Saturday 16 December 2023

क्या वसुंधरा और शिवराज की अपेक्षा करना आसान होगा?

मध्य प्रादेश, राजस्थान में बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व में जब मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों को चुना तो सवाल ये उठा कि पुराने चेहरों का अब क्या होगा? मध्य प्रादेश में 18 साल से मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिह चौहान की बजाए मोहन यादव को सीएम पद के लिए चुना गया।राजस्थान में 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे की बजाए भजनलाल शर्मा को चुना गया। इस पैसले के बाद इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का भविष्य क्या होगा? द इंडियन एक्सप्रोस की रिपोर्ट में लिखा है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालवृष्ण आडवाणी के चुने हुए शिवराज और वसुंधरा के भविष्य पर अनिाितता छाईं हुईं है। बीजेपी के वेंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल पत्ते नहीं खोले हैं कि आखिर इन दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए क्या प्लान है। 64 साल के शिवराज और 70 साल की वसुंधरा अपने राज्यों में अब भी लोकप््िराय हैं। पाटा नेताओं का कहना है कि वेंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं को पाटा के भीतर या वेंद्र सरकार में मौका दे सकता है। राज्य की सत्ता संभालने से पहले शिवराज और वसुंधरा दोनों वेंद्र सरकार में रह चुके हैं। पाटा से जुड़े नेताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आईं तो वसुंधरा को केन्द्र की राजनीति में आने के लिए कहा गया था, मगर उन्होंने इससे इंकार कर दिया था। मोदी-शाह जब पाटा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे, तब वसुंधरा राजस्थान में स्थानीय नेताओं, विधायकों और वफादारों के बीच बनी रहकर राज्य में बीजेपी को संभाल रही थीं। इससे कोईं इंकार नहीं कर सकता कि आज भी राजस्थान में वसुंधरा राजे बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। हालांकि 2018 में वसुंधरा जब अशोक गहलोत के सामने सत्ता खोली हैं तो आलाकमान ने तभी नए नेतृत्व को आगे लाने का पैसला कर लिया था। सीएम रहने के दौरान शिवराज ने अपना प्रायास तेजी से बढ़ाया। ज्योतिरादित्य सिधिया के कांग्रोस छोड़ने और बीजेपी में आने के बाद भी शिवराज की लोकप््िरायता कम नहीं हुईं और महिलाओं के लिए शुरू की गईं स्कीम खासकर लाडली बहन योजना मध्य प्रादेश में भाजपा की अप्रात्याशित जीत का एक कारण बना।अब जब बीजेपी ने दोनों राज्यों में नेतृत्व को बदल दिया है तो इन नेताओं का क्या होगा। इसे लेकर अलग-अलग राय है। एक पाटा के नेता ने कहा कि ये असंभव है कि वसुंधरा और शिवराज को कोईं काम ना दिया जाए। एक अन्य वरिष्ठ नेता कहते हैं कि वसुंधरा और शिवराज बिना जिम्मेदारी के नहीं रहेंगे। इनको क्या जिम्मेवारी दी जाएगी, उसे यह स्वीकार करते हैं या नहीं यह अलग बात है। शिवराज सिह चौहान उर्प मामाजी ने तो स्पष्ट कर दिया है कि वह मध्य प्रादेश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कईं लोगों का मानना है कि राज्य के चुनावों में बहुमत इन दोनों नेताओं को मिला। हाल ही में शिवराज सिह चौहान ने मीडिया में कहा था, मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहता हूं कि मैं अपने लिए वुछ मांगने से बेहतर मरना पसंद करूंगा। शिवराज के इस बयान से पाटा नेतृत्व परेशान हुआ होगा और अब इसकी संभावना कम ही है कि उन्हें दिल्ली में कोईं जिम्मेदारी दी जाएगी। बीजेपी ने राज्य सरकारों में जो नए चेहरे चुने हैं, वो एबीवीपी से जुड़े रहे हैं। वसुंधरा 2003 से 2008 और फिर 2013 से 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी है। अब वे सिर्प एक विधायक बन गईं हैं। मामा भी एक विधायक रह गए हैं। —— अनिल नरेन्द्र

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