्हें पार्टी की नीतियों और विचारधारा और गतिविधियों के खिलाफ बयानबाजी न करने की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह भी कहा गया कि 2018 तक, दानिश अली कर्नाटक जनता दल के संस्थापक एसडी देवी गौड़ा के साथ मिलकर काम कर रहे थे। उनके अनुरोध पर, बहुजन समाज पार्टी ने 2019 में दानिश अली को टिकट देकर अमरोहा से लोकसभा चुनाव जीता, लेकिन दानिश अली लगातार पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए। क्या आप बीएसपी या एसपीए या कांग्रेस में जाएंगे ? बीएसपी से निकाले जाने के बाद कंवर दानिश अली कांग्रेस या एसपीए की कमान संभाल सकते हैं. दानिश अली की मुस्लिम बहुल इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है. अमरुहा में करीब 30 फीसदी आबादी मुस्लिम है. सवाल ये है कि क्या वो भी ऐसा करेंगे इमरान मसूद की तरह. क्या आप कांग्रेस में जाएंगे या बीजेपी के सबसे बड़े विरोधी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का अनुसरण करेंगे? (अनिल नरेंद्र)

Saturday 9 December 2023

किडनी (गुरदे) बेचने का रैकेट!

एक बार फिर अवैध किडनी खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है और एक बार फिर अपोलो हॉस्पिटल विवादों में घिर गया है. ये कारनामा जारी है. जानकारों का कहना है कि झूठे कागजात जमा कर जांच समिति से बचा जा सकता है क्योंकि झूठे कागजात की जांच करने का तरीका यही है हर जगह नहीं अपनाया जाता है और आजकल तो यह और भी आसान हो गया है. कि फोटोशॉप के जरिए फर्जी दस्तावेज बनाना आसान हो गया है. सफदरजंग अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अनुप कुमार कहते हैं कि कानून बहुत सख्त हैं लेकिन एक जगह जहां जाल फंस सकता है. बनाया गया दस्तावेज़ नकली है। या नहीं, सत्यापित करने का कोई तरीका नहीं है, हम एक बहुत सख्त विधि का पालन करते हैं, हम ऑनलाइन जमा किए गए सभी दस्तावेजों की जांच करते हैं और आधार कार्ड से लेकर रक्त जांच रिपोर्ट की जांच तक उन्हें 2-3 बार जांचते हैं, यदि मरीज देश के बाहर से है, वे उनसे पूछते हैं और क्रॉस चेक करते हैं। अब अगर दूतावास गलत पेपर देता है तो कोई कुछ नहीं कर सकता। वहीं, फूटीज हॉस्पिटल शालीमार बाग के यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के प्रमुख डॉ. विकास जैन ने कहा कि धोखाधड़ी की गई है। झूठे दस्तावेज पेश करना। यदि किसी मरीज की बहनें डोनर हैं, तो पहले ये लोग बहन का फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड पासपोर्ट तैयार करते हैं। एचएलए सैंपल मिलान रिपोर्ट की जांच की जाती है। इसलिए, रिपोर्ट मरीज की असली बहन से जुड़ी होती है, जिससे पता चलता है कि दानकर्ता इसे पहन रहा है। अब समिति के पास इसे सत्यापित करने का कोई अन्य तरीका नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यहां एक थर्ड पार्टी एजेंसी को काम पर रखा जाता है। और इसके माध्यम से उनके दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है। यह महंगा है लेकिन हर अस्पताल ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। यह। एक सवाल के जवाब में डॉ. जैन ने कहा कि डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर है। अगर 100 मरीज हैं तो किडनी। डोनर सिर्फ 10% हैं। जो भी सेंटर एक मानक से ज्यादा ट्रांसप्लांट करता है, उस पर नजर रखनी चाहिए और इस तरह के घोटालों पर अंकुश लगाने के लिए, लंदन के अखबार द टेलीग्राफ ने अपोलो हॉस्पिटल्स पर रिपोर्ट दी। नेशनल किडनी रॉकेट में शामिल होने के लिए अल्ज़ उन्होंने दावा किया कि म्यांमार में गरीब लोगों से किडनी खरीदकर मरीजों में प्रत्यारोपित की जा रही है। यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि अंग दान करने वाला व्यक्ति मरीज का रिश्तेदार है। कानून के मुताबिक, भारत में सामान्य परिस्थितियों में कोई मरीज अंग दान नहीं कर सकता है। किसी अज्ञात व्यक्ति का अंग. दिल्ली सरकार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है. (अनिल नरेंद्र)

कांग्रेस को तो आप ही ले डूबे!

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को 4 में से 3 राज्यों में हार का सामना करना पड़ा। ये नतीजे 2024 के अहम चुनावों से पहले मायने रखते हैं। हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने कांग्रेस को हराया निर्णायक रूप से। इसने कांग्रेस को एक बार फिर से समीक्षा करने के लिए मजबूर कर दिया है। पार्टी हार के कारणों की जांच के लिए राज्य स्तर पर शीघ्र समीक्षा की तैयारी कर रही है। यह माना जाता है कि पार्टी हिंदी भाषी की नब्ज पकड़ने में विफल रही है। वोटर. अब इस हार के साथ ही इस हिंदी सीट पर कांग्रेस का सफाया लगभग हो गया है. उत्तर भारत में पार्टी सिर्फ हिमाचल प्रदेश में ही सत्ता में है, ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है. 1998 में जब सोनिया गांधी ने कमान संभाली थी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में, पार्टी एक राज्य सहित केवल 3 राज्यों में सत्ता में थी। मध्य प्रदेश, ओडिशा और मिजोरम में, उनकी सरकार कांग्रेस की हार में से एक थी। मुख्य कारण वरिष्ठ नेताओं के बीच समूह और समन्वय की कमी माना जाता है .साथ ही, बीजेपी ने मजबूत संगठन के जरिए कांग्रेस की रणनीति को बेअसर कर दिया है. कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष कमल नाथ, छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री फुपेश बघेल और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मनमाने ढंग से छूट देने की इजाजत दे दी है. ये है इन तीन राज्यों के नतीजों का मुख्य कारण छत्तीसगढ़ की हार का कारण यह है कि जो राज्य पार्टी को संसाधन मुहैया कराने में सबसे आगे था वह राज्य कांग्रेस के हाथ से चला गया है और उसे अधिक रियायतें भी दी गई हैं। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की किचन कैबिनेट की वजह. तब से वह पार्टी से दूर हैं, यही वजह है कि वह राज्य में पार्टी चला रहे थे. आलाकमान चुप होकर देखता रहा. सत्ता विरोधी लहर थी मध्य प्रदेश में कई महीनों से चल रहा है, लेकिन कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा पाई. राजस्थान में मुफ्त इलाज जैसी आकर्षक योजनाओं के दम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव में लौट आए. हालांकि मंत्रियों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ सत्ता विरोधी बयानबाजी जारी है. शुरुआत से ही कांग्रेस पर भारी थे, फिर भी गहलोत ने अपने समर्थकों पर दबाव बनाया। जब सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं, तो उनके निर्देश पर अनुशासन तोड़ने वाले मंत्री शांति धारीवाल को पार्टी टिकट नहीं देना चाहती थी, लेकिन गहलोत ने उन्हें टिकट दे दिया। हाथ. बागी नेता सचिन ने कभी पायलट के साथ हथियार नहीं उठाए. राहुल ने सचिन और गहलोत के बीच समझौता कराने की बहुत कोशिश की, लेकिन ये दोस्ती जगजाहिर थी, लेकिन अंदरूनी कलह जारी रही. और पायलट हार गए. अब देखना ये है कि कांग्रेस आलाकमान इस पर गंभीरता से विचार करता है या नहीं इन स्थितियों पर विचार करता है या सिर्फ झूठ बोल रहा है? एक बार फिर कांग्रेस पकी फसल काटने में विफल रही है। राहुल गांधी की सारी मेहनत बर्बाद हो गई है। (अनिल नरेंद्र)

Thursday 7 December 2023

कांग्रेस की हार I.N.D.I.A एत्तेहाद के लिए झटका !

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन अलायंस के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। 28 दलों ने मिलकर गठबंधन बनाया था। उन्हें सत्ता से हटाने के इरादे से. क्योंकि सवाल ये है कि इन नतीजों का इस गठबंधन और इसके भविष्य पर क्या असर होगा? ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नतीजों के बाद भारत की सहयोगी पार्टियों ने कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए हैं. नेशनल कांग्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस की आलोचना की है और कहा है कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान दो वादे किए थे, जो साबित हुए. खोखला। कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्ष की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया। ऐसा नहीं था और न ही है और ऐतिहासिक रूप से इन राज्यों में समाजवादी पार्टियाँ थीं लेकिन कांग्रेस ने कभी भी इंडिया अलायंस के अपने अन्य सहयोगियों के साथ सामंजस्य नहीं बनाया और उनकी राय नहीं ली। भाजपा की सफलता इससे कहीं अधिक दिखती है। उन्होंने कांग्रेस की विफलता पर कहा कि पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी को विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनाया जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में घोष ने कहा कि केटीएमसी वह पार्टी है जिसने बीजेपी को हराया है. कुछ विशेषज्ञों की राय है कि यह अच्छी बात है अगर कांग्रेस यह चुनाव हारती है तो उसका घमंड टूट जाएगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में कांग्रेस अब हावी होने की स्थिति में नहीं है. उसे सीटों का तालमेल बिठाना होगा. कहा जा रहा था कि कांग्रेस इस पर विचार करना चाहिए कि यह भाजपा से सीधे मुकाबले से कम नहीं है। यह इंडिया अलायंस की हार नहीं है, बल्कि कांग्रेस की हार है। कांग्रेस ने पहले ही सोच लिया है कि वह जीत गई है और उसे हराया नहीं जा सकता। यही सोच है इसके पतन का कारण। जिससे भारत के मिशन को मजबूती मिलती। गठबंधन से जो राजनीतिक स्वरूप सामने आया वह नहीं आया। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अगर कांग्रेस छोटी पार्टियों को साथ लेकर सीटें मिला लेती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इस हार से कोई सबक लेगी और बाकी पार्टियों को साथ लेने की कोशिश करेगी? (अनिल नरेंद्र)

उल्टा पड़ा दांव ....

चन्द्रशेखर राव की सीआर ने राज्य की सत्ता की कमान संभालने के बावजूद राष्ट्रीय राजनीति की आकांक्षाओं में अल्पसंख्यकों के वोट हासिल करने के लिए कई चापलूसी योजनाओं का इस्तेमाल किया और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईए को अपने साथ लिया। यहां तक ​​कि पार्टी का नाम भी बदल दिया। तेलंगाना राष्ट्र समिति से लेकर भारत राष्ट्र समिति तक को कोई फायदा नहीं मिला और सीटें पिछले चुनाव की तुलना में आधी से भी कम रह गईं। चटका दिया है अलग से आईटी पार्क शादी मुबारक जेसी योजनाओं के बावजूद, राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मुस्लिम मतदाताओं ने बीआरएस को किनारे कर दिया। जैसा कि कर्नाटक में जेडीएस के साथ हुआ था। बहुमत वोटों में समान ध्रुवीकरण हुआ। और कांग्रेस को मुसलमानों के लगभग एकतरफा समर्थन और बीआरएस की तुलना में सबसे मजबूत पार्टी होने का सीधा फायदा मिला। किसी भी चुनाव में जन कल्याण और विकास के मुद्दे एक महत्वपूर्ण एजेंडे के रूप में सामने आते हैं। असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कल्याण और प्रगतिशीलता में से किस पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, इस वर्ष एक व्यक्ति, उसका परिवार और उसके काम करने का तरीका 2014 में भारत का 29वां रास्ता वाला राज्य और सबसे युवा राज्य बन गया। तेलंगाना का एक और अजीब पहलू यह है कि वोट बैंक भाजपा पिछले कुछ वर्षों में जो निर्माण कर पाई थी, वह कमजोर हो गई है। कमल की जगह अब कांग्रेस को एक मजबूत एमटी रामा राव मिल गए हैं, जिन्हें केटीआर के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए जब उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय चैनलों से बात की तो उनके नाम की ध्वनि उनके मुख्यमंत्री पिता केसीआर से मेल खाती है। उन्होंने विकास के विवरणों का उल्लेख किया और ऐसा प्रतीत होता है कि यह आंकड़ों का हवाला देता है और कुछ क्षेत्रों में रास्ता दिखाता है लेकिन वह मानव विकास और साक्षरता के संकेतों का उल्लेख करता है लेकिन उसने तेलंगाना को आर्थिक रूप से लेकिन मानवीय रूप से मजबूत बनाया है। कल्याण के मामले में इसका रिकॉर्ड खराब है। नवीनतम आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, राजनीति चरम पर है 3.08 लाख सालाना प्रति व्यक्ति आय के साथ देश में शीर्ष पर. कई मतदाता कुछ नया चाहते हैं. वहीं, सबसे अहम बात है केसीआर और उनके परिवार का रवैया. विपक्ष ने इसे केसीआर परिवार के शासन के अहंकारी रवैये के तौर पर पेश किया. रोजगार के कारण युवाओं में बीआरएस के प्रति मोहभंग के बारे में सबसे गंभीर बात यह है कि बीआरएस ने रोजर के लिए अवसर पैदा करने पर बहुत कम ध्यान दिया है। राज्य में राजनीतिक हालात ऐसे थे कि जो मतदाता कभी भाजपा के प्रति वफादार थे, वे अब बदल गए हैं। कांग्रेस के लिए। कांग्रेस ने बार-बार बीआरएस और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाया है, यह संदेश पूरे राज्य में तेजी से फैल गया है। भाजपा की ताकत खत्म हो गई है। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday 5 December 2023

मौत की सज़ा पाए पूर्व भारतीय सैनिकों को राहत!

कतर की एक अदालत में जिस तरह से भारतीय नौसेना के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई, वह पहले से ही सवालों से घिरा हुआ था। इसलिए उम्मीद थी कि भारत सरकार की ओर से कोई ठोस पहल की जाएगी। कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। इस संबंध में भारत ने औपचारिक रूप से कतर की अदालत में फैसले के खिलाफ अपील की और इस संबंध में आई खबरों के मुताबिक, अब कतर की अदालत ने भारत की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और इसकी समीक्षा करेगी। इस दौरान जल्द ही सुनवाई शुरू की जाएगी। गुरुवार को हुई सुनवाई में कतर की अदालत ने मामले पर विचार करने के लिए जल्द सुनवाई शुरू करने का फैसला लिया है. एक अपील दायर की गई है. विदेश मंत्रालय ने मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण सभी से अटकलों से बचने का अनुरोध किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरुंडम बागची ने पहले कहा था कि कतर की अदालत अल दारा कंपनी के 8 कर्मचारियों से संबंधित मामले में है। भारत ने 62 अक्टूबर को फैसला सुनाए जाने के अगले दिन अपील दायर की। विदेश विभाग के प्रवक्ता बागची का कहना है कि पूर्व नौसेना अधिकारियों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों पर मौत की सजा सुनाई थी जिनकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। आगे नहीं लाया जा सका। निर्णय गोपनीय है और केवल कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। हम इसके साथ चर्चा कर रहे हैं इस मामले पर कतर के वरिष्ठ अधिकारी। हालांकि ये गिरफ्तारियां सुरक्षा संबंधी आरोप में की गई हैं। आपको बता दें कि भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारी कतर में देहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज नामक कंपनी के लिए काम कर रहे थे। ये सभी थे अगस्त 2002 में गिरफ्तार किया गया। कतर सरकार। पूर्व नौसेना अधिकारियों के खिलाफ आरोपों का खुलासा नहीं किया गया है। 62 अक्टूबर, 2012 को कतर की अदालत ने इन पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई। इस बीच, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरिकुमार ने कहा शुक्रवार को कतर से भारत सरकार के एडमिरल आर. हरिकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि भारत सरकार उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। परिवार त्वरित राहत की उम्मीद कर रहे हैं। कतर में मामले पर ठोस जानकारी का अभाव है। परिवार के सदस्यों को लगता है कि इस मुद्दे पर पश्चिम एशियाई मीडिया में बहुत गलतफहमी है। उन्होंने कहा कि आठ सेवानिवृत्त नौसैनिक। सर्वोच्च ईमानदारी और उन्होंने सम्मान के साथ देश की सेवा की है.'' उन्होंने कहा कि जिस बात ने उन्हें सबसे ज्यादा आहत किया है वह यह है कि हिरासत की शर्तों को गलत तरीके से पेश किया गया है. (अनिल नरेंद्र)

गिरफ़्तारी का डर या सियासी चाल?

क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए या जेल से सरकार चलानी चाहिए? ये वो अहम सवाल है जिसका जवाब ढूंढने के लिए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में घर-घर जाकर लोगों को अरविंद केजरीवाल के समर्थन में एकजुट करने का फैसला किया है. क्योंकि केजरीवाल गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं इसलिए आम आदमी पार्टी इस तरह का अभियान चला रही है. पार्टी ने 1 दिसंबर से मई वी केजरीवाल हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. पहले चरण में यह अभियान 20 दिसंबर तक चलाया जाएगा. इस अभियान में आम आदमी पार्टी के विधायक, मंत्री, पार्षद और सभी पदाधिकारी सभी 0062 मतदान केंद्रों को कवर करेंगे. दिल्ली में. अभियान का दूसरा चरण 12 से 42 दिसंबर तक चलेगा जिसमें जनता से संवाद कार्यक्रम होगा और इसमें जैसे सवाल उठाए जाएंगे. फिलहाल कई लोगों के खिलाफ ईडी और सीबीआई की कार्यवाही चल रही है पार्टी के बड़े नेता. दिल्ली में कथित शराब घोटाले में केजरीवाल सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, सांसद संजय सिंह जेल में हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता सतेंद्रजन अभी जेल से रिहा नहीं हुए हैं, लेकिन बीमारी के कारण वह जमानत पर हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर बढ़ाता रहता है. ऐसे में पार्टी के इस अभियान का क्या मतलब है? सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि क्या वह वाकई गिरफ्तारी के डर से ऐसी तैयारी कर रही हैं? दूसरा अहम सवाल यह है कि यह मुहिम उनके लिए कितनी कारगर हो सकती है. दिल्ली सरकार में मंत्री और प्रदेश संयोजक गोपाल राय का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की तैयारी की जा रही है. होई में केजरीवाल हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया गया है. उनका कहना है, बीजेपी साजिश रच रहे हैं और अब केजरीवाल को गिरफ्तार कर दिल्ली को बंद करना चाहते हैं. उन्हें एक पत्रक दिया जाना चाहिए और इसमें उनकी राय ली जाएगी. इस अभियान में केंद्र की ओर से एक पेज का पत्रक है जिसका शीर्षक है. नरेंद्र मोदी क्यों चाहते हैं अरविन्द केजरीवाल को गिरफ़्तार करने के लिए? अरविंद केजरीवाल की तस्वीर के साथ एक शीट में चार सवाल और उनके जवाब लिखे हैं. ये सवाल है: शराब घोटाला कैसे फर्जी है? मोदी जी, केजरीवाल जी से काम नहीं संभल रहा? क्या मोदी जी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हैं? केजरीवाल जी की गिरफ्तारी के बाद क्या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए या जेल से सरकार चलानी चाहिए? इस पूरे पेपर में आम आदमी पार्टी ने यह दिखाने की कोशिश की है कि अरविंद केजरीवाल पूरी तरह से निर्दोष हैं। केंद्र की मोदी सरकार उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। अरविंद केजरीवाल, लोकपाल आंदोलन से दिल्ली की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने वाले एक बार फिर जनता के बीच हैं. (अनिल नरेंद्र)

Sunday 3 December 2023

ISI और तालिबान बने दुश्मन!

पाकिस्तान, जो हमेशा आतंकवादी शासन का समर्थन करता है और अपनी फैक्ट्री से दुनिया भर में आतंकवादी उत्पादों की आपूर्ति करता है, आज खुद आतंकवाद से प्रभावित है और इसके खिलाफ लड़ रहा है। और पाकिस्तान सरकार ने आतंकवादी तालिबान सरकार बनाने के लिए तालिबान की हर संभव मदद की थी अफगानिस्तान में। आज इसी दोस्त की वजह से पाकिस्तान में लाशों के ढेर लगे हैं। जी हां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होने के बाद वहां के हुक्मरान कह रहे हैं कि पाकिस्तान में 60 फीसदी आतंकी घटनाएं छात्रों की वजह से होती हैं। याद रहे कि 15 अगस्त 2021 को, जिस दिन तालिबान ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा किया था, अफगानिस्तान के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे का जश्न मनाया था. तत्कालीन इमरान सरकार ने किया था स्वागत तत्कालीन इमरान सरकार ने तालिबान लड़ाकों को पाकिस्तान का दोस्त बताया था, लेकिन अब पाकिस्तान अपने दोस्तों को अपना दुश्मन बता रहा है. आईएसआई ने हुक्मरानों को अपनी रिपोर्ट देकर इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है. हाल की आतंकवादी घटनाएं। बाद में, पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में 60% की वृद्धि हुई और आत्मघाती बम विस्फोटों में 500% की वृद्धि हुई। आईएसआई, जो कभी भारत के खिलाफ आतंक फैलाती थी, अब कह रही है कि वे अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देंगे आतंकवाद। बस इतना ही। प्रधान मंत्री ने दावा किया कि अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, आतंकवादी अब अपने हथियारों का उपयोग कर रहे हैं, खासकर आईएसआई और तालिबान, लश्कर-ए-ताबिया, जैश-ए जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों की मिलीभगत के कारण -मोहम्मद और हिज्बुल-उल-मुजाहिदीन। खतरनाक आतंकी संगठनों तक अमेरिकी हथियार पहुंच चुके हैं। सोचने वाली बात यह है कि 2 साल में अफगानिस्तान से हुए आतंकी हमलों में 2267 लोगों की मौत हो चुकी है। इन हमलों में 15 अफगानी नागरिक भी मारे जा चुके हैं। अब तक सूत्रों के मुताबिक आईएसआई की एजेंसियों से लड़ते हुए 10 अफगानी नागरिक मारे गए हैं, आईएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आतंकी अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल अपने देश के खिलाफ कर रहे हैं. (अनिल नरेंद्र)

अनुभवी रेट माइनर्स टीम को सलाम!

उत्तराखंड के सिल्कियारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने वाले रेट खनिकों का कहना है कि यांत्रिक प्रयास विफल होने पर मजदूरों को आखिरकार उनके श्रमिक भाइयों ने बचाया जो 17 दिनों तक फंसे रहे थे।खनिकों को काम पर रखा गया था, जिन्होंने सुरंग में फंसे मजदूरों को खोदकर बाहर निकाला हाथ से। एक अखबार से बातचीत में सातवीं कक्षा के छात्र और बागपत निवासी 35 वर्षीय मुहम्मद रशीद ने बताया कि मजदूरों को मजदूर भाइयों ने बाहर निकाला। टीम ने 26 घंटे तक हाथ से सुरंग खोदी। अत्यंत कठिन परिस्थितियों में। अधिकांश दर खनिक दलित और मुस्लिम समुदायों से हैं। टीम ने हाथ से 18 मीटर तक मलबा खोदा। टीम ने हथौड़ों और छेनी से 800 मिमी चौड़े ढेर खोदे और एक छोटी ट्रॉली से मलबे को पाइप से निकाला। हाई-टेक मशीनें भी विफल रहीं। दर खनिकों का यह समूह बदले में कोई पैसा नहीं चाहता था जान बचाने के उनके प्रयासों के लिए, हालांकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी ने प्रत्येक रेट माइनर को 50,000 रुपये का इनाम देने की पेशकश की। क्या घोषणा की गई है? 45 वर्षीय रेट माइनर मुहम्मद इरशाद ने कहा कि मैं बस इतना समझना चाहता हूं कि हर इंसान को इंसान और मेरठ के लोगों का दर्द समझना चाहिए जो देश में प्यार का माहौल पैदा कर रहे हैं। इरशाद 2001 से रेट माइनर हैं। और अब एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं इरशाद अभी तक घर नहीं गए हैं भारत में रेट हॉल खनन को खतरनाक और एक वैज्ञानिक तकनीक माना जाता है, लेकिन कोयला खनन क्षेत्रों और कई लोगों में भी इसका अभ्यास किया जाता है, एक अन्य 35 वर्षीय रेट खननकर्ता मन कुरेशी कहती हैं, "जब भी मैं थका हुआ महसूस करती हूं, तो मुझे अपने शब्द याद आते हैं 10 साल का बेटा फैज़। उसने कहा, 'आपको इन लोगों को बाहर निकालना होगा और वापस आना होगा, पिताजी।' 21 वर्षीय सुरवु भाई इस टीम के सबसे कम उम्र के सदस्य हैं। बुलंद शहर के एक छोटे से गांव से आए इन लड़कों ने भी राहत और बचाव कार्य में भाग लिया। मेरे छोटे भाई सोरो ने कहा, क्या हमें इसके तहत एक पक्का घर मिल सकता है? प्रधानमंत्री की मुक्ति योजना? ख़राब, अगर सरकार सड़क बनाये तो अच्छा होगा। वह अपने बिल के अंदर खुदाई करती है और मिट्टी निकालती है और आगे बढ़ती है। जिस तरह से रेट माइनर सुरंग के अंदर काम करते हैं, इस तकनीक को रेट माइनिंग कहा जाता है। (अनिल नरेंद्र)

Tuesday 28 November 2023

म्यांमार से हजारों भारत में घुसे

पिछले वुछ दिनों से भारत-म्यांमार सीमा के करीब म्यांमार सेना और सैन्य शासन का विरोध कर रहे बलों के बीच तेज हुईं झड़पों के बीच करीब पांच हजार विस्थापित लोग म्यांमार से मिजोरम पहुंचे हैं। म्यांमार सेना के 45 जवानों ने भी मिजोरम पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। इन्हें भारतीय सेना को सौंप दिया गया और बाद में म्यांमार वापस भेज दिया गया। मिजोरम पुलिस के आईंजीपी लालबियाक्तगंगा खिआंगते ने इसकी पुष्टि की है। खिआंगते ने कहा, बार्डर के करीब दूसरी तरफ स्थिति अभी तनावपूर्ण है, लेकिन अभी तक भारत की तरफ से कोईं हिसात्मक गतिविधि नहीं हुईं है। विद्रोहियों ने कईं जगह हमले किए हैं और सेना की चौकियों पर कब्जा किया है जिसके बाद म्यांमार के सैनिकों को जंगल में छिपना पड़ रहा है। म्यांमार में सेना ने फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तब से ही म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है जिसकी वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। हाल के दिनों में चीन से सटे म्यांमार के शैन प्रांत में कईं हथियारबंद समूहों ने एकजुट होकर सेना के खिलाफ हमले किए और कईं जगहों पर कामयाबी हासिल की। इसके बाद भारत के सीमावता इलाकों में भी विद्रोहियों ने सेना के ठिकानों पर बड़े हमले किए हैं। पुलिस के मुताबिक सर्वाधिक विस्थापित चमफाईं जिले के सीमावता कस्बों में पहुंचे हैं। दरअसल म्यांमार में फरवरी 2021 में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गईं आंग सान सू की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सैन्य शासन ने कानून-व्यवस्था बचाए रखने के लिए ताकत के इस्तेमाल को अपनी नीति बना रखा है, जिस कारण लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। तब से आज तक वहां चार हजार लोकतंत्र समर्थक मारे जा चुके हैं और बीस हजार से ज्यादा लोग जेल में पड़े हैं। यह जुटा शासन के जुल्मों की इंतेहा ही है कि पहली बार लोकतंत्र समर्थकों ने आंग सान सू की अहिसात्मक प्रातिरोध को छोड़कर हिसा का सहारा लिया है। बता दें कि मिजोरम और म्यांमार के बीच करीब 510 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है, जो ज्यादा सख्त नहीं है। चूंकि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो खुद को एक ही पूर्वज की संतान मानते हैं, इसी वजह से म्यांमार से आने वाले विस्थापितों को मिजोरम में पूरा समर्थन मिल रहा है, खास बात यह कि भारत के चार राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रादेश से लगती यह सीमा की मूवमेंट व्यवस्था के तहत आती है। जिसके मुताबिक लोग सीमा के दोनों तरफ 16 किलोमीटर तक आ जा सकते हैं। देश की सीमा के दोनों तरफ बसी जनजातियों में आपसी रिश्तेदारी के चलते इन प्रावधानों को कड़ा करना या शरणार्थियों के आने जाने पर रोक लगाना मुश्किल है। म्यांमार को शरणार्थियों को शरण देना मिजोरम में कानून-व्यवस्था लाए रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती है। बेहतर यही है कि म्यांमार में शांति स्थापना के लिए असियान देश बगैर विलम्ब किए पहल करें ताकि लोकतांत्रिक संबंध के जरिए स्थायी समाधान ढूंढ़ा जा सके। ——अनिल नरेन्द्र

बाबा रामदेव की सफाईं

बाबा रामदेव की सफाईं सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंतजलि को अपनी दवाओं से बीमारियों को ठीक करने के बारे में दावे करने को लेकर दी गईं चेतावनी के बाद बुधवार को योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि वे अपना पक्ष रखने के लिए पहली बार कोर्ट में पेश होंगे और तथ्यों के साथ अपनी बात रखेंगे। उन्होंने हरिद्वार में कहा कि नामचीन फार्मा वंपनियां और ड्रग माफिया पतंजलि योगपीठ आयुव्रेद भारतीय संस्वृति और सनातन संस्वृति को बदनाम करने के लिए लगातार 30 वर्षो से साजिश करते आ रहे हैं। वे भारतीय कानून और अदालत का पूरा सम्मान करते हैं। अब अपनी बात अदालत के सामने तथ्यों के साथ रखेंगे और आखिर में जीत हमारी होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी थी कि वह भ्रामक विज्ञापन बंद करें नहीं तो वह उन पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाएगा। बाबा रामदेव ने कहा अब अपनी बात अदालत के सामने तथ्यों के साथ रखेंगे और आखिर जीत हमारी ही होगी। उन्होंेने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को गैर-जिम्मेदाराना संगठन करार देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय यदि हमें भी इस संबंध में अपना पक्ष रखने का मौका देगा तो मैं स्वयं न्यायालय के सामने पूरे तथ्यों, क्लीनिकल साक्ष्यों और वैज्ञानिक शोध पत्रों के साथ पेश होने को तैयार हूं। हम इस बारे में पूरी तरह से कानूनी लड़ाईं लड़ने को तैयार हैं। हम आज भी अपने दावे पर अडिग हैं और अगर न्यायालय इसके लिए हमें करोड़ों रुपए के जुर्माने के साथ फांसी पर भी लटकाए तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। बता दें कि पतंजलि का सालाना टर्न ओवर 45,000 करोड़ रुपए है। वंपनी ने आने वाले समय में एक लाख करोड़ के टर्न ओवर का लक्ष्य रखा है। वंपनी के इस लक्ष्य से अप्रात्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है। पतंजलि जल्द ही अपने उत्पादों के बारे में कईं बड़े पैसले ले सकती है। रामदेव ने कहा, पतंजलि योग और आयुव्रेद के साथ लोगों के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज व राष्ट्र सेवा का जन आंदोलन चला रहा है। यहां निजी हित को कोईं स्थान नहीं है। सब वुछ समाज व सेवा व राष्ट्र के लिए है। इसी तरह से पतंजलि को डिजाइन किया गया। पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बहुत दिनों से लड़ाईं चल रही है। सब एलोपैथिक पद्धति के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। डाक्टरों के खिलाफ भी अपशब्द कहते हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि द्वारा विभिन्न गंभीर बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले भ्रामक दावों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह जंग जारी है। देखना है कि बाबा रामदेव की चुनौती का सुप्रीम कोर्ट अब क्या जवाब देता है।

Thursday 23 November 2023

किस ओर धारा, कांग्रेस या भाजपा?

कांग्रेस या भाजपा? जोधपुर के नवी चौक के करीब चाय-नाश्ते की एक दुकान पर वुछ लोग बैठे हुए थे। चुनावी चर्चा शुरू होती है। वहां मौजूद नौ लोगों में राय बंटी हुईं है। भाजपा-कांग्रेस को लेकर बहस आगे बढ़ती है और बात अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे तक पहुंच जाती है। बातों-बातों में इन लोगों से पूछा जाता है कि अगर उनकी पसंदीदा पार्टी जीती तो सीएम कौन होगा? देवेन्द्र बिश्नोईं दावा करते हैं कि भाजपा ही जीतेगी और वसुंधरा राजे सिंधिया अगली मुख्यमंत्री होंगी। उनके बगल में बैठे ललित सिंह कहते हैं कांग्रेस की सरकार वापसी करेगी और अशोक गहलोत ही सीएम बनेंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि राज्य में वोटर के मन में यह बात गहरे तरीके से बस गईं है कि हर पांच साल पर होने वाला बदलाव उनके लिए अच्छा है। वे इससे सरकार की लगाम थामे रहते हैं। अशोक गहलोत की अगुवाईं वाली कांग्रेस सरकार इसी सियासी चलन को बदलने की पूरी ताकत लगा रही है। राज नहीं रिवाज बदलेगा, थीम पर वह आव्रमक तरीके से प्रचार में हैं। खासकर एक साल के दौरान उनकी कईं योजनाओं का साफ असर दिखता है। जयपुर-जोधपुर हाइवे से सटे चितरैली गांव में मालती सिंह कईं संस्थाओं से जुड़ी हैं। वह बताती हैं कि जमीन पर गहलोत सरकार ने बहुत काम किया है। वह कहती हैं कि इनके इलाके में कोईं ऐसा परिवार नहीं है जिन्हें चिरंजीवी कार्ड न मिला हो। इन योजनाओं के कारण मुमकिन है कि लोग कांग्रेस को दोबारा वोट करें। लेकिन उनके ठीक बगल में बैठे मुकेश वुमार इससे सहमत नहीं हैं। वे मानते हैं कि बदलाव होकर रहेगा, भाजपा की सरकार बनेगी। राज्य की 200 विधानसभा सीटों पर एक चरण में चुनाव 25 नवम्बर को होने हैं। बेशक गहलोत और वसुंधरा के सीएम बनने पर इनकी पार्टियों ने कोईं बयान नहीं दिया है लेकिन लोग उन्हें लेकर मुखर हैं। इन दोनों नेताओं की बदौलत ही राज्य में दोनों पार्टियां मजबूत हैं। जोधपुर के दिवाशुं वत्स कहते हैं कि यहां के लोगों के लिए कांग्रेस को वोट देने का मतलब गहलोत को सीएम बनाना है। इसी तरह यह लोग मानते हैं कि यदि भाजपा जीतती है तो वसुंधरा सीएम होंगी। अगर भाजपा ने जीत के बाद वसुंधरा को सीएम नहीं बनाया तो पार्टी के लिए उनका एक वोट समाप्त हो जाएगा। जोधपुर के इस चौक की चर्चा में यह बात साफ नजर आ रही है कि लड़ाईं सिर्प इस बात पर नहीं है कि सत्ता में भाजपा आएगी या कांग्रेस आएगी। सीएम कौन होगा, जनता इस पर भी अपनी राय बनाए हुए है। कांग्रेस में गहलोत और भाजपा में वसुंधरा को सीएम के रूप में देखने की चाह रखने वाले लोग मिले तो इन पर विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। जयपुर के अभिषेक सिंह सिर्प कमल को वोट देते हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि भाजपा राज्य में नए नेतृत्व को सामने लाए। हालांकि समर्थन और विरोध के सुर वसुंधरा और गहलोत के ही इर्द-गिर्द अधिक हैं। इससे अंदाजा लग जाता है कि राज्य की राजनीति में इन दोनों की कितनी गहरी पैठ है। यही कारण है कि दोनों का कद कांग्रेस और भाजपा को राज्य में अपनी रणनीति तय करने में एक बड़ा पैक्टर रखता है। देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठता है, भाजपा की तरफ या कांग्रेस की तरफ। ——अनिल नरेन्द्र

आस्ट्रेलिया ने बेशक कप जीता पर दिल जीता टीम इंडिया ने

पर दिल जीता टीम इंडिया ने इस व्रिकेट वल्र्ड कप में एक बार भी हार का मुंह न देखने वाली टीम इंडिया ने देशवासियों के मन में कप जीतने की उम्मीद को विश्वास में बदल दिया था मगर रविवार को हुआ फाइनल मैच आशा के विपरित रहा। शुरुआती मैचों में हार का मुंह देखने वाली आस्ट्रेलियाईं टीम ने बेशक कप जीता हो मगर टूर्नामेंट में दिल जीता टीम इंडिया ने। मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब विराट कोहली को मिलना तो यही बताता है। मैं कोईं व्रिकेट विशेषज्ञ नहीं पर मेरी राय में टूर्नामेंट में सारे मैच जीतना टीम इंडिया को भारी पड़ गया। अगर एक-दो मैच हार जाते तो शायद और विश्वास व ध्यान से खेलते। आस्ट्रेलिया अपने दो मैच हारकर जीतने का गुण सीख गया और हम सारे मैच जीतकर भी फाइनल हार गए। वल्र्ड कप से पहले टीम इंडिया के परफार्मेस को लेकर संदेह जताए जा रहे थे। फील्डिंग से लेकर बॉलिंग और आलराउंडर खिलािड़यों की कमी पर सवाल उठाए जा रहे थे। हालांकि वल्र्ड कप में एक के बाद एक 10 मैच जीतकर टीम इंडिया ने बता दिया कि वह सुपर पावर है। वुछ लोगों का मानना है कि अगर यह मैच वानखेड़े में होता या ईंडन गार्डन या फिरोजशाह कोटला में होता तो शायद कप टीम इंडिया के हाथों में होता। क्या टीम इंडिया के स्पोर्टिग स्टाफ ने पिच को ठीक से पढ़ा नहीं? वानखेड़े, ईंडन गार्डन व फिरोजशाह कोटला जानी पहचानी पिचें थीं जिनके बाउंस और टर्न से टीम इंडिया पूरी तरह से वाकिफ थी पर राजनीति के चलते इसे एक इवेंट बनने की खातिर इसे नरेन्द्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद में रखा गया, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री और तमाम वीआईंपी पहुंचे थे। विशेषज्ञ कईं कमियां बता रहे हैं। बेशक रोहित शर्मा ने अच्छा स्टार्ट दिया पर वह जिस तरह से लूज शॉट मारकर आउट हुए वह निराशाजनक था। शुभमन गिल तो आए और गए। केएल राहुल ने इतनी स्लो बैटिंग की जिससे भारत अच्छे स्कोर तक नहीं पहुंच सका। एक मैच पहले शतक बनाने वाले श्रेयस अय्यर ने बहुत ही गंदा शॉट मारकर अपनी विकेट गंवा दी। त्रषभ पंत की इंजरी की वजह से केएल राहुल को विकेट कीपिंग करनी पड़ी और बेशक उन्होंने पूरी कोशिक की पर रेग्युलर विकेटकीपर की कमी भारी पड़ी। फाइनल देखने के जुनून के कारण अहमदाबाद के होटल और हवाईं टिकटों के किराए तीस गुना महंगे हो गए। खेल की दुनिया में पुटबाल के बाद व्रिकेट का जुनून सबसे ज्यादा है। खेल में हारजीत तो होती रहती है। टीम इंडिया ने इस वल्र्ड कप में बहुत शानदार प्रदर्शन किया। पूरे देश को उन पर गर्व है। रविवार को आस्ट्रेलिया बेहतर टीम दिखी। उन्होंने मैच को प्रोपेशनल तरीके से खेला। लगता है कि उन्होंने अहमदाबाद पिच को बेहतर तरीके से पढ़ा। इसी वजह से उन्होंने पहले गेंदबाजी करने का पैसला किया। इस बार टीम इंडिया से कप जीतने की बहुत उम्मीद थी और करोड़ों भारतीयों का दिल टूटा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड आर्नेस ने बैठकर इस मैच का आनंद तो लिया, आईंसीसी द्वारा सभी वल्र्ड कप की विजेता टीमों के कप्तानों को बुलाने के कारण भी यह अवसर यादगार रहा। हां, कपिल देव और महेन्द्र सिंह धोनी की गैरहाजरी जरूर खली। कपिल देव ने तो ट्वीट करके कहा कि उन्हें तो मैच के लिए बुलाया तक नहीं गया। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण था। पहला वल्र्ड कप जिताने वाले कप्तान को इस तरह नजरंदाज किया गया यह बताता है कि व्रिकेट में भी राजनीति आ गईं है।

Tuesday 21 November 2023

नेतन्याहू के खिलाफ क्यों भड़का गुस्सा!

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जहां दुनिया भर में गुस्सा बढ़ रहा है, वहीं उनके अपने देश इजराइल में भी उनके खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है. येरुशलम की सड़कों पर उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है. कुछ इजराइली लोगों पर आरोप है नेतन्याहू ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए इजराइल को इस युद्ध में घसीटा है तो कुछ का कहना है कि इजराइलियों का गुस्सा बंधकों की रिहाई में ढील के खिलाफ है। इजराइल और हमास के बीच युद्ध में सैकड़ों इजराइली मारे गए हैं और 200 से ज्यादा लोग अभी भी जेल में हैं। हमास के कब्जे में है. युद्ध को एक महीने से ज्यादा हो गया है. इस बीच इजराइल इन बंधकों को रिहा नहीं कर पाया है और बंधक अपने घर नहीं पहुंच पाए हैं, इसलिए लोगों में काफी गुस्सा है . नेतन्याहू का फैसला है. मध्य पूर्व में कुछ ही देश हैं जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है. इजरायल को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में मान्यता प्राप्त है. हालांकि, पिछले कुछ समय से इसकी लोकतांत्रिक बुनियाद हिल गई है. आग लगी हुई है देश में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं. इजराइल की आबादी करीब 93 लाख है, लेकिन देश छोटा है, लेकिन आर्थिक और सैन्य ताकत के मामले में काफी मजबूत है. इतने शक्तिशाली देश में क्यों है गुस्सा और समृद्ध देश? प्रधानमंत्री नेतन्याहू सुप्रीम कोर्ट में सुधार करना चाहते हैं। क्या यह संसद में पारित हो गया है? जनवरी में नितिन हायो ने संकेत दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुधार किया जाएगा। शायद ही कोई शहर बचा हो जहां सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन न हुए हों हुआ। इजराइल में सरकार की ताकत बनाम कोर्ट की ताकत का खेल चल रहा है। इजराइली सुप्रीम कोर्ट के पास सरकार के फैसलों को पलटने की ताकत है। इसके पास ज्यादा ताकत है और यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप करना। बिल के तहत 3 मुख्य सुधार हैं: कानून की समीक्षा करने या संसद में इसे खारिज करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कमजोर करना। ऐसे कई फैसले लेने की शक्ति देने की प्रणाली बनाना। असामान्य है और सर्वोच्च न्यायालय सहित न्यायालयों में किस न्यायाधीश की नियुक्ति होगी, यह तय करने का अधिकार उसे है या आसान भाषा में कहें तो सरकार के पास सभी शक्तियां हैं और सर्वोच्च न्यायालय सिर्फ एक संस्था है जो इसे नियंत्रण में रखती है ताकि अत्याचार न बढ़े। देश में जहां लोगों को लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां कम कर दी गईं तो अत्याचार बढ़ जाएगा, इसलिए इजराइली लोग प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ सड़कों पर हैं. (अनल नरेंद्र)

Saturday 18 November 2023

अडाणी की वजह से ममता मेहरबान

तृणमूल कांग्रोस की प्रामुख ममता बनजा गौतम अडाणी से दूरी दिखाने के लिए अब महुआ मोइत्रा के प्राति अपने रुख में नरमी लाईं हैं। उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया गया है और आगे लोकसभा का फिर से टिकट भी देंगी। अडाणी बंगाल में कोल ब्लॉक के लिए प्रायासरत है, इसका भाकपा और स्थानीय संस्थाएं विरोध कर रहे हैं। वीरभूम जिले में देउचा पचामी कोयला ब्लॉक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक है जिसमें लगभग 1,198 मिलियन टन कोयला और 1,400 मिलियन टन बेसाल्ट है। अडाणी की इसी पर नजर है। इस कोयला ब्लॉक से बड़ी तादाद में आदिवासी प्राभावित होंगे। ऐसी समस्याएं व्यक्त की जा रही हैं कि अडाणी को ही कोयला ब्लॉक मिलेगा, इसलिए राजनीतिक दल और आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रोस को लगा कि अगर वह महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाईं करती हैं तो देश में यह संदेश जाएगा कि उसने अडाणी का विरोध करने वाली सांसद का साथ नहीं दिया। महुआ अक्सर अडाणी पर हमलावर रहती हैं। ये ही वजह है कि तृणमूल कांग्रोस ने अडाणी से दूरी दिखाने के लिए अब अपनी सांसद महुआ मोइत्रा के प्राति नरम रुख कर लिया है। पाटा ने उन्हें संगठन में जगह देते हुए वृष्णानगर का जिलाध्यक्ष बनाया है। आगे लोकसभा का टिकट भी देंगी। संसद में घूस लेकर सवाल पूछने के मामले में जब तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप लगे थे तो पाटा ने उनसे दूरी बना ली थी। इस बीच तृणमूल कांग्रोस की प्रामुख ममता बनजा ने अपनी सांसद के बचाव में एक शब्द नहीं बोला। पहले तृणमूल कांग्रोस की लाइन यही थी कि जिस सांसद पर आरोप लगे हैं वही अपना बचाव करे। इस वजह से विपक्षी दलों ने भी महुआ मोइत्रा से मुंह मोड़ लिया। एक तरह से महुआ मोइत्रा अकेली पड़ गईं थीं। लोकसभा की समिति ने लोकसभा अध्यक्ष को तृणमूल कांग्रोस सांसद महुआ की सदस्यता छीनने की सिफारिश की है। इस सिफारिश को पाटा अब पक्षपातपूर्ण मुद्दा मानती है। समिति में वैप्टन अमरिदर सिह की पत्नी और निलंबित सांसद परनीत कौर ने महुआ के खिलाफ वोट दिया था जिससे बहुमत महुआ के खिलाफ रहा। महुआ ने अपनी नईं नियुक्ति के लिए पाटा नेतृत्व को धन्यवाद दिया है। सांगठनिक जिम्मेदारी देने के पीछे वुछ लोगों का मानना है कि इससे यह संदेश गया है कि पाटा महुआ के साथ है। एक अन्य वर्ग के मुताबिक अगर महुआ को सजा के तौर पर अगले लोकसभा चुनाव में खड़ा नहीं किया गया तो पाटा उनका संगठन में इस्तेमाल कर सकती है। सत्तारुढ़ दल ने एक प्राशासनिक जिले को कईं संगठनात्मक जिलो में विभाजित कर दिया है। इससे पहले महुआ नादिया जिले की अध्यक्ष थीं, लेकिन जब तृणमूल ने नदिया को वृष्णा नगर और राणघाट में विभाजित किया तो महुआ को संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं दी गईं थी। वह केवल सांसद के रूप में काम कर रहीं थीं। तृणमूल ने जिला स्तर पर बड़ा संगठनात्मक पेरबदल किया है। विभिन्न जिलों की नईं ताजपोशी से कईं प्रामुख नेताओं का नाम गायब है और कईं नए नाम जुड़े हैं। पाटा ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपनी सांसद महुआ मोइत्रा के साथ मजबूती से खड़ी है। ——अनिल नरेन्द्र

आर्थिक अपराधियों को हथकड़ी न लगाईं जाए

क्या आर्थिक अपराधियों को हथकड़ी लगाईं जानी चाहिए यह प्राश्न कईं बार उठ चुका है। अब संसद की एक समिति ने कहा है कि आर्थिक अपराधों के लिए हिरासत में लिए गए लोगों को बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोपियों की तरह हथकड़ी नहीं लगाईं जानी चाहिए। भाजपा सांसद ब्रजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा की है। समिति की रिपोर्ट प्रास्तावित कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस- 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए-2023) से संबंधित है। गत 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किए गए ये तीन विधेयक कानून बनने पर भारतीय दंड संहिता, 1860 दंड प्राव््िराया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे। समिति की रिपोर्ट गत शुव््रावार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपी गईं। संसदीय समिति के अनुसार, उसे लगता है कि हथकड़ी का उपयोग गंभीर अपराधों के आरोपियों को भागने से रोकने और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिाित करने के लिए चुनिदा जघन्य अपराधों तक सीमित है। बहरहाल, समिति का मानना है कि आर्थिक अपराध को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ‘आर्थिक अपराध शब्द’ में अपराधों की एक विस्तृत श्रंखला शामिल है। इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी मामलों में हथकड़ी लगाना उपयुक्त नहीं हो सकता है। समिति ने कहा कि इसलिए समिति सिफारिश करती है कि खंड 43(3) को आर्थिक अपराध शब्द हटाने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जा सकता है। बीएनएसएस के खंड 43(3) में कहा गया है, पुलिस अधिकारी अपराध की प्रावृत्ति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय हथकड़ी का उपयोग कर सकते हैं, जो आदतन अपराधी है, जो हिरासत से भाग गया है या जिसने संगठित अपराध, आतंकवादी वृत्य का अपराध, नशीली दवाओं से संबंधित अपराध किया है। वुछ लोगों का मानना है कि बेशक आचरण को देखकर गंभीर से गंभीर (अपराध) में दोषसिद्धि व्यक्ति के प्राति भी कानून नरमी बरतता रहा है और आचरणगत व्यवहार के प्राति संजीदगी दिखाने पर कानून की समाज के प्राति संवेदनशीलता भी दिखाईं पड़ती है, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि यह मामला केवल आचरण भर का नहीं है। ज्यादातर आर्थिक अपराध जानबूझकर किया गया अपराध होता है और नियोजित तरीके से अंजाम दिया जाता है। ऐसे अपराधी के प्राति नरमी सोच से परे है। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि ऐसे अपराध में ज्यादातर वांछित देश से ही भाग

Thursday 16 November 2023

लोकसभा, विधानसभाओं का एक साथ चुनाव?

लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग (इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया) को लगभग तीस लाख इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईंवीएम) की जरूरत होगी और इसके लिए करीब डेढ़ साल का समय लगेगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि देश में एक साथ चुनाव कराने पर विचार-विमर्श तेज होने के बीच आयोग ने वुछ महीने पहले विधि आयोग को सूचित किया था कि इतनी ईंवीएम को रखने के लिए पर्यांप्त भंडारण सुविधाओं की आवश्यकता होगी। एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराने के मसले पर एक रपट पर काम कर रहे हैं। विधि आयोग ने निर्वाचन आयोग के साथ उसकी जरूरतों और चुनौतियों पर बातचीत की थी। इस बातचीत से अवगत सूत्रों ने कहा कि बहुत वुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस तरह की कवायद कब होगी। एक राष्ट्र, एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित की गईं एक उच्च स्तरीय समिति संविधान के तहत मौजूद ढांचे और अन्य वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि एक ईंवीएम में एक वंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट, एक वोटर वेरिलिएबल पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपैट) यूनिट होता है। आयोग को एक साथ चुनाव कराने के लिए करीब 31 लाख वंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग बत्तीस लाख वीवीपैट की आवश्यकता होगी। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए लगभग 35 लाख वोटिंग यूनिट (वंट्रोल यूनिट), बैलेट यूनिट और वीवीपैट यूनिट की कमी है। जब वुछ राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो मतदाता दो अलग-अलग ईंवीएम में अपना वोट डालते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में 12.50 लाख मतदान केन्द्र थे। आयोग को अब इतने मतदान केन्द्रों के लिए लगभग 15 लाख वंट्रोल यूनिट, 15 लाख वीवीपैट यूनिट और 18 लाख बैलेट यूनिट की आवश्यकता है। निर्वाचन आयोग ने एक कार्यंव्रम में फिल्म अभिनेता राजवुमार राव को अपना राष्ट्रीय आइकान नियुक्त किया है। वे आमजन को मतदान के लिए प्रेरित करेंगे। ——अनिल नरेन्

डीप पेक वीडियो की भरमार

बॉलीवुड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना आजकल चर्चा में हैं और उनके साथ डीप पेक तकनीक को लेकर भी एक नईं बहस छिड़ गईं है। पुष्पा जैसी कामयाब फिल्मों से अलग पहचान बनाने वाली रश्मिका मंदाना की चर्चा फिलहाल एक वायरल वीडियो को लेकर हो रही है। डीप पेक वीडियो के जरिए तैयार इस वीडियो में नजर आ रही एक महिला को रश्मिका मंदाना की तरह दिखाने की कोशिश की गईं है। रश्मिका मंदाना ने इसे लेकर दुख जाहिर किया है और जल्दी से जल्दी इसका समाधान तलाशने की अपील की है जिससे किसी और को उनके जैसी तकलीफ न छेलनी पड़े। रश्मिका मंदाना ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा : ईंमानदारी से ऐसा वुछ भी कहना डरावना है, न सिर्प मेरे लिए बल्कि हम सभी के लिए। उन्होंने आगे लिखा कि आज तकनीक का जिस तरह से दुरुपयोग हो रहा है, उससे सिर्प उन्हें ही नहीं बल्कि तमाम दूसरे लोगों को भी भारी नुकसान हो सकता है। आज एक महिला और एक्टर होने के नाते मैं अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों की शुव्रगुजार हूं जो मेरे रक्षक और सपोर्ट सिस्टम हैं। लेकिन अगर ऐसा वुछ तब होता जब मैं स्वूल या कॉलेज में थी तो सच में यह कल्पना नहीं कर सकती हूं कि तब मैंने इसका कैसे सामना किया होता। वहीं केन्द्रीय (राज्य प्रसार) मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि किस इंर्फोमेशन को उनके प्लेटफार्म पर शेयर की जाए। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का डीप पेक वीडियो का पैक्ट चैक करने वाले एक शख्स ने दी है। पैक्ट चेकिग वेबसाइट आहट न्यूज से जुड़े एक्सपर्ट ने एक्स पर बताया कि ये वीडियो डीप पेक तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है और वीडियो में दिखने वाली महिला रश्मिका मंदाना नहीं हैं। डीप पेक क्या है? डीप पेक एक तकनीक है। जिसमें एआईं का उपयोग करके वीडियो, छवियों और ऑडियो में हेर-पेर किया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से किसी दूसरे व्यक्ति की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगाकर इसे बदला जा सकता है। सरल भाषा में कईं तो इन तकनीक में एआईं का इस्तेमाल करके डीप पेक वीडियो बनाईं जा सकती है जो देखने में रियल लगती है। लेकिन होती पेक है इसी कारण इसका नाम डीप पेक रखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस शब्द का प्रचलन 2017 में शुरू हुआ जब एक रेडिट यूजर ने अश्लील वीडियो में चेहरा बदलने के लिए इन तकनीक का उपयोग किया था। बाद में रेडिट ने डीप पेक पॉर्न को बैन कर दिया था। डीप पेक बेहद पेचीदा तकनीक है। इसके लिए मशीन लर्निग यानी कम्प्यूटर में दक्षता होनी चाहिए। डीप पेक वंटेट दो एल्गोरिदम का उपयोग करके बनाईं जाती है जो एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। एक को डिकोडर कहते हैं तो दूसरे को एनकोडर। इनमें पेक डिजिटल वंटेट बनाता है और डिकोडर ये पता लगाने को कहता है कि वंटेट रियल है या नकली? हर बार डिकोडर वंटेट को रियल या पेक के रूप में सही ढंग से पहचानता है, फिर वह उस जानकारी को एनकोडर को भेज देता है ताकि अगले डीप पेक में गलतियां सुधार कर उसे और बेहतर किया जा सके। पोर्नोग्राफी में इस तकनीक का काफी इस्तेमाल होता है। अभिनेता और अभिनेत्री का चेहरा बदल के अश्लील वंटेट पोर्न साइट्स पर पोस्ट किया जाता है। डीप व पेक की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ऑनलाइन पाए गए डीप पेक वीडियो में 96 प्रतिशत अश्लील वंटेट था। डीप पेक वंटेट में कलरिंग को देखकर भी पता लगाया जा सकता है कि तस्वीर में या वीडियो में छेड़छाड़ की गईं है। अक्सर लोग डीप पेक तकनीक में पेस और आंख की पोजिशन में मात खा जाते हैं।

Tuesday 14 November 2023

निगरानी के लिए विशेष पीठ बनाएं

इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् उच्चतम न्यायालय ने एक अहम पैसले के तहत उच्च न्यायालयों को जन प्रातिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दिया ताकि उनका शीघ्र निपटारा सुनिाित किया जा सके। इस आदेश का मकसद नेताओं के खिलाफ 5000 से अधिक आपराधिक मामलों में त्वरित सुनवाईं है। शीर्ष अदालत ने विशेष अदालतों से यह भी कहा कि वे दुर्लभ और बाध्यकारी कारणों को छोड़कर ऐसे मामलों की सुनवाईं स्थगित न करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मामलों की निगरानी के लिए विशेष पीठ की अध्यक्षता या तो मुख्य न्यायाधीश खुद करें या किसी पीठ को नामित करें। इन मामलों को लेकर अधिकारिक संख्या तैयार करें और एक वेब समूह बने जिसमें स्थिति का विवरण हो कि कहां कितने मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईंकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश जिला जजों से इस मामलों के निस्तारण के लिए समय-समय पर रिपोर्ट लेते रहें। पीठ ने कहा कि इस वेबसाइट में लगातार एमपी, एमएलए के खिलाफ लंबित मामलों का ब्यौरा डाला जाए। दरअसल सांसदों और विधायकों के खिलाफ बढ़ते हुए आपराधिक मामलों को देखने हुए सुप्रीम कोर्ट नेही केन्द्र सरकार को उन सभी राज्यों में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था जहां पर इन सब प्रातिनिधियों के खिलाफ वुल 65 से अधिक मामले लंबित थे। गंभीर अपराधों में आरोप तय होते ही चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाईं करके आदेश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब राज्य सरकारें, सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामले खुद वापिस नहीं ले सवेंगी। इसके लिए संबंधित राज्य के हाईंकोर्ट की मंजूरी लेनी होगी। आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाईं के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। पीठ ने सितम्बर 2020 के बाद सांसदों, विधायकों के वापस लिए गए मामले दोबारा खोलने को भी कहा है, चीफ जस्टिस डीवाईं चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील अश्विनी वुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर ऐसे केस जल्द निपटाने के लिए मौत की सजा या उम्र वैद वाले मामलों को प्राथमिकता देने समेत कईं निर्देश जारी किए। पीठ ने कहा, मुख्य न्यायाधीश प्रातिनिधियों के लिए नामित अदालतों के संबंध में स्वत, संज्ञान मामला दर्ज करेंगे। मामलों को वे विशेष पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर सकते हैं, जिसमें मुकदमे पर रोक के आदेश पारित किए गए हैं, ताकि केस की शुरुआत व समापन के लिए रोज के आदेशों को पारित किया जाना सुनिाित हो सके। शीर्ष कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामलों के लिए देशभर की ट्रायल अदालतों के लिए एक समान दिशा-निर्देश बनाना उसके लिए मुश्किल होगा। ऐसे में प्राभावी निगरानी के उपाय विकसित करने की जिम्मेदारी हाईंकोर्ट को दे दी है। पीठ ने कहा यह इसलिए उचित भी है, क्योंकि वही न्यायिक व प्राशासनिक स्तर पर इन केसों से निपट रहे हैं और हर जिला अदालतों की स्थिति को अच्छे से जानते हैं। —— अनिल नरेन्द्र

..और अब अस्पतालों पर ताबड़तोड़ हमले

पर ताबड़तोड़ हमले उत्तरी गाजा में इजरायली सैनिकों और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच अस्पतालों में मौजूद हजारों लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। हवाईं हमलों के साथ अब जमीनी कार्रवाईं भी कर रही इजरायली सेना गाजा के प्रामुख अस्पतालों - अल शिफा, अल-वुद्स, अल-रेन टिसी और इंडोनेशिया अस्पताल के करीब पहुंच गईं है। इन अस्पतालों में घायल मरीजों और मेडिकल स्टाफ के अलावा ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिन्होंने सुरक्षा के लिए यहां शरण ली है। प्रात्यक्षदर्शियों ने बीबीसी को बताया कि शुव््रावार को दिन भर अस्पतालों के पास से गोलीबारी हुईं और धमाकों की आवाज आती रही। शुव््रावार को सामने आए एक वीडियो में एक महिला कह रही थी कि अल-रेनटिसी अस्पताल को इजरायली टैकों ने घेर लिया है और सबको यहां से निकलने के लिए कहा है। इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि वीडियो अल-रेनटिसी अस्पताल का ही है। इसके अलावा अल-शिफा अस्पताल को भी इजरायली सेना के टैंकों ने घेर लिया है। हमास पर इजरायल, अल-शिफा अस्पताल के नीचे बसी सुरंगों से गतिविधियां चलाने का आरोप लगाता रहा है। हमास इन आरोपों को गलत बताता रहा है। रेड व््रास की अंतर्राष्ट्रीय कमेटी ने चेताया है कि उत्तरी गाजा के अस्पताल उस दौर में पहुंच गए हैं, जहां से वे कभी पहले वाली स्थिति में नहीं पहुंच पाएंगे और इस वजह से हजारों लोगों की जान का खतरा पैदा हो गया है। अल-शिफा समेत गाजा सिटी के चारों प्रामुख अस्पतालों में तनाव की स्थिति बनी हुईं है। गाजा के खान यूनिस से अबू उलफ ने बताया कि अल-शिफा अस्पताल के अंदर मौजूद लोगों को धमाकों और गोलीबारी की आवाजें सुनाईं दे रही हैं। इजरायली टैंक अस्पताल से सिर्प 100 मीटर दूर हैं। अस्पताल के निदेशक का कहना है कि अस्पताल के अंदर 15 हजार लोग हैं। इनमे वे लोग भी शामिल हैं, जो पास ही के एक शरणाथा शिविर से भागकर जान बचाने के लिए यहां पहुंचे हैं। इस वैंप को इजरायली टैंकों ने घेर लिया था। अल-शिफा अस्पताल के डाक्टर सालमिया ने बताया कि वुछ लोग अस्पताल से निकल चुके हैं, क्योंकि अब यह सुरक्षित नहीं रहा। अल-शिफा अस्पताल में रुके लोगों में बुजुर्ग और बीमारों की संख्या ज्यादा है। ये ऐसे लोग हैं जो दक्षिणी गाजा की ओर सफर नहीं कर सकते जिसे इजरायल सुरक्षित बता रहा है। घायलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि उन्हें बरामदों और फर्श पर रखा गया है। गाजा सिटी के अलनस्त्र अस्पताल का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें बच्चे और बुजुर्गो समेत वुछ लोग सपेद झंडे दिखाते हुए निकलने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच गोलीबारी या शायद एक धमाका सुनाईं दिया और ये लोग वापस अस्पताल की ओर चले गए। यह लगभग तय था कि जब इजरायली सेना गाजा में प्रावेश करेगी तो इन अहम अस्पतालों का रुख करेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इजरायल पहले से ही हमास पर अस्पतालों से गतिविधियां चलाने का आरोप लगाता रहा है। इस युद्ध को 35 से ज्यादा दिन पूरे हो चुके हैं। हमास के तहत काम करने वाले स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गाजा में इजरायली हमलों में अब तक 11,078 लोगों की जान गईं है और 27 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सात अक्टूबर को हुए हमास के हमले में करीब 1200 लोगो (इजरायली) की मौत हो गईं थी और 240 से अधिक को बंधक बना लिया गया था। इजरायली सेना का कहना है कि पिछले 2 दिन में एक लाख लोग दक्षिणी गाजा की ओर चले गए हैं।

Saturday 11 November 2023

बार-बार भूवंप के झटके

एक वर्ष के अंदर नेपाल में आए पांच भूंकप से राजधानी के लोग भी सहम गए हैं। तीव्रता इतनी ज्यादा रही है कि इसके झटके को एनसीआर तक महसूस किया गया। बीते तीन दिनों में ही भूवंप के दो झटके दिल्ली में महसूस किए गए हैं। राजधानी-एनसीआर क्षेत्र में सोमवार को भी भूवंप के हलके झटके महसूस किए गए। हालांकि किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। राष्ट्रीय भूवंप केन्द्र के मुताबिक सोमवार की शाम चार बजकर 16 मिनट पर भूवंप के झटके महसूस किए गए। इसका वेंद्र सतह से दस किलोमीटर नीचे नेपाल में था। इसकी तीव्रता 5.6 आंकी गईं। इतनी तीव्रता होने के चलते ही दूर-दूर तक इसके झटको को महसूस किया गया। इससे पूर्व 3 नवम्बर की रात करीब 11 बजकर 32 मिनट पर भूवंप के झटके महसूस किए गए थे। इसका भी केन्द्र नेपाल और तीव्रता 6.4 था। एक वर्ष के अंदर इस क्षेत्र में पांच बड़े भूवंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। जिनकी तीव्रता पांच से उपर आंकी गईं है। नेपाल में 3 नवम्बर को आए भूवंप की वजह से 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुईं और सैकड़ों लोग घायल हो गए। वैसे अब तक 14 छोटे झटके आ चुके हैं। किसी बड़े भूवंप के समय छोटे-छोटे झटके आते हैं। सोमवार को दिल्ली में भी 10 सेवेंड तक झटके महसूस किए गए। नेपाल के लोगों के मन में साल 2015 में आए भूवंप की यादें ताजा हो गईं हैं। उस आपदा में करीब 9000 लोग मारे गए थे। तब कईं कस्बे, सदियों पुराने मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल मलबे में तब्दील हो गए थे और 10 लाख से अधिक घर नष्ट हुए थे। ——अनिल नरेन्द्र

एटम बम गिराने की धमकी

हमास से जारी युद्ध के बीच इजरायल के एक मंत्री एमिचाईं एलियाहू ने रविवार को गाजा पट्टी पर परमाणु हमले का सुझाव दिया। इस पर चौतरफा तीखी प्रतिव्रिया के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। एलियाहू इजरायल की गठबंधन सरकार में दक्षिणपंथी ओत्ज्मा यहूदित पार्टी के सदस्य हैं। एक रेडियो साक्षात्कार में यरुशलम मामले एवं विरासत मंत्री एलियाहू ने कहा-गाजा में कोईं ऐसा नहीं है जो लड़ नहीं रहा है। पूछा गया कि जब गाजा में रहने वाले सभी इजरायल से लड़ रहे हैं तो क्या वहां परमाणु बम गिराने का कोईं विकल्प हो सकता है। एलियाहू ने कहा, यह एक रास्ता हो सकता है। उनकी इस टिप्पणी से विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के नेता भी नाराज हो गए और उन्हें वैबिनेट से बाहर निकालने की मांग होने लगी। इजरायल रक्षा मंत्री थोआव गैलेंट ने एलियाहू के बचाव को निराधार बताया और कहा कि अच्छा है कि ऐसे लोग इजरायली सुरक्षा के प्रभारी नहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष यायर लापिड ने भी एलियाहू की टिप्पणी को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए उनके बयान से किनारा कर लिया। रेडियो इंटरव्यू में एलियाहू ने गाजा के निवासियों को नाजी तक कह दिया था और गाजा को मानवीय सहायता मिलने के खिलाफ भी आवाज उठाईं थी। शुव्र है कि एलियाहू के सुझाव को सभी पक्षों ने नकार दिया नहीं तो निश्चित रूप से तीसरा विश्व युद्ध हो जाता।

अदालत के पैसले को सरकार खारिज नहीं कर सकती

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाईं चन्द्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि विधायिका अदालत के पैसले में खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है, लेकिन उसे सीधे खारिज नहीं कर सकती है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राजधानी में एक कार्यंव्रम में कहा कि न्यायाधीश इस बात पर ध्यान नहीं देते कि जब वे मुकदमों का पैसला करेंगे तो समाज क्या कहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्वाचित शाखा व न्यायपालिका में यही फर्व है। उन्होंने कहा कि जजों को जनता सीधे नहीं चुनती, यह कोईं कमजोरी नहीं है बल्कि न्यायपालिका की एक ताकत है। यही कारण है कि न्यायपालिका पैसला देते वक्त विधायिका का कार्यंपालिका की तरह जनता के प्रति सीधे जवाबदेह नहीं होती बल्कि संविधान के प्रति उत्तरदायी होती है। न्यायाधीश संवैधानिक मूल्यों का पालन करते हैं। उन्होंने कहा- इसकी एक सीमा है कि अदालत का पैसला आने पर विधायिका क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है। अगर किसी विशेष मुद्दे पर पैसला दिया जाता है तो विधायिका उस खामी को दूर करने के लिए नया कानून लागू कर सकती है। विधायक यह नहीं कर सकती कि हमें लगता है कि पैसला गलत है और इसलिए हम पैसले को खारिज करते हैं। विधायिका किसी भी अदालत के पैसले को सीधे खारिज नहीं कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश मुकदमों का पैसला करते समय संवैधानिक नैतिकता को ध्यान में रखते हैं, न कि सामाजिक नैतिकता को। इस साल कम से कम 72 हजार मुकदमों का समाधान किया गया है और अभी डेढ़ महीना बाकी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका में प्रदेश स्तर पर सकरात्मक बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि यदि समान अवसर उपलब्ध होंगे तो अधिक महिलाएं न्यायपालिका में आएंगी। दरअसल, लोकातंत्रिक व्यवस्था के इन दोनों महत्वपूर्ण अंगों विधायिका और न्यायपालिका का गठन भिन्न तरीकों से होता है और दोनों के साथ ही लोकतंत्र के तीसरे अंग कार्यंपालिका को मिलाकर अपने दायित्व का निर्वहन करना होता है। दायित्वों में भिन्नता के साथ ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के इन तीनों अंगों से अपेक्षाएं और तकाजे भी सिरे से भिन्न होते हैं। जाहिर है कि ऐसे में तीनों अंग एक ही दिशा में सोचें या एक ही सुर में बोलें, सिरे से जरूरी नहीं है और तीनों अंगों के विन्यास के मद्देनजर उन्हें एक ही कोण से चीजों को देखना भी नहीं चाहिए। सीजेआईं ने इस तरफ संकेत भी किया है कि सुप्रीम कोर्ट जनता की अदालत है जिसका मकसद जनता की शिकायतों को समझना है। समाज के विकास के लिए कानूनी सिद्धांतों का दृढ़ता से अनुपालन करना है। जजों को सीधे जनता नहीं चुनती, लेकिन यह न्यायपालिका की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी ताकत है, उस पर दायित्व है कि दूसरों की अपेक्षा व आंकाक्षाओं के अनुरूप नहीं बल्कि उसके पैसलों में संविधान के प्रति जवाबदेही दुखद है। दरअसल पिछले वुछ समय से देखा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के पैसलों को पलटने के लिए सरकार नया कानून बनाकर इसे निरस्त करने का प्रयास कर रही है। शायद इसीलिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकार को चेताया है कि वह हमारे पैसले को निरस्त नहीं कर सकती।

Thursday 9 November 2023

जो वादा किया निभाना पड़ेगा

13 साल पहले की बात है। विराट कोहली भारतीय व्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, युवराज सिंह और महेन्द्र सिंह धोनी जैसे दिग्गजों के बीच धीरे-धीरे अपनी पैठ बनाने में लगे हुए थे। उस समय विराट की उम्र महज 22 साल की थी। टीम इंडिया में एक से बढ़कर एक चैंपियन खिलाड़ी थे, लेकिन इसके बावजूद विराट ने जिस तरह से अपने खेल को निखारा उससे यह साफ था कि आगे आने वाले दशक में वह विश्व व्रिकेट पर राज करेंगे और ऐसा ही हुआ। विराट कोहली जब टीम इंडिया में नए-नए आए थे तो उन्होंने ट्विटर यानी एक्स पर लिखा था कि अपनी टीम के लिए ढेर सारे रन बनाना चाहता हूं। विराट ने यह ट्वीट 16 मार्च 2010 को किया था, लेकिन जैसे ही रविवार को उन्होंने वनडे व्रिकेट में 49 शतक पूरे किए, तभी से उनका यह पुराना मैसेज वायरल होने लगा। देश के ईंडन गार्डन से दो किलोमीटर दूर से ही हर तरफ नीले रंग की जस्री में हजारों भारतीय पैंस का हुजूम दिखने लगा था। हजारों की तादाद में पैंस विराट के मखौटे, विराट के नाम की जस्री पहन ईंडन की तरफ उमड़ रहे थे। ईंडन गार्डन के पास विराट, विराट, विराट, विराट का शोर भी सुनाईं दिया। बांग्ला भाषी पैन पिछले दिनों से कहने लगे थे-संडे को विराट खेला होगा। विराट ने सेंचुरी बनाकर अपने तमाम चाहने वालों को बर्थ डे गिफ्ट दे दिया। इस सेंचुरी के साथ उन्होंने महान सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड 49 वनडे इंटरनेशनल सेंचुरी की बराबरी भी कर ली। विराट अपने इंटरनेशनल करियर में जन्मदिन पर तीसरी बार मैच खेल रहे थे। इससे पहले अपने 27वें जन्म दिन पर उन्होंने मोहाली टैस्ट में साउथ अप्रीका के खिलाफ केवल 1 रन बनाया था। दो साल पहले 33वें जन्म दिन पर दुबईं में टी-20 वल्र्ड कप मैच में वह स्काटलैंड के खिलाफ केवल 2 रन बना सके थे। अपने जन्मदिन पर वह पहली बार अपने पंसदीदा वन डे फार्मेट में खेलने उतरे थे और यहां उन्होंने अपना बेस्ट दिया। इसके साथ ही भारतीय टीम ने साउथ अप्रीका को 243 रन से हराकर विश्व कप में लगातार आठवीं एकतरफा जीत दर्ज की। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए पांच विकेट पर 326 रन बनाए। जवाब में दक्षिण अप्रीका की टीम 27.1 ओवर में 83 रन बनाकर आउट हो गईं। भारत के लिए खुद कईं बड़ी पारियां खेलने और कीर्तिमान स्थापित करने वाले राहुल द्रविड़ ने विराट को एक महान खिलाड़ी बताया। अब टीम इंडिया के हैड कोच द्रविड़ ने कहा कि विराट दिग्गज हैं, खासकर वन डे व्रिकेट और वैसे खेल के सभी फामर्ेेट्स में वह जिस तरह से मैच को खत्म करते हैं वह उन्हें खास बनाता है। उन्होंने पिछले वुछ वर्षो में अपने प्रदर्शन से संभवत: अपनी पीढ़ी के व्रिकेटरों के लिए एक मानक स्थापित किया है। आर अश्विन ने कहा, विराट ने भारतीय व्रिकेट के बारे में सोचने के तरीके को ही बदल दिया है। उन्होंने तैयारी करने के अंदाज को बदल दिया है। विराट कोहली ने मैच के बाद कहा : भारत के लिए खेलने का कोईं मौका मिलना बड़ा अवसर है। अपने जन्मदिन पर शतक लगाना किसी सपने को पूरा करने जैसा है। मुझे ऐसे पल मिले इसके लिए मैं भगवान का आभारी हूं। विराट कोहली आप पर पूरे देश को नाज है। हम जहां आपको तहेदिल से बधाईं देते हैं वहीं उम्मीद करते हैं कि आप ऐसे ही खेलते रहें और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते रहें। ——अनिल नरेन्द्र

इस भयानक जंग की कीमत चुकाते बच्चे व महिलाएं

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), यूनाइडेट नेशंस रिलीफ एंड वर्क्‍स (यूएनआरडब्ल्यूए) ने चेतावनी दी है कि गाजा में महिलाएं, बच्चे और नवजात शिशु कब्जे वाले फिलिस्तीन क्षेत्र में बढ़ती शत्रुता का बोझ सबसे ज्यादा उठा रहे हैं। फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए एजेंसी यूएनआरडब्ल्यूए संयुक्त राष्ट्र यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजंेसी (यूएनएफपीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 3 नवम्बर तक फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार गाजा पट्टी में 2326 महिलाएं और 3760 बच्चे मारे जा चुके हैं जो वुल हताहतों का 67 प्रतिशत है जबकि हजारों लोग घायल हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार अनुमान है कि अब तक गाजा पट्टी में और वेस्ट बैंक में 20,000 से ज्यादा के मरने की आशंका है। इसका मतलब है कि हर दिन 420 बच्चे मारे जाते हैं या घायल होते हैं, उनमें से वुछ तो केवल वुछ महीनों के होते हैं। बमबारी, क्षतिग्रस्त या निष्व्रिय स्वास्थ्य सुविधाएं, बड़े पैमाने पर विस्थापन, पानी और बिजली की आपूर्ति में गिरावट के साथ-साथ भोजन और दवाओं तक की सीमित पहुंच, मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य सेवाओं को गंभीर रूप से बाधित कर रही है। गाजा में अनुमानित 50,000 गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से 180 से अधिक प्रतिदिन बच्चे को जन्म देती हैं। उनमें से 15 प्रतिशत को विभीषका या जन्म संबंधी जटिलताओं का अनुभव होने की संभावना है और उन्हें अतिरिक्त चिकित्सा, देखभाल की सख्त जरूरत है। ये महिलाएं सुरक्षित रूप से जन्म देने और अपने नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए आवश्यक आपातकालीन प्रसूति सेवाओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं। 14 अस्पतालांे और 45 प्राथमिक सुविधा देखभाल केन्द्रों के बंद होने के कारण वुछ महिलाओं को आश्रयों में अपने घरों में जन्म देना पड़ रहा है। जहां स्वच्छता की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। संव्रमण और चिकित्सा जटिलताओं का खतरा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी बम बारी की चपेट में आ रही हैं। 1 नवम्बर को अल हिलो अस्पताल जो कि एक महत्वपूर्ण प्रसूति अस्पताल है पर गोलीबारी की गईं। यूएनआरडब्ल्यूए के प्रारंभिक आंकलन के अनुसार 4600 विस्थापित गर्भवती महिलाओं को और 300 नवजात शिशुओं को चिकित्सा व देखभाल की सख्त आवश्यकता है। तीव्र संव्रमण के 22,500 से अधिक मामले और डायरिया के 12,000 मामले पहले ही सामने आ चुके हैं, जो वुपोषण की दर को देखते हुए विशेष रूप से चिंताजनक हैं। 7 अक्टूबर के बंद से गाजा पट्टी में बहुत कम ईंधन आया है। अस्पतालों, जल संयंत्रों और बेकरियों को सहायता जारी रखने में सक्षम होने के लिए सहायता एजेंसियों को तुरंत ईंधन प्राप्त कराना चाहिए। पीड़ा को कम करने और निराशाजनक स्थिति को विनाशकारी बनने से रोकने के लिए तत्काल मानवीय विराम की आवश्यकता है। संघर्ष के सभी पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। सभी बंधकों को बिना किसी देरी या शर्त के रिहा किया जाना चाहिए। विशेष रूप से सभी पक्षों के बच्चों, महिलाओं को नुकसान से बचाना चाहिए। बच्चे, महिलाएं और वृद्ध इस जंग की कीमत चुका रहे हैं।

Tuesday 7 November 2023

जहरीली नशे का खेल

जहरीली नशे का खेल कौन है यूटाूबर एलविश यादव? यूटाूबर और बिग बॉस ओटीटी के विजेता एलविश यादव समेत छह लोगों पर एफआरआईं दर्ज की गईं है। समाचार एजेंसी एएनआईं के मुताबिक, ये एफआईंआर रेव पाटा में सांप का जहर मुहैया करवाने के आरोप में दर्ज की गईं है। पुलिस की छापेमारी में मौके से नौ सांप भी मिले हैं। एफआईंआर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दर्ज की गईं है। एफआईंआर बीजेपी सांसद मेनका गांधी की पीएफए आग्रेनाइजेशन की शिकायत पर दर्ज की गईं है। एफआईंआर में मेनका गांधी की संस्था की ओर से कहा गया, हमें सूचना मिली थी कि एलविश यादव नाम का एक यूटाूबर स्नेक वेनम (सांप का विष) और जिदा सांपों के साथ नोएडा- एनसीआर के फार्म हाउस में अपने गिरोह के दूसरे सदस्यों यूटाूबर के साथ वीडियो शूट करवाता है और रेव पाटा कराता है। इस पाटा में विदेशी युवतियों को बुलाकर स्नेक वेनम और नशीले पदार्थो का सेवन होता है। एफआईंआर होने के बाद एलविश यादव ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वो उत्तर प्रादेश पुलिस के साथ पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। मेनका गांधी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा, ये एक ट्रेप हमने बिछाया था। 11 पाइजन और कोबरा मौके पर मिले हैं। पांच लोग थे। ये रेव पाटा आयोजित करता था। इन पाटा में ये जहर निकालकर बेचता था। जो लोग ये जहर लेते हैं वो उनको नुकसान करता है। मेनका गांधी ने कहा कि अगर मीडिया जोर लगाएगी तो इस पर रोक लगेगी। वो चाहती हैं, रेव पाटा रूके या न रूके, ये मेरा काम नहीं है। मेरा काम है कि जो लोग जंगल से सांप लाते हैं, उनका जहर निकालते हैं और वो मर जाते हैं, ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए। ऐसे लोगों को सात साल की सजा है। पुलिस को ऐसे लोगों को पकड़ना चाहिए। हमारी टीम ने ही यूटाूब पर इसको देखा। एफआईंआर दर्ज होने के बाद एलविश यादव ने शुव््रावार को अपनी सफाईं दर्ज की। उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किए वीडियो में कहा, मैं सुबह उठा मैंने देखा कि मेरे खिलाफ खबरें पैल रही हैंै कि एलविश यादव नशीले पदार्थो के साथ पकड़े गए हैं। मेरे खिलाफ जो खबरें पैल रही है, ये सारे आरोप फजा, बेबुनियाद हैं। इनमें एक फीसदी भी सच्चाईं नहीं है। एलविश यादव ने कहा यूपी पुलिस के साथ मैं पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हूं। मैं यूपी पुलिस, प्राशासन, सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील करूंगा कि अगर इसमें मैं एक परसेंट भी शामिल मिला तो मैं सारी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं। मीडिया से ये गुजारिश है कि जब तक ठोस सबूत ना मिल जाए तब तक मेरा नाम खराब न करें। जितने भी इल्जाम लगे हैं। इनसे मेरा कोईं लेना-देना नहीं है, वो बोले, इन आरोपों से 100 मील तक मेरा कोईं लेना-देना नहीं है। एलविश यादव एक चर्चित यूटाूबर हैं, वे सोशल मीडिया पर काफी लोकप््िराय हैं। यूट्यूब में उनके 16 मिलियन फालोवर हैं तो इंस्टाग्राम पर उनके 13 मिलियन से ज्यादा पैंस हैं। यूटाूब पर एलविश यादव के दो चैनल हैं। एक का नाम है एलविश यादव और एक का नाम है एलविश यादव ब्लॉग्स। वे यूटाूब पर अपनी वीडियो बनाते हैं, अपनी हरियाणवी बोली और खास अंदाज के कारण वे युवाओं में खासे लोकप््िराय हैं। वे गाते भी हैं और एाक्टग भी करते हैं। कारों के शौकीन हैं। कईं लग्जरी कारों के मालिक हैं। ——अनिल नरेन्द्र

इंडिया एलाइंस में पड़ती दरारें

पड़ती दरारें जब 26 विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया एलाइंस बना था तो लोगों को यह लगने लगा था कि शायद यह गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दे सकेगा। गठबंधन के तमाम लीडरों ने भी लंबे-चौड़े दावे किए। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि आपसी मतभेद दूर करके हम केन्द्र में भाजपा का विकल्प पेश करेंगे। पर जैसे ही गठबंधन की पहली परीक्षा और इनके आपसी मतभेद खुलकर सामने आ गए। कहने को तो गठबंधन नेता यह कह सकते हैं कि हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है विधानसभा चुनाव के लिए नहीं। पर अगर विधानसभा चुनाव में भी यह एकदूसरे के लिए थोड़ा सा त्याग करने के लिए तैयार नहीं तो आगे चलकर इनसे क्या उम्मीद लगाईं जा सकती है? विपक्षी गठबंधन इंडिया मेंे सब वुछ ठीक नहीं चल रहा है। शुरुआत में इस गठबंधन में खास भूमिका निभाने वाले नीतीश बाबू ने पिछले ही दिनों सीसीआईं के एक आयोजन में जो टिप्पणी की है वह उनके असंतोष को ही दिखाती है। उनका कहना था कि कांग्रोस इस समय 5 राज्यों के विधानसभा में व्यस्त है उसे इंडिया एलाइंस की कोईं चिता नहीं है। जिस तरीके से मध्य प्रादेश में कांग्रोस और समाजवादी पाटा में सीटों के बंटवारे को लेकर सिर पुटोव्वल हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं। अखिलेश यादव खुलकर कमलनाथ के खिलाफ बोल रहे हैं। शुव््रावार को अखिलेश यादव ने मध्य प्रादेश के बुंदेलखंड में चुनाव प्राचार के दौरान कांग्रोस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को लेकर कहा कि जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं? वह यहीं नहीं रूके, उन्होंने यह भी कहा कि वो कमलनाथ भाजपा की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे। यह एक तरह से सपा के गठबंधन नहीं करने पर कमलनाथ के उस बयान का जवाब है जिसमें उन्होंने कहा था छोड़ो भाईं अखिलेश-वखिलेश। अखिलेश यादव और सपा नेता रामगोपाल यादव ने इस पर कमलनाथ को पहले भी भला बुरा कहा था लेकिन इस बार चुनाव सभा में अखिलेश यादव ने उनकी (कमलनाथ) तुलना भाजपा से की है। चुनाव में ऐसी बातों से कांग्रोस को नुकसान हो सकता है। अखिलेश ने दो दिन पहले बयान दिया कि यह तो अच्छा हुआ कि कांग्रोस ने हमें अभी ही धोखा दे दिया अगर बाद में दिया होता तो हम कहीं के नहीं रहते। बेशक सीटों पर तालमेल मुख्यत: अगले आम चुनाव के लिए होना था, फिर भी गठबंधन के घटक दलों के बीच विधानसभा सीट बंटवारे को लेकर थोड़ी बहुत कटुता जरूर पैदा हुईं है, चुनाव के मौजूदा चव््रा में चूंकि कांग्रोस ही गठबंधन की सबसे बड़ी पाटा है। उससे वुछ नाराज पार्टियां सामने आईं हैं। इन सबके बाद जब प्रातिद्वंद्वी एनडीए और उसके नेता भाजपा, इंडिया की चुनौती को कमजोर पड़ता मानकर कोईं राहत शायद ही ले सकते हैं। उन्हें विधानसभा चुनाव के वर्तमान चव््रा में और खासतौर पर तीन हिदी भाषी राज्यों में इंडिया उन्हें बराबर की टक्कर देती नजर आ रही है और इस चव््रा के में उत्तर-पूवा राज्यों में एनडीए मुख्य मुकाबले से भी बाहर ही नजर आ रही है? उम्मीद की जाती है कि इन पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन किस दिशा में जा रहा है यह और स्पष्ट हो जाएगा?

Friday 3 November 2023

आतंकी खतरों का अंत नहीं हुआ है

तमाम दावों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकी खतरों का अंत नहीं हो रहा है। पिछले तीन दिनों में तीसरा आतंकी हमला कश्मीर घाटी में हुआ। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में मंगलवार को आतंकवादियों ने एक पुलिसकमा की गोली मारकर हत्या कर दी। कश्मीर घाटी में पिछले तीन दिनों में यह इस तरह का तीसरा आतंकवादी हमला है। सोमवार को आतंकवादियों ने गोली मारकर उत्तर प्रादेश के एक मजदूर की हत्या कर दी थी। जबकि रविवार को एक आतंकवादी ने एक पुलिस अधिकारी को निशाना बनाया था। मंगलवार को हुए इस हमले के बारे में अधिकारियों ने बताया हैड कांस्टेबल गुलाम मोहम्मद डार को जिले के पहन इलाके के कालपोटा स्थित उनके आवास के बाहर आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी गईं थी। अधिकारियों ने कहा कि डार को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। रविवार को एक पुलिस अधिकारी को गोली मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था। वहीं सोमवार को पुलवामा जिले में उत्तर प्रादेश के एक मजदूर को गोली मारकर हत्या कर दी गईं थी। यह घटना दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के तुममी नौपारो में हुईं, जब मजदूर मुकेश वुमार सब्जी खरीदने बाजार जा रहा था। अधिकारियों ने बताया कि वुमार बुनाईं उदृाोग से जुड़ा था और गोली लगने के बाद अस्पताल में मौत हो गईं। हमलों में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इसी साल मईं में अनंतनाग जिले में आतंकियों ने एक सर्वसकमा की हत्या कर दी थी, जबकि जुलाईं में शोपियां जिले में बिहार के तीन मजदूरों को गोली मारकर घायल कर दिया गया था। इस बीच जम्मू-कश्मीर के निवर्तमान पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिह ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र शासित प्रादेश में साजिशों और आतंकी खतरों का अंत नहीं हुआ है और यह समय शांति बनाए रखने का है। यहां एक समारोह में अपने विदाईं भाषण में उन्होंने कहा कि सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में काफी हद तक शांति लाने में सफल रहे हैं। पुलिस, सेना और वेंद्रीय अर्ध सैनिक बलों के अधिकारियों और कर्मियों को संबोधित करते हुए सिह ने कहा, हम शांति हासिल करने में काफी हद तक सफल रहे हैं। लेकिन यह पर्यांप्त नहीं है, जरूरत इस बात की है कि शांति कायम रखी जाए। साजिशें खत्म नहीं हुईं हैं और आतंकी धमकियां नहीं रूकी हैं। हमें सतर्व रहने के साथ ही मिलकर काम करना होगा। वर्ष 1987 बैन्च के आईंपीएस के अधिकारी दिलबाग सिह को सितम्बर 2018 में अंतरिम डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था। लेकिन एक महीने बाद पूर्णकालिक पुलिस प्रामुख बना दिया गया था। आतंकी मंसूबों का मुकाबला करने के लिए हमें अपना गृह विभाग और चुस्त करना पड़ेगा। यह टारगेट किलिग बढ़ती जा रही है। चुन-चुन कर निशाना लगाया जा रहा है। जब तक हमारी इंटेलीजेंस और चुस्त नहीं होगी। इस टारगेट किलिग को रोका नहीं जा सकता। आतंकी और उनके आका अपने प्लान के मुताबिक चुन-चुन कर निशाना लगा रहे हैं और हम तमाम कोशिशों के बावजूद इन्हें रोकने में पेल हो रहे हैं। ——अनिल नरेन्द्र